चंदन तस्कर वीरप्पन की पत्नी मुथुलक्ष्मी ने कहा है कि उसके पति की जिंदगी पर आधारित एक फिल्म के लिए उसकी सहमति नहीं ली गई। उन्होंने दावा किया कि फिल्म में दोनों की ‘गलत छवि’ पेश की गई है। वीरप्पन 2004 में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
मुथुलक्ष्मी ने कहा कि वह इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की योजना बना रही हैं। उन्होंने कहा, ‘निर्माता रमेश ने मेरी सहमति के बगैर फिल्म बनाई और मुझे और मेरे दिवंगत पति की खराब छवि पेश की है।’ फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई है लेकिन उन्होंने इसका ट्रेलर देखा है। कन्नड में फिल्म का नाम ‘अत्तागसम’ और तमिल में ‘वानायुथम’ है।
कौन था वीरप्पन
कूज मुनिस्वामी वीरप्पा गौड़न उर्फ़ वीरप्पन का जन्म 18 जनवरी 1952 को हुआ था। 18 वर्ष की उम्र में वह अवैध रूप से शिकार करने वाले गिरोह का सदस्य बन गया। कुछ सालों में ही वह जंगल का बादशाह बन गया। उसने चंदन तथा हाथीदांत से पैसा कमाया। कहा जाता है कि उसने कुल 2000 हाथियों को मार डाला। वीरप्पन की बहन और भाई की हत्या के बाद उसने इसके लिए पुलिस जिम्मेदार मान लिया। यही कारण है कि वह पुलिस और अधिकारियों का अपरहण और हत्या करने लगा।
रॉबिन हुड जैसी छवि
वीरप्पन की अपने गांव गोपीनाथम में रॉबिन हुड की तरह छवि थी। गांववाले छत्र की तरह काम करते थे। उसे पुलिस की गतिविधियों के बारे में सूचनाएं दिया करते थे। उसकी हर तरह की मदद किया करते थे।
कलाकार वीरप्पन
वीरप्पन कई पक्षियों की आवाज निकाल लेता था। उसे संगीत काफी प्रिय था। उसे अपनी लम्बी घनी मूंछे बहुत पसन्द थीं । वह मां काली का बहुत भक्त था। कहा जाता है कि उसने एक काली मंदिर भी बनवाया था।
पुलिस से बचने के लिए बेटे का गोला घोंट डाला
कर्नाटक सरकार ने 1990 में वीरप्पन को पकड़ने के लिए विशेष पुलिस दस्ते का गठन किया। पुलिसवालों ने उसके कई आदमियों को पकड़ लिया। 1993 में पुलिस ने उसकी पत्नी मुत्थुलक्ष्मी को गिरफ्तार कर लिया। कहा जाता है कि बेटे के रोने तथा चिल्लाने के कारण पुलिस की पकड़ में ना आए इसके लिए गला घोंट कर मार दिया।
मौत के बाद वफादार कुत्ता बना गवाह
18 अक्टूबर 2004 को वीरप्पन को मार दिया गया। उसका कुत्ता और बंदर मरने के बाद मिले। कुत्ता कई मामलों में गवाह की भूमिका निभा रहा है। वह भौंक कर अपनी भावना व्यक्त करता है।
(कंटेंट साभार विकीपीडिया)
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