Monday, 14 October 2013

मध्य प्रदेशः रतनगढ़ माता मंदिर में भगदड़ से 115 लोगों की मौत, शिवराज मिलेंगे पीड़ितों से

दतिया जिले के मंदिर में भगदड़मध्य प्रदेश के दतिया जिले से लगभग 60 किलोमीटर दूर रतनगढ़ स्थि
त मंदिर में नवरात्रि के अंतिम दिन देवी दर्शन के लिए दूर-दूर से आए हजारों श्रद्घालुओं में मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या 115 पहुंच गई है. अभी तक 111 लोगों का पोस्टमार्टम हो चुका है. मरने वालों में 50 लोग मध्य प्रदेश से हैं और 58 उत्तर प्रदेश के. बाकियों की पहचान नहीं हो सकी है. मृतकों में 33 बच्चे शामिल हैं. 22 बच्चे अभी घायल हैं.
115 का आंकड़ा प्रशासन के मुताबिक है. कहा जा रहा है कि कई ग्रामीण बिना पोस्टमार्टम कराए अपने संबंधियों के शव लेकर अपने-अपने गांव चले गए हैं. अभी तक 111 शवों का पोस्टमार्टम हुआ है. ऐसे में, मरने वालों की संख्या 115 से अधिक होने की आशंका है.
सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हादसे में घायल हुए लोगों से मिलने दतिया जाने वाले हैं. उधर, चुनाव आयोग ने अभी तक केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी नेता उमा भारती को रतनगढ़ जाने की इजाजत नहीं दी है.
इस हादसे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गहरा दुख व्यक्त किया है. राज्य सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं.
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) आरएस गुप्ता ने रविवार रात बताया कि अब तक जिले के विभिन्न अस्पतालों में 111 शवों का पोस्टमार्टम किया जा चुका है.
सीएमएचओ गुप्ता ने कहा कि हादसे में घायल हुए लोगों की संख्या 70 से अधिक है, जिनका ग्वालियर सहित जिले के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है. उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया कि मरने वालों की संख्या बढ़ भी सकती है.
हादसे पर होने लगी सियासत
एक तो बदकिस्मती ये कि भगदड़ से 115 लोगों की जान चली गई और दूसरी बदकिस्मती यह कि हादसा चुनावी मौसम में हुआ. ऐसे में सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा है कि पुलिस हर ट्रैक्टर वाले से 200-200 रुपये लेकर उन्हें नो-ट्रैफिक एरिया में जाने दे रही थी. इसी वजह से हादसा हुआ. दिग्विजय ने कहा कि 2006 में भी यहां ऐसा हादसा हो चुका है, लेकिन मध्य प्रदेश की सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा.
वहीं, बीजेपी के कई नेताओं ने दतिया पहुंचकर हालात का जायजा लेने की बात कही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज वहां पहुंचेंगे. उमा भारती और कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी रतनगढ़ जाना चाहते हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें वहां जाने की अनुमति अभी तक नहीं दी है.
ऐसे हुआ ये भयानक हादसा...
नवरात्र के अंतिम दिन रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु रतनगढ़ की माता के मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे. मंदिर से पहले सिंध नदी पुल पर भारी भीड़ थी. पुल के संकरा होने और उस पर बड़ी संख्या में टैक्टरों के पहुंचने से जाम की स्थिति बन गई. जाम के कारण भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस ने वहां हल्का बल प्रयोग कर दिया, जिससे भगदड़ मच गई. एक तरफ श्रद्धालु जहां एक-दूसरे को कुचलते हुए भागने की कोशिश में लगे थे तो कई लोग जान बचाने के लिए नदी में कूद गए.

हादसे की होगी न्यायिक जांच
राज्य के मुख्य सचिव एंटोनी डिसा ने कहा कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे के साथ दतिया पहुंचे डिसा हालात का जायजा लेने रतनगढ़ भी गए. हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं. चंबल परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक डी.के. आर्य ने बताया कि घायलों की संख्या 70 से ज्यादा है. राहत व बचाव कार्य जारी है. गोताखोरों का नदी में तलाशी अभियान जारी है.
3-4 घंटे बाद शुरू हुआ राहत और बचाव कार्य
जानकारी के अनुसार, हादसे के तीन से चार घंटे बाद प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और उसके बाद ही राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ. देर रात तक शवों की तलाश का काम जारी था. नदी के पानी का बहाव अधिक होने के कारण मरने वालों की संख्या और ऊपर पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बड़ी संख्या में लोग नदी में कूद रहे थे तो कई भगदड़ में दब गए थे.
विधायक ने किया पुलिस और प्रशासन का बचाव
दतिया के विधायक और सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा रतनगढ़ पुलिस और प्रशासन का बचाव करते नजर आए. उन्होंने कहा कि भगदड़ मचने की वजह पुलिस लाठीचार्ज नहीं है, बल्कि पुल टूटने की अफवाह के चलते लोगों का जान बचाने के लिए भागना है.
डेढ़ लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए निर्वाचन आयोग की अनुमति से मृतकों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये मुआवजे देने का ऐलान किया है. राज्यपाल रामनरेश यादव ने भी हादसे पर दुख व्यक्त किया है. बताया गया है कि रतनगढ़ में हर साल नवरात्र में महानवमी के दिन लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. रविवार को भी मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी.
घायलों को अस्पताल पहुंचाने में हुई बहुत दिक्कतें
सबसे ज्यादा दिक्कत घायलों को अस्पताल पहुंचाने में हुई. हर तरफ वाहनों की लंबी कतार होने और जाम के कारण घायलों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो रहा था. हादसे के बाद गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया. पथराव में दो पुलिस अफसरों सहित 12 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं.
तनाव कम करने के प्रयास में जुटा प्रशासन
मृतकों का मौके पर ही पोस्टमार्टम कराए जाने की तैयारी चल रही है. कई शवों को दतिया जिला अस्पताल में भी लाया गया है. प्रशासन तनाव कम करने का हर संभव प्रयास कर रहा है. भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए आसपास के जिलों से एंबुलेंस बुलाई गई हैं. रतनगढ़ में हादसा होने की जानकारी मिलते ही ग्वालियर के जयारोग्य चिकित्सालय के ट्रॉमा सेंटर को खाली करा लिया गया और डॉक्टरों को तैनात कर दिया गया. इसके अलावा डॉक्टर्स की टीम रतनगढ़ भी भेजी गई. इस हादसे के के लिए कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और माकपा के प्रदेश सचिव बादल सरोज ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.

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