एक रजत और दो कांस्य पदक निलंबित देश के लिए कोई कम उपलब्धि नहीं है लेकिन
भारत के जूनियर और युवा महिला टीम कोच आई वी राव ने आज कहा कि हाल में
समाप्त हुई विश्व चैम्पियनशिप में अगर देश से कुछ अधिकारी मौजूद होते तो
इसमें पदकों की संख्या और अधिक हो सकती थी।
बुल्गारिया के अलबेना से लौटी भारतीय टीम ने जूनियर स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था और युवा टूर्नामेंट में रजत और कांस्य पदक प्राप्त किया। रजत 17 वर्षीय निखात जरीन (54 किग्रा) ने प्राप्त किया। कांस्य सिमरनजीत कौर (60 किग्रा, युवा) और आशा रोका (48 किग्रा, जूनियर) ने हासिल किया।
राव ने कहा कि ज्यादातर करीबी फैसले उनके मुक्केबाजों के खिलाफ रहे और उन्हें लगता है कि पिछले साल भारत पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के कारण इतना कुछ हुआ।
राव ने यहां कि हमें कोई अधिकारिक सहयोग नहीं मिला। हमें भाग लेने की अनुमति मिल गयी थी लेकिन जहां भी हमें लगता कि अगर फैसला हमारे खिलाफ गया तब भी हम कभी भी शिकायत या विरोध दर्ज नहीं कर सकते थे।
उन्होंने कहा कि अगर करीबी फैसले हमारे पक्ष में गए होते तो हम आसानी से दो या तीन पदक और जीत सकते थे। हालांकि कुछ विपक्षी टीमें जैसे रूस बाउट के बाद हमारे पास आये और हमसे कहा कि कुछ फैसले हमारे लिए काफी कड़े रहे।
राव ने कहा कि प्रतिस्पर्धा काफी कठिन भी थी और नई 10 अंक की स्कोरिंग प्रणाली में मुक्केबाजों को सांमजास्य बिठाने में थोड़ा और समय लगेगा।
उन्होंने कहा कि इसमें 33 देशों के करीब 300 मुक्केबाज थे, टूर्नामेंट काफी कठिन था। स्कोरिंग प्रणाली भी अलग थी क्योंकि यह एक तरह से तकनीकी मदद बिना की स्कोरिंग थी और सिर्फ मुक्का जड़ना ही काफी नहीं था। जज मुक्केबाजों की तेजी, आक्रामकता, रिंग में चपलता का आकलन करते।
बुल्गारिया के अलबेना से लौटी भारतीय टीम ने जूनियर स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था और युवा टूर्नामेंट में रजत और कांस्य पदक प्राप्त किया। रजत 17 वर्षीय निखात जरीन (54 किग्रा) ने प्राप्त किया। कांस्य सिमरनजीत कौर (60 किग्रा, युवा) और आशा रोका (48 किग्रा, जूनियर) ने हासिल किया।
राव ने कहा कि ज्यादातर करीबी फैसले उनके मुक्केबाजों के खिलाफ रहे और उन्हें लगता है कि पिछले साल भारत पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के कारण इतना कुछ हुआ।
राव ने यहां कि हमें कोई अधिकारिक सहयोग नहीं मिला। हमें भाग लेने की अनुमति मिल गयी थी लेकिन जहां भी हमें लगता कि अगर फैसला हमारे खिलाफ गया तब भी हम कभी भी शिकायत या विरोध दर्ज नहीं कर सकते थे।
उन्होंने कहा कि अगर करीबी फैसले हमारे पक्ष में गए होते तो हम आसानी से दो या तीन पदक और जीत सकते थे। हालांकि कुछ विपक्षी टीमें जैसे रूस बाउट के बाद हमारे पास आये और हमसे कहा कि कुछ फैसले हमारे लिए काफी कड़े रहे।
राव ने कहा कि प्रतिस्पर्धा काफी कठिन भी थी और नई 10 अंक की स्कोरिंग प्रणाली में मुक्केबाजों को सांमजास्य बिठाने में थोड़ा और समय लगेगा।
उन्होंने कहा कि इसमें 33 देशों के करीब 300 मुक्केबाज थे, टूर्नामेंट काफी कठिन था। स्कोरिंग प्रणाली भी अलग थी क्योंकि यह एक तरह से तकनीकी मदद बिना की स्कोरिंग थी और सिर्फ मुक्का जड़ना ही काफी नहीं था। जज मुक्केबाजों की तेजी, आक्रामकता, रिंग में चपलता का आकलन करते।
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