Thursday 2 May 2013

सरबजीत सिंह की मौत








  ‘सरबजीत सिंह की न्याय से इतर हत्या ने एक बार फिर से हमें याद दिलाया है कि पाकिस्तान से कानून की प्रक्रिया के अनुसरण करने की उम्मीद करना व्यर्थ है।’ पाकिस्तान की अमानवीय गतिविधि का जवाब देने में केंद्र पूरी तरह नाकाम रहा है। हमारे सैनिकों की सिर कलम करना और अब सरबजीत की मौत इसके दो हालिया उदाहरण हैं।
नरेन्द्र मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री


मै सरबजीत सिंह के निधन से काफी दुखी हूं। वह भारत के बहादुर बेटे थे, जिन्होंने अपनी दारूण पीड़ा को साहस और धैर्य के साथ सहा। पूरा देश उनके परिवार के साथ है।
डॉ. मनमोहन सिंह,
प्रधानमंत्री


लाहौर/नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में बंद भारत के सरबीत सिंह छह दिनों तक मौत से लड़ने के बाद तोड़ दिया। सरबजीत का देर रात 1.30 बजे लाहौर के जिन्ना अस्पताल में निधन हो गया। वह लाहोर की कोट लखपत जेल में छह कैदियों के घातक हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सरबजीत की मौत की पुष्टि अस्पताल के मेडिकल बोर्ड के प्रमुख महमूद शौकत ने की। उन्होंने कहा, ‘यह बेहद दुखद है। हमें इस बात का दु:ख है कि हम उन्हें नहीं बचा सके। उनकी हालत बिगड़ने के बाद से मैंने बुधवार को उनके परिवार को भारत जाने से रोकने की कोशिश की थी, लेकिन वे वापस चले गए।’ इससे पहले सरबजीत नॉन रिसर्विबल कोमा में चले गए थे और उनकी हालत गिर रही थी। डॉक्टर उनके दिमागी रूप से मृत हालत में पहुंचने के संकेत दे चुके थे। उनके मस्तिष्क के चेतना स्तर को बताने वाला ग्लासगो स्केल निम्न स्तर पर चला गया था। पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नजम सेठी ने सरबजीत सिंह की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए है। सेठी ने आदेश में कहा कि सरबजीत की मौत से जुडेÞ प्रत्येक पहलू की जांच होगी। वहीं छह सदस्यीय चिकित्सा बोर्ड ने लाहौर के जिन्ना अस्पताल में सरबजीत के शव का पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ है कि अत्यधिक टॉर्चर की वजह से मौत हुई है। पोस्टमार्टम के लिए गठित चिकित्सा दल में तीन अन्य चिकित्सकों को शामिल किया गया था। सूत्रों के मुताबिक, इन तीन चिकित्सकों में मियां मंशा अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक अमीर, लाहौर के जिला स्वास्थ्य अधिकारी मुहम्मद सईद अख्तर और पंजाब के चिकित्सा एवं कानून अधिकारी उमर फारूक बलोच शामिल थे।
    जानकारी के मुताबिक दोपहर करीब 3.30 बजे उनका पार्थिव शरीर भारतीय उच्चायुक्त के अधिकारियों को सौंप दिया गया। पार्थिव शरीर भारत द्वारा भेजे गए विशेष विमान से सीधे अमृतसर लाया गया। अमृतसर में पंजाब सरकार फिर से सरबजीत सिंह का पोस्टमॉर्टम कराएगी। सरकार ने ये फैसला उन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए किया है जो सरबजीत पर हुए हमले के बाद से लगातार उठ रहे हैं। शुक्रवार को सरबजीत का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
    उधर सभी राजनीतिक दलों समेत पूरे देश ने गहरी संवेदना जताई है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वीरवार को यहां सरबजीत सिंह की बहन, पत्नी और दो बेटियों से मुलाकात कर अपनी संवेदना व्यक्त की। सूत्रों के अनुसार राहुल करीब 40 मिनट तक सरबजीत के परिवार वालों के साथ रहे और अपना दुख और संवेदना व्यक्त की। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि सरबजीत सिंह की मौत से भारत और पाकिस्तान की जनता के बीच के संबंधों को नुकसान पहुंचा है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि इस घटना से दोनों देशों के बीच ‘शत्रुता’ कीमत को समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘यह हम सभी के लिए भयावह मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक झटका है। इस बीच पंजाब के उपमुख्यमंत्री ने सरबजीत की दोनों बेटियां पूनम और स्वप्नदीप कौर को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की।
    सरबजीत की मौत पर लोकसभा में शोक जताया गया तथा दो मिनट का मौन रखकर उन्हे श्रद्धांजलि दी गई। लोकसभा अध्यक्ष ने अपने वक्तव्य में कहा कि पाकिस्तान के एक जेल में कैदियों के द्वारा जघन्य तरीके से पिटाई से गंभीर रूप से घायल हुए भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की जिन्ना अस्पताल में हुई दुखद मौत से पूरा सदन गहरे सदमे एवं दु:ख में है। यह सदन पाकिस्तान के जेल में सरबजीत सिंह के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार की निंदा करता है और उम्मीद जताता है कि दोषियों को सजा दी जाएगी
    गौरतलब है कि लाहौर के कोट लखपत जेल में कैद  49 वर्षीय भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह पर गत 26 अप्रैल को अन्य कैदियों ने र्इंट और धारदार हथियार से जानलेवा हमला कर दिया था, जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पाकिस्तान में बम विस्फोट और जासूसी के आरोप में सरबजीत सिंह को फांसी की सजा मिली हुई थी।

 
रिहाई में दगाबाजी
26 जून 2012 को पाक राष्टÑपति ने सरबजीत को रिहा करने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद सरबजीत का परिवार और गांव खुशी से खिल उठा था। लेकिन खुशी सिर्फ पांच घंटे रही। पाक ने यू टर्न लेते हुए कहा कि जिस शख्स की रिहाई होनी है, उनका नाम सुरजीत है, सरबजीत नहीं। उन्होंने कहा, सुरजीत ने उम्रकैद की सजा पूरी कर ली और उन्हें रिहा कर दिया।

1990 से था पाक जेल में
-जिन्दगी पर भारी पड़ी एक गलती

नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में 22 साल दयनीय हालात में रहने के बाद शहीद होने वाला सरबजीत इतिहास में अमर हो गया। 19 मार्च, 1962 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के भिखीविंड में सलाखन सिंह के घर जन्में सरबजीत की दर्दकारी कहानी कई सालों तक दोनों मुल्कों के अखबारों में सुर्खियां बनीं, पर उनकी मौत ने न्याय व्यवस्था के सामने  सवाल खड़ा कर दिया। कबड्डी का बेहतरीन खिलाड़ी सरबजीत मैट्रिक तक की पढ़ाई  करने के बाद अपने परिवार की सहायता करने के लिए खेतों में ट्रैक्टर चलाकर आजीविका चलाने लगा और वह 1984 में सुखप्रीत कौर से शादी रचाकर अपना जीवन खुशी-खुशी बिताने लगा था। उनसे उसे दो बेटियां पूनमदीप और स्वपनदीप हुई, लेकिन उसे क्या पता था कि किस्मत उसे पाकिस्तान की जेल में ले जाएगी। 29 अगस्त 1990 को उसकी जिंदगी का सबसे मनहूस दिन था। उस दिन वह एक खेत में मजदूरी कर रहा था और शराब के नशे में गलती से पाक सीमा में घुस गया, क्योकि तब तार के बाड़े नहीं होते थे और एक पाकिस्तानी कर्नल ने उसे पकड़कर सात दिन तक रखा फिर अदालत में पेश कर दिया। इसी बीच लाहौर व मुल्तान में बम विस्फोट हुए। इनमें 14 पाकिस्तानी मारे गए। इसकी साजिश में पाकिस्तान पुलिस ने लाहौर में सरबजीत को मंजीत बताकर गिरफ्तार कर विस्फोट का मुख्य आरोपी बना डाला। वर्ष 1991 में पाकिस्तान की एंटी टेररिस्ट कोर्ट ने सरबजीत को फांसी की सजा सुनाई थी।


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भिखीविंड में पसरा सन्नाटा
तरनतारन/भिखीविंड। सरबजीत सिंह की मौत की खबर आते ही उसके पैतृक गांव भिखीविंड में सन्नाटा पसरा गया और हर जुबान खामोश हो गई। अमृतसर से करीब 22 किलोमीटर दूर पंजाब के तरनतारन जिले के खालड़ा पुलिस थानाक्षेत्र के भिखीविंड गांव में वीरवार सुबह से ही सन्नाटा पसर गया। ग्रामीणों को सुबह जब यह पता चला कि उनके लाडले सबरजीत की मौत हो गई तो वे दु:ख में डूब गए। गांव में स्वत: ही दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और स्कूल बंद कर दिए गए। सरबजीत के मौत से आक्रोशित ग्रामीणों ने पाकिस्तान के विरूद्ध नारेबाजी करते हुए  पाकिस्तानी झंडों को आग के हवाले कर दिया। ग्रामीणों का मानना है कि पाकिस्तान ने उनके लाडले को साजिश के तहत मार डाला है। वहीं जिला प्रशासन ने गांव में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी। सीमा सुरक्षा बल और सशस्त्र बलों को अलग-अलग जगहों पर तैनात कर दिया गया। आस-पास के गांव वाले भी सरबजीत की शव यात्रा में शामिल होने के लिए भिखीविंड पहुंचे।


रिहाई के बदले बर्नी ने मांगे थे 25 करोड़ : दलबीर
बोली-‘देश के लिए शहीद हुआ मेरा भाई’

नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में जानलेवा हमले के बाद सरबजीत सिंह की मौत के बाद बहन दलबीर कौर का धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने पाकिस्तान को लाहनत भेजते हुए कहा कि अंसार बनर्जी ने सरबजीत की रिहाई के लिए 25 करोड़ रुपए मांगे थे। दलबीर ने पाकिस्तान को ललकारते हुए कहा कि वह उन सारे ‘सरबजीतों’ के लिए लड़ती रहेंगी, जो पाकिस्तान की जेलों में कैद हैं। उन्होंने कहा कि वह देखेंगी कि तालिबानी उनका क्या बिगाड़ लेते हैं?
    सरबजीत की मौत के बाद दलबीर कौर वीरवार को 11 बजे करीब मीडिया के सामने आर्इं। उनका तेवर एकदम तल्ख था। उन्होंने कहा कि उनका भाई देश के लिए शहीद हुआ है। सरबजीत के साथ जो कुछ हुआ वह एक हिंदुस्तानी होने की वजह से हुआ। पाकिस्तान में चुनाव की वजह से राष्टÑपति जरदारी ने उसका कत्ल करवाया। दलबीर ने कहा कि वह 2005 से कह रही हैं कि उनका भाई निर्दोष है और निर्दोष को सजा नहीं होती उसका कत्ल किया जाता है। किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। पहले चमेल सिंह को मारा लेकिन कोई नहीं समझा, अब सरबजीत को मार दिया। दलबीर ने कहा कि अंसार बर्नी ने उनसे 25 करोड़ रुपये मांगे थे। उन्होंने इतनी बड़ी रकम होने से मना कर दिया तो उनसे कहा गया कि अगर 25 करोड़ नहीं हैं तो 2 करोड़ तो दो। सुबह पैसे दो और शाम को सरबजीत को ले जाओ।
---‘नर्स और डॉक्टर मुझ पर हंसते थे’
दलबीर ने आरोप लगाया कि जेल और जिन्ना अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें जलील किया। उन्होंने कहा कि अस्पताल में मेरे पूछे जाने पर वहां के नर्स और डॉक्टर हंसते थे। मुझे उनकी हंसी देखकर लगता था कि वे कुछ छिपा रहे हैं। उनको पता था कि सरबजीत तो जिंदा नहीं है। वह पहले ही मर चुका था। देश के सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और सभी राजनीतिक दलों को एक हो जाना चाहिए। पाकिस्तान को जवाब देने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कायर है, उस पर हमला किया जाए।
---गृहमंत्री ने दिया भरोसा
सरबजीत की बहन ने बताया कि गृहमंत्री शिंदे ने भरोसा दिया है कि इसकी जांच होगी। दलबीर ने कहा कि शिंदे ने बताया कि राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। सरबजीत के जिंदा होते अगर ये कोशिशें की जातीं तो हम सभी खुश होतें। दलबीर ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री को बताया कि जेल और   अस्पताल में उनके साथ क्या-क्या हुआ। शिंदे ने उन्हें भरोसा दिया है कि पाकिस्तान से पूरा हिसाब लिया जाएगा। दलबीर ने मांग की कि पाकिस्तान से आने वाले सब लोगों का वीजा कैंसल किया जाए।

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