Sunday, 2 October 2011

आज इस सरल देवी मंत्र का ध्यान..इरादों में जान फूंक तय करेगा सफलता

मन की शक्ति भी जीवन में किसी भी लक्ष्य को भेदने में कारगर और अहम होती है। इंसानी जीवन की बात करें तो खासतौर पर रिश्तों और संबंधों में विश्वास, भावना और संवेदना की मौजूदगी मनोबल को बढ़ाने वाली होती है। इतना ही नहीं यह विपरीत हालातों में भी कर्म और सफलता के इरादों में जान फूंकती है।

हिन्दू धर्म में शक्ति के इस स्वरूप की महिमा शक्ति पूजा में भी दिखाई देती है। जब नवरात्रि के शक्ति जागरण के विशेष काल में पांचवे दिन दुर्गा की पांचवी शक्ति स्कन्दमाता की पूजा की जाती है।

शास्त्रों के मुताबिक स्कन्दमाता आदिशक्ति का ममतामयी रूप है। गोद में स्कन्द यानी कार्तिकेय स्वामी को लेकर विराजित माता का यह स्वरूप जीवन में प्रेम, स्नेह, संवेदना को बनाए रखने की ही प्रेरणा देता है। यही प्रेरणा शारीरिक, मानसिक और वैचारिक शक्ति के संतुलन में अहम होती है़, जो जीवन में सुख लाकर मन में शांति और प्रेम कायम रखती है।

इस तरह प्रेम, स्नेह व मन की ताकत से सफलता की राह तय करने के लिए शास्त्रों में स्कन्दमाता की पूजा के लिए विशेष मंत्र स्त्रोत और सरल पूजा विधि बताई गई है, जानते हैं यह विधान -

- नवदुर्गा के अन्य स्वरूपों की भांति ही स्कन्दमाता की तस्वीर या मूर्ति की भी पंचोपचार पूजा यानी लाल गंध, अक्षत, फूल, वस्त्र व खासतौर पर केले का प्रसाद चढ़ाएं। पश्चात् स्कन्दमाता के नीचे लिखे विशेष मंत्रों का हाथ में फूल व अक्षत लेकर स्मरण या जप कर धूप व दीप आरती करें -

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


- माता को केले का विशेष प्रसाद जो मानसिक शक्ति बढ़ाने वाला भी माना गया है, आरती के बाद जरूर ग्रहण करें।

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