बॉलिवुड ऐक्टर अजय देवगन |
अजय देवगन राजनीति से जुड़ी फिल्में तो बहुत करते हैं, लेकिन असल में उन्हें राजनीति की एबीसीडी भी नहीं पता। इन दिनों कॉमिडी और ऐक्शन फिल्मों में अपना जलवा दिखाने वाले अजय अपनी आने वाली फिल्म 'सत्याग्रह' में एक इमोशनल किरदार में नजर आएंगे। उनसे एक खास बातचीत:
आप मल्टिस्टारर फिल्म क्यों करते हैं, जबकि फिल्म आप अकेले अपने कंधों पर खींच सकते हैं?
मेरे लिए किरदार बहुत अहम होता है। फिल्म में कितने भी स्टार हों, यह मेरे लिए महत्व नहीं रखता। मेरे लिए सिर्फ मेरा किरदार ही महत्व रखता है। किसी भी फिल्म का मकसद है, लोगों को एंटरटेन करना। एंटरटेनमेंट का मतलब सिर्फ कॉमिडी नहीं होता। गंगाजल और अपहरण जैसी फिल्में भी लोगों को पसंद आईं। एंटरटेनमेंट के साथ फिल्म अगर कोई संदेश भी दे, तो इससे अच्छा काम और क्या होगा। मैं यह भी कहूंगा कि फिल्म का कमर्शल अस्पेक्ट भी होना जरूरी है।
तो यूथ को कैसा मैसेज देना चाहते हैं आप?
मैं
ग्रीड में यकीन करता हूं। प्रोग्रेस के लिए यह जरूरी है, वरना कोई मेहनत
क्यों करेगा? यूथ का गुस्सा जायज है लेकिन उन्हें इसे चैनलाइज करना होगा।
जब देश का यूथ ही अंधेरे में है, तो फ्यूचर अच्छा कैसे हो सकता है। देखा
जाए, तो आज का यूथ ज्यादा ऐक्टिव है और अपनी जिम्मेदारी समझता है। बीस साल
पहले कहां होते थे ऐसे कैंडल मार्च। वहीं, रेप केस में और सख्त लॉ भी उनके
गुस्से की वजह से ही बन पाएंगे। पहले जो आंदोलन होते थे, वे डर के हुआ करते
थे। लेकिन अब यूथ को दुनिया भर के मौके मिलते हैं। अगर वह गरीब भी है तो
मां-बाप उसे पढ़ा रहे हैं और वह प्राइवेट फर्म में ठीक-ठाक तनख्वाह पा रहा
है। आज का यूथ सरकार को अपना माई बाप नहीं समझता। वह सवाल करता है कि हम
टैक्स दे रहे हैं, तो बदले में हमें क्या मिल रहा है? उसे और डिमांडिंग
होना चाहिए।
क्या आप भी अपनी स्टूडेंट लाइफ में कभी किसी मूवमेंट में शामिल हुए हैं?
हमारे टाइम में कोई मूवमेंट होता ही नहीं था। हां, जब पैरंट्स कुछ करने से रोकते थे, तो उस चीज का विरोध जरूर करता था।
आपने कहा, लोभ अच्छी चीज है। ऐसा क्या है जिसका लालच आपको है?
एक इंसान का लालच कभी कम नहीं होती। वह जहां है, उससे आगे बढ़ना चाहता है। मैं तो अस्सी साल का होने के बाद भी काम करना चाहता हूं। यही मेरा लालच है।
आप पॉलिटिक्स और सोसायटी से जुड़ी कई फिल्में कर चुके हैं। क्या राजनीति में आएंगे?
मुझे पॉलिटिक्स नहीं आती। यह इतना आसान हो, तो हर तीसरा आदमी राजनीति के अखाड़े में खड़ा हो जाता। गुस्सा सबके भीतर है। अमीर दुखी है कि रुपया गिर रहा है और गरीब दुखी है कि प्याज बढ़ रहा है। बोलना आसान है, लेकिन गलती हमारी ही है। हम ही किसी एक पार्टी को नहीं चुनते। गठबंधन सरकारें आती हैं, तो पार्लियामेंट में कोई फैसला ही नहीं हो पाता। आपस में ही विरोध रहता है। यही वजह है कि हम किसी एक पार्टी को ब्लेम भी नहीं कर सकते।
कौन-सी चीजें हैं देश में जो आपको पसंद नहीं?
अगर कल्चर को छोड़ दें, तो कौन-सी ऐसी चीज है जो आपको पसंद है? जब हम देश के बारे में बात करते हैं, तो क्या हमें दिल से अच्छा लगता है? देश छोड़िए, आपके मोहल्ले की कोई ऐसी चीज बता दो जो आपको पसंद हो। ...लेकिन बदलाव रातों-रात नहीं होते। नई सरकार आएगी, तो भी चीजें सुधारने में उसे दो टर्म, यानी दस साल तक काम करना होगा। ओबामा को भी अमेरिका की अर्थव्यवस्था में स्टेबिलिटी लाने में इतना वक्त लगा है। लेकिन शुरुआत तो हो। वही नहीं हो पा रही है।
आप समय के साथ कितने मच्योर हुए हैं?
जब आपकी उम्र कम होती है, तो आप ज्यादा वॉयलेंट होते हैं लेकिन टाइम के साथ-साथ मच्योरिटी आ जाती है। इस जर्नी में फैमिली का भी बड़ा हाथ होता है। काजोल और बच्चों की वजह से मेरी लाइफ में ठहराव आया है।
आपके साथ बिग हिट देने वाले रोहित शेट्टी ने शाहरुख के साथ फिल्म की। जिनसे आपके रिश्ते ठीक नहीं बताए जाते?
ऐसा कुछ नहीं है। 'चेन्नै एक्सप्रेस' करने से पहले रोहित ने मुझे कॉल किया था और इसके बारे में बताया था। मैंने उससे कहा कि अगर तुम्हे ठीक लग रहा है, तो करो। मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
आपकी अगली फिल्म डांस किंग प्रभुदेवा के साथ है, तो डांस सीख रहे हैं?
सीखने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन इतना टाइम नहीं दे पाता। थोड़ा वजन भी बढ़ गया था, तो वह भी कम कर रहा हूं। एक महीने से जिम में पसीना बहा रहा हूं।
क्या आप भी अपनी स्टूडेंट लाइफ में कभी किसी मूवमेंट में शामिल हुए हैं?
हमारे टाइम में कोई मूवमेंट होता ही नहीं था। हां, जब पैरंट्स कुछ करने से रोकते थे, तो उस चीज का विरोध जरूर करता था।
आपने कहा, लोभ अच्छी चीज है। ऐसा क्या है जिसका लालच आपको है?
एक इंसान का लालच कभी कम नहीं होती। वह जहां है, उससे आगे बढ़ना चाहता है। मैं तो अस्सी साल का होने के बाद भी काम करना चाहता हूं। यही मेरा लालच है।
आप पॉलिटिक्स और सोसायटी से जुड़ी कई फिल्में कर चुके हैं। क्या राजनीति में आएंगे?
मुझे पॉलिटिक्स नहीं आती। यह इतना आसान हो, तो हर तीसरा आदमी राजनीति के अखाड़े में खड़ा हो जाता। गुस्सा सबके भीतर है। अमीर दुखी है कि रुपया गिर रहा है और गरीब दुखी है कि प्याज बढ़ रहा है। बोलना आसान है, लेकिन गलती हमारी ही है। हम ही किसी एक पार्टी को नहीं चुनते। गठबंधन सरकारें आती हैं, तो पार्लियामेंट में कोई फैसला ही नहीं हो पाता। आपस में ही विरोध रहता है। यही वजह है कि हम किसी एक पार्टी को ब्लेम भी नहीं कर सकते।
कौन-सी चीजें हैं देश में जो आपको पसंद नहीं?
अगर कल्चर को छोड़ दें, तो कौन-सी ऐसी चीज है जो आपको पसंद है? जब हम देश के बारे में बात करते हैं, तो क्या हमें दिल से अच्छा लगता है? देश छोड़िए, आपके मोहल्ले की कोई ऐसी चीज बता दो जो आपको पसंद हो। ...लेकिन बदलाव रातों-रात नहीं होते। नई सरकार आएगी, तो भी चीजें सुधारने में उसे दो टर्म, यानी दस साल तक काम करना होगा। ओबामा को भी अमेरिका की अर्थव्यवस्था में स्टेबिलिटी लाने में इतना वक्त लगा है। लेकिन शुरुआत तो हो। वही नहीं हो पा रही है।
आप समय के साथ कितने मच्योर हुए हैं?
जब आपकी उम्र कम होती है, तो आप ज्यादा वॉयलेंट होते हैं लेकिन टाइम के साथ-साथ मच्योरिटी आ जाती है। इस जर्नी में फैमिली का भी बड़ा हाथ होता है। काजोल और बच्चों की वजह से मेरी लाइफ में ठहराव आया है।
आपके साथ बिग हिट देने वाले रोहित शेट्टी ने शाहरुख के साथ फिल्म की। जिनसे आपके रिश्ते ठीक नहीं बताए जाते?
ऐसा कुछ नहीं है। 'चेन्नै एक्सप्रेस' करने से पहले रोहित ने मुझे कॉल किया था और इसके बारे में बताया था। मैंने उससे कहा कि अगर तुम्हे ठीक लग रहा है, तो करो। मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
आपकी अगली फिल्म डांस किंग प्रभुदेवा के साथ है, तो डांस सीख रहे हैं?
सीखने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन इतना टाइम नहीं दे पाता। थोड़ा वजन भी बढ़ गया था, तो वह भी कम कर रहा हूं। एक महीने से जिम में पसीना बहा रहा हूं।
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