जिंदगी की विषम परिस्थितियों में अगर आप जल्दी हौसला हार जाते हैं और
नकारात्मक भावनाएं मन में घर कर जाती हैं तो इसके लिए आपके जीन जिम्मेदार
हो सकते हैं। ताजा अध्ययन में ‘ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी’ के
शोधकर्ताओं ने ‘एडीआरए2बी’ नामक ऐसे जीन का पता लगाया है जो लो
गों में
हताशा और निराशा की भावना पैदा करती है।
उन्होंने बताया कि यह जीन शरीर में मौजूद हारमोन और न्यूरोट्रांसमीटर के सही तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके असंतुलित होने पर हारमोन व न्यूरोट्रांसमीटर के काम करने की प्रक्रिया बाधित होती है जिससे इनसान को नकारात्मकता घेर लेती है। पूर्व में हुए अध्ययनों में इस जीन को मस्तिष्क में भावनात्मक यादों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण माना गया था। लेकिन नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि लोग किस तरह दुनिया को देखते हैं, काफी हद तक यह एडीआरए2बी जीन के द्वारा तय होता है। ठोस निष्कर्ष प्राप्त करने के लिए शोधकर्ताओं ने एक परीक्षण किया। उन्होंने कुछ ऐसे लोगों का चुनाव किया जिनके शरीर में एडीआरए2बी जीन मौजूद थे, जबकि बाकी लोगों के शरीर में यह जीन नहीं था। उन्होंने लोगों के सामने कुछ स्थितियां रखीं और अपने हिसाब से उनका विश्लेषण करने को कहा। पहली स्थिति में प्रतिभागियों को भीड़भाड़ वाली जगह दिखाई गईं और उनसे लोगों के चेहरे के भाव को परखने को कहा गया। एडीआरए2बी जीन वाले लोगों की नजर केवल गुस्साए और दुखी चेहरों की ओर गई जबकि बाकी लोगों ने नाराज भाव वाले चेहरों के साथ-साथ उत्साहित चेहरों पर भी गौर किया। दूसरी स्थिति में प्रतिभागियों को प्राकृतिक दृश्यों वाली कुछ तस्वीरें दिखाईं गईं। जिनके शरीर में एडीआरए2बी जीन मौजूद था उन्होंने दृश्य की खूबसूरती देखने की बजाय पहाड़ी से फिसलने या चट्टान से चोट लग जाने का खतरा जाहिर किया।
उन्होंने बताया कि यह जीन शरीर में मौजूद हारमोन और न्यूरोट्रांसमीटर के सही तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके असंतुलित होने पर हारमोन व न्यूरोट्रांसमीटर के काम करने की प्रक्रिया बाधित होती है जिससे इनसान को नकारात्मकता घेर लेती है। पूर्व में हुए अध्ययनों में इस जीन को मस्तिष्क में भावनात्मक यादों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण माना गया था। लेकिन नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि लोग किस तरह दुनिया को देखते हैं, काफी हद तक यह एडीआरए2बी जीन के द्वारा तय होता है। ठोस निष्कर्ष प्राप्त करने के लिए शोधकर्ताओं ने एक परीक्षण किया। उन्होंने कुछ ऐसे लोगों का चुनाव किया जिनके शरीर में एडीआरए2बी जीन मौजूद थे, जबकि बाकी लोगों के शरीर में यह जीन नहीं था। उन्होंने लोगों के सामने कुछ स्थितियां रखीं और अपने हिसाब से उनका विश्लेषण करने को कहा। पहली स्थिति में प्रतिभागियों को भीड़भाड़ वाली जगह दिखाई गईं और उनसे लोगों के चेहरे के भाव को परखने को कहा गया। एडीआरए2बी जीन वाले लोगों की नजर केवल गुस्साए और दुखी चेहरों की ओर गई जबकि बाकी लोगों ने नाराज भाव वाले चेहरों के साथ-साथ उत्साहित चेहरों पर भी गौर किया। दूसरी स्थिति में प्रतिभागियों को प्राकृतिक दृश्यों वाली कुछ तस्वीरें दिखाईं गईं। जिनके शरीर में एडीआरए2बी जीन मौजूद था उन्होंने दृश्य की खूबसूरती देखने की बजाय पहाड़ी से फिसलने या चट्टान से चोट लग जाने का खतरा जाहिर किया।
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