Monday 31 March 2014

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अल्‍वी ने सोनिया को चिट्ठी लिख मांगी मोदी के खिलाफ लड़ने की इजाजत, चिदंबरम ने भी जताई चाहत

अल्‍वी ने सोनिया को चिट्ठी लिख मांगी मोदी के खिलाफ लड़ने की इजाजत, चिदंबरम ने भी जताई चाहतनई दिल्‍ली. कांग्रेस नेता राशिद अल्‍वी ने पार्टी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर वाराणसी से बीजेपी पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्‍छा जताई है। उधर, खुद चुनावी मैदान से दूर रह कर बेटे को उतारने वाले वित्‍त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी सोम
वार को कहा कि उनकी भी वाराणसी से लड़ने की इच्‍छा थी, लेकिन वह हिंदी नहीं बोल सकते। चिदंबरम ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, '...लेकिन मुझे यकीन है कि मोदी शिवगंगा से लड़ना नहीं चाहेंगे।'
 
भाजपा आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस को मोदी के खिलाफ उम्‍मीदवार नहीं मिल रहे। वडाेदरा में उसके उम्‍मीदवार ने कदम पीछे खींच लिए तो मधुसूदन मिस्‍त्री को टिकट दिया गया। लेकिन, बनारस से भी अभी कांग्रेस उम्‍मीदवार का एलान होना बाकी है। 
 
ऐसी चर्चा है कि कांग्रेस दिग्विजय सिंह को मोदी के खिलाफ बनारस में उम्‍मीदवार बना सकती है। लेकिन, अल्‍वी ने बनारस से चुनाव लड़ने की इजाजत मांगते हुए पत्र में सोनिया को लिखा है कि वह इस बात को लेकर आश्‍वस्त हैं कि वहां की जनता उन्‍हें समर्थन देगी (आगे देखें अल्‍वी की चिट्ठी)। 
 
ये भी जता चुके हैं इच्‍छा
 
राशिद से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्‍छा जता चुके हैं। उन्‍होंने कहा था कि अगर पार्टी कहेगी तो वह वाराणसी से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। वाराणसी इलाके से कांग्रेस विधायक अजय राय भी मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं। फिलहाल 'आप' नेता अरविंद केजरीवाल ने एलान कर दिया है कि वह मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे।
 
राशिद अल्‍वी का राजनीतिक कॅरिअर
 
यूपी के बिजनौर के रहने वाले राशिद अल्वी दो बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं। 1999 में अल्वी ने लोकसभा का चुनाव जीता था।

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मोदी 'लहर' की 'हवा' निकाल सकती हैं यूपी की 12 लोकसभा सीटें,उम्मीदवार बदलेगी बीजेपी ।

मोदी 'लहर' की 'हवा' निकाल सकती हैं यूपी की 12 लोकसभा सीटें,उम्मीदवार बदलेगी बीजेपी ।नई दिल्ली.भाजपा उत्तर प्रदेश में टिकट बंटवारे के बाद पैदा हुए असंतोष से परेशान है। मोदी की रणनीतिकारों को लगने लगा है कि पूर्वांचल और यूपी की कई सीटों पर विरोध की यह चिंगारी पार्टी की लुटिया डुबो सकती है।  ऐसे में यूपी और पूर्वांचल से मोदी के मिशन 272 को सफल बनाने की जुगत में जुटे उनके सिपहसालार भी उत्तर प्रदेश की पूर्वांचल सहित लगभग एक दर्जन सीटों पर प्रत्याशी बदलने पर विचार कर रहे हैं। अमित शाह के ऐसी सीटों पर खुफिया सर्वे कराया है जिससे इस बात का खुलासा हुआ है कि कार्यकर्ताओँ के विरोध वाली कम से कम 12 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की वजह से पार्टी को नुकसान हो सकता है। जिसके बाद पार्टी कई सीटों पर प्रत्याशी बदलने पर गंभीरता से विचार कर रही है। 
 
मोदी के करीबियों की टीम ने भी दिए संकेत-
-काशी में बीजेपी के पदाधिकारियों को मोदी के प्रचार के तौर तरीके सिखाने के लिए गुजरात से आई मोदी के करीबियों की एक टीम ने भी ऐसे ही संकेत दिए हैं।
-मोदी के प्रचार के लिए बनारस आए गुजरात बीजेपी के कार्यकर्ता भी मानते हैं कि पूर्वांचल सहित यूपी की कई सीटों पर उम्मीदवार बदले जाने की जरूरत है।   
 
इन सीटों पर बदले जा सकते हैं उम्मीदवार-
-गाजीपुर,चंदौली,मैनपुरी,बलिया,देवरिया,भदोही, जौनपुर, डुमरियागंज, मिर्जापुर,इलाहाबाद,फतेहपुर सीकरी। 
-इन सीटों पर कार्यकर्ताओँ के उम्मीदवार का विरोध करने के बाद से पार्टी पूरी तरह बैकफुट पर है। 
-पार्टी ने 12 लोकसभा सीटों पर कराया है खुफिया सर्वे
-सर्वे की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उम्मीदवारों के चयन के बाद से पूर्वांचल में 20 से ज्यादा सीटें जीतने का पार्टी का सपना पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है। 
 

मुशर्रफ को हो सकती है सजा-ए-मौत, कोर्ट ने तय किया देशद्रोह का आरोप

मुशर्रफ को हो सकती है सजा-ए-मौत, कोर्ट ने तय किया देशद्रोह का आरोप
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर विशेष अदा
लत ने देशद्रोह मामले के आरोप तय किए है। सिंध हाई कोर्ट के जस्टिस फैसल अरब की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने आज पूर्व सैन्य शासक के देशद्रोह मामले से संबंधित आरोप सुनाए। अगर ये आरोप साबित हो जाते हैं, तो उन्‍हें सजा-ए-मौत हो सकती है। 
 
मुशर्रफ, पिछली कई ट्रिब्यूनल सुनवाइयों में खराब सेहत और जान के खतरे का हवाला देते हुए नदारद थे। वे आज कोर्ट की सुनवाई में पहुंचे और जज के समक्ष बयान दिया। 
 
सन् 1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन करने वाले 70 वर्षीय मुशर्रफ ने कहा, "मैं कोर्ट और अभियोजन पक्ष का सम्मान करता हूं। मैं कानून का पक्षधर हूं और घमंडी नहीं हूं। मैं कराची, इस्लामाबाद और रावलपिंडी की अदालतों में इस साल 16 बार पेश हो चुका हूं। मुझे तानाशाह कहकर पुकारा जाता है। मैं नौ साल तक आर्मी चीफ रहा और मैंने 45 साल तक इस देश की सेना की नौकरी की है। मैंने पाकिस्तान के लिए दो युद्ध लड़े और मुझपर देशद्रोही होने का आरोप लगाया गया है?"
 
पूर्व सैन्य शासक ने विशेष अदालत से खुद को दोषी ना ठहराए जाने की अपील की है। मुशर्रफ की दलील है कि उन्होंने जो किया, उसमें कुछ गलत नहीं है। 
 
क्या है मामला 
 
सिंध हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच मुशर्रफ के खिलाफ राजद्रोह मामले की सुनवाई कर रही है। मुशर्रफ पर 2007 में शासन के दौरान पाकिस्तान में इमरजेंसी थोपने का आरोप है। विशेष कोर्ट में केस चलाने के खिलाफ भी मुशर्रफ याचिका दायर कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ सैन्य कोर्ट में मामले की सुनवाई की जानी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया।
 
पाकिस्तानी इतिहास का पहला मामला 
 
इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि पाकिस्तान में कई फौजी तानाशाहों ने तख्तापलट करके के देश में मार्शल लॉ लागू किया है। लेकिन किसी फौजी तानाशाह को पहली बार अदालती कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है।
पैदल चलने वालों के लिए चीन में है यह अमेजिंग सर्किल ब्रिज
चीन के दूसरे प्रमुख शहर शंघाई के पास लूजियाजुई में बना है यह खूबसूरत पैदल ब्रि
ज। व्यस्त सर्किल के पांच रास्तों को जोडऩे वाले इस ब्रिज को बेहतर नागरिक सुविधाओं की श्रेणी में शामिल किया गया है। इससे लोगों का काफी समय बच जाता है।2012 में शुरू होने के बाद से अब तक 5.2. लाख से ज्यादा पर्यटक इसे देख चुके हैं।

स्मार्ट इंजीनियरिंग से बने इस ब्रिज में जगह का बेहद सलीके से उपयोग किया गया है। पैदल चलने वालों में बुजुर्गों को परेशानी न हो, इसके लिए एस्केलेटर भी लगाए गए हैं। लूजियाजुई का यह सर्किल ब्रिज यहां के ओरियंटल पर्ल टॉवर को जोड़ता है। यह इलाका बड़ी आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है। यहां आने वाले फाइनांनसर्स फुर्सत में शॉपिंग मॉल और कैफे में जाने के लिए यह पुल बड़ी सुविधा और सुरक्षित रास्ता है।


इस पुल की सड़क से ऊंचाई करीब 20 फीट है। इसमें लगे कई एस्केलेटर चढ़ने-उतरने में काफी मददगार हैं। लोग यहां से शहर की खूबसूरती भी देखते हैं। रात में यह रोशनी से जब जगमगाता है, तो बेहद खूबसूरत दिखता है।
 

अब 1 मई को रिलीज होगी रजनीकांत की फिल्म 'कोचादाइयां'

मुंबई। रजनीकांत की मेगाबजट की फिल्म 'कोचादाइयां' अब 11 अप्रैल की बजाय 1 मई को रिलीज होगी। रजनीकांत ने लोकसभा चुनावों को देखते हुए फिल्म को तीन हफ्ते बाद रिलीज करने का फैसला किया। 125 करोड़ रुपए बजट में बनी यह फिल्म देश भर में सात भाषाओं में रिलीज होगी।
पहले ये फिल्म अमिताभ बच्चन की फिल्म भूतनाथ रिट‌र्न्स के दिन रिलीज होने वाली थी। लेकिन 24 अप्रैल को तमिलनाडु में चुनाव होने हैं इसलिए रजनीकांत ने इसे चुनाव के बाद रिलीज करने में ही भलाई समझी।
इस फिल्म में दीपिका पादुकोण भी होंगी। के रवि कुमार ने फिल्म की कहानी लिखी है और रजनीकांत की बेटी सौंदर्य इस फिल्म में पहली बार निर्देशन दे रही हैं। इस फिल्म के अलावा तीन और फिल्मों की रिलीज डेट चुनावों के चलते बदल चुकी है।

पैदल चलने वालों के लिए चीन में है यह अमेजिंग सर्किल ब्रिज

पैदल चलने वालों के लिए चीन में है यह अमेजिंग सर्किल ब्रिजचीन के दूसरे प्रमुख शहर शंघाई के पास लूजियाजुई में बना है यह खूबसूरत पैदल ब्रिज। व्यस्त सर्किल के पांच रास्तों को जोडऩे वाले इस ब्रिज को बेहतर नागरिक सुविधाओं की श्रेणी में शामिल किया गया है। इससे लोगों का काफी समय बच जाता है।2012 में शुरू होने के बाद से अब तक 5.2. लाख से ज्यादा पर्यटक इसे देख चुके हैं।

स्मार्ट इंजीनियरिंग से बने इस ब्रिज में जगह का बेहद सलीके से उपयोग किया गया है। पैदल चलने वालों में बुजुर्गों को परेशानी न हो, इसके लिए एस्केलेटर भी लगाए गए हैं। लूजियाजुई का यह सर्किल ब्रिज यहां के ओरियंटल पर्ल टॉवर को जोड़ता है। यह इलाका बड़ी आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है। यहां आने वाले फाइनांनसर्स फुर्सत में शॉपिंग मॉल और कैफे में जाने के लिए यह पुल बड़ी सुविधा और सुरक्षित रास्ता है।


इस पुल की सड़क से ऊंचाई करीब 20 फीट है। इसमें लगे कई एस्केलेटर चढ़ने-उतरने में काफी मददगार हैं। लोग यहां से शहर की खूबसूरती भी देखते हैं। रात में यह रोशनी से जब जगमगाता है, तो बेहद खूबसूरत दिखता है।

Saturday 29 March 2014

गर्मियों में करें इन सब्जियों का सेवन,शरीर में नहीं होगी पानी की कमी

गर्मियों में करें इन सब्जियों का सेवन,शरीर में नहीं होगी पानी की कमी
गर्मियों में डाइट पर खास ध्यान देने की ज़रूरत होती है। इस मौसम में हल्का खाना और ज़्यादा पानी का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके अलावा इस मौसम में हमेशा ऐसी सब्जियों का सेवन करना चाहिए जो शरीर की गर्मी को दूर करने में सक्षम होती हैं। गर्मियों में सलाद की भी भरपूर मात्रा लेनी चाहिए।
इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि गर्मियों में कौन-सी सब्जियां खानी चाहिए।
खीरा
गर्मियों में वैसे भी खीरे की मांग ज़्यादा बढ़ जाती है। खीरे में पानी की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए लोग गर्मी से राहत पाने के लिए इसका सहारा लेते हैं। इसे सलाद के रूप में खाना चाहिए। खीरा का रस पेट के लिए फायदेमंद तो होता ही है साथ में गर्मी से भी बचाता है।
इस मौसम में आपको सड़क पर ठेला लगाकर खीरे बेचते लोग मिल जाएंगे। आपको जब भी भूख महसूस हो एक खीरा खा लें। यह आपको राहत पहुंचाएगा और पेट को भी आराम देगा। खीरा इसलिए भी फायदेमंद होता है इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है।

इराक युद्ध के 11 साल

इराक युद्ध के 11 साल
इराक युद्ध को एक दशक से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है। 20 मार्च वो तारीख इराक युद्ध के 11 सालहै, जब इराक में जैविक हथियार होने के शक की बुनियाद पर करीब 11 साल पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने युद्ध की शुरुआत की थी। आदेश के साथ ही अमेरिकी नौ सेना की क्रूज मिसाइलों ने इराक की राजधानी बगदाद में कई जगहों पर हमले किए। बगदाद शहर बम और हवाई हमलों की आवाज से गूंज रहा था और इसके साथ ही सद्दाम हुसैन के लंबे शासन का अंत होने जा रहा था। जैविक हथियार होने के शक में छिड़ी इस जंग में न जाने कितने लोगों ने अपनी जिंदगी गंवाई। विकीलीक्स की ओर से जारी किए गए अमेरिका के गुप्त सैन्य दस्तावेज़ों के मुताबिक, इसमें इराक में मारे गए 109,032 लोगों का ब्योरा है। इनमें 66,081 नागरिक, 23,984 विद्रोही, 15,196 इराकी सरकार के सैनिक और गठबंधन सेना के 3771 सैनिक शामिल हैं। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने भी अपना कार्यकाल खत्म होने के दौरान इस बात को माना था कि इराक युद्ध उनके कार्यकाल की बड़ी गलतियों में से एक है। तस्वीरों में देखिए कैसी थी युद्ध की भयावहता.....
पिछले कुछ समय से इन्टरनेट पर हिंदू धर्म के सम्बन्ध में जेहादी बमबारी जारी है. कभी वेद और पुराणों में मुहम्मद का नाम तो कभी महाभारत और मनुस्मृति में माँस का विधान, ज़ाकिर नाइक और उनके समर्पित मुजाहिदीन इस काम को बखूबी निभा रहे हैं. परन्तु अभी एक आश्चर्यजनक बात सामने आई है. जिन वेदों और पुराणों में ज़ाकिर नाइक को मुहम्मद दीख पड़ा था उन्हीं में अब उन्हें गलतियाँ दिखने लगी हैं! जी हाँ! कुन फयकुन कह कर झटपट दुनिया बनाने वाले, पत्थर में से ऊँटनी निकालने वाले, बिना पिता के मरियम को पुत्र देने वाले, चाँद के दो टुकड़े कर देने वाले, आसमान को अदृश्य खम्बों की छत मानने वाले, आसमान की खाल उतारने वाले, दर्याओं को चीरने वाले, सातवें आसमान पर सिंहासन पर विराजमान अल्लाह के बन्दों अर्थात मुसलमान बंधुओं का अब यह विश्वास है कि धर्म को विज्ञान की कसौटी पर भी खरा होना चाहिए! इस हेतु से कि ऊपर लिखित कुरआन के विज्ञान के सामने वेदों की क्या हैसियत है, “वेदों में वैज्ञानिक गलतियाँ” शीर्षक से बहुत से लेख लिखे जा रहे हैं. वैसे इन लेखों की सत्यता उतनी ही प्रामाणिक है जितने प्रामाणिक कुरआन में “विज्ञान” के दावे! यदि कुन फयकुन कह कर मक्खी की टांग भी बन सके, बिना पुरुष के ही मुस्लिम माताएं बच्चे जना करें, पत्थर में से ऊँटनी तो क्या मच्छर भी निकल पड़े तो यह माना जा सकता है कि वेद विज्ञान विरुद्ध हैं कि जिनमें इतने ऊंचे स्तर की विद्या ही नहीं! परन्तु आज तक कुरआन में वर्णित इस विज्ञान के दीदार (दर्शन) असल जिंदगी में मुस्लिम भाइयों को छोड़ कर किसी को न हो सके.
खैर, अब एक एक करके उन दावों की पोल खोलते हैं जो जेहादी अक्सर वेदों के विरुद्ध किया करते हैं. हम पहले “जेहादी दावा” नाम से वेद मन्त्र के वो अर्थ देंगे जो जेहादी विद्वान करते हैं और फिर उसके नीचे मन्त्र के वास्तविक अर्थ अग्निवीर शीर्षक से देंगे. (जिहादियों द्वारा लिखे मूल लेख की प्रति यहाँ देखें:

Sunday 23 March 2014

Review:'गैंग ऑफ घोस्ट्स' भूतों का दम नहीं !

कार : शरमन जोशी, माही गिल, अनुपम खेर, सौरभ शुक्ला, असरानी, राजपाल यादव, जैकी श्राफ
निर्माता : गणेश जैन
निर्देशक : सतीश कौशिक
गीत : धरम और संदीप
अवधि : 117mins
मूवी टाइप : कॉमेड़ी
कहानी
शहर से दूर खाली पड़ी एक एक पुरानी इमारत में लगभग दस भूत मौज-मस्ती के साथ रहते हैं. गैंदामल ( अनुपम खेर ) इनके गैंग का लीडर है. दरअसल अलग-अलग जगहों से यहां रहने आने की चाह में भूतों का बाकायदा इंटरव्यू लिया गया और इंटरव्यू पास होने के बाद ही यह भूत यहां रह रहे हैं. इस गैंग में अपने जमाने की मशूहर एक्ट्रेस मनोरंजना कुमारी (माही गिल), अमीर बाप की प्रेम में नाकामयाब रहने के बाद आत्महत्या करने वाली बेटी टीना और बंगाली बाबू के अलावा फौजी, म्यूजिशन और एक गरीब आदमी का भूत भी है. इसी भूतिया इमारत में स्ट्रगलर राइटर ( शरमन जोशी) भी हैं, जो इस कहानी का कहीं ना कहीं से सूत्रधार बनता है.
ऐक्टिंग  
भूतिया इमारत में रहने वाले सभी भूतों यानी अनुपम खेर से लेकर गरीब आदमी के भूत के किरदार में असरानी हर किसी ने अपने किरदारों को अच्छी तरह निभाया है. शरमन जोशी को स्टोरी नैरेशन का काम मिला, जिसमें वह परफेक्ट रहे.
डायरेक्शन  
बतौर डायरेक्टर सतीश कौशिक दर्शकों को कहानी और किरदारों के साथ कहीं जोड़ नहीं पाए, यही इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी है. इंटरवल से पहले के कुछ सीन्स आपको हंसा सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, कमजोर होती रहती है.
क्यों देखें  
अगर आपको भूतों में दिलचस्पी है, तो आप इस बार डरने के लिए नहीं बल्कि थोड़ा बहुत हंसने के लिए फिल्म देख सकते हैं. हां, अगर नहीं भी देखी, तो भी चलेगा.

झारखंड: माओवादी ने पीरटांड़ में मतदान केंद्र सह स्कूल भवन उड़ाया

clipपीरटांड़, मधुबन : नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने खुखरा थाना क्षेत्र में लगातार दूसरे दिन भी घटना को अंजाम देकर इलाके में अपनी मौजूदगी जता दी है. इस बार माओवादियों ने पीरटांड़ प्रखंड के नोकनिया स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय के भवन को उड़ा दिया है. विस्फो
ट इतना जबरदस्त था कि नयी व पुरानी दोनों बिल्डिंग पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है. इस विस्फोट से स्कूल से सटे एक मिट्टी का मकान भी मामूली तौर पर क्षतिग्रस्त हुआ है. बताया जाता है कि इस दौरान माओवादियों द्वारा यहां के एक चौकीदार की पिटाई भी की गयी है.
हालांकि उक्त चौकीदार मीडिया के समक्ष नहीं आया है. इस संदर्भ में विद्यालय के पारा शिक्षक महालाल मुमरू ने बताया कि शुक्रवार की रात लगभग 7:30 बजे माओवादियों द्वारा पहला विस्फोट किया गया. इसके बाद रात लगभग 8 बजे दूसरा विस्फोट किया गया. गांव के एक घर में शादी समारोह में विवाह गीत बजने के कारण लोगों ने ठीक से विस्फोट की आवाज नहीं सुनी. पारा शिक्षक ने बताया कि रात में ही विद्यालय के बगल में रहने वाले एक छात्र ने दूरभाष पर यह जानकारी दी कि स्कूल भवन को उड़ा दिया गया है. उन्होंने बताया कि उक्त भवन में मतदान केंद्र संख्या 342 भी था. 
गौरतलब हो कि पीरटांड़ प्रखंड के नोकनिया पंचायत में माओवादियों ने दो दिनों में दो घटनाओं को अंजाम दिया है. गुरुवार की शाम को इसी पंचायत के घसकरी में सड़क निर्माण में लगी जेसीबी को जला दिया गया था, वहीं ठीक दूसरे दिन विद्यालय भवन सह मतदान केंद्र को माओवादियों ने उड़ाकर चुनाव से पूर्व पुलिस के समक्ष चुनौती प्रस्तुत कर दी है.
आंगनबाड़ी भी चलता था भवन में :
जिस भवन को माओवादियों ने उड़ाया है, उक्त भवन में विद्यालय के अलावा आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन भी होता था. इस संदर्भ में केंद्र की सेविका मीना देवी व सहायिका बहामुणि देवी ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र का सामान व कागजात भी विद्यालय भवन में था.
विद्यालय में पढ़ते हैं 84 बच्चे
विद्यालय के पारा शिक्षक महालाल मुमरू ने बताया कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय नोकनिया में 84 बच्चे पढ़ते हैं. यहां पर दो कमरे का पुराना भवन के अलावा चार कमरों का नया भवन भी था. नये भवन को वर्ष 2008 में बनाया गया था. सभी भवन को जमींदोज कर दिया गया है. श्री मुमरू ने बताया कि इसी विद्यालय में मतदान केंद्र संख्या 342 था, जिसमें 606 मतदाता हैं.
चुनाव बहिष्कार के पोस्टर में साधा निशाना
भाकपा माओवादी ने विद्यालय भवन सह मतदान केंद्र में विस्फोट करने के बाद नोकनिया में भारी मात्र में पोस्टरबाजी भी की है. कई पोस्टर को यहां पर फेंका भी गया है. पोस्टर में भाकपा माओवादी के झारखंड रिजनल मिलिट्री कमिशन ने वोट बहिष्कार करने संबंधित 15 नारे लिखे हैं. नारों में कहा गया है कि सीपीएम, कांग्रेस, भाजपा व जेवीएम को चुनाव मैदान से मार भगाओ, चुनाव में अगुवाई करने वालों को चिन्हित कर काली कॉपी में नाम दर्ज करो. चुनाव के समय पोलिंग पार्टी को पुलिस के साथ न आने की सलाह भी दी गयी है.
 
हैदराबाद। पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित भारतीय महिला बैंक (बीएमबी) की आज यहां 19वीं शाखा खोली गयी। बैंक की एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि वित्तवर्ष 2014-15 में बैंक की 55 से 60 शाखाएं खोली जाएंगी।
अधिकारी ने बताया कि इस साल के 31 मार्च तक बीएमबी की 23-24 शाखाएं खुल जाएंगी, जबकि अगले वित्तवर्ष में देशभर में 55 से 60 शाखाएं खोली जायेंगी।
भारतीय महिला बैंक की चेयरपर्सन एवं प्रबंध निदेशक ऊषा अनंतसुब्रमण्य
म् ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रस्तावित 80 में से 20 शाखाएं देश के ग्रामीण इलाकों में खोली जाएंगी।’’
भारतीय महिला बैंक पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था। अनंतसुब्रमण्यम् ने कहा कि इस बैंक को एक प्रमुख ब्रांड के तौर पर विकसित करने की आवश्यकता है।
अनंतसुब्रमण्यम् ने

 

कहा, ‘‘हमें इसे ब्रांड बनाने की आवश्यकता है, इसे विशेष रूप से महिलाओं की सभी बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं की पूर्ति के लिये स्थापित किया गया। बैंक को समावेशी और सतत विकास के लिये महिला स्वयं सहायता समूह, निम्न एवं मध्यम वर्ग की महिलाओं से लेकर धनी और उच्च वर्ग की महिलाओं विभिन्न वित्तीय उत्पादों की आवश्यकताओं का पूरा करना है।’’
बैंक ने महिलाओं के लिये दैनिक देखभाल केन्द्रों की स्थापना के लिये एक विशेष रिण उत्पाद तैयार किया है। बैंक ने रिण गारंटी कोष ट्रस्ट के तहत सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये एक करोड़ रुपए तक का गारंटी मुक्त रिण की भी पेशकश की हे।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने पिछले साल के बजट में महिला बैंक की स्थापना के लिये 1,000 करोड़ रुपए की पूंजी को मंजूरी दी थी।

दूसरे दौर में सानिया-कारा की जोड़ी

वाशिंगटन : सानिया मिर्जा और जिम्बा
ब्वे की कारा ब्लैक की पांचवीं वरीयता प्राप्त जोड़ी ‘सोनी ओपन महिला युगल’ के दूसरे दौर में पहुंच गई  हैं जबकि लिएंडर पेस और राडेक स्टीपानेक पहले ही दौर में हारकर बाहर हो गए. पेस और स्टीपानेक इस साल पांच टूर्नामेंटों में तीसरी बार पहले दौर में बाहर हुए हैं.
सानिया और कारा ने ताइपै की गैरवरीय हाओ चिंग चान और युआन जान चान ने 6 . 3, 6 . 7, 10 . 8 से हराया. अब उनका सामना जार्जिया की ओकसाना के और रूस की एलिसा क्लेबानोवा से होगा. पुरूष वर्ग में पेस और चेक गणराज्य के स्टीपानेक की चौथी वरीय जोडी को अमेरिका के एरिक बुटोराक और रावेन क्लासेन ने पहले दौर में 6 . 3, 7 . 6 से हराया.
इससे पहले पेस और स्टीपानेक चेन्नई ओपन और सिडनी इंटरनेशनल में भी पहले दौर में बाहर हो गए थे. वे ऑस्ट्रेलियाई ओपन और इंडियन वेल्स मास्टर्स में क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे. युगल में भारतीय चुनौती अभी रोहन बोपन्ना और महेश भूपति के रूप में शेष है.
बोपन्ना और पाकिस्तान के ऐसाम उल हक कुरैशी इटली के सिमोन बोलेली और फेबियो फोग्निनी से खेलेंगे. वहीं भूपति और दक्षिण अफ्रीका के केविन एंडरसन का सामना दूसरी वरीयता प्राप्त आस्ट्रिया के अलेक्जेंडर पेया और ब्राजील के ब्रूनो सोरेज से होगा.

प्यार मेरी किस्मत में नहीं:अलीशा

मुंबई (एसएनएन): कुछ दिन पहले अपना 49वां बर्थडे सेलिब्रेट कर चुकीं जानी मानी सिंगर अलीशा चिनॉय ने अपना जन्मदिन अलीबाग स्थित अपने घर पर अपने पिता के साथ मनाया. हालांकि वो अकेली हैं लेकिन फिर भी अकेलेपन में खुश हैं और मन की मल्लिका हैं.
अलीशा ने कहा कि काफी सालों से मैं अपने दम पर जिंदगी जी रही हूं. मैंने हमेशा ऐसे जिया है, जैसे मुझे किसी के साथ की जरूरत नहीं है लेकिन किसी के साथ के बगैर जीना मुझ पर बेहद भारी गुजरा है.
उन्होंने कहा कि लेकिन प्रेम मेरी किस्मत और फितरत में नहीं. बेहतर है कि मैं किसी की तलाश करने की बजाए इस सच को स्वीकार लूं कि जब किस्मत में प्रेम नहीं है, तो बार-बार उसे पाने की कोशिश करके खुद को तकलीफ पहुंचाने से कोई फायदा नहीं.
गौरतलब है कि अलीशा ने 1980 में राजेश झवेरी से शादी की थी, लेकिन अलीशा का करियर परवान चढ़ने के साथ ही उनके वैवाहिक जीवन का अंत हो गया. 2003 में वो कनाडाई संगीतकार और व्यवसायी रोमेल काजोआ के प्रेम में पड़ीं, लेकिन ये कहानी भी मंजिल पर पहुंचने से पहले खत्म हो गई.
संगीत जगत को कई सुपर हिट गाने दे चुकीं अलीशा कहती हैं कि वो हमेशा अपने रिश्तों में पूरी तरह समर्पित रहती हैं, लेकिन आखिर में उनका समर्पण व्यर्थ ही जाता है.
उन्होंने कहा कि मैं रिश्ते को बनाए रखने के लिए जितना हो सके कोशिश करती हूं. लेकिन किस्मत कुछ और ही चाहती है. अगर मैं कहूं तो मुझे प्रेम की कमी महसूस नहीं होती तो ये झूठ होगा. हां मुझे प्रेम की कमी महसूस होती है. सच हमेशा कड़वा होता है और मुझे ये स्वीकारना पड़ेगा कि मैं अकेले ही ठीक हूं. प्रेम बस गीतों में ही अच्छा लगता है. मैं अपने महल की रानी बनकर ही खुश हूं.

सेंसेक्स की टॉप 6 कंपनियों को 25501 करोड़ रु. का घाटा

sensexमुंबई सेंसेक्स की 6 टॉप कंपनियों का बाजार पूंजीकरण बीते सप्ताह 25501 करोड़ रुपये घट गया। बीते सप्ताह बंबई शेयर बाजार के सेंसेक्स में 54 अंक की गिरावट आई। इस दौरान सबसे ज्यादा घाटे में ओएनजीसी, इन्फोसिस व टीसीएस रहीं। ओएनजीसी का बाजार पूंजीकरण 12576 करोड़ रुपये घटकर 263509 करोड़ रुपये रह गया। 

टॉप 10 कंपनियों में ओएनजीसी सबसे अधिक नुकसान में रही। इन्फोसिस की बाजार हैसियत 5481 करोड़ रुपये घटकर 189153 करोड़ रुपये व टीसीएस की 3056 करोड़ रुपये घटकर 416337 करोड़ रुपये रह गई। एचडीएफसी के बाजार पूंजीकरण में 2291 करोड़ रुपये की गिरावट आई और यह 131364 करोड़ रुपये पर आ गया। आईसीआईसीआई बैंक का बाजार मूल्यांकन 1813 करोड़ रुपये घटकर 138328 करोड़ रुपये रह गया। कोल इंडिया का बाजार पूंजीकरण 284 करोड़ रुपये के नुकसान से 166373 करोड़ रुपये रह गया। 

वहीं दूसरी ओर आईटीसी ने पिछले सप्ताह के दौरान 7708 करोड़ रुपये जोड़े और उसका बाजार पूंजीकरण बढ़कर 283432 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज का एमकैप 711 करोड़ रुपये बढ़कर 287089 करोड़ रुपये रहा, जबकि एचडीएफसी बैंक की बाजार हैसियत 48 करोड़ रुपये बढ़कर 175460 करोड़ रुपये रही।

पार्टियों के विज्ञापनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म की आय बढ़ेगी: एसोचैम

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राजनीति बदल रही है या नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि राजनीतिक दलों द्वारा प्रचार-प्रसार का तरीका बदल रहा है। लगभग हर राजनीतिक दल युवा पीढ़ी को ध्यान में रख कर गूगल, फेसबुक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चुनावी विज्ञापन दे रहे हैं। इस कारण विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्मों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है।

उद्योग मंडल एसोचैम के एक अध्ययन में यह बात कही गई है। विज्ञापन और प्रचार-प्रसार पर होने वाले करीब 4000 से 5000 करोड़ रुपये के व्यय में से इंटरनेट पहुंच करीब 30 प्रतिशत मतदाताओं तक सीमित होने के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म कम-से-कम 400 से 500 करोड़ रुपये जुटा सकते हैं।

रिपोर्ट में यह कहा गया है कि राजनीतिक दलों के डिजिटल मीडिया पर 2009 में हुए आम चुनावों के मुकाबले ज्यादा खर्च को देखते हुए गूगल जैसी कंपनियां और फेसबुक तथा ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स इस साल भारत में आय में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद कर सकती हैं।
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, 'केवल कांग्रेस, बीजेपी जैसी राष्ट्रीय दल ही नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दल भी इस साल डिजिटल मंच पर विज्ञापन बजट बढ़ा रहे हैं।' गौरतलब है कि चुनाव आयोग के नए नियमों के अनुसार सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापन देने से पहले उसकी मंजूरी जरूरी है।

'नेतागिरी' को पूरा भरोसा, चुनाव में देगी आशीर्वाद 'बाबागिरी'

'नेतागिरी' को पूरा भरोसा, चुनाव में देगी आशीर्वाद 'बाबागिरी'भोपाल। बीते दो दशक में धर्म, राजनीति के करीब आया है। पहले नेता मंदिर, मठ, अखाड़ों के महंत और आध्यात्मिक संतों से आशीर्वाद लेने पहुंचते थे, लेकिन अब वही संत किसी न किसी नेता का प्रचार करते दिखते हैं। धार्मिक प्रवचन के मंच से बाकायदा राजनीतिक संवाद हो रहा है। सीधे शब्दों में कहें, धर्म का राजनीति में और राजनीति की धर्म में अच्छी पैठ बन गई है। 90 के दशक में चारों पीठों के शंकराचार्य किसी न किसी एक राजनीतिक दल से सीधा संपर्क रखते थे। 
 
संतों की बात करें, तो योगगुरू बाबा रामदेव जी खुलकर बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी को समर्थन दे रहे हैं। मोदी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए उन्होंने देश भर के हिंदी राज्यों की यात्रा भी कर ली है। योग शिविर के साथ-साथ वे केंद्र सरकार की कमियां गिनाते हैं और विकल्प के रूप में मोदी को ज्यादा से ज्यादा वोट देने की अपील भी करते हैं। वहीं मुस्लिम धर्मगुरू भी एक वर्ग विशेष को किसी के पक्ष या विरुद्ध में वोट देने का फरमान सुनाते हैं। बिहार, यूपी का उदाहरण सामने है। 
 
एक ही सिक्के के दो पहलू - 
 
नेताओं का भी इनसे सीधा फायदा जुड़ा है। कोई नामी संत अगर 'आशीर्वाद' स्वरूप अपने हजारों-लाखों भक्तों और अनुयायियों को फरमान सुना दें कि इसे नहीं, इन्हें वोट देना है, तो नेताओं के वारे-न्यारे हो जाते हैं। यह कितना प्रभावी है, सब जानते हैं। कह सकते हैं कि मौजूदा समय में धर्म और राजनीति एक ही सिक्के के दो पहलू बन गए हैं। ऐसे कई संत हैं, जिनसे नेताओं की और नेताओं की इनसे आस्था बंधी हुई हैं। जानिए, वह संतों में वे नाम कौन से हैं, जो राजनीतिक विचारधारा का समर्थन करते हैं और अपनी 'बाबागिरी' से 'नेतागिरी' को फायदा पहुंचा सकते हैं-

चुनावी समर की तस्वीर बदल पायेंगे फिल्मी कलाकार ?

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यी दिल्ली : लोकसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के केंद्र में सत्ता हासिल करने की जद्दोजहद के बीच शत्रुघ्न सिन्हा, राज बब्बर, हेमा मालिनी के साथ अभिनय से राजनीति में कदम रखने वाली किरण खेर, गुल पनाग, मुनमुन सेन, पवन कल्याण जैसे नये कलाकार सत्ता की दौड में ग्लैमर का तडका लगा रहे हैं.
फिल्मी कलाकारों का राजनीति में कदम रखना कोई नई बात नहीं है लेकिन दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर भारत में यह चलन सफल नहीं रहा है. तमिलनाडु और
 आंध्रप्रदेश के लोगों में फिल्मी कलाकारों के प्रति जबर्दस्त आकर्षण देखा गया है और इन प्रदेशों के लोगों ने एन टी रामाराव और एम जी रामचंद्रन जैसे फिल्मी दुनिया के शीर्ष कलाकारों को सत्ता की कुंजी सौंपी भी लेकिन अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, धर्मेन्द्र और गोविंदा पूरे गाजेबाजे के साथ राजनीति में आए लेकिन बीच में ही इसे छोड गए. इस चुनाव में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सितारों की जबर्दस्त संख्या क्या अपना जलवा दिखा पाती है और राजनीति में प्रभाव छोड पाती है?

लापता विमानः ‘सब ठीक है, शुभरात्रि’ खोलेगा रहस्य ?

लंदन : मलेशिया एयरलाइंस के लापता हुए विमान के पायलटों और नियंत्रण टॉवर के बीच अंतिम 54 मिनट की बातचीत का खुलासा ब्रिटेन के एक अखबार ने किया है. ब्रिटेन के एक मुख्य अखबार द टेलीग्राफ के अनुसार ‘लापता मलेशियाई विमान एमएच 370 के को-पायलट फारिक अब्दुल हामिद और नियंत्रण टावर के बीच 8 मार्च को बातचीत रात 12:15 बजे शुरू हुई. रात 1:19 बजे हामिद ने अंतिम संदेश में कहा था  'सब ठीक है, शुभरात्रि.’
इस बातचीत को लेकर जांचकर्ताओं का दावा है कि बातचीत की शुरुआत तब हुई जब विमान में छेड़छाड़ हो चुकी थी. अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि बातचीत पूरी तरह रोजमर्रा की जैसी प्रतीत होती है, लेकिन फिर भी दो असामान्य बातें निकल कर आती हैं. विश्लेषकों की दृष्टि में पहली असामान्य बात यह है कि रात 1:07 बजे संदेश में कहा गया कि विमान 35,000 फुट की ऊंचाई पर है. यही संदेश छह मिनट के अंतराल पर दोहराया गया.
एयरक्राफ्ट कम्युनिकेशन एड्रेसिंग एंड रिपोर्टिंग सिस्टम (एसीएआरएस) भी अंतिम संदेश भेजे जाने के 30 मिनट बाद संभवत: जानबूझकर निष्क्रिय कर दिया गया. जांचकर्ताओं का मानना है कि एसीएआरएस को हामिद के 1:19 बजे अंतिम संदेश देने के पहले बंद कर दिया गया था. एक अलग ट्रांसपोंडर को 1:21 बजे बंद कर दिया गया था.
दूसरी असामान्य बात जांचकर्ताओं की नजर में यह है कि विमान की गुमशुदगी दुर्घटना नहीं है. संपर्क टूट जाने के बाद विमान को पश्चिम की दिशा में उस बिंदु पर मोड़ दिया गया, जब कुआलालंपुर के वायु यातायात नियंत्रक उसका नियंत्रण हो-ची-मिन्ह सिटी के हवाले करते हैं.
बोइंग 777 उड़ा चुके ब्रिटिश एयरवेज के एक पूर्व पायलट स्टीफन बजडेगन ने कहा  'यदि मुझे विमान को चुराना होता तो मैं उसी बिंदु पर ऐसा करता. विमान यातायात नियंत्रकों के बीच कुछ दूरी डेड स्पेस होती है. यही वह वक्त होता है जिस दौरान विमान को जमीन से नहीं देखा जा सकता.'
वहीं इस नए खुलासे से इस अनुमान को बल मिलने वाला है कि क्या लापता एमएच 370 किसी दुर्घटना का या अपहरण का शिकार हुआ. यदि पायलटों का गुमशुदगी में हाथ होता है तो वे अपनी मंशा छिपाने में अत्यंत सतर्क रहते.

राजस्‍थान से इंडियन मुजाहिदीन के चार आतंकवादी गिरफ्तार, 50 किलो विस्‍फोटक बरामद

लोकसभा चुनाव से पहले राजस्‍थान में इंडियन मुजाहिदीन के मॉड्यूल का भांडाफोड़ हुआ है. दिल्‍ली पुलिस और राजस्‍थान पुलिस के ज्‍वाइंट ऑपरेशन में राज्‍य के जयपुर और जोधपुर से चार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तारी के बाद पूरे राजस्‍थान में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. जयपुर और जोधपुर में आतंकवादियों की तलाश के लिए ज्‍वाइंट ऑपरेशन अब भी जारी है. आतंकवादियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि ये बीजेपी के पीएम उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी पर हमले की साजिश रच रहे थे. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 'आज तक' से बातचीत में आतंकवादियों की गिरफ्तारी को बड़ी कामयाबी बताया है. हालांकि, उन्‍होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से नरेंद्र मोदी को डरने की जरूरत नहीं. शिंदे ने कहा कि जिन नेताओं को खतरा है, उन्‍हें पर्याप्‍त सुरक्षा दी गई है.
दिल्‍ली पुलिस की स्‍पेशल सेल और राजस्‍थान पुलिस के इस ऑपरेशन में गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों में से वकास उर्फ अहमद भी है. यह मुंबई और पुणे में हुए बम धमाकों का वांटेड है. एनआईए ने इसकी गिरफ्तारी पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. इसका असली नाम अहमद जावेद है जो पाकिस्‍तान का रहने वाला है. भारत में आतंकवादियों को ट्रेनिंग देता था. यह आईईडी बनाने का एक्‍सपर्ट बताया जा रहा है. यह आतंकी यासीन भटकल का दाहिना हाथ है.
आतंकवादियों के खिलाफ खुफिया एजेंसियों और पुलिस का यह ऑपरेशन पिछले पांच दिनों से चल रहा है. गिरफ्तार किए गए अन्‍य आतंकवादियों में एक शाकिब जोधपुर से जबकि वकार को जयपुर से गिरफ्तार किया गया है. इनके कब्‍जे से करीब 50 किलो विस्फोटक भी बरामद किए गए हैं. सूत्र बता रहे हैं कि एक आतंकवादी भाग निकला है जिसकी तलाश की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि ये आतंकवादी चुनावी सभाओं के दौरान विस्‍फोट करने की योजना बना रहे थे.
 
आईबी की सूचना मिलने के बाद दिल्‍ली पुलिस और राजस्‍थान पुलिस ने सफलतापूर्वक इस ऑपरेशन को अंजाम दियाः आतंकवादियों की गिरफ्तारी से साबित हो गया है कि आतंकवादी आम चुनाव के दौरान किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं. आशंका है कि आतंकवादी किसी राजनेता का अपहरण कर सकते हैं या बम धमाके कर चुनाव के दौरान गड़बड़ी फैला सकते हैं.

दूसरी सदी का यह कस्बा है विश्व धरोहर

दूसरी सदी का यह कस्बा है विश्व धरोहरलीबिया के नेलुत जिले में है यह ऐतिहासिक कस्बा घडामेस। दूसरी सदी के यह घर बनाने में मिट्टी, चूना पत्थर और ताड़ के पेड़ के तने का उपयोग किया गया था, ताकि गर्मियों में ज्यादा न तपे। इनमें ग्राउंड फ्लोर सामान रखने के लिए और फर्स्ट फ्लोर परिवार के लिए होता था। 1986 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल इस जगह को ‘दि पर्ल ऑफ दि डेजर्ट’ भी कहा जाता है। 

Saturday 22 March 2014

पार्टी इंज्वॉय करें लेकिन संभलकर

नए साल के आगाज की मस्ती का लुत्फ जमकर उठाएं, लेकिन अपरिचित लोगों से दूरी बनाकर सावधानी के साथ..
नए साल के जश्न की उलटी गिनती शुरू हो गई है। हर कोई जश्न के उन्माद में डूबने को तैयार है। फ्रेंड्स क्लब, फार्म हाउस से लेकर शहर के होटल्स तक में तैयारियां चरम पर है। कानपुर के कई रेस्त्रां और होटल्स ने न्यू ईयर की कपल्स पार्टी ऑर्गनाइज की है। मस्ती के साथ कपल्स पार्टी और डीजे पार्टीज का मजा लीजिए, लेकिन थोड़ा संभलकर। नए साल के जश्न में किसी अपरिचित से कम समय में हुई दोस्ती भारी भी पड़ सकती है।
जज्बातों में न आएं
कई बार ऐसा होता है कि जब कोई बड़ी पार्टी होती है तो लोग बिना पहचान के ही हंसी-मजाक कर नजदीकी बढ़ा लेते है। कई बार ड्रिंक्स और स्नैक्स की पेशकश भी कर दी जाती है, लेकिन हर दिन घट रही घटनाओं को देखते हुए यह कह पाना मुश्किल होता है कि फिर इसके बाद आपको किसी समस्या का सामना न करना पड़े। एक होटल के इवेंट मैनेजर एस.बी. शुक्ला कहते है, ''हमारे यहां की न्यू ईयर कपल पार्टी में अधिकतर लोग ऐसे होते है, जो होटल के मेंबर होते है और हम उनकी सुरक्षा का पूरा बंदोबस्त करते है। इसके लिए होटल की ओर से मेल-फिमेल सिक्योरिटी उपलब्ध रहती है। फिर भी हमारी सलाह रहती है कि आप अपने कपल के साथ ही जश्न मनाए। किसी दूसरे से नजदीकी बनाने की कोशिश न करे।''
कपल पार्टियों में ही लें एंट्री
बात रेस्त्रां और होटल्स की छोड़ दें तो ज्यादा खतरा फार्महाउस और फ्रेंड्स क्लब्स की पार्टियों में होता है। यहां न ही सुरक्षा का कोई बंदोबस्त होता है और न ही जश्न और उल्लास का कोई पैमाना। ऐसे में किसी अपरिचित की निकटता अनजाने में ही सही दुर्घटना का सबब बनती है। पुलिस ऑफीसर रंजना गुप्ता कहती है, ''कपल पार्टियों में तो फिर भी सुरक्षा की गारंटी होती है, लेकिन छोटे क्लब्स और फार्महाउस की पार्टियों में मर्यादाओं के सारे पैमाने टूट जाते है। ऐसे में ही नशीला पदार्थ खिलाने या अभद्रता वाले मामलों का जन्म होता है। बेहतर रहेगा कि आप नए साल का मजा कपल या परिचितों वाली पार्टी में शामिल होकर लें।''
घर का कोई हो साथ
कई बार ऐसा होता है कि देर रात पार्टी समाप्त होने पर घर छोड़ने के लिए ऐसे कई लोगों के ऑफर मिलते है जो थोड़े समय पहले ही आपको मिले और दोस्त बन गए। ऐसे किसी मित्र या परिचित के बहकावे में न आएं। एडवोकेट सुचित्रा दीक्षित कहती है, ''बेशक नए साल का जश्न मनाएं और पार्टियों में शिरकत करे, लेकिन अगर आप शादी-शुदा नहीं है तो अपने अभिभावक या भाई को साथ लेकर पार्टी इंज्वाय करे। इससे किसी भी तरह की मुसीबत से आप सुरक्षित बनी रहेगी।''

कुछ 2013 नया हो जाएं

 दिन रह गए हैं नया साल आने में। आप भी नए साल में कुछ नया करने का संकल्प जरूर ले रहे होंगे। नई डायरी बना रहे होंगे। नई योजनाएं बनाई होंगी, लेकिन कहीं ऐसा न हो कि कुछ दिन तो आपके रिजॉल्यूशंस जोर-शोर से पूरे हों और कुछ समय बाद ही वापस अपने पुराने ढर्रे पर आ जाएं। नया करने की बातें करते रहना ही काफी नहीं, इन पर टिके रहना भी जरूरी है। क्या आप तैयार हैं नए साल में खुद से किए गए वायदे पूरे करने के लिए
जैसे ही नया साल करीब आने लगता है ज्यादातर महिलाएं ढेर सारे वायदे करती हैं अपने आपसे, लेकिन अपने रिजॉल्यूशंस को एक सीरियस कमिटमेंट की तरह नहीं लेतीं। कुछ दिन बीतते-बीतते वे इन पर अमल करने के बजाय इन्हें भूलने लगती हैं। इससे उन संकल्पों का कोई मतलब नहीं रह जाता, जो आपने लिए थे। इसके बावजूद आप अगला साल आने पर फिर उत्साह के साथ रिजॉल्यूशन लेती हैं, लेकिन पिछले संकल्पों को न तो याद रखतीं और न ही उससे कोई सबक लेती हैं। जरा सोचें, ऐसे रिजॉल्यूशंस का क्या लाभ, जिसे आप खुद निभा न पाएं। इन्हें निभाना कोई मुश्किल नहीं। हां, इसके लिए थोड़ी दृढ़ता की जरूरत है।
बन नहीं पाई कूल मॉम
'लगता है मैं बच्चों पर कुछ ज्यादा ही सख्ती करती हूं। आने वाले साल में मैं कूल मॉम बनूंगी। बच्चों और पति के मोबाइल फोन भी चेक नहीं करूंगी। इससे उन्हें लगता है कि मैं उन पर विश्वास नहीं करती।' अपने आपसे बुदबुदा रही थीं अंकिता अग्रवाल। उन्हें लग रहा था कि अपनी तांक-झांक और डांट-फटकार की आदत उन्हें छोड़ देनी चाहिए। इसलिए उन्होंने नए साल में यही प्रण ले लिया। जब बच्चे लापरवाही करते तो उनका मन करता चीखने का, लेकिन खुद को समझातीं और आवाज में कोमलता लाकर बच्चों से बात करतीं। अपने टीनएज बच्चों के सेलफोन चेक करने के लिए आगे बढ़तीं, अगले ही पल खुद पर ब्रेक लगा लेतीं। घर में सब हैरान। बच्चों तक को कुछ अजीब सा लग रहा था। बात पति की समझ से भी बाहर थी। आखिर अंकिता को हुआ क्या है? कुछ दिन तक तो यह सिलसिला चला, पर ज्यादा दिन तक सहनशील बने रहने में कामयाब नहीं हो पाई अंकिता। वापस अपने रूप में आ ही गई। आज भी वह कहती हैं, 'बहुत आसान है संकल्प लेना, लेकिन निभाना उतना ही मुश्किल। अपनी आदतों को छोड़ने के लिए बहुत ताकत चाहिए जो सब में नहीं होती।'
वेट लूज करना ही है
'इस साल तो मैं अपना वेट लूज करके ही रहूंगी। चाहे कुछ भी हो जाए सुबह जल्दी उठकर सैर पर जाऊंगी। वर्कआउट में रुकावट नहीं आने दूंगी। योग क्लासेज जॉएन करूंगी। व्यायाम को भी पूरा टाइम दूंगी।' यह नया नहीं हर साल लिया जाने वाला संकल्प है, लेकिन 100 में से 90 महिलाएं तो इसे नया करने के तौर पर ही लेती हैं। हर साल एनर्जी के साथ शुरुआत भी करती हैं, लेकिन जल्दी ही सब फुस्स हो जाता है। न तो डाइट पर कंट्रोल रह पाता है और न ही समय निकल पाता है एक्सरसाइज के लिए। लाइब्रेरियन श्वेता सिंह कहती हैं, 'मुझे देर तक सोने और मॉर्निग वॉक नहीं करने की गंदी आदत है। मैं हर साल ये दोनों रिजॉल्यूशन लेती हूं, पर कभी भी पूरा नहीं कर पाती। जनवरी महीने के पाचवें दिन ही मेरा संकल्प धराशायी हो जाता है। संकल्प पूरा करने के लिए आत्मविश्वास बहुत जरूरी है, जिसका मुझमें अभाव है।'
दोस्त से पूरा हुआ संकल्प
ऐसा नहीं है कि संकल्प हमेशा टूटते ही हैं। अगर आपकी विल पॉवर मजबूत है और दोस्तों का साथ है तो आप अपने कमिटमेंट को पूरा कर सकते हैं। पेशे से होम्योपैथ चिकित्सक मधु रंजन अपने रिजॉल्यूशन को पूरा करने के बारे में कुछ यूं बताती हैं, 'स्टूडेंट लाइफ में नए साल और रिजॉल्यूशन को लेकर मन में गजब का उत्साह रहता था। मुझे आज भी वो दिन अच्छी तरह याद हैं, जब मैं मुजफ्फरपुर यूनिवर्सिटी से बॉटनी में एमएससी कर रही थी। पाच-छह लड़कियों वाला हमारा ग्रुप पूरी यूनिवर्सिटी में बेस्ट था। हम पढ़ाई-लिखाई से लेकर कॉलेज की कई दूसरी एक्टिविटीज में भी आगे रहते। नए साल पर हम लोगों ने एक रिजॉल्यूशन लिया कि हमें यूनिवर्सिटी एग्जाम में अव्वल आना है और हम लोगों ने ऐसा कर दिखाया।' मधु का मानना है, 'अगर आपके ग्रुप के किसी भी एक साथी में नेतृत्व क्षमता है तो आप आगे निकल सकते हैं। हमारे ग्रुप में रितिका बहुत तेज और होशियार थी। वह किसी भी टॉपिक पर बहस कर सकती थी और रिसर्च कर कुछ महत्वपूर्ण निकाल सकती थी। उसी की वजह से हमारा संकल्प पूरा हुआ।'
दोस्तों की मदद कारगर
लंदन में एक रिसर्च से साबित हुआ है कि सत्तर फीसदी से ज्यादा लोग अपने न्यू ईयर रिजॉल्यूशंस सात दिन में भूल जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण उनमें बदलाव की इच्छा का न होना है। साथ ही वे इस बदलाव के लिए अकेले जूझते रहते हैं। अपने दोस्तों की मदद नहीं लेते। अगर करीबियों की मदद लें तो संकल्प पूरे हो सकते हैं।
केवल 10 प्रतिशत रहते हैं कायम
एक सर्वे के आधार पर की गई शोध से पता चलता है कि ज्यादातर लोग न्यू ईयर रिजॉल्यूशंस कुछ ही दिन में भूल जाते हैं। रिसर्च के अनुसार छह महीने के बाद आधे लोग ही संकल्प पूरा करने के लिए मेहनत करते हैं और साल के अंत तक तो मात्र 10 प्रतिशत लोग ही संकल्प पर कायम रह पाते हैं।
क्यों टूटते हैं रिजॉल्यूशंस
-नए साल में नई ऊर्जा भरपूर होती है। हम रिजॉल्यूशंस की लंबी लिस्ट बना लेते हैं, लेकिन इन पर डटे रहना विल पॉवर का खेल है। शुरुआत तो हो जाती है, लेकिन आगे निभाना असंभव सा हो जाता है।
-अति उत्साह में हम ऐसे भारी भरकम संकल्प ले लेते हैं, जिन्हें पूरा करना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है।
-नए साल में कुछ नया जोड़ना तो ठीक है, लेकिन बोझ की तरह नया लादना ठीक नहीं। नया करने के चक्कर में ऐसा न हो कि कुछ पुराना पीछे छूट जाए।

आवाज भी आजाद हो

अनामिका, वीरागना, दामिनी या निर्भया। आपको इनमें सबसे अच्छा नाम कौन सा लगा? सभी अच्छे हैं न! अगर मुझसे पूछेंगे तो मैं कहूंगी, अच्छे सब हैं, पर सच्चा कोई नहीं। मेरे हिसाब से भारतीय युवतियों पर ये नाम नहीं जंचते। उनके नाम होने चाहिये - नीरव, नि:शब्द या खामोश।
आज सारा देश उन्माद में है। विद्रोह का कोलाहल है। हर तरफ बलात्कार के खिलाफ नारे लग रहे हैं। मैं फिर भी शात हूं। सोच रही हूं, क्या ये कोलाहल हमारे समाज को कोई दिशा दे सकता है? क्या हमारे पास इस दानवता से निपटने का कोई और तरीका है?
मेरे हिसाब से जो शक्ति नारी के दो शब्दों में है वो हुजूम के नारों में नहीं, पर इस देश में कितनी ऐसी किशोरियां हैं जो पुरुष उत्पीड़न या छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज उठाने की शक्ति रखती हैं? हर नारी को कहीं न कहीं, कभी न कभी अपने बचपन या कैशोर्य में पुरुषों के अवाछनीय व्यवहार का सामना करना पड़ा है। कैशोर्य के दहलीज पर खड़ी बच्ची के सीने पर घूमती गिद्ध सी नजरें, दर्जी का वह टेप जो हर उस जगह का नाप लेता है जिसकी सिलाई में कोई आवश्यकता नहीं या वह दिल का बीमार डॉक्टर जो नाड़ी के बदले, बदन का वो हर हिस्सा स्पर्श करना चाहता है जिसका मर्ज से कोई सरोकार नहीं या फिर वो चाचा या मामा जिसमें रिश्ते की निर्मलता नहीं, बल्कि वासना की लौलुपता होती है। हममें से कितनी ऐसी हैं जिन्होंने इसके खिलाफ बचपन में आवाज उठायी है? अगर उठाई होती तो शायद हम आज जंतर-मंतर या इंडिया गेट के हुजूम के कोलाहल के आश्रित न रहते।
आज की लड़कियां, जो जमाने के अनुसार आधुनिक और स्वच्छंद हो चली हैं, उनमें भी इतनी उन्मुक्तता नहीं कि वो पुरुषों के दुराचार के खिलाफ आवाज उठा सकें, वो हमेशा यह दिखाती हैं कि मानो कुछ हुआ ही नहीं हो। मैं खुद ही कितनी ऐसी लड़कियों को जानती हूँ जो हर प्रकार से आधुनिक होने के बावजूद बस में चुपचाप बैठी रहेंगी बावजूद इसके कि बगल का मर्द सोने का बहाना कर उन पर झूल रहा होगा या फिर सीट के नीचे उसकी टांगें अपने पाले को लांघ बिना वजह उनकी जींस को छू रहीं होंगीं। मैं ऐसी युवतियों को भी जानती हूं जो आठ घटे की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में बिल्कुल सीट के कोनों में दुबककर बैठी रहेंगी चाहे किनारे की सीट पर सोया हुआ सह यात्री बार-बार ऊंघता हुआ उनके सीने पर सिर मारता रहे।
आखिर लड़कियां क्यों चुप रहती हैं? इसलिये कि उन्हें समाज से डर लगता है या इसलिये कि हो सकता है पास बैठा मर्द मासूम हो! या फिर मां-बाप ने हमेशा ये सिखाया है, जाने दो या फिर इस भय से कि लोग कहेंगें तुम्हीं ने डोरे डाले थे!
आज पुरुष वर्ग में स्त्री निर्बलता चुटकुलों का विषय है। मुझे आज भी याद है जब मेरी मेरी एक सहेली अपनी आपबीती सुना रही थी तो एक पुरुष मित्र ने कहा, अगर मैं होता तो मैं भी यही करता, क्योंकि आप हैं ही इतनी सुंदर।
इस देश में हर वर्ग का स्त्रियों के प्रति एक ही दृष्टिकोण है। कुछ दिनों पहले जब मुंबई में गेटवे पर एक मासूम विदेशी पर्यटक को दु‌र्व्यवहार के बाद निर्ममता से मौत के घाट के उतार दिया गया था तो एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के अखबार ने मत रखा था कि लड़की के साथ ऐसा इसलिये हुआ, क्योंकि उसने आमंत्रित करने वाले छोटे-छोटे कपड़े पहन रखे थे। मानो छोटे कपड़े कोई आवरण नहीं, बल्कि आमंत्रण हैं!
मुझे खुशी है कि वक्त बदल रहा है और उसके साथ हमारे देश की लड़कियां भी बदल रही हैं। मेरी एक सहेली ने मुझे बताया कि कैसे उसकी बिटिया ने जब अपने एक रिश्तेदार को उसके साथ बदतमीजी करते हुये देखा तो पूरे परिवार में ढिंढोरा पीट दिया। उसने न सिर्फ अपने मां-बाप को बताया, बल्कि अपने दादा और नाना से भी इसका जिक्र किया, पर इस देश की कितनी ऐसी लड़कियां ऐसा कर सकती हैं? लड़कियों को इस बात का अहसास होना जरूरी है कि आज के समाज में दु:शासनों की संख्या महाभारत के युग से कहीं अधिक है। हमें अपनी बच्चियों को आवाज उठाने की आदत बचपन से डालनी होगी। बदतमीजी चाहे कितनी भी छोटी हो; अपनों की हो या परायों की, लड़कियों को तुरंत आवाज उठानी होगी। चुप्पी साधना इस सामाजिक अपराध को बढ़ावा देना है ।
अनामिका, दामिनी, वीरागना, निर्भया! उतिष्ठ!! जागृत!!

रिश्तों की जमा पूंजी

दांपत्य जीवन में अपने रिश्ते को और बेहतर बनाने की शुरुआत आपको साल के पहले दिन से ही करनी चाहिए। इसके लिए आप मैरिज काउंसलर डॉ. अनु गोयल द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल करने का प्रयास करें:
1. सबसे पहले अपने रिश्ते का मूल्यांकन करें और सचेत रूप से यह जानने की कोशिश करें कि आपके व्यवहार में कौन सी ऐसी बातें हैं, जो आपके लाइफ पार्टनर को नापसंद हैं। खुद से वादा करें कि आप कोई भी ऐसा व्यवहार नहीं करेंगे/करेंगी, जिससे आपके साथी की भावनाओं को ठेस पहुंचे।
2. दांपत्य जीवन में पति-पत्नी दोनों की पसंद-नापसंद और रुचियां हमेशा एक जैसी नहीं होतीं। फिर एक खास उम्र के बाद किसी भी इंसान के लिए अपने व्यक्तित्व को बदल पाना संभव नहीं होता। इसलिए आपका साथी जैसा भी है, उसे उसी रूप में अपनाने की कोशिश करें।
3. जिन मुद्दों पर आपके विचार नहीं मिलते, उन पर अनावश्यक बहस करने से बचें क्योंकि इससे रिश्ते में बेवजह तनाव बढ़ता है।
4. अपने रिश्ते में क्वॉलिटी टाइम और पर्सनल स्पेस के बीच सही संतुलन बनाए रखें। रोजाना फुर्सत के कुछ ऐसे पल जरूर निकालें, जब आप एक-दूसरे के साथ अपनी भावनाएं बांट सकें। इसके अलावा अपने साथी को कुछ समय के लिए अकेला छोड़ दें ताकि उसे रिलैक्स होकर अपनी रुचि से जुड़े कार्य करने का मौका मिले।
5. अब तक लोग ऐसा मानते थे कि करीबी रिश्ते में औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती, पर आप अपने पार्टनर के साथ थोड़ा शिष्टाचार निभाकर देखें। खास मौकों पर एक-दूसरे को उपहार देना, दिन में एक बार ऑफिस से फोन करके एक-दूसरे का हाल पूछना, जहां जरूरत हो वहां सॉरी, थैंक्यू जैसे शब्द बोलना आदि ऐसी छोटी-छोटी बातें हैं, जिससे आपके मन में परस्पर प्यार और सम्मान की भावना पैदा होती है।
मैं होममेकर हूं। इस साल मैंने खुद से वादा किया है कि अपने दांपत्य जीवन को पहले से ज्यादा खुशहाल बनाने की कोशिश करूंगी। मेरे पति अपनी सेहत के प्रति बेहद लापरवाह हैं। मैं उनकी यह आदत सुधारने की कोशिश करूंगी। अपने ज्यादा बोलने की आदत पर नियंत्रण रखूंगी क्योंकि इससे मेरे पतिदेव परेशान हो जाते हैं। मीनाक्षी दत्ता, मोहाली
प्रोफेशनल लाइफ में
किस्तें चुकाने में कोताही न बरतें
आपकी प्रोफशनल लाइफ के लिए भी रिश्ते बहुत मायने रखते हैं क्योंकि आपके करियर की सफलता बहुत हद तक इस बात पर भी निर्भर करती है कि अपने सहकर्मियों के साथ आपका व्यवहार कैसा है। इसलिए करियर में सफलता पाने के लिए नियमित रूप से अच्छे व्यवहार की किस्तें अदा करना न भूलें। इसीलिए यहां मैनेजमेंट गुरू प्रमोद बत्रा आपको दे रहे हैं कुछ उपयोगी सुझाव :
1. करियर में सफलता के लिए सिर्फ आपकी कार्यकुशलता ही काफी नहीं है, बल्कि अपने साथ कार्यरत लोगों के साथ आपका व्यवहार भी शालीन और सहयोगपूर्ण होना चाहिए। 2. सहकर्मियों का सहयोग पाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप पहले स्वयं आगे बढ़कर उनकी मदद करें।
3. कार्यस्थल पर कई बार प्रोफेशनल मुद्दों को लेकर सहकर्मियों से बहस भी हो जाती है, लेकिन ऐसी बातों को दिल पर न लें और अपना व्यवहार हमेशा संयत रखें।
4. परनिंदा से दूर रहें। इससे कार्यस्थल का माहौल खराब होने के साथ आपके कीमती वक्त की भी बर्बादी होती है।
5. आप अपने फील्ड में कार्यरत कुछ नए लोगों के साथ भी परिचय बढ़ाने की कोशिश करें। कार्यक्षेत्र में आने वाले नवीनतम बदलावों से स्वयं को अपडेट रखें।
नए साल में मैं अपना सारा ध्यान प्रोफेशनल लाइफ पर केंद्रित करूंगी। मैं बीडीएस कंप्लीट कर चुकी हूं और अब आगे मास्टर्स की तैयारी कर रही हूं। इसके लिए मैं कैलिर्फोनिया जाना चाहूंगी क्योंकि वहां डेंटिस्ट्री की पढ़ाई बहुत अच्छी होती है।
डॉ. अंकिता, मुंबई
खुद से भी करें प्यार
अपडेट रखें अपना अकाउंट
यह बात सुनने में थोड़ी अटपटी जरूर लग सकती है, लेकिन सच्चाई यह है कि दूसरों से अच्छा व्यवहार करना तभी संभव है, जब आप खुद से भी प्यार करना सीख लें। इसीलिए मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अशुम गुप्ता आपको यहां दे रही हैं, कुछ सुझाव :
1. खुद से प्यार करने का मतलब स्वार्थी होना कतई नहीं है, बल्कि आपको अपने 'स्व' से इतना लगाव होना चाहिए कि आप अपने आंतरिक और बाह्य व्यक्तित्व को निखारने के लिए निरंतर प्रयासरत हों।
2. दिनचर्या और संतुलित खानपान अपनाएं।
3. प्रतिदिन कम से कम एक घंटे का समय अपने लिए जरूर निकालें। इस दौरान आप अपनी रुचि से जुड़ा कोई भी ऐसा कार्य करें, जिससे आपको सच्ची खुशी मिलती हो।
4. जीवन में आपकी प्राथमिकताएं हमेशा स्पष्ट होनी चाहिए और प्राथमिकता सूची के अनुसार लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास करें।
5. उम्र से हम चाहे कितने ही बड़े क्यों न हो जाएं पर हर इंसान के भीतर कहीं न कहीं एक बच्चा जरूर छिपा होता है। अपनेभीतर छिपे इस बच्चे की मासूमियत को जिंदा रखें। हमेशा खुश रहें और कभी भी तनाव को अपने आसपास फटकने न दें।
घर-परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से अब तक मैं अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाती थी, पर मैंने इस बार यह संकल्प लिया है कि वर्ष 2012 में अपने लिए समय जरूर निकालूंगी। प्रतिदिन सुबह उठकर मॉर्निग वॉक और योगाभ्यास करूंगी। पढ़ना मेरी हॉबी है। अपनी मनपसंद किताबें पढ़ने के लिए रोजाना कम से कम एक घंटे का समय सिर्फअपने लिए सुरक्षित रखूंगी।
अंजू लालगढि़या, श्रीगंगानगर
पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते
करें कुछ नए निवेश
हम जिस परिवार और समाज में रहते हैं, उसके साथ भावनात्मक बंधन मजबूत बनाने की कोशिश करनी चाहिए। अपने मौजूदा रिश्तों को बेहतर बनाने के साथ कुछ नए लोगों से भी दोस्ती करनी चाहिए। यहां रिलेशनशिप स्पेशलिस्ट डॉ. विचित्रा डर्गन आनंद आपको दे रही हैं कुछ ऐसे टिप्स जिन्हें अपना कर आप अपने रिश्तों के बैंक बैलेंस में और इजाफा कर सकती हैं :
1. जरा ध्यान से सोचिए क्या अपने टीनएजर बच्चों के साथ आपके संबंध सहज हैं? क्या वे खुलकर आपको अपनी सारी बातें बताते हैं? अगर आपका जवाब नहीं है तो आज से ही अपने बच्चों के साथ संबंध सुधारने की पहल शुरू कर दें। उनके साथ प्यार से पेश आएं और उनकी छोटी-छोटी बातों में दिलचस्पी लें। इससे वे भावनात्मक रूप से आपके करीब आ जाएंगे।
2. अगर आप संयुक्त परिवार में रहती हैं तो पति और बच्चों के अलावा परिवार अन्य सदस्यों, विशेष रूप से बुजुर्गो का पूरा खयाल रखें और उनकी भावनाओं का सम्मान करें।
3. अगर आपकी न्यूक्लियर फेमिली है तो दूर रहने वाले रिश्तेदारों से निरंतर संपर्क बनाए रखें। जहां तक संभव हो छुट्टियों में सपरिवार उनसे मिलने जाएं और कभी-कभी उन्हें भी अपने यहां बुलाएं।
4. सोशल नेटवर्किग की साइट्स पर तो आपने बहुत सारे नए दोस्त बनाए होंगे, पर नए साल में यह संकल्प लें कि आप अपने घर के आसपास रहने वाले लोगों की तरफभी दोस्ती हाथ बढ़ाएंगे/बढ़ाएंगी।
5. जब भी जरूरत हो पड़ोसियों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहें।
6. अगर किसी दोस्त या रिश्तेदार से अनबन हो तो रिश्ते की इस कटुता को और न बढ़ाएं, बल्कि नए साल के पहले दिन उन्हें 'हैप्पी न्यू ईयर' कह कर अपने सारे मतभेद भुला दें।
इस साल मैं सभी रिश्तेदारों, खास तौर पर अपनी सास के साथ बेहतर संबंध बनाने की कोशिश करूंगी। विपरीत परिस्थितियों में भी अपने गुस्से पर नियंत्रण रखते हुए सभी के साथ संयत व्यवहार करूंगी। इसके अलावा वर्ष 2012 में मैंने अपने आसपास की मलिन बस्ती के बच्चों को शिक्षित बनाने का संकल्प लिया है।

शुभ-मंगल सावधान

रात गई, बारात गई और अब जीवन में होने वाली है नई शुरुआत। क्यों न वैवाहिक जीवन का पहला कदम ही कुछ ऐसे उठाएं.. कि साजन ही नहीं, ससुराल में सभी हमेशा पलकों पर बिठाएं..
आनंद, उत्सव हिस्सा है शादी का। रिश्तेदारों की महफिल सजती है, खूब मस्ती होती है, पर जब विदाई हो जाती है तो खत्म हो जाता है इस उत्सव का दौर। यहीं से शुरू होता है एक दुल्हन का वास्तविक सफर। वैवाहिक खुशियों की तलाश का यह सफर अनजान राहों से भरा होता है। दुल्हन के सामने यह चुनौती होती है कि उसका हर कदम सही दिशा में हो। इसके बाद प्रश्न उठते हैं कि शादी की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए उसकी ओर से क्या प्रयास होने चाहिए? सास-ससुर एवं ससुराल के सदस्यों के साथ सुखमय एवं खूबसूरत घनिष्ठ रिश्ता कायम करने के लिए आपको क्या करना चाहिए?
सामंजस्य के तीन सूत्र
ये सवाल नए नहीं हैं। कई पीढि़यों से दुल्हन को उलझन में डालते आए हैं ये प्रश्न। इनके हल तलाशना आज की ऐसी दुल्हन के लिए और भी चुनौतीभरा है, जो पढ़ी-लिखी, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के साथ ही अपने निजी स्पेस और आजादी में विश्वास करती है। इस तथ्य के साथ एक और हकीकत जुड़ गई है। आजकल विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के लोगों के बीच विवाह पहले की तुलना में अधिक होने लगे हैं। इन बदलावों के बावजूद आज की दुल्हन अपने नए परिवार के साथ प्रेम व स्नेह का बंधन और पति के साथ खुशियों से सजा जीवनभर का नाता जोड़ना चाहती है।
प्यार से पगा हो पहला प्रभाव
इस बात का ख्याल रखें कि आपका पहला प्रभाव सबसे महत्वपूर्ण है। आपको यह समझना होगा कि आप चाहे किसी भी धर्म या समुदाय से ताल्लुक रखते हों, जब शादी की बात आती है तो सभी भारतीय परिवारों की सोच पारंपरिक रंग में ढली नजर आती है। अगर आप पति के परिवार के साथ अच्छी प्रकार घुलने-मिलने की कोशिश करेंगी तो आपका वैवाहिक जीवन दोगुना सफल होगा। पुरुषों को यह अच्छा लगता है कि उनकी मां व मित्रों के साथ पत्नी का अच्छा संबंध हो।
दूसरा कदम है दिल जीतना
अपने नए घर में जाने से काफी पहले ही यह जानने की कोशिश करें कि ससुराल में शुरुआती दिनों में पहनावे, रीति-रिवाजों और दिनचर्या को लेकर लोगों की आपसे क्या अपेक्षाएं हैं। वहां किन लोगों से आपका मिलना होगा? उनका व्यक्तित्व और तौर-तरीके कैसे हैं? इस संबंध में आपके होने वाले पति महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं। उनकी मदद से आप यह जान सकती हैं कि वे कौन से तरीके हैं, जिनकी मदद से ससुराल में सदस्यों का दिल जीता जा सकता है। उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी में अपनी ओर से कुछ सौहा‌र्द्रपूर्ण चीजें जोड़ते हुए ससुराल पक्ष के लोगों से खूबसूरत रिश्ता जोड़ने में आपको मदद मिलेगी।
तारीफ है तीसरा मंत्र
औपचारिकताओं से मुक्त माहौल में संभव है कि शादी से पूर्व ही आपको अपने ससुराल में जाने और वहां का माहौल जानने का मौका मिले। अब जबकि आपको ससुराल में स्थाई रूप से प्रवेश करना है तो इस जानकारी का उपयोग आप अपने नए परिवार के साथ रिश्ते जोड़ने के लिए कर सकती हैं। इस सिलसिले में पहला कदम उठाते हुए औपचारिकताएं छोड़ खुद आगे बढ़कर आपको हर प्रकार से यह जताना होगा कि नए परिवार में आकर आप खुश हैं। इस क्रम में उनकी परंपराओं, जैसे आशीर्वाद के लिए बड़ों के चरणस्पर्श करना, विशेष परिधान धारण करना या धार्मिक विधि-विधानों इत्यादि का अनुसरण करें, ताकि नए घर में आपकी शुरुआत हो सही। चेहरे पर मुस्कराहट, समझ-बूझ और परिवार के साथ जुड़ने की स्वाभाविक चाह इस संबंध में आपकी मदद करेगी। आप खाना बनाने में मदद की पेशकश कर सकती हैं या कुछ अच्छा भोजन तैयार करने की इच्छा भी जाहिर कर सकती हैं। दैनिक कार्य के बारे में पूछें और जहां कहीं संभव हो मदद की पेशकश करें, ताकि आपको प्रत्येक सदस्य के साथ समय बिताने और उसे जानने का मौका मिल सके। बड़ों से सम्मानपूर्वक बात करें। बातों ही बातों में शादी के आयोजन की प्रशंसा करते हुए उन्हें बताएं कि उनके दिए उपहार आपको किस कदर पसंद आए हैं। शादी के बाद के पहले सप्ताह में पति के परिवार से घुलने-मिलने का विशेष प्रयत्न करें। कुछ ऐसा करें, जो उन्हें असीम खुशी दे सके। आपका रवैया ऐसा होना चाहिए, जिससे नए परिवार के सदस्यों में उसे लेकर चल रहे हर प्रकार के संदेह दूर हो जाएं; कहती हैं मैरिज काउंसलर रंजन बरार।
रिश्तों के तीन रोड़े
पुराने अनुभव यही सिखाते हैं जिन राहों पर गिरने का डर हो उनसे दूरी बनाने में ही समझदारी होती है। उदाहरण के लिए यदि आप अपने ऑफिस में बॉस हैं तो वही व्यवहार आप अपने नए घर में नहीं दिखा सकतीं।
अपनी मर्जी का जीवन
खाने में भले ही आपका अपना एक टेस्ट है, पर तब तक आपको धैर्य दिखाना होगा जब तक कि नए परिवार में लोग आपको जान नहींजाते और आपकी पसंद को तरजीह नहीं देने लगते। अगर आपको देर तक सोने, टीवी के सामने बैठकर खाना खाने या देर रात तक घूमने-फिरने की आदत है, तो इन सभी पर आपको पुनर्विचार करना होगा। आपको यह देखना होगा कि एक पत्नी और बहू के रूप में क्या उचित रहेगा। यदि आप दूसरे धर्म या समुदाय से ताल्लुक रखती हैं तो पहले ही यह समझ विकसित कर लेनी चाहिए कि रीति-रिवाजों और विश्वासों के कारण आप दोनों अपने संबंधों को प्रभावित नहीं होने देंगे।
पति के परिवार का उपहास
अपनी सामाजिक स्थिति, धन, शादी से पूर्व की जीवनशैली, कॅरियर की सफलता और परंपराओं के प्रति विद्रोही दृष्टिकोण को मुद्दा न बनाएं। आखिर शादी का फैसला आपका है। अपने जीवनसाथी को आपने अपनी मर्जी से चुना है। पति को उसके परिवार से अलग करने की कोई भी कोशिश नाराजगी और आपके प्रति अस्वीकारोक्ति उत्पन्न करेगी। भारत में शादी सिर्फ स्त्री-पुरुष का बंधन नहीं, बल्कि उनका एक-दूसरे के परिवारों से भी रिश्ता जुड़ता है। ऐसे में नए परिवार के साथ घनिष्ठता बढ़ाने से वैवाहिक जीवन में भी मिठास घुलेगी। रंजन बरार कहती हैं, 'नवदंपति यदि परिवार के रूप में मिल-जुलकर साथ रहने की अपनी सांस्कृतिक विरासत को ही भुला देते हैं तो वे असफल कहलाएंगे।
सास-ससुर के प्रति पूर्वाग्रह
दुल्हन को अपने नए घर में सास-ससुर के प्रति पूर्वाग्रह के साथ प्रवेश नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे परिस्थितियां विकट होना सुनिश्चित हो जाता है। विशेषकर यदि वह भिन्न समुदाय या धर्म से ताल्लुक रखती है तो उसे खुले हृदय से आना चाहिए और निर्णायक बने बगैर भिन्न जीवनशैली को स्वीकार करना चाहिए। नए परिवार में उसे अजनबी नहीं बनना चाहिए और न ही उनके बेटे को छीनने की कोशिश करनी चाहिए।'
धीरे-धीरे आपको स्वयं यह समझ आ जाएगा कि अच्छे रिश्ते एकाएक नहीं बनते, बल्कि उनके लिए मेहनत करनी पड़ती है। प्यार, दुलार और सम्मान से उन्हें सींचना पड़ता है, तब जाकर बनता है स्नेह का अटूट रिश्ता।