Friday 30 August 2013

News Flash: आसाराम को सरेंडर करने के लिए अतिरिक्त समय नहीं: जोधपुर पुलिस

देश, दुनिया, महानगर, खेल, आर्थिक और बॉलीवुड में क्‍या कुछ हुआ. जानने के लिए यहां पढ़ें समय के साथ साथ खबरों का लाइव अपडेशन...
7.00 PM: जोधपुर पुलिस ने कहा कि आसाराम को सरेंडर करने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा.
6.50 PM: गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, हर व्‍यक्ति तक विकास पहुंचना चाहिए, कुशासन जैसी बीमारी से छुटकारा पाना होगा, विकसित देश के लिए कुशासन से छुटकारा जरुरी.
6.19 PM: भोपाल एयरपोर्ट पर हंगामा, दिल्‍ली की फ्लाइट नहीं पकड़ सके आसाराम.
5.32 PM: वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही में विकास दर 4.4 फीसदी रही
5.20 PM: सुषमा स्वराज का प्रधानमंत्री पर निशाना. उन्होंने ट्वीट किया, रुपये ने अपनी चमक खोई. पीएम ने अपनी गरिमा खोई.
5.05 PM: सुशील मोदी ने ट्वीट किया है, इशरत जहां को बेटी बताने वाली जेडीयू पार्टी यासीन भटकल को बिहार का दामाद भी घोषित कर सकती है.(क्योंकि उसकी शादी समस्तीपुर में हुई है)'
4.50 PM: आसाराम ने अपनी ट्रांजिट बेल अपील वापस ली. गुजरात हाईकोर्ट ने अपील को रद्द करने की ओर इशारा किया तो आसाराम के वकील ने अर्जी वापस ली.
4.35 PM: यासीन भटकल को एम्स ले गई एनआईए
4.08 PM: आसाराम ने गुजरात हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की.
4.13 PM: यासीन भटकल के वकील ने कोर्ट में कहा कि यह यासीन नहीं है, बल्कि मोहम्मद अहमद है.
4.05 PM: यासीन भटकल को 12 दिन की NIA हिरासत. आतंकी असदुल्लाह को भी 12 दिन की NIA हिरासत.
3.44 PM: अमेठी का दौरा करेंगे राहुल गांधी. 2 सितंबर को जाएंगे अमेठी.
3.42 PM: केंद्रीय कार्मिक मंत्री नारायण सामी ने कहा कि पीएम ने बिल्कुल सही कहा. विपक्ष संसद नहीं चलने दे रहा है.
3.22 PM: भटकल को दिल्ली लेकर पहुंची NIA की टीम, पटियाला कोर्ट में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
3.01 PM: बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि राज्यसभा में पीएम के रवैये से निराशा हुई.
2.40 PM: राष्ट्रपति के साथ बीजेपी नेताओं की बैठक खत्म. इस बैठक में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी और यशवंत सिन्हा मौजूद थे.
2.20 PM: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आसाराम से मेरा कोई संबंध नहीं है. 10-12 साल पहले आसाराम से मिला था. मेरे बारे में जो गलत बातें फैलाई जा रही हैं एक संत को शोभा नहीं देती.
1.49 PM: मनमोहन सिंह ने कहा कि निवेशकों में विश्वास दिलाने की जिम्मेदारी सभी सांसदों की है.
1.46 PM: कोयला घोटाला की गुम फाइलों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं कोलगेट फाइलों का रखवाला नहीं हूं.
1.45 PM: मनमोहन सिंह ने कहा कि संसद में विपक्ष पीएम को चोर कहता है. किसी और देश में पीएम को चोर कहते सुना है?
1.43 PM: राज्यसभा में विपक्ष पर बरसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह. उन्होंने कहा कि पिछले 9 साल से बीजेपी संसद के कामकाज में अड़ंगा डाल रही है.
1.20 PM: आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई और एन श्रीनिवासन को नोटिस भेजा. राजस्थान रॉयल्स और इंडिया सीमेंट्स को भी भेजा नोटिस.
1.03 PM: जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. अब चुनाव का विकल्प ही बेहतर है.
1.03 PM: हंगामे के बाद लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित. तेलंगाना और अन्य मुद्दों को लेकर सदन में हंगामा.
12.56 PM: मुंबई गैंगरेप के आरोपियों पर एनसीपी कार्यकर्ताओं ने अंडे फेंके. पांचों आरोपियों को कोर्ट ले जाया जा रहा था.
12.45 PM: बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कके भाषण में कोई उम्मीद नहीं दिखी. सराकर अपनी गलत नीतियों का दोष बाहरी कारणों पर डालनी चाहती है.
12.35 PM: यासीन भटकल को दिल्ली लाया जा रहा है. यासीन को लेकर NIA की टीम पटना से रवाना हुई.
12.22 PM: इकॉनिमी पर प्रधानमंत्री के बयान के बाद लोकसभा से बीजेपी का वॉकआउट
12.18 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि देश का आर्थिक ढांचा मजबूत है.
12.17 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि सब्सिडी पर कड़े फैसले लेने का वक्त
12.16 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि सुधारों के लिए आम सहमति जरूरी
12.15 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि देश का बैंकिंग सेक्टर मजबूत है
12.14 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि हमारे पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है. 278 अरब डॉलर है मुद्रा भंडार
12.13 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि महंगाई कम करने की कोशिशें जारी
12.13 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि अच्छे मानसून से विकासदर बढ़ने की उम्मीद
12.12 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि अर्थव्यवस्था सुधरने में थोड़ा वक्त लगेगा
12.12 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि उदारीकरण की प्रक्रिया जारी रहेगी
12.11 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि सोने का आयात कम करना होगा.
12.11 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि व्यापार घाटे को कम करने की कोशिश
12.10 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि सीरिया संकट की वजह से भी हालत खराब हुए
12.10 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भी हालत बिगड़े
12.09 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की करेंसी में गिरावट
12.07 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि घरेलू कारणों से भी गिर रही है रुपये की कीमत
12.06 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि चालू खाते के घाटे से रुपये पर दबाव
12.05 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि विकासशील देशों की मुद्राएं कमजोर हुई है.
12.03 PM: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में कहा कि रुपये में गिरावट चिंता का विषय.
11.35 AM: यासीन भटकल ने बोध गया धमाकों में हाथ होने से किया इनकार. लेकिन कई ब्लास्ट की साजिश रचने का गुनाह कबूला.
11.24 AM: जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि आसाराम के सामने गुजरात, एमपी और राजस्थान की सरकार लाचार नजर आ रही है. हम संसद में इस मुद्दा को उठाएंगे ताकि आसाराम को गिरफ्तार किया जाए.
11.20 AM: NIA के डीजी शरत कुमार बीएमपी कैंप पहुंचे. यासीन भटकल से करेंगे पूछताछ.
11.10 AM: बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि साधू कितना बड़ो हो अगर असका चरित्र ठीक नहीं तो उसपर कार्रवाई होनी चाहिए.
11.07 AM: बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, जब जब पीएम बोले हैं तब तब नकारात्मक असर हुआ है. देश एक्शन चाहता है सिर्फ बातें नहीं.
11.06 AM: आसाराम पर मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पुलिस को कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिए. किसी को बचाने का सवाल नहीं है.
11.05 AM: लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित.
10.48 AM: संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर संसद में प्रधानमंत्री बयान देंगे. उम्मीद है इससे शेयर बाजार का मनोबल बढ़ेगा.
10.45 AM: कमलनाथ ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस का रिकॉर्ड बीजेपी से बेहतर
10.35 AM: नोएडा पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया. चार चोर और 1 सोनार को किया गिरफ्तार. कई मोबाइल और भारी मात्रा में गहना बरामद.
10.34 AM: आसाराम पर कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि वे इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. कानून के सामने पेश हों आसाराम.
10.32 AM: यासीन भटकल पर राजीव शुक्ला ने कहा कि ज्यादा आतंकी वारदात बीजेपी के कार्यकाल में हुए. हमारे कार्यकाल में अब्दुल करीम टुंडा और यासीन भटकल गिरफ्तार किया गया. बीजेपी देश और सरकार से माफी मांगे.
10.30 AM: आसाराम पर सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. अगर किसी ने क्राइम किया है तो उसे सजा मिलनी चाहिए. कानून सबके लिए बराबर है. सरकार को आसाराम को गिरफ्तार करना चाहिए.
10.24 AM: दिल्ली बीजेपी चुनाव समिति की बैठक आज. दोपहर 11.20 बजे होगी बैठक. टिकट बंटवारे को लेकर चर्चा. कई और अहम फैसले किए जा सकते हैं.
10.20 AM: 2009 में पाकिस्तान में था आतंकी यासीन भटकल. पाक में उसने आईएसआई के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी.
10.15 AM: पाकिस्तान ने फिर किया सीजफायर का उल्लंघन. जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में की फायरिंग. गुरुवार रात 8.45 बजे से 11.45 बजे तक फायरिंग.
10.13 AM: 2009 में यासीन भटकल पाकिस्‍तान में था और आईएसआई के साथ मीटिंग भी की थी.
08.54 AM: पाकिस्‍तान ने पुंछ में फिर किया सीज फायर का उल्‍लंघन.
08.18 AM: आसाराम का सेवादार भी पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ.
08.17 AM: आतंकी यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद यूपी और अजमेर में कई जगह छापेमरी चल रही है.
08.15 AM: आतंकवादी यासीन भटकल को आज दिल्‍ली लाया जाएगा.
08.14 AM: यासीन भटकल को तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर भेजा गया है.
08.12 AM: पुलिस के सामने पेश नहीं हुए आसाराम, पकड़ने जाएगी पुलिस टीम.
07.36 AM: पुलिस के सामने आज पेश नहीं होंगे आसाराम, पुलिस को भेजी पेश ना होने की सूचना, आसाराम का सेवादार भी नहीं हुआ पेश, सेवादार ने भेजा मेडिकल सर्टिफिकेट
07.24 AM: दिल्ली: अलीपुर में गोदाम में लगी आग, दर्जनभर ट्रक खाक
07.10 AM: जम्मू-कश्मीर: गांदरबल जिले में सुरक्षा बलों ने 5 आतंकियों को मार गिराया

06.45 AM: आतंक के आका यासीन भटकल को आज लाया जाएगा दिल्ली, एनआईए को मिली तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड, बिहार-नेपाल सीमा से हुआ गिरफ्तार
06.31 AM: यौन शोषण के आरोप में आज गिरफ़्तार हो सकते हैं आसाराम, जोधपुर पुलिस के समन की मियाद हो रही है पूरी, पेश नहीं हुए तो पुलिस करेगी कार्रवाई.
06.30 AM: गिरते रुपये पर पहली बार लोकसभा में बोल सकते हैं प्रधानमंत्री, विपक्ष ने मांगा था जवाब, राज्यसभा में मनमोहन ने बताई देश की माली हालत खराब.
06.24 AM: भूमि अधिग्रहण बिल लोकसभा में पास, राहुल गांधी ने जताई खुशी, राज्यसभा में पास होते ही 119 साल पुराने कानून की लेगा जगह
06.05 AM: राजनाथ के घर मोदी ने किया डिनर, लेकिन भूमि अधिग्रहण बिल पर वोटिंग ने बिगाड़ा जायका, आडवाणी-सुषमा समेत देर से पहुंचे सांसद

आसाराम पर कसा शिकंजा, जोधपुर पुलिस के सामने नहीं हुए पेश

Image Loadingकथित रूप से अचानक बीमार पड़ जाने से आसाराम यौन उत्पीड़न के मामले में शुक्रवार को जोधपुर पुलिस के सामने पेश नहीं हो पाए और अब उन्हें गि रफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है।
जोधपुर में राजस्थान पुलिस ने कहा कि 72 वर्षीय आसाराम से पूछताछ के लिए एक टीम मध्य प्रदेश भेजी जाएगी। उन्हें आज जोधपुर पुलिस के सामने पेश होने के लिए सम्मन भेजे गए थे। उधर अहमदाबाद में आसाराम बापू की ओर से ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए गुजरात उच्च न्यायालय में एक आवेदन दिया गया। जब न्यायमूर्ति ए जे देसाई ने इस अर्जी को खारिज करने का संकेत दिया, तब आसाराम के वकील सुधीर ने उसे वापस ले लिया। आसाराम पर अपने आश्रम में 16 साल की एक स्कूली छात्रा का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है। उनके बेटे नारायण साइ ने दावा किया कि उनके पिता ने आज सुबह नई दिल्ली जाने के लिए टिकट बुक कराया था, लेकिन अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गयी और उनकी यात्रा रद्द कर दी गयी। जब उनसे पूछा गया कि आसाराम की कब जोधपुर जाने की योजना है, तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यह उनकी तबीयत पर निर्भर करेगा। जोधपुर के पुलिस आयुक्त अजय लांबा ने कहा कि इस समय सीमा से बच निकलने के लिए आसाराम के पास कोई उचित कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी की अगुवाई में एक दल उनसे पूछताछ करने के लिए मध्यप्रदेश रवाना होगा। आसाराम ने कहा था कि यदि उन्हें जेल भेजा गया तो वह उपवास शुरू कर देंगे, क्योंकि साजिश के तौर पर उन्हें जो खाना दिया जाएगा, उस पर उन्हें विश्वास नहीं है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब मध्य प्रदेश से वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती एवं प्रभात झा ने हाल ही में आसाराम का बचाव किया था और उनके खिलाफ बलात्कार के आरोपों को कांग्रेस की साजिश करार दिया था। विवादास्पद बाबा ने कल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन पर उन्हें यौन उत्पीड़न विवाद में फंसाने का आरोप लगाया था। आसाराम ने भोपाल में कहा था, मैं किसी दल के खिलाफ नहीं हूं लेकिन लोग मुझे बता रहे हैं कि जो कुछ हो रहा है वह मैड़ा और उनके बेटे के इशारे पर हो रहा है। पिछले साढ़े चार सालों से धर्मान्तरण वालों को इनका सपोर्ट है।

Movie Review: अन्ना आंदोलन का फिल्मी वर्जन निकली 'सत्याग्रह', कमजोर कहानी के कुंए में डूब गई



फिल्म सत्याग्रह का एक सीन
फिल्म रिव्यू: सत्याग्रह
डायरेक्टर: प्रकाश झा
एक्टर: अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, मनोज वाजपेयी, करीना कपूर खान, अर्जुन रामपाल, अमृता राव
ड्यूरेशन: 152 मिनट
पांच में से दो स्टार (**)1. 'सत्याग्रह' गांधी का ईजाद किया हुआ शब्द है, एक हथियार है, जिसमें सही बात का आग्रह अहिंसक ढंग से किया जाता है. सत्य का आग्रह. सिनेमा के सत्य की बात करें तो ये तीन बंदरों में बंटा होता है. कहानी, एक्टिंग और डायरेक्शन. प्रकाश झा के सत्याग्रह में दो बंदर कहानी और डायरेक्शन तो निरे झूठे निकले. एक्टिंग वाला कुछेक संभला रहा क्योंकि वहां अमिताभ बच्चन, मनोज वाजपेयी और कुछेक हिस्सों में अजय देवगन थे.
फिल्म सत्याग्रह अन्ना आंदोलन, जनलोकपाल बिल, अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी, इंजीनियर सत्येंद्र दुबे के मर्डर और गांधी के अंतिम दिनों को मिलकर बनी है. इसके बीच में प्रकाश झा ने जबरन नाटकीयता, प्रेम, आइटम नंबर और दूसरी उनके हिसाब से जरूरी और भारी चीजें ठूंसी हैं. इन सबके चलते फिल्म न तो वास्तविक रह पाती है और न ही मनोरंजक. याद रहता है तो बस यह कि ये वही प्रकाश झा हैं जिन्होंने गंगाजल, अपहरण जैसी वास्तविक और राजनीति जैसी इंस्पायर्ड फिल्में बनाईं.
2. प्रकाश झा ने शुरुआत की थी दामुल से. हम आप में से बहुत कम ने ही इस फिल्म को देखा होगा, मगर इसकी तारीफ खूब पढ़ी गई. अब लौटते हैं नब्बे के दशक में, जहां दिल क्या करे जैसी कुछ रोमांटिक ट्राएंगल में हाथ जलाने के बाद प्रकाश अपनी जमीन बिहार लौटे और भागलपुर के आंखफोड़वा कांड पर आधारित गंगाजल बनाई. फिर बिहार के ही संगठित अपहरण उद्योग पर अपहरण फिल्म बनाई. ये प्रकाश झा का नया सिनेमा था, जिसमें वास्तवकि घटनाएं भी थीं और सघन कहानी के दम पर बुनी नाटकीयता भी. फिर आई राजनीति. महाभारत का मॉर्डन वर्जन. ये फिल्म उनकी अब तक की सबसे सबल फिल्म रही. इसमें मनोज वाजपेयी, रणबीर कपूर, नाना पाटेकर औऱ अर्जुन रामपाल की एक्टिंग थी, लोगों को आज की राजनीति के कई अक्स नजर आए. फिर शुरू हुआ फिसलन भरा ट्रैक. इसमें आईं आरक्षण, चक्रव्यूह और अब सत्याग्रह. देश के मौजूदा मुद्दों को इतने सतही ढंग से इनमें रखा गया कि कुछ खुर्राट क्रिटीक जो सिनेमा पर चालूपने का आरोप मढ़ते हैं, उन्हें नये नये उदाहरण मिल गए.
3. फिल्म अपने हर मोड़ पर किसी बीते हुए मगर याद रह गए ऐतिहासिक वाकये की याद तो दिलाती है, मगर उसकी पेचीदगी या माहौल को जिंदा नहीं कर पाती. सत्याग्रह कहानी है एक आदर्शवादी मास्टर द्वारका आनंद (बच्चन) की, जो अंबिकापुर कस्बे में रहते हैं औऱ पढ़ाते हैं. उनका बेटा निखिल आनंद बड़ी डिग्री के बाद भी हाई वे अथॉरिटी में ईमानदारी से काम कर अपने कस्बे के लिए कुछ करना चाहता है. वहीं उसका दोस्त मानव राघवेंद्र (देवगन) उस बड़ी डिग्री को कॉरपोरेट की दुनिया में और बड़ा करना चाहता है. फिर निखिल के साथ वही होता है जो असल जिंदगी में 2003 में बिहार में इंजीनियर सत्येंद्र दुबे के साथ हुआ था, जब वह हाई वे अथॉरिटी के ठेकेदारों को ठेंगा दिखाकर क्वालिटी काम पर अड़े थे.
4. इसके बाद फिल्म दो और किरदारों को स्थापित करती है. 2जी स्पैक्ट्रम का हिंट देता वाकया और तेजी से आगे बढ़ने को तैयार मानव. पाले के दूसरी तरफ तेज तर्रार रिपोर्टर टीवी रिपोर्टर यास्मीन खान (करीना) जिनकी एंट्री एक पावर ब्रोकर को स्टिंग में एक्सपोज करने से होती है. हालांकि इसे दिखाने में चक्कर में डायरेक्टर झा की कल्पनाशीलता भी एक्सपोज हो जाती है.
5. निखिल की मौत के बाद उसका दोस्त मानव अंबिकापुर पहुंचता है. हालात कुछ ऐसे बन जाते हैं कि सिस्टम को आईना दिखाते मास्टर जी कस्बे के गांधी हो गए हैं, जेल में हैं और उन्हें छुड़ाने के लिए आंदोलन शुरू हो चुका है. ये आंदोलन स्थानीय युवा नेता अर्जुन (अर्जुन रामपाल) के अलावा फेसबुक और ट्विटर के सहारे खड़ा होता है. अब ये समझ नहीं आता कि एक पिछड़े कस्बे अंबिकापुर में इसके सहारे आंदोलन का शुरुआती दौर कैसे सफल होता है. बहरहाल, अन्ना आंदोलन से कच्ची प्रेरणा पाते हुए कहानी आगे बढ़ती है और इंटरवल तक असल चेहरे साफ होने लगते हैं.
6. अब मंच है, व्रत है, हिंसा है, बातचीत के भ्रम में उलझाती सरकार के कुछ नुमाइंदे हैं और इनकी अगुवाई कर रहा है लोकल इलाके का गंठबंधन सरकार को अपने कुछ विधायकों के दम पर नचाता मंत्री बलराम सिंह (मनोज वाजपेयी). बातचीत, दमन और रणनीतिक आपाधापी चलती है और आखिर में फिल्म गांधी जी के बंगाल के नोआखली दंगों को शांत कराते किचिंत विविश दिनों और उनके अंत को याद दिलाकर अपने मुकाम अन्ना आंदोलन मुकाम पर पहुंचती है.
7. ये तो रही फिल्म की कहानी की बात, मगर इस कॉकटेल में बस एलिमेंट ही ज्यादा हैं, जो एक कसावट होनी चाहिए. एक धागा जिसके इर्द गिर्द सब पिरो दिया गया हो. वह गायब सा है. ऐसा लग रहा था जैसे निर्देशक और लेखक अंजुम राजाबली को एक किस्म की हड़बड़ी हो एक ही फिल्म में सब कुछ कह देने की. और फिर इस फेर में शिराजा बिखर गया.
8. फिल्म की गंभीरता और नाटकीयता को कुछ घटिया मगर रेग्युलर हो चुके फॉर्मुले भी खत्म करते हैं. हीरो की एंट्री या किसी गड़बड़ डील के समय देसी अंदाज का आइटम सॉन्ग. फिर हीरो हीरोइन के बीच एक लव सॉन्ग, जो कत्थई सी इमारतों और स्लेटी सी रोशनी के बीच फिल्माया जाएगा, बैकग्राउंड में सेमी क्लासिक अंदाज में एक भारी आवाज पिया, जिया जैसा कुछ विलंबित लय में गाएगी और इसके अंत में प्रेम निथर कर दुनियावी हो जाएगा बिस्तर पर. और क्लाइमेक्स और उससे पहले भी जब-तब लंबे भाषण होंगे, क्योंकि कथानक से पर्याप्त ज्ञान नहीं पिलाया जा चुका था.
9. सत्याग्रह में अमिताभ बच्चन और मनोज वाजपेयी की शानदार एक्टिंग हैं. बच्चन करुणा, संकल्प और आग्रह को नए अर्थ देते हैं. मनोज तो जैसे हर बार किरदार की खाल में एक टोंका कर बस भीतर बिला जाते हैं. अजय देवगन एक्टर अच्छे हैं, मगर यहां उनका रोल बहुत तय पैटर्न पर चला. अर्जुन रामपाल बिला वजह खर्च हुए. अब सोचिए जरा यही अर्जुन फिल्म राजनीति में देश के एक अहंकारी ताकतवर युवा नेता की याद दिलाते अच्छे लगे थे. मगर अंबिकापुर के युवा नेता के रूप में वह बहुत नकली लगे हैं. अमृता राव सत्यनारायण की कथा से निकली कोई पात्र लगती थीं, पहले की फिल्मों में भी और यहां भी. करीना कपूर कैमरे के सामने इस तरह पेश आ रही थीं, जैसे वह किसी एंटरटेनमेंट शो को पेश कर रही हों, राजनैतिक उठापटक को नहीं. फिर कुछेक बार तो लगा कि जैसे आंदोलन की कोई लड़की रिपोर्टर बनकर आ गई हो और सारी वस्तुनिष्ठता धरी रह गई.
10. फिल्म सत्याग्रह कुछेक जगहों, मोड़ों को छोड़कर निराश ही करती है. गांधी मूर्ति के सामने मारकाट और बच्चों के सामने ढहते बूढ़े भारत जैसे प्रतीक इसे संभाल नहीं पाते हैं. कहानी पब्लिक को पप्पू बनाना चाहती है. यास्मीन खान हिंदी चैनल की रिपोर्टर नजर आती हैं. फिर जनसत्याग्रह आंदोलन की एक नेता बन मंच पर पहुंचती हैं और पोस्टर में जगह पाती हैं. फिर झगड़ा होता है तो वापस उसी न्यूज चैनल की गाड़ी और क्रू पर सवार हो जाती हैं.


और भी... http://aajtak.intoday.in/story/film-review-satyagraha-looked-like-a-filmy-version-of-anna-hazares-protest-1-740480.html

ऐसे संभालें हरदम अपनी सेहत

Image Loadingकिसी भी महिला के जीवन में तीन चरण सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। सबसे पहला जब मासिक चक्र शुरू होता है, फिर जब वह मां बनती है और सबसे आखिरी जब प्रजनन काल खत्म होता है और मासिक चक्र बंद हो जाता है। यह चरण किसी महिला के शरीर में होने वाले जीव विज्ञानी बदलावों तक ही सीमित नहीं रहते, बल्कि इनका प्रभाव शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक भी होता है। इन तीन चरणों के दौरान कैसे संभालें अपनी सेहत, बता रही हैं शमीम खान
पीरियड्स के दौरान ऐसे संभालें सेहत
अधिकतर महिलाओं के लिये पीरियड्स एक छोटी-सी असुविधा से अधिक नहीं होते हैं, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए यह बड़ी समस्या बन जाती है। पीरियड्स की शुरुआत 12-16 वर्ष के बीच होती है। फीमेल सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन पीरियड्स को नियंत्रित करते हैं। पीरियड्स में ठंडी चीजें जैसे दही और चावल न खाएं। अत्यधिक पीरियड्स होने से आयरन की कमी हो जाती है, इससे एनीमिया, थकान, त्वचा का पीला पड़ जाना, ऊर्जा की कमी और सांस फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हार्मोन असंतुलन, तनाव, गर्भधारण या गर्भपात, थायरॉइड का कम या ज्यादा होना, डाइटिंग या अत्यधिक एक्सरसाइज और पोलीसिस्ट ओवरी सिंड्रोम के कारण पीरियड्स के चक्र में गड़बड़ी आ जाती है। डॉक्टर से संपर्क करें यदि
आपके पीरियड्स अचानक 90 दिन से अधिक समय के लिये बंद हो जाते हैं और आप गर्भवती नहीं हैं।
सात दिनों से अधिक समय तक ब्लीडिंग होती रहती है और बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है।
पीरियड्स के बीच में ब्लीडिंग होना।
पीरियड्स का अंतराल 21 दिन से कम या 35 दिन से अधिक होना।
पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द होना। सेहत भरी प्रेग्नेंसी के लिए
मां बनने को स्त्री के जीवन का सबसे बेहतरीन चरण माना जाता है। लेकिन एक बच्चे को अपने शरीर में आकार देकर जन्म देना कोई सामान्य बात नहीं है। इस दौरान एक महिला को कई शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। इस वक्त खानपान का सबसे अधिक खयाल रखना चाहिए। संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए ताकि शरीर बच्चे के विकास और मां के शरीर में हो रहे बदलावों के लिए तैयार हो सके। एक गर्भवती महिला को आमतौर पर 300 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है। इस दौरान ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दूध, दुग्ध उत्पाद और अगर मांसाहारी हों तो मछली और अंडे का सेवन जरूर करें। गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त आराम और नींद की जरूरत होती है। उन्हें रात में कम से कम आठ घंटे और दिन में दो घंटे सोना चाहिए। स्त्रीरोग विशेषज्ञ की सलाह के बिना कोई दवाई न लें। इससे बच्चे और आपको नुकसान पहुंच सकता है। गर्भवती महिलाओं के लिये कुछ टिप्स
प्रतिदिन 27 मि.ग्रा. आयरन सौ दिन तक जरूर लें।
विटामिन बी6 का सेवन गर्भवती महिलाओं को मॉर्निग सिकनेस से बचाता है।
चाय और कॉफी का कम से कम सेवन करें, क्योंकि इनमें टेनिन होता है, जो आयरन के अवशोषण को रोकता है।
सामान्य महिलाओं को प्रतिदिन जहां 1,000 मिलिग्राम कैल्शियम की आवश्कता होती है, वहीं गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 1,300 मिलिग्राम की आवश्यकता होती है। मेनोपॉज में सेहतमंद
मेनोपॉज किसी महिला के जीवन का वह दौर है, जब उसके पीरियड्स बंद हो जाते हैं। यह उसके प्रजनन क्षमता के खत्म होने का संकेत है। सामान्य तौर पर 45-55 वर्ष की आयु में यह अवस्था आती है। इससे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का निर्माण भी लगभग बंद हो जाता है। हॉट फ्लेश, रात में अत्यधिक पसीना आना, पसीने और गर्मी के कारण सोने में समस्या आना, सेक्स की इच्छा कम होना, मूड बदलना आदि मेनोपॉज के दौरान होने वाली आम परेशानियां हैं। लंबी अवधि के लिये पड़ने वाले प्रभाव
मेनोपॉज के कारण एस्ट्रोजन हार्मोन में होने वाली कमी का प्रभाव शरीर के प्रत्येक सिस्टम पर पड़ता है।
ऑस्टियोपोरोसिस और गंभीर हृदय बीमारियों का खतरा कईं गुना बढ़ जाता है। 
मस्तिष्क की कार्यप्रणाली गड़बड़ जाती है और अल्जाइमर्स का खतरा बढ़ जाता है।
त्वचा का लचीलापन खत्म होता है और त्वचा पर झुर्रियां होने लगती हैं।
कई महिलाओं की नजर कमजोर हो जाती है, कुछ का वजन अत्यधिक बढ़ जाता है।
यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
सिरदर्द, हृदय की धड़कन तेज हो जाना, चेहरे पर बाल उग आना जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। मेनोपॉज के प्रभाव से बचने के लिए
संतुलित भोजन लें, जिसमें फाइबर की मात्रा अधिक और वसा की मात्रा कम हो।
रोजाना एक गिलास दूध पिएं।
कैफीन, चीनी, नमक का सेवन कम करें।
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें या पैदल घूमें।
हॉट फ्लैशेज और पसीने से बचने के लिए ढीले सूती कपड़े पहनें।   

गिरते बाल अब नहीं करेंगे परेशान

Image Loadingतेजी से बदल रही जीवनशैली से हमारी सेहत के साथ हमारे बाल भी प्रभावित हो रहे हैं। बालों का झड़ना, रूखे और बेजान हो जाना एक ऐसी सम स्या है, जिससे प्राय: सभी महिलाएं परेशान हैं। बालों से जुड़ी इस समस्या को कैसे कहें अलविदा, बता रही हैं उमा साह
बालों का गिरना सिर की त्वचा से जुड़े संक्रमण के साथ-साथ आपकी सेहत से भी जुड़ा है। सामान्यत: एक दिन में सौ बाल गिरते हैं, यदि आपके बाल हर रोज कंघी करने के अलावा सोते वक्त बिस्तर पर, नहाते वक्त और शैंपू करने के दौरान भी गिर रहे हैं तो यह समस्या है। हमारे बालों का विकास एक खास पैटर्न पर होता है। इसमें वृद्धि अवस्था, गति या संक्रमण अवस्था और झड़ने या बालों के शैडिंग की अवस्था प्रमुख है। वृद्धि अवस्था के दौरान बालों में मौजूद फाइबर बालों के जड़ों को गिरने से रोकते हैं। लेकिन शैडिंग फेज के दौरान यह स्थिति नहीं रहती है। यह बालों की वह अवस्था है जब बाल झड़ने की कगार पर होते हैं। चिंता, तनाव, अनियमित दिनचर्या, गर्भावस्था, कमजोरी, हार्मोन्स में परिवर्तन आदि के कारण बाल तेजी से गिरते हैं। बालों को गिरने से बचाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें: सिर की त्वचा में संक्रमण न होने दें
कभी-कभी सिर में तेज खुजली होती है, जिसे हम अनदेखा कर जाते हैं। जब भी बालों में खुजली हो तो देखें कि आपके सिर की त्वचा में कहीं डैंड्रफ या लाल चकत्ता तो नहीं हैं। यदि ऐसा हो तो गर्म पानी में एंटीसेप्टिक लिक्विड डालकर उसमें तौलिया भिगोएं और उसे निचोड़कर सिर में कम-से-कम 15 मिनट तक लपेटकर रखें। अगर समस्या गंभीर हो गई है तो चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। भोजन में शामिल करें ज्यादा पोषक तत्व
हमारे बाल प्रोटीन से निर्मित होते हैं। अत: आप अपने भोजन में प्रोटीन युक्त तत्व जैसे मछली, दाल, दूध, फल, अंडे और सब्जियों को शामिल करें। तेज मसालेदार भोजन से बचें। पर्याप्त नींद लें। और खूब पानी पिएं। बालों के साथ प्रयोग न करें
हेयर कैमिकल ट्रीटमेंट जैसे-पर्म करना, कलर और स्ट्रेटनिंग बालों को कमजोर बनाते हैं और इससे बाल ज्यादा गिरते हैं। बालों को सुखाने के लिए हेयर ड्रायर का प्रयोग कम करें। कर्लर और अन्य स्टाइलिंग प्रोडक्ट का कम प्रयोग करें। यह सभी सिर के स्कैल्प को रूखा कर बालों के गिरने का कारण बनते हैं। हेयर केयर प्रोडक्ट चुनें सोच-समझकर
मौसम बदलने के कारण भी बाल गिरते हैं। तेज धूप, प्रदूषण, बारिश और धूल में बालों की सही देखभाल न करने से भी बाल बेजान और रूखे हो जाते हैं। बारिश के मौसम में बालों में कंडीशनर का प्रयोग जरूर करें। यह सभी आपके बालों को बारिश में नमी से बचाते हैं और स्कैल्प को स्वस्थ रखते हैं। एक अच्छा माइल्ड क्लींजिंग शैंपू और कंडीशनर चुनें और उसका प्रयोग बारिश के मौसम के बाद भी करते रहें। साथ ही बालों में इस्तेमाल करने वाली चीजें जैसे कंघी, स्कार्फ, हेयर पिन आदि किसी के साथ शेयर न करें। तेल मालिश है जरूरी
बालों की जड़ों और सिर की त्वचा में तेल मालिश बालों को पोषकता से भरता है। मालिश से जहां सिर की त्वचा में रक्त संचार होता है, वहीं यह बालों को बढ़ने और उसकी प्राकृतिक नमी को बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए सिर की त्वचा की मालिश हमेशा करें। योग अपनाएं
आप किसी भी प्रकार का योग और ध्यान कर सकती हैं। सांसों से संबंधित हल्के व्यायाम भी शरीर और बालों के लिए अच्छे हैं। इससे आप रिफ्रेश होती रहेंगी और बाल तेजी से लंबे भी होंगे। तनाव से बचें
तनाव के दौरान शरीर में ऐसे हार्मोन सक्रिय होते हैं, जो त्वचा में तैलीय ग्रंथि को ज्यादा सक्रिय कर देते हैं। इससे सिर की त्वचा पर भी असर पड़ता है और बाल बेजान हो कर गिरने लगते हैं। इसलिए जहां तक हो, तनाव मुक्त रहें और बालों को स्वस्थ बनाएं।

मनमोहन सिंह बोले, रुपये में गिरावट चिंताजनक

Image Loading प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक् रवार को कहा कि अप्रत्याशित बाहरी घटनाक्रमों के कारण रुपये में हाल में दर्ज की गई लगातार गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन पूंजी पर नियंत्रण जैसी कोई बात नहीं होगी और भारत एक खुली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा कि मई के अंत से रुपये के मूल्य में लगातार गिरावट चिंता की बात है। जिस कारण से रुपये में तेज गिरावट दर्ज की गई, वह है अप्रत्याशित बाहरी घटनाक्रमों के प्रति बाजार की प्रतिक्रिया। उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि सोने के प्रति अतिशय मोह को दूर करने की जरूरत है, पेट्रोलियम उत्पादों के किफायती इस्तेमाल को बढ़ावा देने की जरूरत है और अपना निर्यात बढ़ाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। मनमोहन ने कहा कि वैसे रुपये में गिरावट से कुछ हद तक लाभ भी होता है, क्योंकि इससे निर्यात प्रतिस्पर्धी हो जाता है। प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि विकास में जल्दी ही तेजी आएगी और वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.8 फीसदी तक सीमित करने की हर संभव कोशिश की जाएगी। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आर्थिक तेजी का संकेत मिलने के बाद वित्तीय राहत को धीमे-धीमे समाप्त करने की बात कहे जाने के बाद विदेशी फंडों ने भारतीय बाजार से पूंजी निकालनी शुरू कर दी और इसके कारण मौजूदा कारोबारी साल में रुपये में करीब 20 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। बुधवार को रुपये में करीब चार फीसदी गिरावट दर्ज की गई और यह डॉलर के मुकाबले 68.85 पर बंद हुआ था। यह अक्टूबर 1995 के बाद किसी भी एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट थी। अगले ही दिन हालांकि यह वापस 3.5 फीसदी संभल कर 66.55 पर बंद हुआ। प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य के दौरान सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का भरोसा देकर बाजार की भावना को ऊंचा उठाने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों में भारत एक खुली अर्थव्यवस्था बना रहा है और इसका उसे लाभ भी मिला है। इन नीतियों को बदलने का सवाल ही नहीं उठता। मैं इस सदन को और पूरी दुनिया को आश्वस्त करता हूं कि सरकार पूंजी नियंत्रण के कदम पर विचार नहीं कर रही है। सिंह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और भारतीय रिजर्व बैंक तथा सरकार दोनों ही महंगाई दूर करने के उपाय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चालू खाता घाटा कम करने की भी कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि घाटा कम करने का विकास अनुकूल तरीका यह है कि सोच-विचार कर खर्च कीजिए, खासकर उन सब्सिडियों पर जो गरीबों तक नहीं पहुंच पाती हैं। उन्होंने राजनीतिक पार्टियों से भी बेहतर नीति पर चलने में मदद करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अब तक आसान सुधार किए जा चुके हैं। अधिक कठिन सुधार के लिए हमें राजनीतिक आम सहमति की जरूरत है। मैं सभी राजनीतिक पार्टियों से अनुरोध करता हूं कि देश को स्थिर विकास के पथ पर बनाए रखने के लिए काम करें और इसमें सरकार का साथ दें।

IM सरगना यासीन भटकल उगलेगा कई राज

Image Loadingइंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम लगातार पूछताछ कर रही है। इधर, सूत्रों का कहना है कि बिहार-नेपाल सीमा से गिरफ्तार भटकल और एक अन्य आतंकवादी असदुल्लाह अख्तर उर्फ हड्डी को शुक्रवार को दिल्ली लाया जा रहा है।
भटकल की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा जांच एजेंसियों को कई आतंकवादी हमलों के खुलासे होने की उम्मीद है। एनआईए के सूत्रों के अनुसार भटकल और हड्डी को पटना स्थित बिहार सैन्य बल परिसर में रखा गया है जहां सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। गिरफ्तारी के बाद से ही भटकल से पूछताछ कर जा रही है। सूत्रों का दावा है कि उसने देश के विभिन्न हिस्सों में हुए विस्फोटों के मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है। भटकल और उसके साथी को बुधवार देर रात बिहार-नेपाल सीमा के रक्सौल से गिरफ्तार किया गया था। बिहार पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी के वक्त भटकल ने अपनी पहचान छुपाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन पुलिस की सख्ती से उसने यह कबूल कर लिया। दोनों आतंकवादियों को गुरुवार शाम मोतिहारी न्यायालय में पेश किया गया जहां से उन्हें तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर एनआईए के हवाले कर दिया गया। एनआईए की टीम कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच दोनों को लेकर पटना पहुंची है। भटकल से पूछताछ एवं अन्य विषयों पर एनआईए की टीम एवं पुलिस मीडिया से दूरी बरत रही हैं। देश के 12 वांछित आतंकवादियों की सूची में शामिल भटकल और उसके अन्य साथियों की तलाश में एनआईए की टीम कई बार बिहार के दरभंगा और मधुबनी में छापेमारी कर चुकी है।

हर तरफ से टूट रहे तटबंध

अभिनेत्री करीना कपूर फिल्म में यासमीन अहमद नाम की एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार की भूमिका निभा रही हैं।प्रकाश झा के निर्देशन में बनी फिल्म सत्याग्रह एक पॉलिटिकल थ्रिलर फिल्म है। पानी के रास्ते में दजर्नों अड़ंगे हैं, इसलिए वह बांध तोड़ रहा है। बाढ़ के प्रबंधन में कुव्यवस्था और कमीशनखोरी इतनी है कि राज्य और केंद्र की योजनाओं में जगह-जगह पर रिसाव देखा जा सकता है। डूब क्षेत्रों में लगातार रिहाइश बढ़ती जा रही है। ऐसे में, बाढ़ और उससे होने वाली तबाही का संकट घटे तो कैसे? जून से सितंबर के बीच बाढ़ का शोर सुनाई पड़ता है। जैसे-जैसे पानी वापस जाता है, हम अगले साल तक के लिए सब भूल जाते हैं। तबाही के निशान तो हम पूरे साल समेटते और सहेजते रहते हैं, मगर संजीदगी से समाधान का तटबंध बांधता कोई नजर नहीं आता। बाढ़ का कोप इस बार थोड़ा अधिक भयावह है। सात राज्यों के कई दजर्न इलाके जलमग्न हो चुके हैं। गंगा 1978 की महाबाढ़ के स्तर को छूने वाली है। दो महीने पहले उत्तराखंड की जलप्रलय का जख्म अभी हरा है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सेना की मदद लेनी पड़ी है। पूरे देश में तीन करोड़, 35 लाख, 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्र के तौर पर जाना जाता है। उत्तर प्रदेश में यह क्षेत्र सबसे बड़ा है, बिहार में कम है, लेकिन वहां बाढ़ की आवृत्ति और विभीषिका बहुत बड़ी है।

देश में हर साल बाढ़ से करीब 1,600 लोग मारे जाते हैं। औसतन 1,805 करोड़ की आर्थिक क्षति होती है। इस साल उत्तर प्रदेश में ही अब तक 283 लोगों की मौत हो चुकी है। पूरे देश में मरने वालों की संख्या 1,370 तक पहुंच चुकी है। जून में आई उत्तराखंड की जलप्रलय में मारे गए 5,525 लोगों की सरकारी सूची पानी के कोप का बरसों तक हवाला बनी ही रहेगी। समाधान की ओर चलें, तो बाढ़ को लेकर हमारी सरकारी समझ और प्रशासनिक इकाइयों का कार्य-व्यवहार ही सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आता है। बाढ़ में आपदा प्रबंधन और बाढ़ का प्रबंधन, दोनों अलग अस्तित्व रखते हैं। सरकारों की प्राथमिकता सिर्फ बाढ़ के आपदा प्रबंधन की होती है। बाढ़ किसी राज्य की सीमा नहीं देखती। उत्तराखंड से उफनाई नदी कई मैदानी राज्यों को तबाही सौंपती है। यहां सबसे बड़ी जरूरत राज्य और केंद्र के बीच बेहतर तालमेल के साथ अंतरराज्यीय स्तर पर पारदर्शी और सहयोगी भूमिका की है। लेकिन हाल क्या है, इसका एक उदाहरण देखिए।

योजना आयोग ने अक्तूबर 2011 में एक बैठक की, इसके आधार पर ‘रिपोर्ट ऑफ वर्किग ग्रुप ऑन फ्लड मैनेजमेंट ऐंड रीजन स्पेसिफिक इश्यूज’ नाम से एक रपट जारी की। समस्या-सवाल-समाधान की बात करें, तो बहुत ही बेहतर सूचनाएं और कार्य-योजनाएं इसमें शामिल हैं। इस रिपोर्ट में 2012 से 2017 तक के एक्शन प्लान का भी जिक्र है। बाढ़ प्रबंधन के सवाल पर बरसों से काम कर रहे बिहार के दिनेशचंद्र मिश्र की इस बैठक और रिपोर्ट तैयार करने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका थी। वह कहते हैं कि रिपोर्ट के बारे में तो यदा-कदा लोगों के फोन  भी आते हैं, लेकिन कहां क्या प्रगति हुई, इसके बारे में बताने वाला कोई नहीं मिलता।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य समय से अपने अपडेट्स तक नहीं भेजते। कई राज्यों ने 2003 से जरूरी सूचनाएं तक साझा नहीं की हैं। केंद्र सरकार पर बजट में भेदभाव का आरोप भी लगता रहा है। देखिए, सरकार की 11वीं कार्ययोजना में जम्मू-कश्मीर को 298 करोड़ रुपये केंद्रीय मदद आवंटित करने और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को 494 करोड़ रुपये देने के मतलब को समझते चलें। उत्तर प्रदेश में बाढ़ आशंकित क्षेत्रफल लगभग 73 लाख, 36 हजार  हेक्टेयर है, जबकि जम्मू-कश्मीर में ऐसा भूभाग महज 80 हजार हेक्टेयर है।

राज्यों का हाल यह है कि उनके अधिकारी खाने के पैकेट पहुंचाने, रिस रहे बांधों की मरम्मत करने और फसल बर्बाद होने के मुआवजे के तौर पर तीन से तीस रुपये तक के चैक बांटने में ही मशरूफ नजर आते हैं। शहरी इलाकों में बाढ़ की सबसे बड़ी वजह डूब क्षेत्रों में अवैध निर्माण है। कोई शहर या कस्बा ऐसा नहीं है, जहां इस पर अंकुश लगाने की कोई सूरत बन पा रही हो। हकीकत यह है कि कर्मचारियों-अधिकारियों की रिश्वत का बड़ा जरिया इन क्षेत्रों में अवैध निर्माण है। घनी आबादी वाले ये इलाके बड़े वोट बैंक बन जाते हैं। दृश्य यह होता है कि सियासी पार्टियों के कई नेता इन इलाकों में प्लॉटिंग करते हुए और बाकी सब बचाव करते नजर आते हैं।

लोगों को सस्ती जमीन मिल जाती है, इसलिए वे हर खतरा ङोलते हुए वहां बस जाते हैं। एक ऐसी व्यवस्था, जहां सबके मजे हों, तो सवाल कौन करे? सर्वोच्च न्यायालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के इस संबंध में दिए गए आदेश धरे रह जाते हैं। बाढ़ से बचाव के उपायों का हाल इससे भी खराब है। बांधों की मरम्मत और नए बांध बनाने में पास की रेतीली मिट्टी न इस्तेमाल करने की पूरी लिखित व्यवस्था होती है। होता यह है कि ज्यादा मुनाफा और कमीशनखोरी के बीच बांधों में रेत पाट दी जाती है। जो बाढ़ के दिनों में दरकने और टूटने की स्थिति में पहुंच जाते हैं। इलाहाबाद की ताजा बाढ़ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के मिनी बांध के टूटने के पीछे ऐसी ही वजहें गिनाई जा रही हैं।

उत्तराखंड की तबाही में एक जो बड़ी बात देखने में आई, वह यह कि हर साल भू-स्खलन के बाद जो मलबा इकट्ठा होता रहा, उसे वहीं खींचकर किनारे लगा दिया जाता था। उस मलबे  को ठोस बनाने के लिए जो पेड़ लगाए जाने थे, उसमें बड़े स्तर पर गड़बड़ियां हुईं। नतीजा यह हुआ कि बादल फटने से जो पानी का रेला चला, उसमें जो मलबे का हिस्सा मिला, उससे जनहानि कई गुना बढ़ गई। सवाल सिर्फ बाढ़ के पानी के आने और वापस जाने का होता, तो भी इतनी आफत नहीं होती। सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि बाढ़ का पानी अगर एक बार घुसा, तो कई इलाकों में स्थिति सामान्य होने में हफ्तों और महीनों लग जाते हैं। जल निकासी का बुरा हाल, नालियों पर अतिक्रमण, सीवरेज सिस्टम का न होना या चोक होना कारणों के तौर पर सामने आता है। बाढ़ जाने के बाद फैलने वाली संक्रामक बीमारियां दूसरी बड़ी चुनौती बनकर दरवाजे से दाखिल हो जाती हैं।

सन 1956 से लेकर अब तक 22 कोशिशें केंद्र के स्तर पर बाढ़ प्रबंधन के लिए की जा चुकी हैं। विशेष संसदीय समिति, नदी प्राधिकरण, वाटर कमीशन, टास्क फोर्स आदि सबको एक-एक कर गिना जा सकता है। समाधान के लिए सरकारों का ईमानदार और सख्त होना जरूरी है। यह लिखना जितना आसान है, व्यवहार में उतना ही दुर्लभ। लोगों को यह समझना होगा कि बाढ़ उनके घर नहीं आती, आदमी पानी के आड़े आता है, डूब क्षेत्र कब्जा करता है। शहरों के विकास व विस्तार की दृष्टि विकसित करनी होगी कि निचले हिस्सों में कॉलोनियां बसने देना ही एकमात्र विकल्प नहीं है। ये रास्ते कठिन तो हैं, लेकिन मंजिल की तरफ जाने के लिए मुझे कोई दूसरी राह नजर नहीं आती।

Thursday 29 August 2013

इन एप्स से बनो अंग्रेजी के उस्ताद

Image Loadingतुम्हें इंग्लिश कैसी लगती है? ज्यादातर लोगों को यह बहुत अच्छी लगती है। लेकिन क्या तुम्हें इस भाषा के बेसिक्स समझ में आते हैं? देखो, किसी भी भाषा को अच्छे से समझने और सीखने के लिए उसके बेसिक्स समझना बहुत जरूरी होता है।
सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाओ और सर्च बॉक्स में इंग्लिश टाइप करो। उसके बाद तुम्हारे पास कई सारे इंग्लिश के विकल्प खुल जाएंगे, जैसे इंग्लिश डिक्शनरी, लर्न इंग्लिश, इंग्लिश ग्रामर, स्पीक इंग्लिश, एडवांस्ड इंग्लिश आदि। बस अपने मनपसंद एप को खोलो और बढमओ खेल-खेल में अपना ज्ञान। व्याकरण जानो
अगर तुम अंग्रेजी व्याकरण को सुधारना चाहते हो तो यह एप तुम्हारे खूब काम आएगा। इस एप में व्याकरण की बारीकियों पर बेहद जोर दिया गया है और यह तुम्हारी कमजोरी को पकड़कर दूर करने में मदद कर सकता है। इसे डाउनलोड करना बेहद आसान है और यह बिल्कुल मुफ्त है। इस एप पर क्लिक करो। उसके बाद हरे रंग के बॉक्स में इंस्टॉल लिखा आएगा। उसे क्लिक करो और इंस्टॉल कर लो। अपनी अंग्रेजी तो जांचो
यह एक फ्री एप है और इसमें तुम अंग्रेजी के स्किल्स को जांच सकते हो। जब तुम इसे इंस्टॉल कर लो तो इसके बाद तुम इस एप पर क्लिक करो। वहां तुम्हारे सामने बहुत सारे विकल्प आएंगे, जैसे ऑल टेस्ट, रीडिंग्स, रैंडम टेस्ट, स्कोर्स, लिसनिंग टेस्ट। तुम जब रीडिंग पर क्लिक करोगे तो तुम्हारे सामने पैसेज खुलकर आ जाएगा। तुम जोर-जोर से रीडिंग करो और तुम्हारी आवाज साथ-साथ रिकॉर्ड होती जाएगी। फीडबैक के लिए तुम खुद या किसी बड़े को अपनी रीडिंग सुना सकते हो और अपनी गलतियां पकड़ सकते हो। इसी तरह तुम इस एप में ग्रामर पेपर्स भी सॉल्व कर सकते हो। डिक्शनरी भी है यहां
इस एप की मदद से तुम डिक्शनरी की परेशानी भी हल कर सकते हो और खेल-खेल में नए-नए शब्द भी याद कर सकते हो। इसे भी इंस्टॉल करने का तरीका बिल्कुल आसान है। इस पर क्लिक करके इंस्टॉल कर लो। यह एक मुफ्त एप है और इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह तुम्हें शब्द के अर्थ के साथ-साथ उच्चारण भी बताएगा। अगर तुम्हें शब्द का अर्थ समझ नहीं आ रहा है तो यह तब भी तुम्हें वाक्य बनाकर उसका मतलब समझाएगा।  नए अक्षरों को जानो
यह एप तुम्हें सारे शब्दों के वर्ब तो याद कराएगा ही, साथ में अमेरिकन इंग्लिश और ब्रिटिश इंग्लिश की तुलना भी करवाता रहेगा। तुम वॉयस आउटपुट के जरिए इस एप को सुन भी सकते हो।

स्वर्ण भंडार गिरवी रखने की वकालत नहीं की: शर्मा

Image Loadingवाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने आज स्पष्ट किया कि देश के सामने मौजूद आर्थिक संकट के मद्देनजर उन्होंने देश का स्वर्ण भंडार गिरवी रखने या उसकी नी लामी करने की वकालत नहीं की। शर्मा ने राज्यसभा में कहा कि उन्होंने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक को चालू खाते का घाटा कम करने के लिए सोने को बाजार में लाने (मोनेटाइज करने) पर विचार करना चाहिए।
   
वाणिज्य मंत्री ने कहा मैंने यह नहीं कहा कि सोने को गिरवी रखना चाहिए या उसकी नीलामी करना चाहिए। मैंने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक को (स्वर्ण) बॉन्ड जारी करने के लाभों या भंडार को बाजार में लाने (मोनेटाइजिंग करने) पर विचार करना चाहिए।
   
शर्मा ने यह बात तब कही जब बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने संसद के बाहर दिए गए शर्मा के कथित बयान का मुद्दा उठाया। मिश्र ने कहा कि जब संसद का सत्र चल रहा है तो मंत्री सदन के बाहर बयान कैसे दे सकते हैं।
   
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि आरबीआई को सोने को बाजार में लाना चाहिए। उन्होंने कहा मैंने यह नहीं कहा कि सोने की नीलामी होना चाहिए या उसे बेचना चाहिए। शर्मा ने मंगलवार को कथित तौर पर कहा था कि बैंकिंग सचिव, बैंकरों और आरबीआई को यह देखना चाहिए कि आप देश के घोषित 31,000 टन से अधिक सोने को किस तरह मोनेटाइज कर सकते हैं। अगर 500

चंद्रमा पर पानी: भारत के चंद्रयान ने की नासा की मदद

Image Loadingभारत के चंद्रयान मिशन द्वारा एकत्र डाटा की मदद से ही अमेरिकी अंतरिक एजेंसी नासा को चंद्रमा की सतह में पानी की मौजूदगी का पता लगाने में कामयाबी मिली। नासा के शोधकर्ताओं का कहना है कि पहली बार चंद्रमा की सतह के काफी गराई में पानी की मौजूदगी का पता लगा है। अपोलो अंतरिक्ष कार्यक्रम के दौरान भी चंद्रमा की सतह में पानी की मौजूदगी की बात की गई थी।
नासा के अनुसार मून मिनरलॉजी मैपर उपकरण की मदद से हासिल डाटा का इस्तेमाल करके चंद्रमा की सतह में पानी की मौजूदगी का पता लगाया गया। एम3 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-1 के साथ भेजा गया था। जॉन होपकिंग्स यूनिवर्सिटी अप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी से जुड़ी वैज्ञानिक रचेल क्लीमा ने कहा कि चंद्रमा से निकाली गई चटटान सामान्य रूप से सतह के नीचे होती हैं और इसके प्रभाव से ही बुलियाल्डस क्षेत्र का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि हमने पाया कि इस क्षेत्र में अच्छी खासी मात्रा में हाइड्राक्सिल है जिसमें ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के परमाणु हैं। यह इस बात का सबूत है कि इस गडढे में मौजूद चट्टान के साथ पानी भी है।

सोनिया-राहुल के इशारे पर मेरे खिलाफ साजिश: आसाराम

Image Loadingउमा भारती के बाद अब नाबालि ग के यौन उत्पीड़न के आरोपों में फंसे आसाराम बापू ने खुद भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा है।
भोपाल एयरपोर्ट पर गुरुवार को आध्यात्मिक गुरु आसाराम बापू ने कहा कि उनके खिलाफ़ जो कुछ भी हो रहा है, वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इशारे पर हो रहा है। आसाराम यहीं पर नहीं रुके, बल्कि यहां तक कहा कि यह साजिश बीते चार साल से रची जा रही थी। उन्होंने मीडिया से कहा कि मेरा किसी पार्टी से कोई रिश्ता नहीं है। हां, लोग बताते हैं कि मेरे साथ जो कुछ हो रहा है कि उसके पीछे सोनिया और राहुल हैं। यह बीते साढे चार साल से हो रहा है..भगवान सबका मंगल करे। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे जोधपुर पुलिस के सामने पेशी होने के लिए अतिरिक्त समय मांगेगे तो उनका कहना था, "मोहलत नहीं मांगूंगा.. वैसे भी मेरे लिए जेल बैंकुंठ की तरह है. साजिश हो रही है और अगर यह सिलसिला कायम रहा है, तो जल-अन्य त्याग दूंगा. साधू समाज हमारे साथ है, लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया है। किसी पार्टी द्वारा बचाव करने के सवाल पर आसाराम बापू भड़क उठे और वहां उपस्थित आसाराम के समर्थकों ने मीडिया को धमकी भी दे डाली। इस मुद्दे पर आसाराम ने साफ किया कि उनके साथ किसी पार्टी का समर्थन नहीं है। 

दिल्ली में तीन आतंकी वारदातों को भटकल ने दिया अंजाम

Indian mujahideenसुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए हैदराबाद और मुंबई बम धमाकों के मुख्य आरोपी एवं इंडियन मुजाहिद्दीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल को आज भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार कर लिया। सुरक्षा एजेंसियां पिछले पांच वर्षों से अधिक समय से भटकल की तलाश कर रही थीं।
    
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत के सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों में से एक 30 वर्षीय भटकल को इंडियन मुजाहिद्दीन के एक अन्य नेता अख्तर के साथ गिरफ्तार किया गया। भटकल को दिल्ली लाया जा रहा है।
यासीन को मोहम्मद अहमद सिद्धीबप्पा के नाम से भी जाना जाता है। उस पर अपने तीन साथियों तहसीन अख्तर वसीम अख्तर शेख (23), असदुल्ला अख्तर जावेद अख्तर (26) और वकास उर्फ अहमद (26) के साथ मिलकर 13 जुलाई, 2011 को मुंबई के ओपेरा हाउस, जावेरी बजार और दादर पश्चिम में हुए तीन सिलसिलेवार बम धमाके अंजाम देने का आरोप है, जिसमें 27 लोगों की मौत हुई और 130 लोग घायल हो गए थे।
    
इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़ा यह आतंकी अहमदाबाद, सूरत, बेंगलूर, दिल्ली और हैदराबाद में हुए विभिन्न आतंकी हमलों में भी वांछित था। महाराष्ट्र के आंतकवाद निरोधक दस्ते ने इस वर्ष फरवरी महीने में यासीन और उसके तीन सहयोगियों की सूचना देने वाले को दस लाख रुपये ईनाम देने की घोषणा की थी।
    
दादर में हुए धमाके में शामिल तहसीन को छोड़कर अन्य तीनों लोगों पर पुणे शहर के मध्य में व्यस्त सड़क पर एक अगस्त, 2012 को हुए कम तीव्रता के चार सिलसिलेवार धमाकों में भी शामिल होने का आरोप है। इस मामले से जुड़े आठ आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
    
दिल्ली में हुए तीन आतंकी वारदातों सहित विभिन्न आतंकी घटनाओं में संदिग्ध यासिन की सूचना के लिए दिल्ली पुलिस ने भी दिसंबर, 2011 में 15 लाख रुपये के ईनाम की घोषणा की थी। यासीन जहां कर्नाटक के भटकल का रहने वाला है, वहीं तहसीन बिहार के समस्तीपुर का और असदुल्ला उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रहने वाला है।
    
अपने भाई रियाज भटकल के साथ मिल कर वर्ष 2008 में इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) की स्थापना करने वाला यासीन 13 फरवरी, 2010 को पुणे स्थित जर्मन बेकरी में हुए बम धमाके में भी वाछिंत था, जिसमें 17 लोग मारे गए थे।
    
सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत वर्ष 2010 में आईएम को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। वर्ष 2011 में अमेरिका ने भी इस प्रतिबंधित संगठन को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया था।
नई दिल्ली। भारत में इंडियन मुजाहिदीन [आइएम] का सरगना और देश में कई बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाला आतंकी यासीन भटकल गिरफ्तार हो गया है। एनआइए की टीम ने गोरखपुर के सोनौली से सटे नेपाल बॉर्डर के पास से उसे गिरफ्तार किया है। इस मामले पर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि बुधवार रात भटकल को गिरफ्तार किया गया है। बिहार पुलिस भटकल से पुछताछ कर रही है।
उन्होंने बताया कि भटकल काफी दिनों से नाम बदलकर दरभंगा में रहता था। बिहार और नेपाल पुलिस की संयुक्त मदद से उसे गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है। उन्होंने बताया कि भटकल को दिल्ली लाया जाएगा। आतंकी अब्दुल करीम टुंडा की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह दूसरी बड़ी कामयाबी है। सुरक्षा एजेंसी के सलाहकार ने इस घटना की जानकारी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दी है।
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सूत्रों ने बताया कि यासीन इन दिनों उत्तरप्रदेश में कोई बड़े धमाके को अंजाम देने के फिराक में था। यासीन के साथ ही तीन और शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जिसमें से एक का नाम असुदुल्लाह अख्तर है। टुंडा से मिली जानकारी के आधार पर ही भटकल को पकड़ना आसान हो पाया है।
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भटकल पर अहमदाबाद के सूरत में हुए बम धमाकों का भी आरोप है। उसकी गिरफ्तारी के बाद अहमदाबाद अपराध शाखा ने एक खास बैठक बुलाई है। शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक यासीन को ट्रांसफर वारंट पर अहमदाबाद लाया जायेगा। इस मामले की जांच के लिए आतंकवाद निरोधी दस्ते की भी मदद ली जाएगी।
गौरतलब है कि 12 राज्यों की पुलिस भटकल की तलाश में थी। सुरक्षा एजेंसी ने इस आतंकी पर 10 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया था। इससे पहले कोलकाता की शेक्सपियर थाना की पुलिस ने भटकल को चोरी के मामले में गिरफ्तार भी किया था, लेकिन बाद में यासीन खुद को बुला मल्लिक बताकर वहां से रिहा होने में कामयाब हो गया था।
यासीन ने अब तक कुल 10 बड़ी आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है। हाल ही में हुए बेंगलूर धमाके के पीछे भी यासिन का ही हाथ बताया गया था। बनारस बम धमाका, सूरत, मुंबई, हैदराबाद ब्लास्ट और पुणे की जर्मन बेकरी में हुए ब्लास्ट के लिए भी यासिन को ही जिम्मेदार ठहराया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि भटकल की गिरफ्तारी से कई मामलों की तह तक पहुंचने में सुरक्षा एजेंसियों को मदद मिलेगी।

मैडम-बेटे के इशारे पर ही रची जा रही है साजिश: आसाराम

Asaram bapuनई दिल्ली। नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले में फंसे आसाराम बापू ने एक बार फिर सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मैडम-बेटे यानी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इशारे पर ही ये सब हो रहा है। उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके इशारे पर ही बापू के खिलाफ साजिश रची जा रही है।
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गुरुवार को भोपाल एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि उनके बचाव में कोई पार्टी नहीं है। उन्हें किसी के साथ की जरूरत नहीं है। गहलोत सरकार की ओर से उन्हें मिल रहे समर्थन की बात पर भी वे भड़क गए।
इससे पहले जोधपुर पुलिस ने बापू को चेताया था कि अगर वे 30 अगस्त तक खुद को पुलिस के हवाले नहीं करते हैं तो 31 अगस्त को पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी। पुलिस का कहना है कि वो 30 अगस्त तक ही इंतजार करेगी और उसके बाद कोई कदम उठाएगी। हालांकि बापू ने कह दिया था कि वे 30 अगस्त को पेश नहीं हो पाएंगे।
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जोधपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बापू को और मोहलत नहीं दी जाएगी। उन्हें 30 अगस्त की जो डेडलाइन दी गई है उसके भीतर ही पुलिस के सामने आना होगा वरना उनकी गिरफ्तारी तय है। इस बीच, सूरत में कृष्ण जन्माष्टमी मनाने गए बापू ने ऐलान किया है कि जो भी उन्हें दोषी साबित कर देगा उन्हें वे पांच लाख रुपये का इनाम देंगे।
इससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से साफ कह दिया है कि कोई भी बापू का समर्थन ना करें। बीते दिनों भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा बापू को समर्थन दिए जाने को लेकर कई सवाल खड़े होने लगे थे। इस दौरान मोदी ने सभी नेताओं से इस मामले पर निष्पक्ष होने को कहा है।

बाढ़ की चपेट में यूपी व बिहार के कई हिस्से

UP and Biharनई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सहित बिहार के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं। बाढ़ के कारण इलाहाबाद से बलिया तक पूर्वाचल का पूरा इलाका गंभीर रूप से प्रभावित है। प्रदेश की प्रमुख नदिया लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। गंगा, यमुना और घाघरा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। पानी के तटबंधों के टूटने के कारण सैंकड़ों घर पानी में डूब गए हैं। उधर, बिहार के भी कई हिस्से बाढ़ की चपेट में हैं। पटना में बाढ़ की आशंका गहरी हो गई है। यदि आधा मीटर पानी बढ़ा तो पटना में हालात और बिगड़ जाएंगे।
जल संसाधन विभाग के आंकड़े कह रहे हैं कि गंगा का जलस्तर अभी पिछले आठ वर्ष का रिकार्ड तोड़ गया है। पटना में गंगा के जलस्तर में अगर आधा मीटर की बढ़ोतरी हो गयी तो राजधानी को परेशानी होगी। जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया कि वैसे गंगा का जलस्तर अभी स्थिर है। इलाहाबाद और बक्सर में जलस्तर में कमी दर्ज की गयी है पर घाघरा और गंडक के जलस्तर के कारण दिक्कत हो रही है।
इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार की दोपहर पटना में गंगा तटवर्ती इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण बाद मुख्यमंत्री ने स्टेट हैंगर स्थित कक्ष में ही अफसरों के साथ इस बात पर विमर्श किया कि सिवरेज, नालों, घाटों व अन्य इलाकों से किस माध्यम से गंगा का पानी पटना में प्रवेश कर सकता है। मुख्यमंत्री ने राहत एवं बचाव कार्य के संबंध में अफसरों को निर्देश दिए।
जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार से विभाग व अन्य संबंधित महकमों की टीम संयुक्त रूप से नाव से तटीय इलाकों की पेट्रोलिंग करेगी। इसके लिए तीन-चार टीम बनायी गयी है। जिन जगहों पर थोड़ी दिक्कत है वहां बालू की बोरियों को जमा कर लिया गया है। अन्य एहतियात भी बरते जा रहे हैं। राजधानी क्षेत्र में बुधवार को भी गंगा के जलस्तर में रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गई है। वृद्धि 1975 में आई बाढ़ के लगभग बराबर पहुंच चुकी है।
परेशानी इस बात को लेकर भी है कि पुनपुन नदी का जलस्तर भी बढ़ रहा है। बुधवार की सुबह श्रीपालपुर में पुनपुन नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 77 सेंटीमीटर नीचे था। गुरुवार को सुबह आठ बजे तक 12 सेंटीमीटर बढ़ोतरी की संभावना है। गंडक के जलस्तर में भी वृद्धि की संभावना है।
ग्रामीण क्षेत्रों से मिली सूचना के अनुसार सारण में पिपरा और मरहा नदी का बांध टूटने से दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं। दिघवारा नगर पंचायत की कई वार्डो में पानी घुस गया है। गोपालगंज में भी 21 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। बेगूसराय में हाथीदह व मुंगेर की स्थिति गंभीर बनी है। आरा-बक्सर एन.एच.-84 पर पानी चढ़ गया है। इससे यूपी से संपर्क कट गया है। शहर के दर्जनभर मुहल्लों में भी पानी घुस गया है। बक्सर के सुरक्षित माने जाने इलाकों को भी अलर्ट जारी किया गया है।

Wednesday 28 August 2013

हैदराबाद विस्फोट: IM चार सदस्यों के खिलाफ आरोप तय

Image Loadingक स्थानीय अदालत ने बुधवार को अगस्त 2007 में हुए दो बम विस्फोटों के चार आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किये। इन विस्फोटों में 42 लोग मारे गये थे।
द्वितीय मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश की अदालत ने इंडियन मुजाहिदीन के चार संदिग्ध सदस्यों अनिक शफीक सैयद, मोहम्मद सादिक, अकबर इस्माइल चौधरी और अंसर अहमद बादशाह शेख के खिलाफ आरोप तय किये। अगस्त 2007 में हुए दो बम विस्फोटों तथा दिलसुखनगर क्षेत्र के पैदल पार पथ के नीचे एक बम के बरामद होने के संबंध में आरोपियों को आईपीसी की 302 :हत्या: सहित अन्य धाराओं तथा विस्फोटक सामग्री अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोपित किया गया। इसके बाद अदालत ने इस मुकदमे की सुनवाई की शुरुआत के लिए 28 अक्टूबर की तारीख तय की। उस दिन, अदालत बयान दर्ज करने के लिए गवाहों को समन जारी करने पर फैसला करेगी। ये आरोपी महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दल द्वारा अक्टूबर 2008 में गिरफ्तार लोगों में शामिल हैं। बाद में गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद में हुए श्रंखलाबद्ध विस्फोटों के संबंध में इन आरोपियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। आंध्र प्रदेश पुलिस ने बम विस्फोटों के संबंध में आरोप पत्र दायर करके उनके अभियोजन की अनुमति मांगी थी।

65 साल रहे साथ...एक साथ कहा दुनिया को अलविदा

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Marriage couple hand
65 साल पहले उन्होंने जीवन भर एक-दूसरे का साथ निभाने का वादा किया था और जब जीवन के उस पार का सफर शुरू करने की बारी आई, तब भी उन्होंने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा।
   
डेटान में हेराल्ड और रुथ नेपके की दास्तान सुनकर सभी हैरत में भी हैं और उनके प्यार की तारीफ भी कर रहे हैं। हेराल्ड (91) ने पहले इस दुनिया को अलविदा कहा और उसके 1 घंटे बाद रुथ (89) ने अंतिम सांस ली। उनकी बेटियों का कहना है कि उनके पिता ने पहले जाकर प्यार का अंतिम फर्ज भी निभाया। हमें हमेशा लगता था कि वह इस जिंदगी में और उसके बाद भी मां का साथ निभाना चाहते थे..और उन्होंने ऐसा ही किया।
    
हेराल्ड और रुथ एक दूसरे को बचपन से जानते थे और पत्र के जरिये एक दूसरे से संपर्क में थे, तभी जब हेराल्ड दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सेना में भर्ती हो गया और लड़ाई के मोर्चे पर चला गया। रुथ अकसर कहा करती थी मैंने उसे तब तक मेरा पीछा करने दिया, जब तक मैंने उसे अपनी गिरफ्त में ले नहीं लिया। 
    
सेना छोड़ने के बाद हेराल्ड ने फोर्ट रिकवरी स्कूल में शिक्षक प्रशिक्षक और एथलेटिक्स निदेशक के तौर पर काम किया। इसी साल गर्मियों की एक तस्वीर में हेराल्ड बिस्तर पर लेटा हुआ है, गार्डरेल से बढ़े हुये अपने हाथों में उसने रुथ का हाथ थाम रखा है और रुथ ने अपना झुका हुआ सिर उसके सिर पर रखा है।
     
उनकी पोती पैट सिमान ने बताया कि जब रुथ बीमार थी, तो हेराल्ड हर रात उसे पवित्र पानी से अभिसिक्त करता था। अंतिम संस्कार के दौरान पोतियों ने रुथ का कलश थामा था और पोतों ने हेराल्ड का। जब उनकी अंतिम यात्रा उस फार्म हाउस तक पहुंची, जहां दोनों रहा करते थे तो फार्म हाउस के मालिक ने उनके प्यार के सम्मान में फार्म हाउस का झंडा आधा झुका दिया।

कृष्ण जन्माष्टमी

"कृष्ण जन्माष्टमी पर सभी हिन्दू धर्म को
मानने वाले भगवान
श्री कृष्ण जी महाराज को याद करते हैं. कुछ उन्हें
गीता का ज्ञान देने के लिए याद करते हैं कुछ उन्हें दुष्ट
कौरवों का नाश करने के लिए याद करते हैं.पर कुछ लोग उन्हें
अलग तरीके से याद करते हैं.
फिल्म रेडी में सलमान खान पर
फिल्माया गया गाना “कुड़ियों का नशा प्यारे,नशा सबसे
नशीला है,जिसे देखों यहाँ वो,हुसन की बारिश में गीला है,इश्क
के नाम पे करते सभी अब रासलीला है,मैं करूँ
तो साला,Character ढीला है,मैं करूँ तो साला,Character
ढीला है.”
सन २००५ में उत्तर प्रदेश में पुलिस अफसर डी के पांडा राधा के
रूप में सिंगार करके दफ्तर में आने लगे और कहने लगे की मुझे कृष्ण से
प्यार हो गया हैं और में अब उनकी राधा हूँ. अमरीका से
उनकी एक भगत लड़की आकर साथ रहने लग
गयी.उनकी पत्नी वीणा पांडा का कथन था की यह सब ढोंग हैं.
इस्कोन के संस्थापक प्रभुपाद जी एवं अमरीका में धर्म गुरु
दीपक चोपरा के अनुसार ” कृष्ण को सही प्रकार से जानने के
बाद ही हम वलीनतीन डे (प्रेमिओं का दिन) के सही अर्थ
को जान सकते हैं.
इस्लाम को मानने वाले जो बहुपत्नीवाद में विश्वास करते हैं
सदा कृष्ण जी महाराज पर १६००० रानी रखने का आरोप
लगा कर उनका माखोल करते हैं.
स्वामी दयानंद अपने अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में श्री कृष्ण
जी महाराज के बारे में लिखते हैं की पूरे महाभारत में श्री कृष्ण
के चरित्र में कोई दोष नहीं मिलता एवं उन्हें आपत पुरुष
कहाँ हैं.स्वामी दयानंद श्री कृष्ण जी को महान विद्वान
सदाचारी, कुशल राजनीतीज्ञ एवं सर्वथा निष्कलंक मानते हैं
फिर श्री कृष्ण जी के विषय में चोर, गोपिओं का जार (रमण
करने वाला), कुब्जा से सम्भोग करने वाला, रणछोड़
आदि प्रसिद्द करना उनका अपमान नहीं तो क्या हैं.श्री कृष्ण
जी के चरित्र के विषय में ऐसे मिथ्या आरोप का अधर क्या हैं?
इन गंदे आरोपों का आधार हैं पुराण. आइये हम सप्रमाण अपने
पक्ष को सिद्ध करते हैं.
पुराण में गोपियों से कृष्ण का रमण करना
विष्णु पुराण अंश ५ अध्याय १३ श्लोक ५९,६० में लिखा हैं
वे गोपियाँ अपने पति, पिता और भाइयों के रोकने पर
भी नहीं रूकती थी रोज रात्रि को वे रति “विषय भोग”
की इच्छा रखने वाली कृष्ण के साथ रमण “भोग”
किया करती थी. कृष्ण भी अपनी किशोर अवस्था का मान करते
हुए रात्रि के समय उनके साथ रमण किया करते थे.
कृष्ण उनके साथ किस प्रकार रमण करते थे पुराणों के रचियता ने
श्री कृष्ण को कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं. भागवत
पुराण स्कन्द १० अध्याय ३३ शलोक १७ में लिखा हैं -
कृष्ण कभी उनका शरीर अपने हाथों से स्पर्श करते थे, कभी प्रेम
भरी तिरछी चितवन से उनकी और देखते थे, कभी मस्त हो उनसे
खुलकर हास विलास ‘मजाक’ करते थे.जिस प्रकार बालक तन्मय
होकर अपनी परछाई से खेलता हैं वैसे ही मस्त होकर कृष्ण ने उन
ब्रज सुंदरियों के साथ रमण, काम क्रीरा ‘विषय भोग’ किया.
भागवत पुराण स्कन्द १० अध्याय २९ शलोक ४५,४६ में लिखा हैं -
कृष्णा ने जमुना के कपूर के सामान चमकीले बालू के तट पर
गोपिओं के साथ प्रवेश किया. वह स्थान जलतरंगों से शीतल व
कुमुदिनी की सुगंध से सुवासित था. वहां कृष्ण ने गोपियों के
साथ रमण बाहें फैलाना, आलिंगन करना, गोपियों के हाथ
दबाना , उनकी छोटी पकरना, जांघो पर हाथ फेरना, लहंगे
का नारा खींचना, स्तन (पकरना) मजाक करना नाखूनों से उनके
अंगों को नोच नोच कर जख्मी करना, विनोदपूर्ण चितवन से
देखना और मुस्कराना तथा इन क्रियाओं के
द्वारा नवयोवना गोपिओं को खूब जागृत करके उनके साथ
कृष्णा ने रात में रमण (विषय भोग) किया.
ऐसे अभद्र विचार कृष्णा जी महाराज को कलंकित करने के लिए
भागवत के रचियता नें स्कन्द १० के अध्याय २९,३३ में वर्णित
किये हैं जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए मैं
वर्णन नहीं कर रहा हूँ.
राधा और कृष्ण का पुराणों में वर्णन
राधा का नाम कृष्ण के साथ में लिया जाता हैं. महाभारत में
राधा का वर्णन तक नहीं मिलता. राधा का वर्णन
ब्रह्मवैवर्त पुराण में अत्यंत अशोभनिय वृतांत का वर्णन करते
हुए मिलता हैं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय ३ शलोक
५९,६०,६१,६२ में लिखा हैं की गोलोक में कृष्ण
की पत्नी राधा ने कृष्ण को पराई औरत के साथ पकर
लिया तो शाप देकर कहाँ – हे कृष्ण ब्रज के प्यारे , तू मेरे सामने
से चला जा तू मुझे क्यों दुःख देता हैं – हे चंचल , हे अति लम्पट
कामचोर मैंने तुझे जान लिया हैं. तू मेरे घर से चला जा. तू
मनुष्यों की भांति मैथुन करने में लम्पट हैं, तुझे
मनुष्यों की योनी मिले, तू गौलोक से भारत में चला जा. हे
सुशीले, हे शाशिकले, हे पद्मावती, हे माधवों! यह कृष्ण धूर्त हैं
इसे निकल कर बहार करो, इसका यहाँ कोई काम नहीं.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय १५ में राधा का कृष्ण
से रमण का अत्यंत अश्लील वर्णन लिखा हैं जिसका सामाजिक
मर्यादा का पालन करते हुए में यहाँ विस्तार से वर्णन नहीं कर
रहा हूँ.
ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय ७२ में कुब्जा का कृष्ण
के साथ सम्भोग भी अत्यंत अश्लील रूप में वर्णित हैं .
राधा का कृष्ण के साथ सम्बन्ध भी भ्रामक हैं. राधा कृष्ण के
बामांग से पैदा होने के कारण कृष्ण की पुत्री थी अथवा रायण
से विवाह होने से कृष्ण की पुत्रवधु थी चूँकि गोलोक में रायण
कृष्ण के अंश से पैदा हुआ था इसलिए कृष्ण का पुत्र हुआ
जबकि पृथ्वी पर रायण कृष्ण की माता यसोधा का भाई
था इसलिए कृष्ण का मामा हुआ जिससे राधा कृष्ण
की मामी हुई.
कृष्ण की गोपिओं कौन थी?
पदम् पुराण उत्तर खंड अध्याय २४५ कलकत्ता से प्रकाशित में
लिखा हैं की रामचंद्र जी दंडक -अरण्य वन में जब पहुचें तो उनके
सुंदर स्वरुप को देखकर वहां के निवासी सारे ऋषि मुनि उनसे
भोग करने की इच्छा करने लगे. उन सारे ऋषिओं ने द्वापर के अंत
में गोपियों के रूप में जन्म लिया और रामचंद्र जी कृष्ण बने तब
उन गोपियों के साथ कृष्ण ने भोग किया. इससे उन
गोपियों की मोक्ष हो गई. वर्ना अन्य प्रकार से उनकी संसार
रुपी भवसागर से मुक्ति कभी न होती.
क्या गोपियों की उत्पत्ति का दृष्टान्त बुद्धि से स्वीकार
किया जा सकता हैं?
श्री कृष्ण जी महाराज का वास्तविक रूप
अभी तक हम पुराणों में वर्णित गोपियों के दुलारे, राधा के
पति, रासलीला रचाने वाले कृष्ण के विषय में पढ़ रहे थे
जो निश्चित रूप से असत्य हैं.
अब हम योगिराज, निति निपुण , महान कूटनीतिज्ञ श्री कृष्ण
जी महाराज के विषय में उनके सत्य रूप को जानेगे.
आनंदमठ एवं वन्दे मातरम के रचियता बंकिम चन्द्र
चटर्जी जिन्होंने ३६ वर्ष तक महाभारत पर अनुसन्धान कर
श्री कृष्ण जी महाराज पर उत्तम ग्रन्थ लिखा ने कहाँ हैं
की महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण जी की केवल एक
ही पत्नी थी जो की रुक्मणी थी, उनकी २ या ३ या १६०००
पत्नियाँ होने का सवाल ही पैदा नहीं होता. रुक्मणी से
विवाह के पश्चात श्री कृष्ण रुक्मणी के साथ बदरिक आश्रम चले
गए और १२ वर्ष तक तप एवं ब्रहमचर्य का पालन करने के
पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम प्रदुमन था. यह
श्री कृष्ण के चरित्र के साथ अन्याय हैं की उनका नाम १६०००
गोपियों के साथ जोड़ा जाता हैं. महाभारत के श्री कृष्ण
जैसा अलोकिक पुरुष , जिसे कोई पाप नहीं किया और जिस
जैसा इस पूरी पृथ्वी पर कभी-कभी जन्म लेता हैं.
स्वामी दयानद जी सत्यार्थ प्रकाश में वहीँ कथन लिखते हैं
जैसा बंकिम चन्द्र चटर्जी ने कहाँ हैं. पांड्वो द्वारा जब
राजसूय यज्ञ किया गया तो श्री कृष्ण जी महाराज को यज्ञ
का सर्वप्रथम अर्घ प्रदान करने के लिए सबसे ज्यादा उपर्युक्त
समझा गया जबकि वहां पर अनेक ऋषि मुनि , साधू
महात्मा आदि उपस्थित थे.वहीँ श्री कृष्ण जी महाराज
की श्रेष्ठता समझे की उन्होंने सभी आगंतुक अतिथियो के धुल भरे
पैर धोने का कार्य भार लिया. श्री कृष्ण जी महाराज
को सबसे बड़ा कूटनितिज्ञ भी इसीलिए कहा जाता हैं
क्यूंकि उन्होंने बिना हथियार उठाये न केवल दुष्ट कौरव
सेना का नाश कर दिया बल्कि धर्म की राह पर चल रहे
पांडवो को विजय भी दिलवाई.
ऐसे महान व्यक्तित्व पर चोर, लम्पट, रणछोर, व्यभिचारी,
चरित्रहीन , कुब्जा से समागम करने वाला आदि कहना अन्याय
नहीं तो और क्या हैं और इस सभी मिथ्या बातों का श्रेय
पुराणों को जाता हैं.
इसलिए महान कृष्ण जी महाराज पर कोई व्यर्थ का आक्षेप न
लगाये एवं साधारण जनों को श्री कृष्ण जी महाराज के
असली व्यक्तित्व को प्रस्तुत करने के लिए
पुराणों का बहिष्कार आवश्यक हैं और वेदों का प्रचार
आती आवश्यक हैं.
और फिर भी अगर कोई न माने तो उन पर यह लोकोक्ति लागु
होती हैं-
जब उल्लू को दिन में न दिखे तो उसमें सूर्य का क्या दोष हैं?
प्रोफैसर उत्तम चन्द शरर जन्माष्टमि पर सुनाया करते थे
: तुम और हम हम कहते हैं आदर्श था इन्सान था मोहन |
…तुम कहते हो अवतार था, भगवान था मोहन ||
हम कहते हैं कि कृष्ण था पैगम्बरो हादी |
तुम कहते हो कपड़ों के चुराने का था आदि ||
हम कहते हैं जां योग पे शैदाई थी उसकी |
तुम कहते हो कुब्जा से शनासाई थी उसकी ||
हम कहते है सत्यधर्मी था गीता का रचैया |
तुम साफ सुनाते हो कि चोर था कन्हैया ||
हम रास रचाने में खुदायी ही न समझे |
तुम रास रचाने में बुराई ही न समझे ||
इन्साफ से कहना कि वह इन्सान है अच्छा |
या पाप में डूबा हुआ भगवान है अच्छा ||"

ये है भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवार

ये है भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवारसंसद में सोमवार को गोरखपुर से भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मुलायम सिंह यादव खुद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, दो भाई पार्टी के महास
चिव और बेटा प्रदेश अध्यक्ष है। यह समाजवाद है या परिवारवाद? योगी के इस सवाल ने भारतीय राजनीति में परिवारवाद के मुद्दे को एक बार फिर से गरम कर दिया है। भारत की राजनीति में परिवारवाद का बोलबाला अब काफी बढ़ गया है। शायद ही कोई पॉलिटिकल पार्टी ऐसी हो, जिसमें परिवारवाद और वंशवाद की बेल दिखाई नहीं पड़ती हो। 
 
कांग्रेस से लेकर तमाम क्षेत्रीय दलों में परिवारवाद की जड़ें काफी मजबूत हो गई हैं। काडर आधारित दलों जैसे कम्युनिस्ट पार्टियों और भाजपा में परिवारवाद भले न दिखाई पड़े, पर दक्षिण की क्षेत्रीय पार्टियां हों या उत्तर भारत के अनेकानेक दल, सभी में परिवारवाद और वंशवाद मजबूत होता चला गया है।
 
परिवारवाद को लोकतंत्र के लिए कभी अच्छा नहीं समझा गया, लेकिन तथ्य यह है कि कांग्रेस में ही इस प्रवृत्ति की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे यह संक्रामक हो गई। कांग्रेस के अलावा यह प्रवृत्ति समाजवादी कहे जाने वाले नेताओं और पार्टियों में भी दिखलाई पड़ती है। लालू हों या मुलायम या रामविलास पासवान, कोई भी राजनीति में कोई भी परिवारवाद और वंशवाद को आगे बढ़ाने के मोह से बच नहीं पाए। 
 
देश के सबसे बड़े राज्य और केंद्र में सरकार बनाने की चाबी अपने पास रखने का दावा करने वाले यूपी में सत्तानशीं समाजवादी पार्टी में परिवारवाद काफी मजबूत होकर उभरा है। आज यूपी की कमान सपा प्रमुख मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश के हाथों में है। सिर्फ अखिलेश ही नहीं, मुलायम के परिवार की तीसरी पीढ़ी का भी अब राजनीति में दखल हो चुका है। यही नहीं, मुलायम परिवार की महिलाएं भी राजनीति में आगे बढ़ रही हैं। 
 
देश के इस सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे से कुल 13 लोग क्रमश: मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिवपाल यादव, राम गोपाल यादव, अंशुल यादव, प्रेमलता यादव, अरविंद यादव, तेज प्रताप सिंह यादव, सरला यादव, अंकुर यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव राजनीतिक धरातल पर जोर-आजमाइश कर रहे हैं।
 

साहस, रोमांच और चुनौती की शिक्षा: एनआईएम

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अगर आप साहस, रोमांच व चुनौती से एक सा थ रूबरू होना चाहते हैं तो एनआईएम यानी उत्तरकाशी स्थित नेहरू इंस्टीटय़ूट ऑफ माउंटेनियिरग चले आएं। यहां चुनौती भरे पहाड़ न केवल आपके जज्बे को परखेंगे, बल्कि पहाड़ जैसी मुश्किलों से जीतने की शिक्षा भी मिलेगी।
14 नवंबर 1965 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम से एनआईएम की नींव रखी गई। देश-दुनिया में साहसिक खेलों, पर्यटन व चुनौती भरे क्षेत्रों में करियर संवारने में एनआईएम लगातार नई बुलंदियां छू रहा है। यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद देश के ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के कई लोगों ने अलग-अलग क्षेत्रों में लक्ष्य हासिल कर नाम कमाया है। पहाड़ की चुनौतियों से आसान तरीकों से निपटने और प्रकृति व पर्यावरण को ध्यान में रख कर दिए जाने वाले प्रशिक्षण के लिए हर वर्ष विश्वभर से यहां लोगों की कतारें लगी रहती हैं। पहाड़ को नजदीक से परखने और इसकी सुन्दरता, शांत स्वभाव, विकराल रूप व कदम-कदम पर चुनौती से रूबरू होना है तो एनआईएम से प्रशिक्षण जरूरी है। एनआईएम से प्रशिक्षण लेने के बाद न केवल सरकारी नौकरी पक्की मानी जाती है, बल्कि ट्रैकिंग, पर्वतारोहण, रॉक क्लाइंबिंग, हिमालय ईको टॉस्क, रैपलिंग, टीम बिल्डिंग, पहाड़ों व प्रकृति के बारे में जानकारी व आपदा प्रबंधन के गुर सीखने के बाद कई प्राइवेट सेक्टर में भी करियर संवारने के मौके मिलते हैं। इसके अलावा निजी स्तर पर बिजनेस कर आजीविका व आर्थिक स्थिति सुधारने में प्रशिक्षण महत्वपूर्ण साबित होते हैं। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन इस संस्थान में राज्य सरकार की भी सहभागिता होती है। रक्षा मंत्री संस्था का अध्यक्ष व मुख्यमंत्री उपाध्यक्ष होता है। इसके अलावा संस्थान में सेना के कर्नल रैंक के ऑफिसर प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, डॉक्टर आदि पदों पर तैनात रहते हैं। इसके अलावा सिविलियन को भी यहां सीधी भर्ती से नौकरी दी जाती है। उद्देश्य
संस्थान युवक, युवतियों व स्कूली बच्चों को पहाड़ के नेचर के अनुरूप तैयार कर प्रकृति को संरक्षित रखते हुए जीवन में कुछ नया करने का जज्बा सिखाता है। इसके अलावा प्रशिक्षुओं को साहसी, निडर व जिम्मेदारी के निर्वहन योग्य भी तैयार किया जाता है। प्रशिक्षण क्षेत्र
संस्थान का प्रशिक्षण क्षेत्र यूं तो विश्वभर में है, लेकिन उत्तराखंड के गढ़वाल व कुमाऊं के हिमालयी क्षेत्र में संस्थान अधिकांश प्रशिक्षण देता है। राज्य की नंदा देवी, कामेट, चौखम्बा, सतोपंत, शिवलिंग, भागीरथी ग्रुप, गंगोत्री ग्रुप, थलय सागर, तेखला, डोकराणी बामक, गोमुख, नचिकेता ताल, दयारा बुग्याल, डोडीताल आदि स्थानों पर ट्रैकिंग व पर्वतारोहण का कोर्स कराया जाता है। करियर की संभावनाएं
साहसिक खेलों, पैरा मिलिट्री, सेना, खेलकूद विभाग, पर्यटन, आपदा प्रबंधन, कंस्ट्रक्शन विभाग, राज्य व केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों में गाइड से लेकर ऑफिसर तक बनने की संभावनाएं। स्कॉलरशिप
संस्थान गरीब व निर्धन छात्र-छात्राओं को कोर्स करने में अनुदान के अलावा स्कॉलरशिप भी देता है, जिसके लिए संस्थान को इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन भी मदद करता है। एनआईएम कैंपस
देहरादून से 160 कि.मी. की दूरी तय करने के बाद उत्तरकाशी शहर पहुंचते हैं। यहां से 5 कि.मी. की दूरी तय कर एनआईएम पहुंच सकते हैं। यहां अंतर्राष्ट्रीय मानकों की आर्टीफिशियल वॉल, इलेक्ट्रॉनिक वॉल, स्टूडेंट हॉस्टल, लाईब्रेरी, हिमालयन म्यूजियम, पर्वतारोहण से संबंधित उपकरण एवं सामान के लिए दुकान, ज्ञान हॉल, जयहर्ष बहुगुणा प्रेक्षा गृह, मंदिर एवं प्रशिक्षण से संबंधित कई इमारतें हैं।  संस्थान के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल बताते हैं कि एनआईएम से कोर्स करने के बाद प्रशिक्षु किसी भी क्षेत्र में बेहतर करियर बना सकता है। देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में एनआईएम गुणवत्ता एवं नई तकनीकी के साथ पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देता है। यहां से प्रशिक्षण के बाद लोगों ने विश्व की सभी कठिन, ऊंची एवं चुनौती से भरी चोटियों पर तिरंगा लहराया है। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें।
बेवसाइट:
  www.nimindia.net संस्था के प्रमुख कोर्स बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स
एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स
एडवेंचर कोर्स
सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स  
मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन 
स्पेशल कोर्

युवा नेतृत्व के सामने चुनौतियां

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युवा और उत्साही लोगों के साथ काम करना ऊ र्जा से भर देता है। वे अपने करियर के शुरुआती दौर में किसी प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों के फ्रेश स्नातक हो सकते हैं। वे पुरानी परम्पराओं से अलग कुछ करने के उद्देश्य से नये आइडिया और संकल्प के साथ काम करने आते हैं। हालांकि उनका यह नजरिया रोजमर्रा के कामकाज में कई बार समस्याएं भी खड़ी कर सकता है। दरअसल वे इस तथ्य से अनजान होते हैं कि कार्यस्थल में काम करने के लिए हमेशा आदर्श स्थिति नहीं मिल सकती। ऐसी ही कुछ असहज स्थितियों का यहां वर्णन किया गया है-
मिथक टूटते हैं
अधिकतर युवा नेतृत्व को संशय की नजरों से देखा जाता है। उच्च पदों तक पहुंचने में एक बी-स्कूल से स्नातक होने से ज्यादा कारगर कुछ वर्षों का अनुभव हो सकता है, इसलिए उन्हें अपनी क्षमताएं साबित करने के लिए काम को गंभीरता से लेना चाहिए। महत्वाकांक्षाएं कुचलती हैं
युवा प्रोफेशनल परिश्रमी होते हैं, जो व्यवसाय प्रक्रिया को बेहतर करना चाहते हैं। वे जल्दी से नयी जिम्मेदारी लेने को उत्सुक रहते हैं। कामकाज के समायोजन में समय लगता है, जबकि वह कोई अवसर छोड़ना नहीं चाहते। जोखिम उठाने को तैयार
युवा नेतृत्व नये विचारों से भरे होते हैं और उन्हें लागू करने के लिए अधीर होते हैं। इस प्रक्रिया में कभी-कभी वे सिस्टम के बारे में भी नहीं सोचते। वे वरिष्ठों की अनुमति के इंतजार में परेशान हो जाते हैं, जबकि जोखिम उठाने के मामले में धर्य अहम भूमिका अदा करता है। बुद्धिमत्ता बनाम जानकारी
युवा नेतृत्व जब किसी समस्या में फंस जाते हैं तो अपनी जानकारियों के आधार पर वह कई बार उसका समाधान नहीं ढूंढ़ पाते। ऐसे मौके पर उन्हें मामला सुलझाने के लिए अनुभवी लोगों का मार्गदर्शन लेना चाहिए।

नेगेटिव मार्किंग से सावधान

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तेजी से विकास करती भारतीय अर्थव्यवस्था में फाइनेंस एवं अकाउंट्स से जुड़े करियर लोगों के आकर्षण का केंद्र बनते नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से मल्टीनेश नल कंपनियों के देश में आगमन से जॉब के क्षेत्र की रौनक भी बढ़ी है।
किसी भी संस्थान में चार्टर्ड अकाउंटेंट अथवा सीए का काम बेहद सम्मानजनक एवं चुनौतीपूर्ण होता है। वे उस संस्थान अथवा कंपनी से जुडे सभी अकाउंट एवं फाइनेंस संबंधी कार्यों के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इसके अलावा इनका कार्य मनी मैनेजमेंट, ऑडिट अकाउंट का एनालिसिस, टैक्सेशन तथा फाइनेंशियल एडवाइज उपलब्ध कराने से भी संबंधित है। एक समय ऐसा था, जब सीए के कार्यक्षेत्र को अकाउंट तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं और इनका कार्यक्षेत्र भी बढ़ता जा रहा है और वे मैनेजमेंट एवं कॉर्पोरेट केयर टेकर को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनका कार्य मुख्यत: अकाउंटिंग, टैक्सेशन और ऑडिटिंग से संबंधित है। सीए बनने का सपना तभी पूरा हो पाता है, जब छात्र इंस्टीटय़ूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इण्डिया काउंसिल द्वारा आयोजित कॉमन प्रॉफिशिएंसी टैस्ट (सीपीटी) में सफलता हासिल करें। क्या काम है सीए का
कंपनी एक्ट के अनुसार केवल सीए ही भारतीय कंपनियों में बतौर ऑडिटर नियुक्त किए जा सकते हैं। इसका फायदा देख कर ही कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां चार्टर्ड अकाउंटेंसी के क्षेत्र में कदम रख रही हैं। देश की इकोनॉमी को नियंत्रित करने, इससे जुड़े सिस्टम का ऑडिट और उसे सर्टिफाई करने का काम सीए के जिम्मे होता है। बैंक भी अपना सालाना ऑडिट सीए से कराते हैं। किसी संस्था या व्यक्ति को लोन देने या शेयरों की खरीद-फरोख्त में भी बैलेंस शीट देखी जाती है। बैंक व शेयर से अलग हट कर विभिन्न टैक्सों के भुगतान का हिसाब-किताब भी सीए के जिम्मे होता है। बारहवीं के बाद मिलेगा अवसर
इस परीक्षा में वही छात्र बैठ सकते हैं, जिन्होंने किसी मान्यताप्राप्त संस्थान से बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो। साथ ही उसने आईसीएआई में अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया हो। रजिस्ट्रेशन की फीस 1500 रुपए निर्धारित की गई है। इसमें टय़ूशन फीस भी शामिल है। लिखित परीक्षा दो पेपरों में
सीपीटी टैस्ट पेपर-पेंसिल बेस्ड टैस्ट है। यह परीक्षा एक ही दिन दो पेपरों के रूप में आयोजित की जाती है। पहला पेपर 10.30 से 12.30 तक, जबकि दूसरा सत्र 2.00 से 4.00 तक चलता है। दो घंटे के पहले पेपर में दो सेक्शनों अकाउंटिंग व मर्केटाइल पर प्रश्न पूछे जाते हैं और इसके लिए 100 अंक निर्धारित होते हैं, जबकि दूसरा पेपर भी दो घंटे और 100 अंकों का होता है। इसमें भी दो सेक्शन जनरल इकोनॉमिक्स व क्वांटिटेटिव एप्टीटय़ूड होते हैं। प्रश्नों का स्वरूप बहुविकल्पीय
पूछे जाने वाले प्रश्न बहुविकल्पीय होते हैं तथा छात्रों को कई विकल्पों में से किसी एक का चयन करना होता है। हिन्दी में प्रश्नों का उत्तर देने के लिए उन्हें बुकलेट में हिन्दी माध्यम का चयन करना होता है, जबकि अंग्रेजी माध्यम के छात्र अंग्रेजी भाषा का चयन कर सकते हैं। अकाउंटिंग/इकोनॉमिक्स पर फोकस
छात्रों को दोनों ही विषयों का एक-एक पेपर हल करना होता है। एक तरह से सफलता का दारोमदार इन्हीं दोनों विषयों पर टिका होता है। इन विषय विशेष के लिए खास ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। छात्र तैयारी के संदर्भ में चाहे जो फॉर्मूला अपनाएं, पर इतना याद रखें कि ये दोनों प्रश्न पत्र नजरअंदाज न होने पाएं। इन पर अतिरिक्त समय खर्च करें। क्वांटिटेटिव एप्टीटय़ूड भी महत्वपूर्ण
इस सेक्शन में प्रश्न मुख्य रूप से अर्थमेटिक्स, नंबर सिस्टम व मेंसुरेशन पर आधारित होते हैं। साथ ही इस भाग में दसवीं एवं बारहवीं के अल्जेब्रा, त्रिकोणमिति, लाभ-हानि तथा प्रतिशत पर आधारित प्रश्न भी पूछे जाते हैं। इसमें डाटा एवं ग्राफ के प्रश्नों को बिना कठिन अभ्यास के हल नहीं किया जा सकता। जल्दबाजी के चक्कर में कई बार अभ्यर्थी गलत फॉर्मूले का प्रयोग कर बैठते हैं , इसलिए सवाल के स्वरूप को समझने का प्रयास करें। नेगेटिव मार्किंग से सावधान
सीपीटी में निगेटिव मार्किंग का प्रावधान है। गलत उत्तर दिए जाने पर एक चौथाई अंक काट लिया जाता है, इसलिए छात्र पहले उन्हीं प्रश्नों का जवाब दें, जो उन्हें अच्छी तरह से पता हों। जिनका जवाब नहीं मालूम है, उन्हें छोडम् कर आगे बढम् जाएं। बाद में समय बचने पर उन्हें एक बार देख लें। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-
दि इंस्टीटय़ूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई)
वेबसाइट: www.icai.org आवेदन की अंतिम तिथि
28 अक्तूबर, 2013
परीक्षा की तिथि
15 दिसंबर, 2013 सफलता के प्रमुख टिप्स
प्रामाणिक सामग्री का ही चयन करें
महत्वपूर्ण बिन्दुओं को नोट करते जाएं
जो पढ़ा है, उसका रिवीजन करते रहें
पढ़ाई के बीच-बीच में ब्रेक अवश्य लें
प्रश्न पत्रों को समय के हिसाब से बांट लें
सीनियर्स/टीचर्स के संपर्क में रहें
अपने आत्मविश्वास को न गिरने दें

कैसर नहीं, विश्व कप में हार से डरा था: युवराज

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कैंसर को मात देकर फिर से क्रिकेट मैदान पर लौटकर लोगों के प्रेरणा बनने वाले युवराज सिंह ने खुलासा किया कि विश्व कप 2011 के दौरान वह इस जानलेवा बीमारी के कारण नहीं, बल्कि इस क्रिकेट महाकुंभ में हार को लेकर अधिक डरे हुए थे।
युवराज ने कहा कि विश्व कप के दौरान मेरी खांसी में खून आया था, लेकिन मैंने उसे नजरअंदाज कर दिया। विश्व कप में काफी दबाव था और मैं अपने स्वास्थ्य की जांच नहीं कराना चाहता था। मैं अपनी बीमारी से नहीं, बल्कि विश्व कप से डरा हुआ था कि अगर हार गये तो क्या होगा। उन्होंने कहा कि मैं विश्व कप में मैन ऑफ द टूर्नामेंट बना। वह मेरे करियर का सबसे महत्वपूर्ण क्षण था, लेकिन उसके बाद मैंने अपनी जिंदगी का सबसे बुरा दौर भी देखा। वह सबसे बड़ा रोना था। युवराज ने कहा कि उन्हें अपनी क्षमता पर भरोसा है और भारतीय टीम में वह अपने लिये जगह बनाने में सफल रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह अच्छा है कि युवा खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन मुझे अपनी क्षमता पर भरोसा है। मैंने पहले भी खुद को साबित किया है और मुझे विश्वास है कि आने वाले महीनों में भी मैं अच्छा प्रदर्शन करूंगा। क्रिकेट पर ध्यान लगाने के अलावा युवराज ने कैंसर पीड़ितों के लिये यूवीकैन नाम की संस्था भी चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने अमेरिका से लौटने के बाद इस तरह की संस्था शुरू करने का फैसला किया। मैंने लांस आर्मस्ट्रांग (कैंसर पर विजय पाने वाले नामी साइकिलिस्ट) के मॉडल को समझा। हमारी एक टीम है, जिसमें कई नामी डॉक्टर हैं। युवराज का मानना है कि कैंसर को लेकर लोगों में जागरुकता लाना जरूरी है। इसके लिये उनकी संस्था कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। अक्टूबर से उनकी योजना गूगल हैंगआउट के जरिये दुनिया भर के कैंसर पीड़ितों से रूबरू होने की है। उन्होंने कहा कि हम गूगल हैंगआउट शुरू कर रहे हैं। जिसमें कोई भी कैंसर रोगी हर महीने में एक घंटे मुझसे सीधे बात कर सकता है। हम इसे अक्टूबर से शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं। युवराज ने देश में कैंसर पीड़ितों की मदद के लिये कॉरपोरेट जगत से भी सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि मेरी कॉरपारेट जगत से दरख्वास्त है कि वह यूवीकैन से जुड़े। आज बहुत से लोगों को यूवीकैन की जरूरत है। लोग स्वस्थ रहेंगे तो देश स्वस्थ रहेगा। हमारा प्रयास यही है कि हम अधिक से अधिक लोगों की जिंदगी बचायें।

डेंटिस्ट: दांतों की सेहत और सौंदर्य के रखवाले

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डेंटिस्ट्स की मांग दिनोदिन बढ़ रही है। मेडिकल क्षेत्र में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए यह एक बेहतरीन करियर है। इस करियर के बारे में बता रही हैं प्रियंका कुमा री ऊबड़-खाबड़, बेतरतीब और बेढंगे दांतों को ठीक करना हो, गंदे दांतों को चमकाने का काम हो या बदबू दूर भगाने का, सभी के लिए डेंटिस्ट की जरूरत होती है। डेंटिस्ट अपने मरीजों के मुख, दांत और मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं का निदान करते हैं। डेंटिस्ट कॉस्मेटिक डेंटल प्रक्रियाओं द्वारा उनके दांतों की खूबसूरती भी बढ़ाते हैं। डेंटिस्ट बनने की राह
डेंटिस्ट बनने के लिए फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायोलॉजी विषयों के साथ कम से कम 50 फीसदी अंक लेकर 12वीं उत्तीर्ण होना जरूरी है। इसके बाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से आयोजित नीट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टैस्ट पास करना होता है। इस परीक्षा में 180 ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पूछे जाते हैं। ये प्रश्न बायोलॉजी, जूलॉजी, फिजिक्स और रसायनशास्त्र से होते हैं। इस परीक्षा में सफल होने के बाद ही उम्मीदवार को डेंटल कॉलेज में चार वर्षीय बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) में दाखिले का मौका मिलता है। यह कोर्स और प्रवेश परीक्षा डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त है। इसके अलावा राज्य स्तर पर भी परीक्षाओं के माध्यम से बीडीएस में प्रवेश पाया जा सकता है। डिग्री हासिल करने के बाद पांचवें वर्ष में एक साल की इंटर्नशिप होती है। यह कोर्स का अनिवार्य हिस्सा है। बीडीएस कोर्स करने के बाद स्पेशलाइजेशन और गहन चिकित्सा का ज्ञान हासिल करने के लिए एमडीएस में प्रवेश लेना होता है। मास्टर ऑफ डेंटल सर्जरी में भी दाखिला प्रवेश परीक्षा के जरिए दिया जाता है। एमडीएस में स्पेशलाइजेशन विभिन्न तरह का है। इसमें इंडोडोंटिक्स, ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी, ओरल सर्जरी, ऑथरेडोंटिक्स, पेडोडोंटिक्स, पेरिडोंटिक्स एवं प्रोस्थोडोंटिक्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं। फीस कितनी
सरकारी डेंटल कॉलेजों में बीडीएस कोर्स करने की फीस करीब एक लाख रुपये है। निजी कॉलेजों में चार साल की फीस 10 लाख से ऊपर है। एमडीएस कोर्स की फीस भी सरकारी कॉलेजों में काफी कम है, लेकिन निजी कॉलेजों में विभिन्न स्पेशलाइज्ड विभागों की अलग-अलग है। यह 25 लाख से ऊपर जाती है। स्कॉलरशिप
गरीब वर्ग के जो छात्र मेरिट में आते हैं, उनके लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्कॉलरशिप की व्यवस्था है। आरक्षित वर्ग के छात्रों को फीस में रियायत भी दी जाती है, लेकिन निजी कॉलेजों में ऐसी व्यवस्था नहीं है। अवसर
आज पूरे देश में निजी अस्पतालों का जाल बिछ रहा है। इनमें बेहतर पैकेज और सुविधा के साथ दंत चिकित्सों को नियुक्त किया जा रहा है। इसी तरह निजी नर्सिग होम और सरकारी डिस्पेंसरियों में भी दंत चिकित्सकों को नियुक्त किया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों के अलावा रेलवे, रक्षा क्षेत्रों द्वारा संचालित अस्पतालों में डेंटिस्ट की नियुक्तियां होती हैं। टूथपेस्ट बनाने और मसूड़ों की देखरेख करने वाली कंपनियां अपने यहां ऐसे लोगों को बतौर विशेषज्ञ नियुक्त कर रही हैं। इसके अलावा वे स्वरोजगार के तौर पर निजी क्लीनिक भी खोल सकते हैं। आज देश में निजी और सरकारी कॉलेजों में बीडीएस और एमडीएस की पढ़ाई जगह-जगह हो रही है। दंत चिकित्सा में उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद ऐसे कॉलेजों में अध्यापन कार्य से भी जुड़ सकते हैं। दंत चिकित्सा को लेकर यहां रिसर्च का भी कार्य कर सकते हैं। वेतनमान
एक दंत चिकित्सक का शुरुआती वेतनमान सरकारी अस्पताल में 50 हजार रुपये से ऊपर है। जैसे-जैसे अनुभव में इजाफा होता जाता है, वेतनमान में बढ़ोतरी होती जाती है। सीनियर डॉक्टर के रूप में वेतनमान डेढ़ लाख से ऊपर है। इसी तरह निजी कॉलेजों में कमाई क्लीनिक के चलने पर है। यह लाख रुपये से दस लाख रुपये तक हो सकती है, पर इसमें खासी मेहनत और पहचान की जरूरत पड़ती है। विशेषज्ञ की राय
सुंदर व्यक्तित्व के निर्माण में दंत चिकित्सक की भूमिका अहम

समाज में आज स्वास्थ्य और सुंदरता को लेकर जागरूकता बढ़ी है। सुंदर व्यक्तित्व के निर्माण में दांतों की भी अहम भूमिका है। सुंदर और चमकीले दांतों को लेकर आज युवाओं में खासा क्रेज है। वे दांतों को सुंदर बनाने के लिए तरह-तरह के इलाज करा रहे हैं। दूसरी बात यह कि दांतों से शरीर में कई बीमारियां फैलती हैं। ये धीरे-धीरे पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। इस लिहाज से दंत चिकित्सकों की जरूरत बढ़ रही है। देश की बड़ी आबादी के बीच आज दंत चिकित्सकों की जितनी मांग है, उतनी उपलब्धता नहीं है। ऐसे में इससे जुड़े चिकित्सक तैयार किए जा रहे हैं। पहले इस कोर्स की पढ़ाई गिने-चुने सरकारी कॉलेजों में ही होती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज विभिन्न राज्यों में कई निजी कॉलेज इसकी पढ़ाई के लिए सामने आए हैं। जो छात्र दंत चिकित्सक बन कर समाज में पहचान बनाना चाहते हैं, पैसा कमाना चाहते हैं, उनके लिए यहां ढेरों अवसर हैं। सरकारी नौकरी में एक तय वेतनमान के अंदर दंत चिकित्सक को काम करना होता है, लेकिन निजी क्लिनिक खोलने और प्रैक्टिस करने पर इसमें कमाई की खूब संभावनाएं हैं। दांतों में आई खराबी दूर करवाने के लिए युवा विशेष जागरूक हो गए हैं। उनकी इस जरूरत को पूरी करके आज नगरों और महानगरों में दंत चिकित्सक अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं।            
-डां सुबोध कुमार मेडिकल कॉलेज मौलाना आजाद डेंटल कॉलेज, नई दिल्ली
maids.ac.in फैकल्टी ऑफ डेंटिस्ट्री, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय
jmi.ac.in ईएसआईसी डेंटल कॉलेज, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली
ipu.ac.in आर्मी कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस, सिकंदराबाद
acdc.co.in डेंटल कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
amu.ac.in डॉ. आर. अहमद डेंटल कॉलेज, कोलकाता

एक संपूर्ण पुरुष की लीला

कृष्ण सम्पूर्ण पुरुष थे। उनके चेहरे पर मुसकान और आनंद की छाप बराबर बनी रही और खराब से खराब हालत में भी उनकी आंखें मुस्कराती रहीं। चाहे दु:ख कि
तना ही बड़ा क्यों न हो, कोई भी ईमानदार आदमी वयस्क होने के बाद अपने पूरे जीवन में एक या दो बार से अधिक नहीं रोता। राम अपने पूरे वयस्क जीवन में दो या शायद केवल एक बार रोए। राम और कृष्ण के देश में ऐसे लोगों की भरमार है, जिनकी आंखों में बराबर आंसू डबडबाए रहते हैं और अज्ञानी लोग उन्हें बहुत भावुक आदमी मान बैठते हैं। एक हद तक इसमें कृष्ण का दोष है। वे कभी नहीं रोए। लेकिन लाखों को आज तक रुलाते रहे हैं। जब वे जिन्दा थे, वृन्दावन की गोपियां इतनी दु:खी थीं कि आज तक गत गाए जाते हैं :
निसि दिन बरसत नैन हमारे
कंचुकि पट सूखन नहिं कबहूं उर बिच बहत पनारे।
उनके रुदन में कामना की ललक भी झलकती है, लेकिन साथ ही साथ इतना सम्पूर्ण आत्मसमर्पण है कि ‘स्व’ का कोई अस्तित्व नहीं रह गया हो। कृष्ण एक महान प्रेमी थे, जिन्हें अद्भुत आत्मसमर्पण मिलता रहा और आज तक लाखों स्त्री-पुरुष और स्त्री वेष में पुरुष, जो अपने प्रेमी को रिझाने के लिए स्त्रियों जैसा व्यवहार करते हैं, उनके नाम पर आंसू बहाते हैं और उनमें लीन होते हैं। जन्म से मृत्यु तक कृष्ण असाधारण, असंभव और अपूर्व थे। उनका जन्म अपने मामा की कैद में हुआ, जहां उनके माता व पिता, जो एक मुखिया थे, बन्द थे। उनसे पहले जन्मे भाई और बहन, पैदा होते ही मार डाले गए थे।

एक झोली में छिपा कर वे कैद से बाहर ले जाए गए। उन्हें जमुना के पार ले जाकर सुरक्षित स्थान में रखना था। गहराई ने गहराई को खींचा, जमुना बढ़ी और जैसे-जैसे उनके पिता ने झोली ऊपर उठाई, जमुना बढ़ती गई, जब तक कि कृष्ण ने अपने चरणकमल से नदी को छू नहीं लिया। कई दशकों के बाद उन्होंने अपना काम पूरा किया। उनके सभी परिचित मित्र या तो मारे गए या बिखर गए। कुछ हिमालय और स्वर्ग की ओर महाप्रयाण कर चुके थे। उनके कुनबे की औरतें डाकुओं द्वारा भगाई जा रही थीं। कृष्ण द्वारिका का रास्ता अकेले तय कर रहे थे। विश्रम करने वह थोड़ी देर के लिए, एक पेड़ की छांह में रुके। एक शिकारी ने उनके पैर को हिरन का शरीर समझकर बाण चलाया और कृष्ण का अंत हो गया। उन्होंने उस क्षण क्या किया? क्या उन्होंने अपना हाथ बांसुरी पर अंतिम दैवी आलाप छेड़ा? या मुस्कान के साथ हाथ में बांसुरी लेकर ही संतुष्ट रहे? उनके दिमाग में क्या-क्या विचार आए? जीवन के खेल जो बड़े सुखमय, यद्यपि केवल लीला-मात्र थे, या स्वर्ग से देवताओं की पुकार, जो अपने विष्णु के बिना अभाव महसूस कर रहे थे?

उन्होंने महाभारत के समय में एक ऐसे आदमी से आधा झूठ बुलवाया, जो अपने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला था। उन्होंने सूर्य को छिपा कर नकली सूर्यास्त किया ताकि उस गोधूलि में एक बड़ा शत्रु मारा जा सके। उसके बाद फिर सूरज निकला। वीर भीष्म पितामह के सामने उन्होंने नपुंसक शिखंडी को खड़ा कर दिया ताकि वे बाण न चला सकें, और खुद सुरक्षित आड़ में रहे। उन्होंने अपने मित्र की मदद स्वयं अपनी बहन को भगाने में की। लड़ाई के समय पाप और अनुचित काम के सिलसिले में कर्ण का रथ एक उदाहरण है। निश्चय ही कर्ण अपने समय में सेनाओं के बीच सबसे उदार आदमी थे, शायद युद्ध-कौशल में भी सबसे निपुण था, और अकेले अर्जुन को परास्त कर देता। उसका रथ युद्धक्षेत्र में फंस गया। कृष्ण ने अर्जुन से बाण चलाने को कहा। कर्ण ने अनुचित व्यवहार की शिकायत की। इस समय महाभारत में एक अपूर्व वक्तृता हुई जिसका कहीं कोई जोड़ नहीं, न पहले न बाद में। कृष्ण ने कई घटनाओं की याद दिलाई और हर घटना के कवितामय वर्णन के अंत में पूछा ‘तब तुम्हारा विवेक कहां था?’ विवेक की इस धारा में कम से कम उस दौरान में विवेक और आलोचना का दिमाग मंद पड़ जाता है। द्रौपदी का स्मरण हो आता है कि दुर्योधन के भरे दरबार में कैसे उनकी साड़ी उतारने की कोशिश की गई। वहां कर्ण बैठे थे और भीष्म भी, लेकिन उन्होंने दुर्योधन का नमक खाया था।

यह कहा जाता है कि कुछ हद तक तो नमक खाने का असर जरूर होता है और नमक का हक अदा करने की जरूरत होती है। कृष्ण ने साड़ी का छोर अनन्त बना दिया, क्योंकि द्रौपदी ने उन्हें याद किया। उनके रिश्ते में कोमलता है, यद्यपि उसका वर्णन नहीं मिलता है। कृष्ण के भक्त उनके हर काम के दूसरे पहले पेश करके सफाई देने की कोशिश करते हैं। उन्होंने मक्खन की चोरी अपने मित्रों में बांटने के लिए किया, उन्होंने चोरी अपनी मां को पहले तो खिझाने और फिर रिझाने के लिए किया। उन्होंने अपने लिए कुछ भी नहीं किया, या माना भी जाए तो केवल इस हद तक कि जिनके लिए उन्होंने सब कुछ किया वे उनके अंश भी थे। उन्होंने राधा को चुराया, न तो अपने लिए और न राधा की खुशी के लिए, बल्कि इसलिए कि हर पीढ़ी की अनगिनत महिलाएं अपनी सीमाएं और बंधन तोड़ कर विश्व से रिश्ता जोड़ सकें। इस तरह की हर सफाई गैर-जरूरी है। दुनिया के महानतम गीत भगवद्गीता के रचयिता कृष्ण को कौन नहीं जानता? दुनिया में हिन्दुस्तान एक अकेला देश है, जहां दर्शन को संगीत के माध्यम से पेश किया गया है, जहां विचार बिना कहानी या कविता के रूप में परिवर्तित हुए गाए गए हैं।

भारत के ऋषियों के अनुभव उपनिषदों में गाए गए हैं। कृष्ण ने उन्हें और शुद्ध-रूप में निथारा। यद्वपि बाद के विद्वानों ने एक और दूसरे निथार के बीच विभेद करने की कितनी ही कोशिश की है। कृष्ण ने अपना विचार गीता के माध्यम से ध्वनित किया। उन्होंने आत्मा के गीत गाए। आत्मा को मानने वाले भी उनके शब्द चमत्कार में बह जाते हैं जब वह आत्मा का अनश्वर जल और समीर की पहुंच से बाहर तथा शरीर का बदले जाने वाले परिधान के रूप में वर्णन करते हैं। उन्होंने कर्म के गीत गाए और मनुष्य को, फल की अपेक्षा किए बिना और उसका माध्यम या कारण बने बिना, निर्लिप्तता से कर्म में जुटे रहने के लिए कहा। उन्होंने समत्वम्, सुख और दु:ख, जीत या हार, गर्मी या सर्दी, लाभ या हानि और जीवन के अन्य उद्वेलन के बीच स्थिर रहने के गीत गाए।

हिन्दुस्तान की भाषाएं एक शब्द ‘समत्वम्’ के कारण बेजोड़ हैं, जिससे समता की भौतिक परिस्थितियों और आंतरिक समता दोनों का बोध होता है। इच्छा होती है कि कृष्ण ने इसका विस्तार से बयान किया होता। ये एक सिक्के के दो पहलू हैं- समता समाज में लागू हो और समता व्यक्ति का गुण हो, जो अनेक में एक देख सके। भारत का कौन बच्चा विचार और संगीत की जादुई धुन में नहीं पला है। उनका औचित्य स्थापित करने की कोशिश करना उनके पूरे लालन-पालन की असलियत से इंकार करना है। एक मानी में कृष्ण आदमी को उदास करते हैं। उनकी हालत विचारे हृदय की तरह है जो बिना थके अपने लिए नहीं बल्कि निरंतर दूसरे अंगों के लिए धड़कता रहता है। हृदय क्यों धड़के या दूसरे अंगों की आवश्यकता पर क्यों मजबूती या साहस पैदा करे? कृष्ण हृदय की तरह थे, लेकिन उन्होंने आगे आने वाली हर संतान में अपनी तरह होने की इच्छा पैदा की है।