उम्रदराज होने पर आपको दिल की बीमारी हो सकती है या नहीं, इसका पता 18 वर्ष की उम्र होते ही किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि 18 वर्ष की आयु में यदि किसी युवक का रक्तचाप अधिक रहता है, तो उम्रदराज होने पर उसमें दिल से संबंधित बीमारी होने का जोखिम अधिक होता है। किसी व्यक्ति में विभिन्न अवस्थाओं में रक्तचाप के स्तर और दिल संबंधी बीमारी में संबंध को लेकर 25 वर्षों की लंबी अवधि तक किया गया यह शोध अपनी तरह का पहला शोध है। नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के इलिनॉयस स्थित फीनबर्ग मेडिसिन स्कूल में सहायक प्राध्यापक नौरिना एलेन ने कहा कि युवावस्था में रक्तचाप के आधार पर उस व्यक्ति के उम्रदराज होने पर दिल संबंधी बीमारी के खतरे को जाना जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम किशोरावस्था आने तक इसके समाधान का इंतजार नहीं कर सकते। अगर हम युवावस्था में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर सकें, तो उम्रदराज होने पर दिल से संबंधित बीमारी या दिल का दौरा पड़ने के खतरे को कम किया जा सकता है। अध्ययन में 18 से 55 वर्ष की आयु के बीच विशेष पैटर्न वाले रक्तचाप वाले व्यक्तियों के हृदय से रक्त ले जाने वाली नलिकाओं में कैल्शियम पाए जाने का जोखिम बढ़ जाता है, जिसे मध्यम आयुवर्ग में दिल की बीमारी होने के पहले संकेत के रूप में देखा जाता है। इसे रक्त नलिकाओं के सख्त हो जाने के रूप में भी जाना जाता है, तथा रक्त नलिकाओं में कैल्शियम के इस जमाव के कारण दिल का दौरा पड़ने का जोखिम भी बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव की सलाह देते हैं जैसे, शारीरिक गतिविधि बढ़ाने एवं बेहतर तथा स्वस्थ आहार से हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है। अमेरिकी चिकित्सा संघ द्वारा प्रकाशित की जाने वाली शोध पत्रिका के ताजा अंक में प्रकाशित यह शोध 4,681 व्यक्तियों पर अध्ययन करने के बाद सामने आया है। इसमें शिकागो, बर्मिंघम, माइनेपोलिस और ऑकलैंड के लोगों को शामिल किया गया था। शोध की शुरुआत 1985-86 से हुई थी।
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