भारत में धर्म बन चुके क्रिकेट के भगवान, साथी खिलाड़ियों के पाजी और
विपक्षी टीम के लिए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपनी 24 साल पुरानी
क्रिकेट पारी को अलविदा कहने का दिन तय कर दिया है। वेस्टइंडीज के खिलाफ
होने वाले अपने 200वें टेस्ट के बाद वह क्रिकेट से सं
न्यास ले लेंगे।
लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर ने गुरुवार को टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास का ऐलान कर दिया है। उन्होंने बीसीसीआई को एक पत्र लिखकर बताया कि 14 नवंबर को वेस्टइंडीज के साथ अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद वह अपनी 24 साल की ‘टेस्ट पारी’ घोषित कर देंगे। बीसीसीआई सचिव संजय पटेल ने सचिन की ओर से एक बयान जारी किया, जिसमें इस बात का जिक्र है। बीसीसीआई को लिखे एक पत्र में सचिन ने बीसीसीआई को करियर के दौरान समर्थन और अपनी पसंद से सन्यास के लिए समर्थन देने का भी धन्यावाद दिया है। हालांकि लंबे समय से खराब फॉर्म से जूझने के कारण सचिन तेंदुलकर पर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का दबाव था। खासकर युवा खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन करके उनपर दबाव बना रहे थे। तेंदुलकर ने संभावना जताई है कि वह अपना अंतिम टेस्ट घरेलू मैदान मुंबई पर खेलेंगे। हालांकि कोलकाता का ईडन गार्डंस भी इस ऐतिहासिक मैच की मेजबानी का प्रबल दावेदार है। बीसीसीआई ने वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के दो टेस्ट स्थलों की घोषणा नहीं की है। बहरहाल, सचिन के इस फैसले के बाद जहां उनके प्रशंसकों ने अफसोस जताया है, वहीं पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों ने सही समय पर लिया गया निर्णय करार दिया है। क्रिकेट का भगवान...मास्टर ब्लास्टर...छोटा बाबू...नाम अनेक पर शख्स एक। जी, हम बात कर रहे हैं सचिन तेंदुलकर की। आइये आपको बताते हैं चालीस साल के सचिन की दस पारियां, जो क्रिकेट के इतिहास में हमेशा बेमिसाल रहेंगी। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर एक ऐसा मशहूर नाम है, जो आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। 24 अप्रैल, 1973 को मुंबई में जन्मा टीम इंडिया का यह सितारा इस उम्र में भी दनादन रन बरसाने के लिए बेचैन रहता है। क्रिकेट में ऐसा कोई भी बड़ा रिकॉर्ड नहीं है, जिसमें इस महान बल्लेबाज का नाम शामिल न हो। भारत को कई मैचों में जीत दिलाने वाले इस सितारे ने पिछले साल दिसंबर में अचानक ही वनडे क्रिकेट को अलविदा कह दिया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में इनका जलवा अभी भी बरकरार है। 1. सिडनी टेस्ट
ऑस्ट्रेलिया के महान फिरकी गेंदबाज शेन वार्न के सपने में आकर डराने वाले तेंदुलकर ने उनके पहले ही टेस्ट मैच में भी यादगार पारी खेली। 1991-92 में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच (सिडन) में उन्होंने 148 रनों की नाबाद पारी खेली। इस टेस्ट में 206 रन बनाने वाले रवि शास्त्री के साथ उन्होंने 196 रनों की साझेदारी भी की, जिसके दम पर भारत लगातार दो मैच में मिल रही हार का सिलसिला तोड़ पाया। 2. फरवरी 1990
तेज गेंदबाजों के लिए स्वर्गगाह कहे जाने वाले न्यूजीलैंड में फरवरी, 1990 में तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में खेली गई। सीरीज का दूसरा मैच नेपियर में खेला गया और यह मैच बारिश से खासा प्रभावित रहा, जिससे मैच ड्रा हो गया, लेकिन मास्टर ब्लास्टर ने इस मैदान पर 88 रनों की उम्दा पारी खेली। अब तक छह टेस्ट मैच खेल चुके सचिन की यह अर्धशतकीय पारी उस समय तक उनके करियर की सबसे बेहतरीन पारी थी। 3. 1992-93
इंग्लैंड की टीम भारत के दौरे पर आई और उसे सभी तीनों मैचों में हार का मुंह देखना पड़ा। सीरीज का दूसरा मैच चेन्नई के चेपक मैदान पर खेला गया और इस मैच में सचिन ने पहली पारी में 296 गेंदों में 165 रनों की लाजवाब पारी खेली, जिसके दम पर भारत ने 560 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। इसके बाद भारतीय फिरकी गेंदबाजों ने इंग्लिश बल्लेबाजों को इस कदर नचाया कि दोनों पारियों में वह भारत के बराबर स्कोर नहीं बना सके और मेहमान टीम को पारी और 22 रनों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। 4. 22 अप्रैल, 1998
शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए 143 रनों को कैसे भुलाया जा सकता है। भारत के सामने उस मुकाबले को जीतने के लिए 285 रनों का लक्ष्य था, जबकि फाइनल में पहुंचने के लिए 254 रन बनाने जरूरी थी। उसी बीच धूल भरी आंधी के कारण खेल को करीब 25 मिनट रोकना पड़ा। उसके बाद लक्ष्य फिर से निर्धारित किया गया। इस बार 46 ओवरों में जीत के लिए 276 रनों का लक्ष्य दिया गया, जबकि फाइनल में पहुंचने के लिए 237 रन निर्धारित किए गए। भारत वह मैच तो नहीं जीत सका, लेकिन सचिन तेंदुलकर द्वारा 131 गेंदों में बनाए गए 143 रनों की बदौलत टीम इंडिया ने 46 ओवरों में 5 विकेट के नुकसान पर 250 रन बनाए और न्यूजीलैंड को पछाड़कर फाइनल में अपनी जगह पक्की की। 5. 24 अप्रैल, 1998
कोका कोला कप के फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए 134 रनों का कोई जवाब नहीं। उस यादगार पारी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से हराया था। सचिन ने अपनी पारी में 12 चौके और 3 छक्के लगाए थे। ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों की नजर में भी यह पारी सचिन की सबसे यादगार पारियों में से एक है। 6. 1 मार्च, 2003
विश्व कप क्रिकेट के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा 75 गेंदों में बनाए गए 98 रनों की याद आज भी ताजा है। उस मुकाबले में सचिन शतक से महज 2 रन दूर रह गए, लेकिन शोएब अख्तर की गेंद पर बैकवर्ड प्वाइंट क्षेत्र में लगाया गया शानदार छक्का आज भी क्रिकेट इतिहास के लंबे छक्कों में से एक है। भारत ने 26 गेंद शेष रहते वह मुकाबला 6 विकेट से अपने नाम किया था। 7. जनवरी, 2004
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मुकाबले में सिडनी में सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए नाबाद 241 रन उनकी बेहतरीन यादगार पारियों में से एक है। सचिन तेंदुलकर ने 613 मिनट तक 436 गेंदों का सामना कर 33 चौकों की मदद से नाबाद 241 रन बनाए थे। 8. 5 नवंबर, 2009
अहमदाबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 141 गेंदों में बनाए गए 175 रन यादगार पारियों में से एक है। हालांकि उस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 351 रनों के लक्ष्य को टीम इंडिया हासिल नहीं कर सकी और महज 3 रन से मैच हार गई, लेकिन सचिन तेंदुलकर की जबरदस्त पारी ने उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब दिलवाया। सचिन ने उस मैच में 19 चौके और 4 छक्के लगाए थे। 9. 24 फरवरी, 2010
ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सचिन तेंदुलकर ने वो कारनामा किया, जिसका इंतजार विश्व क्रिकेट को जमाने से था। सचिन ने नाबाद 200 रनों की पारी खेली और वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले क्रिकेटर बने। सचिन ने सिर्फ 147 गेंदों में 25 चौके और 3 छक्कों की मदद से नाबाद 200 रन बनाए। 10. 30 मार्च, 2011
विश्व कप क्रिकेट के सेमीफाइनल मुकाबले में सचिन तेंदुलकर द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ बनाए गए शानदार 85 रनों को कैसे भुलाया जा सकता है। मोहाली में खेले गए उस हाई वोल्टेज मुकाबले में सचिन ने 115 गेंदों में 11 चौकों की मदद से 85 रन बनाए थे, जिसकी बदौलत टीम इंडिया निर्धारित 50 ओवरों में 9 विकेट के नुकसान पर 260 रन बना सकी। भारत ने वह मुकाबला 29 रन से जीता और सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर ने गुरुवार को टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास का ऐलान कर दिया है। उन्होंने बीसीसीआई को एक पत्र लिखकर बताया कि 14 नवंबर को वेस्टइंडीज के साथ अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद वह अपनी 24 साल की ‘टेस्ट पारी’ घोषित कर देंगे। बीसीसीआई सचिव संजय पटेल ने सचिन की ओर से एक बयान जारी किया, जिसमें इस बात का जिक्र है। बीसीसीआई को लिखे एक पत्र में सचिन ने बीसीसीआई को करियर के दौरान समर्थन और अपनी पसंद से सन्यास के लिए समर्थन देने का भी धन्यावाद दिया है। हालांकि लंबे समय से खराब फॉर्म से जूझने के कारण सचिन तेंदुलकर पर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का दबाव था। खासकर युवा खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन करके उनपर दबाव बना रहे थे। तेंदुलकर ने संभावना जताई है कि वह अपना अंतिम टेस्ट घरेलू मैदान मुंबई पर खेलेंगे। हालांकि कोलकाता का ईडन गार्डंस भी इस ऐतिहासिक मैच की मेजबानी का प्रबल दावेदार है। बीसीसीआई ने वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के दो टेस्ट स्थलों की घोषणा नहीं की है। बहरहाल, सचिन के इस फैसले के बाद जहां उनके प्रशंसकों ने अफसोस जताया है, वहीं पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों ने सही समय पर लिया गया निर्णय करार दिया है। क्रिकेट का भगवान...मास्टर ब्लास्टर...छोटा बाबू...नाम अनेक पर शख्स एक। जी, हम बात कर रहे हैं सचिन तेंदुलकर की। आइये आपको बताते हैं चालीस साल के सचिन की दस पारियां, जो क्रिकेट के इतिहास में हमेशा बेमिसाल रहेंगी। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर एक ऐसा मशहूर नाम है, जो आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। 24 अप्रैल, 1973 को मुंबई में जन्मा टीम इंडिया का यह सितारा इस उम्र में भी दनादन रन बरसाने के लिए बेचैन रहता है। क्रिकेट में ऐसा कोई भी बड़ा रिकॉर्ड नहीं है, जिसमें इस महान बल्लेबाज का नाम शामिल न हो। भारत को कई मैचों में जीत दिलाने वाले इस सितारे ने पिछले साल दिसंबर में अचानक ही वनडे क्रिकेट को अलविदा कह दिया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में इनका जलवा अभी भी बरकरार है। 1. सिडनी टेस्ट
ऑस्ट्रेलिया के महान फिरकी गेंदबाज शेन वार्न के सपने में आकर डराने वाले तेंदुलकर ने उनके पहले ही टेस्ट मैच में भी यादगार पारी खेली। 1991-92 में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच (सिडन) में उन्होंने 148 रनों की नाबाद पारी खेली। इस टेस्ट में 206 रन बनाने वाले रवि शास्त्री के साथ उन्होंने 196 रनों की साझेदारी भी की, जिसके दम पर भारत लगातार दो मैच में मिल रही हार का सिलसिला तोड़ पाया। 2. फरवरी 1990
तेज गेंदबाजों के लिए स्वर्गगाह कहे जाने वाले न्यूजीलैंड में फरवरी, 1990 में तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में खेली गई। सीरीज का दूसरा मैच नेपियर में खेला गया और यह मैच बारिश से खासा प्रभावित रहा, जिससे मैच ड्रा हो गया, लेकिन मास्टर ब्लास्टर ने इस मैदान पर 88 रनों की उम्दा पारी खेली। अब तक छह टेस्ट मैच खेल चुके सचिन की यह अर्धशतकीय पारी उस समय तक उनके करियर की सबसे बेहतरीन पारी थी। 3. 1992-93
इंग्लैंड की टीम भारत के दौरे पर आई और उसे सभी तीनों मैचों में हार का मुंह देखना पड़ा। सीरीज का दूसरा मैच चेन्नई के चेपक मैदान पर खेला गया और इस मैच में सचिन ने पहली पारी में 296 गेंदों में 165 रनों की लाजवाब पारी खेली, जिसके दम पर भारत ने 560 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। इसके बाद भारतीय फिरकी गेंदबाजों ने इंग्लिश बल्लेबाजों को इस कदर नचाया कि दोनों पारियों में वह भारत के बराबर स्कोर नहीं बना सके और मेहमान टीम को पारी और 22 रनों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। 4. 22 अप्रैल, 1998
शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए 143 रनों को कैसे भुलाया जा सकता है। भारत के सामने उस मुकाबले को जीतने के लिए 285 रनों का लक्ष्य था, जबकि फाइनल में पहुंचने के लिए 254 रन बनाने जरूरी थी। उसी बीच धूल भरी आंधी के कारण खेल को करीब 25 मिनट रोकना पड़ा। उसके बाद लक्ष्य फिर से निर्धारित किया गया। इस बार 46 ओवरों में जीत के लिए 276 रनों का लक्ष्य दिया गया, जबकि फाइनल में पहुंचने के लिए 237 रन निर्धारित किए गए। भारत वह मैच तो नहीं जीत सका, लेकिन सचिन तेंदुलकर द्वारा 131 गेंदों में बनाए गए 143 रनों की बदौलत टीम इंडिया ने 46 ओवरों में 5 विकेट के नुकसान पर 250 रन बनाए और न्यूजीलैंड को पछाड़कर फाइनल में अपनी जगह पक्की की। 5. 24 अप्रैल, 1998
कोका कोला कप के फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए 134 रनों का कोई जवाब नहीं। उस यादगार पारी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से हराया था। सचिन ने अपनी पारी में 12 चौके और 3 छक्के लगाए थे। ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों की नजर में भी यह पारी सचिन की सबसे यादगार पारियों में से एक है। 6. 1 मार्च, 2003
विश्व कप क्रिकेट के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा 75 गेंदों में बनाए गए 98 रनों की याद आज भी ताजा है। उस मुकाबले में सचिन शतक से महज 2 रन दूर रह गए, लेकिन शोएब अख्तर की गेंद पर बैकवर्ड प्वाइंट क्षेत्र में लगाया गया शानदार छक्का आज भी क्रिकेट इतिहास के लंबे छक्कों में से एक है। भारत ने 26 गेंद शेष रहते वह मुकाबला 6 विकेट से अपने नाम किया था। 7. जनवरी, 2004
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मुकाबले में सिडनी में सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए नाबाद 241 रन उनकी बेहतरीन यादगार पारियों में से एक है। सचिन तेंदुलकर ने 613 मिनट तक 436 गेंदों का सामना कर 33 चौकों की मदद से नाबाद 241 रन बनाए थे। 8. 5 नवंबर, 2009
अहमदाबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 141 गेंदों में बनाए गए 175 रन यादगार पारियों में से एक है। हालांकि उस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 351 रनों के लक्ष्य को टीम इंडिया हासिल नहीं कर सकी और महज 3 रन से मैच हार गई, लेकिन सचिन तेंदुलकर की जबरदस्त पारी ने उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब दिलवाया। सचिन ने उस मैच में 19 चौके और 4 छक्के लगाए थे। 9. 24 फरवरी, 2010
ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सचिन तेंदुलकर ने वो कारनामा किया, जिसका इंतजार विश्व क्रिकेट को जमाने से था। सचिन ने नाबाद 200 रनों की पारी खेली और वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले क्रिकेटर बने। सचिन ने सिर्फ 147 गेंदों में 25 चौके और 3 छक्कों की मदद से नाबाद 200 रन बनाए। 10. 30 मार्च, 2011
विश्व कप क्रिकेट के सेमीफाइनल मुकाबले में सचिन तेंदुलकर द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ बनाए गए शानदार 85 रनों को कैसे भुलाया जा सकता है। मोहाली में खेले गए उस हाई वोल्टेज मुकाबले में सचिन ने 115 गेंदों में 11 चौकों की मदद से 85 रन बनाए थे, जिसकी बदौलत टीम इंडिया निर्धारित 50 ओवरों में 9 विकेट के नुकसान पर 260 रन बना सकी। भारत ने वह मुकाबला 29 रन से जीता और सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
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