Wednesday, 21 August 2013

फेसबुक, ट्विटर से बढ़ रहे हैं मानसिक रोगी

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नई दिल्ली, एजेंसीवर्चुअल फ्रेंडशिप एवं संवाद का माध्यम बनने वाली फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स लोगों को तेजी से मानसिक रोगी बना रही हैं। हाल के विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि सोशल नेटवर्किंग साइटों का बहुत अधिक इस्तेमाल डिप्रेशन, एंग्जाइटी, मानसिक तनाव, ओसीडी जैसी मानसिक समस्यायें पैदा कर रहा है और कई बार इनकी परिणति खुदकुशी के रूप में भी हो सकती है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि सोशल नेटवर्किंग साइटों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण मानसिक समस्यायें पैदा होने के मामले भारत में भी बढ़ रहे हैं और ये साइटें देश में मानसिक रोगियों की संख्या में इजाफा के एक प्रमुख कारण हो सकते हैं। विभिन्न अनुमानों के अनुसार देश में मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों की संख्या पांच करोड़ तक पहुंच चुकी है। प्रसिद्ध मनोचिकित्सक एवं दिल्ली साइकिएट्रिक सेंटर के निदेशक डॉ. सुनील मित्तल कहते हैं उनके पास ऐसे युवकों एवं बच्चों के इलाज के लिये आने वालों की तादाद बढ़ रही है जो देर रात तक इंटरनेट सर्फिंग एवं चैटिंग करने के कारण अनिद्रा, स्मरण क्षमता में कमी, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो चुके हैं। सीआईएमबीएस के बाल एवं किशोर मानसिक सेवा विभाग के प्रमुख डॉ. समीर कलानी ने बताया कि देर रात तक जागकर इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करने की लत के कारण बच्चों एवं युवा डिप्रेशन, अनिद्रा, याददाशत में कमी, चिड़चिड़ापन एवं अन्य मानसिक बीमारियों के शिकार बन रहे हैं। यह पाया गया है कि महानगरों एवं बड़े शहरों में बड़ी संख्या में युवा नींद संबंधी समस्याओं के शिकार हैं। सीआईएमबीएस की क्लिनीकल साइकोलॉजिस्ट संस्कृति सिंह बताती हैं कि फेसबुक पर व्यक्ति जब तक रहता है तो उसका कई लोगों के साथ वर्चुअल रिलेशनशिप बनता है, लेकिन फेसबुक की दुनिया से बाहर आते ही व्यक्ति अकेलेपन के शिकार हो जाते हैं। फेसबुक के कारण वास्तविक संबंध भी प्रभावित होते हैं जिससे वास्तविक जिंदगी में समस्यायें आती हैं। ये समस्यायें व्यक्ति को मानसिक तनाव और अन्य मानसिक बीमारियों से ग्रस्त कर सकती हैं। इस समय दुनिया भर में फेसबुक के 90 करोड़ और टि्वटर के 50 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं और इनकी संख्या में हर घांटे तेजी से वृद्धि हो रही है। बच्चों, किशेर एवं युवा स्मार्टफोन, लैपटॉप एवं डेस्कटॉप के जरिये फेसबुक या अन्य सोशल नेटवकिंग साइटों पर चौंटिग करने अथवा तस्वीरों एवं संदेशों का आदान-प्रदान करने में अधिक समय बिताते हैं।

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