दुनिया में सबसे अच्छी दवाई है खुश रहना। इससे शरीर को
अच्छी औषधि और आरोग्यता मिलती है। यह निरोगी होने की निशानी भी है।
प्रसन्नता जिसके साथ रहती है, वो तेज में जीता है। इसलिए साधारण व्यक्ति के
लिए प्रसन्नता हासिल क
रना बड़ा ही मुश्किल होता है। जबकि यह सबकी जागीर है।
जब तक विकार है, विश्राम संभव ही नहीं। अविकार की भूमिका विश्राम का
स्वरूप या कहें कि विश्राम की पहचान है। प्रेम ही इस भवसागर से पार उतारने
वाला एकमात्र उपाय है। प्रेमी बैरागी होता है, जिससे आप प्रेम करते हैं, उस
पर न्यौछावर हो जाते हैं। त्याग और वैराग्य सिखाना नहीं पड़ता। प्रेम की
उपलब्धि ही वैराग्य है।
जिन लोगों ने प्रेम किया है, उन्हें वैराग्य लाना नहीं पड़ा। जिन लोगों
ने केवल ज्ञान की चर्चा की, उनको वैराग्य ग्रहण करना पड़ा, त्यागी होना
पड़ा, वैराग्य के सोपान चढ़ने पड़े। कभी गिरे, कभी चढ़े लेकिन पहुंच गए। जैसे
जब कृष्ण ब्रज से गए तो क्या ब्रजांगनाएं घर छोड़कर चली गईं। क्या गोप
भागे?
नहीं, वे सब वहीं रहे। वही गायें, वही बछड़े, वही गोशालाएं, वही खेत,
वही घर- सब वहीं थे लेकिन वे सभी परम वैराग्य को उपलब्ध हो गए। प्रेम में
वैराग्य निर्माण करने की शक्ति है। भक्ति का अर्थ है जिसको तुम प्रेम करते
हो उसकी इच्छानुकूल रहो, यही भक्ति है।
पूज्य बापू की कथा के अंश....
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