Tuesday, 4 October 2011

चार लाइन ऐसी जिन्हें बोलने से सब करने लगेंगे आपकी तारीफ

यश, मान-सम्मान या इज्जत के बिना सुखी जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यश या तारीफ के लिए आपका कार्य काफी अधिक महत्व रखता है। यदि कोई व्यक्ति काफी परिश्रम के बाद भी सम्मान प्राप्त नहीं कर पाता है तो उसे हनुमानजी का ध्यान करना चाहिए।अष्टांग योग में बताए गए महत्वपूर्ण चरण ध्यान से जहां हमें स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है वहीं हनुमानजी के स्मरण से धर्म लाभ प्राप्त होता है। शांत एवं स्वच्छ वातावरण वाले स्थान पर किसी भी आसन में बैठ जाएं और प्राणायाम की क्रिया शुरू करें। प्राणायाम यानि सांस का लेना और छोडऩा। सांस लेने की क्रिया सामान्य रखें। मन शांत करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
यदि आप यश, मान-सम्मान प्राप्त करना चाहते हैं तो हनुमान चालीसा की निम्न पंक्तियों का जप करें-

लाय संजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाय।।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

इन पंक्तियों का अर्थ है कि पवनपुत्र श्री हनुमानजी श्रीराम के भाई लक्ष्मण के लिए संजीवनी बुटी लेकर आए और उनका जीवन बचाया। हनुमानजी के इस उपकार से श्रीराम अति प्रसन्न हुए और उनका गुणगान किया। श्रीराम ने हनुमानजी की तुलना उनके सबसे प्रिय भाई भरत से की है।जिस प्रकार श्रीराम ने हनुमानजी का गुणगान किया है वैसा ही गुणगान या यश-सम्मान बजरंग बली अपने भक्तों को भी प्रदान करते हैं। इन पंक्तियों से जप से हनुमान अति प्रसन्न होते हैं भक्तों के दुख-दर्द, परेशानियों को दूर करते हैं।

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