वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने आज स्पष्ट किया कि देश के सामने मौजूद आर्थिक
संकट के मद्देनजर उन्होंने देश का स्वर्ण भंडार गिरवी रखने या उसकी नी
लामी
करने की वकालत नहीं की। शर्मा ने राज्यसभा में कहा कि उन्होंने कहा था कि
भारतीय रिजर्व बैंक को चालू खाते का घाटा कम करने के लिए सोने को बाजार में
लाने (मोनेटाइज करने) पर विचार करना चाहिए।
वाणिज्य मंत्री ने कहा मैंने यह नहीं कहा कि सोने को गिरवी रखना चाहिए या उसकी नीलामी करना चाहिए। मैंने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक को (स्वर्ण) बॉन्ड जारी करने के लाभों या भंडार को बाजार में लाने (मोनेटाइजिंग करने) पर विचार करना चाहिए।
शर्मा ने यह बात तब कही जब बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने संसद के बाहर दिए गए शर्मा के कथित बयान का मुद्दा उठाया। मिश्र ने कहा कि जब संसद का सत्र चल रहा है तो मंत्री सदन के बाहर बयान कैसे दे सकते हैं।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि आरबीआई को सोने को बाजार में लाना चाहिए। उन्होंने कहा मैंने यह नहीं कहा कि सोने की नीलामी होना चाहिए या उसे बेचना चाहिए। शर्मा ने मंगलवार को कथित तौर पर कहा था कि बैंकिंग सचिव, बैंकरों और आरबीआई को यह देखना चाहिए कि आप देश के घोषित 31,000 टन से अधिक सोने को किस तरह मोनेटाइज कर सकते हैं। अगर 500
वाणिज्य मंत्री ने कहा मैंने यह नहीं कहा कि सोने को गिरवी रखना चाहिए या उसकी नीलामी करना चाहिए। मैंने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक को (स्वर्ण) बॉन्ड जारी करने के लाभों या भंडार को बाजार में लाने (मोनेटाइजिंग करने) पर विचार करना चाहिए।
शर्मा ने यह बात तब कही जब बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने संसद के बाहर दिए गए शर्मा के कथित बयान का मुद्दा उठाया। मिश्र ने कहा कि जब संसद का सत्र चल रहा है तो मंत्री सदन के बाहर बयान कैसे दे सकते हैं।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि उन्होंने सिर्फ यह कहा था कि आरबीआई को सोने को बाजार में लाना चाहिए। उन्होंने कहा मैंने यह नहीं कहा कि सोने की नीलामी होना चाहिए या उसे बेचना चाहिए। शर्मा ने मंगलवार को कथित तौर पर कहा था कि बैंकिंग सचिव, बैंकरों और आरबीआई को यह देखना चाहिए कि आप देश के घोषित 31,000 टन से अधिक सोने को किस तरह मोनेटाइज कर सकते हैं। अगर 500
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