पेट भरा होने पर इसमें मौजूद एक तंत्रिका मस्तिष्क को संदेश भेजती है। ज्यादा फैट वाला खाना खाने से पेट में मौजूद तंत्रिका की संवेदनशीलता कमजोर पड़ जाती है जिससे वह मस्तिष्क को पेट भरा होने का संदेश नहीं दे पाती। इसलिए लोग जरूरत से ज्यादा खाना खा लेते हैं जिसका खमियाजा बढ़े हुए वजन के रूप में भुगतना पड़ता है। वजन कम करने के बाद अमूमन लोग फिर से वसा युक्त आहार लेने लगते हैं जिससे पेट और मस्तिष्क के बीच का यह संपर्क टूट जाता है और वजन दोबारा बढ़ने लगता है। प्रमुख शोधकर्ता अमांडा पेज बताते हैं कि खान-पान नियंत्रित करने के बाद भी पेट की तंत्रिका दोबारा सामान्य कार्यशैली में नहीं लौट पाती।
इसलिए घटा हुआ वजन बढ़ने के बाद दोबारा उसे घटाने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है। उनका यह भी कहना है कि शरीर में मौजूद ‘लेप्टिन’ नामक हारमोन इनसान के खाने-पीने की आदत को नियंत्रित करता है। वजन कम होने के बाद दोबारा बढ़ने पर यह भी पेट की तंत्रिका की संवेदनशीलता को बदल देता है जिससे मस्तिष्क को कम खाने का संदेश नहीं मिल पाता।
प्रो. पेज के मुताबिक, पेट की तंत्रिका और लेप्टिन की कार्यप्रणाली से यह तय होता है कि अधिक वजन वाले लोगों को पेट भरा होने का अहसास पाने के लिए अधिक खाने की जरूरत क्यों पड़ती है। अध्ययन के नतीजे काफी महत्वपूर्ण हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो वजन घटाने और उसे सामान्य बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
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