Tuesday 25 October 2011

केले के छिलके से होगा पानी शुद्ध


केले के छिलके में पाए जाने वाले कुछ कंपाउंड प्रदूषित पानी को साफ करने में सक्षम हैं। यह न सिर्फ सबसे सस्ता वॉटर प्यूरीफायर है, बल्कि इसे कई बार इस्तेमाल में भी लाया जा सकता है।


चांदी के बर्तन व इससे बने अन्य सजावटी सामान समेत चमड़े के जूतों को चमकाने के काम आने वाला केले का छिलका अब वॉटर प्यूरीफायर का भी काम करेगा। वह भी खनन प्रक्रिया, औद्योगिक उत्पादन से प्रदूषित पानी को साफ करेगा। इस तकनीक को कहीं भी इस्तेमाल में ला सकते हैं। 

कैसे करता है पानी साफ

केले के छिलके में नाइट्रोजन, सल्फर और काबरेक्स्लिक एसिड जैसे ऑर्गेनिक कंपाउंड पाए जाते हैं, जिनमें ऋणात्मक आवेशित (निगेटिव चाज्र्ड) इलेक्ट्रॉन होते हैं। ये पानी में सामान्यत: पाई जाने वाली लेड और कॉपर जैसी धातुओं को अपनी तरफ खींचने का काम करते हैं। इसकी वजह यह है कि लेड, कॉपर या इन जैसी अन्य धातुओं में धनात्मक आवेशित (पॉजिटिव चाज्र्ड) इलेक्ट्रॉन होते हैं। इस तरह छिलका प्रदूषित पानी में से जहरीली धातुओं को अलग करने का काम करता है।

सिंथेटिक मटेरियल से बेहतर

केले के छिलके के इस गुण को खोजने वाले ब्राजील के शोधार्थियों गुस्ताव कास्त्रो और उनकी टीम ने यह भी पाया है कि यह पानी साफ करने के काम आने वाले अन्य सिंथेटिक मटेरियल से भी बेहतर है। केले के छिलके से लगभग 11 बार प्रदूषित पानी को साफ किया जा सकता है। 

है प्रभावी तकनीक

खानों, औद्योगिक उत्पादन और अन्य कारणों से प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए इस्तेमाल में लाई जा रही विद्यमान तकनीक न सिर्फ महंगी है, बल्कि उन्हें पूरी तरह से कारगर भी नहीं करार दिया जाता है। इसकी एक बड़ी वजह यही है कि पानी को शुद्ध करने में इस्तेमाल में लाए जाने वाले ऐसे सिंथेटिक मटेरियल खुद में कई तरह के जहरीले तत्व समेटे होते हैं। इस तरह पानी इन तत्वों के रह जाने के कारण पूरी तरह से साफ नहीं हो पाता। 


आगे क्या

शोधार्थियों का इरादा अब इस तकनीक को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में लाने का है। साथ ही केले के छिलके के साथ कुछ और मटेरियल मिलाने का है। इसकी वजह यह है कि भले ही केले के छिलके से लेड और कॉपर जैसी धातुओं को अलग करने में सफलता मिल गई हो, लेकिन बावजूद इसके कुछ अन्य जहरीले तत्व पानी में रह गए। इसे देखते हुए अब ऐसे मटेरियल भी इस्तेमाल में लाए जाएंगे, जो इन्हें भी साफ कर सके। यही वजह है कि गुस्ताव ने लोगों से केले के छिलके से घर पर पानी को शुद्ध न करने की गुजारिश की है। खासकर जब तक पानी को पूरी तरह से शुद्ध बनाने वाले मटेरियल की पहचान न कर ली जाए।

अन्य तकनीक से बनेगी बिजली

इधर एक अन्य तकनीक के जरिए कोयला और धातु की खदानों के प्रदूषित पानी से निकले जहरीले पदार्थो से बिजली बनाने की भी तैयारी चल रही है। पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के एन्वायरमेंटल इंजीनियर्स ने एक डिवाइस बनाया है, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदेह प्रदूषण से निजात दिलाते हुए बिजली का उत्पादन करने में भी मददगार बनेगा। 

सफल रहा प्रयोग

इस तकनीक पर किया गया शुरुआती प्रयोग सफल रहा है। फ्यूल सेल प्रोटोटाइप डिवाइस को जब आयरन से प्रदूषित पानी में रखा गया है, तो उसने पानी में मिले आयरन के इलेक्ट्रॉन अलग कर लिए। साथ ही इस प्रक्रिया में बिजली भी बनाई। 

आयरन का होगा इस्तेमाल

बिजली बनाने के अलावा डिवाइस से अलग हुए आयरन का इस्तेमाल पेंट और अन्य उत्पादों में भी किया जाएगा। इस तरह एक तीर से कई निशाने साधने की योजना है। 

सुधार है बाकी

इस डिवाइस द्वारा बनाई गई बिजली की मात्रा बहुत थोड़ी है। प्रदूषित पानी को साफ करने के अलावा बड़े पैमाने पर विद्युत उत्पादन के लिए डिवाइस का आकार भी बड़ा करना होगा।

Saturday 22 October 2011

मेयर से नाराज कांग्रेसी पार्षदों ने गधे को परोसा गुलाब जामुन


 राहुल से मिले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्रिमंडल में फेरबदल पर चर्चा। अहमद पटेल और मुकुल वासनिक से भी मुलाकात। ऐसा मान जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने गोपालगढ़ प्रकरण के बाद की स्थितियों की जानकारी दी। भंवरी मामले में की गई कार्रवाई के बारे में राहुल गांधी को अवगत कराया है।




2. पूर्व विधायक रणवीर गुढ़ा सहित सभी आरोपी कोर्ट में पेश। गुढ़ा और उनके भाई संजय सहित छह आरोपियों को एसीजेएम कोर्ट ने भेजा जेल। सभी आरोपियों की जमानत की खारिज ।




3. मेयर से नाराज कांग्रेसी पार्षदों ने परोसा गधे को गुलाब जामुन। वार्डों में सफाई, रोड लाइटों और नियमित संसाधनों की मांग को लेकर नगर निगम मुख्यालय पर धारना जारी। पार्षदों ने कहा दीपावली के त्योहार पर शहर में ठीक से नहीं हो रही है सफाई। मेयर ने वार्डों का दौरे कर गंदगी देखी, लेकिन सफाई नहीं कराई।

हर रोज बोलें बस, हनुमान के ये 11 नाम मंत्र..रुके काम फौरन होगें पूरे

'संकट कटै-मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा' गोस्वामी तुलसीदास द्वारा इस चौपाई से किया गया संकटमोचक हनुमान का सुमिरन उनके मंगलमय स्वरूप व शक्तियों को भी उजागर करता है। श्री हनुमान के पावन चरित्र का स्मरण मात्र ही मनोबल और आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला होता है।

आज के रफ्तारभरे जीवन में हर रोज भारी तनावों से दो-चार होना पड़ता है। लिहाजा हर इंसान राहत के दो पल खोजता है। ऐसे में अशांति और कलह से मुक्त होने के लिए धार्मिक उपाय आसान और श्रेष्ठ साबित होते हैं। जिनमें श्री हनुमान का मन, वचन व कर्मों की पावनता का ध्यान निर्भयता के साथ मन को आश्वस्त और शांत रखता है। जिससे कार्यसिद्धि की हर बाधा दूर होती है।

श्री हनुमान का शनिवार, मंगलवार, पूर्णिमा के साथ हनुमान जयंति या रूप चौदस (25 अक्टूबर) पर ध्यान विशेष मनोरथ सिद्ध करता ही है, लेकिन आसान उपायों में हर रोज नीचे लिखें 11 नाम मंत्रों का स्मरण बताए गए पूजा उपायों से करना कार्यसिद्धि सुनिश्चित करता है।

श्री हनुमान की प्रतिमा पर तेल-सिंदूर चढ़ाकर गंध, अक्षत, लाल फूल व नारियल चढ़ाने के साथ घी व शक्कर मिले आटे का लड्डू, केला, जामफल भोग में अर्पित कर पूजा करें। पूजा के बाद इन नाम मंत्रों का स्मरण कर धूप व दीप आरती करें-

ऊँ आञ्जनेयाय नम:

ऊँ महावीराय नम:

ऊँ हनूमते नम:

ऊँ मारुतात्मजाय नम:

ऊँ महाबल पराक्रमाय नम:

ऊँ रामदूताय नम:

ऊँ सर्वदु:ख हराय नम:

ऊँ सर्वबन्धविमोक्त्रे नम:

ऊँ सर्वमन्त्र स्वरूपाय नम:

ऊँ मनोजवाय नम:

ऊँ दृढव्रताय नम:

Saturday 15 October 2011

प्याज का जादू: ऐसा करें तो हो जाएंगे पथरी के टुकड़े- टुकड़े

हमारे भारत में खाने को मसालेदार और स्वादिष्ट बनाने के लिए अनेक तरह के मसालों के साथ ही प्याज, लहसुन, अदरक, हरीमिर्च और धनिया आदि डालकर खाने को जायकेदार बनाया जाता है। स्वाद बढ़ाने वाली इन चीजों में कई ऐसे रासायनिक तत्व होते हैं, जो सेहत के लिये वरदान से कम नहीं। क्योंकि ये वस्तुएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को इतना अधिक बढ़ा देती हैं कि उस पर बीमारियां का असर होता ही नहीं। कहते हैं प्याज का तड़का खाने का स्वाद कई गुना बढ़ा देता है।

लेकिन प्याज सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता यह बहुत अधिक गुणकारी भी है। आइए आज हम आपको बताते हैं प्याज के कुछ ऐसे प्रयोग जिन्हें अपनाकर आप भी कई गंभीर समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।प्याज को काटकर सूंघने से भी सिर का दर्द ठीक होता है। जो खाली पेट रोज सुबह प्याज खाते हैं उन्हें किसी प्रकार की पाचन समस्यायें नहीं होती और दिनभर ताजगी महसूस करते हैं। मासिक धर्म की अनियमितता या दर्द में प्याज के रस के साथ शहद लेने से काफी लाभ मिलता है। इसमें प्याज का रस 3-4 चम्मच तथा शहद की मात्रा एक चम्मच होनी चाहिए। गर्मियों में प्याज रोज खाना चाहिए। यह आपको लू लगने से बचाएगा। प्याज का रस और सरसों का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।

प्याज के 3-4 चम्मच रस में घी मिलाकर पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। प्याज के रस में चीनी मिलाकर शर्बत बनाएं और पथरी से पीडि़त व्यक्ति को पिलाएं। इसे प्रात: खाली पेट ही पिएं। मूत्राशय की पथरी छोटे-छोटे कणों के रूप में बाहर निकल जाएगी। लेकिन ध्यान रहे, एक बार में इसका बहुत अधिक सेवन न करें। बवासीर में प्याज के 4-5 चम्मच रस में मिश्री और पानी मिलाकर नियमित रूप से कुछ दिन तक सेवन करने से खून आना बंद हो जाता है। घाव में नीम के पत्ते का रस और प्याज का रस समान मात्रा में मिलाकर लगाने से शीघ्र ही घाव भर जाता है। प्याज के रस में दही, तुलसी का रस तथा नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाएं। इससे बालों का गिरना बंद हो जाता है और रूसी की समस्या से भी निजात मिलती है।

Thursday 13 October 2011

‘तुला’ में आएंगे शनि, देखिए क्या होने वाला है असर


नवग्रह में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली ग्रह शनि इस बार अपनी उच्च राशि ‘तुला’ में आएंगे। 29 साल एक माह नौ दिन में 12 राशियों का चक्र पूरा कर तुला राशि में प्रवेश करेंगे। हालांकि शनि के राशि परिवर्तन को लेकर पंचांगों में मतभेद है।

देशभर के कम्प्यूटर गणना आधारित अधिकांश पंचांग 15 नवंबर 2011 को शनि का राशि परिवर्तन बता रहे है वहीं पारंपरिक गणना वाले कुछ पंचांगों ने यह परिवर्तन 2 नवंबर को बतलाया है। पंडितों के अनुसार 9 सितंबर 2009 को शनि ने कन्या राशि में प्रवेश किया था। अब 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर कन्या से तुला राशि में प्रवेश कर, 2 नवंबर 2014 तक इसी राशि में रहेंगे। पूर्व में ६ अक्टूबर 1982 को शनि ने तुला राशि में प्रवेश किया था। आगे सन् 2041 में शनि पुन: तुला राशि में आएंगे।

शनि की प्रसन्नता के लिए उपाय

>शनि प्रतिमा पूजा व तेल दान, शनि स्तोत्र पाठ करें। >ऊं शं शनैश्चराय नम: या ऊं प्रां, प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: का जप करें। >हनुमानजी की आराधना। मंदिर में प्रतिदिन या शनि-मंगलवार को तेल का दीपक लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। >शिवपूजन और पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना। >नीलम धारण करना। >शनिवार को काली वस्तुओं का दान >शनि यंत्र पूजन व धारण आदि।
साढ़े साती और ढैय्या
>वृश्चिक राशि वाले जातकों को साढ़े साती शुरू होगी। >कर्क-मीन राशि को ढैय्या शुरू होगा।  >तुला राशि को साढ़ेसाती का दूसरा और कन्या को तीसरा चरण प्रारंभ होगा। >सिंह राशि की साढ़ेसाती खत्म और मिथुन-कुंभ ढैय्या शनि से मुक्त होंगे।
राशि और प्रभाव
श्रेष्ठ:मिथुन, सिंह, तुला, मकर, कुंभ। मिश्रित:मेष, वृषभ, कन्या, धनु। ठीक नहीं:कर्क, वृश्चिक, मीन।
अच्छा रहेगा परिवर्तन
शनि का तुला में प्रवेश अच्छा रहेगा। शनि स्थिरता का कारक है। देश के लिए यह समय उपलब्धियों भरा रहेगा। अ.भा. ज्योतिष संस्था संघ नईदिल्ली के अध्यक्ष अरूण बंसल के अनुसार कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वाले जातकों पर साढ़े साती का प्रभाव रहेगा। इनमें तुला राशि के लिए साढ़े साती अच्छी रहेगी।
मंद गति है शनि की
तुला राशि में शनि उच्च के होते है और मेष राशि में नीच के। शनि का शाब्दिक अर्थ है- ‘शनै: शनै: चरति इति शनैश्चर:’ अर्थात धीमी गति से चलने के कारण यह शनैश्चर कहलाए। पं. अरविंद पांडे के अनुसार नवग्रहों में शनि की सबसे मंद गति है। एक राशि में ढाई वर्ष और सभी 12 राशि के भ्रमण में शनि को लगभग 30 वर्ष का समय लगता है। चंद्र के गोचर से शनि जब 12वीं राशि में आते है तब साढ़े साती शुरू होती है।
नवग्रह के राशि परिवर्तन का समय
सूर्य-बुध 30 दिन चंद्र सवा दो दिन मंगल 45 दिन गुरु करीब एक वर्ष शुक्र 27 दिन शनि 30 माह राहू-केतू 18 माह

मरने के बाद इन 8 कारणों से होता है पुनर्जन्म...

जन्म और मृत्यु ये दो अटल सत्य माने गए हैं। जिस जीव ने धरती पर जन्म लिया है उसे एक दिन अवश्य ही मृत्यु प्राप्त होती है। जीव की मृत्यु के पश्चात उसकी आत्मा पुन: जन्म लेती है, यह भी एक सत्य है। शास्त्रों के अनुसार जीवन और मृत्यु का यह चक्र अनवरत चलता ही रहता है।

आत्माएं फिर से जन्म क्यों लेती हैं? इस संबंध में आठ कारण मुख्य रूप से बताए गए हैं। इन्हीं कारणों की पूर्ति के लिए आत्मा पुन: जन्म लेती है, शरीर धारण करती है। यहां पुनर्जन्म का अर्थ है दुबारा जीवन प्राप्त करना। किसी भी जीवात्मा का पुन: यानि फिर से जन्म होता है। आत्मा शरीर धारण करके शिशु रूप में इस धरती पर जन्म प्राप्त करती है और जीवनभर कर्म करती है। अंत में मृत्यु होने पर उसे शरीर छोड़कर जाना पड़ता है। ऐसे में आत्मा को मुख्य रूप से इन आठ कारणों से उसे पुन: जन्म लेना पड़ता है।

1. भगवान की आज्ञा से: भगवान किसी विशेष कार्य के लिए महात्माओं और दिव्य पुरुषों की आत्माओं को पुन: जन्म लेने की आज्ञा देते हैं।

2. पुण्य समाप्त हो जाने पर: संसार में किए गए पुण्य कर्म के प्रभाव से व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग में सुख भोगती है और जब तक पुण्य कर्मों का प्रभाव रहता है वह आत्मा दैवीय सुख प्राप्त करती है। जब पुण्य कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है तो उसे पुन: जन्म लेना पड़ता है अथवा नर्क में जाना पड़ता है।

3. पुण्य फल भोगन के लिए: कभी-कभी किसी व्यक्ति के द्वारा अत्यधिक पुण्य कर्म किए जाते हैं और उसकी मृत्यु हो जाती है। तब उन पुण्य कर्मों का फल भोगने के लिए आत्मा पुन: जन्म लेती है।

4. पाप का फल भोगने के लिए

5. बदला लेने के लिए

6. बदला चुकाने के लिए

7. अकाल मृत्यु हो जाने पर

8. अपूर्ण साधना को पूर्ण करने के लिए

शास्त्रों के अनुसार आत्मा के पुनर्जन्म के संबंध में बताए गए आठ कारणों में से एक कारण है कि आत्मा किसी से बदला लेने के लिए पुनर्जन्म लेती है।

यदि किसी व्यक्ति को धोखे से, कपट से या अन्य किसी प्रकार की यातना देकर मार दिया जाता है तो वह आत्मा पुनर्जन्म अवश्य लेती है। इस संबंध में वेद-पुराण में एक कथा दी गई है-

कथा इस प्रकार है, एक राजकुमार की किसी तपस्वी से गहरी मित्रता हो गई। जब वह महात्मा काशी जा रहा था तभी राजकुमार भी जिद करके अपने मित्र के साथ चल दिया। राजकुमार की इस यात्रा के लिए राजा ने उन्हें सवा सेर सोना एक लकड़ी में भरकर दे दिया। सफर के दौरान एक रात्रि दोनों मित्रों ने एक सेठ के यहां विश्राम किया। रात्रि में उस सेठ ने लकड़ी में से सोना निकालकर उसमें कंकड़ भर दिए। राजकुमार और महात्मा जब काशी पहुंचे तब उन्होंने वहां के ब्राह्मणों को भोजन पर आमंत्रित कर लिया। ब्राह्मणों को भोजन कराने के लिए जब उसने लकड़ी से सोना निकालना चाहा तब उसमें से कंकड़ निकले। वह समझ गया कि उस सेठ ने उन लोगों के साथ धोखा किया है। ब्राह्मणों को खाना के निमंत्रण भिजवा दिया गया था लेकिन राजकुमार उन्हें भोजन कराने में असर्मथ हो गया। इसी चिंता में राजकुमार के प्राण चले गए।

राजकुमार की आत्मा ने सेठ से बदला लेने के लिए उसी सेठ के यहां पुन: पुत्र रूप में जन्म लिया। जब सेठ का पुत्र बड़ा हो गया तब उसकी शादी कराई गई। सेठ ने पुत्र के लिए बहुत सुंदर और विशाल महल बनवाया। एक दिन उसी महल की छत से पति-पत्नी दोनों ने कूदकर जान दे दी। तब सेठ को बहुत दुख हुआ। उस समय राजकुमार के मित्र महात्मा ने सेठ को उसकी करनी की कथा सुनाई और इसप्रकार राजकुमार का बदला पुरा हुआ।

इस प्रकार की कई कथाएं शास्त्रों में दी गई हैं जहां आत्मा ने किसी से बदला लेने के लिए पुन: जन्म प्राप्त किया है और अपना लक्ष्य पुरा किया है।

Wednesday 12 October 2011


तंत्र शास्त्र के अंतर्गत धन प्राप्ति के टोने-टोटकों के लिए कुछ विशेष मुहूर्त बताए गए हैं जैसे-दीपावली, धनतेरस व अक्षय तृतीया आदि। इस समय किए गए टोने-टोटके विशेष लाभ देते हैं। इस बार दीपावली का त्योहार 26 अक्टूबर को है। टोने-टोटके के लिए यह विशेष समय है। धन प्राप्ति के लिए इस दिन यह टोटका करें-

टोटका

दीपावली की रात को साधक लाल लंगोट पहनकर, लाल आसन पर खड़ा होकर, सिंदूर का तिलक लगाकर लक्ष्मी यंत्र को अपनी बाईं हथेली में ले और दाएं हाथ में कमल गट्टे या स्फटिक की माला लेकर नीचे लिखे मंत्र का 21 माला जप करें। 

मंत्र
अघोर लक्ष्मी मम गृहे आगच्छ स्थापय तुष्टय पूर्णत्व देहि देहि फट्




इस प्रकार पूरे विधि-विधान से यदि मंत्र का जप करें तो शीघ्र ही व्यक्ति धनवान हो जाता है। इसमें कोई शंका नहीं है।

ओह! तो यहां छिपा हुआ है भारत का सदियों पुराना खजाना!

समुद्र में खजानों की खोज करने वाली अमेरिकी कंपनी ओडिसी मैरीन एक्सप्लोरेशन इंकॉपरेरेशन ने मंगलवार को बताया कि उन्होंने एक दूसरा ब्रिटिश जहाज उत्तरी अटलांटिक महासागर की गहराइयों में खोजा जिसमें खजाना लदा है।

इस जहाज का नाम है एसएस मैंटोला। इस खजाने को खोजकर्ता कंपनी 2012 के शुरुआती महीनों में एसएस गायरसोप्पा के खजाने के साथ ही निकालेगी। इस काम के लिए उसे खजाने की कीमत का 80 फीसदी हिस्सा मिलेगा, शेष ब्रिटिश सरकार के पास रहेगा।

चांदी लेकर भारत आ रहा था

एसएस मैंटोला प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 4 फरवरी 1917 को लंदन से कोलकाता के लिए चला था। 8 फरवरी को बीच रास्ते में ही जर्मनी की पनडुब्बी यू-81 ने इसपर टॉरपीडो से हमला कर इसे नष्ट कर दिया। उस वक्त जहाज पर 165 क्रू-मेंबर और 18 यात्री सवार थे।

इस हमले में सिर्फ सात लोग मारे गए थे। बाकी सुरक्षित बचा लिए गए। 9 फरवरी को इसके डूबने से पहले जर्मनी इसे खींचकर अपने इलाके में ले जाना चाहता था, पर वह ऐसा कर नहीं सका।

कुछ यूं हम सबको हमेशा के लिए अलविदा कह गए जगजीत सिंह, देखिए तस्वीरें

Kuch u Kehan Great Gajal gayak ko alwida.


गजल गायक जगजीत सिंह का कल मुंबई के चंदनबाड़ी में रीति रिवाजों से अंतिम संस्कार कर दिया गया| जगजीत सिंह के पार्थिव शरीर को लीलावती अस्पताल से पेडर रोड स्थित उनके निवास पर लाया गया, जहां उनके परिवार के सदस्यों, मित्रों और प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पार्थिव शरीर को चंदनवाड़ी ले जाया गया, जहां जगजीत सिंह के भाई करतार सिंह धीमान ने अंतिम संस्कार किया। इस मौके पर मशहूर गीतकार गुलजार, जावेद अख्तर, फिल्म स्टार और कांग्रेसी नेता राज बब्बर, गायक रूप कुमार राठौड़, सोनू निगम, मधुर भंडारकर अंतिम संस्कार के मौके पर मौजूद रहे। जगजीत सिंह को 23 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

पिछले कुछ दिनों में उनकी हालत बहुत बिगड़ गई थी और उन्हें जीवन रक्षी प्रणाली का सहारा लेना पड़ा था। पांच दशकों तक अपने गीतों से सुनने वालों को मंत्र मुग्ध करते रहे पद्म भूषण से नवाजे जा चुके जगजीत सिंह ने सोमवार को सुबह 8.10 बजे आखिरी सांस ली थी।देखिए तस्वीरों में जगजीत सिंह के अंतिम संस्कार में पहुंचे सितारे:

Tuesday 11 October 2011

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते वक्त ने ऐसा गीत क्यों गाया

जगजीत सिंह। अपनी आवाज से जग जीता, पर खुद वक्त से हारे। पहले एकमात्र बेटे के जाने का दुख, फिर गोद ली हुई बेटी.. और अब खुद.. उनकी जिंदगी नज्मों, गीतों, गजलों और बंदिशों को आवाज देने वाली उस रात की तरह थी, जिसका सूरज रोज गुम होता रहा.. जिसे अपना चांद रोज बेलना पड़ा।

अपनी आवाज और हुनर से उन्होंने दुनियाभर में खुशी और सुकून बांटा, लेकिन उनके खुद के लिए यह सबकुछ कड़वा ही रहा-चाहे वो चांद-सूरज की सुंदरता हो, सुबह की पहली किरणों का संगीत हो, गहरी रातों की खामोशी हो, पत्तों में से छनती हुई मेह की बूंदें हों, चाहे घास पर फिसलती हुई ओस हो।

उनका गायन हमेशा गंभीरता की मखमली चादर ओढ़कर लोगों तक पहुंचता था। जितनी गंभीर आवाज थी, उससे ज्यादा गंभीरता चेहरे पर। शास्त्रीय गायिकी में एक विकार होता है, जो गायक के होंठों पर दिखता है। गाते वक्त मुंह कुछ अजीब लगता है, वही जगजीत सिंह में भी था।
कई लोग हैं, जो कहते थे कि जगजीत सिंह गजल क्यों गाते हैं? मंचों पर शास्त्रीय गायन क्यों नहीं करते? लेकिन वही लोग यह भी जानते हैं कि गजल, गीत, शास्त्रीय बंदिशें और लोकगीत, चारों शैलियों में जिसने जब भी जगजीत सिंह को सुना, उसके मन का जगजीत और भी निखरता गया। ऐसा कम होता है। इस दौर में तो न के बराबर।

गायन की सभी शैलियों में उनकी महारत और गायिकी की उनकी गंभीरता ही थी, जिसने उन्हें हर दौर में एक ही स्थान पर बनाए रखा-शिखर पर। एकदम स्थिर। कभी न हिलने-डुलने वाली चट्टान की तरह। चट्टान इसलिए भी कि जगजीत सिंह ने ही गजल को लोकप्रियता दी।
बच्चों में, युवाओं में, वरिष्ठों में और बुजुर्गो में, एक साथ। किसी ने उनकी गजल को पकड़ कर अपना इश्क परवान चढ़ाया, किसी ने अपनी जिंदगी की मंजिल पाई और बहुतों ने गजल को ही अपना प्रोफेशन बनाया। एक उदाहरण लीजिए कि- कागज की कश्ती हम सबने अपने बचपन में तैराई, नानी की कहानियां भी सुनीं, लेकिन वे सब याद तब आईं, जब जगजीत ने गजल गाई- वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी..

यकीन से कहा जा सकता है कि उन्हें जानने-सुनने वालों को आज की रात नींद नहीं आने वाली। जिन आंखों में आंसू लबालब हों, आखिर नींद उनमें कैसे समाएगी! आज जिस जिंदगी ने जगजीत सिंह का साथ छोड़ दिया है, उसे हम दिवंगत कवयित्री अमृता प्रीतम से मिला दें तो उनकी कलम से जो नज्म लिखी जाएगी- कुछ इस तरह होगी.. जगजीत सिंह के नाम, उन्ही की जिंदगी की लिखी हुई नज्म..

खुदा तेरी नज्म जितनी तुझे उम्र दे मैं इस नज्म का मिसरा नहीं ज्यों और मिसरों के साथ चलती रहूं और एक काफिये की तरह तुझसे मिलती रहूं मैं इस नज्म से निकली हूं इस तरह!

जैसे शब्दों से अर्थ निकलते हैं और बदनसीब अर्थो का क्या जिस तरह आज एक अर्थ निकला है कल कोई नामुराद और अर्थ निकलेगा पर नज्म इस जग पर सलामत रहे और खुदा तेरी नज्म जितनी तुझे उम्र दे

दो कली के इन गुणों जानकर आप भी लहसुन के मुरीद हो जाएंगे

भारतीय रसोई में प्रयुक्त होने वाले मसालों के औषधीय गुणों क़ी मुरीद पूरी दुनिया रही है। इसका कारण इनसे स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ मिलना भी  एक बड़ा कारण रहा  होगा। प्राचीन काल में भी मसाले व्यापार के बड़े साधन थे, ऐसे ही गुणों से भरपूर लहसुन की खूबियों को हम आपके सामने लाये  हैं, आप इसका प्रयोग बेहिचक करें और देखें आपको मिलेगा फायदा ही फायदा। यदि आपको किसी भी प्रकार क़ी एलर्जी हो या सायनस की समस्या से आप हों परेशान, तो बस केवल लहसुन क़ी दो कली आपको तत्काल राहत दे सकती है।

बस केवल आप इसे अपनी नासिकारंध्र के पास ले आयें और साँसों को तेजी से अन्दर लें, देखें आपको तत्काल लाभ मिलेगा। लहसुन क़ी खूबियों को केवल आयुर्वेदिक  ग्रथों में ही नहीं बताया गया है, इसकी खूबियों का बखान बाइबल एवं चीनी पुस्तकों में भी मिलता है। कहा जाता है कि़ गाजा में पिरामिड निर्माण के दौरान मजदूरों क़ी कार्यक्षमता को बढाने के लिए उन्हें लहसुन खिलाया गया था। लहसुन की  1-2 कली नित्य गुनगुने पानी से लेने पर आपका रक्तचाप नियंत्रित रहेगा,आपके रक्त में  एल.डी.एल. कोलेस्ट्रोल की  मात्रा भी नियंत्रित रहेगी,रक्तनलिकाओं में रक्त कणिकाओं के जमने क़ी संभावना भी कम हो जायेगी, साथ ही रक्तगत शर्करा भी नियंत्रित रहेगी, इतना ही नहीं लहसुन का प्रयोग कैंसर जैसे रोगों में भी रोधी प्रभाव दर्शाता है। लहसुन शरीर से पारे एवं अन्य भारी धातुओं को बाहर निकालता है , इसे प्राकृतिक एंटीबायोटिक माना गया है , जिसके  जीवाणुरोधी प्रभाव देखे गए हैं। यह एंटीवाइरल,एंटीफंगल एवं एंटीओक्सिडेंट गुणों का अनूठा संगम है।

लहसुन शरीर क़ी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। लहसुन क़ी कलीयों को  पानी में तबतक उबालें जबतक ये मुलायम न हो जायें,इसके बाद इस उबले पानी में सिरका मिला दें ,तथा थोडी मात्रा में शक्कर मिलकर सीरप बना लें,हो गयी दमा के रोगियों के लिए रामबाण औषधि तैयार। इसके अलावा नाक से बहने वाले खून (नकसीर) में भी इसके रस को टपका देने से खून आना बंद हो जाता है तो है न लहसुन अनलिमिटेड गुणों से भरपूर, तो देर किस बात क़ी शुरू करें प्रयोग और पाएं लाभ ही लाभ।

आदमी का समय ख़राब होता है तो कुछ ऐसा होता है !



दो-पहिया वाहन चलाते हुए हेलमेट पहनने की सलाह ऐसे ही नहीं दी जाती और जब मुसीबत किसी भी ओर से आने की आशंका हो तो दो-पहिया वाहन चलाते हुए हेलमेट पहनना और भी ज़रूरी हो जाता है।


दक्षिण अफ्रीका के क्वाज़ुलू नतल में अलबर्ट फाल डैम क्षेत्र में साइकिल रेस करते हुए इवेन वेल डेर स्पू को एक नर हिरण ने ज़ोरदार टक्कर मार दी। वीडियो देखने पर मालूम चलता है कि उनके पूछे साइकिल चला रहे उनके साथी ट्रेविस वॉकर उनको सावधान करते हैं कि दाहिनी ओर से तेजी से एक हिरण भागता हुआ आ रहा है। लेकिन जब तक इवेन उस ओर देखते, तब तक हिरण उनको ज़ोरदार टक्कर मार चुका था।


 टक्कर इतनी ज़बरदस्त थी कि इवेन का हेलमेट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। वीडियो में देखिए साइकिल सवार और हिरण की टक्कर को.

मुंहबोले भाई ने ही की बदसुलूकी! भंवरी को खोजने में नाकाम सरकार को कोर्ट की लताड़ - Bnvri beaten, abused, put down the seat of the unc - www.bhaskar.com



पहली सितंबर से लापता जोधपुर की नर्स भंवरी देवी अपहरण मामले में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले की सुनवाई में राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार को जमकर लताड़ लगाई। मंगलवार को जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस एनके जैन द्वितीय की खंडपीठ ने मौखिक रूप से यहां तक कह दिया कि एक महीने से एक महिला गायब है और सरकार को उसकी चिंता ही नहीं है। जनता पुलिस के भरोसे बैठी है और सरकार को अपनी पुलिस पर ही भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि इतिहास में अब तक ऐसी नाकारा सरकार नहीं देखी है।

मंगलवार को अमरचंद बनाम सरकार मामले में सरकार की ओर से अतिरिक्ति महाअधिवक्ता के सहायक प्रद्युम्न सिंह ने जैसे ही अब तक की प्रगति रिपोर्ट पेश की तो जस्टिस गोविंद माथुर ने उनसे पूछा कि एक महीने से ज्यादा हो गया कॉर्पस (शव) कहां है? और इस रिपोर्ट में क्या लिखा है, पढ़ने की भी जरूरत नहीं। इसे डस्टबिन में क्यों नहीं फेंक दिया जाए। सिर्फ पलायनवाद व एक दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी डालने के अलावा कुछ नहीं है। सब आधे अधूरे मन से काम हो रहा है। अदालत ने राजस्थान पुलिस से कहा है कि वह हर दूसरे दिन इस मामले में हो रही प्रगति से अवगत कराए।
इस बीच, अब तक पुलिस की जांच से पता चला है कि धर्म भाई बने ठेकेदार सोहनलाल के बुलावे पर भंवरी बिलाड़ा तो पहुंच गई थी, मगर शहाबुद्दीन की बोलेरो में बैठाने के बाद उससे बदसलूकी शुरू हो गई। सोहनलाल व शहाबुद्दीन ने भंवरी के साथ मारपीट की और फिर बेहोश कर पिछली सीट के नीचे डाल दिया। पुलिस अनुसंधान में ये बातें सामने आने पर फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (एफएसएल) के वैज्ञानिकों ने सोमवार को शहाबुद्दीन की बोलेरो का परीक्षण कर सबूत जुटाए हैं।

अपहरण के आरोपी सोहनलाल व बलदेव से पूछताछ में पुलिस को इस साजिश का पता चल चुका है। भंवरी की कार खरीदना भी साजिश का हिस्सा ही था। सहीराम विश्नोई के इशारे पर शहाबुद्दीन ने अपहरण की प्लानिंग की और सोहनलाल के विश्वास में भंवरी को कार के पैसे देने के बहाने बिलाड़ा बुलाया गया।

कार के पैसे देने की बात कह कर सोहनलाल ने भंवरी को शहाबुद्दीन की बोलेरो में बैठाया था। पैसों का इंतजाम करने के बाद उन्होंने दूसरी गैंग के आने का इंतजार किया, तब तक भंवरी को इधर-उधर घुमाते रहे। जब भंवरी को शक हुआ तो वह विरोध करने लगी। तब शहाबुद्दीन ने बोलेरो में ही उसे पीटा, बदसलूकी की और बेहोश कर सीट के नीचे डाल दिया। रात में नेवरा रोड पर अर्धचेतन हालत में ही उसे दूसरी गैंग के हवाले कर दिया गया।

एफएसएल टीम ने जुटाए सबूत : शहाबुद्दीन की यह बोलेरो 9 सितंबर से गुजरात के काणोदर में पड़ी थी। बोलेरो धुली हुई थी, मगर मारपीट, जबर्दस्ती की आशंका व अपहरण के सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने एफएसएल टीम से बोलेरो का परीक्षण कराया। डॉ. विजेंद्रसिंह शेखावत, विक्रम सिंह, भवानी सिंह व एएसआई आवड़दान की टीम ने खून, सिर के बाल, फिंगर प्रिंट आदि लेने के लिए बोलेरो के हर भाग की बारीकी से जांच की। सीट कवर व फुट मेटिंग के नमूने भी लिए।
बलदेव को जेल भेजा :

पुलिस ने बलदेव को 30 सितंबर को गिरफ्तार कर पहले 7 दिन, फिर 3 दिन रिमांड पर लिया था। सोमवार को रिमांड खत्म होने पर उसे तीसरी बार कोर्ट में पेश किया गया, जहां न्यायाधीश ने बलदेव को 15 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इस मामले में पहले गिरफ्तार हुआ ठेकेदार सोहनलाल भी जेल में है। मुख्य आरोपी शहाबुद्दीन और सहीराम विश्नोई अभी पकड़ में नहीं आए हैं।
नहीं आई सीबीआई की टीम :

भंवरी देवी अपहरण कांड की जांच सीबीआई के हाथों सौंपने के नोटिफिकेशन जारी होने के एक सप्ताह बाद भी सीबीआई टीम जोधपुर नहीं पहुंची है। चालीस दिनों से परेशान पुलिस इस प्रकरण को सीबीआई के हाथों में सौंपने के लिए बेकरार है, मगर अभी तक सीबीआई में यह प्रकरण भी दर्ज नहीं हुआ है।

अब अमरचंद पहुंचा शनि मंदिर :

शास्त्री नगर स्थित शनि मंदिर में कुछ दिन पहले ही कैबिनेट मंत्री महिपाल मदेरणा ने 11 दिवसीय रक्षा कवच अनुष्ठान कराया था। पांच पंडितों ने सवा लाख मंत्रों का जाप किया था। सोमवार को भंवरी का पति अमरचंद भी इसी मंदिर में अनुष्ठान करने आया। उसने भी 21 हजार मंत्रों का जाप कराया और 8 हजार 100 आहुतियां दी

आप भी खाते हैं 'ब्रेड' तो एक बार जरूर पढ़े यह खबर!


डीबी स्टार टीम को शिकायत मिल रही थी कि राजधानी में बेकरी और ब्रेड फैक्टरियों पर अव्यवस्था व गंदगी के बीच खाद्य सामग्री बनाई जा रही है।

टीम ने जब इन पर नजर रखी तो पाया कि कुछ जगह मानकों को ताक पर रखकर इन्हें बनाया जा रहा है। टीम ने महापौर और निगमायुक्त को इसकी जानकारी दी। उनके साथ मिलकर छापा की योजना बनाई गई।

  
इस दौरान निगम के खाद्य एवं स्वास्थ्य प्रभारी ज्ञानेश शर्मा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमृत चोपड़ा के निर्देश पर चार सदस्यीय टीम डीबी स्टार के साथ छह फैक्टरियों में पहुंची। यहां फैक्टरी संचालक गंदगी और कचरे के बीच ब्रेड, पाव और बेकरी आयटम बनवा रहे थे। कर्मचारियों के हाथ में न तो ग्लव्स थे और न ही किसी ने एप्रन पहना था। 

  
इसके अलावा गूंथा हुआ आटा जमीन पर रखा था। इसी आटे के आसपास कचरे का ढेर लगा हुआ था। कुछ मवेशी भी यहीं मंडरा रहे थे। निगम के अधिकारी ने जब यहां की स्थिति देखी तो बोल पड़े कि अगर कोई ये पाव, ब्रेड बनते देख ले तो इन्हें खाना ही छोड़ दे। इस मामले में अब फैक्टरी संचालकों को नोटिस जारी किया जाएगा।

  
गंदगी के बीच कर रहे थे काम

  
आंखो देखी- टीम ने यहां पाया कि सामने से दुकान का शटर और पीछे का गेट बंद था। बाहर से दिखाई दिया कि नाली और गंदे पानी के पास तैयार टोस्ट जमीन पर रखा हुआ है। कर्मचारियों को जब ताला खोलने के लिए कहा गया तो वे चाबी नहीं होने का बहाना बनाने लगे। इसके बाद बेकरी संचालक शेख शाहिद को फोन कर बुलाया गया। 

  
अंदर पाया कि 8-10 कर्मचारी बनियान पहनकर गंदे हाथों से ब्रेड व बेकरी के आयटम बना रहे हैं। पास ही लकड़ियां रखी थीं। छत में भी इसी तरह ब्रेड बनाया जा रहा था। गूंथा हुआ आटा कचरे के बीच खुले में रखा था। टीम ने देखा कि राजधानी ब्रेड के नाम से पैक की गई बेकरी और ब्रेड के आयटम में न तो बनाने की तारीख लिखी है, न ही एक्सपायरी डेट का जिक्र है।
सेहत से खिलवाड़ नहीं करने देंगे

  
डीबी स्टार टीम के साथ मिलकर छापामार कार्रवाई में कई जगह बहुत ही ज्यादा गड़बड़ी मिली। जनता की सेहत से अब नहीं खेलने दिया जाएगा। ऐसी कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। 

  
- डॉ. किरणमयी नायक, महापौर, रायपुर नगर निगम

  
यह बड़ी गड़बड़ी है

  
बेकरी और ब्रेड फैक्टरी वाले साफ-सफाई का ध्यान नहीं रख रहे हैं और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, यह बड़ी गड़बड़ी है। 

  

वाह! 39 ओवरों में गिरे 20 विकेट, जीत गए गेंदबाज

चेन्नई में मुंबई इंडियंस ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर को 31 रन से हराकर खिताब पर अपना कब्जा जमा लिया। इसमें कोई शक नहीं कि बल्लेबाजों वाले खेल टी-20 के खिताबी मुकाबले में गेंदबाजों का जलवा रहा। पहले तो बेंगलूर के गेंदबाजों ने मुंबई इंडियंस के बल्लेबाजों के हौसले पस्त किए और 139 रन पर ढेर कर दिया।

इसके बाद जब बेंगलूर के बल्लेबाज 140 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरे, तो उनके मंसूबे पर मुंबई के गेंदबाजों खासकर हरभजन सिंह और लसिथ मलिंगा ने पानी फेर दिया और 108 रन पर ही ढेर कर दिया। इस तरह पूरे मैच के दौरान गेंदबाजों का जलवा बरकरार रहा। पूरे मैच के दौरान गेंदबाजों ने टर्निग प्वाइंट का काम किया।

मुंबई इंडियंस ने कहर ढाती गेंदबाजी के आगे 139 रन का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। इसमें फ्रैंकलिन ने जो अपनी भूमिका निभाई, वो काबिलेतारीफ थी। फ्रैंकलिन ने समझदारी भरी पारी खेलते हुए 41 रन बनाए और अपनी टीम को मजबूती प्रदान की। वहीं, जवाब में बेंगलूर का कोई भी बल्लेबाज अपनी टीम के लिए कुछ नहीं कर सका।

तिलकरत्ने दिलशान ने जरूर तेज शुरुआत दी, लेकिन धीमी विकेट पर तेजी से रन कहां बनने वाले थे। ऐसे में वे जल्दी पवेलियन लौट गए। इसके बाद मुंबई के गेंदबाजों के आगे मानो, बल्लेबाजों ने आत्मसमर्पण कर दिया हो। धुआंधार बल्लेबाजी के लिए मशहूर बल्लेबाज क्रिस गेल और मध्यक्रम की मजबूत कड़ी विराट कोहली भी फेल हो गए।

चैम्पियंस लीग टी-20 के फाइनल मुकाबले में 39.2 ओवरों का खेल हुआ और 20 बल्लेबाज आउट हुए। यानी मुंबई इंडियंस और बेंगलूर की टीम ऑल आउट हुई। आखिरकार, मुंबई इंडियंस ने बेंगलूर को 31 रनों से पटखनी देकर खिताब पर अपना पहला कब्जा जमा लिया।

कैसे करते हैं यॉर्कर को डिग आउट?

यॉर्कर एक ऐसी गेंद होती है जो ठीक बल्लेबाज़ के पैरों के सामने पिच पर बाउंस होती है (या इसे बल्लेबाज़ के पैर के अंगूठे को लक्ष्य बना कर डाला जाता है), यह क्षेत्र ब्लॉक होल कहलाता है। बल्लेबाज़ के सामान्य रुख की वजह से और क्रिकेट के बल्ले की नियमित लम्बाई के कारण बल्ले को आमतौर पर उस समय भूमि के पास नहीं रखा जाता, जब बल्लेबाज़ गेंद को स्ट्राइक करने की तैयारी कर रहा होता है। इसलिए यॉर्कर को खेलने के लिए बल्लेबाज़ को तुरंत अपने बल्ले की उंचाई को बदलना पड़ता है, जैसे ही उसे ज्ञात होता है की गेंदबाज़ ने यॉर्कर डाली है। यह मुश्किल होता है और अक्सर गेंद बीच के अंतराल से निकल जाती है और विकेट को तोड़ देती है। इस प्रकार की डिलीवरी को सफलतापूर्वक खेल जाना एक यॉर्कर को डिगिंग आउट करना कहलाता है।

उनकी ओर बढ़ीं प्रियंका, लोगों ने किया कमेंट, भज्जी हुए पानी-पानी

चेन्नई में खेले गए चैम्पियंस लीग के फाइनल मुकाबले में मुंबई इंडियंस ने जैसे ही रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर को परास्त किया, वैसे ही चारों तरफ हरभजन सिंह की चर्चा होने लगी। इसी बीच मैच के ठीक बाद एक मजेदार वाकया हुआ।

मैच समाप्ति के बाद हरभजन सिंह को बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए मैन ऑफ द मैच अवार्ड के लिए चुना गया। जब इस अवार्ड के लिए उनके नाम की घोषणा हुई, तो एक हल्की शोर हुई। लकिन जैसे ही कमंटेटर रवि शास्त्री ने इस बात की घोषणा की कि हरभजन सिंह को मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार बॉलीवुड अभिनेत्री एवं नोकिया की ब्रांड एंबेसेडर प्रियंका चोपड़ा देंगी, तो पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट एवं 'हो...' की आवाज से गूंज उठा।

यहां तक कि साथी खिलाड़ी और अंपायर ने भी चुटकी लेते हुए उन्हें आगे बढ़ने को कहा। इतना हो जाए, तो भला हरभजन सिंह कैसे कुछ रिएक्शन नहीं देते। इस पूरी घटना के बाद हरभजन सिंह शर्म से लाल हो गए और मीठी-मीठी मुस्कान के साथ पुरस्कार लेने प्रियंका के पास पहुंच गए।

जैसे ही प्रियंका ने उन्हें पुरस्कार दिया, पूरा स्टेडियम एक बार फिर से 'हो...' की आवाज से गूंज उठा। फिर प्रियंका और हरभजन ने हंसते हुए आपस में कुछ बात की।

 

कैसी भी समस्या हो: ऐसे हनुमानजी को चने और गुड़ चढ़ाएं, क्योंकि...

यदि आपके जीवन में कठिन समय चल रहा है? यदि आपके कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहे हैं? यदि आपको कड़ी मेहनत के बाद भी उचित परिणाम प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं? यदि आपके घर-परिवार में तनाव चल रहा है? यदि आपकी पैसों की तंगी दूर नहीं हो पा रही है तो हनुमानजी की पूजा सर्वश्रेष्ठ उपाय है। हनुमानजी की पूजा शीघ्र मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मानी गई है।

यदि आप कड़ी मेहनत कर रहे हैं और फिर भी उचित परिणाम नहीं मिल रहे हैं या इसी प्रकार की अन्य समस्याएं चल रही हैं तो हर मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को गुड़ और चने का भोग लगाएं। ध्यान रहें हनुमानजी का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। ऐसे हनुमानजी को गुड़ चने का भोग लगाएं जिनका मुख दक्षिण दिशा की ओर हो। दक्षिण मुखी हनुमानजी को मंगलवार और शनिवार के दिन गुड़-चने का प्रसाद चढ़ाएं तथा दीप-अगरबत्ती लगाएं। इसके बाद हनुमान चालिसा का पाठ करें। यदि संभव हो तो सुंदरकांड का पाठ करें।

इस प्रकार प्रति मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी की आराधना करने से जल्द ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। बिगड़े कार्य बनना शुरू हो जाएंगे। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष हो तो हनुमानजी की पूजा से श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं। इस दौरान सभी प्रकार के अधार्मिक कर्मों से खुद को दूर रखें। 

कभी होते थे इनके बेपनाह हुस्न के चर्चे, आज हालत देखिए

बॉलीवुड अभिनेत्री मनीषा कोइराला की एक समय खूबसूरती की मिसाल पेश की जाती थी|1991 में जब वह पहली बार सुभाष घई की फिल्म 'सौदागर' में नजर आईं तो लाखों लोग उनकी सुंदरता के दीवाने हो गए|



मगर कहा जाता है उम्र और समय के साथ खूबसूरती भी घटती चली जाती है|मनीषा के साथ भी शायद यही हुआ है|41 साल की हो चुकी मनीषा जब हाल ही में एक इवेंट पर नजर आईं तो उनके चेहरे से उड़ी रंगत से यह अंदाजा हो गया कि उनपर भी उम्र असर कर चुकी है|



वैसे मनीषा की शादीशुदा जिंदगी भी इस समय कुछ ठीक नहीं चल रही है और लगातार नशा करने की आदत की वजह से शायद मनीषा की यह हालत हो गई है|आप भी इन तस्वीरों को देखकर मनीषा की हालत का अंदाजा लगा सकते हैं|

30 हजार 'बच्चों' के इस बाप से मिलकर हैरान रह जाएंगे जनाब!


बुंदेलखण्ड में एक शख्स ऐसा भी है जो बेटे की मौत के बाद वृक्षों को ही अपनी औलाद मानकर उनकी सेवा कर रहा है। धरती को हरा-भरा बनाने का संकल्प लेने वाले भैयाराम आज हजारों वृक्षों के 'पिता' हैं।

  
चित्रकूट जिले में 40 वर्षीय भैयाराम पिछले तीन सालों से जिले के पहरा वनक्षेत्र के करीब 30,000 वृक्षों की अपनी संतान की तरह सेवा और देखरेख कर रहे हैं। वन क्षेत्र के अंदर घास-फूस की झोपड़ी बनाकर रह रहे भैयाराम पेड़ों को काटने वाले चोरों से उनकी रक्षा करने से लेकर उनकी निराई-गुड़ाई,कीड़ों से बचाव और सिंचाई तक का पूरा ख्याल रखते हैं।

  
भैयाराम ने कहा, "ये पेड़ ही मेरे बेटे हैं..आज की तारीख में मेरे लिए इनसे बढ़कर कोई नहीं है। मेरे दिन और रात इन्हीं पेड़ों के साथ गुजरता है। मैं इन्हीं के बीच अपनी आखिरी सांस लेना चाहता हूं।"

  
उन्होंने कहा, "मुझ्झे इस बात का गर्व है कि इन हरे-भरे वृक्षों से पर्यावरण संरक्षण में मदद के साथ-साथ लोगों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा मिलेगी। पर्यावरण और मानव जाति का कल्याण मेरा इकलौता पुत्र शायद दुनिया में होकर भी नहीं कर पाता।"

  
तीन साल पहले इकलौते बेटे की मौत के बाद भैयाराम ने इन पेड़ों को अपनी संतान मानकर इनकी सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। वह बताते हैं, "पुत्र के जन्म के समय दस साल पहले मेरी पत्नी की मौत हो गई थी। उसके बाद मैंने अपने बेटे को पाल-पोषकर सात साल का किया। एक दिन अचानक रात को उसे उल्टियां हुईं और अस्पताल ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। पत्नी और फिर इकलौते बेटे की मौत के बाद मैं पूरी तरह से टूट गया। बिना किसी मकसद के अकेलेपन में जिंदगी गुजारने लगा।"

  
जुलाई 2008 में राज्य वन विभाग की तरफ से इस इलाके में विशेष पौधरोपण अभियान के तहत 30 हजार शीशम, नीम, चिलवल और सागौन जैसे पेड़ों को लगाया गया था। तब भैयाराम ने श्रमिक के तौर पर पेड़ों को रोपित कराया था। भैयाराम के मुताबिक पेड़ों को लगाने के दौरान उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न इन पेड़ों को ही वह अपनी संतान मानकर इनकी देखभाल करें।

  
उन्होंने स्थानीय वन अधिकारियों से अपने दिल की बात कही तो थोड़ी मान मनौवल के बाद वे राजी हो गए। कर्वी रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी नरेंद्र सिंह ने आईएएनएस से कहा, "शुरू में तो हमें थोड़ा संशय था कि भैयाराम इतना बड़ी जिम्मेदारी संभाल पाएगा या नहीं। लेकिन इन सालों में जिस तरह उसने अपनी संतान की तरह वृक्षों की देखभाल की, हम सभी लोग देखकर दंग रह गए।"

  
सिंह ने कहा, "शुरुआत में हमने उससे वृक्षों की देखभाल के लिए मेहनताने की पेशकश की थी लेकिन उसने साफ मना करते हुए कहा था कि 'अगर मैं मजदूरी लूंगा तो फिर मैं इन्हें न तो अपना पुत्र मान पाऊंगा और न ही उस तरह की फिक्रके साथ परवरिश कर सकूंगा'। उन्होंने कहा, "हम सभी भैयाराम के जज्बे को सलाम करते हैं कि पूरे परिवार को खोने के बाद उसने पेड़ों को अपना परिवार बनाया और आज देश-दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है।"

बेटा खोने का दर्द सीने में दबाए रखने से हुई जगजीत सिंह की मौत!

गजल सम्राट जगजीत सिंह का आज चंदनवाड़ी में अंतिम संस्‍कार कर दिया गया। ब्रेन हैमरेज के चलते करीब 15 दिन अस्‍तपाल में रहने के बाद सोमवार (10 अक्‍टूबर) को उनका निधन हो गया था। लेकिन बताया जाता है कि यह उनके निधन का तात्‍कालिक कारण था। असल में उनका निधन उस दर्द के चलते हुआ, जो उन्‍हें जवान बेटे की मौत के बाद मिला था।
मशहूर गायिका आशा भोंसले के मुताबिक जगजीत कभी भी लोगों के साथ अपना दुख नहीं बांटते थे और न ही लोगों के सामने उसे जाहिर होने देते थे। वह याद करती हैं कि जब उनके बेटे के निधन के बाद उन्‍हें सांत्‍वना देने गई थीं, तब उन्‍होंने कहा था कि इस बारे (बेटे की मौत) में बात नहीं करें। बकौल आशा, वह सारा गम अपने सीने में दबा कर रखते थे और शायद इसका उनकी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ा।

1990 में जगजीत और चित्रा के बेटे विवेक की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उसके बाद जगजीत को जुबां पर गीत लाने में छह महीने लग गए थे और चित्रा की आवाज तो खामोश ही हो गई थी। चित्रा दो साल पहले अपनी बेटी को भी खो चुकी हैं। उनकी पहली शादी से जन्‍मी मोनिका ने बांद्रा के अपने फ्लैट में खुदकुशी कर ली थी।

जगजीत शुरू से ही अंतरमुखी स्‍वभाव के थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि किशोरावस्था में वे एक लड़की पर फिदा हो गए थे। जालंधर में पढ़ाई के दौरान साइकिल पर ही आना-जाना होता था। लड़की के घर के सामने साइकिल की चेन टूटने या हवा निकलने का बहाना कर बैठ जाते और उसे देखा करते थे। बहरहाल, उनका यह प्यार परवान नहीं चढ़ सका था।

जगजीत सिंह के बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है कि कपड़े प्रेस करना उनकी हॉबी थी। उन्हें घुड़दौड़ का भी बहुत शौक था, उन्होंने घोड़े पाले भी थे। बचपन में फिल्मों के शौक के चलते अक्सर सिनेमाहॉल में गेटकीपर को घूस देकर घुसते थे।

चैरिटी के अनेक कार्यों में वे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। कई समाजसेवी संस्थाओं के सहायतार्थ गाया। ‘क्राई फॉर क्राई’ एलबम भी निकाला। मेहदी हसन के इलाज के लिए उन्होंने पाकिस्तान जाकर तीन लाख रुपए की मदद की थी। अपने संघर्ष के दिनों को याद कर नए कलाकारों की मदद के लिए तैयार रहते थे।


कहां तुम चले गए...

जन्म 8 फरवरी, 1941 को श्रीगंगानगर (राजस्थान) में। जन्म के समय पिता ने नाम दिया जगमोहन, पर अपने गुरु की सलाह पर बाद में कर दिया जगजीत।

पीडब्ल्यूडी में कार्यरत, पिता अमर सिंह पंजाब में दल्ला गांव के मूल निवासी थे और मां थीं बचन कौर। आर्थिक हालात ये थे कि बकौल जगजीत, ‘पतंग और रेडियो भी लक्जरी हुआ करते थे।’ शुरुआती साल बीकानेर में बीते, फिर श्रीगंगानगर लौटे।

पिता ने पं. छन्नूलाल शर्मा से संगीत की शिक्षा लेने भेजा। फिर छह साल उस्ताद जमाल खान से भी तालीम ली। कॉलेज के दिनों में एक रात चार हजार की भीड़ के सामने गा रहे थे कि बिजली चली गई। साउंड सिस्टम बैटरी के जरिए चालू रहा। जगजीत गाते रहे और क्या मजाल कि अंधेरे के बावजूद कोई उठकर गया हो!

स्नातक शिक्षा के लिए वे डीएवी जालंधर पहुंचे। यहां आकाशवाणी ने उन्हें ‘बी’ वर्ग के कलाकार की मान्यता दी। 1962 में जालंधर में ही उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद के लिए स्वागत गीत रचा।

1961 में वे मुंबई पहुंचे। संघर्ष में पैसे खत्म हो गए थे। इसी हालत में ट्रेन के शौचालय में छुपकर बिना टिकट जालंधर गए।

मार्च 1965 में वे दुबारा मुंबई लौटे। सस्ती जगह पर रहते थे। खटमलों के साथ सोते थे। एक रात तो चूहे ने पैर काट खाया।

छोटी-मोटी महफिलों, घरेलू आयोजनों, फिल्मी पार्टियों, विज्ञापन जिंगल्स आदि में गाते थे। इसी बीच एचएमवी ने एक रिकॉर्ड के लिए उनसे दो गजलें गवाईं। इसी के कवर पर छपने वाले चित्र के लिए उन्होंने पहली बार दाढ़ी और पगड़ी हटाई।

एक जिंगल की रिकॉर्डिंग के दौरान अपनी भावी जीवन संगिनी चित्रा दत्ता से मिले। 19६९ में बिना धूम-धड़ाके, रिसेप्शन या उपहार के उनकी शादी हो गई। शादी पर खर्च हुए कुल जमा 30 रुपए।

एक कमरे के मकान में रहते थे। 1971 में पुत्र विवेक का जन्म। आर्थिक मजबूरियां ऐसी कि चित्रा ने 20 दिन के बच्चे को गोद में लेकर माइक पर जिंगल गाया। बावजूद इसके जगजीत महसूस करते थे कि तब वे ‘दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति’ थे।

1975 में एचएमवी से पहला एलपी ‘द अनफॉरगेटबल्स’ आया। इसकी रिकॉर्ड कामयाबी के बाद उन्होंने मुंबई में फ्लैट खरीदा।

1980 में फिल्म ‘साथ-साथ’ और ‘अर्थ’ में स्वर और संगीत दिया। 1987 में उनका ‘बियॉन्ड टाइम’ देश का पहला संपूर्ण डिजिटल सीडी एलबम बना। अगले साल टीवी सीरियल ‘मिर्जा गालिब’ में स्वर और संगीत दिया।

28 जुलाई, 1990 को एकमात्र पुत्र विवेक की सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद आध्यात्मिकता और दर्शन की ओर झुकाव बढ़ा। पहला एलबम आया ‘मन जीते जगजीत’ (गुरबानी)।

संगीत के प्रति ऐसी प्रतिबद्धता कि 2001 में मां के अंतिम संस्कार के बाद उसी दोपहर कोलकाता में पूर्व निर्धारित कॉन्सर्ट के लिए पहुंचे।

2003 में पद्मभूषण सम्मान मिला।

नई दिशा (1999) व संवेदना (2002) के लिए प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के गीतों को सुर और संगीत दिया।


10 मई, 2007 को संसद के केंद्रीय कक्ष में प्रस्तुति दी।


लोकप्रिय एलबम
इकोज, द अनफॉरगेटबल्स, माइलस्टोन, कम अलाइव, द लेटेस्ट, बियॉन्ड टाइम, साउंड अफेयर, कहकशां, मिर्जा गालिब (सभी चित्रा सिंह के साथ) फेस टू फेस, लाइव विद जगजीत सिंह, मरासिम, मिराज, इनसाइट, क्राई फॉर क्राई, मां, सांवरा, हे राम।
यादगार गजलें
सरकती जाए है रुख से नकाब.., ये दौलत भी ले लो.., किया है प्यार जिसे.., मेरी जिंदगी किसी और की.., कोई चौदहवीं रात का चांद बनकर.., चराग आफताब गुम.., झूम के जब रिंदों ने पिला दी.., पहले तो अपने दिल की रजा जान जाइए.., मैं नशे में हूं.., अपने होंठों पर सजाना चाहता हूं.., जब किसी से कोई गिला रखना.., सच्ची बात कही थी मैंने.., कोई पास आया सवेरे-सवेरे...।
लोकप्रिय गीत
होंठों से छू लो तुम...(प्रेमगीत), झुकी झुकी सी नजर..(फिल्म अर्थ) तुमको देखा तो...(साथ-साथ), तुम इतना जो मुस्करा रहे हो...(अर्थ), फिर आज मुझे तुमको...(आज), हमसफर बनके हम...(आशियां), चिट्ठी न कोई संदेश...(दुश्मन), होशवालों को खबर क्या...(सरफरोश)।

Monday 10 October 2011

हरभजन का जलवा: मुंबई चैंपियनों का चैंपियन, बेंगलूर को रौंद कर जीता खिताब

 आईपीएल टीम मुंबई इंडियंस ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर को रौंदकर चैम्पियंस लीग टी-20 खिताब पर अपना कब्जा जमा लिया। खिताबी भिड़ंत में मुंबई इंडियंस ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूर को 31 रन से करारी शिकस्त देकर खिताब पर कब्जा जमाया है।

140 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी बेंगलूर की टीम 19.2 ओवर में 108 पर ही ढेर हो गई। मुंबई इंडियंस के गेंदबाजों की कसी गेंदबाजी के सामने बेंगलूर का कोई भी बल्लेबाज टिक नहीं सका। बेंगलूर की तरफ से तिलकरत्ने दिलशान ने सबसे अधिक 27 रन बनाए, जबकि मुंबई इंडियंस की तरफ से हरभजन सिंह को 3 विकेट, अहमद, चहल और मलिंगा को 2-2 विकेट तथा पोलार्ड को 1 विकेट मिला।

इससे पहले मुंबई के लसिथ मलिंगा ने बेंगलूर को पहला झटका दिया। उन्होंने तिलकरत्ने दिलशान को पवेलियन भेजा। दिलशान ने आतिशी 27 रन बनाए। इसके लिए उन्होंने 20 गेंदों का सामना किया और 5 चौके लगाए। इसके बाद क्रिस गेल भी अपनी प्रवृत्ति के अनुकूल नहीं खेल सके और 12 गेंदों में 5 रन बनाकर हरभजन सिंह की गेंद पर पगबाधा आउट हो गए।

इसके बाद मयंक अग्रवाल 14 रन बनाकर आउट हो गए। अग्रवाल के बाद विराट कोहली भी अधिक देर तक टिक नहीं सके और 19 गेंदों में 11 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। फिर अंतिम गेंद पर छक्का मारकर बेंगलूर को जीत दिलाने वाले अरुण कार्तिक आज कमाल नहीं कर सके और बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए।

कार्तिक के बाद मोहम्मद कैफ के रूप में बेंगलूर को छठा झटका लगा। खराब फॉर्म से जूझ रहे कैफ इस मैच में भी कुछ नहीं कर सके और 7 गेंदों में महज 3 रन बनाकर आउट हो गए। कैफ के बाद कप्तान विटोरी 1 रन, सौरव तिवारी 17 रन, श्रीनाथ अरविंद 4 रन और राजू भटकल 6 रन बनाकर पवेलियन लौट गए।

इससे पहले टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी मुंबई की टीम निर्धारित 20 ओवरों में 139 रन बनाकर ढेर हो गई। मुंबई की तरफ से फ्रैंकलिन ने सबसे अधिक 41 रन बनाए। वहीं, बेंगलूर के राजू भटकल ने सबसे अधिक 3 विकेट लिए। इसके अलावा कप्तान विटोरी ने 2 तथा नैन्स और अरविंद को 1-1 विकेट मिला।

वहीं, मुंबई इंडियंस को आज मैच के दूसरे ओवर में ही पहला झटका लग गया और ब्लीजार्ड महज 3 रन बनाकर रन आउट हो गए। नैन्स की गेंद पर उन्होंने एक शॉट लगाया, जिसपर वे एक रन चुराना चाहते थे। शॉट मारते ही वे दौड़ पड़े, लेकिन कंवर दूसरी साइड पर ही खड़े रहे।

इसके बाद डिर्क नैन्स ने सारुल कंवर को क्लीन बोल्ड कर दिया। कंवर 14 गेंदों में 13 रन ही बना सके। इसके बाद डिर्क नैन्स ने सारुल कंवर को क्लीन बोल्ड कर दिया। कंवर 14 गेंदों में 13 रन ही बना सके। कंवर के बाद रायडू ने पारी संभालने की कोशिश की, लेकिन वे भी 22 रन बनाकर तीसरे विकेट के रूप में आउट हो गए।

फिर सूर्यकुमार यादव ने मुंबई के लिए तेजी से रन जुटाने की कोशिश की। लेकिन वे भी 24 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। उन्होंने 17 गेंदों का सामना किया और 2 चौके तथा 1 छक्का लगाया। यादव के आउट होते ही सेट बैट्समैन फ्रैंकलिन भी 41 रन बनाकर रन आउट हो गए अपने अर्धशतक से चूक गए।

फ्रैंकलिन के बाद आतिशी पारी के लिए मशहूर किरोन पोलार्ड भी कमाल नहीं दिखा सके और महज 2 रन बनाकर छठे विकेट के रूप में आउट हो गए। इसके बाद कप्तान हरभजन सिंह भी महज 2 गेंदों का सामना करने के बाद बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए। हरभजन सिंह के बाद सतीश 9 रन, लसिथ मलिंगा 16 रन और चहल 2 रन बनाकर आउट हुए।

आपकी राय
चैम्पिसंय लीग टी-20 का फाइनल जीत कर मुंबई इंडियंस ने खिताब पर अपना कब्जा जमा लिया। मुंबई इंडियंस की यह जीत बहुत धमाकेदार रही। इस जीत पर आपकी क्या राय है?

चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए...


मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह का आज मुंबई में निधन हो गया। जगजीत सिंह को ब्रेन हेमरेज के बाद हाल में मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
करीब 15 दिन पहले अस्‍पताल में भर्ती कराए गए जगजीत सिंह का डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया और उनकी हालत नाजुक बताई। जिस दिन जगजीत सिंह को अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, उस दिन मुंबई में उन्‍हें एक कार्यक्रम देना था।
70 साल के जगजीत सिंह को उस दिन पाकिस्तान के गजल गायक गुलाम अली के साथ एक कंसर्ट में हिस्सा लेना था।जगजीत सिंह ने फिल्म दुश्मन में दिल को छू लेने वाला बेहद भावुक कर देने वाला गाना गाया था।


इस गाने के बोल थे चिट्ठी न कोई संदेश...जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए...। आज जगजीत जी भी हम सबको हमेशा के लिए छोड़कर उसी जगह चले गए हैं जहां से वह अब अब कभी वापस नहीं आएंगे।याद आएंगे वो और उनकी आवाज़ में गाए हुए सदाबहार नगमे।सुनिए उनकी आवाज़ में यह भाव विभोर कर देने वाला यही गाना...

Tuesday 4 October 2011

चार लाइन ऐसी जिन्हें बोलने से सब करने लगेंगे आपकी तारीफ

यश, मान-सम्मान या इज्जत के बिना सुखी जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यश या तारीफ के लिए आपका कार्य काफी अधिक महत्व रखता है। यदि कोई व्यक्ति काफी परिश्रम के बाद भी सम्मान प्राप्त नहीं कर पाता है तो उसे हनुमानजी का ध्यान करना चाहिए।अष्टांग योग में बताए गए महत्वपूर्ण चरण ध्यान से जहां हमें स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है वहीं हनुमानजी के स्मरण से धर्म लाभ प्राप्त होता है। शांत एवं स्वच्छ वातावरण वाले स्थान पर किसी भी आसन में बैठ जाएं और प्राणायाम की क्रिया शुरू करें। प्राणायाम यानि सांस का लेना और छोडऩा। सांस लेने की क्रिया सामान्य रखें। मन शांत करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
यदि आप यश, मान-सम्मान प्राप्त करना चाहते हैं तो हनुमान चालीसा की निम्न पंक्तियों का जप करें-

लाय संजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाय।।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

इन पंक्तियों का अर्थ है कि पवनपुत्र श्री हनुमानजी श्रीराम के भाई लक्ष्मण के लिए संजीवनी बुटी लेकर आए और उनका जीवन बचाया। हनुमानजी के इस उपकार से श्रीराम अति प्रसन्न हुए और उनका गुणगान किया। श्रीराम ने हनुमानजी की तुलना उनके सबसे प्रिय भाई भरत से की है।जिस प्रकार श्रीराम ने हनुमानजी का गुणगान किया है वैसा ही गुणगान या यश-सम्मान बजरंग बली अपने भक्तों को भी प्रदान करते हैं। इन पंक्तियों से जप से हनुमान अति प्रसन्न होते हैं भक्तों के दुख-दर्द, परेशानियों को दूर करते हैं।

जिस घर में होती है ऐसी खिड़की वहां आता है पैसा ही पैसा, क्योंकि...

सभी के घरों में पैसा या धन, गहने आदि कीमती वस्तुएं रखने की अलग और खास जगह होती है। जहां पैसा आदि रखा रहता है उस स्थान का प्रभाव वहां रहने वाले सभी लोगों पर पड़ता है। यदि धन और गहने शुभ स्थान पर रखे होंगे तो सभी सदस्यों पर इसका शुभ प्रभाव पड़ेगा और यदि अशुभ स्थान पर रखेंगे तो इसका बुरा प्रभाव घर की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है।

घर में पैसा या अन्य कीमती सामान कहां रखना चाहिए? इस संबंध में वास्तु के अनुसार घर में कई स्थान बताए गए हैं जहां हम पैसा आदि रख सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति के घर से बाहर निकलते समय सीधे हाथ की ओर खिड़की हो और जिस कमरे की ये खिड़की है वहां धन, पैसा, ज्वेलरी या अन्य कीमती सामान रखा रहता है तो वहां रहने वाले सभी लोग भाग्यशाली होते हैं। इसके साथ पैसा जहां रखा रहता है उस स्थान पर सूर्य की सीधी किरणें भी आना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर में ऐसी स्थिति बहुत शुभ मानी जाती है।

ध्यान से समझें यदि किसी व्यक्ति के घर से आप बाहर आ रहे हैं उस समय आपके सीधे हाथ की ओर कोई खिड़की दिखाई दे और वह खिड़की जिस कमरे की है उस कमरे में धन आदि कीमती सामान रखा रहता है और पैसा जहां रखा रहता है उस स्थान पर सूर्य की सीधी किरणें भी आना चाहिए। वास्तु के अनुसार घर में ऐसी स्थिति बहुत शुभ मानी जाती है। तो वहां रहने वाले सभी लोगों को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है और वहां सुख-समृद्धि बनी रहती है। वास्तु के अनुसार वहां रहने वाले किसी एक पुत्र का भाग्य बहुत अच्छा रहता है, वह शिक्षा के क्षेत्र में और आय के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त करता है। कुछ परिवारों में बेटियां के लिए घर में इस प्रकार की व्यवस्था फायदेमंद रहती है।

यदि आपके घर में भी ऐसी खिड़की है तो आप भी वहां धन आदि कीमती सामग्री रख सकते हैं। इससे आपके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। ध्यान रहे घर की अन्य स्थितियों पर भी विचार किया जाना आवश्यक है। यदि घर में अन्य कोई बड़े वास्तु दोष हैं तो उनका भी उचित उपचार किया जाना चाहिए। पैसा ऐसे स्थान पर ही रखा जाना चाहिए जहां चोर आदि से हमारा धन सुरक्षित रहे। 

11 नींबू से आपकी हर परेशानी हो जाएगी गायब, जानिए कैसे?

हर समस्या या संकट का समाधान हो जाता है मां काली की पूजा से। भक्तों से शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवी-देवताओं में से एक हैं मां काली। माता अपने भक्तों के सभी कष्ट और क्लेश पलभर में दूर कर देती हैं। काली माता मां दुर्गा का ही एक रूप है। नवरात्रि के दिनों में देवी मां की आराधना के श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।

नवरात्रि के अंतिम दो दिन शेष है, अत: इन दिनों में आप एक छोटा सा उपाय कर दें, आपको सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाएगा। मां काली अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं, वे सही-गलत जरूरी देखती हैं परंतु जो भी सही मनोकामना होती है वह अवश्य ही पूरी होती है।

प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर मां काली के मंदिर जाएं। देवी मां को सात, ग्यारह या इक्कीस नींबूओं की माला बनाकर अर्पित करें। माला घर से बनाकर ले जा सकते हैं। माला अर्पित करने के बाद मां के मस्तस्क पर गुलाब के फूल चढ़ाएं और लाल गुलाब की माला समर्पित करें। इसके बाद मां काली को गुड के प्रसाद का भोग लगाएं। यह प्रसाद वहां अन्य भक्तों को वितरित कर दें। इसके अतिरिक्त नियमित रूप से मां काली को सप्ताह में या माह में एक बार अवश्य गुड का प्रसाद चढ़ाएं और गरीबों की मदद करें।

इस प्रकार करने से आपके कष्ट जल्दी ही कम होने लगेंगे और आपका जीवन सुखी और समृद्धिशाली बना रहेगा।

एकता एक्सप्रेस पर बरसाए पत्थर, श्रद्धालु बाल-बाल बचे

एकता एक्सप्रेस पर कुरुक्षेत्र के समीप असामाजिक तत्वों ने पत्थर बरसाए। इससे काली माता के दर्शन कर कालका से लौट रहे पानीपत के करीब एक दर्जन श्रद्धालु बाल-बाल बच गए। सोमवार देर शाम श्रद्धालुओं ने इसकी सूचना दैनिक भास्कर कार्यालय पहुंचकर दी।

तहसील कैंप के प्रकाश नगर निवासी रूप ठाकुर, विजय, विनय कुमार, काला आदि ने बताया कि शहर के ही करीब एक दर्जन से ज्यादा श्रद्धालुओं के साथ एकता एक्सप्रेस से घर लौट रहे थे।

गाड़ी कुरुक्षेत्र से जैसे ही चली पास में ही मौजूद एक कालोनी के युवकों ने उनके डिब्बे पर मोटे-मोटे पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। इससे डिब्बे में बैठे सभी यात्री भयभीत हो गए। गनीमत ये रही कि इनमें से एक भी पत्थर यात्रियों को नहीं लगा। उन्होंने रेलवे प्रशासन से जल्द ही इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

Monday 3 October 2011

5 अक्टूबर को करें यह टोटका, आएगा पैसा ही पैसा

 नवरात्रि टोने-टोटकों के लिए बहुत ही उत्तम समय रहता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार इस दौरान किए गए सभी तंत्र प्रयोग शीघ्र ही फल देते हैं। यदि आप गरीब हैं और धनवान होना चाहते हैं नवरात्रि इसके लिए बहुत ही श्रेष्ठ समय है। नीचे लिखे टोटके को विधि-विधान से करने से आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी होगी।

टोटका

नवरात्रि के अंतिम दिन (5 अक्टूबर, बुधवार) को रात 10 बजे के बाद सभी कार्यों से निवृत्त होकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके पीले आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने तेल के 9 दीपक जला लें। ये दीपक साधनाकाल तक जलते रहने चाहिए। दीपक के सामने लाल चावल की एक ढेरी बनाएं फिर उस पर एक श्रीयंत्र रखकर उसका कुंकुम, फूल, धूप, तथा दीप से पूजन करें। उसके बाद एक प्लेट पर स्वस्तिक बनाकर उसे अपने सामने रखकर उसका पूजन करें। श्रीयंत्र को अपने पूजा स्थल पर स्थापित कर लें और शेष सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से धन आने लगेगा।

नौवीं कक्षा के छात्र का यह 'चमत्कार' मरीजों के लिए बनेगा 'वरदान'!


प्रतिभाएं कभी परिचय की मोहताज नहीं होतीं, देर सबेर ही सही उनके हुनर की तारीफ जमाने को करनी ही पड़ती है। ऐसी ही प्रतिभा हैं डीएवी पब्लिक स्कूल थर्मल कक्षा नौवीं के छात्र अर्श शाह दिलबागी।

अर्श ने गत दिनों नोएडा में आयोजित इंडियन रोबोट ओलंपियाड में रोबोट बनाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया एवं प्रथम स्थान प्राप्त किया। रोबोट बनाने में उनके सहयोगी दो अन्य छात्र भी थे। छठवां रोबोट ओलंपियाड नोएडा में 30 सितंबर से एक अक्टूबर तक आयोजित हुआ। इसमें देशभर के विभिन्न स्कूलों की 45 टीमों ने हिस्सा लिया था।

राष्ट्रपति ने भी किया है सम्मानित

अर्श अपनी उपलब्धियों के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा भी सम्मानित किए जा चुके हैं। अनमैंड ग्राउंड व्हीकल का प्रतिरूप बनाकर नार्थ जोन में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए उन्हें सम्मानित किया गया था। फिलीपींस मनीला में आयोजित की गई रोबोटिक्स कार्यशाला में भी अर्श की टीम भारत का नेतृत्व कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि अर्श के पिता अमित दिलबागी पानीपत थर्मल में एक्सईएन के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा उसकी मां रितु डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल में प्रिंसिपल हैं।

अर्श का रोबोट मरीजों के हित में

अर्श का रोबोट मरीजों के हित में है। प्री प्रोग्राम्स रोबोटिक्स (रोबोट) की मदद से मरीजों को सुरक्षा के साथ ऊंचे-नीचे स्थानों पर आसानी से ले जाया जा सकेगा। यह कहना है रोबोट निर्माता छात्र अर्श दिलबागी का।

अर्श की तमन्ना :  अर्श ने भास्कर से बातचीत में कहा कि वे चाहते हैं कि रोबोटिक्स के क्षेत्र में बेहतर कार्य करें। साथ ही रोबोट को भारतीय आबादी की सुविधा से जोड़ें। उन्होंने रोबोटिक्स से जुड़ी एक बेवसाइट भी बनाई है, जिसे प्रतिदिन सैकड़ों लोग सर्च करते हैं।