Tuesday, 22 October 2013

पानी में चलेगा वाई-फाई

Image Loadingशोधकर्ता दुनिया के ओरछोर तक पहुंच चुके इंटरनेट को समुद्र के गहरे पानी में उतारने की कोशिश कर रहे हैं। जी हां, वैज्ञानिक एक ऐसा इंटरनेट बनाने में लगे हैं जो गहरे पानी में भी कारगर हो सके। उन्होंने इसको अंतर्जलीय इंटरनेट नाम दिया है।    
न्यूयॉर्क के वैज्ञानिकों के एक दल ने लेक एरी में सतह के नीचे आंकड़ों को भेजने के प्रयोग में सफलता हासिल की है। उन्हें उम्मीद है कि वे दुनिया के समुद्रों और महासागरों में अंतजर्लीय संचार के लिए एक उद्योग का निर्माण कर सकेंगे। इस तकनीक का इस्तेमाल पनडुब्बियों के बीच आंकड़ों के आदान प्रदान के लिए हो सकेगा। मसलन, समुद्र की सतह से जुटाए गए आंकड़ों से सुनामी और अन्य आपदाओं का अपेक्षाकृत जल्द पता लगाया जा सकेगा। इसी तरह मछलियों और अन्य जलीय जीवों की निगरानी करने में भी यह तकनीक मददगार होगी। वैज्ञानिकों का दल अंतजर्लीय वाईफाई नेटवर्क का परीक्षण शुरू कर चुका है। 40 पौंड वजन के दो सेंसरों के जरिए आंकड़े भेजने और हासिल करने के लिए ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। किसी लैपटॉप से वास्तविक समय में आंकड़ा भेजा जा सकता है और वर्तमान रेडियो तंरग प्रौद्योगिकी के मुकाबले इन सेंसरों का एक व्यापक अंतर्जलीय दायरा है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस तकनीक का उपयोग अपतटीय तेल और प्राकृतिक गैस की खोज व निगरानी के अलावा प्रदूषण की जांच-पड़ताल के लिए भी किया जा सकता है। शोध दल की अगुआई बफैलो यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रियल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर टोमासो मेलोडिया कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक जलमग्न और बेतार नेटवर्क हमें वास्तविक समय में अपने समुद्रों से आंकड़े जुटाने और उनका विश्लेषण करने की अभूतपूर्व क्षमता देगा। मेलोडिया ने कहा कि किसी स्मार्टफोन या कंप्यूटर पर सूचना उपलब्ध कराने से, खासकर सुनामी या उसके जैसी किसी अन्य प्राकृतिक आपदा के समय हजारों लोगों की जान बचा सकता है।

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