आर्थिक गतिविधियों में नरमी के चलते इस साल भारतीय कंपनियों द्वारा किए
जाने वाले विलय एवं अधिग्रहण सौदों में गिरावट देखने को मिली। आलोच्य साल
2013 में लगभग 30 अरब डॉलर मूल्य के करीब 500 सौदे हुए परंतु अगले साल
विशेषकर आम चुनावों के बाद इनमें गति आने की उम्मीद है।
सौदों पर निगरानी रखने वाली विभिन्न कंपनियों के आंकड़ों के अनुसार उल्लेखनीय है कि 2012 में भारतीय कंपनियों ने 35.4 अरब डॉलर मूल्य के 598 विलय एवं अधिग्रहण सौदे, जबकि 2011 में 44.6 अरब डॉलर मूल्य के 644 सौदे हुए थे। सौदों के मूल्य में लगातार दूसरे साल गिरावट दर्ज की गई है और विलय एवं अधिग्रहण सौदों के लिए अच्छी मांग है और सौदों की संख्या 2014 में बढ़ सकती है। ग्रांट थोर्नटन के अनुसार 13 दिसंबर, 2013 तक 27.4 अरब डॉलर मूल्य के कुल 480 ऐसे समझौते हुए जिनमें भारतीय कंपनियां शामिल थीं। उसके बाद से कुछ और सौदों की घोषणा की गई है। सौदों पर निगाह रखने वाली वैश्विक फर्म मर्जरमार्केट के भारतीय ब्यूरो प्रमुख मिथुन वरके ने कहा कि अगले साल यानी 2014 में सौदे मुख्यत: स्थानीय उपभोग पर आधारित क्षेत्रों विशेषकर उपभोक्ता एवं दवा क्षेत्र से होंगे।
सौदों पर निगरानी रखने वाली विभिन्न कंपनियों के आंकड़ों के अनुसार उल्लेखनीय है कि 2012 में भारतीय कंपनियों ने 35.4 अरब डॉलर मूल्य के 598 विलय एवं अधिग्रहण सौदे, जबकि 2011 में 44.6 अरब डॉलर मूल्य के 644 सौदे हुए थे। सौदों के मूल्य में लगातार दूसरे साल गिरावट दर्ज की गई है और विलय एवं अधिग्रहण सौदों के लिए अच्छी मांग है और सौदों की संख्या 2014 में बढ़ सकती है। ग्रांट थोर्नटन के अनुसार 13 दिसंबर, 2013 तक 27.4 अरब डॉलर मूल्य के कुल 480 ऐसे समझौते हुए जिनमें भारतीय कंपनियां शामिल थीं। उसके बाद से कुछ और सौदों की घोषणा की गई है। सौदों पर निगाह रखने वाली वैश्विक फर्म मर्जरमार्केट के भारतीय ब्यूरो प्रमुख मिथुन वरके ने कहा कि अगले साल यानी 2014 में सौदे मुख्यत: स्थानीय उपभोग पर आधारित क्षेत्रों विशेषकर उपभोक्ता एवं दवा क्षेत्र से होंगे।
No comments:
Post a Comment