पौष्टिक खानपान का संबंध संपूर्ण स्वास्थ्य के साथ होने के साथ अवसाद से भी
होता है। जिन लोगों का खानपान ठीक नहीं होता, उनके अवसाद की चपेट में आने
की संभावनाएं भी अधिक होती हैं।
हाल ही में यूनीर्वसिटी आफ ईस्टर्न फिनलैंड में हुए एक शोध सेपौष्टिक खानपान और अवसाद के बीच के इस संबंध का खुलासा हुआ है। इस शोध के दौरान मध्यम और अधिक आयुवर्ग के 2000 से अधिक लोगों की खानपान संबंधी आदतों का लम्बे समय तक अध्ययन किया गया।
अध्ययन के बाद जारी अंतिम रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि जिन लोगों के खानपान में सब्जियां, फल, बेरीज, सम्पूर्ण अनाज, दूध, दही, मछली और कम वसा वाली चीजे शामिल होती हैं, उनमें अवसादग्रस्त होने के लक्षण कम होते हैं और भविष्य में उनके अवसादग्रस्त होने की संभावना भी काफी कम होती है।
इसके विपरीत जो लोग अस्वास्थ्यवर्धक खानपान जैसे प्रोसेस्ड़ीट, जंक फूड, चीनी वाले उत्पाद और प्रोसेस्ड आलू आदि ज्यादा लेते हैं, उनके अवसादग्रस्त होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
हाल ही में यूनीर्वसिटी आफ ईस्टर्न फिनलैंड में हुए एक शोध सेपौष्टिक खानपान और अवसाद के बीच के इस संबंध का खुलासा हुआ है। इस शोध के दौरान मध्यम और अधिक आयुवर्ग के 2000 से अधिक लोगों की खानपान संबंधी आदतों का लम्बे समय तक अध्ययन किया गया।
अध्ययन के बाद जारी अंतिम रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि जिन लोगों के खानपान में सब्जियां, फल, बेरीज, सम्पूर्ण अनाज, दूध, दही, मछली और कम वसा वाली चीजे शामिल होती हैं, उनमें अवसादग्रस्त होने के लक्षण कम होते हैं और भविष्य में उनके अवसादग्रस्त होने की संभावना भी काफी कम होती है।
इसके विपरीत जो लोग अस्वास्थ्यवर्धक खानपान जैसे प्रोसेस्ड़ीट, जंक फूड, चीनी वाले उत्पाद और प्रोसेस्ड आलू आदि ज्यादा लेते हैं, उनके अवसादग्रस्त होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
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