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हालांकि सरकारी वकील ने जेठमलानी की सभी दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनकी दलीलों में विरोधाभास है। सरकारी वकील आनंद पुरोहित का कहना है कि लड़की अगर मानसिक बीमार भी होती तब भी कानून के मुताबिक उसके साथ हुई हरकत को जायज नहीं ठहराया जा सकता। जेठमलानी ने लड़की की उम्र को लेकर भी सवालिया निशान लगाया है। उनका कहना है कि सिर्फ स्कूली सर्टिफिकेट को आधार मानकर लड़की को नाबालिग नहीं कहा जा सकता है।
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उनकी इस दलील पर पुरोहित ने कहा है कि पीड़ित की उम्र के बाबत जो सर्टिफिकेट कोर्ट में दिया गया वह खुद आसाराम के स्कूल का ही है। ऐसे में उसको झुठलाया नहीं जा सकता है। जेठमलानी की दलील को देखते हुए केस डायरी को मंगवाने का फैसला किया गया। इसमें ये देखा जाएगा कि जांच कहां तक पहुंची है। पूरे मामले को देखते हुए अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 18 सितंबर की तारीख तय की है।
जेठमलानी की दलील थी कि यौन शोषण के बाद मेडिकल जांच में देरी होनी की भी जांच होनी चाहिए। अब 18 सितंबर को सरकारी वकील कोर्ट में आश्रम का नक्शा पेश करेंगे। उन्होंने जेठमलानी द्वारा पेश किए आश्रम के नक्शे को झूठा बताया है।
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