Tuesday 22 November 2011

इस उल्लू की मुंह मांगी कीमत दे रहा था तांत्रिक, नहीं डिगा ईमान



रायपुर। चंद रुपयों के लिए कुछ लोग अपना ईमान बेच देते हैं। अपनों को दगा दे जाते हैं। इतना ही नहीं थोड़े से पैसों के लिए जान लेने से भी नहीं चूकते। ऐसे बेरहम माहौल में किसी ईमानदार आदमी की झलक सुखद एहसास और प्रेरणास्पद लगती है।


राजधानी के सह्रदय युवक अभिषेक वर्मा ने दुर्लभ प्रजाति के घायल उल्लू की न केवल जान बचाई बल्कि उल्लू के जिद्दी सौदागर को विनम्रता से भगा दिया। एक तांत्रिक उल्लू को डेढ़ लाख रुपए में खरीदने को आमादा था। वह युवक डिगा नहीं, बिका नहीं। लक्ष्मी के वाहन को उसने नंदनवन के सुपुर्द कर दिया।

सोमवार को इस उल्लू को नंदन वन में बसेरा मिल गया। मोवा में रहने वाले अभिषेक वर्मा डीजे और लाइटिंग का काम करते हैं। वे शुक्रवार की रात करीब तीन बजे घर लौट रहे थे। मोवा ओवर ब्रिज पर उन्हें एक घायल उल्लू पड़ा मिला। पंजे में चोट की वजह से वह सड़क के बीच पड़ा था।

वे उसे घर ले गए। आहाता बनाकर दो दिनों तक सेवा की। उसने चावल नहीं खाया तो उसके लिए बाजार से मटन खरीदकर लाए। इसी बीच एक तांत्रिक को अभिषेक के घर उल्लू होने की खबर मिल गई। वह रविवार को उनके घर पहुंचा। उल्लू हासिल करने के लिए उसने अभिषेक को कई तरह के लालच दिए। फिर उसने कहा कि यह उल्लू उसके लिए दवाई के लिहाज से बेहद उपयोगी है।

मार्केट में इसका रेट डेढ़ से दो लाख रुपए है। अभिषेक को वह डेढ़ लाख रुपए देने को तैयार भी हो गया था। तांत्रिक का कहना था कि उल्लू के पंख, खून, चोंच, नाखून समेत हर अंग बेहद काम का है। इससे सिद्धि भी प्राप्त की जाती है। अभिषेक ने उल्लू सौंपने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने सोमवार को दैनिक भास्कर से संपर्क किया।

फिर उल्लू को नंदन वन भेजा गया। वहां पहले से एक और उल्लू था। नंदन वन के विराज मुदलियार ने बताया कि डॉक्टर को बुलाकर उल्लू की मरहम पट्टी की गई है। दोनों उल्लुओं की जोड़ी भी बन गई है। अब इन्हें नाम दिया जाएगा।

अभिषेक पीडब्लूडी में कार्यरत शिवकुमार वर्मा के पुत्र हैं। अभिषेक ने कहा कि वे जीव हत्या नहीं देख सकते। पैसे तो वे मेहनत से ही कमाएंगे। घर में मुसीबत में पड़े जीवों की मदद करने के संस्कार मिले हैं। वे पहले भी बिना मां के छह सात दुधमुंहे पिल्लों को पाल चुके हैं।

ओवर ब्रिज पर घायल मिले उल्लू की सेवा की, सुरक्षित हाथों में पहुंचाया

हालांकि अभिषेक के घर में पहले से मौजूद कुत्ते को उल्लू का आना पसंद नहीं आया। उसने उस पर हमला करने की कोशिश की। उल्लू भी अपने जख्म की परवाह न कर नाराजगी से पंख फैलाकर खड़ा हो गया।

अभिषेक के मुताबिक वह दृश्य एनिमल प्लेनेट में दिखाए जाने वाले सीन से कम नहीं था। तब उल्लू डेढ़ फुट ऊंचा और पांच फुट तक चौड़ा दिखाई दे रहा था। दोनों को अलग करने के चक्कर में अभिषेक के शरीर में कई जगह उल्लू के नाखून गड़ गए। उसके बाद जब तक उल्लू घर में रहा, सतर्कता बरती गई।

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