अगर सिनेमा को समाज के बदलते नजरिए का बैरोमीटर माना जाता है तो जयपुर
में बसे एक कपल के लिव-इन रिलेशनशिप पर आधारित यश राज फिल्म्स की 'शुद्ध
देसी रोमांस' ने काफी अच्छा काम किया है. यह फिल्म भारत में बदलते रोमांस
को पर्दे पर उतारने में सफल रही है.
पढ़ें: देश के छोटे शहरों की हसीन रातें
अभी तक लिव-इन रिलेशनशिप और शादी से पहले सेक्स को केवल बड़े शहरों तक ही सीमित करके देखा जाता है, लेकिन परंपराओं के गढ़ छोटे शहरों में भी अब यह आम बात बनती जा रही है. शादी अब पहले की तरह उम्र के साथ किया जाने वाला पवित्र अनुष्ठान नहीं रह गई है.
मशहूर मनोवैज्ञानिक और रिलेशनशिप विशेषज्ञ हरीश शेट्टी कहते हैं कि आज का युवा प्यार के इस उन्मुक्त तरीके का आनंद ले रहा है. उनके मुताबिक, 'अब लोग अपनी जरूरतों और चाहतों को आवाज देने में झिझक महसूस नहीं करते. जहां सार्थक संबंध पिछड़ रहे हैं, वहीं थोड़े समय के लिए बनाए गए रिश्ते ज्यादा फल-फूल रहे हैं.'
शेट्टी कहते हैं, 'पहले सेक्स को शादी से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन यह सब पिछले 10-15 सालों में बदल गया है.'
चुंबन, गले मिलना और लिव-इन रिलेशनशिप
वह दिन गए जब पहाड़ी इलाकों के धुंध भरे मौसम में एक-दूसरे के स्पर्श से ही प्रेमी जोड़े शर्म से लाल हो जाते थे और उनके पूरे शरीर में सिरहन होने लगती थी. अब 21वीं सदी के हिमाचल प्रदेश में आपका स्वागत है, जहां स्कूल स्टूडेंट्स गर्व के साथ अपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ चलते हैं.
पढ़ें: कच्ची उमर में उभरती कामुकता
सोलन के एक बड़े पब्लिक स्कूल के टीचर केशव शर्मा के मुताबिक, 'कॉलेज की छोड़िए अब तो स्कूल के बच्चों में भी सेक्शुअल संबंध हैं. चाहे वो माध्यमिक स्कूल हों या सेकेंडरी, ब्वॉयफ्रेंड्स और गर्लफ्रेंड्स होना आम बात है. वे जब मिलते हैं तो सिर्फ हाथ नहीं मिलाते, वे एक दूसरे को गले लगाते हैं और गालों में किस करते हैं.'
शिमला, चंबा और कुल्लू जैसे छोटे शहरों में भी लिव-इन रिलेशशिप्स की तादाद बढ़ रही है. इंटर-कास्ट शादी पर घरवालों की ना-नुकुर से परेशान आज का युवा प्यार की कुर्बानी देने को तैयार नहीं है, जिसके चलते लिव-इन रिलेशशिप्स के प्रति उनका रुझान बढ़ता जा रहा है.
पढ़ें: वैकल्पिक कामुकता का सर्वाधिक सक्रिय शहर
डेमोक्रेटिक है लिव-इन संबंध
राजस्थान यूनिवर्सिटी के रिटायर प्रोफेसर राजीव गुप्ता कहते हैं कि गैर-मेट्रो शहर भारत के महानगरों से किसी मायनों में कम मेट्रोपॉलिटन नहीं. यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर गुप्ता ने युवाओं के बदलते नजरिए पर जयपुर और कोटा में एक अध्ययन करवाया.
अध्ययन में सामने आया कि दोनों ही शहरों के युवा ब्वॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के विचार के साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप्स का भी समर्थन करते हैं.
तस्वीरों में देखें: अंतरंग संबंधों की बेपर्दा होती हकीकत
प्रोफेस गुप्ता के कुछ छात्र कहते हैं कि लिव-इन रिलेशनशिप उन्हें शादी के बंधन से छुटकारा दिलाता है. उन्होंने घरेलू हिंसा को शादी के खिलाफ एक बड़े तर्क के रूप में इस्तेमाल किया. जबकि लिव-इन का विचार ज्यादा लोकतांत्रिक है.
डेटिंग साइट्स पर पीछे नहीं छोटे शहर
एक एडल्ट-डेटिंग वेबसाइट में मिनाल (बदला हुआ नाम) ने अपनी बोल्ड फोटो अपलोड की है ताकि वो संभावित साथी को आकर्षित कर सके. और वह ऐसा करने वाली अकेली नहीं हैं.
इस तरह की वेबसाइट्स में कई ऐसे लोग हैं जिनकी मंशा मिनाल जैसी है. मजेदार बात यह है कि इनमें से कोई भी लड़की किसी मेट्रोपॉलिटन शहर से नहीं, बल्कि उत्तरी गुजरात के उंझा, राजकोट, भावनगर और सौराष्ट्र के वल्लभ विद्यानगर जैसे छोटे शहरों की रहने वाली हैं.
तस्वीरों में देखें: जी का जंजाल ना बन जाए कम उम्र में संबंध
वहीं, दवा विक्रेता आबिद हुसैन कहते हैं कि गर्भनिरोधक दवाओं की बिक्र में काफी बढ़ोतरी हुई है. उनका कहना है कि आजकल के युवा पहले की तुलना में बहुत ही बेबाकी से इन सब चीजों को खरीदते हैं. हुसैन के मुताबिक, 'यहां तक कि लड़कियां भी किसी खास कॉन्डोम और प्रेग्नेंसी किट को खरीदने में झिझकती नहीं हैं.'
पढ़ें: देश के छोटे शहरों की हसीन रातें
अभी तक लिव-इन रिलेशनशिप और शादी से पहले सेक्स को केवल बड़े शहरों तक ही सीमित करके देखा जाता है, लेकिन परंपराओं के गढ़ छोटे शहरों में भी अब यह आम बात बनती जा रही है. शादी अब पहले की तरह उम्र के साथ किया जाने वाला पवित्र अनुष्ठान नहीं रह गई है.
मशहूर मनोवैज्ञानिक और रिलेशनशिप विशेषज्ञ हरीश शेट्टी कहते हैं कि आज का युवा प्यार के इस उन्मुक्त तरीके का आनंद ले रहा है. उनके मुताबिक, 'अब लोग अपनी जरूरतों और चाहतों को आवाज देने में झिझक महसूस नहीं करते. जहां सार्थक संबंध पिछड़ रहे हैं, वहीं थोड़े समय के लिए बनाए गए रिश्ते ज्यादा फल-फूल रहे हैं.'
शेट्टी कहते हैं, 'पहले सेक्स को शादी से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन यह सब पिछले 10-15 सालों में बदल गया है.'
चुंबन, गले मिलना और लिव-इन रिलेशनशिप
वह दिन गए जब पहाड़ी इलाकों के धुंध भरे मौसम में एक-दूसरे के स्पर्श से ही प्रेमी जोड़े शर्म से लाल हो जाते थे और उनके पूरे शरीर में सिरहन होने लगती थी. अब 21वीं सदी के हिमाचल प्रदेश में आपका स्वागत है, जहां स्कूल स्टूडेंट्स गर्व के साथ अपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ चलते हैं.
पढ़ें: कच्ची उमर में उभरती कामुकता
सोलन के एक बड़े पब्लिक स्कूल के टीचर केशव शर्मा के मुताबिक, 'कॉलेज की छोड़िए अब तो स्कूल के बच्चों में भी सेक्शुअल संबंध हैं. चाहे वो माध्यमिक स्कूल हों या सेकेंडरी, ब्वॉयफ्रेंड्स और गर्लफ्रेंड्स होना आम बात है. वे जब मिलते हैं तो सिर्फ हाथ नहीं मिलाते, वे एक दूसरे को गले लगाते हैं और गालों में किस करते हैं.'
शिमला, चंबा और कुल्लू जैसे छोटे शहरों में भी लिव-इन रिलेशशिप्स की तादाद बढ़ रही है. इंटर-कास्ट शादी पर घरवालों की ना-नुकुर से परेशान आज का युवा प्यार की कुर्बानी देने को तैयार नहीं है, जिसके चलते लिव-इन रिलेशशिप्स के प्रति उनका रुझान बढ़ता जा रहा है.
पढ़ें: वैकल्पिक कामुकता का सर्वाधिक सक्रिय शहर
डेमोक्रेटिक है लिव-इन संबंध
राजस्थान यूनिवर्सिटी के रिटायर प्रोफेसर राजीव गुप्ता कहते हैं कि गैर-मेट्रो शहर भारत के महानगरों से किसी मायनों में कम मेट्रोपॉलिटन नहीं. यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर गुप्ता ने युवाओं के बदलते नजरिए पर जयपुर और कोटा में एक अध्ययन करवाया.
अध्ययन में सामने आया कि दोनों ही शहरों के युवा ब्वॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के विचार के साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप्स का भी समर्थन करते हैं.
तस्वीरों में देखें: अंतरंग संबंधों की बेपर्दा होती हकीकत
प्रोफेस गुप्ता के कुछ छात्र कहते हैं कि लिव-इन रिलेशनशिप उन्हें शादी के बंधन से छुटकारा दिलाता है. उन्होंने घरेलू हिंसा को शादी के खिलाफ एक बड़े तर्क के रूप में इस्तेमाल किया. जबकि लिव-इन का विचार ज्यादा लोकतांत्रिक है.
डेटिंग साइट्स पर पीछे नहीं छोटे शहर
एक एडल्ट-डेटिंग वेबसाइट में मिनाल (बदला हुआ नाम) ने अपनी बोल्ड फोटो अपलोड की है ताकि वो संभावित साथी को आकर्षित कर सके. और वह ऐसा करने वाली अकेली नहीं हैं.
इस तरह की वेबसाइट्स में कई ऐसे लोग हैं जिनकी मंशा मिनाल जैसी है. मजेदार बात यह है कि इनमें से कोई भी लड़की किसी मेट्रोपॉलिटन शहर से नहीं, बल्कि उत्तरी गुजरात के उंझा, राजकोट, भावनगर और सौराष्ट्र के वल्लभ विद्यानगर जैसे छोटे शहरों की रहने वाली हैं.
तस्वीरों में देखें: जी का जंजाल ना बन जाए कम उम्र में संबंध
वहीं, दवा विक्रेता आबिद हुसैन कहते हैं कि गर्भनिरोधक दवाओं की बिक्र में काफी बढ़ोतरी हुई है. उनका कहना है कि आजकल के युवा पहले की तुलना में बहुत ही बेबाकी से इन सब चीजों को खरीदते हैं. हुसैन के मुताबिक, 'यहां तक कि लड़कियां भी किसी खास कॉन्डोम और प्रेग्नेंसी किट को खरीदने में झिझकती नहीं हैं.'
और भी... http://aajtak.intoday.in/story/marriage-no-longer-the-sacrosanct-ritual-live-ins-and-pre-marital-sex-emerge-as-the-lifestyles-of-choice-for-young-indians-1-742699.html
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