केले के छिलके से होगा पानी शुद्ध
केले के छिलके में पाए जाने वाले कुछ कंपाउंड प्रदूषित पानी को साफ करने में सक्षम हैं। यह न सिर्फ सबसे सस्ता वॉटर प्यूरीफायर है, बल्कि इसे कई बार इस्तेमाल में भी लाया जा सकता है।
चांदी के बर्तन व इससे बने अन्य सजावटी सामान समेत चमड़े के जूतों को चमकाने के काम आने वाला केले का छिलका अब वॉटर प्यूरीफायर का भी काम करेगा। वह भी खनन प्रक्रिया, औद्योगिक उत्पादन से प्रदूषित पानी को साफ करेगा। इस तकनीक को कहीं भी इस्तेमाल में ला सकते हैं।
कैसे करता है पानी साफ
केले के छिलके में नाइट्रोजन, सल्फर और काबरेक्स्लिक एसिड जैसे ऑर्गेनिक कंपाउंड पाए जाते हैं, जिनमें ऋणात्मक आवेशित (निगेटिव चाज्र्ड) इलेक्ट्रॉन होते हैं। ये पानी में सामान्यत: पाई जाने वाली लेड और कॉपर जैसी धातुओं को अपनी तरफ खींचने का काम करते हैं। इसकी वजह यह है कि लेड, कॉपर या इन जैसी अन्य धातुओं में धनात्मक आवेशित (पॉजिटिव चाज्र्ड) इलेक्ट्रॉन होते हैं। इस तरह छिलका प्रदूषित पानी में से जहरीली धातुओं को अलग करने का काम करता है।
सिंथेटिक मटेरियल से बेहतर
केले के छिलके के इस गुण को खोजने वाले ब्राजील के शोधार्थियों गुस्ताव कास्त्रो और उनकी टीम ने यह भी पाया है कि यह पानी साफ करने के काम आने वाले अन्य सिंथेटिक मटेरियल से भी बेहतर है। केले के छिलके से लगभग 11 बार प्रदूषित पानी को साफ किया जा सकता है।
है प्रभावी तकनीक
खानों, औद्योगिक उत्पादन और अन्य कारणों से प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए इस्तेमाल में लाई जा रही विद्यमान तकनीक न सिर्फ महंगी है, बल्कि उन्हें पूरी तरह से कारगर भी नहीं करार दिया जाता है। इसकी एक बड़ी वजह यही है कि पानी को शुद्ध करने में इस्तेमाल में लाए जाने वाले ऐसे सिंथेटिक मटेरियल खुद में कई तरह के जहरीले तत्व समेटे होते हैं। इस तरह पानी इन तत्वों के रह जाने के कारण पूरी तरह से साफ नहीं हो पाता।
आगे क्या
शोधार्थियों का इरादा अब इस तकनीक को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में लाने का है। साथ ही केले के छिलके के साथ कुछ और मटेरियल मिलाने का है। इसकी वजह यह है कि भले ही केले के छिलके से लेड और कॉपर जैसी धातुओं को अलग करने में सफलता मिल गई हो, लेकिन बावजूद इसके कुछ अन्य जहरीले तत्व पानी में रह गए। इसे देखते हुए अब ऐसे मटेरियल भी इस्तेमाल में लाए जाएंगे, जो इन्हें भी साफ कर सके। यही वजह है कि गुस्ताव ने लोगों से केले के छिलके से घर पर पानी को शुद्ध न करने की गुजारिश की है। खासकर जब तक पानी को पूरी तरह से शुद्ध बनाने वाले मटेरियल की पहचान न कर ली जाए।
अन्य तकनीक से बनेगी बिजली
इधर एक अन्य तकनीक के जरिए कोयला और धातु की खदानों के प्रदूषित पानी से निकले जहरीले पदार्थो से बिजली बनाने की भी तैयारी चल रही है। पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के एन्वायरमेंटल इंजीनियर्स ने एक डिवाइस बनाया है, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह प्रदूषण से निजात दिलाते हुए बिजली का उत्पादन करने में भी मददगार बनेगा।
सफल रहा प्रयोग
इस तकनीक पर किया गया शुरुआती प्रयोग सफल रहा है। फ्यूल सेल प्रोटोटाइप डिवाइस को जब आयरन से प्रदूषित पानी में रखा गया है, तो उसने पानी में मिले आयरन के इलेक्ट्रॉन अलग कर लिए। साथ ही इस प्रक्रिया में बिजली भी बनाई।
आयरन का होगा इस्तेमाल
बिजली बनाने के अलावा डिवाइस से अलग हुए आयरन का इस्तेमाल पेंट और अन्य उत्पादों में भी किया जाएगा। इस तरह एक तीर से कई निशाने साधने की योजना है।
सुधार है बाकी
इस डिवाइस द्वारा बनाई गई बिजली की मात्रा बहुत थोड़ी है। प्रदूषित पानी को साफ करने के अलावा बड़े पैमाने पर विद्युत उत्पादन के लिए डिवाइस का आकार भी बड़ा करना होगा।
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