Thursday 27 September 2012

इधर अमरनाथ बर्खास्‍त, उधर सहवाग पर गिरेगी गाज!



Mange Lal
कोलंबो.  मुंबई में बीसीसीआई ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सेलेक्‍टन कमेटी से अमरनाथ को बाहर (पूरी खबर पढ़ें)  कर दिया है। संदीप पाटिल को टीम इंडिया का नया चीफ सेलेक्‍टर चुना गया है। उधर, श्रीलंका में वर्ल्‍ड कप खेलने गई टीम में शामिल सहवाग पर भी गाज गिरने के आसार हैं। उन्‍हें आगे के मैच से भी बाहर रखा जा सकता है। इंग्‍लैंड के खिलाफ मैच में उन्‍हें नहीं खेलाया गया था। क्रिकेट विशेषज्ञ अयाज मेमन के मुताबिक अगर टीम इंडिया को अच्‍छा खेलना है तो सहवाग को प्‍लेइंग 11 से बाहर रखना ही होगा। सहवाग प्रैक्टिस भी नहीं कर रहे हैं और उनके चोटिल होने की विरोधाभासी खबरें भी आ रही हैं। गुरुवार को कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में भी असमंजस साफ नहीं किया। उन्‍होंने कहा कि सीनियर खिलाडि़यों पर नजर है। धोनी ने कहा कि शुक्रवार के मैच में सहवाग को खेलाने पर अभी फैसला नहीं हुआ है।
टी-20 वर्ल्‍ड कप के पहले सुपर मुकाबले में गुरुवार को श्रीलंका-न्यूजीलैंड आमने-सामने होंगे, वहीं दूसरे मैच में वेस्टइंडीज-इंग्लैंड में भिड़ंत होगी। टीम इंडिया का सुपर-8 में पहला मुकाबला 28 सितंबर ऑस्ट्रेलिया से होगा। टी20 वर्ल्‍ड कप के इतिहास में दोनों टीमें दो बार एक-दूसरे के आमने-सामने हुईं हैं और दोनों को एक-एक बार जीत हासिल हुई है। मतलब मुकाबला बराबरी का है। लेकिन भारतीय टीम इसे हल्‍के में ले रही है।
इंग्लैंड से मैच जीतने के बाद टीम इंडिया मौज-मस्‍ती में डूब गई है। भारतीय क्रिकेटर अभ्यास पर कम ध्‍यान दे रहे हैं जबकि पर्यटन स्थलों, शॉपिंग मॉल, समुद्री रिसॉर्ट में घूमने जाते रहते हैं। कप्तान धोनी भी टीम के इस कदम का समर्थन करते हैं। उनका कहना है, 'अभ्यास में क्या रखा है। हम सब अच्छे फॉर्म में हैं। हम सभी सीधे मैच खेलने में सक्षम हैं।' कप्तान का तर्क है कि जितने ज्यादा रिलैक्स रहेंगे उतना ही प्रदर्शन में निखार आएगा। टीम में कई खिलाड़ी हैं जो मैदान में पसीना बहाने के बजाय होटल के कमरे में समय बिता रहे हैं।

Wednesday 19 September 2012

ये संस्कार आपको सम्मान दिलाता है...

Haridwar

 आप अपने ही घर में बुजुर्ग लोगों पर नजर डालें तो पाएंगे कि वे विश्वास से अधिक जिए हैं और नई पीढ़ी पर दृष्टि रखें तो पाएंगे कि ये लोग विचार से जीते हैं। विश्वास से जीने वालों के पास संतोष, धर्य और शांति होती है। वे तर्क के सामने निरुत्तर होते हैं।
गुजरती पीढ़ी से यदि पूछा जाए कि वे आज भी कुछ काम ऐसे कर रहे हैं, जिनका उनके पास जवाब नहीं है तो वे यही कहेंगे कि सारा मामला विश्वास का है। उन्होंने रिश्तों में विश्वास किया है, प्रकृति पर विश्वास किया है और सबसे बड़ा विश्वास उनके लिए परमात्मा है।
नई पीढ़ी विचार को प्रधानता देती है। विचार और विश्वास सही तरीके से मिल जाएं तो आनंद और बढ़ जाएगा। खाली विश्वास एक दिन आदमी को पंगु बना देगा। उसकी सक्रियता आलस्य में बदल सकती है। इस बदलते युग में वह लाचार हो जाएगा और शायद बेकार भी।
खाली विचार से चलने वाले लोग घोर अशांत पाए जाते हैं। श्रीश्री रविशंकर एक जगह कहते हैं - उदारता इसमें है कि जीवन में दोनों का संतुलन हो। विश्वास का अर्थ है स्वयं के प्रति आदरपूर्ण होना।
विश्वास और विचार जुड़ते ही हम समग्र के प्रति आदरपूर्ण हो सकते हैं। जब हम कहते हैं कि परमात्मा महान है तो इसका विश्वास में अर्थ है कि सचमुच वो महान है और विचार का अर्थ होगा कि वो महान है इसलिए उसकी कृति के रूप में हम भी महान हैं। हमें उस महानता को याद रखना है और वैसे ही कार्य करने हैं।
किसी को आदर देकर हम स्वयं भी सम्मान पाते हैं। जैसे-जैसे विचार और विश्वास जीवन में मिलते जाएंगे, वैसे-वैसे विज्ञान और धर्म का भी संतुलन जिंदगी में होता रहेगा।