जब योद्धा की बात हो तो दिमाग में एक छबि भारी-भरकम अस्त्र-शस्त्रों से युद्ध के लिये तैयार वीर पुरुष की बनती है। किंतु जब कोई शस्त्र नहीं बल्कि शास्त्रों में बताई 2 बातों की शक्ति से ही बड़ी फौज को झुकने पर विवश कर दे तो यह किसी विलक्षण या महान आत्मा के लिए ही संभव हो सकता है। जी हां, इस बात के जरिए यहां आज भी करोड़ों दिलों में बसने वाले उस महात्मा का ही स्मरण किया जा रहा है, जिनको सारी दुनिया बापू यानी महात्मा गांधी के रूप में जानती है।
साबरमती के संत के रूप में मशहूर महात्मा गांधी द्वारा जीवन में अपनाई मात्र 2 बातों के आगे सारी दुनिया आज भी नतमस्तक होती है। जिनको आचरण में उतारना धर्मशास्त्रों में भी जीवन की सफलता के लिये अहम माना है। यहीं नहीं हर तरह की अशांति हो या भय का अंत ये 2 बातें आसानी से कर देती हैं।
ये 2 बातें हैं - सत्य और अहिंसा। हालांकि शास्त्रों में इनसे जुड़ी अनेक सीखें दी गई हैं, किंतु अपनाकर सार्थक करना किसी महात्मा के वश में ही है, जिसे गांधीजी ने कर दिखाया। आधुनिक पीढ़ी इसे गांधीगिरी के नाम से जीवन में अपनाने की कोशिशें कर रही हैं।
बहरहाल, जानते हैं बापू की ये 2 बातें कैसे जीवन में शांति और सफलता लाती है -
- सत्य बोलने वाला वास्तविक रूप से सफल होता है। क्योंकि वचन, कर्म, व्यवहार और विचार से सच्चा इंसान हमेशा सरल, शांत और आत्मविश्वास से भरा व प्रेरणादायी होता है।
- इसी तरह अहिंसा का भाव कलह या मानसिक दोषों से दूर और निर्भय रखता है, जिससे बेचैनी और व्यर्थ की उलझनों से बचकर मन लक्ष्य के प्रति स्थिर और एकाग्र रहता है।
- सत्य का प्रभाव परिवार, समाज और कार्यक्षेत्र में छबि विश्वसनीय बनाता है। साफ-सुथरा व्यक्तित्व व छबि होना मान-सम्मान और कद ही नहीं बढ़ाता बल्कि लोगों को आपसे जोड़ता है।
- वहीं अहिंसा में प्रतिशोध की भावना का अभाव होता है, जो व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के साथ पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर प्रेम, विश्वास और मेलजोल बढ़ाता है।
गांधी के सपनों का भारत बनाने की सार्थकता तभी संभव होगी, जब मात्र इन 2 बातों को ही हर इंसान खुद से शुरुआत कर नैतिकता के साथ कर्म, वचन, आचरण और व्यवहार में उतारने का दृढ संकल्प कर लें। न कि मात्र खास अवसरों पर लोगों की भीड़ के साथ बापू की बातों को याद कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान ले।
साबरमती के संत के रूप में मशहूर महात्मा गांधी द्वारा जीवन में अपनाई मात्र 2 बातों के आगे सारी दुनिया आज भी नतमस्तक होती है। जिनको आचरण में उतारना धर्मशास्त्रों में भी जीवन की सफलता के लिये अहम माना है। यहीं नहीं हर तरह की अशांति हो या भय का अंत ये 2 बातें आसानी से कर देती हैं।
ये 2 बातें हैं - सत्य और अहिंसा। हालांकि शास्त्रों में इनसे जुड़ी अनेक सीखें दी गई हैं, किंतु अपनाकर सार्थक करना किसी महात्मा के वश में ही है, जिसे गांधीजी ने कर दिखाया। आधुनिक पीढ़ी इसे गांधीगिरी के नाम से जीवन में अपनाने की कोशिशें कर रही हैं।
बहरहाल, जानते हैं बापू की ये 2 बातें कैसे जीवन में शांति और सफलता लाती है -
- सत्य बोलने वाला वास्तविक रूप से सफल होता है। क्योंकि वचन, कर्म, व्यवहार और विचार से सच्चा इंसान हमेशा सरल, शांत और आत्मविश्वास से भरा व प्रेरणादायी होता है।
- इसी तरह अहिंसा का भाव कलह या मानसिक दोषों से दूर और निर्भय रखता है, जिससे बेचैनी और व्यर्थ की उलझनों से बचकर मन लक्ष्य के प्रति स्थिर और एकाग्र रहता है।
- सत्य का प्रभाव परिवार, समाज और कार्यक्षेत्र में छबि विश्वसनीय बनाता है। साफ-सुथरा व्यक्तित्व व छबि होना मान-सम्मान और कद ही नहीं बढ़ाता बल्कि लोगों को आपसे जोड़ता है।
- वहीं अहिंसा में प्रतिशोध की भावना का अभाव होता है, जो व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के साथ पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर प्रेम, विश्वास और मेलजोल बढ़ाता है।
गांधी के सपनों का भारत बनाने की सार्थकता तभी संभव होगी, जब मात्र इन 2 बातों को ही हर इंसान खुद से शुरुआत कर नैतिकता के साथ कर्म, वचन, आचरण और व्यवहार में उतारने का दृढ संकल्प कर लें। न कि मात्र खास अवसरों पर लोगों की भीड़ के साथ बापू की बातों को याद कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान ले।
No comments:
Post a Comment