नासा के अनुसार मून मिनरलॉजी मैपर उपकरण की मदद से हासिल डाटा का इस्तेमाल करके चंद्रमा की सतह में पानी की मौजूदगी का पता लगाया गया। एम3 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-1 के साथ भेजा गया था। जॉन होपकिंग्स यूनिवर्सिटी अप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी से जुड़ी वैज्ञानिक रचेल क्लीमा ने कहा कि चंद्रमा से निकाली गई चटटान सामान्य रूप से सतह के नीचे होती हैं और इसके प्रभाव से ही बुलियाल्डस क्षेत्र का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि हमने पाया कि इस क्षेत्र में अच्छी खासी मात्रा में हाइड्राक्सिल है जिसमें ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के परमाणु हैं। यह इस बात का सबूत है कि इस गडढे में मौजूद चट्टान के साथ पानी भी है।
Thursday, 29 August 2013
चंद्रमा पर पानी: भारत के चंद्रयान ने की नासा की मदद
नासा के अनुसार मून मिनरलॉजी मैपर उपकरण की मदद से हासिल डाटा का इस्तेमाल करके चंद्रमा की सतह में पानी की मौजूदगी का पता लगाया गया। एम3 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्रयान-1 के साथ भेजा गया था। जॉन होपकिंग्स यूनिवर्सिटी अप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी से जुड़ी वैज्ञानिक रचेल क्लीमा ने कहा कि चंद्रमा से निकाली गई चटटान सामान्य रूप से सतह के नीचे होती हैं और इसके प्रभाव से ही बुलियाल्डस क्षेत्र का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि हमने पाया कि इस क्षेत्र में अच्छी खासी मात्रा में हाइड्राक्सिल है जिसमें ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के परमाणु हैं। यह इस बात का सबूत है कि इस गडढे में मौजूद चट्टान के साथ पानी भी है।
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