सुबह से लेकर दोपहर तक तो 10 अक्टूबर का दिन क्रिकेट के दीवानों के लिए एक आम दिन ही था लेकिन चार बजते-बजते एक अच्छी खबर देखने को मिली, हुबली में इंडिया-ए और वेस्टइंडीज-ए के बीच चल रहे चार दिवसीय गैर आधिकारिक टेस्ट मैच में एक शानदार चीज हुई। वापसी के आखिरी मौके को भुनाने के लिहाज से पिच पर उतरे गौतम गंभीर ने शानदार शतक लगाकर एक बार फिर अपने करियर में जान फूंकी और राष्ट्रीय टीम में वापसी का दावा ठोंक दिया। एक क्रिकेटर जो धीरे-धीरे अपने करियर के अंत की ओर बढ़ रहा था, उसे जैसे नया जीवनदान मिल गया, गंभीर ने 236 गेंदों में 123 रनों की शानदार पारी खेली।
इधर गंभीर आउट हुए ही थे कि देखते-देखते एक ऐसी खबर सामने आई जिसने गंभीर की खबर को तो किनारे किया ही, साथ ही दिमाग के सारे अंजर-पंजर हिला कर रख दिए। जी हां, क्रिकेट के भगवान ने देश को झंझोड़ने का काम कर दिया था..बीसीसीआइ को मेल के जरिए एक ऐसा ऐलान किया कि मानो भारतीय क्रिकेट अचानक अपना आस्तित्व तलाशने लगा। देश भर में न्यूज चैनल हो या इंटरनेट, चाय की दुकान हो या सड़क पर चलता ट्रैफिक, हर जगह बस यही चर्चा थी। आसाराम की खबर जैसे बैकफुट पर चली गई थी, देश-दुनिया में करोड़ों भारतीय आंखें नम थीं और अगले दिन यानी आज सुबह हर अखबार का पहला पन्ना इस बात की तस्दीक भी करता दिखा, कि वाकई क्रिकेट में भूचाल आ गया है।
सचिन के संन्यास की खबर आई ही थी, कि अचानक कुछ मिनटों के बाद फिर हुबली से एक खबर आई कि गंभीर के बाद चेतेश्वर पुजारा ने भी खोई लय वापस हासिल कर ली है, और पुजारा ने भी शानदार शतक जड़ दिया। वो दिन खत्म होने तक 139 रनों पर नाबाद पवेलियन लौटे और इंडिया-ए को एक बड़े स्कोर की तरफ अग्रसर कर दिया। पुजारा और गंभीर दोनों का लय में लौटना भारतीय क्रिकेट टीम के लिए आगे आने वाले लंबे टेस्ट सीजन में कितने विकल्प खोल देता है इसका अंदाजा हर क्रिकेट फैन को होगा...लेकिन जब सचिन सुर्खियों में हो तो भला कैसे इनको लाइमलाइट मिल पाती।
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फिर कुछ घंटों तक हर तरफ सचिन, सचिन और सचिन ही दिखे लेकिन उधर राजकोट से एक और सुनामी की लहर आना बाकी थी..यह हलचल मची रात 9 से 10 बजे के बीच, जब भारतीय टीम में खराब फिटनेस और फॉर्म से पार पाने के बाद वापसी कर रहे युवराज सिंह ने बेमिसाल पारी खेलकर भारतीय टीम को कंगारुओं के खिलाफ टी20 में शानदार जीत दिलाई। युवी एक बार फिर अपने पुराने अंदाज में नजर आए और महज 25 गेंदों में अपना अर्धशतक पूरा किया जबकि नाबाद रहते हुए 35 गेंदों में 77 रनों की धुआंधार पारी खेल डाली। उनकी इस पारी में 5 छक्के और 8 चौके लगे। कंगारुओं ने भारत को 202 का विशाल लक्ष्य दिया था लेकिन युवी के हौसलों के आगे यह भी छोटा पड़ा और भारत ने 2 गेंद शेष रहते ही यह मैच अपनी मुट्ठी में कर लिया। युवराज की इस वापसी ने कहीं ना कहीं भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए उस दवाई का काम किया जो उन्हें डिप्रेशन से बाहर लेकर आती। इन छह घंटों के बाद भी सचिन के संन्यास का दर्द भारी जरूर था, लेकिन कहीं ना कहीं तमाम 'क्रिकेटिया' दिलों पर युवराज, गंभीर और पुजारा ने मरहम लगाकर कुछ राहत देने का काम जरूर किया।
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