अगर माता-पिता को सिगरेट पीने की लत है तो ये लत बच्चों को भी लग जाएगी.
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ए शोध में दावा किया गया है कि सिगरेट की लत वाले माता-पिता के बच्चों में ना सिर्फ धूम्रपान की आदत विकसित होती है, बल्कि अपनी युवा अवस्था में वह बहुत ज्यादा सिगरेट पीने लगते हैं.
जॉर्जटाउन लोम्बार्डी कॉप्रिहेन्सिव कैंसर सेन्टर के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में पहली बार माता-पिता की धूम्रपान की आदत का उनके शिशुओं पर पड़ने वाले असर और इस आदत के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचने की आशंकाओं पर काम किया गया है.
अध्ययन के मुख्य जांचकर्ता और जॉर्जटाउन लोम्बार्डी में ओंकोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डैरेन मायस का कहना है, 'यदि माता-पिता दोनों या उनमें से कोई एक भी सिगरेट पर बहुत ज्यादा निर्भर है तो उनके बच्चे को धूम्रपान से दूर रखना मुश्किल होता है.' मायस ने कहा, 'धूम्रपान करने वाले माता-पिता के लिए यह जानना भी आवश्यक है कि उनके बच्चे इस आदत की नकल कर सकते हैं, खास तौर पर तब जब अभिभावक निकोटिन पर निर्भर हों.'
इस अध्ययन के लिए 400 से ज्यादा माता-पिता और उनके 12-17 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों का साक्षात्कार किया गया. बच्चों का पांच साल बाद दोबारा साक्षात्कार किया गया. इस अध्ययन के परिणाम ‘पेड्रियाट्रिक्स’ पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं.
ए शोध में दावा किया गया है कि सिगरेट की लत वाले माता-पिता के बच्चों में ना सिर्फ धूम्रपान की आदत विकसित होती है, बल्कि अपनी युवा अवस्था में वह बहुत ज्यादा सिगरेट पीने लगते हैं.
जॉर्जटाउन लोम्बार्डी कॉप्रिहेन्सिव कैंसर सेन्टर के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में पहली बार माता-पिता की धूम्रपान की आदत का उनके शिशुओं पर पड़ने वाले असर और इस आदत के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचने की आशंकाओं पर काम किया गया है.
अध्ययन के मुख्य जांचकर्ता और जॉर्जटाउन लोम्बार्डी में ओंकोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डैरेन मायस का कहना है, 'यदि माता-पिता दोनों या उनमें से कोई एक भी सिगरेट पर बहुत ज्यादा निर्भर है तो उनके बच्चे को धूम्रपान से दूर रखना मुश्किल होता है.' मायस ने कहा, 'धूम्रपान करने वाले माता-पिता के लिए यह जानना भी आवश्यक है कि उनके बच्चे इस आदत की नकल कर सकते हैं, खास तौर पर तब जब अभिभावक निकोटिन पर निर्भर हों.'
इस अध्ययन के लिए 400 से ज्यादा माता-पिता और उनके 12-17 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों का साक्षात्कार किया गया. बच्चों का पांच साल बाद दोबारा साक्षात्कार किया गया. इस अध्ययन के परिणाम ‘पेड्रियाट्रिक्स’ पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं.
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