Tuesday 1 May 2012

अमिताभ पर निशाना?!!!!!!!!आमिर बोले- बार-बार एक जैसे सवाल पूछना बोरिंग काम



स्टार टीवी नेटवर्क पर 6 मई से  नया टीवी शो सत्यमेव जयते लेकर आ रहे अभिनेता और निर्माता आमिर खान ने स्टार न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में शो से जुड़े सवालों पर खुलकर बात की।
आमिर ने बताया कि 'सत्यमेव जयते' मेरे लिए एक सफर जैसा रहा है। यह एक बेहद जज्बाती सफर रहा है जिस दौरान बहुत से जज्बात मेरे अंदर दौड़े हैं।  जब उदय जी मेरे पास आए थे तो उन्होंने मुझे गेम शो ऑफर किया था। गेम शो में वो भी बहुत पैसे कमा लेते और मैं भी कमा लेता।
गेम शो में मेरा वक्त भी बहुत कम लगता और पैसा भी ज्यादा कमाते। लेकिन गेम शो को मैं इतना एंजॉय नहीं कर पाता जितना इस शो को पर पाउंगा। गेम शो देखने में मजा आता है, मुझे भी मजा आता है लोगों को हारते या जीतते हुए देखकर। एक कंटेस्टेंट के तौर पर मैं भी कौन बनेगा करोड़पति में गया था तो मुझे प्रतियोगी बनकर ज्यादा मजा आया। लेकिन मुझे नहीं लगता कि बार-बार एक जैसे सवाल पूछना कोई मजेदार काम है। मैंने उस वक्त गेम शो के लिए मना कर दिया था। मैंने कहा था कि टीवी बहुत ताकतवर माध्यम है और मैं इसका ऐसा इस्तेमाल करना चाहता हूं कि समाज में कुछ सार्थक बदलाव आए। मैंने कई महीने तक इस बारे में सोचा कि हमें क्या करना चाहिए। उसके बाद मैंने एक छोटी सी टीम बनाई और कहा कि अब अपने सफर पर निकल पड़ते है। मैं उस वक्त आश्वस्त नहीं था कि यह टीवी शो बन पाएगा या नहीं।


बस हम निकल पड़े यह सोचकर कि कुछ नया सोचेंगे और अगर टीवी शो भी नहीं बन पाया तो कम से कम हम देश को तो बेहतर जान ही पाएंगे। मैंने सिर्फ एंजॉय करने के लिए शुरुआत की थी। धीरे-धीरे हमको लगने लगा कि अब यह टीवी शो बन सकता है। फिर मैंने उदय को बुलाया और अपने आइडिया के बारे में बताया। उदय ने तुरंत हां कर दिया फिर मैंने कहा कि मुझे दो-तीन चीजें आपसे चाहिए।



मैंने उनसे तीन चीजें मांगी पहली यह कि यह अलग-अलग भाषाओं में हो। क्योंकि अगर हमें लोगों के दिल को छूना है तो उनकी भाषा में बात करनी होगी। मेरी कोशिश यह होनी चाहिए कि यह लोगों तक उनकी जुबान में पहुंचे। मेरी इस ख्वाहिश पर उन्होंने तुरंत हामी भर दी।


मैंने फिर कहा कि यह प्रोग्राम दूरदर्शन पर भी आए। क्योंकि हिंदुस्तान में बहुत सी ऐसी भी जगह हैं जहां सिर्फ दूरदर्शन ही पहुंचता है। जब मैंने उदय से कहा कि मुझे दूरदर्शन पर भी आना है।
मैं स्टार के मुखिया से दूरदर्शन पर प्रसारित होने की बात कर रहा था। हो सकता था कि वो ना कर देते लेकिन उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश रहेगी कि यह कार्यक्रम दूरदर्शन पर भी आए।  



फिर उन्होंने पूछा कि आपकी तीसरी मांग क्या है। मैंने कहा कि मुझे प्राइम टाइम में अपना शो नहीं प्रसारित करना है।   मैंने कहा कि मुझे यह कार्यक्रम संडे सुबह को दिखाना है। उन्होंने पूछा ऐसा क्यों तब मैंने कहा कि संडे सुबह को पूरा परिवार एक साथ घर पर होता है। मैं नहीं चाहता कि लोग भगदड़ में ये शो देखें।   मैं चाहता था कि परिवार इस शो को एक साथ मिलकर देखे, सुकून से बैठकर।
आमिर से जब पूछा गया कि आजकल सच की जीत नहीं हो रही है और अगर सच जीत भी रहा है तो उसमें बहुत वक्त लग रहा है इस पर आमिर ने  कहा कि मेरा ये मानना है कि सच जीतता है लेकिन वक्त लगता है। सच उभर कर आता है, उसे छुपाया नहीं जा सकता, आप एक झूठ बोलते हैं, उसे छुपाने के लिए आप सौ झूठ और बोलते हैं लेकिन अंत में सच निकल कर आ ही जाता है।
बोफोर्स घोटाले में जब अमिताभ बच्चन का उदाहरण दिया गया तो आमिर ने कहा कि अभी मैं उसी खास चीज पर टिप्पणी नहीं देना चाहूंगा लेकिन मेरा दिल ये कहता है कि, आप इसे मेरा आदर्शवाद भी कह सकते हैं, सच हमेशा जीतता है, सच को हमेशा जीतना चाहिए। कोशिश यही होनी चाहिए कि सच हमेशा जीते।

400 गरीब बच्‍चों की पढ़ाई का खर्च उठाता हूं: सचिन


मुंबई. संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने सचिन तेंडुलकर के राज्यसभा में मनोनयन पर संवैधानिक सवाल खड़े किए तो मंगलवार को सचिन तेंडुलकर ने भी अपनी योग्यता के बारे में विस्तार से बता दिया। सचिन ने कहा कि मैं 400 गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाता हूं।

सोमवार को कश्यप ने कहा था कि संवीधान की धारा 80 (G) के तहत सिर्फ कला, साहित्य, विज्ञान या समाजसेवा क्षेत्र से संबंधित
व्यक्ति को ही नामित किया जा सकता है।

राज्यसभा के लिए मनोनीत होने के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए सचिन ने जोर देकर कहा कि वो खिलाड़ी हैं और खिलाड़ी ही रहेंगे। उन्‍होंने कहा कि वह 22 सालों से देश के लिए क्रिकेट खेल रहे हैं और  इसी नाते उनका राज्‍यसभा के लिए मनोनयन किया गया है। इसे उन्‍होंने बहुत बड़ा सम्‍मान बताया।

सचिन ने कहा कि सबसे पहले यही कहना चाहूंगा कि महामहिम राष्ट्रपति जब आपका नाम उस सूची में मनोनीत करती हैं जिसमें पहले कई बड़ी-बड़ी हस्तियां जैसे लता मंगेशकर जी और पृथ्वीराज कपूर जैसे लोग मनोनीत हो चुके हैं तो आपको अच्छा लगता है। मनोनयन किसी क्षेत्र में योगदान के आधार पर होता है।
मैं साढ़े 22 साल देश के लिए क्रिकेट खेला हूं, मुझे लगता है कि देश के लिए इतने लंबे वक्त तक खेलने के कारण राष्ट्रपति ने मेरा नाम मनोनीत किया, मैं खिलाड़ी हूं, राजनेता नहीं हूं और हमेशा खिलाड़ी ही रहूंगा।
मुझे ये लगता है कि काफी जिम्मेदारियां हैं लेकिन मैं ये मानता हूं कि मुझे आज तक जो भी सम्मान मिला है वो क्रिकेट के कारण ही मिला है। क्रिकेट मेरी जिंदगी है और क्रिकेट ही मेरी जिंदगी रहेगा।   मुझे याद है कि कुछ समय पहले इंडियन एयरफोर्स ने भी सम्मानित करते हुए ग्रुप कैप्टन बनाया था लेकिन मैंने आज तक हवाई जहाज नहीं उड़ाया है।

मुझे लगता है कि क्रिकेट के बाहर खिलाड़ियों के लिए मैं जो भी कर पाया वो करूंगा। मैं खेल के लिए जरूर कुछ न कुछ करना चाहूंगा। मुझे उम्मीद है कि आपका मुझे इस काम में पूरा सहयोग मिलेगा। मैं जो आगे करना चाहता हूं उसमें मुझे आपके सपोर्ट की आवश्यक्ता है। मैं फिर दोहराता हूं कि मैं खिलाड़ी हूं और हमेशा खिलाड़ी ही रहूंगा।

सचिन ने जीवन के हर पहलू पर बात की। उन्होंने कहा कि मैं भी आज  बच्चों का पिता हूं और अब महसूस करता हूं कि बचपन  में जब मैं शिवाजी पार्क के पास अपने चाचा के घर रहता था तो मेरी मां मुझसे मिलने क्यों आती थी।

अपनी निजी जिंदगी के बारे में खुलकर बात करते हुए सचिन ने कहा कि वो भाग्यशाली हैं कि उनके जीवन में अंजलि जैसी साथी हैं। सचिन ने यह भी कहा कि अंजलि और उनका परिवार बचपन से एक दूसरे को जानता था।

जब सचिन से पूछा गया कि वो इतनी प्रसंशा और आलोचना के साथ कैसे एडजस्ट करते हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि यह मैंने अपने परिवार से सीखा है, यह घर में एक बिना लिखा हुए कानून जैसा था, जो हो गया उसे तुम वापस नहीं ला सकते, सही तरीका यह है कि बस जीवन में आगे बढ़ते रहो।

कई तरह से समाजसेवा में संलिप्त रहने वाले सचिन ने यह भी कहा कि उन्हें अपने समाजसेवा के कामों के बारे में बात करना अच्छा नहीं लगता। सचिन ने कहा, मुझे इस बारे में बोलना अच्छा नहीं लगता, मैं बच्चों की शिक्षा में सहयोग करता हूं, मैं सोचता हूं कि जब मेरे बच्चे अच्छी शिक्षा पा सकते हैं तो फिर दूसरों के बच्चे क्यों नहीं। मैं 400 गरीब बच्चों की शिक्षा का जिम्मा उठा रहा हूं, हर व्यक्ति को अपनी हैसियत के हिसाब से समाजसेवा करनी चाहिए, देने का सुख असीम होता है।

सचिन ने कहा कि मैं भूतकाल या भविष्य के बारे में नहीं सोचता, मैं सिर्फ वर्तमान में जीता हूं, मैं समस्याओं को समाधान के रूप में देखता हूं और इसी तरह उनसे निपटता हूं। सब कुछ आपके नजरिए पर हैं। जैसा आपका नजरिया और तरीका होता है वैसा ही आपका जीवन भी हो जाता है।

बैटिंग के दौरान में अपने पल्स रेट को कम रखने की कोशिश करता हूं, आप जितना कम दवाब महसूस करेंगे उतनी ही सक्षमता से बैटिंग कर पाएंगे।  बैटिंग के दौरान  ध्यान केंद्रित करना और दिमाग को खाली रखना भी जरूरी है।

सचिन ने यह भी कहा कि उनका सौंवा शतक भी विश्वकप जीतने से महान नहीं है। सचिन ने कहा कि विश्व कप जीतना मेरे जीवन का सबसे महान पल था। हालांकि सचिन ने यह भी कहा कि यह उनके जीवन का सबसे बड़ा मैच नहीं था।

जीवन के सबसे बड़े मैच को याद करते हुए सचिन ने कहा कि यह पाकिस्तान के खिलाफ 2003 विश्वकप के दौरान खेला गया मैच था। सचिन ने कहा कि 2003 विश्वकप में पाकिस्तान के खिलाफ खेला गया मैच उनके जीवन का सबसे बड़ा था। इस मैच को लेकर 2002 से ही चर्चाएं शुरु हो गई थी। 3 मार्च भारत और पाकिस्तान के बीच के मुकाबले के लिए तय की गई थी। मैंने इस मैच में खेलने के लिए बहुत पहले से तैयारी शुरु कर दी थी। उस समय  पाकिस्तान के पास विश्व के सबसे बेहतरीन गेंदबाज थे। 274 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए हमारा उद्देश्य यह था कि विकेट न गंवाए जाएं। मैंने एक सकारात्मक एप्रोच अपने खेल में दिखाया और इसका विपक्षियों पर असर हुआ।  मैंने वीरू से कहा था कि मैं वसीम अकरम का ज्यादा मुकाबला करूंगा। उस वक्त मुझे अकड़न की समस्या हो गई। यह मेरे क्रिकेट करियर में पहली बार था जब मैंने रनर की सहायता ली। लेकिन मैं 98 रन के स्कोर पर आउट हो गया। गौरतलब है कि भारत ने यह मैच जीत लिया था।

Mange Lal

Krishana Rao

Krishana Rao