मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपने को सत्ता की दावेदार मान रही
कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत
चमकाने के लिये बहुजन स
माज पार्टी के समर्पित मतदाताओं के गढ़ में सेंध
लगाने में जुट गई है।
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दलितों को संसद और विधानसभा में ज्यादा से ज्यादा संख्या में लाने का जो संकल्प हाल मे लिया है, उससे बसपा नेता मायावती फिर सजग हो गयी है। उन्होंने अपने दलित मतदाताओं को कांग्रेस और भाजपा के झांसे में नहीं आने की अपील की और आरोप लगाया कि इन दलों ने कभी उनकी कोई सुध नहीं ली।
गांधी ने नयी रणनीति के तहत भरोसा दिलाया है कि कांग्रेस चाहती है कि वाल्मिकी समाज और अन्य पिछडा वर्ग के लोगों के लोकसभा और विधानसभा में चेहरे दिखे। साथ ही सिर पर मैला ढोने पर पाबंदी से जुडे विधेयक का नाम इज्जत का अधिकार रखा जाना चाहिये। भाजपा भी अयोध्या के राम मंदिर के मुद्दे को फिर हवा देने में लगी है इस बहाने हिन्दू वोट बैंक के नाम पर दलितों को जोडने में लगी है।
कांग्रेस और भाजपा की तमाम कोशिशों के बाद भी इन राज्यों में बसपा का मत प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है, जिससे कांग्रेस और भाजपा के जीत का अंतर कम हो गया है। पिछली बार बसपा को दिल्ली में 13.95 प्रतिशत मत मिले और उसने दो सीटे झटक ली थी। राजस्थान में उसे 7.60 प्रतिशत मत के साथ छह सीटे, मध्यप्रदेश में 8.97 के साथ सात सीटे और छत्तीसगढ़ में 6.11 प्रतिशत मत के साथ दो सीटे मिली थी
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दलितों को संसद और विधानसभा में ज्यादा से ज्यादा संख्या में लाने का जो संकल्प हाल मे लिया है, उससे बसपा नेता मायावती फिर सजग हो गयी है। उन्होंने अपने दलित मतदाताओं को कांग्रेस और भाजपा के झांसे में नहीं आने की अपील की और आरोप लगाया कि इन दलों ने कभी उनकी कोई सुध नहीं ली।
गांधी ने नयी रणनीति के तहत भरोसा दिलाया है कि कांग्रेस चाहती है कि वाल्मिकी समाज और अन्य पिछडा वर्ग के लोगों के लोकसभा और विधानसभा में चेहरे दिखे। साथ ही सिर पर मैला ढोने पर पाबंदी से जुडे विधेयक का नाम इज्जत का अधिकार रखा जाना चाहिये। भाजपा भी अयोध्या के राम मंदिर के मुद्दे को फिर हवा देने में लगी है इस बहाने हिन्दू वोट बैंक के नाम पर दलितों को जोडने में लगी है।
कांग्रेस और भाजपा की तमाम कोशिशों के बाद भी इन राज्यों में बसपा का मत प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है, जिससे कांग्रेस और भाजपा के जीत का अंतर कम हो गया है। पिछली बार बसपा को दिल्ली में 13.95 प्रतिशत मत मिले और उसने दो सीटे झटक ली थी। राजस्थान में उसे 7.60 प्रतिशत मत के साथ छह सीटे, मध्यप्रदेश में 8.97 के साथ सात सीटे और छत्तीसगढ़ में 6.11 प्रतिशत मत के साथ दो सीटे मिली थी
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