पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए संघर्ष करने वाली मलाला युसुफजई
को शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिल पाया. ज्यूरी ने 'ऑर्गनाइजेशन फॉर द
प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपन्स' (OPCW) को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए
चुना है. नोबेल प्राइज जीतने वाला यह दुनिया का 22वां संगठन है.
यहां भी अमेरिका की चली क्या!
OPCW को रासायनिक हथियारों को खत्म करने की दिशा में काम करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है. OPCW ही वह संगठन है जो सीरिया में कथित रासायनिक हमले के मामले को देख रहा है. यह संगठन संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से सीरिया के कथित रासायनिक हथियारों के जखीरे को खत्म करने के लिए भी काम कर रहा है.
गौरतलब है कि अगस्त में सीरिया की राजधानी दमिश्क में गैस हमले में 1400 से ज्यादा लोग मारे गए थे. अमेरिका व पश्चिमी देशों ने इसे रासायनिक हमला बताया था और सीरिया पर हमले की तैयारी भी कर ली थी.
10 दिसंबर को सौंपा जाएगा पुरस्कार
OPCW को 10 दिसंबर को ओस्लो में करीब 7 करोड़ 65 लाख रुपये की इनामी धनराशि सौंपी जाएगी. 10 दिसंबर को ही अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि होती है, जिनके नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है.
OPCW एक स्वतंत्र और स्वायत्त अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करता है. इसकी स्थापना 1997 में हुई थी. इसके 189 सदस्य हैं और इसका हेडक्वार्टर नीदरलैंड के 'द हैग' में हैं.
दक्षिण एशिया को रह गया मलाल
पाकिस्तानी किशोरी मलाला भी नोबेल की रेस में शामिल थीं. पुरस्कार के ऐलान से पहले मलाला ने कहा था, 'अगर मुझे नोबेल मिलता है तो यह बड़े सम्मान और जिम्मेदारी की बात होगी.'
पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखने वालीं मलाला पर पिछले साल तालिबान ने जानलेवा हमला किया था. इसके बाद वह पूरी दुनिया में महिला शिक्षा और साहस की अद्भुत मिसाल बनकर उभरी थीं. देश-विदेश के राष्ट्राध्यक्षों ने मलाला को बेमिसाल बताया था. लंदन में लंबे इलाज के बाद मलाला को कुछ ही महीने पहले अस्पताल से छुट्टी मिली थी.
OPCW को रासायनिक हथियारों को खत्म करने की दिशा में काम करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है. OPCW ही वह संगठन है जो सीरिया में कथित रासायनिक हमले के मामले को देख रहा है. यह संगठन संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से सीरिया के कथित रासायनिक हथियारों के जखीरे को खत्म करने के लिए भी काम कर रहा है.
गौरतलब है कि अगस्त में सीरिया की राजधानी दमिश्क में गैस हमले में 1400 से ज्यादा लोग मारे गए थे. अमेरिका व पश्चिमी देशों ने इसे रासायनिक हमला बताया था और सीरिया पर हमले की तैयारी भी कर ली थी.
10 दिसंबर को सौंपा जाएगा पुरस्कार
OPCW को 10 दिसंबर को ओस्लो में करीब 7 करोड़ 65 लाख रुपये की इनामी धनराशि सौंपी जाएगी. 10 दिसंबर को ही अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि होती है, जिनके नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है.
OPCW एक स्वतंत्र और स्वायत्त अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करता है. इसकी स्थापना 1997 में हुई थी. इसके 189 सदस्य हैं और इसका हेडक्वार्टर नीदरलैंड के 'द हैग' में हैं.
दक्षिण एशिया को रह गया मलाल
पाकिस्तानी किशोरी मलाला भी नोबेल की रेस में शामिल थीं. पुरस्कार के ऐलान से पहले मलाला ने कहा था, 'अगर मुझे नोबेल मिलता है तो यह बड़े सम्मान और जिम्मेदारी की बात होगी.'
पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखने वालीं मलाला पर पिछले साल तालिबान ने जानलेवा हमला किया था. इसके बाद वह पूरी दुनिया में महिला शिक्षा और साहस की अद्भुत मिसाल बनकर उभरी थीं. देश-विदेश के राष्ट्राध्यक्षों ने मलाला को बेमिसाल बताया था. लंदन में लंबे इलाज के बाद मलाला को कुछ ही महीने पहले अस्पताल से छुट्टी मिली थी.
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