Monday, 26 September 2011

घर के आसपास ये पौधा है तो कभी नहीं होगी पैसों की तंगी और नेगेटिव एनर्जी

पेड़-पौधों का सबसे बड़ा फायदा है कि उनसे हमें ऑक्सीजन गैस प्राप्त होती है। इसके अलावा प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी पेड़-पौधों का सर्वाधिक महत्व है। इनके बिना वातावरण को संतुलित किया ही नहीं जा सकता। हर परिस्थिति में हरियाली हमारे लिए फायदेमंद ही है। इन फायदों के साथ ही शास्त्रों के अनुसार कई धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी बताए गए हैं।

कुछ पेड़-पौधे ऐसे हैं जिनसे हम कई चमत्कारिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हमारे घर या घर के आसपास होने पर ही इनके फायदे प्राप्त होते हैं। इन पेड़ों-पौधों में आंकड़े का पौधा भी शामिल है, यदि यह घर के सामने हो तो बहुत लाभ पहुंचाता है।

शास्त्रों अनुसार आंकड़े के फूल शिवलिंग पर चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आंकड़े पौधा मुख्यद्वार पर या घर के सामने हो तो बहुत शुभ माना जाता है। इसके फूल सामान्यत: सफेद रंग के होते हैं। विद्वानों के अनुसार कुछ पुराने आंकड़ों की जड़ में श्रीगणेश की प्रतिकृति निर्मित हो जाती है जो कि साधक को चमत्कारी लाभ प्रदान करती है।

ज्योतिष के अनुसार जिस घर के सामने या मुख्यद्वार के समीप आंकड़े का पौधा होता है उस घर पर कभी भी किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अलावा वहां रहने वाले लोगों को तांत्रिक बाधाएं कभी नहीं सताती। घर के आसपास सकारात्मक और पवित्र वातावरण बना रहता है जो कि हमें सुख-समृद्धि और धन प्रदान करता है। ऐसे लोगों पर महालक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है और जहां-जहां से लोग कार्य करते हैं वहीं से इन्हें धन लाभ प्राप्त होता है। 

एक दिन में 1603 रुपये गिरा सोना, चांदी भी लुढ़की, रुपया और सेंसेक्‍स भी जमीन पर


सोने और चांदी के दाम में आज जबर्दस्त गिरावट देखने को मिल रही है। 12.25 बजे एमसीएक्स वायदा पर सोना तकरीबन 1603 रुपये टूटकर 25,113 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी 6659 रुपये लुढ़ककर 47,067 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई। जानकारों का मानना है कि सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट का सिलसिला बना रहेगा। गिरावट का दौर शेयर बाज़ार और मुद्रा बाज़ार में भी देखा जा रहा है। उधर, भारतीय शेयर बाजारों में आज जबर्दस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिला। बीएसई सेंसेक्स 110.96 अंक लुढ़क कर 16,051 और एनएसई का निफ्टी 32 अंक गंवाकर 4835 पर बंद हुआ।


वहीं, रुपये में भी गिरावट का दौर जारी है। मुद्रा बाज़ार खुलते ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 3 पैसे की गिरावट दर्ज की गई। 10: 30 बजे रुपये की कीमत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 49.46/47 के स्तर पर थी।



बीते 6 सितंबर को रिकार्ड कीमत छूने के बाद सोने के दाम करीब 20 फीसदी गिर गए हैं। जानकारों के मुताबिक ऐसा डॉलर की मजबूती, हेज फंड के लिक्विडेशन और बाजार में उथल पुथल के चलते लोगों की यह धारणा कमजोर पड़ रही है कि सोने में निवेश सुरक्षित है और सोने के दाम गिर रहे हैं। इसी तरह चांदी की कीमत भी बीते जनवरी के बाद अब तक सबसे न्‍यूनतम स्‍तर पर है। अप्रैल में यह सबसे उच्‍चतम स्‍तर पर थी जिसमें अब करीब 45 फीसदी की कमी आई है।



क्‍या कहते हैं जानकार?



यूओबी रिसर्च के सीनियर इकोनॉमिस्‍ट एल्विन लियू के मुताबिक लोग पैसे का निवेश करने के लिए सोना या चांदी खरीदना चाहते हैं। लेकिन अभी यूरोप और अमेरिका में मंदी का दौर छंटना शुरू हुआ है। साथ ही अमेरिकी डॉलर काफी मजबूत हुआ है। ऐसे में सोने में निवेश करना उतना आकर्षक नहीं रहा है।

यूबीएस वेल्‍थ मैनेजमेंट में कमॉडिटी रिसर्च के प्रमुख डॉमिनिक स्‍नाइडर का कहना है कि ऐसा नहीं है कि सोने की खूब खरीद हुई है।  
फाइनेंशियल वॉल के फाइनेंशियल प्लानर नीरज के मुताबिक सोने और चांदी में आगे और गिरावट देखने को मिल सकती है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी का असर सोने की कीमतों पर पड़ रहा है। नीरज के मुताबिक बीते महीने सोने में तेजी की गति बहुत ज्यादा थी जो फंडामेंटली ठीक नहीं थी। इसलिए इसमें गिरावट स्वाभाविक है।  
कमॉडिटी इनसाइट्स के सीनियर एनालिस्ट प्रशांत कपूर के मुताबिक सीएमई जो नायमेक्स चलाता है, उसने सोने और चांदी में मार्जिन बढ़ा दिया है जिसका असर सोने और चांदी की कीमतों पर देखने को मिल रहा है। नायमेक्स ने सोने में 21.48 फीसदी मार्जिन बढ़ा दिया है जबकि चांदी में 15.63 फीसदी मार्जिन बढ़ा दिया है। 
बेसमेटल में गिरावट का असर चांदी की कीमतों पर देखने को मिल रहा है। चांदी का 65 प्रतिशत इस्तेमाल बेसमेटल के रुप में किया जाता है और बेसमेटल में पिछले कुछ दिनों से बिकवाली देखने को मिल रही है। साल 2008 में भी चांदी में जबर्दस्त गिरावट देखने को मिली थी, उस समय चांदी 54 फीसदी नीचे आ गई थी। आपको बता दें कि शनिवार को हाजिर बाजार में सोने और चांदी में भारी गिरावट आई थी और सोना 700 रुपये नीचे आकर बंद हुआ था।

दिल्ली की कूचा महाजनी मार्केट के ज्वैलर योगेन्द्र कुमार के मुताबिक सोने और चांदी में अभी और गिरावट देखने को मिल सकती है। उनके मुताबिक सोना 20,000-21,000 के स्तर पर भी आ सकता है। दिल्ली हाजिर बाजार में सोना 25,800 रुपये प्रति दस ग्राम बोला जा रहा है।

जांबाज रेहान ने 8 फीट के अजगर को ऐसे मारा कि...


सीप नदी पर बने बंजारा डेम में नहाने गए 20 वर्षीय रेहान ने पानी के अंदर पंद्रह मिनट तक आठ फीट लंबे अजगर पर जीत हासिल की। अपनी जान बचाने के लिए रेहान ने अजगर को मार डाला। घटनाक्रम शनिवार शाम का है।

श्योपुर के हम्माल मोहल्ला निवासी रेहान सहित कई लोग बंजारा डैम में नहा रहे थे। तभी अचानक रेहान को पानी में तैरता हुआ एक अजगर अपनी तरफ आते हुए दिखाई दिया। उसने अपना बचाव किया लेकिन अजगर उस पर ही झपट पड़ा। बस फिर शुरू हो गया, दोनों के बीच दांव-पेंच का सिलसिला।

हालांकि जिस जगह यह संघर्ष हो रहा था, वहां पानी ज्यादा नहीं था, इसलिए रेहान के पैर जमीन पर टिके रहे और वह अजगर के मुकाबले भारी पड़ता रहा। वह कभी अजगर के मुंह पर मुक्के मारता तो कभी उसे अपनी बाजुओं में कसने की कोशिश करता। आखिरकार, वह कामयाब हो गया।

उसने अजगर की पूंछ और मुंह दोनों अपनी बाजुओं में दबाए और पास ही पड़े मछली पकड़ने वाले जाल में उसे फंसा लिया। इसी दौरान छटपटाते हुए अजगर ने दम तोड़ दिया।

इस किताब में बताया गया है कैसे बनाते हैं सोना?

क्या आप जानते हैं?प्राचीन काल में आयुर्वेदिक रस -शास्त्र के महारथी अन्य धातुओं से सोना बनाया करते थे। सुनने में यह बात अजीब लगती हो, पर है बिल्कुल सत्य, ये आयुर्वेदिक रस औषधियों को सिद्ध करने की एक सिद्ध विधि थी, जिसे पाकर रस-शास्त्री वैद्य मनचाही इच्छा की पूर्ती कर लेते थे। कुछ संस्कारों एवं औषधि पादपों की मदद से संस्कार कर धातुओं को सोने में परिवर्तित किया जाता था, कहा जाता है कि पारद इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।

सोने को दीर्घायु होने का प्रतीक वैदिक काल से ही माना जाता रहा है ,इसी प्रकार के कुछ सन्दर्भ चीन के ऐतिहासिक ग्रथों में भी मिलते हैं। किसी भी धातु को सोने में बदलने की कला बुद्ध काल में भी प्रचलित रही,थी इसे 'अल्कीमी ' या किमियागीरी कहा जाता था, आज भी सोने की भस्मों जैसे वृहत वातचिंतामणि रस ,स्वर्णसूतशेखर रस,स्वर्ण कल्प ,स्वर्ण पर्पटी ,स्वर्णगजकेशरी जैसी औषधियों का त्वरित प्रभाव देखा जाता है, सम्भवत: सोने का महत्व एवं आकर्षण हर युग में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है, इसलिए लोगों ने इसे सरलता से प्राप्त करने के उपाय के रूप में कीमियागिरी को चुना होगा।

कहा जाता है, कि उज्जैनी में व्याड़ी नामक पति पत्नी इस कला को पाने के लिए आयुर्वेदिक रस-शास्त्र के पुस्तकों का अध्ययन करते -करते अपना सब कुछ गवां बैठे, पर धातुओं से सोना नहीं बना पाए। इस बात से वे इतने विक्षिप्त हो गए कि़ दोनों पति-पत्नी क्षिप्रा के तट पर सभी आयुर्वेद के ग्रथों के पन्नों को फाड़-फाड़ कर बहाने लगे तथा विरक्त होकर प्राण त्यागने की तैयारी  करने लगे ,उनकी इस प्रकार की लगन और श्रद्धा देख रसराज शिव से उन्हें सिद्धि प्राप्त हुई और वे रस-सिद्ध वैद्य बन गए कहा जाता है कि इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद व्याड़ी दंपत्ति हवा में उडऩे लगे।

इस कार की कीमत सुनकर होश उड़ जाएंगे आपके


यह कार है दुनिया की सबसे पुरानी कार।  यह कार 127 साल पुरानी है लेकिन बड़ी बात यह है कि यह अभी भी चलने फिरने की कंडीशन में है। यह कार नीलामी के लिए तैयार है और इसकी कीमत है 16 लाख पाउंड ( तकरीबन 12 करोड़ 25 लाख रुपए)। इस कार को 1881 में फ्रांस में बनाया गया था।

आपको बता दें कि यह कार आम कारों की तरह लोहे और स्टील से नहीं बल्कि लकड़ी और रबड़ से बनी है। इस कार को चलाने के लिए भाप 45 मिनट में तैयार हो जाती है। इस कार की लंबाई 9 फुट है और वजन 2100 पौंड। इस कार की अधिकतम रफ्तार 38 मील प्रति घंटा है।

ब्रिटिश कार क्लब के सदस्य टिम मूरी ने 1987 में इस कार की मरम्मत कर इसे चलने लायक बनाया था

बिकाऊ है दुनिया की सबसे पुरानी चालू कंडीशन वाली कार

यह दुनिया की सबसे पुरानी चालू कंडीशन वाली कार है। 1884 में बनी यह ‘डे डिऑन बूटन एट ट्रेपरडॉक्स डॉस-ए-डॉस स्टीम रूनाबॉट’ कार अगले महीने नीलाम होने वाली है। उम्मीद है कि इसकी करीब 16 लाख पाउंड (12 करोड़ रुपए) कीमत मिलेगी। स्टीम से चलने वाली इस कार का निर्माण फ्रांस में हुआ था।

कार की लंबाई 9 फीट, वजन 2100 पाउंड और स्पीड 38 मील प्रतिघंटा है। कार को चलाने के लिए जरूरी भाप उत्पन्न करने में इसे 45 मिनट का समय लगता था। ये काम कागज, लकड़ी या कोयला जलाकर किया जाता था। इसके टैंक में 20 लीटर पानी भरा जा सकता है।
 कार के पहिए धातु से बने हैं, जिन पर सॉलिड रबर चढ़ाई गई है। कार के निर्माता काउंट डे डिऑन ने 1906 तक इसे अपने पास रखा, फिर फ्रेंच आर्मी ऑफिसर हैनरी डोरिअल को बेच दिया था।

Friday, 23 September 2011

टाइगर के नाम से मशहूर नवाब मंसूर अली खां पटौदी



 टाइगर के नाम से मशहूर नवाब मंसूर अली खां पटौदी ने गुरुवार शाम फानी दुनिया को अलविदा कह दिया। पटौदी की भोपाल में ननिहाल तो पटौदी स्टेट (गुडगांव) में ददिहाल है। 11 साल की उम्र में पिता नवाब इफ्तेखार अली खां पटौदी का साया सिर से उठने के बाद उन्होंने भोपाल में अपने नाना (भोपाल रियासत के) नवाब हमीदुल्ला खां से जिंदगी का ककहरा सीखा।

पटौदी ने यहीं पर कसरे सुल्तानी में क्रिकेट और हॉकी के गुर सीखे तो भोपाल की फिजा ने उन्हें ऐसा बांधा कि जब भी उन्हें क्रिकेट से फुर्सत मिली वे यहां चले आए। सियासत की पगडंडी और छोटे पर्दे पर नजर आने के शौक को उन्होंने अपना करिअर नहीं बनाया।

ये अलग बात है कि उनकी बेगम शर्मिला टैगोर, पुत्र सैफ अली खान और बेटी सोहा अली खान फिल्मों में सक्रिय हैं। वहीं एक अन्य बेटी सबा अली खान ज्वैलरी डिजाइनिंग क्षेत्र में है। गौरतलब है कि पटौदी फरवरी में आखिरी बार भोपाल आए थे।

पटौदी ने शर्मिला टैगोर से शादी करने का फैसला 25 जुलाई, 1966 को लंदन में लिया था। शर्मिला से उनकी पहली मुलाकात उनके कोलकाता स्थित घर पर तब हुई थी, जब पटौदी अपने एक मित्र के साथ वहां एक फंक्शन में गए थे। 27 दिसंबर, 1967 को बाल्व डेर स्टेट कोलकाता में शादी हुई थी। इससे पहले एक मार्च, 1967 को उनकी मंगनी हुई थी। इसमें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन और इंदिरा गांधी भी शामिल हुईं थीं।

जानिए, क्या है शराब छुड़वाने का अचूक टोटका

शराब एक सामाजिक बुराई है। शराब न सिर्फ एक व्यक्ति को बल्कि पूरे परिवार को नष्ट कर देती है। शराब की लत जिसे लग जाती है उसका जीवन खराब हो जाता है। तंत्र शास्त्र के अतंर्गत ऐसे कई टोटके हैं जिनसे शराब की लत को छुड़वाया जा सकता है। उन्हीं में से एक यह भी है-

टोटका

शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार को सुबह सवा मीटर काला कपड़ा तथा सवा मीटर नीला कपड़ा लेकर इन दोनों को एक-दूसरे के ऊपर रख दें। इस पर 800 ग्राम कच्चे कोयले, 800 ग्राम काली साबूत उड़द, 800 ग्राम जौ एवं काले तिल, 8 बड़ी कीलें तथा 8 सिक्के रखकर एक पोटली बांध लें। फिर जिस व्यक्ति की शराब छुड़वाना हो उसकी लंबाई से आठ गुना अधिक काला धागा लेकर एक जटा वाले नारियल पर लपेट दें।

इस नारियल को काजल का तिलक लगाकर धूप-दीप अर्पित करके शराब पीने की आदत छुड़ाने का निवेदन करें। फिर यह सारी सामग्री किसी नदी में प्रवाहित कर दें। जब सामग्री दूर चली जाए तो घर वापस आ जाएं। इस दौरान पीछे मुड़कर न देखें। घर में प्रवेश करने से पहले हाथ-पैर धोएं। शाम को किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर तिल के तेल का दीपक लगाएं। यही प्रक्रिया आने वाले बुधवार व शनिवार को फिर दोहराएं। इस टोटके के बारे में किसी को कुछ न बताएं। कुछ ही समय में आप देखेंगे कि जो व्यक्ति शराब का आदि था वह शराब छोड़ देगा।

पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी का






 पूर्व क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी का अंतिम संस्कार गुड़गांव (हरियाणा) जिले के पटौदी गांव 
में हो गया है। पटौदी गांव स्थित मंसूर अली के महल परिसर में पूर्व क्रिकेटर को सुपुर्द ए खाक कर 
दिया गया। इस मौके पर 'टाइगर' की अंतिम झलक पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। हजारों लोगों ने 


नम आंखों से मंसूर अली खान का विदाई दी। मंसूर अली को पटौदी महज परिसर स्थित कब्रगाह में दफना दिया 


गया। यहां पहले से ही उनके दादा-दादी और पिता की कब्र है। छोटे नवाब के शव पर मिट्टी डालने वालों 


का तांता लग गया। बॉलीवुड और क्रिकेट की कई हस्तियों के यहां जुटने से पुलिस को भीड़ नियंत्रित 


करने में दिक्‍कत आ रही थी। इस दौरान हल्‍का बल प्रयोग भी करना पड़ा। 

इससे पहले नवाब अली का शव अभी पटौदी महल में लोगों के दर्शनार्थ रखा गया। यहां नवाब अली के 


रिश्‍तेदारों, स्‍थानीय लोगों और कई नामचीन हस्तियों का तांता लग गया। पूर्व क्रिकेटर कपिलदेव, 


फिल्‍म निर्माता मुजफ्फर अली, शबाना आजमी, जावेद अख्‍तर, अमृता अरोड़ा, मलाइका अरोड़ा खान, 


करिश्‍मा कपूर और बबीता कपूर भी पटौदी गांव पहुंचे। 

इससे पहले पटौदी का पार्थिव शरीर आज तड़के अस्‍पताल से दिल्‍ली के वसंत विहार स्‍थित निवास पर 


लाया गया। जब पटौदी का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव ले जाया जा रहा था तो उस वक्‍त पटौदी की 


पत्‍नी और गुजरे जमाने की बॉलीवुड नायिका शर्मिला टैगोर, उनके बेटे और बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली 


खान, सैफ की गर्लफ्रेंड करीना कपूर, सैफ की बहन सोहा अली खान सहित कई नामचीन हस्तियां मौजूद थीं।

पटौदी को श्रद्धां‍जलि देने वाली हस्तियों में पाकिस्‍तान उच्‍चायुक्‍त शाहिद मलिक और उनकी 


पत्‍नी, पूर्व क्रिकेटर कपिल देव और अजय जडेजा, पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के चीफ आईएस बिंद्रा के 


अलावा दिल्‍ली की सीएम शीला दीक्षित और भाजपा नेता अरुण जेटली भी शामिल हैं।

फेफड़े में संक्रमण के चलते हुआ पटौदी का निधन   
पटौदी ने गुरुवार देर शाम आखिरी सांस ली थी। 70 वर्षीय पटौदी को फेफड़े में गंभीर संक्रमण के बाद 


अगस्त में अस्पताल में दाखिल कराया गया था। कई दिनों से सर गंगाराम अस्‍पताल के आईसीयू में उनका 


इलाज चल रहा था। उनके दोनों फेफड़ों में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रहा था। मशीन के जरिए उन्‍हें 


ऑक्‍सीजन दी जा रही थी। लेकिन गुरुवार शाम करीब छह बजे उनका निधन हो गया।
पटौदी का जन्‍म 1941 में भोपाल में हुआ था। उन्‍होंने देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल में पढ़ाई की 


थी। एक हादसे में उनकी दाहिनी आंखी की रोशनी चली गई थी।
पटौदी 21 साल की उम्र में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्‍तान बने थे। वह भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे 


युवा कप्‍तान थे। उनके निधन के साथ ही क्रिकेट के एक युग का अंत हो गया है।  

भारत के लिए 46 टेस्ट खेल चुके पटौदी सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे। पटौदी ने 34.91 की औसत से 


2793 रन बनाए। उनका सर्वाधिक स्‍कोर 203 रन (नाबाद) का था। उन्‍होंने 40 टेस्‍ट मैचों में भारतीय 


टीम की कप्‍तानी की थी। उन्‍हीं की कप्‍तानी में भारत ने टेस्‍ट मैच में विदेश में पहली सीरीज 


(न्‍यूजीलैंड के खिलाफ) जीती थी।  

उनके परिवार में पत्‍नी शर्मिला टैगोर के अलावा बेटा सैफ अली खान और बेटियां सोहा व सबा हैं। 


शर्मिला, सैफ और सोहा बॉलीवुड की नामी हस्तियां हैं।


श्रद्धांजलि
महान क्रिकेटर मंसूर अली खान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए नीचे कमेंट बॉक्‍स में अपने 


विचार लिखें। 

Monday, 19 September 2011

What is your Cast


दोस्तो जिस टाइटल से ये लेख लिख रहा हूँ यदि यही सवाल आप से किया जाये तो आपका जवाब क्या होगा ........ ?
सच कहूँ तो आप अपने आप को जाट, ब्राह्मण, नाई, धोबी, चामर, पांचाल (लोहार), सैनी (छिप्पि), बाल्मिकी आदि ही कहेंगें .............. आप अपने आप को इंसान कभी नही कहेंगे  (शायद कोई कहे भी),  क्योंकि हम में से कोई भी जब से होस सम्भलता तभी से उसको जाति से बाँध दिया जाता है और मृत्यु ही हो जाती है ये जाति हमारा पीछा नही छोड़ती .........
जीव का जब दुनिया मे आगमन होता है तो उसकी जाति क्या होती है, मेरे विचार से उसकी जाति और धरम सिर्फ़ मानव धरम ही होता है, चाहे वो किसी के घर में जनम ले अमीर, ग़रीब, हिंदू, मुस्लिम या किसी देश में|
हम धरम, जाति आदि में कब बँट जाते है हमें भी नही पता लगता| यहाँ मैं प्रत्यन कर रहा हूँ (अपनी समझ के अनुसार) शायद आप सहमत हो या ना भी हों ये मुझे पता नही, मेरा काम प्रत्यन करना है जोकि मैं करने की कोशिश कर रहा हूँ| इसके लिए मैने कोई शोध नही किया है ये मेरे साथ घटित एक घटना है .............. और आप के साथ भी कभी घटित हुई होगी या भविष्य में ज़रूर घटित होगी ..........
दोस्तो मैं अपने विचारों का एक अलग ही नमूना हूँ, मैं दिल से किसी धरम या जाति को नही मानता हूँ| सभी जातियों में, धरमों में मेरे दोस्त हैं| सबके यहाँ आना जाना, उठना बैठना, खाना पीना (दारू नहीं) हैं, किंतु मेरे विचारों से उनके विचार कभी मेल नही खाते इसलिए गहरी दोस्ती आज तक किसी से नही हो पाई| अपनी सोच विचारों के कारण ही जल्दी ही किसी से भी घुलमिल जाता हूँ और धोखा भी खा लेता हूँ यहाँ आप लोग मुझे मूर्ख भी समझ सकते हो| जीवन में बहुत सी मुस्किलों से दो चार होना पड़ता है, लेकिन जीवन ऐसे ही चलता है| खैर जिस विषय पर आज लिखने का मन हुआ है उस पर आते हैं|

कब हम जाति में बँट जाते हैं .........
एक दिन स्कूल से आते मेरी बेटी ने मुझ से एक सवाल किया कि पापा जी मेरी जाति क्या है? ये सवाल एसा था कि किसी ने मुझ पर मिसाइल दाग दी हो| मैने जवाब ना देकर बच्ची से ही सवाल किया कि बिटिया ये आप से किसने पूछा है बिटिया का जवाब था मेरी एक फरेन्ड ने| बिटिया का जवाब सुन कर मैं हैरान था की इतनी छोटी बच्ची खुद तो ये सवाल नही पूछ सकती, क्योंकि पाँच साल का बालक क्या जाने जाति - धरम| मैने अपनी बिटिया को बड़े प्यार से समझाते हुए कहा की बिटिया हमारी जाति है मानव धरम| बेटी को उसके सवाल का जवाब मिल गया था| दोस्तों उस रात मैं ठीक से सो नही सका| क्योंकि जो परम्परा चली आ रही थी वो एक पायदान और आगे कदम रखती दिख रही थी| बच्चे नई नई बातों को जानने के इच्छुक होते हैं| तीसरे दिन बिटिया ने स्कूल से आकर मुझे झूठा साबित कर दिया, उसने कहा कि पापा आप झूठ बोल रहे थे| मैने पूछा बेटा जी मैने कब झूठ बोला| बेटी ने तुरंत कहा आप ने मेरी जाति ठीक से नही बताई, मेरी फरेन्ड के पापा ने कहा जाट, चामर, धोबी, नाई, लुहार, सुनार ऐसी जातियाँ होती हैं|और आप ने तो अपनी जाति मानव धरम बताई थी| किसी तरह मैने बिटिया को समझाया और वो किसी हद तक मान गयी|अभी कुछ समय ही बिता था कि एक दिन बिटिया और बेटा स्कूल से एक फार्म लेकर आए और कहा की मेरे टीचर ने इसे ��ील करने को कहा है| मैने फार्म फील कर दे दिया| अगले दिन बच्चे फार्म वापिस लेकर आए और कह������������� की पापा टीचर ने कहा है की अपनी सही जाति लिख कर लाना|

कैसे हो सकता है मानव धरम ......... ?
दोस्तो सच आज की दुनिया में कही भी तो मानव धरम नाम की कोई जाति नही है,हम सब जाट, चामर, धोबी, तेलि, नाई, लुहार आदि आदि में बँट चुके हैं| सोने पे सुहागा राज नेताओं ने रच डाला जनगणना जाति के आधार पर करवा कर|जिस क्षेत्र में जिस जाति का बाहुल्य होता है वहाँ उसी जाति कॅंडिडेट को टिकिट मिलता है चाहे वो काबिल हो या ना हो| दूसरी जाति का उससे काबिल कॅंडिटेट देखता ही रह जाता है| जनता भी अपनी ही जाति वाले को वोट देती है चाहे मन मारकर ही दे क्योंकि पार्टियाँ जनता के सामने विकल्प ही नही छोड़ती| जिस दिन हम सब अपनी जाति धरम से उचें उठ कर एक हो जाएँ तो देश आतंक, मुफ़लिसी आदि से मुक्त हो जाएगा|

संविधान ने ही हमें जातियों में बाँट रखा है ........ !
हमारे सविधान निर्माताओं ने हमें खाक अच्छा संविधान दिया है, हमें आरक्षण के चक्कर में डाल कर बाँट दिया, किसी को सवर्ण तो किसी को अनुसूचित और किसी को पिछड़ा बना दिया| उन्होने ये संविधान भारत की जनता के लिए नही बनाया बल्कि अँग्रेज़ों की नीतियों को ध्यान में रख कर राजनेताओं की खातिर बनाया लगता है| कैसे ये नेता ग़रीब और अनपढ़ जनता पर राज कर सके ये रास्ता उन्होंने दिखाया है| उन्होने आरक्षण की पट्टी जनता की आँखों पर बाँध दी| जो लोग आरक्षण का लाभ नही उठा रहे उनको लगता है की आरक्षण में ना जाने कितने सुविधा छुपी है वो नही जानते की आरक्षण का डॅंक उनको नपुंसक बना देगा| आरक्षण के चक्कर में वो मेहनत करना छोड़ देंगे| जबकिआगे बढ़ने के लिए आरक्षण की नही सच्ची शिक्षा की अवशकता है ना की डिग्रियों की क्योंकि डिग्री तो धनवान लोग खरीद ही लेते हैं (3 ईडियट में दिखाया भी है) लेकिन शिक्षा को तो शिक्षा की तरह ही प्राप्त किए जा सकता है| यदि संविधान निर्माता भारत जी आम जनता का भला चाहते तो कभी भी आरक्षण का प्रावधान नही डालते वो एक ऐसा प्रावधान (सस्ती और ज़रूरी शिक्षा) करते जिससेजो अभाव ग्रस्त है चाहे किसी भी जाति में हो किसी भी धरम में हो उनको शिक्षा मिल सके और जो शिक्षित होगा वो अपने लिए रोटी, कपड़ा और मकान का जुगाड़ कर ही लेगा| आज 64 सालों के बाद भी वोटिंग प्रतिशत 60 से आस पास रहता है, यदि सभी शिक्षित हो जाते (जबकि ये संभव है) तो यही वोटिंग प्रतिशत 80-90 होता और काफ़ी हद तक जागरूक जनता अपने अधिकार को जानकर अपने भले के लिए आवाज़ बुलंद करती| आज जो नेता संसद की आड़ में अपना गंदा खेल खेल रहे हैं उनको भी ये मोका नही मिलता| ना ही आतंक फैलता, ना ही ग़रीबी होती, ना ही अंधविश्वास बचता| जब सब का पेट भरा हो वो क्यों यहाँ वहाँ भटकेगा|
अच्छी शिक्षा, अच्छा रहन सहन, अच्छा पहनावा और सुख सुविधाए हो तो किस को पड़ी है ग़लत रास्ते अपनाने की......... और ये सब संभव है सिर्फ़ सच्ची शिक्षा से ना की अँग्रेज़ों की थोपी हुई वर्तमान शिक्षा प्रणाली से .......|

Friday, 2 September 2011




खेल डेस्क। भारत-पाकिस्तान के बीच खेले गए 13 मार्च, 2004 को कराची में खेले गए एक मैच में मो. कैफ द्वारा लिया गया कैच अबतक के बेहतरीन कैचों में से एक है। इस कैच को लपकने के चक्कर में हेमांग बदानी और मो. कैफ एक-दूसरे से टक्कर खाने से बच गए थे। यूं कहें, कि थोड़ी सी चूक होती तो बदानी को कैफ का एक जोरदार किक लग जाता। हालांकि सबसे बेहतरीन बात यह है कि इतना होने के बाद भी कैच नहीं छूटा।



दरअसल, जहीर खान की गेंद पर शोएब मलिक के शॉट को लपकने के लिए बदानी और कैफ दोनों दौड़ पड़े और हुआ ऐसा कि एक साथ ही दोनों गेंद के नीचे आ गए और दोनों में से काई खिलाड़ी एक-दूसरे को नहीं देख रहा था। ऐसा लगा कि कैच तो पक्का छूट जाएगा, लेकिन कैफ ने उम्मीदों पर पानी नहीं फेरा। उस समय पाक टीम को 8 गेंदों में जीतने के लिए 10 रनों की जरूरत थी। टीम इंडिया ने यह मैच 5 रनों से जीत लिया था।