Saturday 16 November 2013

SachinTendulkarlasttimeincricket

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सचिन को मिला भारत रत्न

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क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर और विख्यात वैज्ञानिक प्रोफेसर सीएनआर राव को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का शनिवार को सरकार ने फैसला किया। सचिन ने आज ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया है।
देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पदम विभूषण से पहले से ही सम्मानित चालीस वर्षीय तेंदुलकर और नवासी वर्षीय राव अब तक भारत रत्न पा चुके 41 विशिष्ट लोगों की जमात में शामिल हो गए हैं। 1954 में गठित भारत का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान विशिष्ट सेवा की मान्यता के तौर पर दिया जाता है। सचिन ने आज ही 24 साल के अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जीवन को अलविदा कहा है। क्रिकेट के अधिकतर रिकार्ड अपने नाम करने वाले सचिन ने 24 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का भी रिकार्ड बनाया है। इस महान क्रिकेटर के अपना अंतिम और 200वां टेस्ट क्रिकेट मैच खेलने के कुछ ही देर बाद राष्ट्रपति भवन की ओर से उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा हुई। सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया कि खेल की दुनिया में तेंदुलकर भारत के सच्चे राजूदत हैं और क्रिकेट में उनकी उपलब्धियां का कोई सानी नहीं है। उनके द्वारा दर्शाई गई खेल भावना अनुकरणीय है। इसमें कहा गया, उन्हें मिले कई सम्मान एक खिलाड़ी के रूप में उनकी असाधारण प्रतिभा के गवाह हैं। इसमें कहा गया कि तेंदुलकर ने 16 साल की आयु से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना शुरू किया और उसके बाद 24 साल तक पूरी दुनिया में मैच खेले और देश का नाम रौशन किया। प्रो चिंतामणि नागेसा रामचन्द्र राव सालिड स्टेट एंड मटीरीअल रसायनशास्त्र क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक हैं। उनके 1400 अनुसंधान पत्र और 45 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सी वी रमण और पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के बाद भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह देश के तीसरे वैज्ञानिक हैं। विश्व की सभी बड़ी वैज्ञानिक अकादमियों में प्रो राव के योगदान को मान्यता दी गई है। ऐसी अकादमियों ने उन्हें अपनी सदस्यता और फेलोशिप आदि देकर सम्मानित किया है। उन्हें कई विशिष्ट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से भी नवाजा गया है। इस समय वह भारत के प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख हैं।
   
उधर, तेंदुलकर को भारत रत्न देने की लंबे समय से मांग हो रही थी और इसके लिए देश के इस सर्वोच्च सम्मान के पात्रता नियमों में पिछले साल परिवर्तन करके उसमें खिलाड़ियों को भी इसका पात्र बनाया गया। तेंदुलकर पहले ऐसे सक्रिय खिलाड़ी हैं जिन्हें पिछले साल राज्यसभा का सदस्य बनाया गया। चार साल पहले हिन्दुस्तानी संगीत के दिग्गज भीमसेन जोशी को भारत रत्न दिए जाने के बाद अब तेंदुलकर और राव को इससे सम्मानित किया गया है।   सबसे युवा भारत रत्न तेंदुलकर भारत रत्न पाने वाले देश के सबसे युवा और पहले खिलाड़ी बन गए हैं। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी को सबसे कम आयु में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। देश में अब तक 43 भारत रत्न विजेताओं में सचिन महाराष्ट्र से यह सम्मान पाने वाले नौवें व्यक्ति हैं। इसके साथ ही सचिन देश के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, नोबेल पुरस्कार विजेताओं, वैज्ञानिकों एवं कलाकारों के उस विशिष्ट मंडल में शामिल हो गए, जिन्हें अब तक इस सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। राजीव गांधी को मरणोपरांत 47 वर्ष की अवस्था में भारत रत्न प्रदान किया गया, जबकि सचिन को यह सम्मान 40 वर्ष की आयु में ही मिल गया। महाराष्ट्र से अब तक भारतीय संविधान के जनक बी. आर. अम्बेडकर, विनोबा भावे, मोरारजी देसाई, पांडुरंग वामन काणे, धोंडो केशव कर्वे, लता मंगेशकर. जे. आर. डी. टाटा और भीमसेन जोशी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। ये सभी या तो महाराष्ट्र में जन्मे या उन्होंने महाराष्ट्र को अपनी कर्मस्थली बना लिया। इसी क्रम में अब सचिन का नाम भी जुड़ गया है। सचिन को मिले अन्य सम्मान
- अर्जुन पुरस्कार (1994)
- राजीव गांधी खेल रत्न (1997-98)
- पद्मश्री (1999)
- महाराष्ट्र भूषण अवार्ड (2001)
- पद्म विभूषण (2008)

Thursday 14 November 2013

मधुमेह के कारण दिल की बीमारियों का खतरा

Image Loadingभारत में मधुमेह की समस्या महामारी की तरह बढ़ रही है और इसके कारण किड़नी के खराब होने एवं ह्दय रोग जैसी गंभीर समस्यायें तेजी से बढ़ रही हैं।
     
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के नेफ्रोलाजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर जितेन्द्र कुमार कहते हैं कि मधुमेह से ग्रस्त 40 प्रतिशत युवाओं को किडनी रोग होने का खतरा होता है और इस खतरे के कारण ह्दय रोग का खतरा भी बढता है।
हर साल काफी संख्या में टाइप-1 मधुमेह से ग्रस्त लोग किडनी फेल्योर एवं ह्दय रोगों के विकार बनते हैं और यह स्थिति उनके जीवन को भारी रूप से नुकसान पहुंचा सकती है।
      
ह्दय रोग विशेषज्ञ एवं मेट्रो हॉस्पीटल्स एंड हार्ट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉक्टर पुरुषोत्तम लाल के अनुसार भारत में हर पांचवे व्यक्ति के मधुमेह से ग्रस्त होने का अनुमान है। मधुमेह से ग्रस्त लोगों के दिल के दौरे एवं हार्ट फेल्योर के शिकार होने की आशंका सामान्य लोगों की तुलना में दोगुनी होती है। हमारे देश में जितने मधुमेह रोगी हैं, उनमें से एक तिहाई लोगों को एहतियात बरतने के बावजूद कोरोनरी आर्टरी रोग सीएडी हो सकते हैं और मधुमेह मरीजों में से 80 फीसदी की मौतों का कारण कोरोनरी आर्टरी रोग हो सकते हैं।

आज से शुरू होगा फिल्मों का मेला

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हमारे देश में हर दो साल बाद एक ऐसा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल होता है, जिसमें सिर्फ बच्चों की फिल्में ही हिस्सा लेती हैं। ‘बाल चित्र समिति’ द्वारा आयोजित यह समारोह हर दो साल बाद बाल-दिवस यानी 14 नवंबर से 20 नवंबर तक आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद में होता है।
पिछली बार यह 2011 में हुआ था और अब आज से यह शुरू हो रहा है। इस बार के 18वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 48 देशों से 209 फिल्में अलग-अलग खंडों में शामिल हो रही हैं। इनमें से करीब 75 भारतीय फिल्में हैं। अलग-अलग भाषाओं की इन फिल्मों में कई नई-पुरानी फिल्में हैं। राज कपूर की ‘बूट पॉलिश’, श्याम बेनेगल की ‘चरणदास चोर’, मणिरत्नम की ‘अंजलि’ के अलावा ‘काबुलीवाला’, ‘संडे’, ‘हेलो’ जैसी शानदार बाल-फिल्में इस फेस्टिवल में होंगी तो ‘गट्टू’, ‘अर्जुन’ और मराठी की ‘फन्ड्री’ जैसी नई फिल्में भी यहां दिखाई जाएंगी। भारत के अलावा पाकिस्तान, जापान, चीन, रूस, जर्मनी, डेनमार्क, कनाडा, ताईवान, नॉर्वे, इंडोनेशिया, इंग्लैंड, ब्राजील, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, क्यूबा जैसे कई सारे देशों की फिल्में भी यहां दिखाई जाएंगी।

मेला घूमना चाहते हो, बाल संगम आओ ना

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एक बड़ा सा मेला, जिसमें लोक कला और क्राफ्ट की चीजें दिख रही हों, कहीं 15-20 फुट लंबे आदमी टहल रहे हों और कहीं जादू का खेल हो रहा हो, ये सब देखने को मिल जाए तो कितना मजा आए। अगर तुम ऐसे मेले का आनन्द लेना चाहते हो तो 14 से 20 नवम्बर के बीच मंडी हाउस पहुंच सकते हो। यहां राष्ट्रीय नाटय़ विद्यालय यानी एनएसडी ‘बाल संगम’ मेले का आयोजन कर रहा है। आओ जानें इस मेले के बारे में सत्य सिंधु से तुमने कई तरह के मेलों के बारे में सुना होगा। शायद तुमने कुछ मेले देखे भी होंगे, लेकिन क्या कभी दिल्ली में ऐसा मेला देखा है, जहां देशभर के कलाकार तरह-तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। उनमें अधिकतर कार्यक्रम तो तुम्हारे जैसे बच्चे ही प्रस्तुत करते हैं। अगर अब तक तुमने यह मेला नहीं देखा है तो इस बार देखने की योजना बना लो। राष्ट्रीय नाटय़ विद्यालय मंडी हाउस में स्थित अपने कैंपस में इस मेले का आयोजन करने जा रहा है। इस मेले का नाम है बाल संगम। इसमें बाल कलाकार तरह-तरह के पारंपरिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। अगर तुम्हें नाटक से प्यार है तो तुम यहां कई नाटक भी देख सकते हो। अपने पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर यानी 14 नवम्बर से यह मेला शुरू होने वाला है और 20 नवम्बर तक तुम इस मेले का आनन्द उठा सकते हो। एनएसडी की ट्राई (थिएटर इन एजुकेशन) कंपनी द्वारा आयोजित इस मेले के पहने दिन यानी 14 नवम्बर को राजस्थानी कलाकार कोहिनूर लांगा अपनी प्रस्तुति देंगे। मेले में देशभर के कई ग्रुप लोक एवं पारंपरिक प्रस्तुति देंगे। इस बार पूर्वोत्तर राज्यों के कई ग्रुप मेले में शामिल होने आ रहे हैं, जो अपने-अपने राज्यों की लोक कलाओं से दिल्ली के दर्शकों का मनोरंजन भी करेंगे और अपनी कलाओं की खूबियां भी बताएंगे। इनमें असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम और सिक्किम के कलाकार शामिल होंगे। मेले में नौ नाटकों का भी मंचन होने वाला है। तुम रोज शाम 6 और 7 बजे इन नाटकों को देख सकते हो, लेकिन इसके लिए तुम्हें यहां एक घंटा पहले पहुंचना पड़ेगा। नाटक देखने वाले काफी लोग होंगे और सीटें कम होंगी, इसलिए तुम पहले पहुंच कर ऑडिटोरियम में अपनी जगह सुरक्षित कर सकते हो। मेले में बाली वध और द्वापर लीला नाटक का मंचन होगा, जिसे झारखंड के कलाकार प्रस्तुत करेंगे। यक्षगान डांस ड्रामा, गोसाएं पाथेर, लव कुश, दर्ज-ए-पाथेर, महिषासुर मर्दनी, माच और अंकिया भाओना का भी मंचन होगा। मेला शाम 4 बजे शुरू होगा और 8 बजे तक तुम घूम सकते हो।

प्रियंका का बाजा बजाने आयी कंगना

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कंगना रनौत को देख ऐसा लगता है कि वो काया के किरदार से अब भी बाहर नहीं निकली हैं। उनके चेहरे पर भाव न के बराबर दिखते हैं। इस बीच जब भी वो थोड़ा-सा मुस्कुराती हैं तो लगता है कि क्या ये वही लड़की है, जो अपने दम पर हिमाचल के मंडी इलाके से अकेले दिल्ली आयी और बिना किसी की उंगली पकड़े मुंबई जा पहुंची अपना करियर संवारने।

जी हां, ये वही कंगना हैं, जिन्होंने पहले ‘फैशन’ में प्रियंका का बैंड बजाया और अब ‘कृष 3’ में प्रियंका को धूल चटा रही हैं। अब उनकी ‘रज्जो’ भी तो आ रही है।
प्रोमो देख ऐसा लगता है कि ‘रज्जो’ आज के जमाने की फिल्म नहीं है?
अच्छा, मुझे तो ऐसा नहीं लगता। आज के जमाने की नहीं तो किस जमाने की फिल्म लगती है ‘रज्जो’। आज तो ‘ये जवानी है दीवानी’ और ‘कृष 3’ जैसी फिल्में आ रही हैं। ऐसी फिल्में तो अस्सी-नब्बे के दशक में आती थीं। देखिए, आप जिन फिल्मों की बात कर रहे हैं, उनमें से एक साइंस फिक्शन है और दूसरी एक रोमांटिक फिल्म। ऐसी फिल्में शहरों में पसंद की जाती हैं। लेकिन अगर कोई फिल्म मुंबई के नागपाड़ा या देश के ग्रामीण इलाके से संबंधित है तो उसमें भी देश का एक अलग रंग दिखाई पड़ता है। और ये निर्माता पर निर्भर करता है कि वो कब और कैसी फिल्म बनाना चाहता है। फिर भी आज के जमाने में एक तवायफ की स्टोरी में कितना स्कोप दिखाई पड़ता है?
देखिये, मैं ये कहूंगी कि ‘रज्जो’ केवल एक तवायफ की कहानी नहीं है। ये एक डांसर की कहानी है, जो कड़े संघर्ष के बाद एक बड़ी डांसर बनती है। और भी बहुत कुछ है फिल्म में, जो फिल्म देखने पर पता चलेगा। हनी सिंह के जमाने में ‘रज्जो’ का गीत जुल्मी रे जुल्मी कहां टिकता है?
इस फिल्म में हनी सिंह के गीतों का स्कोप नहीं है। ये जहां की कहानी है, वहां हनी सिंह नहीं, बल्कि दर्द भरे नगमे गूंजते हैं। गैरों पे करम, अपनों पे सितम.. तरह के गीत वहां सुनाई देते हैं। ऐसे में हनी सिंह का रैप कहां चल सकता है! वैसे मैं बता दूं कि जुल्मी रे जुल्मी.. गीत को यू ट्यूब पर लाखों हिट्स मिले हैं। पीछे मुड़ कर देखती हैं तो क्या लगता है कि रज्जो के रोल के लिए आपने काफी मेहनत की, या सिर्फ निर्देशक ने जो कहा, वो किया?
सच कहूं तो रज्जो का किरदार वाकई काफी मुश्किल था। मैंने इसके लिए बहुत मेहनत की है। कई तरह की फिल्में करके मैं कुछ कम्फर्टेबल सी हो गयी थी। इस फिल्म में इस तरह का डांस करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। ‘वो लम्हे’ या ‘गैंगस्टर’ से ज्यादा चैलेंजिग रहा ये किरदार?
वो फिल्में मुझे भी काफी चैलेंजिंग लगती हैं। उन किरदारों में एक तरह का मनोविज्ञान हावी नजर आता है, जो रज्जो के किरदार में नहीं है। फिर भी मैं कहूंगी कि रज्जो ज्यादा मुश्किल किरदार है। ऐसा किरदार मैंने पहले कभी नहीं किया। ये सपनों का किरदार है। हवा में उड़ने जैसा। मीठा सा किरदार है। ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया। इसलिए ये किरदार काफी मुश्किल रहा। ‘कृष 3’ की सफलता से आप बेहद खुश दिख रही हैं। क्या इसमें अपने म्यूटेंट के किरदार के लिए आपने हॉलीवुड फिल्म ‘एक्स-मैन’ सिरीज के किरदारों से प्रेरणा ली है?
बिलकुल नहीं, इस किरदार के लिए मैंने किसी फिल्म या किरदार को स्टडी नहीं किया। मेरा मानना है कि म्यूटेंट के कॉन्सेप्ट को बेशक पहले पश्चिमी देशों में अपनाया गया हो, लेकिन हमारे पौराणिक ग्रंथों में भी इनका जिक्र मिलता है। रामायण या महाभारत में ऐसे किरदार मिलते हैं, जो भेष बदलने में माहिर थे। इसलिए मैंने किसी विदेशी किरदार को स्टडी नहीं किया, बल्कि अपने देसी अंदाज में काया के किरदार को निभाया है। मैंने इसमें अपनी कल्पना का इस्तेमाल किया है, ताकि ये और वास्तविक लग सके, क्योंकि यह एक फिक्शन कैरेक्टर है। क्या वजह है कि काया के किरदार के लिए कभी हां, कभी ना के रुख के बाद आप अचानक मान गयी थीं?
‘काइट्स’ के दौरान मेरे कुछ अनुभव (निर्देशक अनुराग बसु संग) अच्छे नहीं रहे थे, इसलिए जब कृष 3 के लिए काया के किरदार का प्रस्ताव मेरे पास आया तो मैंने स्क्रिप्ट बिना सुने ही मना कर दिया था। तभी मुझे पता लगा कि इस रोल के लिए बहुत-सी लड़कियों के ऑडिशन हो रहे हैं। फिर मुझे राकेश जी ने एक बार फिर बुलाया और कहा कि तुम फिर से विचार करो। उन्होंने मुझे समझाया तो मुझे भी ऐसा लगा कि वो इतने बड़े निर्देशक हैं और इतने विश्वास के साथ इस रोल की बात कर रहे हैं तो मैं मान गयी। ‘कृष 3’ के क्लाइमैक्स में ऐसा लगता है कि आपका किरदार एकदम से खत्म कर दिया गया है। आपको नहीं लगता कि उसे थोड़ा और आगे बढ़ाया जा सकता था?
नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। मेरे किरदार को ठीक ढंग से शेप किया गया है। वैसे भी ये फिल्म कृष की है, मेरा काम उसमें उतना ही है, जितना दिखाया गया है।

देश के होनहार बच्चे

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आज बाल दिवस है। यह दिन तुम सभी के लिए खास है। स्कूल में भी खूब प्रोगाम होते हैं, मस्ती होती है, लेकिन हमने सोचा क्यों न मस्ती से अलग इस बार हम तुम्हें कुछ ऐसे बच्चों से रूबरू करायें, जिन्होंने अपनी प्रतिभा का डंका दुनिया में बजा रखा है और हमारे देश का नाम रोशन किया है। जिनका हुनर एक मिसाल है और जो प्रेरित करते हैं कुछ अलग करने के लिए। तो देर किस बात की, चलो मिलते हैं ऐसे ही तुम्हारे दोस्तों से...
सत्यम कुमार
उम्र- 13 साल
उपलब्धि- आईआईटी क्लीयर किया
देश के प्रतिष्ठित प्रौद्योगिक संस्थान आईआईटी में दाखिला लेने का सपना तो सभी का होता है, लेकिन अगर कोई खेलने की उम्र में ही अपना यह सपना पूरा कर ले तो थोड़ी हैरानी होती है। मगर ऐसा कर दिखाया बिहार के भोजपुर जिले के बखोरापुर गांव के सत्यम ने। सत्यम एक साधारण किसान का बेटा है। इस होनहार ने मात्र 13 साल की छोटी उम्र में ही 292 अंक हासिल करके आईआईटी प्रवेश परीक्षा 679वीं रैंक के साथ क्लीयर कर ली है। सत्यम ने पिछले साल 12 साल की उम्र में ही आईआईटी परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन अपने रैंक से संतुष्ट न होकर सत्यम इस साल फिर से इस प्रवेश परीक्षा में बैठा और दोबारा अच्छी रैंक के साथ अपने लिए सीट सुरक्षित की। सत्यम इस परीक्षा में सफल होने वाला सबसे कम उम्र का अभ्यर्थी है। मुशीर खान
उम्र- 8 साल
उपलब्धि- क्रिकेटर

तुमसे कोई कहे कि 8 साल की उम्र का कोई बच्चा 20-25 साल के युवाओं के साथ प्रोफेशनल क्रिकेट खेल रहा है तो क्या तुम यकीन करोगे? गेंद थामने के लिए उंगलियां छोटी, बैट थामने के लिए कद छोटा, लेकिन हौंसले बुलंद। इस नन्हे होनहार का नाम है मुशीर खान। मुशीर दुनिया का सबसे छोटा क्रिकेटर है। उम्र है महज 8 साल, लेकिन टीम में साथी खिलाड़ी हैं 20 से लेकर 25 साल के। मुशीर ने कांगा लीग में अपने ही भाई का बनाया रिकॉर्ड तोड़ दिया। मुशीर के बड़े भाई सरफराज ने 10 साल की उम्र में कांगा लीग में खेलने का रिकॉर्ड बनाया था, जो छोटे से मुशीर ने तोड़ दिया। रोचक बात यह है कि कि इस छोटी उम्र में मुशीर विश्व चैंपियन युवराज सिंह को भी आउट कर चुका है। मुशीर जब 6 साल 10 महीने का था, तब उसे बीसीसीआई की कमेटी ने अंडर 14 ग्रुप में जगह दे दी थी। अरिवद महाकाली
उम्र- 13 साल
उपलब्धि- स्पेलिंग चैंपियन

जब बात नन्हे उस्तादों के टैलेंट की आती है तो अमेरिका में सालाना होने वाली ‘स्क्रिप्स स्पेलिंग बी’ प्रतियोगिता को कैसे भूल सकते हैं। इस प्रतियोगिता में बच्चे बहुत तेजी से अपने शब्द ज्ञान का परिचय देते हैं। मई में अमेरिका में आयोजित होने वाली इस प्रतियोगिता पर इस बार भारतीय मूल के अरविंद महाकाली का दबदबा रहा था। 13 साल के अरविंद ने एक जर्मन शब्द का अर्थ बता कर प्रतियोगिता जीत कर भारतीय मूल के लाखों लोगों को गर्व करने का मौका दिया था। अरविंद मूल रूप से हैदराबाद के रहने वाले आईटी कंसल्टेंट पिता और डॉक्टर मां के बेटे हैं। तेरह वर्षीय अरविंद बेसाइड हिल्स, न्यूयॉर्क में रहते हैं। कौटिल्य पण्डित
उम्र- 6 साल
उपलब्धि- जनरल नॉलेज
हरियाणा के करनाल जिले के कोहंड गांव के कौटिल्य का दिमाग असाधारण है। 6 साल का कौटिल्य देश-विदेश के भूगोल के सवालों के ऐसे उत्तर देता है कि बड़े-बड़े भी मुंह ही ताकते रह जायें। इस प्रतिभाशाली बच्चे को चर्चित शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में भी खेलने के लिए आमंत्रित किया गया है। आदित्य सिंघल
उम्र-13 साल
उपलब्धि- एक्टर

अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाने वाले इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज के विजेता आदित्य सिंघल खुद भले ही शांत रहते हों, लेकिन उनकी एक्टिंग की प्रतिभा उनके बारे में काफी कुछ बोलती है। 13 साल के आदित्य की एक्टिंग की प्रतिभा ने शो का खिताब जिताने में उनकी बहुत मदद की। यह एक ऐसा रियलिटी शो था, जिसमें 5 से 15 साल तक के बच्चों ने हिस्सा लिया था। जिसमें बच्चे के अभिनय और रचनात्मकता की प्रतिभा की परख होनी थी। इसमें आदित्य सिंघल ने बाजी मारी। इस शो को अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे, निर्देशक अनुराग बसु व अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने जज किया था। यह शो छोटे परदे पर काफी लोकप्रिय रहा था। शो में आदित्य ने शुरुआत से ही अपने हुनर का डंका बजा रखा था। सलोनी डैनी
उम्र- 12 साल
उपलब्धि- कॉमेडियन

जब बात छोटे परदे की होती है तो कॉमेडी रियलिटी शो नहीं भुलाए जा सकते तो फिर हम अपनी गंगूबाई यानी सलौनी डैनी को कैसे भूल सकते हैं। अपनी प्रतिभा से ये दर्शकों को खूब गुदगुदाती हैं। 12 साल की हो चुकी सलौनी तीन साल की उम्र से ही परदे पर प्रतिभा दिखा रही हैं। खनक जोशी
उम्र- 8 साल
उपलब्धि- शास्त्रीय गायिका

हरिद्वार के हरीपुल कलां गांव के राजेश जोशी और कोमल जोशी की 8 साल की यह बच्ची इतनी छोटी सी उम्र में बड़े-बड़ों को हैरान कर देती है। खनक के पिता बताते हैं कि वह जब तीन साल की थी, तभी से हारमोनियम बजाती है। बचपन से ही हारमोनियम बजाने का ऐसा शौक है कि आज भी स्कूल जाने से पहले एक घंटा हारमोनियम का अभ्यास करना नहीं भूलती है। हाल में कटक में संगीत श्री पुरस्कार से सम्मानित खनक गांव में सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण हर रविवार को दिल्ली में डीयू की संगीत विभाग की डीन विदुषी उमा गर्ग से संगीत की तालीम लेने आती है और फिर शाम को वापस ट्रेन पकड़ कर अपने गांव जाती है। इस संघर्ष में उनके पिता का उन्हें भरपूर सहयोग मिल रहा है। हरिद्वार में खनक के कोच हैं श्री आरपी सिंह, जिन्होंने उन्हें संगीत की प्रारंभिक तालीम दी। संगीत के अलावा खनक को किताबें पढ़ने और कविताओं का भी शौक है। अपने पिता के साथ वो तुकबंदी करती है। खनक हरिद्वार के भागीरथी विद्यालय की कक्षा तीन की छात्रा है। खनक को अभी तक उड़ीसा में संगीत श्री का खिताब, राष्ट्रीय बाल कला उत्सव 2013 और 2012 (जूनियर) में प्रथम स्थान मिला है, यूनिवर्सल रंग महोत्सव 2012 में पहला स्थान हासिल किया, मधुरिमा संगीत समिति द्वारा आयोजित वोकल कॉम्पिटीशन में दो साल से प्रथम स्थान पर रही है और इसी तरह कई सम्मान हासिल किए हैं।
दिल्ली के ये होनहार, फिल्मों में कलाकार पाना है बहुत कुछ- हर्ष मयार
दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में दसवीं क्लास में पढ़ रहे हर्ष मयार करीब सात साल की उम्र से एक्टिंग कर रहे हैं। अपनी पहली फिल्म ‘आई एम कलाम’ के लिए कई इंटरनेशनल अवॉर्डस के अलावा बैस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट का नेशनल अवॉर्ड पा चुके हर्ष ने इसके बाद ‘जलपरी’ में भी काम किया और अभी भी वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ लगातार फिल्में कर रहे हैं। हर्ष बताते हैं कि हाल ही में उन्होंने हॉलीवुड की एक फिल्म ‘डिजायर ऑफ द हार्ट’ और सोहा अली खान के साथ एक हिन्दी फिल्म ‘चारफुटिया छोकरे’ पूरी की है। हर्ष बताते हैं कि ‘चारफुटिया छोकरे’ बच्चों की तस्करी पर आधारित है और उनकी एक और फिल्म भी जल्द पूरी होने वाली है। हर्ष का मानना है कि हमारे यहां बच्चों के लिए अच्छी फिल्में बनाने का चलन कभी रहा ही नहीं, क्योंकि हमारे यहां का बाजार इसके पक्ष में नहीं है। हर्ष कहते हैं कि मैं ज्यादा फिल्मों की बजाय सिर्फ उन्हीं फिल्मों में काम करना चाहता हूं, जिनमें मुझे लीड रोल मिले ताकि मैं अपने टेलेंट को खुल कर दिखा सकूं। एक्ट्रैस बनने का सपना- लहर खान
दिल्ली की ही रहने वाली हैं लहर खान। मानव स्थली स्कूल में नवीं क्लास में पढ़ रही लहर ने पिछले साल रिलीज हुई फिल्म ‘जलपरी’ में काम किया था। डांस, बास्केट बॉल और पेंटिंग में भी आगे रहने वाली लहर ने पिछले दिनों एक और जबर्दस्त अचीवमैंट भी हासिल की। अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित किए जाने वाले ओडिसी ऑफ द माइंड कॉम्पिटीशन में लहर की टीम भारत में फर्स्ट आई थी। इसके बाद वह अमेरिका गईं, जहां 65 टीमों में से उनकी टीम 13वें नंबर पर रही। फिल्मों, टीवी में काम करने के बारे में लहर का कहना है कि टीवी सीरियल्स के ऑफर्स तो बहुत सारे आते हैं, लेकिन उनमें काम करते हुए पढ़ाई का जो नुकसान होगा, उसके चलते मैंने उन्हें करना ठीक नहीं समझा। लहर बड़ी होकर एक्ट्रैस ही बनना चाहती हैं, लेकिन पहले वह अपनी पढ़ाई पूरी कर लेना चाहती हैं।

सहवाग, जहीर, भज्जी बीसीसीआई की अनुबंध सूची से बाहर

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सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग, तेज गेंदबाज जहीर खान और स्पिनर हरभजन सिंह को वर्ष 2013-14 के लिए बीसीसीआई की अनुबंधित खिलाड़ियों की सूची से गुरुवार को बाहर कर दिया गया जिससे साफ हो गया कि वह भारतीय क्रिकेट की भविष्य की योजनाओं में शामिल नहीं हैं।
पिछले साल 37 खिलाड़ियों को अनुबंधित किया गया था लेकिन इस बार इसमें कांट छांट करके केवल 25 खिलाड़ियों को इसमें रखा गया है। ग्रेड-ए में केवल पांच खिलाड़ी हैं जिन्हें प्रति वर्ष एक करोड़ रूपए मिलेगा। इनमें कप्तान महेंद्र सिंह धौनी, उदीयमान बल्लेबाज विराट कोहली और सुरेश रैना और ऑफ स्पिनर आर.अश्विन शामिल है। इस सूची में सचिन तेंदुलकर भी शामिल हैं जो वेस्टइंडीज के खिलाफ वानखेड़े स्टेडियम में अपना 200वां और आखिरी टेस्ट मैच खेल रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें ग्रुप-ए में रखा गया है। ये सभी खिलाड़ी पिछले साल भी सूची में शामिल थे। अनुबंधित खिलाड़ियों की सूची से हटाना सहवाग और जहीर के करियर की समाप्ति की शुरुआत मानी जा सकती है। सहवाग ने इस साल मार्च से जबकि जहीर ने लगभग एक साल से कोई टेस्ट मैच नहीं खेला है। खराब फॉर्म के कारण टीम से बाहर किए गए सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर और ऑलराउंडर युवराज सिंह को ग्रुप-बी में रख दिया गया है। इस ग्रुप के खिलाड़ियों को प्रति वर्ष 50 लाख रूपए मिलते हैं। सलामी बल्लेबाज शिखर धवन, बल्लेबाज मुरली विजय, ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा और तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार को अच्छे प्रदर्शन का इनाम दिया गया है। उन्हें ग्रेड-सी से बी में रख दिया गया है। इशांत शर्मा को लगातार खराब प्रदर्शन के बावजूद ग्रुप-बी में रखा गया है। भारतीय टीम में वापसी की कवायद में लगे हरभजन और तेज गेंदबाज इरफान पठान पिछले सत्र में ग्रुप-बी में थे लेकिन इस बार उन्हें बाहर कर दिया गया है। ग्रुप-सी में सबसे अधिक कांट छांट की गयी है। इसमें पिछली बार 20 खिलाड़ी थे लेकिन अब उनकी संख्या नौ रह गयी है। बीसीसीआई सचिव संजय पटेल ने बयान में कहा कि जिन खिलाड़ियों को इस सूची में जगह नहीं मिली है यदि वे भारत की तरफ से इस सत्र के दौरान टेस्ट, वनडे या टी20 में खेलते हैं तो उन्हें ग्रेड सी में रखा जाएगा। इस सूची में उदीयमान तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी इस ग्रुप में प्रवेश करने वाले नए खिलाड़ी है। ऑलराउंडर यूसुफ पठान और स्पिनर पीयूष चावला सूची में नहीं हैं। अनुबंधित खिलाड़ी इस प्रकार हैं :
ग्रेड-ए : एक करोड़ रूपए प्रतिवर्ष : सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धौनी, विराट कोहली, आर.अश्विन, सुरेश रैना।
ग्रेड-बी : 50 लाख रूपए : गौतम गंभीर, युवराज सिंह, प्रज्ञान ओझा, इशांत शर्मा, मुरली विजय, शिखर धवन, उमेश यादव, चेतेश्वर पुजारा, रविंदर जडेजा, भुवनेश्वर कुमार और रोहित शर्मा।
ग्रेड-सी : 25 लाख रूपए : दिनेश कार्तिक, अमित मिश्रा, रिद्धिमान साहा, अंजिक्य रहाणे, अंबाती रायुडु, विनयकुमार, मोहम्मद शमी, जयदेव उनादकट और मोहित शर्मा।

चित्रात्मक उपन्यास गांधी: माई लाइफ इस माई मैसेज का विमोचन

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बच्चों एवं युवाओं में सत्य, अहिंसा, ईमानदारी जैसे मानवीय मूल्यों की स्थापना के उद्देश्य से मीडिया कंपनी कैंपफायर ने महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित चित्रात्मक उपन्यास गां धी-माई लाइफ इज माई मैसेज का विमोचन किया। यह पुस्तक अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित की गयी है।
बाल दिवस के अवसर पर प्रकाशित होने वाली इस पुस्तक को विशेष रूप से बच्चों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। महात्मा गांधी के पड़पोते प्रोफेसर राजमोहन गांधी ने पुस्तक का लोकार्पण करने के बाद कहा कि बच्चों एवं युवाओं को महात्मा के आदर्शों को समझाने के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी साबित होगी। पुस्तक के लेखक जॉसन क्विन ने कहा कि मुझे इस पुस्तक को तैयार करने में बहुत मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने राजमोहन गांधी का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि उनकी पुस्तक मोहनदास : ए ट्रू स्टोरी ऑफ ए मैन, हिज पीपुल एंड एन एम्पायर ने मुझे इस पुस्तक को लिखने के लिए प्रेरित किया।

कांग्रेस को सता रहा है सत्ता जाने का भय: मोदी

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प्रधानमंत्री पद के लिये भाजपा के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने रायशुमारी का विरोध करने के लिए गुरुवार को कांग्रेस को यह कहते हुए आड़े हाथ लिया कि उसकी बेतुकी और हताश मांग के पीछे चुनाव हारने का उसका भय है। मोदी ने 19 नवम्बर को होने वाले दूसरे चरण के विधानसभा चुनाव से पहले यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर यह दावा करने के लिए तीखा हमला बोला कि केंद्र राज्य को धनराशि दे रही है, लेकिन वह उसका उचित ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। उन्होंने सोनिया के इतालवी मूल पर निशाना साधते हुए पूछा कि छत्तीसगढ़ में यह धनराशि क्या राहुल के मामा के यहां से आ रही है। मोदी ने कहा कि वे वर्ष 2014 का चुनाव हारने जा रहे हैं, भाजपा और राजग दिल्ली में सरकार बनाने जा रहे हैं। इसलिए वे सभी रायशुमारियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर रहे हैं, इन डरे हुए भयभीत लोगों को सत्ता जाने का डर सता रहा है। वे बेतुकी बातें कर रहे हैं और उतावली रणनीति अपना रहे हैं। मोदी ने सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें यह आरोप लगाने से पहले कुछ तैयारी करके यहां आना चाहिए कि राज्य अभी भी गरीब है और भाजपा शासन में वह कुशासन से प्रभावित है। उन्होंने पांच रैलियों में से पहली रैली में कहा कि कांग्रेस के सभी नेताओं प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री ने छत्तीसगढ़ सरकार की प्रशंसा की है। आपकी सरकार ने कई पुरस्कार दिये हैं और छत्तीसगढ़ को कई बार सम्मानित किया है। राज्य ने रमन सिंह के नेतृत्व में प्रगति की है। भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस को उन चुनावी वादों को उन राज्यों में पहले क्रियान्वित करना चाहिए जहां वह सत्ता में है, जैसे मुफ्त चावल और 24 घंटे बिजली। उन्होंने यह जानना चाहा कि कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के अपने उम्मीदवार की घोषणा करने से घबरा क्यों रही है। उन्होंने कहा क कांग्रेस नेताओं का यदि एक स्टिंग कराया जाए तो वे मुख्यमंत्री के लिए अपने उम्मीदवार के तौर पर अजित जोगी का नाम लेते हैं। ऐसा क्यों है कि आपको उनका नाम घोषित होने पर चुनाव में हार का भय सताता है। ऐसी कौन सी बातें हैं जो आपको उनका नाम घोषित करने से रोक रही हैं। मोदी ने कहा कि कांग्रेस का विभिन्न योजनाओं के तहत छत्तीसगढ़ को बड़े पैमाने पर धनराशि देने का दावा उसके लोगों का अपमान है, मोदी ने कहा कि सोनिया मैड़ा और शहजादे यहां पर आये थे। कहा कि इतना अनाज और धनराशि दी गई। क्या आप लोग यहां पर भीख मांगने के कटोरे के साथ खड़े हैं, कांग्रेस किस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रही है।

अंतिम टेस्ट में तेंदुलकर के बल्ले पर थे तिरंगे के रंग

Image Loadingअपना 200वां और अंतिम टेस्ट खेल रहे भारत के आइकन बल्लेबाज स चिन तेंदुलकर का बल्ला गुरुवार को नये ही रूप रंग में दिख रहा था। सचिन के बल्ले पर इसके निर्माता का स्टीकर, जबकि ग्रिप पर तिरंगे के रंग थे।
तेंदुलकर मुंबई में अपने घरेलू मैदान में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना 200वां टेस्ट मैच खेल रहे हैं। आम तौर पर वह काले रंग की रबड़ की ग्रिप लगाते थे, लेकिन आज इस पर उनके प्रायोजक का प्रतीक चिन्ह था जो उनके अंतिम मैच के लिये विशेष रूप से डिजाइन किया गया था। एडिडास इंडिया के ब्रांड निदेशक तुषार गोकुलदास ने कहा कि मैदान पर सचिन का बल्ला ही बोलता है और हर स्ट्रोक भारत के लिये उनके जुनून से लबालब होता था और वह भारत को प्रत्येक मैच जीतने की इच्छा से खेलते हैं। सचिन अपना करियर देश को समर्पित करना चाहता है और अपने एडिडास एसटी का इस्तेमाल अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिये इस्तेमाल करना चाहता है। एडिडास एसटी के सीमित बल्ले प्रशंसकों के लिये देश में एडिडास के चुनिंदा स्टोर में उपलब्ध कराये जायेंगे।

LIVE : 182 रनों पर सिमटी वेस्टइंडीज, ओझा को 5 विकेट

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मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का 200वां टेस्ट मैच खेलने उतरी भारतीय क्रिकेट टीम ने रविचंद्रन अश्विन (45 रन पर तीन विकेट) और प्रज्ञान ओझा (40 रन पर पांच) विकेट की घातक गेंदबाजी की बदौलत वेस्टइंडीज को पहली पारी में मात्र 182 रनों पर लुढका दिया। 
कोलकाता के ईडन गार्डन में मात्र तीन दिन में मैच समाप्त करने वाली भारतीय टीम ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भी पूरी तरह हुए 'सचिनमय' माहौल के बीच बेहतरीन गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण का परिचय देते हुए वेस्टइंडीज को 55.2 ओवरों में 182 रनों के मामूली स्कोर पर ढ़ेर कर दिया।
        
इससे पहले भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने सचिन की तस्वीर वाले खास सिक्के से टॉस किया और टॉस जीतकर पहले क्षेत्ररक्षण करने का निर्णय किया जो सही साबित हुआ। वेस्टइंडीज के तूफानी बल्लेबाज क्रिस गेल इस बार भी फ्लॉप साबित हुए और मात्र 1। रन बनाकर चलते बने। टीम की ओर से दूसरे नंबर के बल्लेबाज कीरन पॉवेल ने सर्वाधिक 48 रनों की पारी खेली।
        
क्रिकेट इतिहास में पहली बार जर्सी पर बदलाव कर सचिन रमेश तेंदुलकर 200 टेस्ट का नाम लिखे जर्सी पहने खिलाड़ियों और खासतौर पर गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया। वेस्टइंडीज की पहली पारी को सस्ते में समेटने के लिए अहम भूमिका निभाने वाले ओझा पांच विकेट लेकर सबसे सफल रहे। ओझा ने 11.2 ओवरों में 40 रन देकर पांच विकेट अपने नाम किए।          दूसरे नंबर पर रविचंद्रन अश्विन तीन विकेट लिए। अश्विन ने 15 ओवरों में 45 रन पर तीन विकेट हासिल किए जबकि तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने 45 रन पर एक विकेट और पिछले मैच के हीरो रहे मोहम्मद शमी ने 36 रन पर एक विकेट लिया।
         
कैरेबियाई बल्लेबाजी की इस बार भी पोल खुल गई। ओपनर गेल मात्र 17 गेंदों का ही सामना कर पाये थे कि वह शमी के हाथों भारत का पहला शिकार बने। इसके बाद पॉवेल ने स्थिति को कुछ संभालने की कोशिश करते हुए 80 गेंदों में चार चौके और एक छक्का लगाकर 48 रन जोड़े। पॉवेल को ओझा ने शिखर धवन के हाथों कैच कराया। 
         
मध्य क्रम भी टिक्कर खेल नहीं सका। डैरन ब्रावो ने 63 गेंदों में पांच चौकों और एक छक्के की मदद से 29 रन जोड़े जो टीम का तीसरा सर्वाधिक स्कोर रहा। ब्रावो को फिर दूसरे विकेट के रूप में अश्विन ने कप्तान धौनी के हाथों कैच कराया। मार्लोन सैम्युअल्स ने 19, शिवनारायण चंद्रपॉल ने 25, नरसिंहदेव नारायण ने 21 और दिनेश रामदीन ने नाबाद 12 रनों का योगदान दिया।
        
भारतीय गेंदबाजों के सामने वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों की खराब हालत का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके तीन बल्लेबाज एक के बाद एक शून्य पर आउट हुए। कप्तान डैरेन सैमी शून्य, शेन शिलिंगफोर्ड शून्य, और टिनो बेस्ट शून्य पर आउट हुए जबकि शेनन गैब्ररिएल एक रन बनाकर पवेलियन लौटे। कैरेबियाई टीम का दसवां विकेट भी ओझा ने झटका।

Friday 8 November 2013

डौडियाखेड़ा में 18वें दिन खुदाई जारी

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौंडियाखेड़ा स्थित राजा राव रामबख्श सिंह के खंडहरनुमा किले में कथित खजाने की खोज के लिए पिछले 17 दिनों से चल रही खुदाई शुक्रवार को भी जारी है।
खुदाई के दौरान पहले ब्लाक (क्षेत्र) में प्राकृतिक सतह मिलने के बाद वहां खुदाई बंद की जा चुकी है। दूसरे ब्लाक में अब तक 2.71 मीटर खुदाई हो चुकी है। गुरुवार को 65 सेंटीमीटर खुदाई हुई और शुक्रवार को भी खुदाई जारी है। पहले ब्लाक की 5.93 मीटर खुदाई में एएसआई को प्राकृतिक सतह मिल गई, जिसके बाद यहां खुदाई बंद कर दी गई है। एएसआई के अधीक्षक पी. के. मिश्र ने बताया कि दूसरे ब्लाक पर पहले ब्लाक की गहराई जितनी खुदाई जारी रहेगी। उन्नाव (बीघापुर) के उपजिलाधिकारी विजय शंकर दुबे ने शुक्रवार को बताया कि कड़ी सुरक्षा के बीच खुदाई का काम जारी है। अब तक सोना या उसके जैसी कोई धातु नहीं मिली है। गौरतलब है कि स्थानीय संत बाबा शोभन सरकार द्वारा किले में एक हजार टन सोना दबा होने का सपना देखे जाने के बाद एएसआई द्वारा यहां उनके बताए अनुसार खुदाई शुरू की गई। सोना मिलने की संभावना क्षीण होती देख एएसआई की तरफ  से स्पष्टीकरण दिया गया कि खुदाई खजाने के लिए नहीं बल्कि सांस्कृतिक अवशेषों के लिए की जा रही है

LIVE : वेस्टइंडीज की आधी टीम पवेलियन लौटी

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वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम ने ईडन गार्डन्स में भारत के साथ जारी पहले टेस्ट मैच के तीसरे दिन अपनी दूसरी पारी में 125 रन पर पांच विकेट गवां दिए हैं।   
शिवनरेन चंद्रपॉल 9 रन बनाकर खेल रहे हैं जबकि डैरन सैमी अभी क्रीज पर उतरे हैं।
दिनेश रामदिन एक रन बनाकर मोहम्मद शामी की गेंद पर मुरली विजय को कैच थमा बैठे। डैरन ब्रावो 4 चौकों की मदद से 37 रन बनाकर अश्विन की गेंद पर रोहित शर्मा को कैच थमा बैठे। मारलन सैम्यूल्स 4 रन बनाकर मोहम्मद शामी की गेंद पर आउट हो गए। किएरन पॉवेल 5 चौकों की मदद से 36 रन बनाकर आर.अश्विन की गेंद पर आउट हो गए। क्रिस गेल 7 चौकों की मदद से 33 रन बनाकर भुवनेश्वर कुमार की गेंद पर विराट कोहली को कैच थमा बैठे। भारत की तरफ से आर.अश्विन ने तीन विकेट जबकि मोहम्मद शामी ने दो विकेट झटके।   इससे पहले भारतीय क्रिकेट टीम ने तीसरे दिन अपनी पहली पारी में 453 रन बनाए। भारत को 219 रनों की अहम बढ़त हासिल हुई। वेस्टइंडीज ने अपनी पहली पारी में 234 रन बनाए थे। वेस्टइंडीज की ओर से शेन शिलिंगफोर्ड ने 167 रन देकर छह विकेट हासिल किए। शिलिंगफोर्ड ने करियर में पांचवीं बार पारी में पांच विकेट लिए हैं। भारतीय पारी भोजनकाल से ठीक पहले समाप्त हुई। भारतीय टीम ने दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक छह विकेट पर 354 रन बनाए थे। अपने करियर के पहले ही टेस्ट में शतक लगाने वाले रोहित शर्मा 127 और रविचंद्रन अश्विन 92 रनों पर नाबाद लौटे थे। रोहित और 124 रन बनाने वाले अश्विन ने दिन की शुरुआत ठीक उसी तरह की, जिस तरह से उन्होंने दूसरे दिन की समाप्ति की थी। सबसे पहले अश्विन ने 159 गेंदों पर अपने करियर का दूसरा शतक पूरा किया और फिर रोहित ने 254 गेंदों पर 150 रनों का आंकड़ा छुआ। दोनों ने इस साझेदारी के दौरान सातवें विकेट के लिए भारत के लिए सबसे अधिक रन जोड़े। इन दोनों ने दिलीप वेंगसरकर और रवि शास्त्री के बीच 1986 में हुई 259 (नाबाद) की साझेदारी को पीछे छोड़ दिया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुम्बई में खेले गए उस मैच में वेंगसरकर ने नाबाद 164 रन बनाए थे जबकि शास्त्री 121 रनों पर नाबाद लौटे थे। वह मैच बराबरी पर छूटा था। ऐसा लग रहा था कि रोहित आसानी से अपना दोहरा शतक पूरा कर लेंगे लेकिन अम्पायर के एक गलत फैसले ने उन्हें तथा दर्शकों को निराश कर दिया। रोहित 177 रन बनाकर पवेलियन लौटे। उस समय कुल योग 436 रन था। रोहित वीरासैमी परमॉल की गेंद पर पगबाधा हुए। वह अपने खिलाफ दिए गए फैसले से नाराज थे क्योंकि वीरासैमी परमॉल की गेंद ऑफ स्टम्प के बाहर गिरी थी और दाएं हाथ के बल्लेबाज रोहित से दूर जा रही थी। गेंद जिस तरह से पैड पर टकराई थी, उससे साफ था कि वह ऑफ स्टम्प से नहीं टकराती। रोहित इस फैसले के बाद कुछ पल के लिए विकेट पर रुके रहे और फिर भारी कदमों के साथ पवेलियन की राह ली। रास्ते में वे कुछ बुदबुदा रहे थे। जाहिर था कि वह अम्पायर के फैसले से बेहद नाराज थे। रोहित सिर्फ 23 रनों के अंतर से उन पांच खिलाड़ियों की सूची में शामिल नहीं हो सके, जो पदार्पण टेस्ट में शतक लगा चुके हैं। इस क्लब में इंग्लैंड के आरई फोस्टर, वेस्टइंडीज के लॉरेंस रो, श्रीलंका के ब्रेंडन कुरुप्पू, न्यूजीलैंड के एमएस सिंक्लेयर और दक्षिण अफ्रीका के जैक्स रुडॉल्फ शामिल हैं। फोस्टर ने 1903 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 287 रन बनाए थे जबकि रो ने 1972 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 214 रनों की शानदार पारी खेली थी। कुरुप्पू ने 1987 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 201 नाबाद, सिंक्लेयर ने 1999 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 214 और रुडॉल्फ ने 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ 222 नाबाद बनाए थे। इसके बाद वेस्टइंडीज के गेंदबाज हावी हो गए। इसी क्रम में अश्विन का विकेट 444 रनों के कुल योग पर गिरा। वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरा शतक लगाने वाले अश्विन ने 210 गेंदों पर 11 चौके लगाए। फिर 451 के कुल योग पर भुवनेश्वर कुमार (12) और 453 के कुल योग पर मोहम्मद समी (1) का विकेट गिरा।

Thursday 7 November 2013

दुनिया का सबसे छोटा द्वीप है बिशप रॉक

Image Loadingवैसे तो इस द्वीप पर कोई नहीं रहता, लेकिन इस पर 49 मीटर ऊंचे बने लाइट हाउस की वजह से यह आबाद है और दुनिया भर में अपनी पहचान बनाए हुए है। इस छोटे-से द्वीप पर बना लाइट हाउस यहां के आकर्षण का केंद्र है
तुमने अंडेमान-निकोबार, मालदीव्स जैसे द्वीप समूह (आइलैंड) के बा रे में सुना होगा। एक ओर तो ये द्वीप समूह चारों तरफ से समुद्र के पानी से घिरे हैं, दूसरी तरफ अपने एरिया के हिसाब से काफी बड़े हैं। वहां का प्राकृतिक वातावरण बहुत सुंदर है और बड़ी तादाद में जन-जीवन भी है। आज हम तुम्हें ऐसे द्वीप के बारे में बता रहे हैं, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस ने कुछ समय पहले दुनिया भर के द्वीपों में सबसे छोटा द्वीप घोषित किया है। यह है-अटलांटिक महासागर में इंग्लैंड (ब्रिटेन) के दक्षिण-पश्चिम सिरे पर बना बिशप रॉक द्वीप। यह द्वीप ब्रिटेन के आसपास के 1,040 सिसिली द्वीप समूह से करीब 4 मील की दूरी पर स्थित है। यह 16 मीटर चौडम, 46 मीटर लंबा और 45 मीटर गहरा है। वैसे तो इस द्वीप पर कोई नहीं रहता, लेकिन इस पर 49 मीटर ऊंचे बने लाइट हाउस की वजह से यह आबाद है और दुनिया भर में अपनी पहचान बनाए हुए है। इस छोटे से द्वीप पर बना लाइट हाउस बैटरी और जेनरेटर से स्वचालित है, जिसे हारविच एसेक्स के मुख्यालय से नियंत्रित किया जाता है। यह लाइट हाउस न्यूयॉर्क बे-लोअर और ट्रांस-अटलांटिक शिपिंग मार्ग से जाने वाले समुद्री जहाजों के लिए उपयोगी है। यह जहाजों के लिए गाइड का काम करता है। इसी वजह से आज इस निर्जन बिशप द्वीप को ‘ब्लू रीबैंड’ और इस पर बने लाइट हाउस को ‘किंग ऑफ द लाइट हाउस’ से सम्मानित किया गया है। अब तुम यह सोच रहे होगे कि इस छोटे-से द्वीप पर लाइट हाउस कब और क्यों बना? कहा जाता है कि पहले सजा प्राप्त कैदियों को थोड़े-से सामान के साथ इस द्वीप पर छोड़ दिया जाता था, जिनकी बाद में मौत हो जाती थी। दरअसल सदियों पहले सिसिली द्वीप समूह के आसपास बनी चट्टानों से टकरा कर कई जहाज मलबे बने और ब्रिटिश बेड़े डूब गए। इसी को देखते हुए खतरे से बचने के लिए बिशप रॉक में लाइट हाउस बनाने का फैसला लिया गया। लाइट हाउस बनाने का काम 1847 में शुरू किया गया था, लेकिन यह पूरा होने से पहले ही टूट कर बह गया। आज यहां ग्रेनाइट पत्थर से बना जो लाइट हाउस है, उसे 1853 में बनाया गया था। एक सितंबर 1858 को मोमबत्ती और पैराफिन लैंप या लालटेन से पहली बार जलाया गया। पहले वहां तक जाने के लिए नाव या जहाज का इस्तेमाल होता था। इसमें आने वाली मुश्किलों को देखते हुए ट्रिनिटी हाउस ने 1976 में लाइट हाउस के ऊपर एक हैलीपैड बनाया और इसे 1992 में पूरी तरह स्वचालित कर दिया। आज इस लाइट हाउस में 10 मंजिलें हैं, जिनमें ऊपर की चार मंजिलों में स्टोर रूम, कंट्रोल रूम और एक कमरा भी है, जिनमें ऊपर हैलीपैड और नीचे द्वीप तक जाने के लिए सीढिम्यां हैं। लोग अब इस लाइट हाउस को  देखने दूर-दूर से आते हैं।

थिसॉरस है बड़े काम की...

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किताबों की दुनिया भी गजब की है। तरह-तरह की किताबें हमारे पास हैं। कुछ किताबें रोज काम आने वाली होती हैं तो कुछ कभी-कभी। थिसॉरस ऐसी ही एक किताब है, जिसका इस्तेमाल करोगे तो तुम्हा री शब्द-संपदा यानी वर्डस पावर और बढ़ेगी। जिस तरह से डिक्शनरी होती है, उसी तरह यह थिसॉरस है। हिन्दी में कहें तो पर्यायवाची शब्दों का भंडार होता है थिसॉरस।
सामान्यत: जब हमें एक ही शब्द के अन्य पर्यायवाची शब्दों की जरूरत पड़ती है, तब हम बगलें झांकने लगते हैं। ऐसी स्थिति से हमें थिसॉरस उबारता है। जैसे चंद्रमा, सूर्य, पृथ्वी, आशा, ईश्वर आदि शब्दों के अन्य पर्यायवाची शब्दों की आवश्यकता पड़ती है तब थिसॉरस हमें इन शब्दों के पर्यायवाची शब्दों से परिचय कराता है। थिसॉरस में न केवल पर्यायवाची शब्द मिलते हैं, बल्कि उनका प्रयोग कैसे किया जाए, इसकी भी जानकारी उदाहरण के साथ दी जाती है। परीक्षा में तुमने देखा होगा कि हिन्दी, अंग्रेजी आदि विषयों में एक शब्द दिया होता है और तुमसे पूछा जाता है कि इसके पर्यायवाची शब्द लिखें और उसका वाक्य में प्रयोग करें। ऐसे में तुम्हें थिसॉरस ही मदद करता है। इस किताब में भी शब्दों का अरेंजमेंट ठीक डिक्शनरी की तरह ही होता है। कुछ थिसॉरस शब्दों को आधार बना कर बनाए जाते हैं। जैसे- आशा, कामना व अन्य शब्द। थिसॉरस तुम्हें इन शब्दों के पर्यायवाची शब्द और उनका वाक्य में प्रयोग करके बताता है। वहीं कुछ थिसॉरस में वर्णो के क्रमानुसार शब्दों की योजना मिलती है। लेकिन जो चीज समान होती है वह है शब्दों के तमाम पर्यायवाची शब्दों, उनके अर्थों को पाठकों को देना। यह किताब तुम्हारे लिए इसलिए भी खास महत्व रखती है, क्योंकि तुम्हें अपने वर्ड पावर यानी शब्द भंडार को बढ़ाना होता है। इसका इस्तेमाल लेख लिखने, अनसीन पैसेज को पढ़कर अपने शब्दों में लिखते वक्त काम आता है।

रोबोट की कहानी...

Image Loadingरोबोट चेक शब्द रोबोटा से लिया गया है। यह पहली बार 1921 में एक नाटक आरयूआर में सामने आया। इस नाटक का अंत दुखद है। इसमें मशीन अपने बनाने वालों की हत्या कर देती है। सिर्फ एक
व्यक्ति बचता है।
रोबोट द्वारा मानव हत्या की पहली घटना 1981 में हुई। जापानी कावाशाकी फैक्टरी में एक रोबोट ने अपने हाथ से एक मजदूर को चूर-चूर कर दिया। उद्योग क्षेत्र में इस समय दस लाख से अधिक रोबोट इस्तेमाल हो रहे हैं। इनमें आधे से अधिक जापान में हैं। अमेरिका के पास चार हजार रोबोट की सेना है। इनमें से टेलोन बोट्स का इस्तेमाल अफगानिस्तान में ओसामा बिन लादेन के ठिकाने ढूढ़नें में किया गया था। 1939 में मानव की तरह का पहला रोबोट बना। उसका नाम था इलेक्ट्रो। इसे वेस्टिंग हाउस ने बनाया। सात फुट लंबा यह रोबोट चल सकता था और सात सौ से अधिक शब्द बोल सकता था। 1960 में एक फिल्म सेक्स फिटेन्स गो टू कॉलेज में इलेक्ट्रा रोबोट को एक दृश्य में दिखाया गया। रोबोट विशेषज्ञ हेनरिक क्रिसेंसन को उम्मीद है कि आने वाले चार सालों में मनुष्य रोबोट के साथ सेक्स का आनंद ले सकेगा। कारनेगी मेलॉन्स रोबोटिक्स इंस्टीटय़ूट के संस्थापक हैं। मोरानेक की भविष्यवाणी है कि 2040 तक रोबोट की अपनी प्रजाति होगी। वे हर क्षेत्र में हमारी जगह ले लेंगे और हमारे बिना समाज को चलाने में सक्षम होंगे। ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक एक ऐसा रोबोट बनाने में जुटे हैं, जो ई कोली बैक्टीरिया की तरह तैरेगा। उसे मरीज के शरीर में इंजेक्ट करके बायोप्सी की जा सकती है। नीदरलैंड के वैज्ञानिक डैविड लेरी ने भविष्यवाणी की है कि अमेरिका का मेसाच्युसेट्स राज्य 2050 तक रोबोट से शादी को मान्यता दे देगा।  

ठंड से बचने को.. सो जाते हैं ये जानवर

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ठंड के मौसम में हम सभी गर्म कपड़े पहनते हैं, ताकि हम बाहर के कम तापमान से बीमा र न पड़ जाएं। लेकिन इस मौसम में बेचारे जानवर क्या करते होंगे। उनके पास तो स्वेटर भी नहीं होते ना। इसीलिए तो इनमें से कई इस समय में हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा में चले जाते हैं। आज इन्हीं के बारे में जानते हैं आरती मिश्रा से
मौसम बदल रहा है। अब सुबह और शाम के समय थोड़ी-थोड़ी ठंड लगने लगी है। शाम भी तो जल्दी ही हो जाती है ना। मम्मी तुम्हें जल्दी से घर लौटने को कहती हैं तो तुम कहते हो ‘मां, अंधेरा हो गया है, पर अभी तो 6 ही बजे हैं’। दरअसल, दिन छोटे होने लगे हैं। आगे जब सर्दी का मौसम पूरी तरह शुरू हो जाएगा तो दिन और छोटे हो जाएंगे। तुम्हारी दिनचर्या भी कुछ बदलेगी जरूर। शाम को देर तक खेलने से ठंड लगेगी, इसलिए जल्दी ही सारे दोस्त घर चले जाएंगे। सुबह भी बिस्तर से निकलने का मन नहीं करेगा। तुम्हारी ही तरह प्रकृति में बदलाव का असर जानवरों पर भी होता है। उनकी भी जीवनशैली बदलती है। कुछ जीव तो सर्दियों को झेल ही नहीं पाते, इसलिए इस मौसम में हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा में चले जाते हैं। चलो जानते हैं ऐसे ही जीवों के बारे में। एल्पाइन मेरमोट्स
मेरमोट्स पूरे साल में तकरीबन 8 से 9 माह के लिए हाइबरनेशन में चले जाते हैं। शीत निद्रा के दौरान वे हर मिनट में 2 या 3 बार ही सांस लेते हैं। यही नहीं, इनके दिल की धड़कन भी 120 बीट प्रतिमिनट से घट कर 3 या 4 बीट प्रति मिनट ही रह जाती है। ये मुख्य तौर पर मध्य और दक्षिण यूरोप में पाए जाते हैं। भालू
भालू की चार तरह की प्रजातियां सर्दियों का अधिकांश समय जमीन में खोदे गए गड्ढों, मांद, गुफाओं या खोखले पेड़ों में सो कर बिताते हैं। अमेरिकी काले भालू, एशियाई काले भालू, भूरे भालू और ध्रुवीय भालू या पोलर बीयर, ये चार ऐसी प्रजातियां हैं, जो सर्दियों के दिन नींद में बिताना पसंद करते हैं। शीत निद्रा के दौरान काले भालू का दिल प्रति मिनट ड्रॉप 40-50 से गिर कर 8 बार रह जाता है और वह लगभग 100 दिन तक बिना भोजन-पानी के आराम से रह सकता है। चमगादड़
अगर चमगादड़ अकेले हों तो वे सबसे लंबे समय तक शीत निद्रा में रह सकते हैं। जंगली भूरे चमगादड़ 64 से 66 दिनों तक और ज्यादा से ज्यादा 344 दिनों तक नींद की अवस्था में रह सकते हैं। इस दौरान इस छोटे से प्राणी को भोजन की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन अपनी प्यास बुझाने के लिए ये जागते हैं। कॉमन बॉक्स टर्टल
दक्षिणी-उत्तरी अमेरिका और इसके आसपास के इलाकों में ये छिपे हुए पाए जाते हैं। ये 77 से लेकर 154 दिनों के लिए सुप्तावस्था में जाते हैं। इस समय ये सांस लेने के लिए हवा का नहीं, बल्कि अपनी त्वचा का सहारा लेते हैं। इस समय इनके दिल की धड़कन 1 बीट प्रति 5-10 मिनट तक पहुंच जाती है। मधुमक्खी
जब ज्यादा सर्दी होती है और तापमान गिरता है तो काम करने वाली मधुमक्खियां मरती जाती हैं, लेकिन रानी मधुमक्खी खुद को हाइबरनेशन के जरिए बचाए रखती है। इसके लिए वह मिट्टी में छेद करके वहां रहती है या फिर किसी पेड़ में पनाह लेती है। 6 से 8 माह के बाद फिर वह निकलती है और अपनी टीम बनाती है। गार्टर स्नेक
मादा मधुमक्खी से अलग गार्टर स्नेक ग्रुप में शीत निद्रा में जाते हैं। कनाडा में हजारों सांप एक साथ शीत निद्रा में पाए गए हैं। सर्दियां खत्म होने पर ये बाहर आ जाते हैं। हेडगेहॉग
ये सबसे ज्यादा समय तक सोते रहते हैं। इस समय इनके शरीर का तापमान कम होता जाता है और ये धीरे-धीरे सांस लेते हैं। इनके शरीर में खास तरह के सेल्स होते हैं, जो इस समय में शरीर को गर्म बनाए रखते हैं। घोंघा
घोंघा सोने के लिए एक बिस्तर का निर्माण करता है। ये अपने खोल में चला जाता है और त्वचा के छेद को बंद करने के लिए चॉक और कीचड़ तैयार करता है। इस दौरान घोंघे के अंदर नमी बनी रहती है। शीत निद्रा के दौरान घोंघा जरा भी ऊर्जा का उपयोग नहीं करता, इसलिए उसे भोजन की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। कुछ क्षेत्रों में जहां कम बारिश होती है, वहां ये घोंघे साल भर के लिए सोते हैं। कॉमन पुअरविल
क्या तुम कभी सोच भी सकते हो कि कोई चिडियां भी हाइबरनेट करेगी। हां, ऐसी ही एक चिडियां है। यह ठंड के मौसम में पहाड़ों की ओट में जाकर छिप जाती है और वहां से 5 महीनों तक बाहर नहीं निकलती। यह अमेरिका में ज्यादा मिलती है।  ये है मजेदार...
शीत निद्रा में इन प्राणियों की सांस बहुत धीमी गति से चलती है।
इस दौरान ये न तो शिकार करते हैं और न ही खाते-पीते हैं।
इस अवस्था में ये प्राणी कोमा या बेहोशी की स्थिति में रहते हैं।
जीवित रहने के लिए शरीर में जमा चर्बी, वसा और पोषक तत्व मदद करते हैं।
जब मौसम बदलता है तो ये प्राणी अपनी शीत निद्रा से जागते हैं और धीरे-धीरे बाहर आकर सामान्य जीवन में वापस लौट आते हैं। क्या है हाइबरनेशन
हाइबरनेशन यानी शीत निद्रा या सुप्तावस्था। कुछ जानवर, पक्षी और सरीसृप जमीन के नीचे या ऐसी जगह में छिप जाते हैं, जहां उन पर ठंड का असर न हो। वे पूरी सर्दी लगातार सोए रहते हैं। लंबी नींद की इसी अवस्था को हाइबरनेशन या शीत निद्रा कहते हैं।

इसरो ने मंगल अभियान के तहत पहली प्रक्रिया की पूरी

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान को कक्षा से बाहर निकालने की पहली प्रक्रिया पूरी कर ली है। मंगलयान को मंगलवार को प्रक्षेपि त किया गया था।
इसरो के प्रवक्ता ने कहा कि हमने यह प्रक्रिया रात 1 बजकर 17 मिनट पर शुरू की और मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान को कक्षा से बाहर निकालने की पहली प्रक्रिया पूरी कर ली। अभी इसका विश्लेषण किया जा रहा है। इसरो के सूत्रों ने बताया कि अंतरिक्ष एजेंसी ने इसे कक्षा से बाहर निकालने की पहली प्रक्रिया का अभ्यास बुधवार (कल) सुबह 5 बजकर 2 मिनट पर किया था। मंगल अभियान के तहत इसे कक्षा से बाहर निकालने के संदर्भ में पांच प्रक्रियागत ऑपरेशन किए जाने निर्धारित हैं जिसकी गुरुवार (आज) से शुरुआत हो चुकी है। दूसरी और तीसरी प्रक्रिया कल और शनिवार को होगी, ताकि मिशन के अधिकतम बिन्दू (एपोजी) को बढ़ाकर क्रमश: 40 हजार किलोमीटर और 71,650 किलोमीटर किया जा सके। मंगल अभियान के तहत कक्षा से बाहर निकलने की चौथी और पांचवीं प्रक्रिया 11 और 16 नवंबर को होगी, जिसके तहत इसकी अधिकतम दूरी को बढ़ाकर क्रमश:1 लाख किलोमीटर और 1.92 लाख किलोमीटर किया जायेगा। इसरो के पीएसएलवी सी 25 ने 1350 किलोग्राम के मंगलयान (मार्स ऑर्बिटर) को मंगलवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर दो बजकर 38 मिनट पर प्रक्षेपण के 44 मिनट बाद पथ्वी की कक्षा में भेज दिया था। इसके साथ 450 करोड़ रुपये के इस अभियान का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो गया था। उपग्रह निगरारी प्रणाली की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यूडॉटएन2वाईओडॉटकाम के अनुसार, एमओएम अंतरिक्ष यान ने सेंट्रल अफ्रीकी रिपब्लिक को पार किया है और सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर यह सूडान के ऊपर था। भारतीय मार्स ऑर्बिटर की पृथ्वी से 273.5 किलोमीटर की सबसे करीबी दूरी (पेरीजी) और पृथ्वी से 28,746 किलोमीटर की अधितम दूरी (एपोजी) और इसका झुकाव कोण 19.2 डिग्री था।

मप्र में पेड न्यूज की पहचान कर रही सी-डेक

Image Loadingमध्यप्रदेश में इस माह 25 नवंबर को होने वाले विधान सभा चुनाव में सी-डेक राज्य स्तर पर पेड न्यूज के मामलों की पहचान कर रही है।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार भारत के निर्वाचन आयोग के निर्देश पर मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य एवं जिला स्तर पर मीडिया प्रमाणन एवं अनुवीक्षण समिति ( एमसीएमसी) का गठन किया गया है। यह समिति 24 घंटे और सातों दिन कार्य कर रही है। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में राज्य स्तर एवं जिला स्तर पर जिला मुख्यालय पर यह समिति गठित की गई है। एमसीएमसी स्व-प्रेरणा से पेड न्यूज तथा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को चिन्हित कर रही है। जिला स्तर पर समिति पेड न्यूज से संबंधित अपनी रिपोर्ट जिला निर्वाचन अधिकारी को प्रस्तुत कर रही है। पुणे की सी-डेक अंग्रेजी, हिन्दी वेबसाइट, राजनीतिक दलों की वेबसाइट एवं अन्य निर्देशित वेबसाइटों को नियमित रूप से देख रही है तथा पेड न्यूज एवं एमसीएमसी के प्रकरणों को चिन्हित कर ऑनलाइन उपलब्ध करवा रही है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को प्रतिदिन एमसीएमसी एवं सी-डेक अपनी रिपोर्ट सौंप रही है। सभी 51 जिला निर्वाचन अधिकारी को सी-डेक द्वारा यूजर पासवर्ड दिए गए हैं। उन्हें ऑनलाइन चिन्हित न्यूज एवं पेपर कटिंग को देखने की सुविधा दी गयी है।

गूगल ने अपना डूडल सीवी रमन को किया समर्पित

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प्रकाश के प्रकीर्णन के दौरान उसके नीले रंग को परावर्तित कर देने और शेष सभी अवयवी रंगों के अवशोषित हो कर ऊर्जा में तब्दील होने के कारण का रहस्य बताने वाले रमन इफैक्ट के जन्मदाता सीवी रमन की मेधा का लोहा गूगल ने भी माना और गुरुवार को (सात नवंबर) उसने अपना डूडल इसी भारतीय भौतिक विज्ञानी तथा गणितज्ञ को समर्पित किया।
सात नवंबर 1888 को तिरुचिरापल्ली में जन्मे सीवी रमन ने 28 फरवरी 1928 को रमन इफैक्ट की खोज की थी। इस महान खोज की स्मृति में ही हर साल 28 फरवरी को देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। इसी खोज के लिए रमन को 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। रमन भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले एशियाई थे। संगीत में गहरी दिलचस्पी रखने वाले रमन ने वाद्य यंत्रों की ध्वनियों पर भी अनुसंधान किया था और इस बारे में उनका एक लेख जर्मनी के एक विश्वकोष में प्रकाशित हुआ था। गणित में गहरी रुचि रखने वाले रमन तत्कालीन मद्रास के प्रेसीडेन्सी कॉलेज से गणित में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले अकेले छात्र थे। भारतीय लेखा सेवा (आईएएस) में जाने के इच्छुक रमन ने इसके लिए तैयारी की और प्रतियोगिता परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए। इस परीक्षा के नतीजे से एक दिन पहले ही एमए के परिणाम घोषित हुए जिसमें रमन ने मद्रास विश्वविद्यालय के इतिहास में सर्वाधिक अंक हासिल किए। उपब्धियों का आसमान आगे भी था। रमन ने आईएएस परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए और उनकी नियुक्ति कलकत्ता में सहायक लेखापाल के पद पर हुई। यहीं काम करते करते वह इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन ऑफ सांइस की प्रयोगशाला में अनुसंधान करने लगे। विज्ञान के प्रति उनकी दीवानगी इस हद तक थी कि अपनी अच्छी खासी सरकारी नौकरी छोड़ कर वह 1917 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में कम वेतन पर भौतिक विज्ञान के प्राध्यापक पद पर काम करने लगे। भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था। 21 नवंबर 1970 को 82 साल की उम्र में रमन का निधन हो गया था।

'नाइजीरियाई राजनयिक ने भेजे आक्रामक एसएमएस'

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गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने गुरुवार को आरोप लगाया कि एक नाइजीरियाई राजनयिक ने यहां हुई एक नाइजीरियाई नागरिक की हत्या के सिलसिले में पुलिस अधी क्षक को आक्रामक एसएमएस भेजे थे।
पर्रिकर ने वास्को नगर में पत्रकारों से बातचीत में राजनयिक का नाम लिए बगैर कहा कि उन्हें (राजनयिक को) गलत सूचना दी गई और वह हमारे पुलिस अधीक्षक को आक्रामक एसएमएस भेजने की हद तक गए। एक नाइजीरियाई राजनयिक हाल में गोवा में थे और उन्होंने कथित रूप से धमकी दी थी कि अगर उनके हमवतन लोगों को गोवा में परेशान किया गया तो नाइजीरिया में रहने वाले भारतीयों को उसकी प्रतिक्रिया झेलनी पड़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवा पहुंचे राजनयिक उचित चैनल से नहीं आए थे। उन्होंने कहा कि किसी विदेशी राजनयिक के बतौर, उन्हें विदेश मंत्रालय के माध्यम से आना चाहिए था। मुझे कभी कोई सूचना नहीं मिली कि कोई आ रहा है। पर्रिकर ने कहा कि नाइजीरिया और भारत के बीच गलतफहमी मीडिया की गलत रिपोर्टिंग का नतीजा है। उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं कहा था कि नाइजीरियाइयों को स्वदेश भेजा जाएगा, बल्कि मैंने कहा था कि नाइजीरियाई समेत अवैध रूप से रह रहे विदेशियों को स्वदेश भेजा जाएगा। इससे पहले, नाइजीरिया ने भारत को एक कूटनीतिक संदेश जारी किया, जिसमें अपने नागरिकों की सुरक्षा पर चिंता जताई और गोवा में पिछले हफ्ते मारे गए एक नाइजीरियाई के हत्यारों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की गई। इसके बाद सरकार ने नाइजीरिया को आश्वासन दिया कि सहयोगात्मक तरीके से सभी मुद्दों का समाधान किया जाएगा। केन्द्र ने कल कहा था गोवा में एक नाइजीरियाई की हत्या का मामला बुलंद किए जाने के बाद वह नाइजीरिया के साथ कूटनीतिक संवाद में है। उसने रेखांकित किया कि वह इस मामले में राज्य सरकार से एक रिपोर्ट की अपेक्षा कर रहा है। इस बीच, विशेष जांच दस्ते ने उत्तर गोवा के चपोरा में ओबोदो उजोमा सिमयन की हत्या के सिलसिले में मंगलवार की रात को सुरेन्द्र पाल नामक एक युवक को गिरफ्तार किया। पर्रिकर ने पहले दावा किया था कि यह नशीले पदार्थ की तस्करी से जुड़ा एक अपराध है।

Wednesday 6 November 2013

सक्‍सेस के इस एहसास को बयां नहीं कर सकता: रितिक रोशन


रितिक रोशन
कृष 3 की अपार सफलता से रितिक रोशन बेहद खुश हैं. पेश हैं उनसे बातचीत के अंश:

आपकी फिल्‍म रिलीज हो गई है और सिर्फ चार दिनों में ही वह 100 करोड़ के क्‍लब में शामिल हो गई. क्‍या अब आप तनावमुक्‍त हो गए हैं?मैं चार दिनों से सोया नहीं हूं. ऐसा अकसर रिलीज के समय होता है, लेकिन आज रात मैं एक सुपरहीरो की तरह सोऊंगा. यह काफी बढ़िया है कि फिल्‍म चार दिनों के अंदर ही 100 करोड़ के क्‍लब में आ गई. यही नहीं फिल्म ने सोमवार को 35.91 करोड़ रुपये की कमाई करके एक दिन में सबसे ज्यादा कमाई का नया रिकॉर्ड भी बनाया है. यह एक ऐसा एहसास है जिसे मैं शब्‍दों में बयां नहीं कर सकता.

एक फिल्‍म पर तीन सालों तक मेहनत करने के बाद रिलीज के दिन कैसा लगता है?शुक्रवार को तो सुबह हुई ही नहीं क्‍योंकि गुरुवार को हम सोए ही थे. यह सिर्फ मेरी मेहनत ही नहीं है, बल्कि पूरी टीम ने एक प्रोजेक्‍ट पर दो से तीन सालों तक मेहनत की. इसलिए आप चाहते हैं कि टीम में शामिल सभी लोगों के लिए फिल्‍म अच्‍छा काम करे. कृष 3 बनाकर मेरे पिता ने बहादुरी भरा कदम उठाया इसलिए मैं चाहता हूं कि फिल्‍म उनके और दूसरे लोगों की खातिर अच्‍छा काम करे.

वह कौन सी शुरुआती बातें थीं, जिन्‍होंने आपको बताया कि आपकी फिल्‍म चल निकली है?
मैं शुरुआती बातों में यकीन नहीं रखता. शुरुआत में ऐसे बहुत से लोग होंगे जो आपसे कहेंगे कि आपकी फिल्‍म बहुत अच्‍छी है, लेकिन पहले के कुछ दिनों में इंतजार करना बेहतर रहता है और फिर अपने आप आपको रिस्‍पॉन्‍स के बारे में पता चल जाता है. शुरुआती बातों से फिल्‍म पर निष्‍कर्ष निकालने की जरूरत नहीं है.

हमें आप मुंबई के मशहूर सिंगल स्‍क्रीन वाले सिनेमा हॉल मराठा मंदिर की दीवार पर नजर आए. आपने वहां से हजारों लोगों की भीड़ को देखा, आप मुश्किल से ही उनके चेहरे देख पा रहे होंगे, लेकिन वे आपकी एक झलक पाने को बेकरार थे. हमें उस अहसास के बारे में बताइए?
यह अवास्‍तविक है. जब मैंने उस नजारे को देखा तो विश्‍वास कीजिए कि मैं, मैं नहीं रहा. वहां पर खड़े होकर आपको जो प्‍यार मिला उससे बयां नहीं किया जा सकता. मेरा मन हुआ कि मैं दीवार से कूदकर भीड़ में चला जाऊं. मैं उस पल का भरपूर मजा लेना चाहता था. मैं हॉलीवुड के कलाकारों को बताना चाहता हूं कि उनके पास भले ही ढेर सारी चीजें होंगी, लेकिन जो प्‍यार भारतीय दर्शक देते हैं उसकी तुलना कभी किसी से नहीं की जा सकती. ये कुछ ऐसा है जिसे वे कभी नहीं देख सकते, बशर्ते कि वे भारत में बॉलीवुड में हों.

आपने मुंबई में ऑडियंस के साथ बैठकर फिल्‍म देखी. यह सुनने में तो अच्‍छा लगता है, लेकिन क्‍या ये खतरनाक नहीं था?यह किसी भी कलाकार के लिए सीखने वाला अनुभव है. जब मैं उन लोगों के साथ फिल्‍म देख रहा था तो मैं बार-बार ये सोच रहा था कि हमें इस सीन में कुछ और भी डालना चाहिए था क्‍योंकि वे यहां पर हंस रहे हैं, हमें थोड़े और एक्‍शन का इस्‍तेमाल करना चाहिए था क्‍योंकि दर्शक आनंद उठा रहे हैं. मैंने फैसला किया है कि अब मैं अपनी सारी फिल्‍मों को दर्शकों के बीच बैठकर देखूंगा.

आपकी फिल्‍म ने 35.91 करोड़ रुपये की कमाई करके एक दिन में सबसे ज्यादा कमाई का नया रिकॉर्ड भी बनाया है. आप जैसे स्‍टार के लिए इस तरह के रिकॉर्ड कितने मायने रखते हैं? क्‍या इससे कुछ बदल जाता है?यह एक गेम है और मैं इसे खेलने के लिए तैयार हूं. हम सभी यहां पर एक मकसद के लिए हैं और मैं एक्टिंग से लेकर फिल्‍म की सफलता का जश्‍न मनाने तक की पूरी प्रक्रिया में शामिल होना चाहता हूं. ये रिकॉर्ड्स खुद पर और अपने काम पर फिर से विश्‍वास दिलाते हैं.

आपकी फिल्‍मों के बारे में जो कुछ लिखा जाता है उससे आप क्‍या सीखते हैं? अच्‍छा या बुरा!
अगर कोई मेरे काम के बारे में कुछ लिखता है तो यह उसका अपना विचार है, यह जनता का नहीं, बल्कि एक व्‍यक्ति का विचार है. मेरे काम के बारे में जो कुछ भी अच्‍छा या बुरा लिखा जाता है, मैं उसका सम्‍मान करता हूं और उसमें से अगर कुछ सीखने के लिए होता है तो मैं जरूर सीखता हूं.

कृष 3 के बाद क्‍या?
मैं सिद्धार्थ आनंद निर्देशित फिल्‍म बैंग बैंग में कटरीना के साथ काम कर रहा हूं. यह अपने नाम की तरह एक मजेदार फिल्‍म है, जिसकी शूटिंग जल्‍द ही शुरू होने वाली है.

कृष 3 को जिस तरह का रिस्‍पॉन्‍स मिला है, उससे कृष 4 तो जरूर ही बनाई जाएगी?मेरे दीमाग में तो पहले से ही कृष 4 का विचार है. फिल्‍म की रिलीज के बाद से मुझे डैड से मिलने का समय नहीं मिला, जैसे ही मेरी उनसे मुलाकात होगी मैं उनसे अपना आइडिया शेयर करूंगा. लेकिन मैं दर्शकों को बताना चाहता हूं कि आपको पता चलने से पहले ही कृष 4 रिलीज हो जाएगी.

ई-चुनाव का परिणाम: इंटरनेट पर छाया भगवा रंग, धड़ाधड़ हुई मोदी के लिए वोटिंग

अभी-अभी मुंबई के जुहू में सूरज उगा है. देश के इस चर्चित समुद्र तट पर अरब सागर में उसकी किरणों की झिलमिलाहट से 35 वर्षीया गृहिणी प्रीति गांधी की आंख खुलती है. उनका घर एकदम तट पर जो है. यह उनकी हर रोज की सुबह जैसी ही है. वे पहले अपनी आठ वर्षीय बेटी और पांच साल के बेटे को स्कूल रवाना करती हैं. फिर, अपने इनवेस्टमेंट बैंकर पति के साथ एक प्याली चाय का आनंद उठाती हैं. पति के काम पर निकलने के साथ ही उनकी दूसरी जिंदगी शुरू होती है.
ई-चुनाव के पूरे परिणाम देखने के लिए यहां क्लिक करें

इधर, दिल्ली में 32 वर्षीय विकास पांडेय भी दफ्तर के लिए निकल रहे हैं. अच्छे से की गई शेव, चुस्त शर्ट, काले रंग की पैंट, गहरे रंग के मोजे और लेदर जैकेट में वे किसी आइटी कंपनी के एक्जक्यूटिव लगते हैं. दफ्तर के बाद वे अपने दोस्तों के साथ बंगाली मार्केट में काफी का मजा लेते हैं, और बीच-बीच में अपने मोबाइल सेट में खो जाते हैं. पांडेय असली दुनिया में अपनी भूमिका बखूबी निभाते हैं, जहां वे सामान्य कंप्यूटर विशेषज्ञ ही हैं. लेकिन उनकी एक समांतर दुनिया भी है और उसमें वे छोटे-मोटे सेलेब्रिटी से कम नहीं हैं.
ट्विटर पर @MrsGandhi और  @iSupportNaMo के नाम से परिचित गांधी और पांडेय के आखिरी अपडेट तक क्रमश: 30,000 और 18,000 फॉलोवर थे. ये दोनों इंटरनेट पर हिंदुत्व, बीजेपी और मोदी समर्थक उस बिरादरी के सबसे जाने-पहचाने चेहरे हैं जो सोशल मीडिया और इंटरनेट पर चलने वाली हर बहस में अपनी धाक जमा रही है.

यह बिरादरी मोटे तौर पर भले ही बीजेपी की सूचना-प्रौद्योगिकी शाखा यानी दिल्ली में पार्टी मुख्यालय 11, अशोक रोड पर सोशल मीडिया मैनेजरों और टेक्नीशियनों की 100 लोगों की टोली और पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की अहमदाबाद में यूनिट से निर्देश प्राप्त करती हो, लेकिन इसमें बहुआयामी और स्वतंत्र लोगों की भरमार है.
ये लोग हमारे इर्दगिर्द चारों तरफ दिखते हैं. वे आपके दफ्तर में बगल के क्यूबिकल में या क्लास रूम में में बगल की टेबल पर बैठे हो सकते हैं. वे हमेशा अपने स्मार्टफोन पर इंटरनेट खंगालते मिलेंगे. वे एक-दूसरे से ऐसे नेटवर्क से जुड़े हैं जो विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को एक मंच पर ला रहा है. उन्हें लगता है कि उनकी आवाज सुनी जा रही है और सोशल मीडिया पर सक्रिय, उन्हीं की जैसी सोच वाले पॉलिटिकल एक्टिविस्ट उनकी बात को और दूर तक ले जा रहे हैं.

इंटरनेट पर इस बिरादरी की प्रभावी पैठ का प्रमाण इंडिया टुडे समूह के इलेक्शन सर्वेक्षण में देखा जा सकता है. इस सर्वेक्षण में आम चुनाव की तर्ज पर लोकसभा क्षेत्रों में इंटरनेट और मोबाइल पर लोगों को वोट करने को कहा गया था. मोबाइल फोन पर एक बार में एक पासवर्ड से मतपत्र खोलने का प्रावधान किया गया था ताकि एक मोबाइल नंबर से एक बार ही वोट दिया जा सके और धांधली की कोई गुंजाइश न रहे.

23 सितंबर से 30 अक्तूबर तक अप्रत्याशित रूप से कुल 5,56,460 वोट डालने वाले यूजर्स में से 3,38,401 ने बीजेपी को चुना. यहां तक कि चौतरफा मुकाबले वाले उत्तर प्रदेश में भी 87.1 प्रतिशत वोट बीजेपी के पक्ष में पड़े. इस सर्वेक्षण के नतीजे भले जमीनी हकीकत का बयान न कर रहे हों पर एक बात तो शर्तिया तौर पर साबित करते हैं कि इंटरनेट भगवा रंग में रंग चुका है.

भारत में इंटरनेट की पहुंच, इस्टैटइंडिया डॉटकॉम के मुताबिक, सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों तक ही है और यूजर करीब 11.618 करोड़ ही हैं. लेकिन दूसरी ओर अक्तूबर में गूगल के एक सर्वे के मुताबिक, हर 10 शहरी मतदाताओं में से 4 यानी 37 प्रतिशत शहरी मतदाता अब इंटरनेट पर हैं.
हिंदुत्व की ओर झुकी यह इंटरनेट बिरादरी कई बार गाली-गलौज पर उतर आती है. यह अमूमन धुर अल्पसंख्यक विरोधी और हमेशा सरकार विरोधी होती है. वह खुद को अब इंटरनेट हिंदू कहलाना पसंद करती है. गांधी कहती हैं, ''जब मुझे कोई संघी या दक्षिणपंथी या इंटरनेट हिंदू कहता है तो मेरा मन खिल उठता है. मुझे लगता है कि कहूं 'वाह! क्या बात है’.” उनकी भाषा युवा और बोलचाल वाली है. (अमेरिकी किशोरों वाले अंदाज में हर वाक्य में 'ओ वाव लाइक’ की अभ्यस्त गांधी भी इसकी पुष्टि करती हैं.) लेकिन उनका एजेंडा पोस्ट मॉडर्न और परंपरा का मिश्रण है.
यह बिरादरी खानदानशाही की राजनीति खासकर नेहरू-गांधी खानदान की विरोधी है लेकिन बीजेपी और उसके शिवसेना जैसे सहयोगियों में बाप-बेटे की राजनीति पर वह कोई राय नहीं रखती. वह अल्पसंख्यक तुष्टीकरण को 'छद्म धर्मनिरपेक्षता’ ऐसे तेवर के साथ कहती है जिसका अर्थ बड़ी आसानी से हिंदू आधिपत्य की आकांक्षा या मुस्लिम विरोध लगाया जा सकता है. ये लोग दलित और ओबीसी आरक्षण के विरोधी हैं, खासकर इसलिए क्योंकि उस पर ढंग से अमल नहीं होता. उन्हें देश की आंतरिक सुरक्षा की चिंता है. लेकिन सबसे बढ़कर वे भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं.
मोदी का चुंबकीय आकर्षण
इनके बेहद आक्रामक किस्म के ट्वीट से भले ऐसा न लगे लेकिन इस बिरादरी में तमाम ऐसे हैं जो एकाध साल के भीतर ही सोशल मीडिया पर सक्रिय हुए हैं. और उस वक्त बीजेपी या उसकी नीतियों का समर्थन शायद उनका मकसद न था. पांडेय को ही लीजिए. उन्होंने अपना ट्विटर एकाउंट उस दिन खोला जब उन्होंने सुना कि सचिन तेंडुलकर ट्विटर पर आ गए हैं. वे कहते हैं, ''मेरे परिवार में आरएसएस से जुड़े लोग रहे हैं लेकिन मैं तो सचिन को देखकर ही ट्विटर की ओर खिंचा आया. इस दुनिया में प्रवेश लेने के बाद एक के बाद दूसरा सिलसिला शुरू हो गया.”

पैंतीस वर्षीय शिल्पी तिवारी की पढ़ाई आर्किटेक्ट की है और अब वे अपने पति के साथ एक कंसल्टेंसी फर्म चलाती हैं. शिल्पी बताती हैं कि पहले वे सरकारी परियोजनाओं में शामिल रही हैं. उन्हें सबसे पहले अण्णा हजारे और उनके जन लोकपाल आंदोलन ने आकर्षित किया. वे कहती हैं, ''मैं रामलीला मैदान में हजारों लोगों के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रही थी.”

बाद में जब कांग्रेस और सरकार विरोधी भावनाएं तीखी होने लगीं तब उनका झुकाव बीजेपी और खासकर मोदी की ओर हुआ. अब तिवारी और उनकी तरह के तमाम लोग यह मानते हैं कि उनकी कोशिशों से ही मोदी बीजेपी में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की रेस जीत सके हैं. वे मुस्करा कर कहती हैं, ''हमने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन ही नहीं किया, बल्कि उसे हासिल करवा दिया.”

दिल्ली में इंटरनेट डेमोक्रेसी प्रोजेक्ट की निदेशक अंजा कोवाक्स के मुताबिक, मध्यवर्गीय युवा बीजेपी समर्थक पूरी तरह इंटरनेट प्रसार की देन हैं. वे कहती हैं, ''दरअसल, इस इंटरनेट आंदोलन की अगुआई तकनीक के उन एक्सपर्ट्स ने की है जो विदेश चले गए हैं लेकिन हर वक्त भारत से जुडऩे के मौके की तलाश में रहते हैं. मध्यवर्गीय और आर्थिक तरक्की की आकांक्षा रखने वाले युवा, जो ज्यादातर इंटरनेट से भी जुड़े हैं, स्वाभाविक तौर पर कम्युनिस्टों के बदले बीजेपी की ओर आकर्षित होंगे.”

आइआरआइएस नॉलेज फाउंडेशन और इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के एक सर्वेक्षण के मुताबिक, 2014 के आम चुनावों में सोशल मीडिया 160 लोकसभा सीटों को प्रभावित करने जा रहा है. अक्तूबर में गूगल का सर्वेक्षण कहता है कि इंटरनेट से जुड़े सभी शहरी मतदाताओं का करीब 42 प्रतिशत अभी भी मन नहीं बना पाया है कि वह किसको वोट दे. इस तरह अभी एक बड़ा वोट बैंक किसी भी ओर झुक सकता है. हालांकि इसमें किसी को हैरत नहीं होनी चाहिए कि ज्यादातर शहरी मतदाताओं ने गूगल पर सबसे ज्यादा किसी नेता को तलाशा है तो वे हैं नरेंद्र मोदी.

वैसे तो ये इंटरनेट योद्धा कई भगवा खेमे से हैं (देखें बॉक्स), लेकिन इनका बड़ा हिस्सा मोदी के प्रति बड़ी शिद्दत से आकर्षित है. उसे लगता है कि मोदी कोई गलती नहीं करेंगे. पांडेय, तिवारी और किशोरावस्था से ही आरएसएस- बीजेपी से जुड़े पटकाधारी सिख 27 वर्षीय तेजिंदरपाल सिंह बग्गा का कहना है कि वे मोदी के अंध भक्त नहीं हैं, बल्कि उनकी नीतियों, उनके विकास मंत्र और उनकी साफ-सुथरी छवि के कारण उनका समर्थन करते हैं.

लेकिन, जब उनसे पूछा गया कि क्या मोदी ने अपने समूचे राजनैतिक करिअर में ऐसा कुछ किया, जिससे वे सहमत नहीं हो पाते हैं तो किसी के पास उनकी कोई भी शिकायत नहीं थी. हमने पूछा, ''तो क्या वे हमेशा सही रहे हैं?” सभी ने कमोबेश एक ही तरीके से धीरे से जवाब दिया, ''नहीं” लेकिन किसी के पास इस सवाल का खंडन करने वाला कोई उत्तर नहीं था.

ऐसा लगता है कि अधकचरी राजनैतिक समझ और भावुक किस्म की बातें ही ऑनलाइन हिंदू स्पेस में छाई हुई हैं. इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब पैट्रियट्स ऐंड पार्टीजन्स में एक अध्याय 'हिंदुत्व हेट मेल’ को समर्पित किया है, जो उन्हें कई वर्षों में लेखक और स्तंभकार के रूप में प्राप्त हुए हैं. कई ईमेल और संपादक के नाम पत्रों में उन्हें गांधी परिवार का टट्टू वगैरह बताया गया.

गुहा का मानना है कि उनका साबका ''ऐसे लोगों से पड़ा जो मुंह अंधेरे उठते हैं, एक गिलास गाय का दूध पीते हैं, सूर्य को नमस्कार करते हैं और फिर इंटरनेट खोलकर आज के सेकुलरों को तोहमत भेजने के लिए मुहावरे की तलाश करने में जुट जाते हैं.”

गुहा की बात पर शब्दश: यकीन करने के अपने खतरे हैं. आज के हिंदू ऑनलाइन योद्धा के उनके वर्णन में आंशिक सचाई ही है. अब इस बिरादरी की एक बड़ी संख्या सुबह उठती है, जॉगिंग करने जाती है, एक कप ब्लैक कॉफी का स्वाद चखती है और हजारों एक्जिक्यूटिक्स तरह अपनी एसयूवी स्टार्ट कर लेती है. इनमें डॉक्टर, इंजीनियर, आइटी प्रोफेशनल, नौकरशाह, कॉल सेंटर में काम करने वाले, पत्रकार और व्यापार-उद्योग धंधे वाले हैं.

वे अपने काम में निपुण हैं लेकिन अक्सर उनका उथला राजनैतिक ज्ञान उन्हें हास्यास्पद बना देता है और वे बेवजह आक्रामक हो उठते हैं. उनकी दुनिया में सब कुछ काला-सफेद ही होता है, उस पर और किसी तरह का रंग चढ़ता ही नहीं.

प्रीति गांधी एआइएमआइएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी के पिछले दिसंबर में नफरत भरे भाषण की चर्चा करते हुए कहती हैं, ''हम मुस्लिम विरोधी नहीं हैं लेकिन अगर आप हमें मजबूर कर देंगे तो प्रतिक्रिया होनी लाजिमी ही है. वरना, मेरे कुछ अच्छे दोस्त मुसलमान हैं.”  बिडंबना यह है कि ऑनलाइन मुहावरों की एक गाइड 'अर्बन डिक्शनरी’ के मुताबिक, 'मेरे कुछ अच्छे दोस्त’ का अर्थ ''कुछ पूर्वाग्रहग्रस्त लोग ऐसा कहते हैं जब वे अपने पूर्वाग्रह के चक्कर में बुरे फंसते हैं.”

 एका ही उनकी ताकत
इस ऑनलाइन बिरादरी के लोग अब एक-दूसरे को हकीकत में भी जानने लगे हैं. सबके पास एक-दूसरे के ईमेल, फोन नंबर, पता, होता है और सबकी कोशिश होती है कि कुछ अंतराल पर भोजन वगैरह के लिए इकट्ठा हुआ जाए. वे एक-दूसरे के शहर में जाने पर घरों में जाते हैं और बच्चों की पढ़ाई से लेकर हर चीज पर बात करते हैं. हकीकत में एक-दूसरे से भेंट-मुलाकात इस वजह से भी होती है कि इंटरनेट पर 'छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों’ के हमले के दौरान एक-दूसरे का साथ मिले.

एक मायने में यह ढीली-ढाली ऑनलाइन बिरादरी वक्त-जरूरत पर एक-दूसरे के काम भी आती है. महीने भर पहले 35 वर्षीय रुद्र शेखर (ट्विटर पर @RudraHindu) ने खुद ही बताया कि वे किडनी की बीमारी की वजह से अस्पताल में हैं. ऑनलाइन बिरादरी ने ट्विटर पर संदेश भेजकर इलाज के लिए 2 लाख रुपए जुटा लिए.

रुद्र शेखर का 7 अक्तूबर को निधन हो गया. उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार उनके पार्थिव शरीर को बीजेपी के झंडे में लपेट कर किया जाए. बग्गा कहते हैं, ''हम उनसे कभी मिले नहीं थे लेकिन वे हमारे दोस्त थे.” रुद्र शेखर की न सिर्फ अंतिम इच्छा पूरी की गई, बल्कि उनके पिता को मोदी ने खुद फोन करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

लेकिन इस बिरादरी के सदस्यों के खिलाफ असली शिकायत तो यह है कि वे कांग्रेस नेताओं, समर्थकों और उन पत्रकारों को ढूंढ़-ढूंढ़ कर उनका पीछा करते हैं जिन्हें वे सरकार समर्थक 'पेड मीडिया’ का गिरोह बताते हैं. वे अत्यंत आक्रामक किस्म की कूट भाषा में बात करते हैं (देखें बॉक्स) और वाद-विवाद में कमजोर पडऩे पर अकसर गाली-गलौज पर उतर आते हैं. कांग्रेस के समर्थक भी गाली-गलौज का जवाब देते हैं.

लेकिन उनमें वह तल्खी नहीं होती है. इस तरह सोशल मीडिया पर राजनैतिक बहस का स्तर काफी नीचे गिर जाता है. एक कांग्रेस समर्थक अमरेश मिश्र तो शिल्पी तिवारी को मार्च में गंभीर नतीजों की धमकी दे बैठे. हालांकि कांग्रेस की तीखी आवाजें अमूमन बीजेपी समर्थकों की संख्या और उनकी तल्ख बयानी में खो-सी जाती हैं.

सीएनएन-आइबीएन की डिप्टी एडिटर सागरिका घोष के टीवी शो और लेखों पर लगातार तीखी टिप्पणी की जाती है. वे कहती हैं कि कई ट्वीट तो यूं ही हलकी-फुलकी नुक्ताचीनी होते हैं लेकिन कुछ बेहद खतरनाक. उनके शब्दों में, ''एक बार किसी ने लिखा कि वह मेरी बच्ची के स्कूल का समय जानता है. मैं काफी डर गई. ट्विटर को ऐसे ही लोग बदनाम कर रहे हैं, वरना वह अद्भुत किस्म का लोकतांत्रिक मंच है.”

मामला यहां तक पहुंच गया कि इस मई में बीजपी की आइटी इकाई के प्रमुख अरविंद गुप्ता ने पार्टी पदाधिकारियों, सदस्यों और समर्थकों के लिए सोशल मीडिया के दिशानिर्देश जारी किए. अपनी तरह के इस इकलौते दिशानिर्देश में कहा गया कि ''तरह-तरह के मसलों पर स्वस्थ बहस का हमेशा स्वागत है क्योंकि इससे मुद्दों की जटिलता और उसके पहलुओं की समझ विकसित होती है. लेकिन बहस अशोभनीय व्यवहार में नहीं बदलनी चाहिए.”


बीजेपी या उसके समर्थकों वाले ऑनलाइन ब्रिगेड का एक हिस्सा भले ही अश्लील भाषा का इस्तेमाल न करता हो, फिर भी पार्टी उन तमाम लोगों का साथ नहीं छोड़ सकती जो उसके पक्ष में इंटरनेट पर सक्रिय हैं. @HinduIDF और @barbarindian जैसे कई अज्ञात नाम सोशल मीडिया पर लगातार अश्लील भाषा का प्रयोग करते हैं लेकिन बीजेपी समर्थक उन्हें कभी कुछ नहीं कहते.

इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि 'वे रैडिकल यानी उग्रपंथी हो सकते हैं पर वे हमारे अपने रैडिकल हैं.’ गुप्ता कहते हैं, ''इंटरनेट भी सिनेमा या संगीत की तरह समाज का आईना है. गाली-गलौज अमूमन अच्छी भाषा न जानने से भी निकलती है. जैसे कॉलेज में आप किसी बहस में अपनी बात ढंग से नहीं रख पाते तो अश्लील किस्म की आक्रामकता पर उतर आते हैं. लेकिन ऐसे लोग कुल मिलाकर पांच प्रतिशत ही हैं. हमारे ज्यादातर समर्थक शिक्षित और आधुनिक हैं.”

हालांकि इस ऑनलाइन बिरादरी की भाषा, उसके अर्थ और उसकी मान्यताओं पर बहस की गुंजाइश बनी रह सकती है लेकिन ज्यादातर लोग नेक इरादों से ही आए हैं. और वह इरादा है राष्ट्रवाद का. उनमें राष्ट्रवाद का जज्बा है और वे अपने विचारों के आधार पर अन्याय के खिलाफ लडऩा चाहते हैं तथा प्रभावी बदलाव लाना चाहते हैं. थोड़े ठेठ भदेसपन, कम तर्कशक्ति और थोड़ी नकारात्मकता के साथ उनके अपने नायकों का आकलन उन्हें एक गंभीर राजनैतिक बिरादरी के रूप में तब्दील कर रहा है.

इंटरनेट पर बीजेपी के वर्चस्व पर कांग्रेस के प्रवक्ता संजय झ कहते हैं, ''दुष्प्रचार ऐसे ही काम करता है. बार-बार और ऊंची आवाज में एक ही बात बोलनी पड़ती है. वे लोगों पर शब्दों और विचारों की बौछार कर देते हैं. पिछले साल तक सोशल मीडिया पर कांग्रेस की उपस्थिति लगभग नहीं के बराबर थी, इसलिए वे इतना चढ़ गए. अब कांग्रेस ने भी इस पर काम शुरू किया है. सोशल मीडिया ऐसा मंच है, जिसमें पहले पहुंचने वाले की बढ़त थोड़े समय में ही खत्म की जा सकती है.”

लेकिन कांग्रेस की यह धारणा भी ठीक नहीं लगती कि बीजेपी के इंटरनेट समर्थकों का आधार गढ़ा हुआ और फर्जी है, क्योंकि आंकड़े भी कुछ कहते हैं. सोशल मीडिया ने साफ जाहिर कर दिया है कि 2014 के आम चुनावों में वह क्या चाहता है. दूसरी पार्टियां यह सोचकर दिलासा पा सकती हैं कि ऑनलाइन बिरादरी ही यह तय नहीं करेगी कि देश की सत्ता किसे मिले. न ही अभी आप अपने वोट ट्वीट कर सकते हैं.

'डेढ़ इश्किया' से नई शुरुआत, फेसबुक पर लॉन्च होगा ट्रेलर


फिल्म के प्रोड्यूसर विशाल भारद्वाज और डायरेक्टर अभिषेक चौबे ने अपनी फिल्म 'डेढ़ इश्किया' का ट्रेलर ‘यूट्यूब’ की बजाए फेसबुक पर लॉन्च करने की योजना बनाई है. इस तरह डेढ़ इश्किया बॉलीवुड की पहली ऐसी फिल्म होगी जो फेसबुक के जरिये अपना ट्रेलर लॉन्च करेगी.
वैसे, इन दिनों हर फिल्म का ट्रेलर थिएटर में रिलीज होने से पहले ‘यूट्यूब’ पर डाल दिया जाता है. उसके बाद फिल्म से जुड़े लोग खबरें फैलाना शुरू करते हैं कि फिल्म के ट्रेलर को इतने घंटे या इतने दिन के अंदर ही इतने ‘हिट्स’ मिल गए. इस तरह फिल्म निर्माण से जुड़े लोग अपनी फिल्म की शोहरत के चर्चे शुरू कर देते हैं.
आसान भाषा में कहें तो ‘यूट्यूब’पर ट्रेलर लांच करना प्रचार का नया तरीका है, लेकिन 'डेढ़ इश्किया' के निर्माता इससे एक कदम आगे बढ़ना चाहते हैं. वे सोशल नेटवर्क साइट्स के इस्तेमाल का इरादा रखते हैं.


और भी... http://aajtak.intoday.in/story/dedh-ishqiya-trailer-will-be-release-on-facebook-1-746398.html

100 करोड़ यूजर्स के साथ किसने दी Facebook की बादशाहत को चुनौती?

भारत में परिणीति करती हैं We Chat का विज्ञापन
न वह ट्विटर है, न गूगल प्लस और न ही लिंक्डइन. लेकिन जिस रफ्तार से उसकी लोकप्रियता बढ़ रही है, उसने फेसबुक का नंबर-1 सोशल नेटवर्किंग साइट का ताज खतरे में डाल दिया है. यह एक कंपनी है जिसके बारे में पश्चिम के ज्यादातर लोग नहीं जानते. धमाकेदार ग्रोथ करने वाली यह कंपनी है चीन की 'टैंसेट' और उसकी मोबाइल मैसेजिंग एप्लीकेशन 'वीचैट'.
अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स की वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक, टेंसेट ने हाल ही में घोषणा की कि उसकी एप्प 'वीचैट' के यूजर्स की संख्या पिछले साल के मुकाबले 8.5 करोड़ बढ़ गई है. टेंसेट और वीचैट के मंथली एक्टिव यूजर्स 100 करोड़ के पार पहुंच गए हैं.
भारत में वीचैट का प्रचार बॉलीवुड एक्टर परिणीती चोपड़ा और वरुण धवन करते हैं.
पिछले हफ्ते, सोशल नेटवर्किंग के बेताज बादशाह फेसबुक ने माना कि टीन यूजर्स उससे अलग हो रहे हैं और 'मंथली एक्टिव यूजर्स' के मामले में इसकी ग्रोथ 18 फीसदी की दर से घट रही है.

इस कंपनी की तरक्की के समाजशास्त्रीय कारण भी हैं. दरअसल चीन में पश्चिमी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बैन है और यह दुनिया का सबसे सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है.
पिछले दशक की तुलना में यहां लोगों की आय 1430 डॉलर से बढ़कर 6100 डॉलर (करीब 3 लाख 75 हजार रुपये) हो गई है. बल्कि शंघाई और गुआंझू जैसे विकसित शहरों के अमीर तो न्यूयॉर्क में रहने वाले लोगों से बेहतर स्थिति में हैं.
टेंसेंट सिर्फ चीन तक ही सीमित नहीं है. बल्कि मई से सितंबर 2013 के बीच इसके विदेशी यूजर्स की संख्या 5 करोड़ से बढ़कर 10 करोड़ हो गई.
आखिर ऐसा क्या है टेंसेंट और वीचैट में? सबसे खास बात इसमें कुछ ऐसे कमाल के फीचर्स हैं जो यूजर्स को बार-बार लौट आने पर मजबूर करते हैं. मैसेजिंग की बात करें तो 'होल्ड टू टॉक' के जरिए वॉकी-टॉकी स्टाइल में मैसेज भेज सकते हैं, जिसके बाद वॉइस मेल की जरूरत ही नहीं पड़ती.
वीचैट ने कई स्तरों पर ट्विटर और फेसबुक दोनों की एप्रोच का मिला-जुला रूप है. यहां आप दुनिया भर में किसी को फॉलो कर सकते हैं तो म्यूच्युअल फ्रेंड्स वाले स्थानीय नेटवर्क पर भी काम कर सकते हैं.

रानी मुखर्जी ने आदित्‍य चोपड़ा संग मनाई 'अंतरंग' दीवाली


रानी मुखर्जी और आदित्‍य चोपड़ा
बॉलीवुड अभिनेत्री रानी मुखर्जी ने रविवार रात अपने जुहू स्थित बंगले पर करीबी दोस्‍तों के साथ दीवाली मनाई. दीवाली के इस जश्‍न में रानी के साथ आदित्‍य चोपड़ा भी थे. आपको बता दें कि यश राज फिल्‍म के चिराग आदित्‍य के साथ रानी का नाम जोड़ा जाता रहा है, लेकिन उन्‍होंने इस रिश्‍ते को कभी सबके सामने कबूला नहीं.

दीवाली के मौके पर रानी गहरे गुलाबी रंग की साड़ी में नजर आईं. लेकिन एक चीज जिसे आप मिस नहीं करना चाहेंगे वह यह कि इस मौके पर रानी अपने हाथों से ऑफ व्‍हाइट रंग का सिल्‍क कुर्ता-पायाजामा पहने आदित्‍य चोपड़ा को मिठाई खिलाती हुईं नजर आईं.
यही नहीं स्‍वर्गीय यश चोपड़ा की पत्‍नी पामेला चोपड़ा भी रानी के घर पर काफी सहज लग रही थीं. रानी ने कभी भी आदित्‍य के साथ अपने तथाकथित रिश्‍ते को कबूल नहीं किया. वहीं, दूसरी ओर आदित्‍य ने इस मामले में हमेशा मीडिया से दूरी बनाए रखी और रानी के साथ कैमरे में कैद ना होने की पूरी कोशिश करते रहे.

बहरहाल, रानी ने दीवाली पर करन जौहर और कोरियोग्राफर वैभवी मर्चेंट को भी बुलाया था. रानी के बीमार पिता राम भी मौजूद थे, लेकिन उनकी तस्‍वीर नहीं खींची जा सकी क्‍योंकि वे घर के अंदर बैठे थे.
तस्‍वीरों में रानी की मां कृष्‍णा, भाभी ज्‍योति और उनके दो बच्‍चे विवान और मायशा मस्‍ती करते हुए नजर आ रहे हैं.


और भी... http://aajtak.intoday.in/story/ranis-intimate-diwali-celebration-with-aditya-chopra-1-746423.html

भाजपा और अकालीदल में चार सीटों पर समझौता

Image Loadingदिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अकाली दल (बादल) में चार सीटों के लिए समझौता हुआ है। 
पार्टी मुख्यालय में केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक के बाद भाजपा के सांसद नरेश गुजराल और अकाली दल बादल की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने बताया कि विधानसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियों में चार सीटों पर समझौता हुआ है। गुजराल ने बताया कि अकाली दल बादल हरिनगर, राजोरीगार्डन, शाहदरा और कालकाजी से चुनाव लडेगा। वर्तमान में हरिनगर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के हरशरण बल्ली विधायक हैं। वह लगातार चार बार से चुनाव जीत रहे हैं। शेष तीन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। राजोरी गार्डन से दयानंद चंडीला, शाहदरा से नरेंद्रनाथ और कालकाजी से सुभाष चोपडा विधायक हैं।

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राजीव गांधी की सुरक्षा पर गलत बयानी कर गए आरपीएन सिंह

Image Loadingगृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह बुधवार को उस वक्त गलत बयानी कर गए, जब उन्होंने कहा कि राजग सरकार पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सुरक्षा मुहैया कराने में विफल रही जिनकी 1991 में हत्या कर दी गई थी।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि मैं राजग के लोगों से कहना चाहता हूं कि जब वे सत्ता में थे तो राजीव गांधी को उप निरीक्षक स्तर की भी सुरक्षा नहीं दी गई। उन्हें अपनी कुर्बानी देनी पड़ी। अब वे सुरक्षा के बारे में बात कर रहे हैं। वह पटना में हुए कई विस्फोटों को केंद्र और बिहार सरकार द्वारा रोकने में विफल रहने के भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया जता रहे थे। भाजपा नीत राजग के 1998 में सत्ता में आने से सात वर्ष पहले राजीव गांधी 1991 के लोकसभा चुनावों के दौरान आतंकवादी हमले में मारे गए थे। उस वक्त प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में कार्यवाहक सरकार केंद्र में सत्तारूढ़ थी।

दिल्ली का चुनावी दंगलः शीला दीक्षित और केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी से विजेंद्र गुप्ता संभालेंगे मो

बीजेपी नेता विजेंदर गुप्ता दिल्ली का चुनावी दंगल दिलचस्प होता जा रहा है. खबर है कि नई दिल्ली विधानसभा सीट से शीला दीक्षित के खिलाफ बीजेपी से विजेंद्र गुप्ता मोर्चा संभालेंगे. आपको बता दें कि आम
आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
दरअसल, अरविंद केजरीवाल बीजेपी पर जानबूझकर शीला दीक्षित के खिलाफ कमजोर उम्मीदवार उतारने का आरोप लगाते रहे हैं. उन्होंने इससे पहले विजय गोयल और हाल ही में, बीजेपी के सीएम उम्मीदवार डॉ. हर्षवर्धन को सीधे मुकाबले के लिए चुनौती दी थी.
अब जब बीजेपी ने विजेंदर गुप्ता को उतारने का फैसला किया है तो देखना होगा कि केजरीवाल बीजेपी की इस रणनीति पर क्या बयान देते हैं, पर इतना तो तय है कि इस सीट का त्रिकोणीय मुकाबला होगा मजेदार.
कौन है विजेंदर गुप्ता?
विजेंदर गुप्ता बीजेपी के दिल्ली ईकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं. उन्होंने दिल्ली बीजेपी की कमान 2010 में संभाली थी. पार्टी 2012 का एमसीडी चुनाव उनके नेतृत्व में ही लड़ी जिसमें बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिली. श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक करने वाले विजेंदर गुप्ता रोहिणी से तीन बार काउंसिलर रह चुके है. वे डूसू के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1983 में जनता विद्यार्थी मोर्चा के सचिव के तौर पर की थी. इसके अलावा 2009 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी अपना किस्मत आजमाया था. दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ लड़े थे जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
बीजेपी ने जारी की 62 उम्‍मीदवारों की सूची
विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने 62 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. कृष्णा नगर से हर्षवर्धन और विजेन्द्र गुप्ता को नई दिल्ली विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. शीला दीक्षित के खिलाफ विजेन्द्र गुप्ता मोर्चा संभालेंगे. उम्मीदवार बनते ही विजेन्द्र गुप्ता ने शीला दीक्षित को बहस की चुनौती दी. पार्टी ने मौजूदा तीन विधायकों के टिकट नहीं दिया है लेकिन उनके बेटों को उम्मीदवार जरूर बनाया है. इनमें ग्रेटर कैलाश सीट से विजय मल्होत्रा के बदले उनके बेटे अजय मल्होत्रा, तिलकनगर से ओ.पी. बब्बर के बदले उनके बेटे राजीव बब्बर, महरौली से साहिब सिंह वर्मा के बेटे परवेश वर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है.
इस लिस्ट में चार पार्षद भी शामिल हैं. मटिया महल से मोहम्मद निजामुद्दीन को उम्मीदवार बनाया है जो पेशे से वकील हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार ने उम्मीदवारों की सूची का ऐलान किया. चुनावी तालमेल के तहत अकाली दल को चार सीटें देने का फैसला किया गया है. इन चार सीटों में हरिनगर, रजौरी गार्डन, शाहदरा और कालकाजी शामिल है. बीजेपी हरिनगर से मौजूदा विधायक हरशरण सिंह बल्ली को टिकट नहीं देकर उसे अकाली दल की झोली में डाल दिया गया है. बीजेपी की लिस्ट में अनूसूचित जाति के 7, अल्पसंख्यक कैटेगरी के एक और चार महिलाओं को टिकट दिया गया है.