अमेरिका में भारत के नए राजदूत एस. जयशंकर ने भारतीय राजनयिक की गिरफ्तारी
और उनकी गहन तलाशी से अमेरिका-भारत के बीच उपजे कूटनीतिक विवाद को समाप्त
कर
ने की राह तलाशी शुरू कर दी है।
अमेरिकी विदेश विभाग में अपने दस्तावेजों की प्रति सौंपते हुए उन्होंने दो शीर्ष अधिकारियों -राजनीतिक मामलों की उप उपमंत्री वेंडी शेरमन और प्रबंधन उपमंत्री पैट्रिक एफ.केनेडी- से मुलाकात की। चीन में चार साल तक राजदूत रह चुके जयशंकर हालांकि सबसे पहले अपने दस्तावेज आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति को सौंपेंगे, जो नए साल की छुट्टी पर हवाई गए हुए हैं, और उनसे अब नए साल में ही मुलाकात हो पाएगी। लेकिन विदेश विभाग में दस्तावेजों की एक प्रति सौंपने के बाद अब वह अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत शुरू कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि न्यूयार्क स्थित भारतीय उपमहावाणिज्यदूत देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी के बाद उपजे संकट के समाधान के लिए राजनयिक भारत और अमेरिका में सक्रिय हैं। भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता एवं अन्य मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके जयशंकर अमेरिकी नौकरशाही के बीच जाना-पहचाना चेहरा हैं। जयशंकर दक्षिण और मध्य एशिया की उप विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल और अन्य अमेरिकी अधिकारियों के साथ बैठक में प्रगति की उम्मीद कर रहे हैं। जयशंकर ने अमेरिका में भारतीय राजदूत के रूप में निरूपमा राव का स्थान लिया है। इसके पहले वह विदेश मंत्रालय में अमेरिकी मामलों एवं नीत निर्माण के अधीनस्थ सचिव रह चुके हैं। उसके बाद 1985 से 1988 के बीच उन्होंने अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में राजनीतिक मामलों के प्रथम सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दी और उसके बाद दो साल तक वह श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) के प्रथम सचिव और राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं। जयशंकर ने 2004 से 2005 के बीच विदेश मंत्रालय में अमेरिकी डिविजन का नेतृत्व किया है। जयशंकर का तीन दशक से अधिक समय का कूटनीतिक अनुभव रहा है। उन्होंने विश्वभर के देशों के सामने भारतीय हितों को पेश किया है और कामकाज के दोस्ताना रवैये को प्रोत्साहित किया है। जयशंकर ने अंतर्राष्ट्रीय संबंध में पीएचडी और एमफिल तथा राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है। जयशंकर ने क्योको जयशंकर से शादी की है और उनके दो बेटे और एक बेटी है।
अमेरिकी विदेश विभाग में अपने दस्तावेजों की प्रति सौंपते हुए उन्होंने दो शीर्ष अधिकारियों -राजनीतिक मामलों की उप उपमंत्री वेंडी शेरमन और प्रबंधन उपमंत्री पैट्रिक एफ.केनेडी- से मुलाकात की। चीन में चार साल तक राजदूत रह चुके जयशंकर हालांकि सबसे पहले अपने दस्तावेज आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति को सौंपेंगे, जो नए साल की छुट्टी पर हवाई गए हुए हैं, और उनसे अब नए साल में ही मुलाकात हो पाएगी। लेकिन विदेश विभाग में दस्तावेजों की एक प्रति सौंपने के बाद अब वह अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत शुरू कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि न्यूयार्क स्थित भारतीय उपमहावाणिज्यदूत देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी के बाद उपजे संकट के समाधान के लिए राजनयिक भारत और अमेरिका में सक्रिय हैं। भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता एवं अन्य मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके जयशंकर अमेरिकी नौकरशाही के बीच जाना-पहचाना चेहरा हैं। जयशंकर दक्षिण और मध्य एशिया की उप विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल और अन्य अमेरिकी अधिकारियों के साथ बैठक में प्रगति की उम्मीद कर रहे हैं। जयशंकर ने अमेरिका में भारतीय राजदूत के रूप में निरूपमा राव का स्थान लिया है। इसके पहले वह विदेश मंत्रालय में अमेरिकी मामलों एवं नीत निर्माण के अधीनस्थ सचिव रह चुके हैं। उसके बाद 1985 से 1988 के बीच उन्होंने अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास में राजनीतिक मामलों के प्रथम सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दी और उसके बाद दो साल तक वह श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) के प्रथम सचिव और राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं। जयशंकर ने 2004 से 2005 के बीच विदेश मंत्रालय में अमेरिकी डिविजन का नेतृत्व किया है। जयशंकर का तीन दशक से अधिक समय का कूटनीतिक अनुभव रहा है। उन्होंने विश्वभर के देशों के सामने भारतीय हितों को पेश किया है और कामकाज के दोस्ताना रवैये को प्रोत्साहित किया है। जयशंकर ने अंतर्राष्ट्रीय संबंध में पीएचडी और एमफिल तथा राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है। जयशंकर ने क्योको जयशंकर से शादी की है और उनके दो बेटे और एक बेटी है।
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