गिरफ्तार आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसके
मन में लश्कर-ए-तय्यबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी के प्रति नाराजगी है
क्योंकि संगठन को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका
निभाने के
बावजूद उसने संगठन में शीर्ष स्थान पर पहुंचने की उसकी संभावनाओं
को विफल कर दिया। संगठन पहले कश्मीर तक सीमित था।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी जो 70 वर्षीय बम विशेषज्ञ से पूछताछ कर रहे हैं उन्होंने बताया कि टुंडा ने लश्कर-ए-तय्यबा में हाशिए पर रखे जाने के लिए लखवी को जिम्मेदार ठहराया। लश्कर-ए-तय्यबा ने भारत में कई आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया है। अधिकारियों ने बताया, उसने कहा कि लखवी ने इस बात को सुनिश्चित किया कि टुंडा संगठन में हाशिए पर रहे। लखवी ने उसे संगठन के निर्णय करने वाले निकाय में आने नहीं दिया। लखवी 26 नवंबर के मुंबई हमले का मुख्य षड्यंत्रकारी है। टुंडा से पूछताछ करने में शामिल अधिकारियों ने बताया, टुंडा का दावा है कि वह 1991 में लश्कर-ए-तय्यबा के संपर्क में आया और तब से उसने कश्मीर के बाहर आतंकवादी संगठन को तैयार करने और खड़ा करने में अथक प्रयास किया। यह उसके भारत छोड़ने और पाकिस्तान जाने के बावजूद जारी रहा। उन्होंने कहा कि टुंडा ने यह भी दावा किया कि उसे वित्तीय मुद्दों पर लखवी के साथ झगड़े के बाद लश्कर-ए-तय्यबा के शीर्ष नेतृत्व ने 26 नवंबर के हमले से पहले दरकिनार कर दिया। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि लश्कर-ए-तय्यबा के अखिल भारतीय अभियान के मुख्य संस्थापकों में से एक होने के बावजूद टुंडा को अभियान से दूर रखा गया। अबु जंदल समेत लश्कर-ए-तय्यबा के कुछ युवा आतंकवादियों को टुंडा की जगह तरजीह दी गई। अधिकारियों के अनुसार टुंडा ने दावा किया कि उसे जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद ने सिर्फ मुंबई हमला होने के बारे में सूचित किया था। सईद ने उसे निर्देश दिया था कि वह सिर्फ भारत में जाली भारतीय मुद्रा के कारोबार पर ध्यान केंद्रित करे। टुंडा को 19 साल तक देश से फरार रहने के बाद गत 16 अगस्त को भारत-नेपाल सीमा के पास से गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से अब्दुल कुद्दूस के नाम का पाकिस्तानी पासपोर्ट भी बरामद किया गया था।
दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी जो 70 वर्षीय बम विशेषज्ञ से पूछताछ कर रहे हैं उन्होंने बताया कि टुंडा ने लश्कर-ए-तय्यबा में हाशिए पर रखे जाने के लिए लखवी को जिम्मेदार ठहराया। लश्कर-ए-तय्यबा ने भारत में कई आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया है। अधिकारियों ने बताया, उसने कहा कि लखवी ने इस बात को सुनिश्चित किया कि टुंडा संगठन में हाशिए पर रहे। लखवी ने उसे संगठन के निर्णय करने वाले निकाय में आने नहीं दिया। लखवी 26 नवंबर के मुंबई हमले का मुख्य षड्यंत्रकारी है। टुंडा से पूछताछ करने में शामिल अधिकारियों ने बताया, टुंडा का दावा है कि वह 1991 में लश्कर-ए-तय्यबा के संपर्क में आया और तब से उसने कश्मीर के बाहर आतंकवादी संगठन को तैयार करने और खड़ा करने में अथक प्रयास किया। यह उसके भारत छोड़ने और पाकिस्तान जाने के बावजूद जारी रहा। उन्होंने कहा कि टुंडा ने यह भी दावा किया कि उसे वित्तीय मुद्दों पर लखवी के साथ झगड़े के बाद लश्कर-ए-तय्यबा के शीर्ष नेतृत्व ने 26 नवंबर के हमले से पहले दरकिनार कर दिया। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि लश्कर-ए-तय्यबा के अखिल भारतीय अभियान के मुख्य संस्थापकों में से एक होने के बावजूद टुंडा को अभियान से दूर रखा गया। अबु जंदल समेत लश्कर-ए-तय्यबा के कुछ युवा आतंकवादियों को टुंडा की जगह तरजीह दी गई। अधिकारियों के अनुसार टुंडा ने दावा किया कि उसे जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद ने सिर्फ मुंबई हमला होने के बारे में सूचित किया था। सईद ने उसे निर्देश दिया था कि वह सिर्फ भारत में जाली भारतीय मुद्रा के कारोबार पर ध्यान केंद्रित करे। टुंडा को 19 साल तक देश से फरार रहने के बाद गत 16 अगस्त को भारत-नेपाल सीमा के पास से गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से अब्दुल कुद्दूस के नाम का पाकिस्तानी पासपोर्ट भी बरामद किया गया था।
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