महानगरों के मुकाबले टियर 2 व टियर 3 शहरों में छात्राओं का झुकाव खुद का उद्यम लगाने में अधिक है। आईसीड के एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है।
इंटरनेशनल स्कूल आफ आंत्रप्रन्योरशिप एजुकेशन एंड डेवलपमेंट (आईसीड) की रिपोर्ट के मुताबिक, अमृतसर, लुधियाना, कानपुर, इंदौर, रायपुर, त्रिची, सूरत, कोयंबटूर जैसे शहरों में छात्राओं ने पढ़ाई पूरी कर नौकरी करने के बजाय खुद का उद्यम शुरू करने की इच्छा जताई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल 10 प्रतिशत छात्राओं की उद्यमशीलता संसाधनों तक पहुंच है, जबकि 20 प्रतिशत छात्रों की ऐसे संसाधनों तक पहुंच है। इसी तरह, 5 प्रतिशत छात्राओं ने पढ़ाई के दौरान ही अपना उद्यम शुरू कर दिया और 19 प्रतिशत छात्राओं ने पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद खुद का उद्यम लगाने की इच्छा जताई है।
आईसीड के सीईओ व संस्थापक संजीव शिवेश ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने वाली छात्राओं में खुद का उद्यम लगाने की लगन ज्यादा देखने को मिली है। लड़कियों की पढ़ाई में निवेश का प्रतिफल सामने आने लगा है।
उन्होंने कहा कि इस अध्ययन से हमें अपना इनक्यूबेशन कार्यक्रम डिजाइन करने में मदद मिली है। हम चाहते हैं कि लड़कियां भी अपने सपने को साकार करें। यही वजह है कि हमने एक तिहाई फंडिंग महिलाओं के लिए आरक्षित कर रखी है।
उद्यमशीलता में एक वर्ष का पूर्णकालिक पीजी स्तर के अध्ययन की पेशकश करने वाले आईसीड ने शुरुआती स्तर की कंपनियों में 2 करोड़ रुपये का निवेश करने हेतु एक कोष बनाया है। संस्थान का इनक्यूबेशन कार्यक्रम महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने पर विशेष जोर दे रहा है।
इंटरनेशनल स्कूल आफ आंत्रप्रन्योरशिप एजुकेशन एंड डेवलपमेंट (आईसीड) की रिपोर्ट के मुताबिक, अमृतसर, लुधियाना, कानपुर, इंदौर, रायपुर, त्रिची, सूरत, कोयंबटूर जैसे शहरों में छात्राओं ने पढ़ाई पूरी कर नौकरी करने के बजाय खुद का उद्यम शुरू करने की इच्छा जताई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल 10 प्रतिशत छात्राओं की उद्यमशीलता संसाधनों तक पहुंच है, जबकि 20 प्रतिशत छात्रों की ऐसे संसाधनों तक पहुंच है। इसी तरह, 5 प्रतिशत छात्राओं ने पढ़ाई के दौरान ही अपना उद्यम शुरू कर दिया और 19 प्रतिशत छात्राओं ने पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद खुद का उद्यम लगाने की इच्छा जताई है।
आईसीड के सीईओ व संस्थापक संजीव शिवेश ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने वाली छात्राओं में खुद का उद्यम लगाने की लगन ज्यादा देखने को मिली है। लड़कियों की पढ़ाई में निवेश का प्रतिफल सामने आने लगा है।
उन्होंने कहा कि इस अध्ययन से हमें अपना इनक्यूबेशन कार्यक्रम डिजाइन करने में मदद मिली है। हम चाहते हैं कि लड़कियां भी अपने सपने को साकार करें। यही वजह है कि हमने एक तिहाई फंडिंग महिलाओं के लिए आरक्षित कर रखी है।
उद्यमशीलता में एक वर्ष का पूर्णकालिक पीजी स्तर के अध्ययन की पेशकश करने वाले आईसीड ने शुरुआती स्तर की कंपनियों में 2 करोड़ रुपये का निवेश करने हेतु एक कोष बनाया है। संस्थान का इनक्यूबेशन कार्यक्रम महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने पर विशेष जोर दे रहा है।
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