Tuesday 21 May 2013

कभी ग्राउंड पर खौफ था होता इस क्रिकेटर का, एक दर्दनाक हादसे ने बदल दी जिंदगी

कभी ग्राउंड पर खौफ था होता इस क्रिकेटर का, एक दर्दनाक हादसे ने बदल दी जिंदगीटी-२क् से क्रिकेट का जो कलेवर बदला है उसमें चौके-छक्के अब बड़ी बात नहीं रह गई है। आईपीएल को ही देखें तो हर टीम में ऐसे बिग-हिटर मौजूद हैं जो अपनी ताबड़तोड़ बैटिंग से मैच की नतीजा बदल सकता है और केवल २क् ओवर में ही सेंचुरी लगाई जा रही हैं। 
 
इसके विपरीत कुछ सालों पहले तक वन-डे क्रिकेट में ही शतक लगाना एक बड़ा कारनामा समझा जाता था। ऐसे में जब कोई क्रिकेटर २क्क् के करीब पहुंचा तो वह कितना टैलेंटेड होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है। 
 
क्रिकेट वर्ल्ड में आज का दिन (21 मई) बेहद खास है। चेन्नई में खेले गए इंडिपेंडेंस कप के फाइनल में आज ही के दिन पाकिस्तान के दिग्गज क्रिकेटर सईद अनवर ने 194 रनों की पारी खेली थी। यह उस समय किसी भी क्रिकेटर का सबसे बड़ा निजी स्कोर था। 
 
इस दिग्गज क्रिकेटर ने पाकिस्तान के लिए वन-डे और टेस्ट क्रिकेट में कई नायाब पारियां खेलीं थीं लेकिन रिटायरमेंट के बाद इस क्रिकेटर ने खुदा की इबादत को ही अपनी जिंदगी मान लिया है। धर्मप्रचारक के रूप में अब यह कभी मस्जिद तो कभी जमातों के साथ इस्लाम का प्रचार-प्रसार कर रहा है।

इस खब्बू बैट्समैन ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 1989-90 में वन-डे और टेस्ट डेब्यू किया था। पाक के लिए 247 वन-डे खेलने वाले अनवर ने 20 शतक और 43 अर्धशतक बनाए थे। टेस्ट क्रिकेट में अनवर ने 10 शतक लगाए थे।
भारत के खिलाफ तो अनवर और भी खतरनाकर साबित होते थे। चेन्नई में अनवर ने 194 रनों की पारी खेल पाकिस्तान को इंडिपेंडेस कप जिताया था। इस पारी में अनवर ने टीम इंडिया के बॉलर्स को निशाना बनाते हुए 22 चौके और पांच छक्के लगाए थे।
कभी ग्राउंड पर खौफ था होता इस क्रिकेटर का, एक दर्दनाक हादसे ने बदल दी जिंदगीअनवर स्वयं कम्प्यूटर इंजीनियर थे और उनकी पत्नी लुबना भी डॉक्टर। अनवर और लुबना की एक प्यारी सी बेटी भी थी जिसका नाम बिस्माह था। अगस्त 2001 में एक रहस्मयी बीमारी ने चार वर्षीय बिस्माह को अनवर और लुबना से हमेशा के लिए छीन लिया। इस हादसे के समय अनवर एशियन टेस्ट चैंपियनशिप में बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट खेल रहे थे। अनवर सूचना मिलते ही तुरंत लाहौर लौट आए थे।

अनवर स्वयं कम्प्यूटर इंजीनियर थे और उनकी पत्नी लुबना भी डॉक्टर। अनवर और लुबना की एक प्यारी सी बेटी भी थी जिसका नाम बिस्माह था। अगस्त 2001 में एक रहस्मयी बीमारी ने चार वर्षीय बिस्माह को अनवर और लुबना से हमेशा के लिए छीन लिया। इस हादसे के समय अनवर एशियन टेस्ट चैंपियनशिप में बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट खेल रहे थे। अनवर सूचना मिलते ही तुरंत लाहौर लौट आए थे।
यहां तक कि शारजाह में एक मैच के दौरान तो अनवर को गेटकीपर ने ही रोक दिया था। वह अनवर को इस रूप में नहीं पहचान पाया था। हालाकि बाद में गार्ड ने इसके लिए अनवर से माफी भी मांगी थी। 
वर्ष 2003 वर्ल्ड कप में भारत के खिलाफ लगाई सेंचुरी को भी अनवर ने अपनी बेटी को समर्पित किया था। बिस्माह की मौत के बाद अनवर का खेल पहले जैसा नहीं रहा लगातार गिरते प्रदर्शन के कारण इस दिग्गज बल्लेबाज को क्रिकेट को अलविदा कहना पड़ा।
 
बिस्माह की मौत के बाद अनवर की जिंदगी बिल्कुल बदल गई और उन्होंने इस्लाम के प्रचार प्रसार को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। अब अनवर मस्जिदों और जमातों में जाकर युवा पीढ़ी को इस्लाम से जोड़ रहे हैं।

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