अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई आज एक दिन की यात्रा पर पाकिस्तान
पहुंचे। करजई दोनों देशों के उतार-चढ़ाव वाले रिश्तों तथा तालिबा
न नेता
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की रिहाई की मांग को लेकर यहां चर्चा करेंगे।
पाकिस्तान में नये सरकार के गठन के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह पहली उच्च स्तरीय वार्ता होगी। पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ऐजाज चौधरी ने कहा कि करजई की यात्रा से दोनों देशों के बीच सकारात्मक संपर्क की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।
तालिबान के साथ वार्ता को बढ़ावा देने के लिए जून में कतर की राजधानी दोहा में तालिबान का कार्यालय खोलने का अमेरिका और पाकिस्तान ने समर्थन किया था। साथ ही पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने एक बयान में कहा था कि अफगानिस्तान सरकार को स्थायी शांति के लिए तालिबान को कुछ प्रांत दे देने चाहिए। इन दोनों घटनाक्रमों से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के संबंधों में गतिरोध आ गया था।
अजीज ने जून में इस्लामाबाद में एक बैठक के दौरान अफगानिस्तान के राजदूत उमर दुआदजाई के सामने यह प्रस्ताव रखा था। करजई के साथ यहां एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल आया है जिसमें कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पड़सेसी देशों के साथ संबंध सुधारने को अपना एजेंडा बनाया है और जून में सत्ता संभालने के बाद कम से कम तीन बार करजई से बातचीत की है। दोनों नेता आम हित के मुद्दों पर गहरी चर्चा करेंगे। इनमें क्षेत्र में हालात को सुधारने और द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करना शामिल है।
चौधरी ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता पाकिस्तान के हित में है और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में शांति एवं सुलह को बढ़ावा देने के लिए लगातार सहयोग दिया है। करजई की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अफगानिस्तान महत्वपूर्ण राजनीतिक एवं सुरक्षा बदलावों से गुजर रहा है और 2014 के दिसंबर में पश्चिमी सेनाएं वहां से लौटने वाली हैं।
पाकिस्तान अपनी अशांत सीमा पर गह युद्ध की स्थिति से बचने के लिए अफगानिस्तान और तालिबान के बीच किसी तरह का राजनीतिक समझौता चाहता है। लेकिन पाकिस्तान के उद्देश्यों एवं तालिबान के समर्थन में उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका को लेकर अफगानिस्तान में व्यापक संदेह की स्थिति है।
पाकिस्तान में नये सरकार के गठन के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह पहली उच्च स्तरीय वार्ता होगी। पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ऐजाज चौधरी ने कहा कि करजई की यात्रा से दोनों देशों के बीच सकारात्मक संपर्क की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।
तालिबान के साथ वार्ता को बढ़ावा देने के लिए जून में कतर की राजधानी दोहा में तालिबान का कार्यालय खोलने का अमेरिका और पाकिस्तान ने समर्थन किया था। साथ ही पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने एक बयान में कहा था कि अफगानिस्तान सरकार को स्थायी शांति के लिए तालिबान को कुछ प्रांत दे देने चाहिए। इन दोनों घटनाक्रमों से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के संबंधों में गतिरोध आ गया था।
अजीज ने जून में इस्लामाबाद में एक बैठक के दौरान अफगानिस्तान के राजदूत उमर दुआदजाई के सामने यह प्रस्ताव रखा था। करजई के साथ यहां एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल आया है जिसमें कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पड़सेसी देशों के साथ संबंध सुधारने को अपना एजेंडा बनाया है और जून में सत्ता संभालने के बाद कम से कम तीन बार करजई से बातचीत की है। दोनों नेता आम हित के मुद्दों पर गहरी चर्चा करेंगे। इनमें क्षेत्र में हालात को सुधारने और द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करना शामिल है।
चौधरी ने कहा कि अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता पाकिस्तान के हित में है और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में शांति एवं सुलह को बढ़ावा देने के लिए लगातार सहयोग दिया है। करजई की यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अफगानिस्तान महत्वपूर्ण राजनीतिक एवं सुरक्षा बदलावों से गुजर रहा है और 2014 के दिसंबर में पश्चिमी सेनाएं वहां से लौटने वाली हैं।
पाकिस्तान अपनी अशांत सीमा पर गह युद्ध की स्थिति से बचने के लिए अफगानिस्तान और तालिबान के बीच किसी तरह का राजनीतिक समझौता चाहता है। लेकिन पाकिस्तान के उद्देश्यों एवं तालिबान के समर्थन में उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका को लेकर अफगानिस्तान में व्यापक संदेह की स्थिति है।
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