Monday 24 February 2014

अब भारतीय भाषा में एंड्रायड एप्स


अब भारतीय भाषा में एंड्रायड एप्स
नई दिल्ली। फोन के मार्केट में भारत को भी खूब प्रसिद्धि मिली है। अब गूगल ने भी भारत को महत्व देते हुए यहां की क्षेत्रीय भाषाओं में नए एंड्रायड एप्स बनाने की योजना की है। इस सिलसिले में बेंगलूर में दो दिवसीय वर्कशॉप आयोजित की जा रही है जिसकी मेजबानी का दायित्व गूगल ने लिया है। यह वर्कशॉप भारतीय भाषाओं में एंड्रायड एप्लीकेशन को बनाने व डिजाइन करने पर फोकस करेगा। 21 फरवरी व 22 फरवरी को होने वाले इस इवेंट में करीब 100 डेवलेपर्स हिस्सा लेंगे।
एंड्रायड फोन का बाजार
इस वर्कशॉप का लक्ष्य क्षेत्रीय भाषाओं को आगे बढ़ाना व उन भारतीय इंटरनेट यूजर्स के लिए एप्लीकेशन विकसित करना है जो बस अपनी भाषा में काम कर सकते हैं।
गूगल के मैनेजिंग डायरेक्टर राजन आनंदन का कहना है कि भारत में 300 मिलियन ऐसे इंटरनेट यूजर्स हैं जो अंग्रेजी भाषा का प्रयोग नहीं करते, इसलिए हम इंटरनेट पर क्षेत्रीय भाषा का विकास करेंगे जो हमारी भी वृद्धि में सहायक होगी। उन्होंने आगे कहा कि छोटे शहरों व गांवों में रहने वाले लोग इंटरनेट के महत्व को समझ इसमें काफी रुचि ले रहे हैं।
एंड्रायड के लिए बेहतरीन मैसेजिंग एप्प
इस इवेंट के दौरान एप्स को बनाने में प्रयोग किए गए सभी तकनीकी विधि को गूगल कवर करेगा। इसके साथ ही गूगल इसके बिजनेस पक्ष को भी देखेगा।
हैकाथन नामक इस इवेंट से संगठन को भारतीय भाषा इंटरनेट के विकास में काफी सहायता मिलेगी।

कोर्लोस तेवेज के निर्णायक गोल ने जुवेंटस की तय की जीत

रोम, एजेंसी। कार्लोस तेवेज द्वारा दागे एकमात्र गोल की मदद से जुवेंट्स ने इटली की सीरि-ए फुटबॉल मुकाबले में तोरिनो को 1-0 से पराजित किया।

अर्जेंटीना के तेवेज ने खेल के 30वें मिनट में गोल दागा जो निर्णायक साबित हुआ। उन्होंने विपक्षी टीम के गोल के नजदीक से नीचा शॉट लगाया जिसे रोकने के लिए डैनिएल पैडेली ने डाइव भी लगाई, लेकिन वह रोक नहीं सके।

इसी के साथ सीरि-ए चैंपियन टीम ने अंक तालिका में दूसरे स्थान पर मौजूद रोमा टीम से 9 अंकों की बढ़त बना ली है। साथ ही तेवेज लीग में सर्वाधिक गोल करने के मामले में जिउसेपी रोसी के साथ संयुक्त रूप से शीर्ष पर पहुंच गए हैं। दोनों के खाते में 14-14 गोल हैं। जुवेंट्स की टीम 17 मैचों से लीग में अपराजेय है।

हालांकि विपक्षी टीम ने भी कड़ी चुनौती दी। खेल के 10वें मिनट में ही ओमार अल कडोरी ने हमला किया और जुवेंट्स ने विपक्षी आक्रमण किया। खेल के 80वें मिनट में अल कडोरी ने पेनल्टी की अपील की क्योंकि उन्हें लगा कि बाक्स के अंदर पिर्लो ने उन्हें बाधा पहुंचाई। हालांकि रैफरी उनकी अपील से सहमत नहीं थे और उन्होंने खेल जारी रखा॥

जोलो का नया स्मार्टफोन क्यू 1010

नई दिल्ली। जोलो जल्द ही नये क्वाड-कोर डुअल सिम स्मार्टफोन लांच कर रहा है जिसका नाम क्यू 1010 होगा। यह स्मार्टफोन फ्लिपकार्ट की वेबसाइट पर आने वाले डिवाइस के वर्ग में सूचिबद्ध है। हालांकि इसमें इसकी कीमत व उपलब्ध होने का विवरण नहीं है। यह नया स्मार्टफोन जोलो क्यू 1010 दूसरे फोन क्यू 1000 एस और क्यू 1000 ओपस का ही क्रमानुयायी है।
5 इंची आइपीएस डिसप्ले व 1280 गुणा 720 पिक्सल रिज्योलूशन के साथ आने वाला यह फोन क्वाडकोर 1.3 जीएचजेड मीडिया टेक एमटी 6582 मोबाइल चिपसेट और 1 जीबी रैम से लैस है। इसमें 4जीबी का इंटर्नल स्टोरेज है। इसमें मेमोरी कार्ड स्लॉट भी है जिससे इसका स्टोरेज 32जीबी तक बढ़ सकता है। इसके अलावा इसमें 8 मेगापिक्सल का रियर व फ्रंट कैमरा है और साथ में एलइडी फ्लैश भी।

बीएसआई सेंसर युक्त कैमरे में एचडीआर, पैनोरमा, ऑटो फोकस, सीन डिटेक्शन और दूसरे मोड भी हैं। कनेक्टीविटी के लिए इसमें ब्लूटूथ 4.0, जीपीएस, ए जीपीएस भी है। इसमें माइक्रो यूएसबी पोर्ट है।
8.3 मिमी मोटाई वाले इस स्मार्टफोन में 2250 एमएएच बैटरी है जो 9 घंटे के टॉकटाइम देने का वादा करती है।

फिल्म रिव्यू: व्हाट द फिश (1 स्टार)

रमुख कलाकार: डिंपल कपाड़िया, विशाल शर्मा और आनंद तिवारी।
निर्देशक: गुरमीत सिंह।
स्टार: 1
'व्हाट द फिश' केवल डिंपल कपाड़िया की फिल्म नहीं है। फिल्म के प्रचार में यह धोखा गढ़ा गया है। वह केंद्रीय चरित्र जरूर हैं, लेकिन फिल्म में अनेक चरित्र आते-जाते हैं। 'व्हाट द फिश' ऐसी डायरी है, जिसके पन्ने हवा में फड़फड़ा रहे हैं। कभी कोई पृष्ठ खुल जाता है, कभी कोई। तारतम्य बिठाना मुश्किल होता है। आखिरकार पूरी कहानी जुड़ती है तो हम ठगा महसूस करते हैं, क्योंकि एक रोचक विषय को अयोग्य लेखन और निर्देशन से अरुचिकर बना दिया गया है।
मौसी को अपनी पैरॉट फिश और मनी प्लांट प्रिय है। महीने भर के लिए घर से बाहर जा रही मौसी इन दोनों को दाना डालने और सींचने की जिम्मेदारी भतीजी को देकर जाती हैं। भतीजी अपने ब्वॉयफ्रेंड को जिम्मेदारी सौंपती है और फिर यह जिम्मेदारी हर चरित्र के साथ आगे सरकती जाती है। किरदारों को अतीत और भविष्य से काट कर सिर्फ वर्तमान में रखा गया है। उनके बारे में ज्यादा न जानने से अपरिचय भाव बना रहता है।
नए कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं में स्वतंत्र मेहनत की है। यह मेहनत उनके परफारमेंस तक ही सीमित रहती है। कड़ी से कड़ी जुड़ती जाती है, लेकिन वह किसी हार का रूप नहीं लेती है। मौसी (डिंपल कपाडि़या) को हास्यास्पद किरदार बना दिया गया है। डिंपल कपाड़िया लाउड परफारमेंस के बावजूद फिल्म की जरूरत पूरी करने में असफल रही हैं। यह सवाल करना बेमानी है कि उन्होंने 'व्हाट द फिश' क्यों की? यह उनका व्यक्तिगत फैसला है। हर कलाकार को अपनी साख बनाने और बिगाड़ने का अधिकार है।
फिल्म के शीर्षक और विषय का परस्पर संबंध में समझ में नहीं आता।
अवधि-108 मिनट

फिल्म रिव्यू: कर ले प्यार कर ले (1 स्टार)


प्रमुख कलाकार: शिव दर्शन, हसलीन कौर और अहम शर्मा।
निर्देशक: राजेश पांडे।
संगीतकार: राशिद खान, प्रशांत सिंह, मीत ब्रदर्स अंजान, रय्यान अमीन और मुमजीन स्ट्रेंजर।
निर्माता सुनील दर्शन और निर्देशक राजेश पांडे की फिल्म 'कर ले प्यार कर ले' के टाइटल में 'प्यार' की जगह 'मार' लिखा जाता तो अधिक सुसंगत होता है। फिल्म के मुख्य किरदार आरंभ से अंत तक छूटते ही मारधाड़ करते रहते हैं। 'कल ले प्यार कर ले' निर्माता-निर्देशक सुनील दर्शन के बेटे शिव दर्शन की पहली फिल्म है। स्टार पुत्रों की लॉन्चिग फिल्मों की परंपरा में इस फिल्म में भी शिव दर्शन की क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया है। सारे दृश्य इस लिहाज से ही रचे गए हैं कि हिंदी फिल्मों के हीरो के प्रचलित गुणों को दिखाया जा कसे। रोमांस, एक्शन और इमोशन में सबसे ज्यादा जोर एक्शन पर रहा है।
फिल्म के हीरो को दमदार दिखाने के लिए सभी सहयोगी भूमिकाओं में साधारण किलकारों का चयन किया गया है। निर्माता-निर्देशक को डर रहा होगा कि किसी भी दृश्य में कोई अन्य दर्शकों को आकर्षित न कर ले। इस प्रयास में फिल्म इतनी कमजोर हो गई है कि थोड़ी देर के लिए भी बांध नहीं पाती।
'कल ले प्यार कर ले' देखते हुए महसूस हुआ कि युवा कलाकारों की संवाद अदायगी लगभग एक सी हो गई है। दृश्यों में आंखें बंद करने पर सिर्फ सुन कर अनुमान नहीं कर सकते कि कौन सा किरदार बोल रहा है? दूसरे इस फिल्म में सभी कलाकारों को ऊंचा स्वर दिया गया है। थोड़ी देर के बाद संवाद सुनाई नहीं पड़ते ़ ़ ़ कानों में बजने लगते हैं।
'कर ले प्यार कर ले' में शिव दर्शन अपने पहले प्रयास में वे निराश करते हैं। फिल्म के बाकी कलाकार भी प्रभावहीन हैं। स्टार पुत्रों की लॉन्चिंग फिल्म में संगीत पर पूरा ध्यान दिया जाता है। इस फिल्म का संगीत भी स्तरीय नहीं है। इसी वजह से फिल्म का कोई भी गीत याद नहीं रह पाता।
अवधि-116 मिनट

क्या सचिन के 200वें टेस्ट के लिए कुर्बान हो जाएगा दक्षिण अफ्रीकी दौरा?

नई दिल्ली। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के 200वें टेस्ट को घर में पूरा करने के लिए बीसीसीआइ ने वेस्टइंडीज को भारत दौरे पर आने का न्योता तो दे दिया लेकिन इसकी वजह से बहुचर्चित भारत का दक्षिण अफ्रीकी दौरा अब संकट में आता दिखने लगा है। इस मसले पर दुबई में बीसीसीआइ सचिव संजय पटेल और क्रिकेट साउथ अफ्रीका के चीफ एक्सक्यूटिव हारून लोर्गट के बीच हुई बातचीत का फिलहाल कोई हल नहीं निकला है और मैचों की संख्या अभी भी संदेह के घेरे में ही है, या यह कहें कि गंभीर स्थिति में इस दौरे पर ही गाज गिरने के आसार हैं। क्रिकेट साउथ अफ्रीका के मुताबिक आखिरी फैसला 29 सितंबर को बीसीसीआइ की वार्षिक बैठक के बाद ही लिया जाएगा।

गौरतलब है कि कुछ ही समय पहले बीसीसीआइ ने अचानक अपनी एक बैठक में वेस्टइंडीज के भारत दौरे का न्योता भेज सभी को चौंका दिया था। मकसद था सचिन तेंदुलकर के एतिहासिक 200वें टेस्ट को भारत में कराना, लेकिन इसके पीछे सीएसए चीफ एक्सीक्यूटिव हारून लोर्गट से भारतीय क्रिकेट बोर्ड के बिगड़े हुए रिश्तों का भी नतीजा बताया गया। अब यह तो कहा नहीं जा सकता कि वेस्टइंडीज के साथ इस अचानक पैदा हुई सीरीज का कारण सिर्फ सचिन ही हैं या फिर इसके पीछे दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड के साथ चल रही छींटाकशी, लेकिन इतना तय है कि इस वजह से क्रिकेट फैंस एक बेहतरीन दक्षिण अफ्रीकी दौरे से महरूम रहने की कगार पर हैं। ताजा खबरों के मुताबिक क्रिकेट साउथ अफ्रीका को उम्मीद है कि इस महीने के आखिर में कुछ फैसला लिया जा सकेगा। खबरें हैं कि अगर एन.श्रीनिवासन अपने सारे पचड़ों से निकलकर बीसीसीआइ के अध्यक्ष पद पर एक साल के लिए फिर बरकरार रहने में सफल रहे तो अक्टूबर में लंदन में होने वाली आइसीसी की बोर्ड मीटिंग में वह सीएसए के अध्यक्ष क्रिस नेन्जानी से इस मुद्दे पर बातचीत कर सकते हैं।

जाहिर है कि क्रिकेट साउथ अफ्रीका ने जुलाई में भारत के दक्षिण अफ्रीकी दौरे का कार्यक्रम घोषित किया था जिसमें तीन टेस्ट, सात वनडे और दो टी20 मैच शामिल थे लेकिन कहीं ना कहीं यही विवादों का कारण बन गया क्योंकि बीसीसीआइ ने इसका विरोध किया था और कहा था कि इस कार्यक्रम को उनसे पूछे बिना तैयार किया गया है। इसके ठीक बाद ही बीसीसीआइ ने वेस्टइंडीज को न्योता देते हुए दक्षिण अफ्रीकी दौरे को 60 दिनों से घटा कर तकरीबन 40 दिनों का कर दिया और 2014 में भारत के न्यूजीलैंड दौरे को भी घोषित कर दिया। अब सवाल कई हैं, लेकिन फिलहाल जवाब किसी ने भी सामने नहीं रखा है, बस देखना यही है कि आइसीसी का एफटीपी और बीसीसीआइ के नियम सिर्फ सचिन के 200वें टेस्ट के लिए ताक पर रख दिए जाते हैं या फिर इस शीत युद्ध को तोड़ते हुए दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड फैंस को उतने ही मैचों का आनंद लेने का मौका देते हैं जितना कि पहले निर्धारित किया गया था।

चार साल बीत गए..क्या याद है वो दिन, जब थम गया था देश!

नई दिल्ली। ग्वालियर का वो कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम, पिच पर नीले कपड़ों में मौजूद एक छोटे कद का खिलाड़ी, उसको घेरे हुए हरे कपड़ों में मौजूद कई विदेशी दिग्गज धुरंधर, खचखच भरा स्टेडियम और पूरे देश की सड़कों पर पसरा सन्नाटा..यही था माहौल आज के दिन, ठीक चार साल पहले। वो दिन, जिसे शायद ही कोई भारतीय कभी भूल पाएगा क्योंकि उस दिन हुआ था कुछ ऐसा, जो यूं तो दो बार फिर हुआ..लेकिन 'वैसा' कभी नहीं हुआ।
24 फरवरी, 2010..मुकाबला था दक्षिण अफ्रीका और भारत के बीच। तीन वनडे मैचों की सीरीज में भारत एक जीत के साथ पहले ही बढ़त बना चुका था और अब बारी थी सीरीज मुट्ठी में करने की। भारत ने टॉस जीता, पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और पिच पर आ गए दो भारतीय शेर ओपनर, वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर। शुरुआत धुआंधर रही लेकिन चौथे ओवर की पांचवीं गेंद पर सहवाग (9) के रूप में भारत को पहला झटका लग गया। ये धक्का देने वाली खबर थी लेकिन फिर शुरू हुआ वो जो इतिहास के पन्नों पर सदा के लिए दर्ज हो गया। मास्टर ब्लास्टर सचिन रमेश तेंदुलकर ने दुनिया को दिखाया कि आखिर उनको क्यों इस खेल के 'भगवान' का दर्जा दिया गया था। पहले वो सइद अनवर और जिंबॉब्वे के चा‌र्ल्स कवेंट्री के 194 रनों के सर्वाधिक वनडे स्कोर के आगे निकले और देखते-देखते आ गया पारी का अंतिम ओवर। सचिन 199 पर नाबाद थे, गेंदबाज थे लेंगवेल्ट और स्ट्राइक पर सचिन नहीं, धौनी थे। पूरे देश की निगाहें इस ओवर पर टिक चुकी थीं और सड़कों पर सन्नाटा इस बात का गवाह था कि हर भारतीय इस एतिहासिक पल को अपनी आंखों से देखना चाहता था। पहली गेंद पर धौनी ने छक्का जड़ा और दूसरी गेंद पर उन्होंने आखिर एक रन लेकर सचिन को स्ट्राइक दे दी। फिर क्या था ऑफ स्टंप के बाहर जाती उस गेंद को सचिन ने बस पोइंट दिशा में ढकेल दिया और जैसा ही वो रन पूरा हुआ मैदान से लेकर देश भर की दुकानों तक और घरों से लेकर दफ्तरों तक हर जगह सचिन-सचिन की गूंज सुनाई दी। रंगीन कपड़ों में पहली बार किसी ने दोहरा शतक जो जड़ा था।

सचिन ने 226 मिनटों तक पूरे 50 ओवर बल्लेबाजी की और मात्र 147 गेंदों पर 136.05 की स्ट्राइक रेट से वनडे क्रिकेट इतिहास का पहला दोहरा शतक ठोंक डाला। उन्होंने अपनी इस नायाब पारी के दौरान 25 चौके और 3 छक्के जड़े जिस दौरान उन्होंने किसी भी दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाज को नहीं बख्शा। भारत ने उनकी इस पारी के दम पर 3 विकेट के नुकसान पर 401 रनों का विशाल पहाड़ खड़ा किया और 248 रनों के अंदर द. अफ्रीका को समेटते हुए ना सिर्फ 153 रनों से विशाल जीत हासिल की बल्कि सीरीज में भी 2-0 की अजेय बढ़त हासिल कर ली।

एशिया की जंग: इन 7 धुरंधरों पर रहेंगी नजरें, किसका बजेगा डंका?

नई दिल्ली। बांग्लादेश में होने वाले एशिया कप का मंच तैयार है, टीमें भी तैयार हैं और फैंस भी..एशियाई क्रिकेट दीवानों के लिए ये टूर्नामेंट उतना ही अहम है जितना कि कोई अन्य टूर्नामेंट, ऐसे में 25 फरवरी से 7 मार्च तक चलने वाले इस वनडे टूर्नामेंट पर सभी की निगाहें टिकी होंगी। टूर्नामेंट के 11 मैचों में एशिया के तमाम धुरंधर आमने-सामने होंगे लेकिन कौन होंगे इस टूर्नामेंट की टीमों के वो 7 स्टार धुरंधर जिन पर होंगी सभी की नजरें, आइए जानते हैं।
1. विराट कोहली (भारत, बल्लेबाज):
इन फॉर्म बल्लेबाज होने के साथ-साथ दिल्ली के इस धुआंधार बल्लेबाज के ऊपर अब एक और बोझ होगा..कप्तानी का। वैसे विराट इससे पहले भी कप्तानी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं और एक युवा टीम को विदेशी जमीन (जिंबॉब्वे) पर 5-0 की एतिहासिक जीत भी दिला चुके हैं, ऐसे में अब इस खिलाड़ी को कोई भी तर्क रोकता नजर नहीं आ रहा है। टेस्ट से लेकर वनडे तक और वनडे से लेकर टी20 तक..हर फॉर्मेट में पिछले पांच सालों में विराट का प्रदर्शन लाजवाब रहा है। टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी आलोचनाओं और चोट के बीच झूलते हुए इस टूर्नामेंट से बाहर रहेंगे, ऐसे में अगर विराट इस टीम को अपने दम पर खिताब दिलाते हैं तो शायद भारतीय क्रिकेट में रातों-रात कप्तानी से जुड़े समीकरण बदल सकते हैं। विराट दुनिया की हर पिच पर माहिर हैं और एशिया के अंदर तो उनका बल्ला गरजता ही रहा है। अब तक इस बल्लेबाज ने 130 वनडे मैचों में 51.85 की शानदार औसत से 5445 रन बनाए हैं जिसमें 18 शतक और 30 अर्धशतक शामिल हैं।
2. शाहिद आफरीदी (पाकिस्तान, ऑलराउंडर):
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के सबसे अनुभवी व सबसे शानदार ऑलराउंडर 33 वर्षीय शाहिद आफरीदी आज भी अपने देश व दुनिया के तमाम क्रिकेट फैंस के बीच उतने ही लोकप्रिय हैं जितने कि अपने करियर के शुरुआती दिनों में हुआ करते थे। ना ढलती उम्र का असर दिख रहा है, ना थकान का..ऐसे में उनकी गेंदबाजी, बल्लेबाजी और फील्डिंग तीनों ही फैंस के रडार पर रहेंगी। अपनी बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी, दोनों के जरिए वो कभी भी, कहीं भी मैच का पासा पलटने का दम रखते हैं, ऐसे में इस खिलाड़ी पर नजरें टिकी रहना लाजमी है। आफरीदी ने अपने वनडे करियर में अब तक 373 मैचों में 23.34 की औसत से 7516 रन बनाए हैं जिसमें 6 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। इसके अलावा इतने ही मैचों में उन्होंने 4.62 की औसत से 375 विकेट भी चटकाए हैं।
3. कुमार संगकारा (श्रीलंका, विकेटकीपर-बल्लेबाज):
36 वर्षीय श्रीलंका का ये पूर्व कप्तान बेशक आज टीम का मुखिया ना हो लेकिन वो अब भी इस टीम के सबसे अनुभवी, सबसे अहम और जानदार खिलाड़ी हैं। कप्तानी कंधों पर ना होने से उन पर दबाव कम है और इसका नजारा फैंस बार-बार देख चुके हैं। एशिया कप बांग्लादेश की जमीं पर हैं और संगकारा ने हाल में ही बांग्लादेश के खिलाफ उन्हीं की पिचों पर टेस्ट व टी20 में अपने बल्ले से धमाल मचाकर सभी एशियाई टीमों को आगाह कर दिया है। वनडे सीरीज के दूसरे मुकाबले में उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ 128 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली जबकि चटगांव टेस्ट में वो श्रीलंका की तरफ से पहला तिहरा शतक (319) व उसी मैच की दूसरी पारी में भी शतक (105) जड़ने में सफल रहे थे। उनके इस फॉर्म से ये साफ हो जाता है कि संगकारा से बचना विरोधी टीम के गेंदबाजों के लिए आसान नहीं होने वाला। अब तक 364 वनडे मैचों में 40.30 की औसत से 17 शतक और 83 अर्धशतक की मदद से 12,252 रन बनाने वाले इस बल्लेबाज पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी इसमें कोई शक नहीं है।
4. दिनेश कार्तिक (भारत, विकेटकीपर-बल्लेबाज):
आइपीएल नीलामी में 12.5 करोड़ की रकम के साथ दूसरा सबसे महंगा खिलाड़ी बनना और फिर धौनी के टीम से बाहर हो जाने पर अचानक टीम इंडिया में मौका मिलना..शायद पिछले कुछ दिन विकेटकीपर-बल्लेबाज दिनेश कार्तिक के लिए बहुत खास बन चुके हैं। तमिल नाडु के 28 वर्षीय इस धुआंधार खिलाड़ी ने घरेलू क्रिकेट के कुछ मैचों में अच्छा प्रदर्शन दिखाने के बाद चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा और धौनी की गैरमौजूदगी की स्थिति में उनका चयन ऑटोमैटिक होना ही था। इस बार कार्तिक का लक्ष्य होगा अपनी बल्लेबाजी को उस चरम तक ले जाना जहां वो चयनकर्ताओं पर इतना प्रभाव छोड़ने में सफल रहें कि धौनी की मौजूदगी में भी उनका पत्ता ना कटे। अब तक 67 वनडे मैचों में 28.06 की औसत से 1263 रन बनाने वाले इस खिलाड़ी से अहम व रोमांचक मौकों पर फैंस को काफी उम्मीदें रहती हैं और उपमहाद्वीप की पिचों में उनका माहिर होना एशिया कप में उनको भी फेवरेट बनाता है।
5. मुश्फिकुर रहीम (बांग्लादेश, विकेटकीपर-बल्लेबाज):
मेजबान देश बांग्लादेश के जिस एक खिलाड़ी पर घरेलू फैंस की नजरें टिकी होंगी वो हैं उनके कप्तान मुश्फिकुर रहीम। रहीम 25 वर्षीय वो बांग्लादेशी कप्तान हैं जिन पर उनका पूरा देश भरोसा करता है। चार-पांच दिन पहले ही उन्होंने ढाका में दिग्गज श्रीलंकाई टीम के खिलाफ वनडे मैच में 79 रनों की बेहतरीन पारी खेली थी। टीम में तमीम इकबाल का ना होना और प्रतिबंध के चलते स्टार ऑलराउंडर शाकिब-अल-हसन का एशिया कप के दो मैचों से बाहर रहना बांग्लादेश को काफी भारी पड़ सकता है, ऐसे में रहीम ही वो खिलाड़ी हैं जिनको अपनी कप्तानी के साथ-साथ अपने खेल से भी इन दो खिलाड़ियों की कमी को पूरा करना होगा। रहीम ने अब तक 125 वनडे मैचों में 26.92 की औसत से 2585 रन बनाए हैं जिसमें एक शतकऔर 13 अर्धशतक शामिल है। टूर्नामेंट उन्हीं के देश में है ऐसे में नजरें उन पर टिकी रहेंगी इसमें कोई दो राय नहीं है।
6. मोहम्मद शहजाद (अफगानिस्तान, विकेटकीपर-बल्लेबाज):
बेशक अफगानिस्तान की टीम को किसी भी लिहाज से एशिया कप का दावेदार ना माना जा रहा हो लेकिन ये बात उतनी ही सच है कि क्रिकेट में ऐसी ही टीमों ने कई बार बड़े टूर्नामेंटों में धुरंधर टीमों का तख्ता पलट किया है। अफगानिस्तान की टीम भी इसमें सक्षम है और जिस एक खिलाड़ी पर उनके फैंस की नजरें टिकी होंगी वो हैं उनके विकेटकीपर-बल्लेबाज मोहम्मद शहजाद। ये इत्तेफाक ही है कि एशिया कप 2014 के जिन पांच फेवरेट खिलाड़ियों का हम जिक्र इस सूची में कर रहे हैं उनमें चार खिलाड़ी विकेटकीपर-बल्लेबाज ही हैं। संगकारा, कार्तिक और रहीमके बाद जिस एक विकेटकीपर-बल्लेबाज पर सभी क्रिकेट फैंस की नजरें शहजाद पर टिकी होंगी जो कि अफगानिस्तान की तरफ से 25 वनडे मैचों में सर्वाधिक 844 रन बनाने वाले िखलाड़ी हैं और उनकी टीम से शतक मारने वाले भी पहले खिलाड़ी थे। अब तक वनडे में वो तीन शतक जड़ चुके हैं। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके नाम एक दोहरा शतक (214) भी है।
7. लसिथ मलिंगा (श्रीलंका, गेंदबाज):
हाल में बेशक श्रीलंका के धुआंधार तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा का फॉर्म थोड़ा उतार-चढ़ाव भरा रहा हो लेकिन उनकी गेंदबाजी कभी चर्चा के बाहर नहीं रहती और ना ही एशिया कप में चर्चा के बाहर रहेगी। उपमहाद्वीप की पिचों पर उनकी यॉर्कर गेंदें, रफ्तार और असाधारण एक्शन बल्लेबाजों को कितना परेशान कर सकता है इससे सब वाकिफ हैं। अब तक 162 वनडे मैचों में 245 विकेट ले चुके इस अनुभवी गेंदबाज पर श्रीलंकाई टीम की काफी उम्मीदें टिकी होंगी।

इतालवी नौसैनिकों के मामले में केंद्र सरकार ने लिया यू-टर्न

Image Loadingकेंद्र सरकार ने अपने पूर्ववर्ती रुख से यू-टर्न लेते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि केरल के मछुआरों की हत्या के आरोपी इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ जलद स्यु निरोधक कानून के तहत मुकदमा नहीं चलेगा।
अटॉर्नी जनरल गुलाम ई वाहनवती ने न्यायमूर्ति बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया कि इटली के दोनों नौसैनिकों के खिलाफ जलदस्यु निरोधक कानून का इस्तेमाल नहीं होगा, लेकिन आरोपी नौसैनिकों के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच जारी रहेगी। हालांकि इतालवी नौसैनिकों की ओर से जिरह कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ जैसे ही संबंधित कानून को हटाया जाता है, वैसे ही एनआईए से जांच का मामला भी समाप्त हो जाता है। इस बीच एनआईए से जांच बंद कराने के अनुरोध पर न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया, जिसका जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया। याचिकाकर्ताओं को उसके बाद जवाबी हलफनामे के लिए एक सप्ताह और दिया जाएगा। न्यायालय इतालवी नौसैनिकों को हत्या के आरोपों से मुक्त करने और उन्हें स्वदेश लौटने की इजाजत देने को लेकर भारत में इटली के राजदूत डेनियल मानसिनी और खुद आरोपियों की अपील पर सुनवाई कर रहा है। नौसैनिकों पर केरल के कोच्चि में समुद्री इलाके में मछली पकड़ रहे दो मछुआरों की हत्या का आरोप है।

थाइलैंड में सरकार विरोधी रैली पर हमले में तीन की मौत

बैंकॉक। थाइलैंड में सरकार विरोधी रैलियों पर हमले हुए हैं। अज्ञात बंदूकधारी ने रैली पर न केवल ग्रेनेड फेंके बल्कि अंधाधुंध गोलियां भी बरसाई। राजधानी बैंकॉक में प्रदर्शन स्थल के नजदीक धमाका हुआ है। इन हमलों में दो बच्चों और एक महिला की मौत हो गई और 56 लोग लोग घायल हुए हैं।
पहला हमला राजधानी के मध्य में चले रहे प्रदर्शन स्थल के करीब हुआ। इसमें दो लोगों की मौत हो गई और 22 घायल हुए। यह इलाका पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है। इसके करीब ही शहर का सबसे बड़ा मॉल भी है। मारे गए लोगों में एक 12 वर्षीय बच्चा और 40 वर्षीय महिला शामिल है। प्रदर्शनकारियों ने एक रिक्शा चालक को संदेह के आधार पर पकड़ लिया है।
दूसरा हमला शनिवार रात बैंकॉक से 300 किमी दूर पूर्व ट्राट प्रांत में हुआ। यहां हजारों प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री यिंगलक शिनवात्रा के इस्तीफे की मांग को लेकर रैली निकाली थी। विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिफॉर्म कमेटी (पीडीआरसी) के प्रवक्ता के मुताबिक हमलावर ट्रकों में सवार होकर आए थे। पहले ट्रक से एक नूडल शॉप पर ग्रेनेड फेंके गए। इसके समीप पीडीआरसी के गार्डो सहित 20 लोग बैठे हुए थे। दूसरे ट्रक में सवार बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई। पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि एक पांच वर्षीय बच्ची की मौत हुई है और 34 घायल हुए हैं। थाइलैंड में पिछले तीन महीनों से जारी राजनीतिक संघर्ष में अब तक 70 लोग मारे जा चुके हैं।

चोर को खुद का फोटो खींचना पड़ा महंगा

ओहियो। तेजी से बढ़ते स्मार्ट फोन ने कहीं भी किसी जगह किसी की भी तस्वीर उतारने की सहूलियत दे दी है। कुछ लोग तो खुद के फोटो खींचने के बड़े शौकीन होते हैं। इसी शौक के चलते यहां एक शातिर चोर जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया।
हुआ यूं कि यहां के एक घर में चोर महाशय चोरी की वारदात को बड़ी ही सफाई के साथ अंजाम देकर चलते बने। वारदात की पड़ताल करने आई पुलिस को मौके से एक मोबाइल मिला। उस फोन से कोई खास क्लू नहीं मिला लेकिन जैसे ही फोटो के फोल्डर को खोला गया, तो पता चला कि फोन का मालिक खुद की फोटो खींचने का बड़ा शौकीन है। उसने अलग-अलग एंगल्स की अपनी कई तस्वीरें खींच रखी हैं। बस फिर क्या था, पुलिस ने फोटो वाले व्यक्ति की तलाश शुरू की और महज चंद घंटों की मशक्कत में वह पुलिस के हत्थे भी चढ़ गया। फिर तो पुलिस को जुबान खुलवाने में कितनी देर लगी होगी, यह आप भी समझते हैं।

राहुल और वरुण के लिए सुखद संयोग

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। एक ही परिवार के दो 'गांधी' अगल-बगल की अमेठी और सुलतानपुर सीट से प्रत्याशी हैं। दोनों के लिए ही सुखद संयोग है कि उनके मुख्य विपक्षी के पास प्रभावी चुनौती देने वाले उम्मीदवार नहीं हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव वरुण गांधी के सुलतानपुर से चुनाव लड़ने के निर्णय ने चुनावी परिदृश्य को न केवल दिलचस्प बना दिया है, बल्कि इसी संभावना को हवा देकर सुलतानपुर के कांग्रेस के सिटिंग लोकसभा सदस्य डा. संजय सिंह ने नेतृत्व को इस तरह दबाव में लिया कि अनिच्छुक होते हुए भी उन्हें असम से राच्य सभा में भेज दिया।
जाहिर है संजय सिंह अब सुलतानपुर से पार्टी उम्मीदवार नहीं होंगे तो क्या ऐसे में उनकी पत्नी अमीता सिंह को कांग्रेस टिकट देगी, यह देखना दिलचस्प होगा। सूत्रों का कहना है कि अरसे से कांग्रेस में उपेक्षित चल रहे संजय सिंह अपने राजनीतिक 'मेंटर' से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। उनके समर्थकों ने ऐसे संकेत देने शुरू कर दिए थे कि ऐसी नौबत आने को हुई तो वह भाजपा के टिकट पर अमेठी में राहुल गांधी को चुनौती देना श्रेयस्कर समझेंगे। यह ट्रिक काम कर गई।
कैप्टन सतीश शर्मा को 2004 में सुलतानपुर से लड़ाने का प्रयोग फेल हो चुका है और स्थानीय कांग्रेस नेताओं में कोई ऐसा नजर नहीं आता, जो भाजपा के संभावित प्रत्याशी वरुण गांधी को चुनौती दे सके। निगाहें इस पर होंगी कि अगर संजय सिंह किसी भी तरह वरुण गांधी से मुकाबले को तैयार नहीं हुए तो क्या इसके लिए वह अपनी पत्नी को तैयार करेंगे।
अमेठी में यही स्थिति भाजपा की है। स्थानीय भाजपा नेताओं में कांग्रेस उपाध्यक्ष सांसद राहुल गांधी को प्रभावशाली चुनौती देने वाला कोई नहीं है। आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार कुमार विश्वास ने रही-सही कसर पूरी करते हुए गैर कांग्रेस स्पेस पर अधिकार जमाने की मुहिम छेड़ रखी है और ऐसे में जितनी देर से भाजपा प्रत्याशी आएगा, उसके लिए पहले से ही मुश्किल लक्ष्य और मुश्किल होता जाएगा। सपा ने अमेठी में प्रत्याशी नहीं उतारा है। अलबत्ता बसपा प्रत्याशी की जद्दोजहद जारी है।

दहेज लोभी को मारी 'लात' दुल्हन ने लौटाई बरात

लखनऊ। दहेज में बाइक व फ्रिज न मिलने पर आगरा में दू्ल्हा भड़क तो गया, लेकिन जब लड़की को बात पता चली तो उसने विवाह ही करने से इंकार कर दिया। इसके बाद तो वहां का माहौल ही बदल गया।
बरात आ गई। निकाह की रस्म भी पूरी हो गई। मगर, दहेज के सामान में बाइक और फ्रिज न देखकर दूल्हा भड़क गया। लड़की के परिवारवालों मनाने की हरसंभव कोशिश की, पैर तक पकड़ लिए। मगर, वह नहीं माना। दहेजलोभी दूल्हा और बराती थाने में भी शिकायत करने पहुंचे। घर वालों की बेइज्जती देख दुल्हन ने दूल्हे को अपमान की लात मारी। शादी से इंकार कर दिया, जिसके बाद बरात लौटा दी गई।
मामला टेढ़ी बगिया के सौ फुटा रोड की मस्जिद वाली गली का है। शनिवार शाम नगला देवजीत से बरात पहुंची। दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचते ही दूल्हे के तेवर गरम हो गए। दहेज का सामान देखकर वह भड़क गया। उस समय दूल्हे के परिवारवालों ने उसे समझाकर निकाह को तैयार करा दिया। निकाह पढ़े जाने के बाद फिर से दूल्हा बिफर पड़ा। लड़की के पिता और भाई उसके हाथ जोड़कर मनाते रहे। मगर, दूल्हा नहीं माना।
उसका कहना था कि मैं चालीस हजार रुपये महीने कमाता हूं। हैसियत के हिसाब से दहेज देना ही पड़ेगा। रात भर ड्रामे के बाद दुल्हन ने साहसिक फैसला लेते हुए शादी से इन्कार कर तलाक लेने को कह दिया। साथ ही दूल्हे को तुरंत बरात लेकर वापस जाने को बोल दिया।
इसके बाद बरात लेकर दूल्हा थाना एत्माद्दौला पहुंच गया। यहां उसने तहरीर दी। हालांकि बाद में वापस भी ले ली। समाज के कुछ लोगों ने दोनों पक्षों को समझाकर दुल्हन को विदा करने को कहा, लेकिन दुल्हन इसके लिए तैयार नहीं हुई। उसके बाद दूल्हे ने इस्लाम नगर निवासी दूसरी लड़की से निकाह कर लिया।
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दुल्हन की बिगड़ी हालत, बेहोश
दरवाजे से बरात लौटाने के बाद दुल्हन की हालत बिगड़ गई। वह बेहोश होकर गिर पड़ी। उसका गरीब पिता और भाई भी दिनभर रोते रहे। पुलिस ने बताया कि थाने आने के बाद दोनों पक्ष समझौता करके लौट गए। किसी पक्ष ने तहरीर नहीं दी है।

तेंदुए ने रोक दी मेरठ की रफ्तार, हाई अलर्ट घोषित

लखनऊ। तेंदुए के खौफ ने मेरठ शहर की रफ्तार रोक दी है। दहशत बरकरार है। लोगों ने बच्चों को घरों में कैद कर दिया है। सेना, पुलिस व वन टीमें तेंदुआ पकड़ने के अभियान में जुट गई है। पूरे शहर में हाई अर्लट घोषित कर दिया गया है। स्कूल कालेज और बाजार बंद हैं। मेरठ के सदर बाजार में रविवार सुबह करीब 11 बजे घुसा तेंदुआ सोमवार तड़के शहर की गलियों में गुम हो गया। वह पूरी रात कैंट अस्पताल के जनरल वार्ड में रहा, जहा पुलिस प्रशासन, फौज और वन विभाग की टीम ने उसे काबू करने की नाकाम कोशिश की। अब पूरे शहर में दहशत का माहौल है और शहरवासियों की सुरक्षा रामभरोसे लगती है। डीएम के निर्देश पर स्कूल और कालेज बंद कर दिए गए हैं। साथ ही प्रभावित क्षेत्र में सड़कों पर लोगों की संख्या काफी कम है। पूरे शहर में लोगों ने बच्चों को घरों में रोककर खिडकी और दरवाजे आदि बंद कर लिए हैं। सर्च अभियान, पटाखे फोड़े वन टीम ने सुबह साढ़े आठ बजे तक सर्च अभियान चलाया। इस दौरान उसने पटाखे भी फोड़े, लेकिन तेंदुए को लोकेट करने की उसकी पूरी कोशिश नाकाम रही। इसके चलते ऑपरेशन रोककर सभी कैंप लौट गए। न तो पर्याप्त पुलिस बल ही सड़कों या संदिग्ध क्षेत्रों में है और न ही कोई अधिकारी। ऐसे में तेंदुए के सुराग न मिलने की स्थिति में पूरा शहर राम भरोसे पड़ा है। इधर, तेंदुए के गुम होने की स्थिति में छावनी स्थित फौज के सभी संस्थानों को भी अलर्ट कर दिया गया और फौजी आवासीय क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सभी को परिसर न छोडऩे का निर्देश जारी कर दिया गया है। इस बीच एक वन्य जीव विशेषज्ञ ने बताया कि उन्होंने अपने पूरे सेवा काल में इतनी क्षमता का तेंदुआ पहले कभी नहीं देखा। डंडा मारने से गुस्साया तेंदुआ तेंदुआ कल दोपहर मेरठ शहर में धुस आया था। इसके बाद सदर बाजार में बच्चे के डंडा मारने से गुस्साए तेंदुए ने करीब एक दर्जन लोगों को लहूलुहान कर दिया था। इस दौरान भागने के चक्कर में कुछ लोग सडक पर गिर गए, तो कुछ नाले में गिरकर घायल हो गए। मोर्चा संभाले पुलिसकर्मियों ने तेंदुए पर फायरिंग कर दी, जिससे उसके एक पैर में गोली लग गई। इसके बाद घायलावस्था में वह कैंट अस्पताल में घुस गया, जहा उसे एक कमरे में कैद कर लिया गया था। इसके बाद घेरेबंदी तोड़कर तेंदुआ आज फिर शहर की बाजारों में विचरण कर रहा है। प्रदेश में बनेगा मेगा एनीमल रेस्क्यू केंद्र वन्य जीवों और मानव आबादी के बीच जानलेवा अंतर्कलह से निजात पाने के लिए वन विभाग मेगा रेस्क्यू केंद्र बनाएगा। इसके जरिए आबादी में भटककर पहुंचे वन्य जीवों को सुरक्षित तरीके से ट्रैंकुलाइज कर हाइटेक रेस्क्यू केंद्र में रखा जाएगा। बाद में इलाज कर उन्हें प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाएगा। प्रदेश वन निदेशालय ने इस बाबत राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी मेगा रेस्क्यू केंद्र बनाने की संभावनाएं खोजी जाएंगी। वन विभाग नए प्रस्ताव के मुताबिक मेगा रेस्क्यू केंद्र में पचास से ज्यादा वन्य जीवों को रखने की क्षमता होगी। ट्रैंकुलाइजिंग गन, अत्याधुनिक बाड़ा और विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम भी नियुक्त होगी। कहां रखा जाएगा तेंदुआ उत्तर प्रदेश में तेंदुओं की तादात भले घटी है, किंतु जंगलों से पलायन का ग्राफ बढ़ गया है। विभिन्न रेस्क्यू आपरेशन के बाद लखनऊ चिड़ियाघर के बाड़े में 16 और कानपुर चिड़ियाघर में 13 तेंदुए रखे गए हैं। दो तेंदुए मेरठ में पकड़े जाने के बाद अब संख्या तीस पार हो गई है। हाल की मेरठ के किठौर में भी एक तेंदुआ पकड़ा गया है। वेस्ट यूपी में आगरा में एनीमल रेस्क्यू केंद्र है, किंतु उसमें भालुओं का संरक्षण किया जा रहा है। मेरठ में टुकड़ों में बंटे हुए वन क्षेत्रों में लगातार तेंदुओं की दस्तक की वजह से वेस्ट यूपी में भी बड़ा रेस्क्यू केंद्र बनाने पर वार्ता शुरू हो गई है। वैसे भी एक तेंदुआ रोजाना करीब दस किलो मीट का आहार करता है, ऐसे में बाड़े में भोजन के लिए मीट आपूर्ति की पुख्ता व्यवस्था करनी होगी। वन विभाग के मुताबिक एक ट्रैंकुलाइजिंग गन में सीरिंज भरने में करीब आठ हजार रुपए का खर्च आता है। राष्ट्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगाएगा। मेरठ में पहले पकड़े गए तेंदुए को गंभीर चोट लगने से अब उसे जंगल में नहीं छोड़ जा सकेगा। वन्य जीव भटकने की घटनाएं बढ़ीं प्रमुख वन संरक्षक डा. रूपक डे ने बताया कि वन्य जीवों के भटकने की घटनाएं बढ़ रही हैं। मेरठ में घनी आबादी में तेंदुआ पहुंचने की घटना ने चौंका दिया है। कानपुर और लखनऊ में बाड़ों की क्षमता के मुताबिक तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में मेरठ में पकड़े गए तेंदुए के लिए नया ठिकाना बनाना पड़ सकता है। मेगा रेस्क्यू एनीमल सेंटर का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है।

रंग निखारने वाली क्रीम में हो सकता है पारा

Image Loadingदेश में लोकप्रिय हो चुके एवं सुंदरता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाले अनेक सौंदर्य प्रसाधनों में स्वास्थ्य के लिए खतरनाक पारा और क्रोमियम पाए गए हैं। एक ताजा अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
यहां तक कि इनमें से कई सौंदर्य प्रसाधनों के विज्ञापन कई जानी मानी फिल्मी हस्तियां कर ती हैं। त्वचा का रंग निखारने का दावा करने वाली अधिकांश क्रीमों में इस्तेमाल होने वाले पारा को अत्यधिक जहरीला माना जाता है, जबकि लिपस्टिक में पाए गए क्रोमियम के कारण तो कैंसर भी हो सकता है। विज्ञान एवं पर्यावरण प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला केंद्र द्वारा किए गए एक ताजा अध्ययन में 44 फीसदी रंग निखारने का दावा करने वाली क्रीमों में पारा पाया गया। इसके अलावा 50 फीसदी लिपस्टिकों में क्रोमियम तथा 43 फीसदी लिपस्टिकों में निकिल पाया गया। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने एक वक्तव्य में कहा, ''सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों में पारा पाए जाने की उम्मीद नहीं की जाती। इन उत्पादों में पारे का पाया जाना पूरी तरह अवैध और कानून के विपरीत है।'' सुनीता नारायण ने आगे कहा कि चूंकि 56 फीसदी सौंदर्य प्रसाधन के उत्पादों में पारा नहीं पाया गया, अत: इससे जुड़ी उद्योग अपनी इस कारस्तानी को छिपा ले जाएगा। उन्होंने कहा, ''जब अनेक कंपनियां कानून का पालन कर रही हैं तो अन्य कंपनियों को ऐसा करने से कौन रोक रहा है।'' अध्ययन में 73 सौंदर्य प्रसाधनों में चार विभिन्न श्रेणी के भारी पदार्थो का परीक्षण किया गया। इसमें त्वचा का रंग निखारने का दावा करने वाली 32 तरह की क्रीमों, जिसमें महिलाओं के लिए 26 और पुरुषों के लिए छह क्रीम शामिल हैं, का परीक्षण किया गया। इसके अलावा 30 तरह की लिपस्टिकों, होंठ पर लगाए जाने वाले आठ तरह की क्रीमों एवं उम्र घटाने का दावा करने वाली तीन क्रीमों में सीसा, कैड़मियम और क्रोमियम की उपस्थिति का परीक्षण किया गया। जिन सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों का परीक्षण किया गया उनमें स्वदेशी, वैश्विक कंपनियों के उत्पादों के साथ-साथ आयुर्वेदिक उत्पाद भी शामिल थे।

श्रेष्ठ शुक्राणुओं की पहचान करेगी नई 3डी तकनीक

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एक नई तकनीक के जरिए अब शुक्राणुओं से संबंधित विसंगतियों की पहचान आसानी से की जा सकेगी। यह नई प्रणाली जीवित शुक्राणुओं की गतिविधि की एक 3डी फिल्म तैयार करेगी, जि सके जरिए शुक्राणुओं की प्रजनन क्षमता का पता लगाया जा सकेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह शुक्राणुओं की प्रजनन क्षमता का पता लगाने वाली पहली ऐसी तकनीक है जो शुक्राणुओं की गतिविधि से जुड़े आंकड़े त्रिवीमिय संरचना में एकत्रित करता है। अब तक वीर्य में मौजूद शुक्राणुओं की मात्रा एवं उनके स्वास्थ्य का निरीक्षण उन्हें देखकर किया जाता रहा है या कंप्यूटर आधारित परीक्षण प्रणाली द्वारा की जाती रही है। इटली और बेल्जियम के शोधकर्ताओं ने 3डी फिल्म बनाने के लिए माइक्रोस्कोपी एवं होलोग्राफी तकनीक को मिलाकर इजाद की गई नई तकनीक के जरिए शुक्राणुओं का त्रिवीमिय निरीक्षण करने की प्रभावी प्रणाली विकसित की। इटली के नेपल्स स्थित नेशनल रिसर्च काउंसिल (एनआरसी) एवं कैंब्रिज के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता ग्यूसेप डी कैप्रियो ने कहा कि शुक्राणुओं की गतिविधि को दर्शाने वाले त्रिवीमिय फिल्म तैयार करते हुए हमने इसमें समय को चौथे आयाम के रूप में जोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि वास्तविक समय में चल रही फिल्मों में शुक्राणुओं की गतिविधि के चित्रों को देखकर हम जान सकते हैं कि शुक्राणु कैसे गति करते हैं तथा इस बात का भी पता लगा सकते हैं कि शुक्राणुओं के आकार-स्वरूप के कारण कहीं उनकी गति बाधित तो नहीं हो रही।

धूम्रपान बना देता है आलसी और नीरस

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अक्सर लोग खुद को ज्यादा सक्रिय या बुद्धिजीवी दिखाने के लिये या फैशन में धूम्रपान के आदी बन जाते हैं, लेकिन वास्तव में इसकी लत व्यक्ति को आलसी और नीरस बना देती है।
डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ब्राजील के लॉनड्रिना विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक शोध में यह खुलासा किया है कि सिगरेट और बीड़ी पीने वालों को सक्रिय नहीं, बल्कि आलसी माना जाता है। शोध के लिये 60 धूम्रपान की लत वाले लोगों और 50 धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों को छह दिन तक कम से कम हर दिन 12 घंटे पेडोमीटर पहनाया गया। शोध रिपोर्ट में पाया गया है कि धूम्रपान के आदी लोग, धूम्रपान नहीं करने लोगों के मुकाबले कम चलते हैं और उनके फेफड़े भी कम काम करते हैं, जिसकी वजह से वे उतनी कसरत नहीं कर पाते। ऐसे लोग शारीरिक रूप से कम सक्रिय होते हैं और जीवन के प्रति उनमें उत्साह की कमी होती है। शोध में पाया गया है कि धूम्रपान के आदी लोग कम टहलते हैं और ये अपनी जीवनशैली में कोई परिवर्तन भी नहीं करना चाहते हैं। ऐसे लोगों में बेचैनी, अवसाद का लक्षण आम होता है। शोध में शामिल धूम्रपान की लत वाले लोगों ने बताया कि वे ज्यादा थकान महसूस करते हैं और उनमें उत्साह की कमी है। इससे पहले के शोध में पाया गया था कि धूम्रपान करने वाले लोगों को कम नींद आती है और उनकी नींद धूम्रपान न करने वालों की तुलना में कम आरामदेह होती है। वे सोकर उठने पर वैसे ताजगी नहीं महसूस करते हैं जैसी धूम्रपान न करने वाले करते हैं।

गर्भ में विटामिन-ए की कमी से हो सकता है अस्थमा

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मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में हाल ही में एक महत्वपूर्ण खोज हुई है, जिस में पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर में विटामिन-ए की कमी बाद में बच्चों के लिए अस्थमा के जोखिम को बढ़ा सकती है।
कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर में विटामिन-ए की कमी और प्रसव के बाद बच्चों में अस्थमा के लक्षण के बीच पहली बार महत्वपूर्ण संबंध का पता लगाया है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर (सीयूएमसी) के शोधकर्ताओं का कहना है कि विटामिन-ए की कमी बच्चे के फेफड़े में वायु संचरण करने वाली नलिका की मांसपेशी में इस तरह के बदलाव आ जाते हैं, जिसके कारण वायु संवहन नलिका संकुचित हो जाती है, जो बाद में अस्थमा के जोखिम को बढ़ा देता है। मुख्य शोधकर्ता वी काडरेसो ने कहा कि हमारे शोधकर्ताओं को लंबे समय से इस बात को लेकर जिज्ञासा थी, कि एक ही तरह की परिस्थिति के बावजूद कुछ लोगों में अस्थमा का जोखिम अधिक क्यों होता है। उन्होंने कहा कि हमारी जांच के मुताबिक, विटामिन-ए की कमी के कारण शारीरिक विकास के दौरान फेफड़ों में संरचनात्मक एवं कार्यात्मक असमानताएं श्वसन में अतिसंवेदनशीलता के लिए जिम्मेदार हैं। शोध के मुताबिक, भोजन में विटामिन-ए की पर्याप्त मात्रा भारत सहित विश्व के दूसरे विकासशील देशों के लिए चुनौती है।

राज रखना है, तो पुरुषों को न बतायें

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ज्यादातर कहा जाता है कि महिलायें बातूनी होती हैं, इसलिए किसी बात को राज बनाकर नहीं रख सकतीं, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पुरुष गॉसिप करने में माहिर हैं और वे बमुश्किल चंद मिनट ही किसी राज को अपने तक रख पाते हैं।
ब्रिटिश समाचार पत्र डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक एक सर्वेक्षण के दौरान यह खुलासा हुआ है कि महिलायें किसी राज को जानने के औसतन साढ़े तीन घंटे बाद ही उसे किसी दूसरे को बताती हैं, जबकि पुरुष उनकी अपेक्षा 40 मिनट पहले यानी दो घंटे 47 मिनट बाद ही किसी से उसे साझा कर लेते हैं। सर्वेक्षण के दौरान 2000 लोगों के सवाल पूछे गये, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से हर दस में से एक व्यक्ति ने बताया कि जैसे ही उन्हें किसी की गुप्त बात का पता चलता है तो वे दस मिनट या उससे पहले ही किसी और को उसे बता देते हैं, लेकिन इसके बाद भी सर्वेक्षण में शामिल 92 प्रतिशत पुरुषों ने इस बात का दावा किया कि वे किसी भी राज को अपने तक रखने में सक्षम हैं।

शरीर की दुर्गंध से भी होगी आपकी पहचान

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स्पेन के पॉलिटेक्निका डी मेड्रिड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता प्रौद्योगिकी कंपनी लिया सिस्टम्स एसएल के सहयोग से एक ऐसी प्रणाली विकसित कर रहे हैं, जो लोगों को उनके शरीर की दुर्गंध से पहचान लेगा। किसी व्यक्ति के शरीर की दरुगध काफी लंबे समय तक एक सी रहती है, जिसकी मदद से उस व्यक्ति की 85 फीसदी तक सफलतापूर्वक पहचान की जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार इससे लोगों की पहचान करने में पहचान पत्र या अन्य हस्तक्षेपकारी तकनीकों की अपेक्षा बिना किसी अतिरिक्त हस्तक्षेप के लोगों की पहचान आसानी से की जा सकेगी। उंगलियों के निशान और आंखों की स्कैनिंग के जरिए कहीं अधिक शुद्ध परिणाम वाले होते हैं, लेकिन शोधकर्ताओं का दावा है कि चूंकि इन तकनीकों का इस्तेमाल अपराधियों की पहचान से भी जुड़ा है, जिसके कारण लोग इनके इस्तेमाल के अनिच्छुक दिखाई देते हैं। जबकि चेहरे के हाव-भाव वाली तकनीक में काफी अशुद्धता रहती है। विशेषज्ञों ने अपने अध्ययन में आगे कहा है कि, इसीलिए गंध के जरिए पहचान करने वाले सेंसर के जरिए बिना किसी तरह के बाहरी हस्तक्षेप के लोगों की पहचान कहीं अधिक सटीक तरीके से की जा सकेगी, क्योंकि कोई कोई व्यक्ति जैसे ही इस सेंसर से होकर गुजरेगा, सेंसर व्यक्ति के शरीर की गंध के जरिए उसकी पहचान कर लेगा। शोधकर्ताओं को पूरा विश्वास है कि हवाईअड्डों, सीमा चौकियों या ऐसे किसी भी जगह जहां फोटो पहचान पत्र दिखाए जाने की आवश्यकता होती है, इस सेंसर का इस्तेमाल किया जा सकता है।

जिंदगी प्यारी है तो अकेलेपन को कहें अलविदा

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यदि आपकी उम्र 60 से ज्यादा है और आप बिल्कुल अकेले हैं, तो आपको सलाह है कि अपने आपको अकेलेपन और अवसाद से बचाइए।

एक ताजातरीन शोध में पता चला है कि अधिक उम्र में बेहद अकेलेपन का अनुभव करना मौत को आमंत्रण देना है। अकेले रहने से इस बात की संभावना 14 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

इलिनोइस में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के मनोविज्ञान के प्रोफेसर जॉन कैकियोपो ने कहा, ''समय से पहले मौत के मामले में अकेलापन उतना ही प्रभावी होता है, जितना किसी व्यक्ति का सामाजिक-आर्थिक स्तर। इससे असमय मौत की आशंका 19 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।''

यह सिर्फ अकेलेपन या शारीरिक अलगाव से जुड़ा मसला नहीं है, बल्कि अध्ययन के अनुसार, अलगाव की सापेक्ष भावना बेहद विघटनकारी होती है।

कैकियोपो ने कहा, ''वृद्ध लोग जो अकेले रहते हैं, यदि सामाजिक रूप से व्यस्त जीवनशैली जीएं और अपने आस पास के लोगों के साथ घुल-मिल कर रहें तो अकेलेपन से काफी हद तक बच सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ नजर का कमजोर होना, कम सुनाई पड़ना जैसी परिस्थितियां भी अक्सर सामने आती हैं, और ऐसे लोगों का अकेला होना उनके लिए ज्यादा जोखिम वाला होता है।''

हालांकि अध्ययन के मुताबिक, कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो अकेले खुश रहते हैं, पर ज्यादातर लोग सामाजिक परिस्थतियों में रहकर आगे बढ़ते हैं, जहां वे आपसी सहयोग के माध्यम से आस पास के लोगों के साथ मजबूत रिश्ता कायम कर लेते हैं।

अमीर अभिभावकों के बच्चे होते हैं उपेक्षित

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सच ही कहा गया है कि धन से बहुत कुछ खरीदा जा सकता है, लेकिन सब कुछ नहीं। अमीर घरों के बच्चे भले ही अपनी पसंद की हर चीज के साथ पलते बढ़ते हैं, लेकिन वे अपने माता-पिता के साथ बहुत कम वक्त बिता पाते हैं और उन्हें अपने अभिभावकों के प्यार से महरूम होना पड़ता है।
ब्रिटिश कोलंबिया की यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के शोधकर्ताओं ने अपने नये अध्ययन में यह खुलासा किया है कि वित्तीय संकट से जूझ रहे माता-पिता के लिये जिंदगी आसान नहीं रहती और उन्हें कई तरह की कमी से जूझना पड़ता है, लेकिन अमीर माता-पिता के लिये भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है। अमीर अभिभावक धन कमाने में इतने मशगूल होते हैं कि वे जिनकी बेहतरी के लिये अपनी संपत्ति जमा कर रहे होते हैं, उन्हीं बच्चों की उपेक्षा कर देते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक धन और बच्चों को पालना दो अलग-अलग बाते हैं, लेकिन बहुत से लोग इन्हें एक साथ जोड़कर देखते हैं और मानते हैं कि अगर उनके पास ज्यादा धन होगा तो वे अपने बच्चों की परवरिश बेहतर कर पायेंगे। शोध रिपोर्ट से इसी सोच का खंडन किया गया है और बताया गया है कि अमीरी किसी को अच्छा माता-पिता नहीं बना सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक धनी माता-पिता अपने काम, संपत्ति और सामाजिक स्थिति को बनाने में इतने मशगूल हो जाते हैं कि वे अपने बच्चों के पालन-पोषण को ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं समझते। धन की वजह से माता-पिता के लक्ष्य दो भाग में बंट जाते हैं, जिसमें एक तरफ धन होता है और दूसरी तरफ  बच्चों की परवरिश। शोध में बताया गया है कि महिलायें इस चक्कर में ज्यादा आती हैं और वे धनी होने पर सबसे ज्यादा अपने बच्चों के पालन-पोषण को नजरअंदाज करती हैं। धनी माता-पिता अपने बच्चों की इच्छाओं को नजरअंदाज करते हैं और समझते हैं कि बच्चों को कीमती सामान देकर बहलाया जा सकता है।

मिर्गी का इलाज दवाइयां हैं, जादू टोना नहीं

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मिर्गी दुनिया भर में सबसे आम न्यूरोलॉजिकल समस्या है। यह किसी भी उम्र को प्रभावित करती है। बच्चों व 60-70 वर्ष में अधिक देखी जाती है। दुनिया भर में 50 लाख से अधिक लोग मिर्गी से प्रभावित हैं व इनमें से 80 प्रतिशत विकासशील देशों में रहते हैं। भारत में 9-10 लाख लोग मिर्गी से प्रभावित हैं जो वैश्विक बोझ का पांचवा हिस्सा है। यह कहना है राजधानी के सहारा हास्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डा. संदीप अग्रवाल का।
डा. अग्रवाल ने शनिवार को प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन में बताया कि लोग अभी भी इस बीमारी के इलाज के जादू टोने का सहारा लेते हैं। जिससे बीमारी तो दूर नहीं होती बल्कि समय के साथ खतरनाक हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी का एक मात्र इलाज दवाईयां ही हैं।

मिर्गी व जब्ती में अन्तर-
 मिर्गी व जब्ती में अन्तर है, जब्ती दिमाग में एक क्षणिक, अचानक, असामान्य व अत्यधिक न्यूरोनल गतिविधि के कारण होती है। जो व्यक्ति के व्यवहार को बदलने में सक्षम होती है। जब्ती बचपन व किशोरावस्था में आम है। जबकि मिर्गी, मनुष्य का सामान्य न्यूरोनल नेटवर्क के किसी कारण अति उत्तेजनीय न्यूरोनल नेटवर्क में परिवर्तित होने के कारण होती है। जिसमें मनुष्य बार-बार बेसबब (जिसका कोई कारण पहचानने योग्य नहीं होता है) जब्ती में परिवर्तित हो जाता है। इलेक्ट्रलाइट असंतुलन, नशीली दवाओं के दुरुपयोग आदि कारण जिसकी वजह से होने वाले जब्ती को भी मिर्गी नहीं कहते हैं। ऐसे रोगियों को लंबी अवधि तक एन्टीएपिलेप्टिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है। एक अन्य लक्षण को भी हम आमतौर पर मिर्गी मान लेते है- बेहोशी व एैठन या दौरा पड़ना एक ऐसी स्थिति है जिसमें शारीरिक मांस पेशियां तेजी से सिकुड़ती व शिथिल पड़ती हैं। जिससे शरीर में अनियंत्रित ऐंठन उत्पन्न होती है। एंठन मिर्गी का एक लक्षण हो सकता है। सभी एंठन मिर्गी नहीं होते व सभी मिर्गी में एंठन नहीं होती।

कारण:-
मिर्गी मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले कई कारणों से होती है। ये कभी-कभी अनुवांशिक या अधिगृहित या दोनों हो सकते हैं। 60-75 प्रतिशत मिर्गी मामलों में कारण अज्ञात होता है। शेष 25-40 प्रतिशत लोगों में पहचानने योग्य कारण निम्न हो सकते हैं।
-अनुवांशिक
-जन्म के समय चोट या आक्सीजन की कमी
-गर्भावस्था में मस्तिष्क को क्षति
-मस्तिष्क आघात
-ब्रेन टयूमर
-संक्रमण (मैनिंजाइटिस, एड्स आदि)

लगभग आधे से अधिक रोगियों में दवाई द्वारा दौरे को नियंत्रित किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार की मिर्गी में लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं।

सामाजिक कलंक:-
 एक सामान्य मनुष्य के मुकाबले एक मिर्गी रोगी को समाज मे रहना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। भय व गलतफहमी की वजह से किशोरों में सामाजिक भेदभाव का जन्म देता है। इस प्रकार सही जानकारी का अभाव सामाजिक कलंक के स्थायीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विश्व प्रसिद्ध लोग मिर्गी के साथ:-
जुलियस सीजर, सिकन्दर, आगाथा क्रिस्टी, अल्फ्रेड नोबेल, जॉन्टी रोड्स आदि ने इतिहास में मिर्गी पर विजयी पाई है। तब अन्य क्यों नहीं?

मिथक व तथ्य-
मि.: मिर्गी भूत प्रेत के कारण होती है जादू टोना इसका इलाज है।
त.: मिर्गी एक विकार है इसका इलाज दवाएं है।
मि.: मिर्गी एक मानसिक बीमारी है।
त.: नहीं यह एक मस्तिष्क की बीमारी है।
मि.: मिर्गी संक्रामक है
त.: मिर्गी निश्चित रूप से संक्रामक नहीं है।
मि.: मिर्गी वंशानुगत है इसके लिए शादी नहीं करनी चाहिए।
त.: केवल 3 प्रतिशत लोगों में वंशानुगत होती है। इसका शादी से काई सम्बन्ध नहीं है।
मि.: विवाह मिर्गी का इलाज है।
त.: बिल्कुल नहीं, केवल दवाएं।
मि.: मिर्गी में जूता, प्याज सूघांना चाहिए या हाथ में चाभी देनी चाहिए।
त.: दौरा अपने आप बन्द होता है इन सबके कारण नहीं।
मि.: मिर्गी में मरीज के मुंह में चम्मच देना चाहिए।
त.: बिल्कुल नहीं ऐसा करने से मरीज के मुंह में चोट लग सकती।

कैंसर से जीतने वालों के लिए मेट्रीमोनियल साइट

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भारत में पहली बार एक ऐसी मैट्रीमोनियल साइट शुरू की जा रही है, जो कैंसर से जिंदगी की जंग जीतने वाले लोगों को उनके जीवन साथी ढूंढने में मदद करेगी। कैंसर से उबरने वाले इन लोगों की जिंदगी में धीरज और उम्मीद जगाने का यह प्रयास केरल का युवा आंदोलन संगठन कर रहा है।
    
सूत्रों ने दावा किया कि पथ्थनमथिट्टा जिले के कुंबानाड में सेंट मेरी ऑर्थोडॉक्स पारिश चर्च के तहत सेंट जॉर्ज ऑथर्ोडॉक्स यूथ मूवमेंट का यह प्रयास इस देश में अपनी तरह का पहला प्रयास है। उन्होंने कहा कि कैंसर से जीतने वालों के बीच योग्य वर और वधू ढूंढने में मदद करने वाली वेबसाइट- डब्ल्यूडब्ल्यूडब्लयू़इनसाइटमैट्रीमोनी़कॉम 9 मार्च को शुरू की जाएगी।
    
युवा आंदोलन के एक सदस्य ने कहा कि यह पोर्टल इस बीमारी से पीड़ित रह चुके लोगों को वापस समाज की मुख्यधारा में लाने और एक सामान्य जीवन जीने में उनकी मदद करने की कोशिश है।
    
नितिन चाको थॉमस ने बताया, हमारे समाज में कैंसर के मरीजों से दूरी बनाकर रखने का चलन है। अगर वे इलाज के बाद सामान्य जीवन जीना शुरू भी कर देते हैं तो भी उन्हें मरीज के तौर पर देखा जाता है न कि सामान्य इंसानों की तरह। उन्होंने कहा कि यह रवैया उन्हें शादी करने और फिर एक सामान्य जीवन जीने के अवसर देने से भी इनकार कर देता है। बीमारी से उबर चुके मरीज, अपने पारिवारिक और आर्थिक पष्ठभूमि से परे, इस समस्या से जूक्षते हैं।
    
थॉमस ने कहा कि ऐसे लोगों के साथ विवाह बंधन में बंधने से रोकने वाली मुख्य चीज इस बीमारी के दोबारा हो जाने का डर है। अगर दोनों ही लोग इस बीमारी का दर्द जानते होंगे तो वे एक दूसरे को बेहतर तरीके से समक्ष सकेंगे और श्रेष्ठ साथी बन सकेंगे।
    
इस बीमारी से उबर चुका कोई भी व्यक्ति, जिसकी उम्र 20 से 35 साल के बीच है, वह इस पोर्टल पर मुफ्त में पंजीकरण करवा सकता है। 40 सदस्यीय यह संस्था अब तक इस वेबसाइट को बनाने में एक लाख रुपये खर्च चुकी है। इसके अलावा यह संगठन इनके कैंसर उपचार अभियान के तहत अन्य कार्यक्रमों के आयोजन की भी योजना बना रहा है।  

Sunday 23 February 2014

परेशान न कर दे सर्दी-जुकाम

Image Loadingमौसम बदलने पर सर्दी, जुकाम, खांसी, गला खराब आदि समस्याएं आम हो जाती हैं। डायबिटीज, बीपी, एलर्जी आदि से पीड़ित व्यक् तियों के बीमार होने की आशंका भी बढ़ जाती है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि विशेष सावधानी बरती जाए, ताकि आप स्वस्थ रह सकें।
तन-मन को रोमांचित करने वाला यह मौसम कई तरह की बीमारियां लेकर आया है। मौसम का बदलता मिजाज, सुबह-शाम की ठंड और  दोपहर की अच्छी धूप कॉमन कोल्ड, ब्रोंकाइटिस, सर्दी-जुकाम, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, गले में खराश और फेफड़ों और सिर में जकड़न, अस्थमेटिक अटैक, बुखार व अन्य कई मौसमी बीमारियों को न्योता दे रहा है। डॉक्टरों का मानना है कि हर रोज तापमान में आ रहे उतार-चढ़ाव के चलते सबसे ज्यादा बीमारियों का खतरा अस्थमा, डायबिटीज, हाई बीपी और दिल के मरीजों को है, इसीलिए वह विशेष तौर पर अपनी दवा, खानपान और व्यायाम का ध्यान रखें।  बच्चों और बुजुर्गों को अधिक खतरा
बुजुर्ग, बच्चों और वे लोग भी इस मौसम की चपेट में खूब आते हैं, जिनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। मूलचंद मेडसिटी के कंसलटेंट (पीडिएट्रिक्स) डॉ. गौरव जावा बताते है कि तापमान  में आए बदलाव के कारण इन दिनों करीब 35 प्रतिशत छोटे बच्चों रेस्पिरेटरी संक्रमण के साथ कफ और खांसी जैसी समस्याओं से पीड़ित होकर हॉस्पिटल आ रहे हैं। अक्सर स्कूल से आते समय गर्मी रहती है। ऐसे में बच्चों अपने गरम कपड़े उतार देते हैं। एकदम गर्मी से ठंड या ठंड से गर्मी के कारण बच्चों में शुरू में नाक बहने, छींक, आंखों से पानी आने और हल्की खांसी की समस्या दिखती है। छोटे बच्चों जब सांस लेते हैं तो उनकी नाक से आवाज आने लगती है, छींकें आने लगती हैं, नाक बंद होने लगता है, आंख से पानी निकलने लगता है, चिड़चिड़ापन और कभी-कभी वे वायरल के लक्षण और बुखार से भी परेशान हो जाते हैं। नाक, कान, गले में संक्रमण
बुजुर्गों व अन्य लोगों की हालत भी अलग नहीं है। मूलचंद मेडसिटी की कंसलटेंट (ईएनटी) डॉ. चंचल पाल बताती हैं कि गले कि खराश, गले, नाक और कान के संक्रमण के मरीजों में मौसम के बदलाव के साथ 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बढ़ते प्रदूषण के कारण धूल के कण सांस नली से शरीर में जाते हैं, जिसकारण संक्रमण होता है। इससे गला खराब होता है। इस मौसम में सांस नली में संक्रमण की समस्या भी बढ़ जाती है। आंखें लाल तो नहीं होतीं?
इस बदलते मौसम के कारण कंजक्टिवाइटिस से पीड़ित रोगियों में भी 20 प्रतिशत वृद्घि हुई है। मूलचंद आई क्लीनिक के कंसलटेंट डॉ. सतीश  मेहता बताते हैं कि कंजक्टिवाइटिस इन दिनों होने वाले वायरल संक्रमणों में से एक है। इसके आरंभिक लक्षणों में आंखें लाल होना, उनमें जलन होना और आंखों से पानी निकलना शामिल हैं। यह रोग बड़ी आसानी से फैलता है, इसलिए इसमें सावधानी की जरूरत है। सावधानी नहीं बरतने पर यह संक्रमण एक आंख से दूसरी आंख  में भी हो सकता है। साफ-सफाई ही इस रोग से बचने का सबसे अच्छा उपाय है। अपनी आंखों  पर ज्यादा जोर न डालें। बेहतर होगा कि ऐसे में घर से बाहर न निकलें, ताकि दूसरे लोग इसकी चपेट में न आएं। किन बातों का रखें ख्याल
- कान में दर्द होने पर बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी तरह की दर्द निवारक दवा का सेवन न करें।
- गला खराब हो तो गर्म नमक के पानी से गरारे करें।
- नहाने के तुरंत बाद कानों को अच्छी तरह से पोंछ कर सुखाना चाहिए।
- ठंड या जुकाम होने पर तुलसी के 8-10 पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर पी लें या तुलसी के 10 पत्तों को पौना गिलास पानी में उबालें और जब वह आधा रह जाए तो उस पानी को पिएं।
- विटामिन-सी और जिंक से भरपूर चीजों का ज्यादा सेवन करें। इनमें आंवला, संतरा या मौसमी आदि हो सकते हैं।
- इस मौसम में सुबह-शाम की ठंड रह गयी है। ऐसे में अपने कपड़ों और पहनावे पर ध्यान दें। हमें लगता है कि अब तो ठंड चली गयी और हम गर्म कपड़ों का इस्तेमाल छोड़ देते हैं। ऐसे में इस बदलते मौसम की सुबह-शाम की सर्द हवा हमें अपनी गिरफ्त में लेकर बीमार कर देती है।
- इस मौसम में मॉल, बाजार आदि भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
- सूप, जूस, गुनगुना पानी इत्यादि का खूब सेवन करें।
- अदरक, शहद, काली मिर्च, लौंग आदि का खाने में इस्तेमाल करें।
- खाना खाने से पहले और खाने के बाद हाथ अच्छी तरह साफ करें।  डॉ. श्रीकांत शर्मा, कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, मूलचंद मेडसिटी ज्यादा बीमार पड़ते हैं तो वैक्सीन लगवाएं
यह मौसम खासकर उन लोगों के लिए ज्यादा तकलीफदेह होता है, जिनको एलर्जी की समस्या है, शुगर से पीड़ित हैं, लंग पहले से कमजोर है, जिनका पहले ट्रांसप्लांट हुआ हो। ऐसे लोगों में बीमारी जल्दी बढ़ती है और ज्यादा गंभीर रूप धारण कर सकती है, इसलिए मौसम का थोड़ा भी असर दिखे तो डॉक्टर के पास जाने में देर न करें।  आपको मौसम में बदलाव के समय सर्दी, जुकाम, बुखार आदि होता है तो साल में एक बार एंफ्लुएंजा वैक्सीन जरूर लगवाएं। इसके लिए उपयुक्त समय फरवरी और सितम्बर का होता है। जिन्हें सांस की पुरानी समस्या है, उन्हें एक बार न्यूमोकोकल वैक्सीन भी लगवाना चाहिए।

काम तो मिल रहा है अमृता को

Image Loadingकाम तो मिल रहा है अमृता को
दस साल से ज्यादा हो गये अभिनेत्री अमृता राव को फिल्मों में काम करते हुए, पर इन वर्षों में उन पर ग्लैमर का रंग जरा भी नहीं चढ़ा। फिल्मी रंग से दूर अमृता सपरिवार मुंबई के माहिम में रहती हैं। वह लगातार सक्रिय भी रहती हैं।
वह कहती हैं, ‘गणपति की कुछ ऐसी कृपा है कि मुझे काम के लिए ज्यादा उठापटक नहीं करनी पड़ती। मैं पूरी ईमानदारी से काम करती हूं, इसलिए भी जरूरत पड़ने पर सभी मुझे याद करते हैं।’ अमृता को इस बात का एहसास है कि स्टारडम की दौड़ में वह काफी पीछे हैं। इस बारे में उनका अपना तर्क है, ‘आप हर हीरोइन से कैसे यह उम्मीद कर सकते हैं कि वह नंबर एक बन जाये। हमारी इंडस्ट्री में कई ऐसी हीरोइनें आईं, जिन्हें स्टार नहीं, सिर्फ अच्छी अभिनेत्री कहा गया। अगर कोई मुझे बड़ा स्टार नहीं मानता तो इससे मुझे दुख नहीं होता, पर लोग कभी यह नहीं कह सकेंगे कि मैंने अच्छी परफॉरमेंस नहीं दी। मुझे खुशी है कि सनी देओल, शाहरुख खान, सलमान खान आदि कई बड़े सितारों ने मेरे काम की तारीफ की है।’ लगता है इसी तारीफ का नतीजा है कि आज भी अमृता बड़े सितारों की फिल्में कर रही हैं।

व्हाट्स एप का सर्वर हुआ डाउन, लोगों को दिक्कतें

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व्हाट्स एप के दुनियाभर में 45 करोड़ उपभोक्ता नि:शुल्क स्मार्टफोन मैसेजिंग सेवा का लाभ उठाने में दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। बीते दिनों फेसबुक ने व्हाट्स ए प को 19 अरब डॉलर में खरीदने की घोषणा की थी।
व्हाट्स एप ने टि्वटर पर जारी एक संदेश में कहा कि हमें खेद है कि कंपनी को सर्वर से जुड़े मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि हम जल्द ही अपने उपभोक्ताओं को पुन: सेवा उपलब्ध कराने में समर्थ होंगे। कल व्हाट्स एप के कुछ उपभोक्ता एप्लीकेशन से जुड़ने में असमर्थ रहे, जबकि अन्य ने इसके जरिए संदेश नहीं जाने की शिकायत की। माना जाता है कि फेसबुक द्वारा व्हाट्स एप का अधिग्रहण करने की खबर फैलने के बाद इसके उपभोक्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ी, जिससे कंपनी का सर्वर बैठ गया।

‘हॉलीडे’ के नाम पर तूफान

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अक्षय कुमार और अभिनेत्री-निर्माता-निर्देशक पूजा भट्ट दूसरी बार आमने-सामने हैं। पूजा का आरोप है कि अक्षय और उनकी फिल्म के निर्माता विपुल शाह ‘हॉलीडे’ नाम का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं अक्षय कैंप के अनुसार उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। यह पूजा भट्ट और ‘हॉलीडे- ए सोल्जर इज नेवर ऑफ डय़ूटी’ के निर्माता शाह के बीच का मसला है। इससे पहले पूजा और अक्षय ‘थैंक यू’ पर भी भिड़ चुके हैं।
कई सौ साल पहले शेक्सपियर ने कहा था, ‘नाम में क्या रखा है?’ लेकिन हमारे बॉलीवुड में नाम को लेकर ही लड़ाई छिड़ जाती है। फिल्मकार फिल्म के नाम को ले कर एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं। इन दिनों बॉलीवुड में फिल्म ‘हॉलीडे’ को लेकर तूफान मचा हुआ है। अब तक वहां एक अघोषित नियम सा रहा है कि जिस नाम पर एक फिल्म बन जाती थी, उस नाम पर बीस साल से पहले दूसरी फिल्म नहीं बनती थी। लेकिन पिछले दो-चार सालों से फिल्मकार इस नियम की धज्जियां उड़ाते हुए नजर आ रहे हैं। ज्यादातर फिल्मकार पुरानी फिल्म के नाम के साथ कोई शब्द या कोई वाक्य जोड़ कर अपनी फिल्म का नाम रखने लगे हैं। 2006 में डीनो मोरिया को लेकर पूजा भट्ट ने ‘हॉलीडे’ नाम की फिल्म बनाई थी। वहीं फिल्मकार विपुल शाह ने अक्षय कुमार को लेकर एक फिल्म बनाई है, जिसका नाम ‘हॉलीडे- ए सोल्जर इज नेवर ऑफ डय़ूटी’ है। इस फिल्म का पहला ट्रेलर जारी होते ही फिल्म के नाम को लेकर पूजा भट्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सूत्रों के अनुसार जब विपुल शाह ने ‘गजनी’ फेम निर्देशक ए. मुरुगादास के निर्देशन में तमिल फिल्म ‘थुप्पाकी’ का हिंदी में रीमेक बनाना शुरू किया था, तब उन्होंने इस नाम का उपयोग करने का अधिकार लेने के लिए पूजा भट्ट से संपर्क भी किया था। लेकिन पूजा ने उन्हें टका-सा जवाब दे दिया था। पूजा का दावा है कि उसके बाद विपुल शाह ने ‘गिल्ड’ से संपर्क किया था, मगर ‘गिल्ड’ ने भी विपुल शाह को टका-सा जवाब दे दिया था। विपुल शाह अपनी फिल्म का नाम बदलने को तैयार नहीं थे, इसलिए उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री की दूसरी संस्था ‘इम्पा’ (इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन) में अपनी फिल्म के टाइटल के साथ टैगलाइन जोड़ते हुए ‘हॉलीडे- ए सोल्जर नेवर ऑफ द डय़ूटी’ को रजिस्टर्ड करवा लिया और अब वह इसी नाम से अपनी फिल्म को रिलीज करना चाहते हैं। पूजा भट्ट इसका विरोध कर रही हैं। दूसरी तरफ इस सारे प्रकरण पर विपुल शाह की अपनी अलग राय है। वह कहते हैं, ‘मैंने अपनी फिल्म का नाम ‘इम्पा’ में रजिस्टर्ड करवाया है, इसलिए अब किसी को भी विरोध करने का हक नहीं बनता। इसमें किसी की फिल्म का नाम उपयोग करने का मसला कहां से आ गया? मेरी फिल्म के टाइटल को लेकर लोग हंगामा क्यों मचा रहे हैं! लोगों को याद रखना चाहिए कि मेरी फिल्म का टाइटल ‘हॉलीडे’ नहीं, बल्कि ‘हॉलीडे-ए सोल्जर नेवर ऑफ द डय़ूटी’ है। मुझे लगता है कि पूजा भट्ट के मन में कोई शंका है तो वह मुझसे सारी जानकारी ले सकती हैं।’ इतना ही नहीं, विपुल शाह का यह भी दावा है कि पूजा भट्ट गलत बयानबाजी कर रही हैं। विपुल शाह के अनुसार वह फिल्म का टाइटल रजिस्टर्ड करवाने के लिए गिल्ड गए ही नहीं। वह कहते हैं, ‘उनकी फिल्म कई साल पहले रिलीज हो चुकी है। फिर भी मैंने उनसे फिल्म का टाइटल लेने के लिए संपर्क किया था, पर उन्होंने मना कर दिया। तब मैंने अपनी फिल्म का नया नाम रखा। मैं फिर यही कहूंगा कि मैंने पूजा भट्ट की फिल्म के टाइटल का उपयोग नहीं किया है। यह कहना पूरी तरह से गलत है कि मैं गिल्ड के पास टाइटल रजिस्टर करवाने के लिए गया था।’ मजेदार बात यह है कि अक्षय कुमार की ‘हॉलीडे- ए सोल्जर इज नेवर ऑफ डय़ूटी’ पिछले काफी समय से विवादों में है। फिल्म के प्रदर्शन को लेकर भी विवाद छिड़ा हुआ है। यह फिल्म अजय देवगन की ‘एक्शन जैक्शन’ के साथ ही रिलीज होने जा रही है। ‘एक्शन जैक्शन’ को सबसे पहले एक मई को रिलीज करने की घोषणा की गयी थी। पर अचानक विपुल शाह ने अपनी फिल्म ‘हॉलीडे-ए सोल्जर इज नेवर ऑफ डय़ूटी’ को एक मई को रिलीज करने की घोषणा कर दी। तब ‘एक्शन जैक्शन’ के निर्माता ने विपुल शाह से अपनी फिल्म को आगे ले जाने के लिए कहा, पर वह माने नहीं। उसके बाद ‘एक्शन जैक्शन’ के निर्माता ने अपनी फिल्म को 6 जून को रिलीज करने की घोषणा की। फिर पंगा लेते हुए विपुल शाह ने ‘हॉलीडे- ए सोल्जर इज नेवर ऑफ डय़ूटी’ को 6 जून को रिलीज करने की घोषणा कर दी। इस विवाद पर अजय देवगन कहते हैं, ‘अभी तक यही स्थिति है। मगर इस संबंध में मैं या अक्षय कुछ भी नहीं कर सकते। इस मसले से हम दोनों कलाकार नहीं जुड़े हैं, पर दोनों फिल्मों के निर्माता आपस में बैठ कर कुछ निर्णय लेने वाले हैं। हम तो चाहते हैं कि हमारी फिल्में आपस में ना टकराएं।’ अब बॉलीवुड में सवाल उठ रहा है कि अक्षय कुमार की फिल्म के साथ ही विवाद क्यों खड़ा होता है?

काम आएंगी ये ‘बेवकूफियां’?

Image Loadingबिकना है तो बिकिनी पहनो। फिल्मी दुनिया के इस सच से फिल्मी सुंदरियों का कभी न कभी साबका जरूर पड़ा है और लगभग हर किसी ने देर-सवेर इसे स्वीकारा भी है। इस कतार में नया नाम जुड़ा है सोनम का। जी हां, वही सोनम जो अभी तक गर्ल नेक्स्ट डोर वाली इमेज रखती आई हैं। पर लगता है उन्हें यह समझ में आ गया है कि इस इमेज वाली लड़कियां यहां फिल्में भले ही पा लें, पर हॉट-बेब की वह इमेज नहीं पा सकतीं, जो लाखों-करोड़ों लोगों को एक साथ दीवाना बना सकती है और जिसकी एक झलक भर देखने के लिए लोग मतवाले हो उठते हैं।
सोनम के करियर ग्राफ पर गौर करें तो साफ महसूस होता है कि भले ही उन्होंने संजय लीला भंसाली जैसे फिल्ममेकर की ‘सांवरिया’ से करियर शुरू किया हो, उसके बाद ‘दिल्ली 6’, ‘मौसम’, ‘रांझणा’ या ‘भाग मिल्खा भाग’ जैसी संजीदा फिल्में भी मिली हों, लेकिन उन्हें न तो वह कामयाबी ही मिली, जिसके दम पर कोई अदाकारा बॉक्स-ऑफिस को हिलाने का दम भर सकती है और न ही वह इमेज जो लोगों के दिल-दिमाग को हिला सके। जाहिर है कि ऐसे में किसी भी फिल्मी बाला का अगला और उचित कदम वही होता, जो सोनम ने उठाया। यानी एक बोल्ड रोल और उसमें भी एक अदद बिकनी के जरिए अपनी काया का प्रदर्शन। यहां यह याद करना मुनासिब होगा कि सोनम अपने पापा अनिल कपूर की इजाजत से फिल्मों में आई हैं। इन दोनों के बीच शुरू से ही यह  समझ बनी हुई है कि वह कैमरे के सामने एक हद से आगे नहीं जाएंगी। हालांकि अनिल ‘सोनम जो चाहे करे’ किस्म की बातें कहते रहते हैं, लेकिन खुद सोनम ने ही करीब दो साल पहले एक इंटरव्यू में कहा था कि वह कभी बिकिनी नहीं पहनेंगी, क्योंकि न तो उनके अंदर इतना कॉन्फिडेंस है और न ही उन्हें लगता है कि उनकी फिगर बिकिनी पहनने लायक है। पर अब अचानक ‘बेवकूफियां’ में बिकिनी पहन कर आने का फैसला क्यों? साफ है कि सोनम की फिगर या कॉन्फिडेंस में भले ही बदलाव न आया हो, उनके इरादे जरूर बदल चुके हैं। वैसे खुद सोनम अपने इस नए कदम को लेकर काफी खुश हैं और तमाम विवादों  की बातों को दरकिनार करते हुए कहती हैं कि उनके बिकिनी वाले प्रोमोज के बाद उन्हें जो रिस्पांस मिल रहा है, वह काफी पॉजिटिव है। बात सही भी है और यह भी तय है कि इससे सोनम को फायदा भी मिलेगा। अपनी हॉट इमेज की बदौलत बहुत जल्द अगर सोनम पहली कतार की हीरोइनों को टक्कर देने का दावा करती नजर आएं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। कभी-कभी ‘बेवकूफियां’ असल में समझदारियां भी बन जाती हैं।

क्या चलेगी वरुण की बेशर्मी?

Image Loadingमशहूर फिल्म निर्देशक डेविड धवन के बेटे वरुण धवन अपने करियर की पहली फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से ही चर्चा में आ गए थे। लेकिन उनकी चर्चा अभिनय क्षमता की बजाय आलिया भट्ट से रिश्तों को लेकर ज्यादा होती रही।
वहीं कुछ लोग दबी आवाज में यह भी चर्चा करते रहे हैं कि वरुण अपने बचपन की मित्र नताशा दलाल के साथ प्यार की पींगें बढ़ा रहे हैं। बहरहाल, इन दिनों वह अपनी दूसरी फिल्म ‘मैं तेरा हीरो’ को लेकर चर्चा में हैं, जिसे उनके पिता डेविड धवन ने निर्देशित किया है। क्या आपको दूसरे निर्देशक फिल्म में नहीं ले रहे, जो ‘मैं तेरा हीरो’ में आप अपने पिता के साथ काम कर रहे हैं?
मेरे डैडी डेविड धवन की फिल्म में हीरो बनना फा की बात है। यह कॉमेडी फिल्म है, पूरी तरह से एक फन फिल्म है। डेविड धवन सिर्फ मेरे पिता ही नहीं, बल्कि कई सफल फिल्मों के निर्देशक भी हैं। इस फिल्म में मैंने ऊटी में रहने वाले लड़के श्रीनाथ प्रसाद उर्फ शीनू का किरदार निभाया है, जो चरित्रहीन और बेशर्म है। इस फिल्म में मेरा लुक भी पूरी तरह से ऊटी में रहने वालों जैसा ही नजर आएगा। फिल्म की शूटिंग मुंबई के अलावा बैंकॉक में भी की गयी है। माना जाता है कि डेविड धवन का बेटा होने की वजह से इंडस्ट्री में आपकी एंट्री आसान हो गई।
मैं बचपन से ही गोविंदा की फिल्में देखते हुए बड़ा हुआ हूं। अभिनय तो मेरे खून में है। मुझे फिल्मों की एक समझ रही है, इसलिए मैंने सोच-समझ कर फिल्में साइन की हैं। लेकिन सबसे बड़ा सच यह है कि मैं अपने भाई रोहित धवन की ही वजह से अभिनेता बन पाया। रोहित ने कुछ समय पहले एक फिल्म ‘देसी बॉयज’ निर्देशित की थी और फिल्म ‘मैं तेरा हीरो’ में वह एसोसिएट निर्देशक के रूप में जुड़े हुए हैं। हाल ही में रिलीज हुई रणबीर कपूर की ‘बेशर्म’ ने बॉक्स आफिस पर पानी भी नहीं मांगा। इस बात से आपके अंदर डर नहीं पैदा होता?
हमारे देश में आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान और हृतिक रोशन, ये चार ही स्टार हैं। इसके अलावा कोई स्टार कलाकार नहीं है। लेकिन हमारे देश में स्टार व सुपर स्टार शब्द का दुरुपयोग ही किया जाता है। मेरा अपना मानना है कि एक अच्छी फिल्म कभी फ्लॉप नहीं होती। अगर आप स्टार बनने के लिए कलाकार बनते हैं तो आपकी यह सोच गलत है। इस तरह तो आप कला का अपमान करते हैं। आपका नाम कभी आलिया भट्ट से, तो कभी श्रद्धा कपूर के साथ जोड़ा जा रहा है..
बॉलीवुड की सबसे बड़ी खूबी यही है कि हम जिसके साथ काम करते हैं, मीडिया उसके साथ ही हमारा नाम जोड़ देती है। हम अच्छे दोस्त हैं, पर हमारे बीच प्यार जैसा कोई मामला नहीं है। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहूंगा कि मैं आलिया के साथ डेटिंग नहीं कर रहा हूं। कहने वाले यह भी कहते हैं कि आपकी वजह से अर्जुन कपूर के साथ उनका अलगाव हुआ?
दो लोगों के बीच क्या हो रहा है, इस पर मैं क्या कह सकता हूं! मुझे तो इस बारे में कुछ पता भी नहीं है। इतना तय है कि मैं कभी भी किसी अभिनेत्री के साथ डेटिंग नहीं करूंगा। बचपन की दोस्त नताशा दलाल को लेकर क्या कहेंगे?
कुछ नहीं। खुद को फिट कैसे रखते हैं?
कलाकार होने के नाते हमें खुद को हमेशा चुस्त-दुरुस्त और स्वस्थ रखना होता है। इसलिए जिम जाना और जॉगिंग करना मेरा नियम सा बन गया है। जब मैं ‘मैं तेरा हीरो’ के लिए बैंकॉक में शूटिंग कर रहा था, तब वहां भी जिम जाया करता था। इसके अलावा हर दिन जॉगिंग करना भी मेरे रुटीन में शामिल है। चर्चा है कि आप किसी टीवी सीरियल में भी काम कर रहे हैं?
जी हां! सलमान खान एक रियलिटी शो ‘मिशन सपने’ का निर्माण कर रहे हैं। इसमें मैंने काम किया है। इस शो में अलग-अलग क्षेत्र के सेलिब्रिटी आम इंसानों की तरह काम करते नजर आने वाले हैं। यह बहुत ही बेहतरीन शो होगा, जो ‘कलर्स’ चैनल पर प्रसारित होगा। इस शो में मैं सब्जी वाला बना हूं। दर्शक मुझे मुंबई के क्रॉफर्ड मार्केट में सब्जियां बेचते हुए देख सकेंगे। इसके लिए मुझे सिर्फ पांच से छह घंटे ही शूटिंग करनी पड़ी।

अफेयर की खबरों से परेशान आलिया

Image Loadingआलिया भट्ट कुल जमा 20 साल की हैं। जिसके डैडी महेश भट्ट हों और गाइड करण जौहर, जिसकी पहली फिल्म सुपर हिट रही हो, उसके लिए आगे का रास्ता आसान हो जाता है। पर आलिया ने आसान फिल्में चुनने की बजाय की ‘हाईवे’। बड़े आराम से वह गिनी-चुनी फिल्में कर रही हैं। सुपर स्टार आलिया भट्ट को किसने सिखाया यह सब?
‘हाईवे’ अपने प्रोमो से ही सुर्खियों में रही है। क्या ये वैसी ही फिल्म है, जैसी प्रोमो में दिखाई दे रही है?
फिल्म के पहले प्रोमो से ही मैं नर्वस थी। कई बार अच्छे  रिस्पांस से भी परेशानी होने लगती है, क्योंकि उम्मीदें बढ़ने लगती हैं। इस फिल्म में मैंने वीरा का किरदार निभाया है, जो बेहद अलग किस्म का किरदार है। मैं कहना चाहूंगी कि प्रोमो से फिल्म की पूरी स्थिति बयां नहीं की जा सकती। ये दो लोगों की कहानी है, जिसमें ढेर सारे अलग-अलग रंग हैं। ये रंग एक यात्रा के रूप में बाहर निकलते हैं और कहानी को मजेदार बनाते हैं। आप कह रही हैं कि वीरा एक बेहद अलग किरदार है। ये ‘अलग’ इफेक्ट इम्तियाज की वजह से है या आपने भी कुछ प्रयास किये हैं?
आप इसे टीमवर्क कहिये, पर यह टीमवर्क बिना टीम लीडर के अधूरा है। और इम्तियाज टीम लीडर हैं, जिनके बिना ‘हाईवे’ का सपना अधूरा है। वीरा के किरदार को निभाने के लिए केवल उसके संवाद और उसकी बॉडी लैंग्वेज को ही फॉलो करना जरूरी नहीं था, उसके अतीत से जुड़ी तमाम बातें ऐसी हैं, जिससे वीरा का किरदार खड़ा होता। अतीत और वर्तमान के बीच झूलती वीरा जब खुले आकाश में आती है तो एकदम अलग बन जाती है। करीना कपूर से आपकी बार-बार तुलना की जा रही है। कैसा लगता है और करियर के शुरुआती दौर में क्या यह तुलना ठीक है?
वाओ...बहुत अच्छा लगता है। मैं उनकी बहुत बड़ी फैन हूं, पर मुझे लगता है कि ये सच नहीं है। कई बार ऐसी तुलना परेशानी का सबब भी बन जाती है। इंडस्ट्री में एक किरदार हिट होने पर एक भेड़चाल-सी शुरू हो जाती है। आपको भी इसका सामना करना पड़ा?
हां, ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ के बाद मेरे पास दजर्न भर वैसे ही रोल आये, पर मुझे अपील नहीं कर पाए। वे लोग मुझमें एक कॉलेज गोइंग लड़की देख रहे थे। कोई बात नहीं। पर उनमें वैरायटी भी हो सकती थी, जो नहीं थी। पर अपनी पहचान बनाने के लिए आपको कई बार एक तरह के किरदार भी करने पड़ते हैं?
मुझे लगता है कि पहचान किसी भी रूप में बन सकती है। आप एक जैसे रोल करेंगे, अच्छे करेंगे तो भी लोग आपको पहचानेंगे, पसंद करेंगे। और अगर आपके पास अलग-अलग तरह के रोल निभाने के विकल्प हैं और आप उनमें भी अच्छा कर रहे हैं तो पहचान का संकट नहीं होगा। जैसे कि मैं अपनी आने वाली  फिल्मों- ‘2 स्टेट्स’ और ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ में दो अलग-अलग किरदार कर रही हूं। एक फिल्म में तमिल और दूसरी में पंजाबी लड़की का रोल कर रही हूं। इन दोनों किरदारों को करने के लिए मैंने अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग ली है। सिद्धार्थ और वरुण के साथ अफेयर की खबरें परेशान करती हैं?
वेल, ऐसी खबरों से मैं  परेशान तो होती ही हूं, हैरान भी होती हूं कि गॉसिप बनाने के लिए न जाने क्या-क्या लिख दिया जाता है। आखिर इस तरह की खबरों में कुछ तो सच्चाई होती होगी?
फिलहाल तो बिलकुल सच्चाई नहीं है।  और आपका ताजा लिंक तो अर्जुन कपूर के साथ जोड़ा जा रहा है..
मैंने कहा ना कि अगर कुछ सच होगा तो खुद सामने आएगा। और उस समय मैं उसे खुद कबूल करूंगी। फिल्म साइन करने की जल्दबाजी आप में नहीं दिखती..
हां, मैं किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हूं। इस साल मेरी दो फिल्में और रिलीज होने वाली हैं। ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ की शूटिंग मैं कर रही हूं। अगले साल के लिए फिलहाल मेरे पास कोई फिल्म नहीं है। फैशन और स्टाइल के मामले में सोनम कपूर आपकी तारीफ करती नजर आती हैं। कैसा लगता है?
अच्छा लगता है। पर मुझे लगता है कि मैं बहुत ज्यादा फैशनेबल नहीं हूं। बस खुद को ठीक से कैरी कर लेती हूं। सोनी राजदान टिपिकल फिल्मी मॉम की तरह हैं या कुछ अलग हैं?
नहीं, मॉम ऐसी नहीं हैं। पहली फिल्म के दौरान वह जरूर सेट पर आती थीं, लेकिन हाईवे के दौरान वह बेहद कम साथ थीं। वह फिल्मी मॉम बिलकुल नहीं हैं।

हार्ले डेविडसन ने सोने की परत चढ़ी बाइक लांच की.

बाइक के शौकीनों के लिए खुशखबरी हार्ले डेविडसन ने सोसोने की परत वाली 5.53 करोड़ की हार्ले डेविडसन लांचने की परत चढ़ी बाइक लांच की.
इस बाइक की कीमत रखी गयी है 5.53 करोड़ जी हां सुनकर शौक लगा होगा लेकिन कंपनी का दावा है कि शौकिनों केलिए यह कीमत कोई ज्यादा नहीं.
बाइक पर सोने की परत चढ़ाकर तैयार किया है डेनमार्क की मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी लॉज जेनसन ने.
जर्मनी के शहर हैम्बर्ग में चल रहे मोटरसाइकिल एक्सपो में इसे लोगों के सामने लाया गया. 5.53 करोड़ रुपए की इस बाइक को दुनिया की सबसे महंगी बाइक बताया गया.
इसे हार्ले-डेविडसन की स्पेशल एडिशन बाइक का नाम दिया है.
गौरतलब है कि हार्ले की सबसे सस्ती बाइक को दिल्ली ऑटो एक्सपो में प्रदर्शित किया गया था.
750 सीसी इंजन वाली हार्ले-डेविडसन स्ट्रीट 750 की कीमत चार लाख दस हजार रुपए है.
हार्ले की सबसे महंगी बाइक बनाने वाली कंपनी मुख्य रूप से महंगी कस्टम बाइक ही बनाती हैं. भारत में इसे आने में समय लगेगा.

यूक्रेन में तख्‍तापलट, प्रदर्शनकारियों ने किया राष्‍ट्रपति दफ्तर पर कब्जा

यूक्रेन में हिंसा
यूक्रेन की संसद में राष्ट्रपति को हटाने और नए सिरे से चुनाव कराने का प्रस्ताव पारित होने के बाद प्रदर्शनकारियों ने राजधानी कीव और राष्ट्रपति के कार्यालय पर कब्जा कर लिया है. राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच इस घटना को तख्ता पलट बता रहे हैं और उन्होंने अपना पद छोड़ने से भी इनकार कर दिया है.
इस बीच, यूक्रेन के सीमा नियंत्रण सेवा ने दावा किया है कि राष्ट्रपति के सहायकों ने यानुकोविच को देश से बाहर जाने देने के लिए सीमा सुरक्षाकर्मियों को रिश्वत देने की कोशिश की लेकिन राष्ट्रपति को देश से बाहर निकलने से रोक दिया गया. सीमा सेवा के प्रवक्ता सेरही एस्ताहोव ने बताया, 'दोनेत्स्क हवाईअड्डे पर उड़ान भरने के लिए खड़े एक निजी विमान के पास सही कागजात नहीं थे. जब कागजात की जांच के लिए अधिकारी पहुंचे तो विमान में मौजूद सशस्त्र लोगों ने तत्काल उड़ान भरने देने के लिए उन्हें पैसों की पेशकश की लेकिन सीमा सुरक्षाकर्मियों ने इसे ठुकरा दिया. कुछ समय बाद दो सशस्त्र वाहन विमान के पास पहुंचे और राष्ट्रपति बाहर आए और हवाईअड्डे से बाहर चले गए.
राष्ट्रपति ने टीवी पर दिए गए एक बयान में कहा, 'वे मुझे डराने का प्रयास
कर रहे हैं. मेरा देश छोड़ने का कोई इरादा नहीं है. मैं इस्तीफा नहीं दे रहा, मैं वैध तरीके से निर्वाचित राष्ट्रपति हूं.' उन्होंने कहा कि आज जो कुछ भी हो रहा है वह लूट, डकैती और तख्ता पलट का भयंकर रूप है' राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं अपने देश को टूटने से बचाने की हर संभव कोशिश करूंगा.'
यूक्रेन में सप्ताह भर की हिंसा और अनिश्चितता में सैकड़ों लोगों की जान गई और डर पैदा हो गया कि देश दो टुकड़ों में टूट जाएगा. संसद ने समयपूर्व 25 मई को मतदान कराने की बात कही है लेकिन राष्ट्रपति का कहना है कि वह किसी भी सांसद के निर्णय को वैध नहीं मानेंगे. राष्ट्रपति कीव छोड़कर अपने समर्थकों के बीच रूसी भाषी पूर्व में चले गए हैं. वहां के सांसद नए अधिकार प्राप्त संसद की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं और उन्होंने मिलिशिया से आदेश का विरोध करने को कहा है.
इससे पहले, पूर्व प्रधानमंत्री युलिया तिमोशेंको के सहयोगी अलेक्जेंडर तुरचिनोव को शनिवार को यूक्रेन की संसद का नया अध्यक्ष चुन लिया गया. तरचिनोव का इस पद पर चुनाव, उनके पूर्ववर्ती वोलोदिमिर रेबक के इस्तीफे के बाद हुआ है.

अभिनेता मोहनीश बहल के स्वीमिंग पूल में मिला शव

Image Loadingटीवी और फिल्म अभिनेता मोहनीश बहल के स्वीमिंग पूल में एक नवजात बच्ची का शव पाया गया है। पुलिस इस बात की तहकीकात कर रही है कि आखिर शव किस तरह बह ल के निजी स्वीमिंग पूल में पहुंचा।
बहल के खारेगांव स्थित फॉर्म हाउस के चौकीदार ने सबसे पहले स्वीमिंग पूल में नवजात का शव देखा। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो चुका था। चिकित्सकों ने पुलिस को बताया कि नवजात बमुश्किल तीन या चार दिन की थी। एक अधिकारी ने बताया कि मोहनीश सूचना पाते ही तुरंत अपने फॉर्म हाउस पहुंचे। नवजात का शव देखकर वह काफी विचलित हो गए थे। अधिकारी ने आगे कहा कि वह (मोहनीश) पुलिस कार्रवाई पूरी होने के दौरान वहीं मौजूद रहे। हम यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि किसने शव को यहां फेंका।

रोहतक में गरजे अरविंद केजरीवाल, पूछा- राहुल और मोदी को कौन देता है प्रचार के लिए हेलीकॉप्टर?

अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा के रोहतक से आम आदमी पार्टी के लोकसभा कैंपेन का धमाकेदार आगाज किया. मुकेश अंबानी, राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी, तीनों पर उन्होंने बेबाक अंदाज में तीखे प्रहार किए.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि देश को मुकेश अंबानी चला रहे हैं और राहुल-मोदी उन्हीं के दो चेहरे हैं. भारी भीड़ के बीच अंबानी बंधुओं के स्विस बैंक अकाउंट नंबर का खुलासा करके सबको चौंका दिया. केजरीवाल ने दावा किया, 'मुकेश अंबानी का अकाउंट नंबर, '5090160983' और अनिल अंबानी का '5090160984' है, क्या मोदी सत्ता में आने के बाद उनका पैसा वापस लेकर आएंगे?'
'चाय वाले के पास कहां से आए हेलीकॉप्टर?'
अरविंद केजरीवाल ने सादगी के सवाल पर भी मोदी और राहुल को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि मोदी और राहुल हेलीकॉप्टर से घूम-घूम कर प्रचार करते हैं. उन्हें बताना चाहिए कि ये हेलीकॉप्टर किसके हैं. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने पूछा, 'मोदी खुद को चायवाला बताते हैं. एक चायवाले के पास इतने हेलीकॉप्टर कहां से आए?'
केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर चल रही एक तस्वीर भी भरी रैली में दिखाई, जिसमें मोदी के पीछे एक हेलीकॉप्टर खड़ा है, जिस पर 'अडानी' लिखा है. केजरीवाल ने कहा कि क्या अब भी आपको लगता है कि अगर मोदी सत्ता में आ जाएंगे तो अंबानी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे? बल्कि उल्टे अंबानी गैस की कीमत 8 डॉलर नहीं, 16 डॉलर करवा लेंगे.
केजरीवाल ने कहा कि मीडिया का एक तबका यह दिखाता रहता है कि केजरीवाल ने 5 बीएचके फ्लैट ले लिया या 3 बीएचके ले लिया, लेकिन कोई राहुल और मोदी से उनके हेलीकॉप्टरों का हिसाब क्यों नहीं मांगता.
'हुड्डा प्रॉपर्टी डीलर हैं, सीएम नहीं'
केजरीवाल रोहतक में बोल रहे थे, वही रोहतक जहां से प्रदेश के सीएम भूपेंदर हुड्डा के बेटे दीपेंदर हुड्डा सांसद हैं. सीएम पर आरोप लगाते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि हुड्डा सीएम नहीं प्रॉपर्टी डीलर हैं.
केजरीवाल ने अमीरों की दी जाने वाली सब्सिडी की भी आलोचना की. उन्होंने आरोप लगाया कि मुकेश अंबानी को अलग-अलग तरीके से 54 हजार करोड़ रुपये सालाना दिए जाते हैं, इतना तो दिल्ली विधानसभा का बजट भी नहीं होता.
'गरीबों को सब्सिडी देते रहेंगे'
पहली बार देश की राजधानी के बाहर एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे केजरीवाल किसानों और गरीबों को याद करना भी नहीं भूले. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी 'जय जवान, जय किसान' के नारे में यकीन रखने वाली पार्टी है. लोग दिल्ली सरकार के सब्सिडी के फैसले की आलोचना करते हैं लेकिन मैं गरीबों को सब्सिडी जरूर दूंगा. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा, 'पूर्ण बहुमत दो तो भ्रष्टाचार मिटा दूंगा.'
केजरीवाल ने अपने इस्तीफे पर भी सफाई दी. उन्होंने कहा कि बीजेपी वाले मुझ पर भाग जाने का आरोप लगाते हैं, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि लाल बहादुर शास्त्री ने भी एक ट्रेन हादसे के बाद रेलमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. वह भागे नहीं थे. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि आजादी के बाद किसी भी सरकार ने शुरुआती डेढ़ महीने में इतना काम किया हो तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा.
लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मोदी ने क्यों नहीं छोड़ी कुर्सी?
केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी कहती है कि मैंने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया. मैं पूछना चाहता हूं कि मोदी ने क्यों नहीं दिया इस्तीफा, नीतीश कुमार और जयललिता ने क्यों नहीं दिया, लोकसभा चुनाव तो उन्हें भी लड़ना है. केजरीवाल ने कहा कि उनका इस्तीफा उसूलों पर आधारित था. जान चली जाए पर उसूलों से समझौता नहीं करेंगे. उन्होंने हरियाणा के लोगों से कहा कि अगर आप अपनी जिंदगी से खुश हो तो खुशी से मोदी और राहुल को वोट दे देना. लेकिन खुश नहीं हो तो इस लड़ाई में साथ आना.
केजरीवाल ने साफ कहा कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 9 सीटों और आगामी विधानसभा में प्रदेश की सभी 90 सीटों पर प्रत्याशी खड़े करेगी. उन्होंने कहा, 'हमारे पास पैसे नहीं हैं. सब लोग ये पैंफलेट ले जाएं. 1000 कॉपी फोटोकॉपी करवाकर बांटें. सबको 100-100 वोट तैयार करने हैं.' केजरीवाल ने रोहतक से नवीन जयहिंद को लोकसभा टिकट देने के संकेत दिए.

एंटनी ने सैन्य तख्तापलट की आंशका को किया खारिज

Image Loading दिल्ली के पास 2012 में सेना की दो इकाइयों की गतिविधियों को लेकर पैदा हुए ताजा विवाद को समाप्त करने का प्रयास करते हुए रक्षा मंत्री एके एंटनी ने रवि वार को कहा कि भारतीय सेना एक जिम्मेदार बल है जो असैन्य सरकार के फैसलों का पालन करती है और देश में किसी भी हालत में सैन्य तख्तापलट नहीं होगा। एंटनी ने यहां तटरक्षक के एक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा कि भारत में किसी भी हालत में सैन्य तख्तापलट नहीं होगा। पिछले सात साल से मैं भारतीय रक्षा बलों से जुड़ा रहा हूं। सेना, नौसेना, वायु सेना और तटरक्षक के केवल शीर्ष पदों पर बैठे लोगों से नहीं, बल्कि सामान्य जवानों से और सीमावर्ती क्षेत्र में तैनात सुरक्षाकर्मियों से जुड़ा रहा हूं। उन्होंने कहा कि मैं एक चीज दृढ़ता के साथ कह सकता हूं..भारतीय सेना एक जिम्मेदार बल है। सेना जहां अभियानों पर फैसले लेती है, लेकिन वह असैन्य सरकार द्वारा पारित सभी नीतिगत निर्णयों का पालन करती है। किसी तरह की चिंता की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि सेना की कथित हलचल केवल एक नियमित प्रशिक्षण कवायद थी। यह अब एक समाप्त अध्याय है। एंटनी से दो साल पहले दिल्ली के पास सेना की दो इकाइयों की हलचल के मामले में डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल एके चौधरी के बयान को लेकर उठे ताजा विवाद पर प्रतिक्रिया मांगी गयी थी। लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा था कि सेना और सरकार के बीच इस मुद्दे पर अविश्वास हो सकता है। एंटनी ने कहा कि किसी तरह की चिंता की बात नहीं है। सैन्य तख्तापलट की कोई आशंका नहीं है। मुक्षे सेना पर पूरा भरोसा है और तख्तापलट की दूर-दूर तक कोई आशंका नहीं है।

मोदी की रैली में नहीं दिखे सिद्धू

Image Loadingपंजाब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एकमात्र सांसद नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की यहां रविवार को आयोजित सभा में अनुप स्थित रहे।
अमृतसर से सांसद सिद्धू को मंच पर भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के बड़े नेताओं के साथ नहीं देखा गया। सिद्धू न केवल शिअद, बल्कि भाजपा की पंजाब इकाई के वरिष्ठ नेताओं तक से भिड़ चुके हैं। उन्होंने शुक्रवार को कहा था कि उन्हें जगरांव में होने वाली मोदी की रैली के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें इसमें शामिल होने का न्योता या सूचना नहीं दी जाती है तो वे उसमें हिस्सा नहीं लेंगे। सभा में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भाजपा और अकाली दल के सभी नेताओं का नाम लिया, लेकिन उसमें सिद्धू का नाम शामिल नहीं था। पिछले आम चुनाव के दौरान सिद्धू भाजपा के स्टार प्रचार थे और उन्होंने गुजरात में भी प्रचार किया था। उन्होंने अमृतसर में विकास कार्यों में कमी का आरोप लगाते हुए पंजाब की भाजपा-अकाली गठबंधन सरकार की आलोचना की। इस बात के अनुमान जोरों पर हैं कि अकाली-भाजपा गठबंधन सिद्धू को अमृतसर से प्रत्याशी नहीं बनाने जा रही है। इस सीट से सिद्धू 2004 से चुने जाते रहे हैं।

सशस्त्र बलों के साथ धोखाधड़ी कर रही है कांग्रेस: मोदी

Image Loadingपूर्व सैनिकों के लिए एक रैंक, एक पेंशन मंजूर करने में देरी के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कांग्रेस पर सशस्त्र बलों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया और राहुल गांधी के भ्रष्टाचार से लड़ने की वकालत की खिल्ली उड़ायी।
शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के साथ मंच साझा करते हुए नरेन्द्र मोदी ने यहां फतेह रैली को संबोधित करते हुए गुजरात के कच्छ क्षेत्र में सिख किसानों के पलायन से संबंधित विवाद को सिरे से खारिज करते हुए इसे अफवाह और झूठ का पुलिंदा बताया। नरेन्द्र मोदी ने वादा किया कि किसी सिख किसान को गुजरात नहीं छोड़ने दिया जायेगा। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने पंजाब में भाजपा अकाली गठबंधन को हिन्दू सिख एकता का प्रतीक बताया जिसने कांग्रेस के बांटो और राज करो के खेल को समाप्त किया। अपने करीब आधे घंटे के भाषण में मोदी ने कांग्रेस पर करारा वार करते हुए कहा कि पार्टी अब लोगों की आंख में धूल झोंकने की बजाए मिर्ची भी झोंक रही है। उनका इशारा तेलंगाना विधेयक पर कांग्रेस से निष्काषित एक सांसद के लोकसभा में मिर्ची स्प्रे करने की घटना की तरफ था। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने भ्रष्टाचार पर दूसरे दलों पर आरोप लगाने के लिए कांग्रेस और गांधी परिवार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब भ्रष्टाचार की पूरी एबीसीडी कांग्रेस की पहचान बन गई हो तब कांग्रेस के नेताओं की ओर से भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्य राजनीतिक दलों पर अंगुली उठाने पर मुझे घोर आश्चर्य हो रहा है। मोदी ने कहा कि जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे, तब कोई दूसरी पार्टी नहीं थी और केवल कांग्रेस थी जिसका शासन संसद से पंचायत तक था। उस समय उन्होंने कहा था कि वह दिल्ली से एक रुपया भेजते हैं तब 15 पैसा ही गांव तक पहुंच पाता है। क्या यह पंजा रुपये को मिटाने और इसे 15 पैसे में बदलने के लिए इस्तेमाल हो रहा था। उन्होंने वादा किया कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तब वह इस शीर्ष सीट पर चौकीदार के रूप बैठेंगे और पंजा को सरकारी खजाने पर अपना साया नहीं पड़ने देंगे। मोदी ने एक रैंक, एक पेंशन के मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना की। गौरतलब है कि सरकार ने कुछ दिन पहले पूर्व सैनिकों के लिए एक रैंक, एक पेंशन की बहुप्रतिक्षित मांग को मंजूर कर लिया था और इस मद में 500 करोड़ रुपये आवंटित किये थे। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार पूर्व के बजट में इसे लेकर क्यों नहीं आई जबकि वह पिछले 10 वर्षों से सत्ता में थी। मोदी ने कहा कि दिल्ली में बैठी सरकार हमेशा सशस्त्र बलों के साथ धोखधड़ी करती है। इससे पहले कई बार कांग्रेस के वित्त मंत्री एक रैंक, एक पेंशन की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन कभी इसे पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि चूंकी मैं इस बारे में लगातार चर्चा कर रहा हूं, इसलिए उन्होंने इस बारे में घोषणा की है लेकिन यह आपके साथ धोखा है। क्या कांग्रेस पार्टी कभी भी ईमानदार रही है, उनके पास 2004 से 2014 तक 10 बजटों में ऐसा करने का मौका था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।