Wednesday, 11 January 2012

जुगाड़ टेक्नोलॉजी की बनेगी विश्व स्तर पर पहचान


पेसिफिक यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने साउथ एशिया के जुगाड़ अविष्कारों के संरक्षण और पेटेंट की दीर्घकालिक योजना बनाई है। पेसिफिक पेटेंट फेसिलिटेशन, जुगाड़ टेक्नोलॉजी, मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट के सहयोग से इस मुद्दे पर ब्रेन स्टार्मिग के लिए प्रथम चरण में साउथ एशिया स्तर पर उदयपुर में जुगाड़ वर्कशाप का आयोजन करेगा। वर्कशाप 18 अप्रैल को प्रस्तावित है।

जुगाड़ टेक्नोलॉजी के तहत किए गए लगभग एक हजार अविष्कारों को इस वर्कशाप में शामिल किया जाएगा। सर्वश्रेष्ठ जुगाड़ को 5 लाख का पुरस्कार तो मिलेगा ही साथ ही उसका पेटेंट बनाकर रिसर्च वर्क भी किया जाएगा। भास्कर इस वर्कशाप में मीडिया पार्टनर होगा।

आपको फिल्म 3 इडियट का वह दृश्य याद होगा, जब पिया (करीना) की बहन की डिलिवरि होनी थी। बिजली गुल। रैंचो (आमिर) और उसके साथियों ने कार बैट्रियों से बिजली और वैक्यूम क्लीनर से रिवर्स पंप बनाकर प्रसव करवाया।

भारत में रोजमर्रा के जीवन में कठिन काम को आसान बनाने के लिए जुगाड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल आम बात है। इसमें खास यह है कि जुगाड़ टेक्नोलॉजी के जरिए किए गए अविष्कार बेहद सस्ते होने के साथ काफी व्यावहारिक होते हैं। इस जुगाड़ टेक्नोलॉजी का यदि शोध और संरक्षण किया जाए तो चमत्कारिक परिणाम मिल सकते हैं। पेसिफिक यूनिवर्सिटी के सचिव राहुल अग्रवाल कहते हैं कि इस सोच के तहत पेसिफिक प्रबंधन ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

इस पूरे प्रयास के पीछे उद्देश्य यह निहित है कि देशभर में जुगाड़ करने वालों की कमी नहीं है, लेकिन उनके द्वारा किया गया जुगाड़ सिर्फ उन्हीं तक सिमट कर रहा जाता है। इन जुगाड़ों के लाभ को सर्व सुलभ करवाने के उद्देश्य से इनका पेटेंट करवाकर रिवर्स इंजीनियरिंग से जोड़ा जाएगा।

ताकि, सभी के लिए हो बहुत कुछ

मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट के विजय पागे ने बताया कि जुगाड़ से आम आदमी अंजान है। खुद जुगाड़ करने वाला भी नहीं जानता कि उसने ऐसा प्रोजेक्ट तैयार कर दिया है, जो विश्व स्तर पर पहचान बना सकता है। इन्हीं जुगाड़ों पर शोध कर उन्हें इस कोटी का बनाया जाना है, जिसमें सभी के लिए बहुत कुछ की भावना छीपी हो। इससे शोध के विषयों की संख्या भी बढ़ जाएगी।

होगा जुगाड़ों का जमावड़ा

पेसिफिक ग्रुप के प्रो. बीपी शर्मा ने बताया कि जुगाड़ वर्कशॉप में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, बर्मा, श्रीलंका तथा पाकिस्तान आदि से जुगाड़ करने वाले विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे। जिनकों इंटरनेट, संबंधित इंडस्ट्री, मेल, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आदि के माध्यम से आमंत्रित किया जा रहा है। चयनित होने वाले जुगाड़ पर शोध कार्य होगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, ऐसे शोध को कॉमर्शियली और फाइनेंशिल सपोर्ट भी करता है।

जुगाड़ टेक्नोलॉजी की बनेगी विश्व स्तर पर पहचान

यूं तो दुनियाभर में जुगाड़ियों की कमी नहीं मगर हमारे देश में लोगों का ज्यादातर काम जुगाड़ में चलता है।अपने इर्द गिर्द नजर डालिए राजसमंद के हाईवे पर चलने वाले डीजल इंजन का। जो सुबह फसलों की सिंचाई में काम आता है, तो दोपहर में मार्बल सप्लाई के तौर पर। शादी ब्याह में जाना होता तो वह गाड़ी बन जाता है।

अब तक यह सिर्फ जुगाड़ ही माना गया है। यदि इस पर शोध किया जाता, तो आज इस इंजन को मल्टीपरपज व्हीकल का रूप भी दिया जा सकता था। यह कहना है पेसिफिक ग्रुप के राहुल अग्रवाल का। कहते हैं जुगाड़ टेक्नोलॉजी का मुख्य उद्देश्य यही रखा है कि जुगाड़ पर शोध करवाकर ऐसा माध्यम बनाया जाए जो सस्ता और सर्व सुलभ हो।

इंजीनियर से लेकर मिस्त्री तक करेंगे चर्चा

प्रो.शर्मा ने बताया कि 18 अप्रैल को उदयपुर के पेसिफिक हिल्स में होने वाले जुगाड़ वर्कशॉप में आए जुगाड़ों पर सिद्धहस्त इंजीनियर से लेकर मिस्त्री वर्ग तक के लोग संभावनाएं तलाशेंगे। सर्वश्रेष्ठ रहने वाले जुगाड़ों पर रिसर्च करवाया जाएगा तथा पेटेंट करवा कर उपयोगी तकनीक का विकास किया जाएगा। पेसिफिक कॉलेज ऐसी प्रतिभाओं को मंच प्रदान करेगा, जो कभी न कभी किसी तरह का जुगाड़ ईजाद कर चुके हैं, लेकिन गुमनाम से रह गए।

इसलिए पड़ी आवश्यकता

पाहेर ग्रुप के प्रो. बी.पी. शर्मा बताते हैं कि हमारे पास इनोवेटिव आइडिया, मैन पावर, लेटेस्ट टेक्नोलॉजी, रिसर्च फील्ड आदि की कोई कमी नहीं है। बावजूद इसके भी वर्तमान में हम काफी पिछड़े हुए हैं। देशभर में हर रोज जुगाड़ टेक्नोलॉजी के तहत कई आविष्कार होते हैं, लेकिन सीमित सीमा में ही रह जाते हैं। जुगाड़ सिर्फ एक शब्द नहीं है। यदि इसकी सफल क्रियान्वित हो जाए, तो हम किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहेंगे।

क्या-क्या हैं संभावनाएं

प्रो. शर्मा बताते हैं कि जुगाड़ टेक्नोलॉजी में यदि हमने किसी एक मॉडल का भी पेटेंट बना दिया तो काफी हद तक सफलता प्राप्त कर लेंगे। इस पेटेंट में रिसर्च मैथर्ड को शामिल कर देश या विश्व स्तर पर नई तकनीक पैदा कर सकते हैं। ईजाद करने वाले को भी इससे फायदा मिलेगा। इससे होने वाली आय से वो प्रोत्साहित होगा।

क्या होगा फायदा

इस प्रयास से सबसे बड़ा फायदा तो यह होगा कि हमारे पास ऐसे कई विकल्प होंगे, जिनमें कई नई संभावनाएं छिपी होंगी। शोधार्थियों के पास भी कई विषय होंगे। देश में रिवर्स इंजीनियरिंग का नया कंसेप्ट भी शुरू हो जाएगा। सीधे शब्दों में कहा जाए तो आउट सोर्सिग से क्राउड सोर्सिग तक का सफर शुरू हो जाएगा।

जुगाड़ कैसे-कैसे

स्पेनिश कंपनी के अधिकारी ने दिल्ली में कमरा लिया। सुबह से शाम तक कमरे में रहने के बाद होटल संचालकों ने जानकारी ली। बताया, सूटकेस का ताला खराब हो गया है। जिसे न तोड़ा जा सकता है और न खोला। जो खोल देगा उसे सूटकेस कंपनी 2 लाख का इनाम देगी। होटल संचालक ने सड़क पर घूम रहे ताला चाबी बनाने वाले को बुलाया और उसने 2 मिनट में ताला खोलकर इनाम ले लिया। उसके पास कोई आधुनिक उपकरण नहीं थे।

कमल देख बने आधुनिक कांच

कमल के पत्ते पर धूल और पानी नहीं टिकता देख, इंगलैंड की एक कंपनी ने बायो मिमिक्री का कंसेप्ट अपनाया। मॉलीक्यूल टेक्नोलॉजी वाले कांच बनाकर भवनों में लगाए गए। इससे फायदा यह हुआ बड़ी और ऊंची इमारतों के संचालकों को कांच की सफाई पर लाखों रुपए खर्च नहीं करने पड़ते हैं।

डबल कटर ने बढ़ाया उत्पादन

राजस्थान में मार्बल माइनिंग में स्लैब कटाने के लिए पहले उसे गलाना पड़ता था और ब्लास्टिंग करनी पड़ती थी। तब हर रोज 30 गाड़ियां सप्लाई की जाती थीं। डबल कटर के जुगाड़ से ब्लास्टिंग के बिना भी 300 गाड़ियां हर रोज सप्लाई की जाने लगीं। तीन करोड़ रुपए में होने वाला काम 25 हजार रुपए में होने लगा।

शिप में शिफ्ट हो गया गैंगसा

चाइना में मार्बल की जब मांग की जाती तो उसके ट्रांसपोर्टेशन में समय और खर्च काफी लगता था। मार्बल में लगे गैंग शा संचालक ने ऐसे ही राय दे दी कि गैंगशा को जहाज में ही शिफ्ट कर दो। ऐसा ही किया गया। समय और खर्च तो बचा ही साथ ही मार्बल से निकलने वाली स्लरी को ठिकाने लगाने की परेशानी भी समाप्त हो गई।

आपने जुगाड़ तैयार किया है तो हमें बताएं

यदि आपने जुगाड़ टेक्नोलॉजी के जरिए कोई नई चीज ईजाद की है तो हमें बताएं। हम उसके बारे में विस्तार से प्रकाशित करेंगे। आपकी एंट्री 18 अप्रैल को होने वाली वर्कशॉप में शामिल होगी और आप जीत सकेंगे 5 लाख रुपए तक के इनाम और जुगाड़ का आविष्कारक होने का नाम।

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