उद्योग जगत ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि देश में कारोबार के लिए उचित माहौल सुनिश्चित किया जाए और उद्योग प्रतिनिधियों को महज आशंकाओं और अटकलों के आधार पर जांच एजेसियों के दायरे में आने से रोकने की व्यवस्था की जाए।
उद्योग संगठन एसोचैम की ओर से इस बाबत प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि इस तरह की घटनाओं से देश में निवेश और कारोबार का माहौल बिगडे़गा जो आर्थिक सुस्ती के मौजूदा दौर में देश के लिए बहुत नुकसानदेह होगा। संगठन ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा है कि मौजूदा आर्थिक परिदृश्य में देश का उद्योग जगत आपसे उद्यमियों के बीच उद्यमशीलता और कारोबारी भरोसा बनाए रखने में मदद की आशा करता है।
एसोचैम ने ओडिशा में कोल खंडों के आवंटन में हुयी कथित अनियमितताओ के सिलसिले में सीबीआई द्वारा प्राथमिकी का हवाला देते हुए यह बात कही है। हालांकि, इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी स्पष्टीकरण में साफ कहा गया है कि ओडिशा में कोल खंड आवंटन सही पात्रता के आधार पर किया गया था।
उद्योग संगठन ने इस स्पष्टीकरण पर हालांकि संतोष जताया है, लेकिन आगे दोबारा ऐसा कुछ न हो इसके लिए प्रधानमंत्री से पर्याप्त उपाय सुनिश्चित किए जाने की अपील की है। उद्योग संगठनों ने कहा है कि सरकार का काम केवल औद्योगिक नीतियां बनाना और उनके लिए नियम तय करना ही नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे उद्योगों को बढा़वा देने में भी अहम भूमिका निभानी चाहिए। उसे ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे देश में कारोबारी माहौल विश्वास भरा हो सके।
एसोचैम के मुताबिक बिना पूरे सबूतों के आरोप लगाने की प्रवृत्ति और सरकारी महकमों में बैठे शीर्ष अधिकारियों की ओर से समय पर सही निर्णय नहीं लिए जाने के कारण आगे जांच एजेंसियो को किसी भी मामले में महज आशंकाओं के आधार पर किसी को भी गिरफ्त में लेने की आजादी मिल जाती है। ऐसे समय जबकि देश में आम चुनाव नजदीक आ रहे है इससे अविश्वास का एक अजीब माहौल बन रहा है।
उद्योग संगठन ने कहा है कि इस मामले में भारत के नीति निर्धारकों को अमेरिका और यूरोप से सीख लेनी चाहिए, जहां की सरकारें कारपरेरेट जगत के हितों के बचाव के लिए हमेशा आगे रहती है। इसे केवल पूंजीवादी व्यवस्था का हवाला देकर नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
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