Monday 30 September 2013

दिल्ली की रैली में मोदी ने किया 10 जनपथ पर वार, बोले- शहजादे हैं PM के नए बॉस


गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी दिल्ली में जमकर दहाड़े. रोहिणी के जापानी पार्क में रविवार को आयोजित बीजेपी की महारैली में मोदी ने मंच पर आते ही केंद्र और दिल्ली सरकार पर जबरदस्त हमला बोला. उन्होंने कहा, 'दिल्ली आज सरकारों के बोझ के नीचे दब गई है. अकेले दिल्ली में कई सरकारें हैं. एक मां की सरकार है, एक बेटे की नई सरकार है, एक दामाद की सरकार है. शीला दीक्षित सबसे सुखी मुख्यमंत्री हैं और वह सिर्फ रिबन काटने का काम करती हैं.' पीएम मनमोहन सिंह पर तीखा कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि 'प्रधानमंत्री सरदार हैं पर असरदार नहीं'.
सुनिये नरेंद्र मोदी का पूरा भाषण...
चायवाला वर्सेज शहजादा

नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में बीजेपी के सिस्टम की भी तारीफ की. मोदी ने कहा कि बीजेपी ने एक चाय बेचने वाले को प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी पद तक पहुंचा दिया, जबकि कांग्रेस में वंशवाद की संस्कृति है.
मोदी ने कहा, 'मैंने नाथ बनने का सपने कभी नहीं देखा. मैं सेवक हूं. सेवा करता आया हूं और आगे भी सेवा करता रहूंगा.
शीला सरकार पर बरसे मोदी
रैलीस्थल पर मोदी-मोदी के नारों के बीच बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार और फायरब्रांड नेता ने वंदे मातरम कहकर अपना भाषण शुरू किया. दिल्ली सरकार को खरी-खरी सुनाते हुए उन्होंने कहा कि सीएम शीला दीक्षित का कोई दायित्व नहीं है. तंज कसते हुए मोदी ने कहा- रेप की घटनाओं पर वह कहती हैं कि 'मैं भी मां हूं, हर बेटी का दर्द समझती हूं. और मां के नाते बेटियों से कहती हूं शाम होते ही घर लौट आएं'.
नरेंद्र मोदी की ताजपोशी के बाद रेवाड़ी में पहली रैली की तस्वीरें
CWG घोटालों पर भी साधा निशाना
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोदी ने दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राजधानी में 2010 में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में हुए घोटाले ने देश के भाग्य पर ताला लगा दिया है. इस घोटाले ने देश की इज्जत लूट ली है. देश पर भ्रष्टाचार का खौफनाक खतरा मंडरा रहा है और दिल्ली सरकार को पैसा लेकर काम करने की आदत पड़ गई है. यहां की सरकार को पूरी तरह लकवा मार चुका है.'
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यूपीए सरकार पर हमला
मोदी अपने भाषण में यूपीए सरकार के प्रति हमेशा की तरह आक्रामक नजर आए. सरकार पर गरजते हुए उन्होंने कहा, 'केंद्र की सरकार को भ्रष्टाचार की लत लग चुकी है. आए दिन सुप्रीम कोर्ट उसे फटकार लगाती है. देश सुराज के लिए तरस रहा है और कांग्रेस को कुशासन की आदत लग चुकी है.'
बतौर पीएम उम्मीदवार दिल्ली में अपनी पहली रैली में मोदी ने कहा, ‘दस साल से देश यूपीए को झेल रहा है. दिल्ली में हमने डर्टी टीम के कारनामे देखे हैं. देश को ड्रीम टीम चाहिए न कि डर्टी टीम.’
गांधी परिवार पर भी बरसे
मोदी ने गांधी परिवार की भी जबरदस्त खिंचाई की. उन्होंने कहा कि देश में लोकशाही पर परिवारवाद हावी है. परिवारशाही लोकशाही का अपनाम कर रही है. कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष ने पीएम की पगड़ी उछाल दी. ये देश संविधान के मुताबिक चलेगा या फिर शहजादे की इच्छानुसार. शहजादा पीएम का भी बॉस है.'
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मनमोहन सिंह पर निशाना
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि वह अमेरिका जाकर ओबाम के सामने गिड़गिड़ाते हैं. वह देश की गरीबी की मार्केटिंग कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार को डूब मरना चाहिए जिसने संसाधनों के बावजूद काम नहीं कराया.
मोदी ने मनमोहन सिंह की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ बातचीत पर कड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा, 'देश को शक है कि मनमोहन सिंह नवाज शरीफ से क्या बात करेंगे. नवाज ने हमारे देश के प्रधानमंत्री को देहाती औरत कहा. भारत का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता. हमारा देश अपने प्रधानमंत्री का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा. दुनिया के किसी देश को भारत का अपमान करने का हक नहीं है.
नरेंद्र मोदी: 'शून्‍य' से 'शिखर' तक का सफर..
'मोदी के भाषण के मुख्य अंशः
- हमारा एक ही मंत्र है, सबको साथ लेकर चलना है और सबका विकास करना है.
- कभी नहीं था शासक, न कभी शासक बनूंगा. सेवक था, सेवक हूं और सेवक रहूंगा. नाथ नहीं दास बनकर करूंगा आपकी सेवा.
- बीजेपी की संस्कृति महान, एक चाय बेचने वाले को को आप सबने मिलकर आज इस मुकाम पर पहुंचा दिया है.
- यूपीए सरकार का कोई विजन नहीं है, प्लानिंग कमीशन के पास भी कोई विजन नहीं.
- यूपीएस सरकार को 10 सालों से झेल रही है देश की जनता.
- देश को अब डर्टी टीम, नहीं ड्रीम टीम की जरूरत है. डर्टी टीम को हटाइए और ड्रीम टीम को लेकर आइए.
- देश शहजादे के इशारे पर नहीं चलेगा, संविधान से चलेगा.
- यूपीए की सत्ता में परिवारशाही लोकशाही पर हावी हो रही है. परिवारशाही कर रही है लोकशाही का अपमान.
- कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को नॉनसेंस कहकर पीएम की पगड़ी उछाल दी है.
- देश के प्रधानमंत्री और देश का इतना बड़ा अपमान नहीं हो सकता कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री उन्हें 'देहाती औरत' कहे. देश मनमोहन सिंह के अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा.
- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की औकात क्या है कि वो हमारे प्रधानमंत्री का अपमान कर सकें..
- ओबामा के सामने जाकर गिड़गिड़ाए हैं मनमोहन सिंह. देश की गरीबी की कर रहे हैं मार्केटिंग.
- नौजवानों का भविष्य कांग्रेस के हाथ में सुरक्षित नहीं. देश के नौजवानों को रोजगार चाहिए.
- देश तेज गति से पीछे की ओर जा रहा है. उसे विकास के पथ पर वापस लेकर आना है.
- देश की समस्या खत्म करेगा सुशासन. कांग्रेस को लगी है कुशासन की आदत. डायबिटीज जैसे होता है कुशासन.
- गांधी छाप नोट भरने में जुटी पूरी यूपीए सरकार. कांग्रेस सरकार 'टन' भर बटोर रही है नोट. गांधी की भक्ति में डूबी है कांग्रेस सरकार.
- दिल्ली सरकार को पैसा लेकर काम करने की आदत पड़ चुकी है. दिल्ली की सरकार को पूरी तरह लकवा मार चुका है.
नितिन गडकरी के भाषण के मुख्य अंश- लाचार बने हुए प्रधानमंत्री
- अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं, आतंकवादियों के खिलाफ है BJP
- मोदी के नेतृत्व से डरती है कांग्रेस पार्टी
- कांग्रेस के प्रचार का तरीका लोकतंत्र के खिलाफ
- दिल्ली बदलेंगे और भारत भी बदलेंगे

नवजोत सिंह सिद्धू के भाषण के मुख्य अंश
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मोदी देश को सोने की चिड़िया बनाना चाहते हैं, जबकि मनमोहन सिंह देश को सोनिया गांधी की चिड़िया बनाना चाहते हैं.
- 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनेगी.
- देश में अब बदलाव की जरूरत.

बेनजीर भुट्टो की आलीशान हवेली में होती हैं रंगीन पार्टियां


रॉकवुड हाउस
कभी यहां सियासत की बड़ी-बड़ी चर्चाएं होती थीं, लेकिन आज यहां सेक्‍स और रेव पार्टियों का आयोजन किया जाता है. हम बात कर रहे हैं पाकिस्‍तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की एक आलीशान हवेली की.साल 1995 में बेनजीर भुट्टो और उनके पति आसिफ अली जरदारी ने दक्षिण पूर्व इंग्‍लैंड की काउंटी सरी के विटले गांव में एक घर खरीदा था, जिसे रॉकवुड हाउस के नाम से जाना जाता है. 15 बेडरूम वाली इस शानदार हवेली में भुट्टो दुनिया भर के हुक्‍मरानों के साथ चाय पीते हुए गंभीर सियासी मसलों पर बातें किया करती थीं, लेकिन अब इस घर का रोल बदल चुका है. अब यह जगह सेक्‍स पार्टियों की खुफिया जगह बन गई है.
डेली मेल के मुताबिक, हवेली के टेनिस कोर्ट में नग्‍न होकर मैच खेले जाते हैं और यहां के तहखाने में मेहमान बिजनेस सूट या ईवनिंग ड्रेस के बजाए कामोत्तेजक क्रियाएं करते हुए मिल जाते हैं.
हालांकि भुट्टो परिवार ने यह हवेली 2004 में 4 मिलियन पाउंड में बेच दी थी. लेकिन रॉकवुड हाउस में होने वाली इन गतिविधियों का खुलासा अब जाकर हुआ है. हवेली का मालिक अब इसे बेचना चाहता है. वेबसाइट पर दिए गए विज्ञापन में इन सीक्रेट वीकेंड इवेंट्स का खुलासा हुआ है.
भुट्टो के हवेली बेचने के बाद इसके नए मालिक ने इसे सेक्‍स पार्टियों के लिए किराए पर बेचना शुरू कर दिया. इन पार्टियों में हर हफ्ते के अंत में जोड़े 450 पाउंड की फीस चुकाकर एंट्री ले सकते हैं.
यहां अभी हाल ही में इवेंट कंपनी 'लिटिल लायसन्‍स' ने अगस्‍त में 'मिनी फेस्टिवल ऑफ सिन' के नाम से एक पार्टी आयोजित की थी, जिसमें नेकेड टेनिस, सेक्स इन पूल, नॉटी वॉक्स, बोन फायर के पास ओपन एयर सेक्स, हॉट टब सेक्स और फोरेस्ट सेक्स शामिल थे.
नाम ना जाहिर करने की शर्त में हवेली के किराएदार ने बताया, 'यह किसी तरह का वेन्‍यू नहीं है. यह एक प्राइवेट घर है, जहां मैं खुले विचारों के लोगों के लिए अकसर ही पार्टियां आयोजित करता रहता हूं.'
उन्‍होंने कहा, 'मैं जो पार्टियां आयोजित करता हूं उनमें से ज्‍यादा म्‍यूजिकल या चैरिटी इवेंट होते हैं. हां, यहां मैंने कुछ सेक्शुअल पार्टियां भी आयोजित की थीं, लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि लोगों को इसमें दिक्कत क्या है. यहां जो कुछ भी होता है कानून के दायरे में रहकर ही किया जाता है और प्रशासन को इससे कोई परेशानी नहीं है. शर्म को सेक्‍शुएलिटी से जोड़कर क्‍यों देखा जाता है? ये हैप्पी इवेंट्स हैं, वैसी वाहियात पार्टियां नहीं, जो दुनिया भर में आयोजित की जाती हैं.'

30 साल बाद मिले बचपन के बिछड़े भाई-बहन


रॉबर्ट विलियमसन और सिंडे मुरे
अमेरिका में एक दूसरे से बिछड़े भाई-बहन का 30 साल बाद आखिरकार मिलन हो ही गया. आपको बता दें कि दोनों एक ही राज्‍य की नेवी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन इस बात से अनजान थे कि वे बचन के बिछड़े हुए भाई-बहन हैं.कमांडर सिंडे मुरे और उनके भाई चीफ एविएशन ऑर्डनेंसमैन रॉबर्ट विलियमसन 1970 में तब बिछड़ गए थे जब उनके माता-पिता ने अलग होने का फैसला ले लिया.
मूल रूप से डेनवेर के रहने वाले दोनों भाई-बहनों की परवरिश अलग-अलग हुई. लेकिन 30 साल बाद जब वे मिले तो उन्‍हें पता चला कि वे दोनों कैलिफोर्निया की नेवी के के लिए काम कर रहे थे.

दरअसल, शुक्रवार को सैन डियागो में नेवी के एक मेडिकल सेंटर में उनका मिलन हो गया. विलियमसन केवल 6 साल के थे जब उन्‍होंने आखिरी बार अपनी बहन को देखा था. जब उनके माता-पिता अलग हुए तो विलियमसन अपने पिता के साथ चले गए, जबकि 14 साल की मुरे अपनी मां के साथ रहने लगीं.
दोनों ने एक-दूसरे को ढूंढने की बहुत केाशिश की, लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली. दो महीने पहले मुरे ने अपने पिता को फोन किया तो उन्‍हें पता चला कि उनका भाई नेवी में चीफ है.

मुरे ने अपने भाई का नाम नेवी अधिकारियों को दिया और 15 मिनट के अंदर दोनों की फोन पर बात हो गई. इसके बाद वे अकसर ही एक-दूसरे से बात करने लगे और आखिरकार शुक्रवार को उनकी मुलाकात भी हो गई.

चारा घोटाला केस में लालू समेत 45 आरोपी दोषी करार, 3 से 7 साल की हो सकती है सजा


लालू प्रसाद यादव
रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र और 43 अन्य लोगों को चारा घोटाला मामले में सोमवार को दोषी करार दिया है. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने सभी 45 आरोपियों को दोषी साबित किया है. सजा का ऐलान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए तीन अक्टूबर को किया जाएगा. उधर, लालू के बेटे तेजस्‍वी ने कहा, 'ये हमारे नेता के खिलाफ साजिश है. हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे. विरोधियों को चुनाव में जवाब देंगे, जनता की अदालत में जाएंगे.
फैसले के तुरंत बाद लालू को कोर्ट में ही हिरासत में ले लिया गया. उन्‍हें बिरसा मुंडा जेल ले जाया गया है. जब वे कोर्ट से बाहर निकले तो लालू के साथ उनका बेटा तेजस्‍वी भी था और वे चारों ओर से अपने समर्थकों से घिरे हुए थे. जज प्रभाष कुमार सिंह के आदेश के बावजूद उनके समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की. आपको बता दें कि जज ने साफ तौर पर कहा था कि नारेबाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी क्‍योंकि ऐसा करना कोर्ट की कार्यवाही में बाधा डालना है.
दोषी करार दिए जाने के बाद उनकी सुरक्षा भी हट गई है.
लालू समेत अन्य दोषियों को कितनी सजा होगी, इस पर मंगलवार को कोर्ट में बहस होगी और 3 अक्टूबर को सजा का ऐलान कर दिया जाएगा. लालू को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सजा सुनाई जाएगी. जैसे ही उन्हें सजा मिलेगी, तभी उनकी संसद सदस्यता खत्म हो जाएगी.
इस फैसले से लालू का राजनीतिक सफर पर विराम लग गया है. क्योंकि अब वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उनकी संसद सदस्यता खत्म हो सकती है. उन पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 437 ए और 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया था. भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत भी लालू पर केस दर्ज किया गया था.
तस्‍वीरों में देखें लालू यादव का सियासी सफर
950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले के इस मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने अपना फैसला 17 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 44 अन्य आरोपियों के भी भाग्य का फैसला हो गया है.
इससे पूर्व लालू प्रसाद अपने कुल देवताओं और बाबाओं का आशीर्वाद लेते हुए फैसला सुनने के लिए अपने लाव लश्कर के साथ रविवार शाम पटना से विमान के जरिए रांची पहुंचे. उनका छोटा बेटा तेजस्वी उनके साथ था. लालू फैसले को लेकर तनाव के चलते रविवार शाम से सोमवार सुबह तक पूरी तरह शांत दिखाई दिए.
पूजा बदल देगी लालू के ग्रहों की दशा?
चारा घोटाले में कुल 64 केस, जिसमें से 5 लालू पर
1996 में सामने आए चारा घोटाले के कुल 64 केस में से लालू यादव पर 5 केस चल रहे हैं. इनमें से 4 केस की सुनवाई रांची की सीबीआई अदालत में ही चल रही है. फरवरी 2002 से शरू हुए केस के ट्रायल में 19 अक्टूबर 2012 से अंतिम बहस शुरू हुई. इस साल 17 सितंबर को दोनों तरफ की बहस पूरी हो गई. सीबीआई के विशेष जज पी के सिंह ने फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर की तारीख मुकर्रर की थी.
लालू का 'टोटका'
बिहार की राजनीति में लालू यादवबिहार पर 15 साल तक शासन करने के बाद लालू आज एक हारे हुए सेनापति की तरह जरूर हैं लेकिन बिहार की जमीन जिस राजनीति को पैदा करती है, लालू आज भी उसके लिए अहम खाद हैं.
सत्ता के समीकरण और वोट बैंक पॉलिटिक्स में लालू आज भी बहुत अहम हैं. भले ही बिहार की कुर्सी उनसे छिन गई हो पर वोट प्रतिशत की बात करें तो लगता है कि अब भी वो जनता की पसंद हैं.
जाहिर है अगर लालू चारा घोटाले के केस में दोषी करार हो गए तो विरोधियों के लिए खासकर नीतीश कुमार के लिए जैसे बैठे-बिठाए हाथों में लड्डू मिल जाने जैसा हो जाएगा.
पिछले दिनों जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन टूटा है, साफ हो गया है कि लालू को तो इसका फायदा मिलेगा ही. ऐसे में चारा घोटाले का फैसला लालू के वोट बैंक की सियासत को भी असर कर सकता है. विरोधी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएंगे और लालू जेल में रहकर उसका जवाब भी नहीं दे पाएंगे.
बीजेपी ने तो अभी से हल्लाबोल दिया है और दागी नेताओं को बचानेवाले अध्यादेश के बहाने कांग्रेस पर भी कीचड़ उछाला है. बड़ी बात तो ये है कि आज के फैसले के बाद भले ही लालू राजनीति ना कर पाएं लेकिन उन्हें लेकर राजनीति फिर भी चलती रहेगी.

विश्व चैम्पियनशिप में अधिकारिक समर्थन की कमी : मुक्केबाजी कोच

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एक रजत और दो कांस्य पदक निलंबित देश के लिए कोई कम उपलब्धि नहीं है लेकिन भारत के जूनियर और युवा महिला टीम कोच आई वी राव ने आज कहा कि हाल में समाप्त हुई विश्व चैम्पियनशिप में अगर देश से कुछ अधिकारी मौजूद होते तो इसमें पदकों की संख्या और अधिक हो सकती थी।
    
बुल्गारिया के अलबेना से लौटी भारतीय टीम ने जूनियर स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था और युवा टूर्नामेंट में रजत और कांस्य पदक प्राप्त किया। रजत 17 वर्षीय निखात जरीन (54 किग्रा) ने प्राप्त किया। कांस्य सिमरनजीत कौर (60 किग्रा, युवा) और आशा रोका (48 किग्रा, जूनियर) ने हासिल किया।
    
राव ने कहा कि ज्यादातर करीबी फैसले उनके मुक्केबाजों के खिलाफ रहे और उन्हें लगता है कि पिछले साल भारत पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के कारण इतना कुछ हुआ।
    
राव ने यहां कि हमें कोई अधिकारिक सहयोग नहीं मिला। हमें भाग लेने की अनुमति मिल गयी थी लेकिन जहां भी हमें लगता कि अगर फैसला हमारे खिलाफ गया तब भी हम कभी भी शिकायत या विरोध दर्ज नहीं कर सकते थे।
    
उन्होंने कहा कि अगर करीबी फैसले हमारे पक्ष में गए होते तो हम आसानी से दो या तीन पदक और जीत सकते थे। हालांकि कुछ विपक्षी टीमें जैसे रूस बाउट के बाद हमारे पास आये और हमसे कहा कि कुछ फैसले हमारे लिए काफी कड़े रहे।
    
राव ने कहा कि प्रतिस्पर्धा काफी कठिन भी थी और नई 10 अंक की स्कोरिंग प्रणाली में मुक्केबाजों को सांमजास्य बिठाने में थोड़ा और समय लगेगा।
    
उन्होंने कहा कि इसमें 33 देशों के करीब 300 मुक्केबाज थे, टूर्नामेंट काफी कठिन था। स्कोरिंग प्रणाली भी अलग थी क्योंकि यह एक तरह से तकनीकी मदद बिना की स्कोरिंग थी और सिर्फ मुक्का जड़ना ही काफी नहीं था। जज मुक्केबाजों की तेजी, आक्रामकता, रिंग में चपलता का आकलन करते।

अब 'हीरो' हुआ पुराना, बॉलीवुड में 'विलेन' का है ज़माना

अब 'हीरो' हुआ पुराना, बॉलीवुड में 'विलेन' का है ज़मानामुंबई। बॉलीवुड के सुपरस्टार्स को अब विलेन बनने का नया शौक लग गया हैं। तभी तो बॉलीवुड के बड़े सुपरस्टार हीरो के बाद विलेन का तमगा हासिल करना चाहते हैं। अक्षय कुमार की हालिया रिलीज़ फिल्म 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा' में डायलाग था 'हीरो मरनें के बाद स्वर्ग जाता है और विलेन जीते जी स्वर्ग में रहता हैं|'

शायद इसी की राह पर चलते हुए बॉलीवुड के बड़े सुपर स्टार आमिर खान, अक्षय कुमार और विवेक ओबेरॉय हीरो के किरदार को निभाने के बजाय विलेन का किरदार निभाने मे दिलचस्पी रखते हैं। खास बात ये है कि दर्शक भी हीरो टू विलेन के उनके इस अंदाज को बेहद पसंद कर रहें हैं।

सुपरविलेन वर्सेज सुपरविलेन

इस वर्ष की सबसे बड़ी फ़िल्मे हैं 'कृष 3' और 'धूम 3', दर्शक इन दोनों फिल्मों का बहुत ही बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। फिल्म विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों ही फिल्मों में जबर्दस्त टक्कर होने वाली हैं।

कृष सीरीज कि 'कृष 3' में विवेक ओबरॉय एक खलनायक 'काल' की भूमिका में नजर आयेंगे। फिल्म के प्रोमों से ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि अगर ऋतिक फिल्म में सुपरहीरो हैं तो विवेक सुपरविलेन। यह विलेन उन सारी सुपरपॉवर से लैस है जिन से वह अपने दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकता हैं। सिर्फ विवेक ही नहीं बल्कि बॉलीवुड के मिस्टर पेरफेक्टिनिस्ट आमिर खान भी धूम सीरीज की तीसरी फिल्म 'धूम 3' में एक सुपरविलेन की भूमिका में नजर आयेंगे। इससे पहले जॉन अब्राहम और ऋतिक रोशन धूम में विलेन के रूप में आ चुके हैं।

सुपर स्टार भी बनेंगे विलेन:

आमिर खान और अक्षय बॉलीवुड बॉलीवुड के बड़े सुपर स्टार्स में शुमार हैं लेकिन अब इन स्टार्स को विलेन का किरदार निभाने में कोई परहेज नहीं हैं। मसलन अब तक हमने बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार को विलेन की धुलाई करते हुए परदे पर देखा था पर अब वह खुद ही विलेन के किरदार को निभाने से नहीं हिचकते हैं, अभी उनकी हालिया रिलीज़ फिल्म 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा' में वह मुंबई के सबसे बड़े डॉन शोएब के रोल में नजर आये थे। 'चेन्नई एक्सप्रेस' के मुकाबले कम स्क्रीन मिलने के बावजूद भी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक कमाई कर ली थी। वहीँ,आमिर खान की 'धूम 3' को लेकर भी दर्शकों में खासा क्रेज हैं। 'धूम 3' में आमिर का फर्स्ट लुक जारी होते ही हिट हो गया| तो टीज़र और ट्रेलर को भी दर्शकों ने बेहद पसंद किया है। फिल्म में सुपरस्टार आमिर सुपरविलेन के रोल में हैं तो हीरो के किरदार में होने के वावजूद भी अभिषेक उनके सामने कही नहीं टिकते।

लुटेरे से लेकर गुंडे तक:

फिल्म 'लुटेरा' में रणवीर सिंह ने एक लुटेरे की भूमिका निभाई थी। यह एक ऐसा लुटेरा था जो खुद को आर्कियोलोजिस्ट बताकर जमींदारों के घर में सेंध लगाता, फिर वहां से कीमती सामान चुराकर चम्पत हो जाता। फिल्म में भले रणवीर निगेटिव किरदार में थे लेकिन क्रिटिक्स और आम दर्शकों ने उनके इस किरदार को बेहद पसंद किया। फिल्म लुटेरा की सफलता से प्रभावित होकर रणवीर सिंह अब जल्द ही अब्बास जफ़र की फिल्म में एक गुंडे की भूमिका में नजर आएंगे। इस फिल्म में रणवीर सिंह के अलावा अर्जुन कपूर भी गुंडे की भूमिका में नजर आएंगे| अर्जुन कपूर इससे पहले औरंगजेब में निगेटिव किरदार निभा चुके हैं।

नवाबी छोड़ बने विलेन:

सैफ अली खान भी अपनी आगामी फिल्म 'बुलेट राजा' में विलेन की भूमिका में नजर आएंगे। गौरतलब है कि सैफ अली खान की गिनती खान तिकड़ी के बाद चौथे खान के रूप में होती है लेकिन फैन्स की डिमांड के चलते अब छोटे नवाब भी विलेन बनने से परहेज नहीं कर रहें हैं।

सब की मंशा, मोदी हों पीएम

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पटना सिटी: केंद्र में काबिज सरकार व समर्थन देनेवाली पार्टियों को मुंह तोड़ जवाब देने का वक्त आ गया है. इसे जड़ से ही उखाड़ फेंकना होगा. देश की जनता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है. उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ को देख विरोधियों के मन में भय व्याप्त है. रविवार को पटना साहिब भाजपा व्यवसायी सम्मेलन में यह बात पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कही. उन्होंने कहा कि पटना साहिब जनसंघ व भाजपा का गढ़ रहा है.

एनडीए का गंठबंधन टूटने के बाद दूसरी जगहों पर बिहार की चर्चा विकास के लिए नहीं, बल्कि सरकार की तानाशाही के लिए हो रही है. मंगल तालाब स्थित रामदेव महतो सामुदायिक भवन में संपन्न सम्मेलन के तहत पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने व्यापारियों की एकजुटता, हुंकार रैली व व्यापारी वर्ग की समस्याओं पर चर्चा की. सभा को संबोधित करते हुए प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा कि वाणिज्य कर अधिकारी सरकार के निर्देश पर सिटी के व्यापारियों को डरा रहे हैं.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडे ने 27 अक्तूबर को होनेवाली हुकांर रैली में शामिल होने का आह्वान किया. सभा को विधान पार्षद सत्येंद्र नारायण कुशवाहा, पूर्व विधान पार्षद गंगा प्रसाद, पूर्व मंत्री सुनील कुमार पिंटू समेत अन्य ने संबोधित किया. वहीं, जदयू व राजद छोड़ कर भाजपा में शामिल लोगों का स्वागत किया.
ये थे मौजूद
सम्मेलन की अध्यक्षता देव किशन राठी, संचालन आलोक साह व संजीव कुमार यादव ने की. इस मौके पर पूर्व मंत्री रामनारायण मंडल, संजीव चौरसिया, उप महापौर रूप नारायण मेहता, शिशिर कुमार, प्रदीप सिंह, अमित कानोडिया, ललित अग्रवाल, किरण शंकर, सुजीत कुमार, संजीव बिन्नी, विनय अग्रहरि पप्पू, मनोज केसरी, बबलू लोहानी, मनोज यादव, सरोज गुप्ता उर्फ राजू, मनोज गुप्ता, अवधेश सिन्हा, राजेश साह, प्रभाकर मिश्र, विश्वनाथ भगत, नारायण राठी, अजीत चंद्रवंशी, सुरेश रुंगटा, जीतेंद्र कुमार, पूर्व पार्षद लल्लू शर्मा, विनय केसरी, अविनाश पटेल, नंदकिशोर मुन्ना, जगत किशोर प्रसाद समेत अन्य भाजपा के कार्यकर्ता उपस्थित थे. इधर सम्मेलन में व्यापारिक मंडी गुलजारबाग, मीना बाजार, महाराजगंज, मारूफगंज और मंसूरगंज समेत अन्य मंडियों से जुलूस की शक्ल में व्यापारियों का जत्था पहुंचा था.

ईरान में गोद ली हुई बेटी से शादी कर सकेंगे उनके पिता

सांकेतिक तस्वीर ईरान की संसद ने मानवता, स्त्री अधिकारों और बच्चों के अधिकारों के मुंह पर तमाचा
मारते हुए एक बिल पास किया है, जिसके मुताबिक कोई भी पुरुष अपनी गोद ली हुई बेटी से शादी कर सकता है.
इसके लिए बस एक ही कानूनी पेच है कि इस गोद ली हुई बेटी की उम्र 13 साल से कम नहीं होनी चाहिए. ईरान की संसद का दावा है कि इस क्रांतिकारी फैसले के बाद बच्चों के अधिकारों की रक्षा हो सकेगी.
संसद के इस फैसले के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आशंका जताई है कि बच्चों का उत्पीड़न और बढ़ेगा क्योंकि परिवार के मुखिया पुरुष को कोर्ट में बस यह साबित करना होगा कि अपनी गोद ली हुई बेटी से वह उसकी ही भलाई के लिए शादी कर रहा है.
घिनौने कानूनों के तहत हो रहा ईरानी बच्चियों का शोषण
13 साल की उम्र की लड़की यह भी तय करने की स्थिति में नहीं होती कि वह जिंदगी में कौन सी राह पकड़ना चाहती है. बड़े होकर क्या बनना चाहती है. इस वक्त तक उसके शरीर का विकास भी ठीक से शुरू नहीं हो पाता है. मगर ईरान में यह वह उम्र है, जब उसकी कानूनी ढंग से शादी की जा सकती है. लड़कों के मामले में यह उम्र 15 साल है. इतना ही नहीं ईरान में 13 साल से कम उम्र की बच्ची की भी शादी की जा सकती है. इसके लिए उसके माता-पिता को बस एक जज के सामने याचिका दाखिल कर कारण बताते हुए अनुमति लेनी होती है.ईरान की एक न्यूज वेबसाइट की मानें तो साल 2010 में ही 10 से 14 साल की उम्र के 42 हजार बच्चों की शादी की गई.
ईरान का तर्क, हिजाब से मुक्ति दिलाने को लिया यह फैसला
बच्चों के अधिकारों की रक्षा के नाम पर पास किए गए इस बिल को अभी ईरान की गार्डियन काउंसिल से पारित होना है. इसके बाद यह कानून बन जाएगा. इस काउंसिल में मुस्लिम धर्मगुरु कानून के धार्मिक पहलू पर विचार करते हैं. इस बिल का विरोध करते हुए लंदन स्थित ग्रुप जस्टिस फॉर ईरान की कार्यकर्ता सादी सद्र ने कहा कि यह सीधे तौर पर बच्चों के यौन शोषण और रेप का मामला है. इंग्लैंड के अखबार द गार्जियन से बात करते हुए सादी ने कहा कि अभी तक का कोई भी कानून किसी पुरुष को अपनी गोद ली हुई बेटी से शादी की इजाजत नहीं देता था. नए बिल में इसकी गुंजाइश दी गई है.उन्होंने कहा कि ईरान की संस्कृति अपने ही बच्चों से शादी की इजाजत नहीं देती है.
उधर ईरान के अधिकारी यौन शोषण के पहलू की तरफ ध्यान भी नहीं दे रहे हैं. उनका मानना है कि इस बिल का मकसद गोद ली हुई बच्चियों को घर में हिजाब पहनने की बाध्यता से मुक्ति दिलाना है. दरअसल ईरान में यह कानून है कि गोद ली हुई बेटी को अपने पिता के सामने हिजाब पहनना होता है, जबकि गोद लिए हुए बेटे के सामने उसकी मां को हिजाब पहनना होता है, अगर बेटे की उम्र वयस्कों की श्रेणी वाली है.

फर्स्ट लुकः बुलेट राजा में सैफ का एक्शन


'बुलेट राजा' में सैफ का देसी अंदाज
सैफ अली खान की फिल्म 'बुलेट राजा' का ट्रेलर रिलीज हो गया है. फिल्म में छोटे नवाब जमकर एक्शन करते नजर आ रहे हैं. फिल्म में जरा उनके डायलॉग पर गौर फरमाएं, 'ब्राह्मण भूखा तो सुदामा. समझा तो चाणक्या और रूठा तो रावण.'  सैफ अली खान 'ओंकारा' के बाद एक बार फिर से पूरे देसी अंदाज में हैं: तालीमार डायलॉग, मोटरसाइकिल की गड़गड़ाहट और गोलियों की बौछार. फिल्म में उनके साथ विद्युत जामवाल, जिमी शेरगिल और सोनाक्षी सिन्हा भी हैं. तिग्मांशु की फिल्मों में नजर आने वाली माही गिल, 'बुलेट राजा' में भी जलवे बिखेर रही हैं.
खास यह कि फिल्म के लिए सैफ ने काफी मेहनत की है. उन्होंने लखनऊ की सड़कों को जिम में तब्दील कर दिया था.
 सैफ ने कहा, 'यह विजुअल मीडियम है. इसलिए अच्छा दिखना जरूरी है. 'बुलेट राजा' आज के दौर का कैरेक्टर है और जिस तरह वह बोलता है, जिस तरह के हालात से वह जूझता है, उसके लिए उसे शारीरिक रूप से थोड़ा टफ होने की जरूरत है. विजुअली उसे टफ दिखने की जरूर है.'

उनकी मेहनत रंग लाती नजर आ रही है. फिल्म को तिग्मांशु धूलिया ने डायरेक्ट किया है. फिल्म 29 नवंबर को रिलीज हो रही है.

मस्त , झक्कास और जबरदस्त है 'धूम 3' का नया पोस्टर

मस्त , झक्कास और जबरदस्त है 'धूम 3' का नया पोस्टरसाल की बहुप्रतिक्षित फिल्मों से एक है यशराज की 'धूम 3' जिसका पोस्टर रिलीज कर दिया गया है। फिल्म के पोस्टर में फिल्म के चारों मुख्य कलाकार साफ तौर पर दिखायी पड़ रहे हैं। फिल्म में पहली बार पर्दे पर विलेन के रूप में नजर आने वाले आमिर खान गोल टोपी में काफी कातिलाना अंदाज में दिखायी पड़ रहे हैं तो उनके बगल खड़ी बेहद ही कम कपड़ो में कैटरीना कैफ काफी ग्लैमरस अंदाज में नजर आ रही हैं। जबकि पोस्टर में जय दीक्षित यानी की अभिषेक बच्चन गुस्साये हुए लेकिन स्मार्ट दिख रहे हैं तो उदय चोपड़ा का अंदाज भी काफी लुभावना है, उन्हें देखकर ही हंसी आती है। फिल्म को लेकर लोगों ने तरह-तरह के कयास लगा रखे हैं लेकिन रिलीज से पहले इस फिल्म का पिछले दिनों एक सीक्रेट लीक हो गया है और वह यह है कि फिल्म 'धूम 3' में आमिर खान का डबल रोल है। जिसके बारे में सस्पेंस फिल्म के क्लाइमेक्स पर खुलेगा। आमिर का एक किरदार नायक का रोल प्ले करेगा और दूसरा रोल खलनायक का। आमिर खान ने कहा कि अपनी इस फिल्म के जरिये बस लोगों का दिल जीतना चाहता हूं। मेरे लिए फिल्म की कमाई नहीं बल्कि लोगों की प्रशंसा मायने रखती है। आमिर ने साफ किया कि वह अपनी फिल्म को सौ करोड़ की कमाई के हिसाब से नहीं बल्कि 100 करोड़ लोगों के दिलों में बसने के लिए बनाते हैं। देखते हैं कि आमिर खान की ख्वाहिश पूरी होती है कि नहीं। यशराज बैनर के तहत बनी यह फिल्म धूम 3, 20 नवंबर को पर्दे पर रिलीज हो रही थी। फिल्म में पहली बार आमिर खान के अपोजिट कैटरीना कैफ नजर आयेंगी जिसकी वजह से भी इस फिल्म के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ गयी है। फिल्म के निर्माता आदित्य चोपड़ा और निर्देशक विजय कृष्ण आचार्य है।

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मेरे काम से अब तक नाराज़ हैं मम्मी : सोहा

Image Loadingअभिनेत्री सोहा अली खान ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री हासिल करने के बाद अपनी मां अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की तरह अभिनय को अपना करियर चुना। लेकिन वह कहती हैं कि उनकी मां उनके पेशे के चुनाव से खुश नहीं हैं, शर्मिला चाहती थीं कि उनकी बेटी वकील बने।
सोहा ने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से परास्नातक की डिग्री भी हा सिल की है। उन्होंने 2004 में फिल्म ‘दिल मांगे मोर’ से हिंदी फिल्म जगत में कदम रखा। उनकी ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं लेकिन ‘रंग दे बसंती’ और ‘साहब, बीवी और गैंग्स्टर रिटर्न्स’ जैसी फिल्मों में उनके काम को सराहा गया। सोहा ने बताया कि मेरी मां अब तक मेरे काम से खुश नहीं हैं। यहां तक कि हर रविवार वह मुझे फोन करती हैं और कहती हैं कि तुम अब भी वकील बन सकती हो, ज्यादा देर नहीं हुई है। तुम्हें हार्वर्ड विश्वविद्यालय जाना चाहिए, तुमने इतनी पढ़ाई की और उसका उपयोग नहीं कर रही हो। सोहा ने कहा कि मुझे उन्हें समझाना पड़ता है कि मैं जो कर रही हूं, उसमें खुश हूं। लेकिन एक मां होने के नाते वह अपने बच्चों के लिए हमेशा परेशान रहती हैं। उन्हें इस बात की फिक्र है कि मैं अगले 10-20 सालों बाद क्या कर रही होउंगी। शर्मिला भले ही सोहा के करियर को लेकर बेहद सशंकित विचार रखती हों, लेकिन अभिनेता कुणाल खेमू के साथ उनके लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर बेफिक्र और आश्वस्त हैं। सोहा ने हिंदी फिल्मों से इतर ‘अंतरमहल’ और ‘इति श्रीकांता’ जैसी बांग्ला फिल्मों में भी काम किया है। वह कहती हैं कि लोग क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को पसंद करते हैं क्योंकि कहानी में ईमानदारी होती है। सोहा की फिल्म ‘वॉर छोड़ न यार’ 11 अक्टूबर को सिनेमाघरों में आ रही है, जिसमें उन्होंने अभिनेता शरमन जोशी और जावेद जाफरी के साथ काम किया है।

लता मंगेशकर और शाहरुख खान सहित कई लोगों ने की कपिल शर्मा को मदद की पेशकश

 
कपिल शर्मा
कपिल शर्मा
कॉमेडी शो के सेट पर आग लगने के कारण भारी नुकसान झेल रहे कपिल शर्मा को लता मंगेशकर और शाहरुख खान ने मदद की पेशकश की है. गोरेगांव फिल्म सिटी स्थित कॉमेडी शो ‘कॉमेडी नाइट्स विद कपिल’ के सेट पर हाल ही में आग लग गई थी. हालांकि हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ.
कलर्स चैनल पर आने वाले इस शो की मेजबानी कपिल खुद करते हैं. उनके शो पर अपनी फिल्मों के प्रोमोशन के लिए शाहरुख, रोहित शेट्टी, दीपिका पदुकोण, प्रियंका चोपड़ा, सुशांत सिंह राजपूत, परिणीती चोपड़ा, रितेश देशमुख, विवेक ओबरॉय, अनिल कपूर सहित कई अन्य अभिनेता और निर्देशक आते रहे हैं.
जानें- कौन हैं कपिल शर्मा
कपिल ने बताया, 'लता जी ने मुझे फोन किया था और पूछा कि मुझे किसी प्रकार की मदद की जरूरत है, धन की या किसी अन्य चीज की. उन्होंने पूछा कि मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकती हूं. उनका फोन आना बहुत बड़ी बात है.'
देखें- पहली बार मायूूस दिखे कपिल शर्मा
उन्होंने कहा, 'शाहरुख खान, रोहित शेट्टी और इंडस्ट्री के और भी कई लोगों ने मुझे फोन करके कहा कि हम तुम्हारे साथ हैं, बताओ कितने दिन में सेट खड़ा करना है. इंडस्ट्री एक परिवार की तरह है.' कपिल ने कहा कि अभी तक आग लगने के सही कारण का पता नहीं चल पाया है और अभी जांच चल रही है.
पढ़ें- कॉमेडियन कपिल शर्मा पर टैक्‍स चोरी का आरोप
उन्होंने कहा, 'हमें वास्तविक नुकसान के बारे में पता चल जाएगा. आंकड़े तो पुलिस की जांच के बाद ही सामने आएंगे.' उन्होंने घटना के पीछे किसी तरह की साजिश होने की अफवाहों को खारिज किया.

सेंसेक्‍स में 300 से भी ज्‍यादा अंकों की गिरावट, सोना भी फीका

भारतीय शेयर बाजारों में सोमवार को भारी गिरावट दर्ज की गई. बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 347.50 अंकों की गिरावट के साथ 1
9379.77 के स्‍तर पर बंद हुआ. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित सूचकांक निफ्टी भी 97.90 अंकों की गिरावट के साथ 5735.30 अंक पर बंद हुआ.
जानकारों ने पहले ही आशंका जताई थी कि भारतीय शेयर बाजारों में अभी कोई बड़ी तेजी नहीं देखी जाएगी. अमेरिका के केंद्रीय बैंक द्वारा अगले महीने की जाने वाली समीक्षा में राहत पैकेज में कटौती देखने को मिल सकती है. इस आशंका से अभी दुनिया भर के बाजारों में मंदी देखी जा रही है.
जानकारों का मानना है कि अगले साल मई में होने वाले लोकसभा चुनाव और भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में अनिश्चितिता को देखते हुए विदेशी संस्‍थागत निवेशक अभी भारतीय शेयर बाजारों में ज्‍यादा निवेश नहीं करने वाले.
जेट एयरवेट के शेयरों में आज तेजी देखी गई, वहीं रेल भाड़ा बढ़ने की वजह से सीमेंट कंपनियों के शेयरों में आज गिरावट रही.
जैसी की संभावना है अक्‍टूबर में आरबीआई बैंकों में तरलता कम करने के लिए उठाए गए कदमों में कुछ ढील दे सकता है. ऐसे में बैंकिंग सेक्‍टर के शेयर अगले कुछ महीनों के दौरान अच्‍छा रिटर्न दे सकते हैं.चूंकि शेयर बाजार में बड़ी तेजी आने की अभी कोई खास वजह नजर नहीं आ रही है फार्मा और निर्यात से जुड़े आईटी जैसे क्षेत्रों के शेयरों में खरीदारी अभी सेफ हो सकता है.
रुपया मजबूत
शुक्रवार को रुपये में मजबूती देखी गई. शाम 3:45 बजे रुपया एक डॉलर के मुकाबले 09 पैसा मजबूत होकर 62.59 के स्‍तर पर कारोबार कर रहा था. रुपये में सुधार की वजह जानकार सोने का आयात घटने से चालू खाता में सुधार होना बता रहे हैं. विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से भी रुपये में मजबूती देखी जा रही है.
सोना फीका
सोने की कीमतों में शुक्रवार को गिरावट देखी गई. वायदा बाजार में सोना शाम 3:45 बजे प्रति 10 ग्राम 147 रुपये की कमी के साथ 30579 रुपये पर कारोबार कर रहा था. जानकारों को मानना है कि सोने की कीमतों में अभी कोई बड़ी गिरावट नहीं आने वाली.

आसाराम 11 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में

आसाराम नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़न मामले में फंसे आसाराम की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी गई है. उन्हें 11 अक्टूबर तक जेल में रहना पड़ सकता है. जोधपुर जेल में बंद आसाराम को न्यायिक हिरासत खत्म होने पर कोर्ट में पेश किया गया था.
मंगलवार को आसाराम की जमानत अर्जी पर सुनवाई होनी है.
इसके अलावा आसाराम के छिंदवाड़ा आश्रम की वार्डन शिल्‍पी की भी रिमांड आज ही खत्‍म हो रही है. गौरतलब है कि शिल्पी ने 25 सितंबर को कोर्ट में जोधपुर की एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण किया था. मध्य प्रदेश में आसाराम के छिंदवाड़ा आश्रम की वॉर्डन शिल्पी ने कथित तौर पर एक नाबालिग लड़की को जोधपुर में आसाराम के पास भेजने के लिए साजिश रची थी. लड़की छिंदवाड़ा आश्रम की छात्रा थी.
शिल्पी ने 16 साल की लड़की के माता-पिता से कहा था कि उनकी बेटी बुरी आत्माओं के वश में है. उसने लड़की को मनई ‘आश्रम’ में भेजे जाने की व्यवस्था की जहां आसाराम ने अगस्त में कथित तौर पर लड़की का यौन उत्पीड़न किया.
इस मामले में आसाराम को 1 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. इसके कुछ दिनों बाद उनके सहयोगी शिवा को गिरफ्त में लिया गया. दो अन्य आरोपी- छिंदवाड़ा गुरूकुल छात्रावास के प्रभारी शरद चंद्र और रसोइया प्रकाश- ने 20 सितंबर को अदालत में आत्मसमर्पण किया था.

ऑस्टेलिया के खिलाफ वनडे टीम का ऐलान, युवराज सिंह की वापसी

क्रिकेटर युवराज सिंह
क्रिकेटर युवराज सिंह

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज के लिए 15 सदस्यीय टीम इंडिया का ऐलान कर दिया गया है. वेस्टइंडीज ए के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करने वाले युवराज सिंह की टीम में वापसी हुई है. आज चेन्नई में बीसीसीआई चयनकर्ताओं की बैठक हुई. इस दौरान एकमात्र टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच के अलावा पहले तीन वनडे मैचों के लिये टीम का चयन किया गया.
चैंपियंस ट्रॉफी और वेस्टइंडीज सीरीज में शानदार जीत हासिल करने वाली टीम इंडिया में ज्यादा बदलाव नहीं किया गया है. सिर्फ युवराज सिंह की टीम में वापसी हुई पर जहीर खान, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे सीनियर खिलाड़ी एक बार फिर चयनकर्ताओं पर छाप छोड़ने में नाकाम रहे.
चुनी हुई टीम इस प्रकार हैः महेंद्र सिंह धोनी, रोहित शर्मा, शिखर धवन, विराट कोहली, युवराज सिंह, सुरेश रैना, रवींद्र जडेजा, आर अश्विन, अमित मिश्रा, इशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार, आर विनय कुमार, जयदेव उनादकट, शमी अहमद और अंबाती रायडू.

चारा घोटाला मामला: पूरी कहानी, अब जानिए तारीखों की जुबानी

राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तथा जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र को आज बहुचर्चित चारा घोटाले से जुड़े सबसे बड़े मामले में दोषी करार दिया गया। 
    
यादव के खिलाफ चारा घोटाले में पांच मामले केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने दर्ज कराये थे। इनमें से यह पहला मामला आर.सी.20 ए 96 है, जिसमें यादव को दोषी करार दिया गया है। यादव के विरुद्ध चारा घोटाले में चार अन्य मामले आर.सी.38 ए 96, आर.सी.42 ए 96, आर.सी.47 ए 96 और आर.सी.64 ए 96 अदालत में लंबित है।
चारा घोटाले से ही जुड़े आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में भी सीबीआई ने यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी को आरोपी बनाया था, लेकिन इस मामले में निचली अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त कर दिया है।   सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को आज जेल ले जाया गया। लालू (65) को यहां की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल ले जाया गया।
  
मामले में आठ लोगों को आज ही तीन-तीन साल कैद की सजा सुना दी गई, जबकि लालू, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र तथा अन्य को अदालत 3 अक्टूबर को सजा सुनाएगी।
  
अदालत से बाहर आते हुए लालू शांत नजर आ रहे थे। उन्होंने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और अपनी कार से रांची के बाहरी इलाके में तथा राष्ट्रीय खेलगांव के नजदीक स्थित जेल चले गए।
  
प्रवास कुमार सिंह की अदालत ने लालू के अतिरिक्त मिश्र, छह राजनीतिज्ञों और चार आईएएस अधिकारियों सहित 44 अन्य को चाईबासा कोषागार से फर्जी तरीके से 37.7 करोड़ रुपये निकालने के मामले में दोषी ठहराया।
  
आज जिन आठ लोगों को सजा सुनाई गई, उनमें आईएएस अधिकारी क़े अरमुगम, पूर्व पशु पालन विभाग और श्रम मंत्री विद्या सागर निषाद तथा पूर्व विधायक ध्रुव भगत और पांच चारा आपूर्तिकर्ता शामिल हैं।
  
इसके पूर्व सफेद एंबेसडर कार से अदालत पहुंचे लालू सहज नजर आए और पार्टी समर्थकों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। जब न्यायाधीश ने उनके खिलाफ फैसला पढ़ना शुरू किया, तो लालू अदालत कक्ष में दूसरी पंक्ति में बैठे थे।

      
...चारा घोटाले की पूरी कहानी, तारीखों की जुबानी
     
27 जनवरी 1996: चाइबासा के तत्कालीन उपायुक्त अमित खरे ने पहली बार इसका रहस्योद्घाटन किया।
    
11 मार्च: पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई को चार माह के अन्दर पशुपालन घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया। 
    
19 मार्च: उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ को सीबीआई द्वारा घोटाले की जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया। सीबीआई की जांच शुरू हुई। 
   
छह जनवरी 1997: सीबीआई ने मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से पहली बार साढ़े छह घंटे तक पूछताछ की।
   
27 अप्रैल: सीबीआई के निदेशक जोगिन्दर सिंह ने लालू प्रसाद यादव समेत 56 लोगों के खिलाफ अभियोग पत्र दाखिल करने की घोषणा की।
   
10 मई: सीबीआई ने राज्यपाल ए आर किदवई से मुख्यमंत्री समेत 56 लोगों के खिलाफ अभियोग पत्र दाखिल करने की अनुमति मांगी।
  
17 जून: राज्यपाल ए आर किदवई ने सीबीआई को नियमित कांड संख्या 20 ए 96 में मुख्यमंत्री समेत 54 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की अनुमति दी।  23 जून: सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव समेत 56 लोगों के खिलाफ विशेष न्यायालय मे अभियोग पत्र दाखिल किया। 
   
24 जुलाई: पटना उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी। सीबीआई की विशेष  अदालत ने लालू प्रसाद यादव समेत 56 लोगों के विरुद्ध लगाये गये आरोपों को संज्ञेय मान लिया।
   
25 जुलाई: विशेष न्यायाधीश एस के लाल ने लालू प्रसाद यादव तथा अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी  किया। यादव ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी पत्नी राबडी देवी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लालू प्रसाद यादव ने पटना उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की। उच्चतम  न्यायालय ने 29 जुलाई तक उन्हें गिरफ्तार नही करने का अंतरिम आदेश दिया।
   
29 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव की विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।
   
30 जुलाई: लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया और उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया।
 
30 अगस्त: केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने राज्यपाल से लालू प्रसाद यादव समेत 34 लोगों के खिलाफ 64 ए 96 में आरोप पत्र दाखिल करने की अनुमति मांगी।
   
28 अक्टूबर: सीबीआई ने 64 ए 96 में राज्यपाल की अनुमति के बगैर 34 लोगों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। 
  
29 अक्टूबर: विशेष अदालत ने लालू प्रसाद यादव को 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दाखिल नहीं किये जाने के आधार पर 38 ए 96 और 42 ए 96 में जमानत दे दी।
  
28 नवम्बर: पटना उच्च न्यायालय ने यादव को 64 ए 96 में हिरासत में रखे जाने को अवैध ठहराया। 
  
11 दिसम्बर: राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के नियमित मामले 20 ए 96 में 134 दिनों तक जेल मे रहने के बाद रिहा हुये।
  
12 मई 1998: राज्यपाल एसएस भंडारी ने चारा घोटाले के षडयंत्र पक्ष से जुड़े नियमित मामले 64 ए 96 में लालू प्रसाद यादव समेत 34 लोगों के विरुद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी।
   
दो जुलाई: सीबीआई की विशेष अदालत ने आर सी 64 ए 96 में 34 लोगों के विरुद्ध लगाये गये आरोपों को संज्ञेय माना और लालू प्रसाद यादव को 27 जुलाई से पूर्व आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।
    
24 जुलाई: पटना उच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव समेत अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को बहाल रखा, लेकिन आत्मसमर्पण की अवधि को बढ़ाया।
   
19 अगस्त: सीबीआई ने यादव पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में 5 ए 98 प्राथमिकी दर्ज करायी।
  
21 अगस्त: सीबीआई ने मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास समेत उनके रिश्तेदारों के विभिन्न ठिकानों पर छापा मारा।
  
21 अक्टूबर: सीबीआई ने यादव से अपने कार्यालय में 5 ए 98 के सिलसिले में पूछताछ की। 28 अक्टूबर: लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत छह अभियुक्तों ने विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया और अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।    30 अक्टूबर: विशेष न्यायालय ने 64 ए 96 में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज की।   10 नवम्बर: पटना उच्च न्यायालय ने 64 ए 96 में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज की।   आठ जनवरी 1999: लालू प्रसाद यादव 73 दिनों के बाद जेल से रिहा हुये।   20 और 27 मई: बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से उनके पति और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के खिलाफ दायर आय से अधिक संपत्ति रखने के नियमित मामले 5 ए/98 में केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने उनके सरकारी आवास में पूछताछ की।
  
आठ अक्तूबर: केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने चारा घोटाले के नियमित मामले 38 ए 96 में राज्यपाल सूरज भान से अनुमति मांगी। तीन नवम्बर: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र तथा राज्य के तीन पूर्व मंत्रियों समेत अन्य लोगों के खिलाफ 38 ए/96 में राज्यपाल सूरज भान ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी। 
    
आठ मार्च 2000: केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने राज्यपाल विनोद चन्द्र पाण्डेय से 5 ए 98 में यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी।
  
11 मार्च: राज्यपाल ने ब्यूरो को यादव के विरुद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति दी। 
   
चार अप्रैल: सीबीआई ने 5 ए 98 में यादव और मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। विशेष अदालत ने आरोपों पर संज्ञान लेते हुए दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया।
     
पांच अप्रैल: यादव और राबड़ी देवी ने 5 ए 98 में सीबीआई की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया। न्यायाधीश ने यादव को जेल भेजा, जबकि राबड़ी देवी को जमानत पर रिहा किया।
     
11 मई: यादव को तीन माह के औपबंधिक जमानत पर केन्द्रीय आदर्श कारा बेउर से रिहा किया गया।
      
28 नवम्बर: आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के नियमित मामले 5 ए 98 में जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद ब्यूरो की विशेष अदालत ने न्यायिक हिरासत में केन्द्रीय आदर्श कारा बेऊर भेज दिया।
     
29 नवम्बर: यादव को जमानत पर रिहा किया गया।
     
28 मार्च 2001: पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत 179 लोगों के खिलाफ चारा घोटाले के नियमित मामले 47 ए 96 में मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को अनुमति दी।
     
आठ मई: केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने 47 ए 96 में ब्यूरो की विशेष अदालत में यादव समेत 110 अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया। इसी दिन न्यायाधीश ने इस आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए अभियुक्तों के विरुद्ध वारंट भी जारी कर दिया। 
     
12 मई: उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव और जनन्नाथ मिश्र समेत 70 अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए रांची की एक विशेष अदालत द्वारा जारी वारंट पर रोक लगायी।
      
पांच नवम्बर: उच्चतम न्यायालय ने यादव को रांची की विशेष अदालत में 26 नवम्बर तक आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। 26 नवम्बर: यादव ने रांची की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया। चौदह दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजे गये।
      
23 जनवरी 2002: यादव 59 दिनों के बाद जेल से रिहा हुए।
       
18 दिसम्बर 2006: आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामले 5 ए 98 में सीबीआई की विशेष अदालत ने यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी को आरोप मुक्त किया।
       
16 फरवरी: सीबीआई ने इस मामले में विशेष अदालत केफैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर नही की, तब बिहार सरकार ने इस फैसले के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में अपील दायर की।
       
20 मार्च 2008: पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार की अर्जी स्वीकार की और सुनवाई के योग्य बताया। इस फैसले के खिलाफ लालू प्रसाद यादव ने उच्चतम न्यायालय में अर्जी दायर की।
      
एक अप्रैल 2010: उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि बिहार सरकार को अपील दायर करने का अधिकार नही है। सीबीआई ने इस मामले में विशेष अदालत के फैसले को उपरी अदालत में चुनौती नही दी।
     
एक मार्च 2012: लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत 31 लोगों के खिलाफ आर सी 63 ए 96 में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोप गठित किया।  
     
13 अगस्त 2013: उच्चतम न्यायालय ने आर सी 20 ए 96 में सीबीआई के न्यायाधीश को बदलने की लालू प्रसाद यादव की अर्जी को नामंजूर किया।

Sunday 29 September 2013

लालू के भाग्य का फैसला सोमवार को होगा

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चारा घोटाले के एक मामले में यहां की एक अदालत सोमवार को अपना फैसला सुना एगी। इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद आरोपी हैं। संयुक्त बिहार में पशुपालन विभाग में हुए करोड़ों रुपये के चारा घोटाला मामले में आरोपी लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्रा बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इन दोनों के अलावा इस विभाग के मंत्री, दो आईएएस अधिकारी और अन्य कई लोग शामिल हैं। सभी पर झारखंड के चाइबासा जिले के कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी करने का आरोप है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के न्यायाधीश पीके सिंह घोटाले से संबंधित मामला संख्या आरसी 20 ए/96 में अपना फैसला सुनाएंगे। लालू प्रसाद के वकील ने 17 सितंबर को अपनी दलील पूरी की। यह फैसला लालू प्रसाद के लिए अहम है क्योंकि हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश के कारण मामले में दोषी ठहराए जाने पर उनकी संसद सदस्यता खतरे में पड़ जाएगी। सरकार ने ऐसे जनप्रतिनिधियों को अपील में जाने तक मिल रहे संरक्षण को शीर्ष अदालत द्वारा अवैध करार दिए जाने को निष्प्रभावी करने के लिए अध्यादेश लाया था, लेकिन इस पर विवाद मचने के बाद उसका अस्तित्व में आना संदिग्ध हो गया है। मामले में 56 लोग आरोपी बनाए गए थे। सुनवाई के दौरान सात आरोपियों की मौत हो गई, दो वायदा माफ गवाह बन गए और एक ने आरोप स्वीकार कर लिया और एक को आरोप मुक्त करार दिया गया। न्यायाधीश पीके सिंह ने फैसला सुनाने के लिए 15 जुलाई की तारीख तय की थी और मामले में बचे खुचे 45 आरोपियों को अदालत में हाजिर रहने के लिए कहा था। इस घोटाले में आरोपी बनने के बाद लालू प्रसाद को 1997 में मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। यह घोटाला 1996 में सामने आया था। घोटाले से संबंधित 61 में से 54 मामले वर्ष 2000 में पृथक राज्य के रूप में गठित होने के बाद झारखंड स्थानांतरित कर दिए गए। सीबीआई की विभिन्न अदालतें 43 मामलों में अपना फैसला सुना चुकी हैं। लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्र पांच मामलों में आरोपी हैं।

प्रेम वत्स बुरे वक्त में करते हैं रणनीतिक निवेश

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ब्लैकबेरी को खरीदने के लिए 4.7 अरब डॉलर की बोली लगाने के बाद सुर्खियों में आए भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक प्रेम वत्स की यह निवेश रणनीति है कि वह किसी उद्यम में तब निवेश कर ते हैं, जब उसका सितारा गर्दिश में चल रहा होता है।
हैदराबाद में जन्मे और कनाडा के वारेन बफेट कहलाने वाले 61 वर्षीय प्रेम वत्स की बीमा कंपनी फेयरफैक्स फाइनेंशियल ने ब्लैक बेरी को खरीदने के लिए प्रति शेयर लगभग नौ डॉलर की बोली लगाई है। सोमवार 23 सितंबर (अमेरिकी समय) को इस बोली की घोषणा होने के बाद कंपनी के शेयर कारोबारी सत्र समाप्त होते वक्त अमेरिकी शेयर बाजार नैसडैक में 1.09 फीसदी तेजी के साथ 8.82 डॉलर पर पहुंच गए थे। इससे पहले शुक्रवार को कंपनी के शेयरों में 17.06 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी और घोषणा के बाद मंगलवार से भी कंपनी के शेयरों में निरंतर गिरावट जारी है। मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ब्लैकबेरी में क्रमश: 3.29 फीसदी, 6.15 फीसदी और 0.69 फीसदी गिरावट देखी गई। गुरुवार को कंपनी के शेयर 7.95 डॉलर पर बंद हुए। 20 जुलाई 2007 को ब्लैकबेरी के शेयर 230.52 डॉलर पर कारोबार कर रहे थे। उसके बाद से इसके शेयरों में निरंतर गिरावट जारी है। ब्लैकबेरी अपनी समकक्ष कंपनियों से प्रतियोगिता में काफी पिछड़ चुकी है। शेयरों की चाल से ऐसा लगता है कि कंपनी को खरीदने के लिए प्रेम वत्स की प्रतियोगिता में कोई सामने नहीं आया है और इससे यह समझा जा सकता है कि ब्लैकबेरी निवेशकों के लिए कोई आकर्षक सौदा नहीं है, लेकिन हैदराबाद में जन्मे और कनाडा के धनकुबेर बन बैठे प्रेम वत्स की यही निवेश रणनीति है। वह हमेशा किसी उद्यम में ऐसे वक्त में निवेश करते हैं, जब उसका सबसे बुरा वक्त चल रहा होता है। टोरंटो की कंपनी फेयरफैक्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी वत्स ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से 1971 में केमिकल इंजीनियरिंग में प्रशिक्षण पूरा किया था और एमबीए की डिग्री लेने 1972 में कनाडा चले आए थे। उन्होंने वेस्टर्न ओंटारियो विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री ली। उन्होंने कनफेडरेशन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में 1974 से 1983 तक कनफेडरेशन लाइफ इनवेस्टमेंट काउंसेल के उपाध्यक्ष के रूप में काम किया। उन्होंने 1984 में हैंबलिन वत्स इनवेस्टमेंट काउंसेल लिमिटेड की स्थापना की, जो अब फेयरफैस की अधिनस्थ कंपनी है। वत्स ने 1987 में मार्केल फाइनेंशियल होल्डिंग्स लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया और इसे फेयरफैक्स का नया नाम दिया। प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी वेबसाइट 'वर्ज' के मुताबिक, 'वत्स का हालांकि बुरे दौर में निवेश करने का इतिहास है, फिर भी उन्होंने कभी इस स्तर का सौदा नहीं किया है और कभी ऐसा सौदा नहीं किया है, जिसके बाद उनकी कंपनी इतनी बड़ी संचालन भूमिका में आ जाएगी। वत्स हालांकि पहले से ब्लैकबेरी में करीब 10 फीसदी के हिस्सेदार थे और 2012 के शुरू में वह ब्लैकबेरी के बोर्ड में भी शामिल थे, लेकिन कंपनी को खरीदने का विचार आने पर हितों के टकराव के आरोप से बचने के लिए उन्होंने अगस्त के मध्य में बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। वर्ज के मुताबिक ब्लैकबेरी को बुरे दौर से बाहर लाने के लिए वत्स को बड़े कदम उठाने होंगे। संभवत: कंपनी का एक बड़ा हिस्सा बेचना पड़े और शायद उपभोक्ता फोन कारोबार को पूरी तरह से बंद करना पड़े।

MOVIE REVIEW : फटा पोस्टर निकला हीरो

फटा पोस्टर निकला हीरो कहानी है विश्वास (शाहिद कपूर) की। विश्वास छोटे शहर में बड़ा हुआ है और उसके सपने बड़े हैं। विश्वास हीरो बनना चाहता है, लेकिन उसकी मां सावित्री (पद्मिनी कोल्हापुरे) चाहती है कि उसका बेटा पुलिस ऑफिसर बने। विश्वास को पुलिस फोर्स में भर्ती होने के लिए मुंबई जाना पड़ता है। वह खुश हो जाता है कि इंटरव्यू की आड़ में वह हीरो बनने का सपना भी पूरा कर लेगा। फिल्मों के लिए कहानी लिखने वाले एक स्ट्रगलर जोगी (संजय मिश्र) की मदद से विश्वास को एक फिल्म में छोटा-सा रोल भी मिल जाता है।

इसके पहले कि विश्वास का सपना पूरा हो, काजल (इलियाना डी’क्रूज) उसकी जिंदगी में आ जाती है। काजल के कारण विश्वास का सपना तो पूरा नहीं हो पाता, लेकिन वह अपने आपको ऐसे गैंगस्टर के गैंग में पाता है, जो मुंबई को बरबाद कर देना चाहता है। अनचाहे ही विश्वास राव  को लोग पुलिस इंस्पेक्टर समझना शुरू कर देते हैं। विश्वास किसी भी तरह से हीरो बनना चाहता है और इसके लिए उसे मजबूरी में कई झूठ भी बोलने पड़ते हैं। और इसी के चलते फिल्म कॉमेडी से सीरियस मोड में चली जाती है। कई हिस्सों में फिल्म में बेवजह ज्यादा नाटकीयता भरी गयी है। फिल्म में कई ऐसे सीन हैं, जो अस्सी के दशक की फिल्मों में अकसर देखने को मिलते थे, जैसे कि बच्चाे के बचपन में ही बाप का गुम हो जाना और अचानक उसकी जवानी में बहुत बड़ा डॉन बनकर वापस आ जाना।

‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ फिल्म को लेकर शाहिद को अपने करियर में सहारा मिलने की आस है, जिसके लिए उन्होंने जी-तोड़ मेहनत भी की है और उनकी एक्टिंग और कॉमेडी ही है, जो फिल्म के इंटरवल से पहले आपको हंसाएगी। शाहिद ने अपने रोल के साथ पूरी मेहनत की है, जो पर्दे पर यकीनन आपको दिखायी देगी। मां के नाम पर बदतमीजी से  कॉमेडी से अचानक सीरियस रोल में घुसना आपको तालियां बजाने पर मजबूर कर सकता है।

वहीं ‘बर्फी’ के बाद दूसरी फिल्म कर रहीं इलियाना डी’क्रूज एक्टिंग  के स्तर पर कोई खास प्रभाव नहीं डाल पायी हैं। अगर आपने ‘बर्फी’ देखी है तो इलियाना से कुछ उम्मीदें भी हो सकती हैं, लेकिन कॉमेडी रोल में इलियाना इस फिल्म में कहीं से भी फिट नहीं बैठी हैं। वैसे  तो उनके लिए फिल्म में कुछ करने को नहीं था, लेकिन जहां चांस मिला भी, वहां वह ओवर एक्टिंग करती दिखायी दे रही हैं। फिल्म के एकाध गानों में इलियाना को बतौर ग्लैमर गर्ल देखकर हो सकता है उनके दीवानों को थोड़ा अच्छा लगे। वैसे फिल्म में आइटम नंबर करने वाली नरगिस फाखरी का डांस आपके लिए रिफ्रेशमेंट का काम करेगा, तो वहीं फिल्म में गेस्ट भूमिका में सलमान खान का आना भी रोचक है।

काफी वक्त बाद बड़े पर्दे पर नजर आ रहीं पद्मिनी कोल्हापुरे मां का किरदार निभाने में कड़ी मशक्कत करती नजर आती हैं। फिर भी कहीं-कहीं फिल्म के कॉमेडी सीन में उनकी डायलॉग डिलीवरी हंसाती है। गीत-संगीत के मामले में भी फिल्म का  एक गाना ‘तू मेरे अगल-बगल है..’ आपको हॉल से निकलने के बाद भी याद रहेगा। इस गाने में शाहिद ने‘डांस इंडिया डांस’ के कई बेहतरीन डांसरों को भी पीछे छोड़ दिया है। फिल्म से शाहिद को उम्मीदें है, तो यह फिल्म उनके चाहने वालों को भी निराश नहीं करेगी, लेकिन अगर फुल टाइम एंज्वाय करने का मन है तो ये फिल्म आपको निराश कर सकती है।

निर्देशक राजकुमार संतोषी जो ‘अंदाज अपना-अपना’ और ‘अजब प्रेम की गजब कहानी’ जैसी बेहतरीन कॉमेडी फिल्में दर्शकों के सामने ला चुके हैं, वो इस फिल्म के इंटरवल के बाद शायद भूल गए कि वो कॉमेडी फिल्म बना रहे हैं और रह-रहकर अनायास बीच-बीच में कॉमेडी का तड़का लगाने की असफल कोशिश की है। महज राजकुमार संतोषी के नाम पर फिल्म देखने वालों को ये उनके औसत से कम दर्जे
की लगेगी।

यूं तो फिल्म के आखिर में शाहिद यह कह कर  कि ‘मैंने इस फिल्म में सब कुछ कर लिया, सच्च बेटा बन गया, बाप से फाइटिंग कर ली, रोमांस कर लिया, गैंग को पकड़वा दिया, तो अब मैं पोस्टर हीरो नहीं बनना चाहता, क्योंकि अब मैं रीयल लाइफ हीरो बन गया हूं’ फिल्म को बैलेंस बताने कि कोशिश करते नजर आते हैं। कॉमेडी जगत के मशहूर सितारे संजय मिश्र ने छोटे रोल में भी अच्छी कॉमेडी और एक्टिंग की है।
अगर आप टाइम पास मूवी देखना चाहते हैं तो ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ देखने जा सकते हैं, नहीं तो बाहर आकर यही कहेंगे कि खोदा पहाड़ और निकली..


सितारे : शाहिद कपूर, इलियाना डी’क्रूज, पद्मिनी कोल्हापुरे, दर्शन जरीवाला, नरगिस फाखरी (आइटम नंबर), निर्देशक : राजकुमार संतोषी, निर्माता : रमेश एस. तौरानी, संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती

MOVIE REVIEW : दी लंचबॉक्स

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कुछ फिल्में ऐसी होती हैं, जिन्हें बस देखते रहो। बार-बार देखो। कहीं से भी, किसी भी हिस्से से देख लो, अच्छी ही लगती हैं। निर्देशक रितेश बत्र की फिल्म ‘दि लंचबॉक्स’ भी उन्हीं में से एक है। दिल करता है कि ये फिल्म कभी खत्म ही न हो। फिल्म के दो मुख्य पात्र साजन फर्नाडीस (इरफान खान) और इला (निमरत कौर) के बीच अनदेखा-अनजाना सा रोमांस बस यूं ही चलता रहे। इला, फर्नाडीस को गलती से यूं ही लजीज खाना बना-बनाकर भेजती रहे और फर्नाडीस उस लजीज खाने को पसंद करते हुए भी अपनी रूखी-सूखी प्रतिक्रियाएं देता रहे।

साजन और इला का एक लाइन वाले कागज के पन्नों पर चिट्ठियों की शक्ल में पनपा ये रोमांस किसी लजीज पकवान की तरह बेहद धीमी आंच पर पका लगता है। इस रोमांस में गिले-शिकवे और रूठने-मनाने के मसाले तो हैं, लेकिन ऐसे नहीं जो जुबान पर हमला करें। न तीखे मसालों जैसे संवाद हैं और न ही आंखों में पानी ला देने वाला धुंआ छोड़ता तेज तड़का। फिर भी ये रोमांस महज पौने दो घंटे की फिल्म में बांधे रखता है। डर लगता है कि अगर आप कहीं उठकर गये तो कोई आपकी मनपसंद डिश पर झपट्टा न मारे ले।

यह कहानी है एक बच्चे की मां इला और रिटायर हो रहे एक विधुर साजन फर्नाडीस की। इला अच्छी-खासी दिखती है। घर के कामकाज में उलझी रहती है, तो बनने-संवरने का समय नहीं मिलता। शाम को पति जब घर आता है तो वो बन संवर जाती है। फिर भी पति महाशय की नजर उस पर नहीं पड़ती। एक दिन इला के पति का लंचबॉक्स गलती से फर्नाडीस के पास पहुंच जाता है। रेडियो से नई-नई  रेसिपी बनाकर अपने पति का मूड बदलने की कोशिश कर रही इला की जिंदगी बस यहीं से यू-टर्न ले लेती है।
वैसे इन रेसिपीज में उसकी एक आंटी के अनुभव का छौंक न लगे तब तक मजा नहीं आता। ये एक दिलचस्प संयोग है कि एक दूसरे छोर से आंटी की केवल आवाज आती है, वो कभी दिखाई नहीं देती। खैर, उधर गलती से पहुंचे लंचबॉक्स से मिस्टर फर्नाडीस की पौने बारह हो गयी है। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि उन्हें इतना स्वादिष्ट खाना भी नसीब हो सकता है। अब किसकी गलती से किसके पास ये लंचबॉक्स पहुंचा, ये परदे पर देखने वाली चीज है। लेकिन जल्द ही इस बात का खुलासा भी हो जाता है कि ये सब इला और फर्नाडीस की मर्जी से हो रहा है। लंचबॉक्स के जरिये इला फर्नाडीस को मिलने वाली चिट्ठियों पर ब्रेक लगाती है और एक दिन फर्नाडीस से मिलने का प्रोग्राम बनाती है। फर्नाडीस साहब भी शेव वगैरह करके पूरी तैयारी के साथ ऑफिस जाते हैं, लेकिन  इससे आगे कुछ भी कहना इस फिल्म के साथ बेमानी होगी। बाकी आप परदे पर देखें। हां, इला और फर्नाडीस के इस रोमांस के बीच शेख (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) नामक सलाद भी है, जो कभी-कभी  लंचबॉक्स के साथ आता-जाता रहता है।

खान-पान के पारखी लिखते रहे हैं कि किसी भी स्वादिष्ट व्यंजन का पहला काम है अपनी लुक से खाने वाले का दिल जीतना। वो काम इस फिल्म में बखूबी दिखता है। जी हां, पर्दे पर जो भी खाना लंचबॉक्स में पैक किया गया है, उसे देख मुंह में पानी आ जाता है और ये कमाल है उस फूड स्टाइलिस्ट का, जिसने पूरी फिल्म में लंचबॉक्स को स्वादिष्ट व्यंजनों से सजाया है। रितेश बत्र का निर्देशन बेहद सधा हुआ है और इरफान एवं नवाजुद्दीन जैसे अनुभवी कलाकारों संग निमरत कौर जैसी नई तारिका के साथ उन्होंने परंपरागत ढांचे से निकल रोमांस का जो खाका बुना है, वो काबिलेतारीफ है। ऐसी कहानियां लोग कम पचा पाते हैं, जिसमें दो मुख्य पात्रों के बीच रोमांस तो है, लेकिन वो कभी एक दूजे से मिल नहीं पाए। जिन लोगों ने बहुत दिनों से कोई नई डिश नहीं चखी है, वो इस लंचबॉक्स का लुत्फ जरूर उठाएं। सितारे : इरफान खान, निमरत कौर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, लिलिट दुबे
निर्देशक, लेखक-पटकथा : रितेश बत्र
निर्माता : गुनीत मोंगा, अनुराग कश्यप, अरुण रंगाचारी
बैनर : यूटीवी मोशन पिक्चर्स, धर्मा प्रोडक्शंस़, डार मोश पिक्चर्स, सिख्या एंटरटेनमेंट

FILM REVIEW : वॉर्निंग

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एक अच्छी कोशिश दर्शकों के लिए कुछ नया बनाने की, लेकिन परिणाम में असफल। जी हां, अगर आप इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्म वॉर्निंग देखने जा रहे हैं तो उसका लब्बो-लुआब यही निकलेगा। फिल्म का निर्माण थ्रिलर श्रेणी में हुआ है। आपको इसके पोस्टर से भी कुछ ऐसा ही एहसास होगा । लेकिन थ्रिलर फिल्म का टारगेट करके फिल्म देखने जा रहे हैं तो सिनेमाहॉल में मायूसी हाथ लग सकती है। यूं तो इस फिल्म की महत्ता भारतीय सिने जगत के लिए अहमियत रखती है। दरअसल फिल्म बॉलीवुड के लिए इस मायने में खास है क्योंकि यह भारत की पहली अंडर वॉटर थ्री डी फिल्म है।

फिल्म की शुरूआत पांच दोस्तों के स्कूल पूरा करने के बाद की पार्टी से होती है। जिसमें सभी आपसी रजामंदी से पांच साल बाद मिलने की बात तय करते हैं। सभी इन पांच सालों में अपने अलग-अलग करियर को चुन लेते हैं। और जब पांच साल बाद वो सभी एक वॉटर एडवेंचर टूर के लिए फिजी में मिलते हैं तभी से शुरू होती है फिल्म की असली कहानी। पांचों दोस्तों में से एक तरन (संतोष बारमोला) ने सबको अपने साथ एक याट पर चलने के लिए राजी कर लिया। इस टूर में साबरी (मंजरी फड़नीस) अपने पति और छोटी बच्ची के साथ याट पर सवार होती है तो वहीं तरन अपनी विदेशी गर्लफ्रेंड के साथ। तरन और साबरी स्कूल टाइम में एक-दूसरे को चाहते थे लेकिन किन्हीं कारणों से साबरी ने शादी कर ली। जिसको लेकर तरन खुश नहीं दिखता। याट को बीच समुद्र में रोककर सभी एक-एककर पानी में स्विमिंग के लिए उतरते हैं लेकिन अनचाहे ही तरन नीचे उतरते हुए याट की सीढ़ी वाली बटन पर हाथ रख देता है जिससे कि पानी से याट पर जाने के रास्ते बंद हो जाते हैं।

जब उन सबको एहसास होता है कि वो अचानक ही एक कभी न खत्म होने वाली मुसीबत में फंस गए हैं तो उन सबमें आपस में ही झगड़ा शुरू हो जाता है। इन्हीं सब के बीच पानी में एक हलचल से सब हिल जाते हैं। तरन की गर्लफ्रेंड (सुजाना) को लगता है कि उसे कुछ छूकर पानी के अंदर गया है। तरन पानी के अंदर जाकर देखता है तो पता चलता है कि एक शॉर्क मछली है जो उन लोगों के इर्द-गिर्द मंडरा रही है। लेकिन वो पानी से बाहर आकर किसी को इस बात की जानकारी नहीं देता कि यहां शॉर्क मछली है। साबरी और दीपक (जितिन गुलाटी)  की छोटी बच्ची याट पर ही है जिसके रोने कि आवाज उन लोगों को परेशान कर देती है और किसी अनहोनी कि आशंका सबके चेहरों पर साफ झलकती है। याट पर चढ़ने में बार-बार मिल रही असफलता उन सबके बीच में छोटी-छोटी बात पर लड़ाई की वजह बनती है। इसी बीच सुजाना कि अचानक ही पानी में मौत हो जाती है। इसी सबके बीच एक आशा कि किरण बन कर आयी दूसरी याट भी उन सबको पार करके निकल जाती है। और इस संघर्ष में ग्रुप के सबसे कॉमेडी मैन को भी हिम्मत हार कर जान गंवानी पड़ी।

तरन की कोशिश से साबरी और उसका पति याट पर चढ़ने में कामयाब हो जाते हैं लेकिन तरन को शॉर्क अपना शिकार बना लेती है। फिल्म में लगभग सभी किरदार नए हैं और इन सभी का चयन ऑडिशन के जरिए किया गया है। लेकिन सिर्फ मंजरी फड़नीस हैं जिनकी एक्टिंग इस थ्रिलिंग मूवी के हिसाब से थोड़ी ठीक-ठाक लगती है। लेकिन हाल ही में आयी सुपरहिट फिल्म ग्रैंड मस्ती कि सफलता के बाद इस फिल्म से उनकी उम्मीद हवा हो सकती है। बाकी के सभी युवा कलाकारों कि एक्टिंग फिल्म से पहले अपनी तैयारी में कमी साफ झलकती है। डायरेक्टर गुरमीत सिंह अभी ऐसी कहानी पर फिल्म बनाने में कमजोर नजर आते हैं जिसमें टेक्नोलॉजी कि महत्ता बाकी चीजों के मुकाबले ज्यादा हो। शार्क मछली का आना और कलाकारों का घबराना कहीं से भी थ्रिलर मूवी का अहसास नहीं कराता न ही घनघोर बारिश में फंसे याट और उसके लोगों का डरना। वहीं जो बात फिल्म से निकलने के बाद लोगों को एक बार सोचने के लिए बाध्य करेगी वह यह कि याट पर चढ़ने में असफल होने तैर कर समुद्र पार करने के लिए गए सुमित सूरी और मधुरिमा तुली का क्या हुआ?

वास्तव और रा.वन जैसी फिल्मों के निर्माता अनुभव सिन्हा का इस फिल्म का आइडिया कहीं से भी सफल होता नहीं लग रहा। जिसकी सबसे बड़ी कमजोरी है थ्रिलर फिल्म के फिल्मांकन से थ्रिलिंग का अहसास। संगीत के नाम पर जेम्स और अदिति पॉल ने बेबसी गाने को शाहिद के साथ बहुत ही बेहतरीन अंदाज में गाया है। जो फिल्म की थीम को बहुत ही स्पस्ट रूप से दर्शकों के सामने रखने में कारगर है। मीका और सोनू निगम के गाए गाने और उनके बोल भी आपके कानों को सुकून पहुंचाएंगे। तो इस वीकेंड अगर आप कुछ नहीं कर रहे हैं और फिल्म बनाने कि एक अच्छी कोशिश देखने कि इच्छा हिलोरें मार रही हो तो ‘वार्निंग’ फिल्म बेशक देखने जा सकते हैं।

सितारे: संतोष बरमोला, सुजाना रॉड्रिग्स, मंजरी फड़नीस, वरुण शर्मा, जितिन गुलाटी, सुमित सूरी, मधुरिमा तुली,
निर्देशक: गुरमीत सिंह, निर्माता: अनुभव सिन्हा, पराग सांघवी, कहानी/लेखक: गुरमीत सिंह, तेजपाल सिंह रावत

देखी है ऐसी दिलेरीः बाघों के साथ रहता है पूरा परिवार...


दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं. कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसे देखकर दुनिया हैरान रह जाती है. कुछ ऐसा जिसे करने का तो छोड़िए हम शायद सपने में भी वो नहीं सोच सकते. ब्राजील का एक ऐसा ही परिवार है, जिसका कारनामा सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. इस परिवार ने ऐसे जानवर को पाल रखा है, जिसे देखकर ही लोगों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है.
इस घर का पालतू जानवर है बाघ. घर में बाघ इस तरह घूमते हैं, जैसे कोई पालतू कुत्ता घूम रहा हो. इस परिवार के बारे में जो भी सुनता है, वो हैरान हो जाता है. लोगों को अपनी आंखों पर यकीन नहीं होता है, लेकिन इस घर में एक-दो नहीं बल्कि सात-सात खतरनाक जानवर बच्चों की तरह रहते हैं.
वो जानवर जिनके एक पंजे से इंसान की जान जा सकती है, वो घर के अंदर खुलेआम घूमते रहते हैं. इस घर के पास से गुजरने वाले भी सहम जाते होंगे, लेकिन इस घर में कोई भी ऐसा नहीं है जो इन बाघों से डरता हो, उल्टा बाघ जरूर इनसे डरते हैं.

इसीलिए फिलहाल लोग इस परिवार को टाइगर वाली फैमिली के नाम से जानते हैं. ब्राजील के साओपालो शहर से कुछ दूर मारिंगा में ये परिवार रहता है और वहीं रहते हैं सात-सात बाघ.
इस परिवार के मालिक हैं एरी बोर्ग्स, 43 साल के ऐरी को बाघों से बहुत प्यार है. सोचिए कितना भी ताकतवर इंसान क्यों न हो, बाघ जैसे खतरनाक जानवर के सामने आने से ही उसकी सांस अटक जाएगी, लेकिन ऐरी के सामने बाघ की गुर्राहट का भी कोई जोर नहीं.

ये सैकड़ों किलो वजनी बाघ ऐरी के लिए बिल्कुल बच्चों की तरह है, ठीक वैसे ही जैसे उनके अपने बच्चे हैं. इस घर में ऐरी की सबसे बड़ी बेटी 24 साल की ह्यूनीरा, उससे छोटी 23 साल की उयारा, तीसरी सबसे छोटी बीस साल की नयारा और नयारा की 2 साल की बेटी रयारा रहती है.
इस पूरे परिवार के लिए बाघ भी बच्चे की तरह हैं तो बच्चे भी इस परिवार के बच्चों के साथ बच्चों की तरह की रहते हैं. लेकिन ऐरी की तीनों बेटियों में अगर कोई सबसे ज्यादा इन बाघों पर जान छिड़कती है तो वो नयारा है.
नयारा बाघों के बिना रहने के बारे में सोच भी नहीं सकती है. उसकी सुबह हो या फिर शाम बाघों के साथ मस्ती करके ही गुजरती है. खास बात ये है कि बाघों को भी नयारा उतनी ही पसंद है.
टॉम नाम का बाघ नयारा के साथ ही स्वीमिंग पूल में नहाता है. नयारा भी उसके साथ पानी में जमकर मस्ती करती है. सोचिए बाघ की पीठ चढ़ जाती है, लेकिन इससे टॉम को कोई शिकायत नहीं है.
इसके पीछे भी नयारा की एक कोशिश है, टॉम का वजन लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में इस तरह की एक्सरसाइज करवा कर वो टॉम का वजन कम करने की कोशिश करती है. इस परिवार में नयारा के अलावा टॉम को कोई भी नहला नहीं सकता.
नयारा की ये 2 साल की बेटी भी बिल्कुल अपनी मां की तरह इन बाघों पर जान छिड़कती है. रयारा जब तक बाघ की पीठ पर सैर न कर ले इनके साथ खेल न ले तब तक सोने को तैयार नहीं होती.
और तो और खाने की टेबल पर भी ये बाघ साथ ही में रहते हैं. ऐरी के परिवार के हाथों में ये मांस ऐसे खाते हैं मानों कोई बच्चा रोटी का टुकड़ा खा रहा हो. इतना ही नहीं इनका पूरा पोषण करने के लिए इन्हें बोतल से दूध तक पिलाया जाता है.
लेकिन इस परिवार में एक शख्स है, जिसे बाघों के साथ ज्यादा मेलजोल पसंद नहीं है. वो हैं नराया के पति मिस्टर रफेल. रफेल बाघों के बीच रहने वाली इस फैमिली को लेकर बहुत परेशान रहते हैं. उन्हें हर वक्त डर बना रहता है कि कहीं बाघों के करीबी परिवार में कोई अनहोनी न कर दे. खासकर वो अपनी बच्ची और बीवी को लेकर बहुत परेशान रहते हैं.
खैर रफेल की चिंता अपनी जगह सही है, लेकिन फिलहाल इस परिवार में किसी को रफेल की बातों से कोई लेना देना नहीं है.

भारत पाकिस्तान मुद्दे से हर कोई तंग आ चुका हैः सोहा अली खान


सोहा अली खान
मुंबई मेरी जान के बाद एक बार फिर सोहा अली खान फराज हैदर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘वॉर छोड ना यार’ के साथ जर्नलिस्ट के रूप में आ रही हैं. हालांकि अपने इस किरदार के लिए सोहा काफी एक्साइटेड हैं फिर भी इन दोनों फिल्मों में वह कितना फर्क पाती हैं? इस सवाल पर सोहा ने कहा, ‘’मुंबई मेरी जान में मैं एक टीवी जर्नलिस्ट बनी थी जिसके जरिये दिखाया गया था कि टीवी जर्नलिस्ट बहुत असंवेदनशील होते हैं. कुछ हादसा होने के बाद वह बिना कुछ समझे बूझे पूछते हैं कि आपको कैसा लग रहा है? हालांकि इन दोनों फिल्म के बीच 5 या 6 साल का अंतर है. और इस दौरान मैंने काफी मीडिया से बातें की हैं और उन्हें करीब से जाना है. मुझे लगता है बीते एक दो साल में मीडिया ने बहुत बडी जिम्मेदारी निभाई है.
जैसा हमने रंग दे बसंती में दिखाया था वही बात वॉर छोड ना यार में भी दिखा रहे हैं. भारत पाकिस्तान मुद्दे से हर कोई तंग आ चुका है. हर कोई चाहता है कि अब यह मुद्दा बंद हो जाना चाहिए. हमें लगता है कि जो सीमा पर सैनिक हैं उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पडता लेकिन ऐसा नहीं है. वह भी सोचते हैं कि उनके देश समाज में यह क्या चल रहा है और क्यों चल रहा है.’’
शरमन जोशी, जावेद जाफरी, मनोज पाहवा और संजय मिश्रा के साथ इकलौती सोहा अली खान की इस फिल्म के निर्देशक हैं फराज़ हैदर. वॉर छोड ना यार 11 अक्तूबर को रिलीज हो रही है. तो फिर तैयार रहिए कॉमेडी भरी जंग के लिए.

‘आइटम सॉन्ग’ शब्द से नफरत है: अदिति

Image Loadingअभिनेत्री अदिति राव हैदरी ‘आइटम सॉन्ग’ शब्द के पूरी तरह खिलाफ हैं। वह कहती हैं कि उन्हें ‘डांस नंबर’ का हिस्सा बनने में कोई एतराज नहीं हैं, लेकिन यह शिष्ट होना चाहिए।
अदिति ने यहां कहा कि मुझे आइटम सॉन्ग शब्द से नफरत है। मेरे लिए, आइटम गाना वह होता है, जिसमें लड़की छोटे कपड़े पहनती है और सेक्सी दिखती हो। मैं घटिया नहीं दिखना चाहती हूं। मेरे लिए, शिष्टता महत्वपूर्ण है। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि मैं आइटम गाना करूंगी। लेकिन हां, अगर यह एक नृत्य गीत हुआ तो मैं इसे करना पसंद करूंगी। इन दिनों अदिति अपनी आगामी फिल्म ‘बॉस’ के प्रचार में व्यस्त है। इसमें उन्होंने बिकिनी भी पहनी है। अक्षय कुमार की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में अपने बोल्ड रूप पर मिल रही सकारात्मक प्रतिक्रिया से अदिति खुश हैं। पूर्व में ‘रॉकस्टार’, ‘लंदन’, ‘पेरिस’ और ‘न्यूयॉर्क’ फिल्मों में अभिनय कर चुकीं अदिति ने कहा कि मुझे फिल्म के लिए वजन न घटाने के लिए कहा गया था। लेकिन मैंने अपने शरीर में कसाव के लिए कड़ी मेहनत की। मैं, एक स्वाभाविक महिला शरीर चाह रही थी। मैंने कड़ा शारीरिक परिश्रम किया, जिसके लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। एंथनी डिसूजा निर्देशित ‘बॉस’ 16 अक्टूबर को प्रदर्शित होनी है।

बात का घाव

Image Loadingबहुत पुरानी बात है। एक लकड़हारे और शेर में दोस्ती थी। दोनों का मन एक दूसरे के बिना नहीं लगता था। शेर जंगल में रहता था और लकड़हारा गांव में। लकड़हारा लकडिया काटकर और उन्हें बेचकर अपना घर चला रहा था। सारे दिन वह जंगल में लकडिम्यां काटता था और शेर उसके पास बैठकर उससे बातें किया करता था।
एक दिन लकड़हारे ने सोचा कि वह अपने दोस्त शेर को दावत पर बुलाए। अगले दिन उसने शेर के सामने दावत का प्रस्ताव रखा। शेर ने दावत का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। लकडियां काटने के बाद शाम को लकड़हारा शेर को अपने घर ले गया। शेर को लकड़हारे के साथ देखकर लकड़हारे की पत्नी और बच्चे डर गए। उन्हें डरा हुआ देखकर लकड़हारे ने उनका डर दूर करते हुए बताया कि शेर उसका दोस्त है और आज हमारा मेहमान है। लकड़हारे ने शेर की खूब आवभगत की। रात को सोने का वक्त होने पर लकड़हारे ने शेर को अपने साथ घर में सुलाना चाहा, पर उसकी पत्नी ने शेर को घर में सुलाने का विरोध करते हुए कहा कि वह शेर को किसी कीमत पर घर में नहीं सोने देगी, क्योंकि शेर जैसे खूंखार जीव का कोई भरोसा नहीं होता। ऐसा जीव कभी भी नुकसान पहुंचा सकता है। पत्नी के विरोध करने पर लकड़हारे ने पत्नी को समझाया, ‘यह शेर और शेरों की तरह नहीं है। यह साथ सोने पर किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा।’ लेकिन उसकी पत्नी शेर को घर में सुलाने को तैयार नहीं हुई। आखिर थककर लकड़हारे को अपनी पत्नी की बात माननी पड़ी। लक ड़हारे की पत्नी ने लकड़हारे से शेर के गले में रस्सी बांधकर घर के बाहर खड़े पेड़ से बांधने को कहा। पत्नी की बात मानकर लकड़हारे ने ऐसा ही किया।
उस रात मौसम बहुत खराब हो गया, लकड़हारा अपनी पत्नी और बच्चों के साथ घर में आराम से सोता रहा, किंतु शेर बेचारा सारी रात पेड़ के नीचे बंधा बारिश और तेज हवा के थपेड़े सहता रहा। सुबह को लकड़हारा सोकर उठा तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसकी वजह से उसका मित्र सारी रात बारिश में भीगता रहा। यह सोचकर लकड़हारे को बहुत दुख हुआ, उसने शेर से माफी मांगी। शेर ने मुस्कराते हुए कहा, ‘इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है दोस्त, यह खराब मौसम की मेहरबानी है।’ शेर की बात सुनकर लकड़हारे को खुशी हुई कि उसका मित्र उससे नाराज नहीं है। लकड़हारा लकडिया काटने जंगल गया तो शेर को अपने घर पर रोकना चाहता था, पर शेर नहीं रुका। कई दिन गुजर गए। एक दिन लकड़हारा लकडियां काटने के बाद घर जाने की तैयारी में था तो शेर उसके पास आया और बोला, ‘दोस्त, अपनी कुल्हाड़ी मेरी पीठ पर मारो।’ शेर की बात सुनकर लकड़हारा चौंक गया। उसने सोचा, शायद शेर उससे मजाक कर रहा है। शेर ने दोबारा कुल्हाड़ी मारने को कहा तो लकड़हारा हैरानी से बोला, ‘तुम क्या कह रहे हो? मैं भला तुम्हें कुल्हाड़ी कैसे मार सकता हूं?’ लकड़हारे के इनकार करने पर शेर ने दहाड़ते हुए कहा, ‘अगर तुमने मेरा कहा नहीं माना तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा।’ शेर का बदला रूप देखकर लकड़हारा डर गया। उसकी समझ में नहीं आया कि उसका मित्र उससे कुल्हाड़ी मारने को क्यों कह रहा है। उसने इस बारे में शेर से पूछा, लेकिन शेर ने कुछ नहीं बताया। शेर ने तीसरी बार चेतावनी देते हुए कुल्हाड़ी मारने के लिए कहा। मरता क्या न करता, लकड़हारे ने अपनी जान बचाने के लिए शेर की पीठ पर कुल्हाड़ी दे मारी। कुल्हाड़ी लगते ही शेर की पीठ पर गहरा जख्म हो गया, जिससे खून बहने लगा। शेर अपनी गुफा की ओर बढ़ गया। अगले दिन लकड़हारा डरते-डरते जंगल में लकडियां काटने गया कि पता नहीं आज उसके प्रति शेर का कैसा व्यवहार होगा। शेर ने लकड़हारे के साथ और दिन की तरह व्यवहार किया तो लकड़हारे के दिल को तसल्ली हुई। शेर की पीठ का जख्म वक्त के साथ-साथ भरता गया। एक दिन शेर ने लकड़हारे से अपने जख्म के बारे में पूछा तो लकड़हारे ने खुश होकर बताया, ‘मित्र, तुम्हारा जख्म अब पूरी तरह भर गया है।’ लकड़हारे के बताने पर शेर गंभीर होते हुए बोला, ‘जानना चाहते हो मित्र, मैंने तुमसे अपनी पीठ पर कुल्हाड़ी क्यों लगवाई थी?’ शेर के कहने पर लकड़हारे ने हामी भर दी। वह भी यह बात जानने को उत्सुक था। शेर उसे बताने लगा, ‘घर आया मेहमान भगवान के समान होता है दोस्त और मेहमान का आदर बड़े प्रेम से किया जाता है। मैं भी तुम्हारा मेहमान था, लेकिन तुमने मुझे घर से बाहर पेड़ से बांध दिया, जहां मैं सारी रात बारिश में भीगता रहा। उस दिन की बात का जख्म मेरे दिल पर आज भी ताजा है। मैंने तुमसे अपनी पीठ पर कुल्हाड़ी इसीलिए लगवाई थी ताकि मैं तुम्हें दिखा सकूं कि चोट का जख्म तो भर जाता है, किंतु बात का जख्म कभी नहीं भरता। एक बात कान खोलकर सुन लो, तुम्हारी और मेरी मित्रता केवल आज तक थी। आज के बाद न मैं तुम्हारा मित्र हूं और न ही तुम मेरे मित्र हो और अगर आज के बाद तुम मुझे इस जंगल में दिखाई दे गए तो मैं तुम्हें अपना भोजन बना लूंगा।’ शेर अपनी बात पूरी करने के बाद चला गया। लकड़हारा शेर को जाते हुए देखता रहा। अपनी पत्नी के गलत व्यवहार की वजह से आज उसने अपना पुराना मित्र खो दिया था। उसे बहुत पछतावा हुआ, किंतु अब पछताने से क्या फायदा था। लकड़हारा दुखी मन से गांव की तरफ चल दिया। क्या सीख सकते हो: किसी को भी बुरा मत बोलो। दोस्त को मजाक में भी अपशब्द न कहो। अगर तुम्हे किसी की कोई बात बुरी भी लगती है तो उसे बता दो कि तुम्हें इस तरह से बात करना पसंद नहीं है। हमेशा घर आए मेहमान का खूब आदर-सम्मान करो।
(मनभावन कहानियां से साभार, लेखक: गंगा प्रसाद शर्मा)

'रील' लाइफ में फिलहाल साथ नजर नहीं आएंगे अभिषेक-ऐश्वर्या


अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन
अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन रीयल लाइफ में भले ही सात जनम के बंधन में बंध गए हैं, लेकिन लंबे समय से ये दोनों रील लाइफ में साथ नहीं दिखे हैं. जूनियर बच्चन ने शुक्रवार को खुलासा किया कि फिलहाल वो ऐश के साथ कोई फिल्म नहीं कर रहे हैं. फिल्म 'हैप्पी एनिवर्सिरी' में दोनों के साथ करने की खबरे हैं, लेकिन अभिषेक ने कहा इस बारे में अभी कुछ तय नहीं है. हमारे सहयोगी चैनल हेडलाइंस टुडे से खास बातचीत में अभिषेक बच्चन ने कहा, 'ऐश्वर्या के साथ काम करने का अभी कोई प्लान नहीं है. हम ऐसी स्क्रिप्ट का इंतजार कर रहे हैं, जो दोनों को ही पसंद आए.'
'हैप्पी न्यू ईयर' फिल्म के पहले शेड्यूल की शूटिंग पूरी कर चुके अभिषेक अब डायरेक्टर उमेशा शुक्ला के साथ काम करेंगे. उन्होंने कहा, 'मैं उमेशा शुक्ला के साथ अपनी अगली फिल्म पर काम शुरू कर रहा हूं. इस फिल्म में आसिन और ऋषि कपूर भी होंगे.'
ऋषि कपूर के साथ अभिषेक पहले भी काम कर चुके हैं. उन्होंने कहा, 'मैं दिल्ली-6 में ऋषि कपूर के साथ काम कर चुका हूं और फिर से उनके साथ करने को लेकर बहुत एक्साइटेड हूं. फिल्म में हम बाप-बेटे की भूमिका में नजर आएंगे. उमेश की पिछली फिल्म 'ओह माय गॉड' मुझे बहुत पसंद आई थी.'
अभिषेक 'धूम-3' में भी नजर आएंगे. एक बार फिर अभिषेक सुपरकॉप जय दीक्षित की भूमिका में नजर आएंगे जबकि उदय चोपड़ा का किरदार अली का ही होगा.

एक और एक ग्यारह

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बनगिरी के घने जंगल में एक हाथी ने उत्पात मचा रखा था। वह अपनी ताकत के नशे में चूर होने के कारण किसी को कुछ नहीं समझता था। बनगिरी में ही एक पेड़ पर टिक्कू चिडिया का छोटा-सा सुखी संसार था। टिक्कू अंडों पर बैठी नन्हे-नन्हे प्यारे बच्चों के निकलने के सुनहरे सपने देखती रहती।
एक दिन उस पेड़ के नीचे से क्रूर हाथी गरजता, चिंघाड़ता पेड़ों को तोड़ता-मरोड़ता उसी ओर आया। देखते ही देखते उसने चिडिया के घोंसले वाला पेड़ भी तोड़ डाला। घोंसला नीचे आ गिरा। अंडे टूट गए और ऊपर से हाथी का पैर उस पर पड़ा। टिक्कू चीखने के सिवा और कुछ नहीं कर सकती थी। जब टिक्कू तेज-तेज रो रही थी, तभी वहां उसकी दोस्त पिंकी आई। पिंकी ने उसके रोने का कारण पूछा तो टिक्कू ने अपनी सारी कहानी कह डाली। पिंकी चिडिया बोली, ‘इस तरह गम में डूबे रहने से कुछ नहीं होगा। उस हाथी को सबक सिखाने के लिए हमें कुछ करना होगा’। टिक्कू ने कहा, ‘हम उस बलशाली हाथी से कैसे टक्कर ले सकते हैं’?
पिंकी ने समझाया, ‘एक और एक मिलकर ग्यारह बनते हैं। हम अपनी शक्तियां जोडेंगे’।
‘कैसे’? टिक्कू ने पूछा। पिंकी बोली, ‘मेरा एक दोस्त है भंवरा। हमें उससे सलाह लेनी चाहिए’।
यह सुनकर टिक्कू, पिंकी संग भंवरे के पास पहुंची। सारी बात सुनकर भंवरे ने कहा, ‘बहुत बुरा हुआ। मेरा एक मेंढ़क मित्र है। आओ, उससे सहायता मांगे’। अब तीनों उस सरोवर के किनारे पहुंचे, जहां वह मेढ़क रहता था। भंवरे ने सारी समस्या बताई। मेंढ़क बोला, ‘आप लोग धैर्य से मेरी प्रतीक्षा करें। मैं गहरे पाने में बैठकर सोचता हूं’। ऐसा कहकर मेंढ़क जल में कूद गया। आधे घंटे बाद वह पानी से बाहर आया तो उसकी आंखें चमक रही थीं। वह बोला, ‘दोस्तो! उस हत्यारे हाथी को नष्ट करने की मेरे दिमाग में एक बड़ी अच्छी योजना आई है। उसमें सभी का योगदान होगा’। मेंढ़क ने जैसे ही अपनी योजना बताई, सब खुशी से उछल पड़े। योजना सचमुच ही अद्भुत थी। मेंढक ने दोबारा बारी-बारी सबको अपना-अपना रोल समझाया। कुछ ही दूर वह हाथी तोड़फोड़ मचाकर व पेट भरकर कोंपलों वाली शाखाएं खाकर मस्ती में खड़ा झूम रहा था। पहला काम भंवरे का था। वह हाथी के कानों के पास जाकर मधुर राग गुंजाने लगा। राग सुनकर हाथी मस्त होकर आंखें बंद करके झूमने लगा। तभी पिंकी (जो कठफोड़वा थी) ने अपना काम कर दिखाया। वो आई और अपनी सुई जैसी नुकीली चोंच से उसने तेजी से हाथी की दोनों आंखें बींध डालीं। हाथी की आंखें फूट गईं। वह तड़पता हुआ अंधा होकर इधर-उधर भागने लगा। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, हाथी का क्रोध बढ़ता जा रहा था। आंखों से नजर न आने के कारण ठोकरों और टक्करों से शरीर जख्मी होता जा रहा था। जख्म उसे और चिल्लाने पर मजबूर कर रहे थे। पिंकी यह सब देखकर मेंढ़क से बोली, ‘मैं आजीवन तुम्हारी आभारी रहूंगी। तुमने मेरी इतनी सहायता कर दी।’ मेंढ़क ने कहा, ‘आभार मानने की जरूरत नहीं। मित्र ही मित्रों के काम आते हैं।’
एक तो आंखों में जलन और ऊ पर से चिल्लाते-चिंघाड़ते हाथी का गला सूख गया। उसे तेज प्यास लगने लगी। अब उसे एक ही चीज की तलाश थी, पानी। मेंढ़क ने अपने बहुत से बंधु-बांधवों को इकट्ठा किया और उन्हें दूर ले जाकर बहुत बडे गड्ढे के किनारे बैठकर टर्राने के लिए कहा। सारे मेंढक टर्र-टर्र करने लगे। मेंढ़क की टर्राहट सुनकर हाथी के कान खडे़ हो गए। वह जानता था कि मेंढक जल स्त्रोत के निकट ही वास करते हैं। वह उसी दिशा में चल पड़ा। टर्राहट और तेज होती जा रही थी। प्यासा हाथी और तेज भागने लगा।
जैसे ही हाथी गड्ढे के निकट पहुंचा, मेंढ़कों ने पूरा जोर लगाकर टर्राना शुरू किया। हाथी आगे बढ़ा और विशाल पत्थर की तरह गड्ढे में गिर पड़ा, जहां से वह कभी नहीं निकल सकता था। तो इस तरह उसके अहंकार का अंत हुआ। फिर तो उस जंगल में शांति और खुशियां लौट आई थीं।

पहले मुर्गी या अंडा

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बादशाह अकबर के शाही दरबार की कार्यवाही स्थगित हो गई थी। सभी दरबारी और बादशाह जाने ही वाले थे कि तभी एक सुरक्षाकर्मी भागता हुआ आया और बोला, ‘महाराज, दक्षिण भारत से एक विद्वान पंडित अभी-अभी पधारे हैं। वह आपसे और बीरबल से तुरंत मिलने को उत्सुक हैं। वह इसी उद्देश्य से आगरा आए हैं।’ ‘इस प्रकार उन्हें प्रतीक्षा कराना उचित नहीं है। उन्हें तुरंत शाही दरबार में लाया जाये’, बाद
 
 बादशाह अकबर के शाही दरबार की कार्यवाही स्थगित हो गई थी। सभी दरबारी और बादशाह जाने ही वाले थे कि तभी एक सुरक्षाकर्मी भागता हुआ आया और बोला, ‘महाराज, दक्षिण भारत से एक विद्वान पंडित अभी-अभी पधारे हैं। वह आपसे और बीरबल से तुरंत मिलने को उत्सुक हैं। वह इसी उद्देश्य से आगरा आए हैं।’ ‘इस प्रकार उन्हें प्रतीक्षा कराना उचित नहीं है। उन्हें तुरंत शाही दरबार में लाया जाये’, बादशाह ने आदेश दिया। जैसे ही सुरक्षाकर्मी पंडित को लेने के लिए चला गया तो बादशाह बोले, ‘बीरबल, अब बहुत देर हो चुकी है और मैं बहुत थक गया हूं। तुम ही विद्वान पंडित से मिल लो और पता करो कि वह कहना क्या चाहते हैं?’ बीरबल ने सर हिलाकर हामी भर दी। पंडित के आने पर दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया। पंडित ने बीरबल से कहा, ‘बीरबल, मैंने तुम्हारी बुद्धिमानी के विषय में बहुत कुछ सुना है, इसलिए तुम्हारी परीक्षा लेना चाहता हूं।’ बीरबल यह सुनकर मन ही मन मुस्कराए और बोले, ‘जरूर लीजिए परीक्षा।’ यह सुनकर पंडित बोले, ‘मुझे पहले ये बताओ कि मैं तुमसे सरल प्रश्न पूछूं या फिर कठिन प्रश्न?’
बीरबल ने सोचा कि महाराज तो थक चुके हैं और विश्राम के लिए जा चुके हैं, सो प्रश्न का जवाब देने का यह सही समय नहीं है। बीरबल ने कहा, ‘पंडित जी, आप सिर्फ एक कठिन प्रश्न पूछिए।’ पंडित ने कहा, ‘बीरबल, बताओ पहले क्या आता है, मुर्गी या अंडा?’ बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, ‘मुर्गी, पंडित जी।’ ‘तुम कैसे कह सकते हो बीरबल?’ जवाब सुनकर पंडित जी ने कहा। ‘ओह, और प्रश्न नहीं पंडित जी, आपने वादा किया था कि केवल एक प्रश्न ही पूछेंगे। जो आप पूछ चुके हैं’, बीरबल ने कहा। पंडित जी बीरबल की चालाकी समझ चुके थे और बिना कुछ कहे वहां से चले गए। इसी तरह एक दिन बादशाह ने बीरबल से कहा, ‘बीरबल, क्या तुम जानते हो कि एक मूर्ख और ज्ञानी व्यक्ति में क्या अंतर है?’ ‘जी महाराज, मैं जानता हूं।’ बीरबल ने कहा। ‘क्या तुम विस्तार से बता सकते हो?’ अकबर ने पूछा। ‘महाराज, वह व्यक्ति जो अपनी बुद्धि का प्रयोग मुश्किल, चुनौतीपूर्ण तथा प्रतिकूल परिस्थितियों में अपना नियंत्रण खोए बिना करता है, वह ज्ञानी होता है। परन्तु वह व्यक्ति जो प्रतिकूल परिस्थितियों को इस प्रकार सुलझाता है कि वे और प्रतिकूल हो जाती हैं, मूर्ख कहलाता है।’ बादशाह अकबर ने सोचा कि बीरबल कहना चाहता है कि पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही ज्ञानी होता है, क्योंकि उसे पता होता है कि कब किस समस्या का समाधान कैसे करना है।’ बीरबल के चतुर जवाब से बादशाह के दिल में उसका स्थान और पक्का हो गया।शाह ने आदेश दिया। जैसे ही सुरक्षाकर्मी पंडित को लेने के लिए चला गया तो बादशाह बोले, ‘बीरबल, अब बहुत देर हो चुकी है और मैं बहुत थक गया हूं। तुम ही विद्वान पंडित से मिल लो और पता करो कि वह कहना क्या चाहते हैं?’ बीरबल ने सर हिलाकर हामी भर दी। पंडित के आने पर दोनों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया। पंडित ने बीरबल से कहा, ‘बीरबल, मैंने तुम्हारी बुद्धिमानी के विषय में बहुत कुछ सुना है, इसलिए तुम्हारी परीक्षा लेना चाहता हूं।’ बीरबल यह सुनकर मन ही मन मुस्कराए और बोले, ‘जरूर लीजिए परीक्षा।’ यह सुनकर पंडित बोले, ‘मुझे पहले ये बताओ कि मैं तुमसे सरल प्रश्न पूछूं या फिर कठिन प्रश्न?’
बीरबल ने सोचा कि महाराज तो थक चुके हैं और विश्राम के लिए जा चुके हैं, सो प्रश्न का जवाब देने का यह सही समय नहीं है। बीरबल ने कहा, ‘पंडित जी, आप सिर्फ एक कठिन प्रश्न पूछिए।’ पंडित ने कहा, ‘बीरबल, बताओ पहले क्या आता है, मुर्गी या अंडा?’ बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, ‘मुर्गी, पंडित जी।’ ‘तुम कैसे कह सकते हो बीरबल?’ जवाब सुनकर पंडित जी ने कहा। ‘ओह, और प्रश्न नहीं पंडित जी, आपने वादा किया था कि केवल एक प्रश्न ही पूछेंगे। जो आप पूछ चुके हैं’, बीरबल ने कहा। पंडित जी बीरबल की चालाकी समझ चुके थे और बिना कुछ कहे वहां से चले गए। इसी तरह एक दिन बादशाह ने बीरबल से कहा, ‘बीरबल, क्या तुम जानते हो कि एक मूर्ख और ज्ञानी व्यक्ति में क्या अंतर है?’ ‘जी महाराज, मैं जानता हूं।’ बीरबल ने कहा। ‘क्या तुम विस्तार से बता सकते हो?’ अकबर ने पूछा। ‘महाराज, वह व्यक्ति जो अपनी बुद्धि का प्रयोग मुश्किल, चुनौतीपूर्ण तथा प्रतिकूल परिस्थितियों में अपना नियंत्रण खोए बिना करता है, वह ज्ञानी होता है। परन्तु वह व्यक्ति जो प्रतिकूल परिस्थितियों को इस प्रकार सुलझाता है कि वे और प्रतिकूल हो जाती हैं, मूर्ख कहलाता है।’ बादशाह अकबर ने सोचा कि बीरबल कहना चाहता है कि पढ़ा-लिखा व्यक्ति ही ज्ञानी होता है, क्योंकि उसे पता होता है कि कब किस समस्या का समाधान कैसे करना है।’ बीरबल के चतुर जवाब से बादशाह के दिल में उसका स्थान और पक्का हो गया।