Wednesday, 4 April 2012

आखिर कहां गायब हैं मायावती.. पढिए उनका अब तक का सफर!

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने 15 जनवरी को अपना 56वां जन्मदिन मनाया था। हर बार धूमधाम से अपना जन्मदिन मनाने वाली और दलितों की देवी कही जाने वाली मायावती ने इस बार अपना जन्मदिन सादगी से पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मनाया था। हम आज उनकी जिंदगी के बीते सालों से रु-ब-रु करा रहे हैं।

शुरूआती जिंदगी

मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 में दिल्ली में हुआ। उनके पिता का नाम प्रभु दयाल व माता का नाम रामरती था। मायावती छह भाई व दो बहन हैं। यद्धपि मायावती की मां अनपढ़ थीं लेकिन उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई में हमेशा रूचि ली।

मायावती का पैतृक गांव बादलपुर है जो उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले में स्थित है। बी. ए. की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने दिल्ली के कालिन्दी कॉलेज से एल.एल.बी. की उपाधि ग्रहण की। यही नहीं मायावती ने बी.एड. की भी शिक्षा प्राप्त की है।

राजनीति में आने से पहले वह दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षिका के रूप में काम करती थीं। मायावती ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षाओं के लिये अध्ययन भी किया था, लेकिन वर्ष 1977 में कांशीराम के संपर्क में आने के बाद उन्होंने एक पूर्ण कालिक राजनीतिज्ञ बनने का निर्णय लिया और यही से शुरू हुआ उनका राजनैतिक सफ़र।

राजनैतिक जिंदगी

कांशीराम के संरक्षण के अंतर्गत वह उस समय उनकी कोर टीम का हिस्सा रहीं, जब वर्ष 1984 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना हुई थी। मायावती ने अपना पहला चुनाव उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर के कैराना लोकसभा सीट से लड़ा था| मायावती अविवाहित हैं और उनके समर्थक उन्हें 'बहनजी' के नाम से पुकारते हैं। मायावती ने 13 मई 2007 को मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार लखनऊ के राजभवन में शपथ ग्रहण की|

4 बार बनीं यूपी की मुख्यमंत्री

मायावती वर्ष 1989 में पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित की गईं| इसके बाद वह वर्ष 1998, 1999 और 2004 में लगातार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं। यही नहीं 1999 में वह बहुजन समाज पार्टी (बसपा) संसदीय दल भी बनीं| मायावती वर्ष 1994 में राज्यसभा के लिए पहली बार निर्वाचित हुईं।

मायावती 3 जून 1995 से 18 अक्टूबर 1995 तक पहली उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। 21 मार्च 1997 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद 3 मई 2002 में तीसरी बार और 12 मई 2007 में चौथी बार मुख्यमंत्री पद संभाला।

मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल में मायावती ने बौद्ध प्रतिमा, गौतम बुद्ध, रविदास, नारायण गुरु, ज्योतिराव फुले, साहूजी महाराज, पेरियार रामासामी, भीमराव अम्बेडकर, बसपा संस्थापक कांशीराम और खुद की कई मूर्तियों का निर्माण कराया। यही नहीं अपनी मूर्तियों को लेकर मायावती काफी विवादों में भी रहीं।

किताबें जो मायावती की जिंदगी पर लिखी गईं

मुख्यमंत्री मायावती के व्यक्तित्व जीवन पर कई पुस्तकें लिखी गई हैं| इनमें पहला नाम 'आयरन लेडी कुमारी मायावती' का है यह पुस्तक पत्रकार मोहमद जमील अख्तर ने लिखी है। उनके द्वारा स्वयं हिन्दी भाषा में 'मेरे संघर्षमयी जीवन' और 'बहुजन मूवमेण्ट का सफरनामा' तीन भागों में लिखा गया।

वरिष्ठ पत्रकार अजय बोस द्वारा लिखी गयी 'बहनजी : ए पोलिटिकल बायोग्राफी ऑफ मायावती' अब तक की सर्वाधिक प्रशंसनीय जीवन गाथा है। यह पुस्तक मायावती के जीवन पर आधारित है। वहीं आजकल लखनऊ की एक पत्रकार डॉ नूतन ठाकुर मायावती के सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनैतिक महत्व को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिख रही हैं।

दलितों की देवी हैं मायावती

मायावती संघर्षवादी प्रवृति की महिला हैं। उन्होंने दलितों के कल्याण के लिए अहम योगदान दिया है। मायावती ने महिलाओं व दलितों को साहस और धैर्य के साथ जीवन जीने का पाठ पढ़ाया है और सदैव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

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