हमेशा शरारत और उछलकूद करने वाला चीनू बंदर आज स्कूल के बगीचे में गुमसुम
बैठा था। इंटरवल का समय था। उसके सभी दोस्त, चिक्की खरगोश, पिंकी गिलहरी,
टीपू डॉगी और मन्नू हाथी झूला झूल रहे
थे। पार्क में खासी रौनक थी। पेड़ों
पर चिडियां और तोते चहक रहे थे। चीनू के सारे दोस्त मस्ती कर रहे थे। सबने
उसे खेलने के लिए बुलाया, पर चीनू बंदर अपनी जगह से हिला भी नहीं। चिक्की
खरगोश उसका पक्का दोस्त था। उसे चीनू का यूं चुपचाप रहना कुछ ठीक नहीं लग
रहा था। उसने एक बार फिर आवाज दी, चीनू, क्या हुआ, यहां आओ, देखो इस झूले
में कितना मजा आ रहा है। पर चीनू चुप रहा। उसने चिक्की की बात का कोई जवाब
नहीं दिया। अब चिक्की खरगोश से नहीं रहा गया। वह कूदकर उस बेंच पर पहुंच
गया, जहां चीनू बंदर चुपचाप बैठा था।
चिक्की खरगोश ने पूछा, क्या हुआ चीनू, तुम्हारी तबियत तो ठीक है न। चीनू बंदर ने धीरे से कहा, हां मैं ठीक हूं, लेकिन मेरी मम्मी...। यह कहते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए। चिक्की ने घबराते हुए पूछा, क्या हुआ बीना आंटी को। चीनू बोला, मेरी मम्मी फर्श पर गिर पड़ीं, उनका पैर फिसल गया, अब वे अस्पताल में हैं, यह सब मेरी वजह से हुआ, मेरी शरारत की सजा मेरी मम्मी को मिली। चिक्की खरगोश ने उसे समझाते हुए कहा, देखो चीनू, चिंता मत करो, आंटी जी जल्द ठीक हो जाएंगी। पर तुम बताओ यह सब कैसे हुआ। चीनू बंदर ने सुबकते हुए कहा, दरअसल मैं स्कूल से लौटने के बाद हर रोज घर में अपने खिलौने और कॉपी-किताबें फैला देता था। मम्मी मुझे बार-बार मना करतीं, पर मैं उनकी नहीं सुनता। कल भी ऐसा ही हुआ। स्कूल से लौटते ही मैंने सारे खिलौने बिखेर दिए। मम्मी ने मुझे डांटा और समझाया भी। इसके बाद उन्होंने बिखरा हुआ सारा सामान समेटकर रख दिया। फिर मैं फ्रिज से पानी की बोतल निकालकर खेलने लगा। मम्मी ने मुझे मना किया और हिदायत भी दी कि मैं फर्श पर पानी न फैलाऊं। पर मैंने उनकी बात नहीं मानी। मैंने बोतल खोलकर पानी फर्श पर गिरा दिया। बेचारी मम्मी तो किचन में मेरे लिए मेरा मनपसंद हलवा बना रही थीं। जैसे ही वह हलवा लेकर किचन से बाहर निकलीं, उनका पैर फिसल गया और वह गिर पड़ीं। चिक्की ने उत्सुकता से पूछा, फिर क्या हुआ चीनू। चीनू बोला, फर्श पर गिरते ही मम्मी बेहोश हो गईं। मैं मम्मी को उठाता रहा, पर वह कुछ न बोलीं। फिर मैंने पापा को फोन कर बुलाया और तब हम उन्हें लेकर अस्पताल गए। डॉक्टर ने कहा है कि उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया है और वह एक महीने तक चल-फिर नहीं पाएंगी। इतना बताने के बाद चीनू फिर रोने लगा। चिक्की ने कहा, हां यह सब तुम्हारी शरारत की वजह से ही हुआ है, लेकिन अब रोने से कुछ नहीं होगा। अब तुम्हें खुद से वादा करना चाहिए कि तुम ऐसी शरारत दोबारा कभी नहीं करोगे। चीनू बोला, हां, मैं अब मम्मी को कभी तंग नहीं करूंगा। मैं उनका कहना मानूंगा और घर के काम में उनकी भी मदद करूंगा। चिक्की ने कहा, आओ, हम अस्पताल चलते हैं आंटी जी का हालचाल जानने। इसी बीच पिंकी गिलहरी, टीपू डॉगी और मन्नू हाथी भी वहां आ गए। पूरी बात जानने के बाद सबने तय किया वे लोग अस्पताल जाएंगे। चीनू बंदर ने कहा कि उन्हें ऑटो से अस्पताल जाना चाहिए, लेकिन मन्नू हाथी ने सलाह दी कि मेट्रो से चलना ठीक रहेगा, क्योंकि मेट्रो उन्हें जल्द पहुंचा देगी। आखिर सबको समय पर अपने-अपने घर भी पहुंचना होगा। इस पर पिंकी गिलहरी ने सलाह दी, दोस्तो, अस्पताल जाने से पहले हम सबको अपने मम्मी-पापा को जानकरी देनी चाहिए, ताकि वे चिंता न करें। टीपू डॉगी ने कहा, हां यह ठीक रहेगा। सबने अपने-अपने घर पर फोन कर दिया। इसके बाद वे सब अस्पताल की ओर चल पड़े। अस्पताल में चीनू की मम्मी बेड पर लेटी थीं। पिंकी गिलहरी, टीपू डॉगी, चिक्की खरगोश और मन्नू हाथी ने उनसे हालचाल पूछा। पिंकी गिलहरी ने पूछा, आंटी, अब आप कैसी हैं। बताइये हम सब आपकी कैसे मदद कर सकते हैं। चीनू की मम्मी ने कहा, अरे नहीं बच्चो, मुझे कोई खास चोट नहीं लगी है। हां, तुम सब मेरे चीनू का ख्याल रखना। पर यह तो बताओ कि चीनू है कहां? चिक्की खरगोश ने हिचकते हुए कहा, दरअसल आंटी आपको चोट लगने की वजह से वह बहुत दुखी है। उसे अपनी गलती का एहसास है। बेचारा बाहर खड़ा है। उसे आपके समाने आने की हिम्मत ही नहीं हो रही है। चीनू की मम्मी ने कहा, कोई बात नहीं, अब मैं ठीक हूं। कहां है चीनू? उसने आज कुछ खाया या नहीं। चीनू कमरे के बाहर खड़े होकर सारी बातें सुन रहा था। मम्मी की बात सुनते ही वह कमरे में आ गया और उनसे लिपटकर रोने लगा। उसने कहा, सॉरी, मम्मी। आप मेरा कितना ख्याल रखती हैं, लेकिन मैंने...। इतना कहकर वह सुबकने लगा। बीना आंटी ने उसे समझाते हुए कहा, चीनू बेटा, रोना बंद करो। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। चीनू बोला, मम्मी, अब मैं कभी पानी नहीं फैलाऊंगा, कभी सामान नहीं बिखेरूंगा। मैं कभी आपको तंग नहीं करूंगा। तभी डॉक्टर अंकल आ गए। उन्होंने कहा, चीनू मास्टर घबराने की जरूरत नहीं है। मैं कल ही तुम्हारी मम्मी को डिस्चार्ज कर दूंगा। मैंने उनके पैर में प्लास्टर चढ़ा दिया है। अब एक महीने तक वह बेड पर रहेंगी और तुम्हें उनका ख्याल रखना होगा। चीनू बोला, थैंक्यू अंकल, आप चिंता मत कीजिए, मैं मम्मी का खूब ख्याल रखूंगा। यह सुनते ही चीनू की मम्मी ने उसे गले लगा लिया। इसके बाद पिंकी गिलहरी, टीपू डॉगी, चिक्की खरगोश और मन्नू हाथी ने बीना आंटी से कहा, अच्छा आंटी हम अपने घर जाते हैं, आप अपना ख्याल रखिएगा। रास्ते में चिक्की खरगोश ने कहा, दोस्तो, इस घटना ने हम सबको एक सबक दिया है। आज से हम सब अपनी मम्मियों को तंग नहीं करेंगे। सारे दोस्तों ने एक स्वर में कहा, आज से हम सब अपने मम्मी-पापा का कहना मानेंगे। वे हमें कितना प्यार करते हैं। हमें उन्हें यूं दुखी नहीं करना चाहिए।
चिक्की खरगोश ने पूछा, क्या हुआ चीनू, तुम्हारी तबियत तो ठीक है न। चीनू बंदर ने धीरे से कहा, हां मैं ठीक हूं, लेकिन मेरी मम्मी...। यह कहते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए। चिक्की ने घबराते हुए पूछा, क्या हुआ बीना आंटी को। चीनू बोला, मेरी मम्मी फर्श पर गिर पड़ीं, उनका पैर फिसल गया, अब वे अस्पताल में हैं, यह सब मेरी वजह से हुआ, मेरी शरारत की सजा मेरी मम्मी को मिली। चिक्की खरगोश ने उसे समझाते हुए कहा, देखो चीनू, चिंता मत करो, आंटी जी जल्द ठीक हो जाएंगी। पर तुम बताओ यह सब कैसे हुआ। चीनू बंदर ने सुबकते हुए कहा, दरअसल मैं स्कूल से लौटने के बाद हर रोज घर में अपने खिलौने और कॉपी-किताबें फैला देता था। मम्मी मुझे बार-बार मना करतीं, पर मैं उनकी नहीं सुनता। कल भी ऐसा ही हुआ। स्कूल से लौटते ही मैंने सारे खिलौने बिखेर दिए। मम्मी ने मुझे डांटा और समझाया भी। इसके बाद उन्होंने बिखरा हुआ सारा सामान समेटकर रख दिया। फिर मैं फ्रिज से पानी की बोतल निकालकर खेलने लगा। मम्मी ने मुझे मना किया और हिदायत भी दी कि मैं फर्श पर पानी न फैलाऊं। पर मैंने उनकी बात नहीं मानी। मैंने बोतल खोलकर पानी फर्श पर गिरा दिया। बेचारी मम्मी तो किचन में मेरे लिए मेरा मनपसंद हलवा बना रही थीं। जैसे ही वह हलवा लेकर किचन से बाहर निकलीं, उनका पैर फिसल गया और वह गिर पड़ीं। चिक्की ने उत्सुकता से पूछा, फिर क्या हुआ चीनू। चीनू बोला, फर्श पर गिरते ही मम्मी बेहोश हो गईं। मैं मम्मी को उठाता रहा, पर वह कुछ न बोलीं। फिर मैंने पापा को फोन कर बुलाया और तब हम उन्हें लेकर अस्पताल गए। डॉक्टर ने कहा है कि उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया है और वह एक महीने तक चल-फिर नहीं पाएंगी। इतना बताने के बाद चीनू फिर रोने लगा। चिक्की ने कहा, हां यह सब तुम्हारी शरारत की वजह से ही हुआ है, लेकिन अब रोने से कुछ नहीं होगा। अब तुम्हें खुद से वादा करना चाहिए कि तुम ऐसी शरारत दोबारा कभी नहीं करोगे। चीनू बोला, हां, मैं अब मम्मी को कभी तंग नहीं करूंगा। मैं उनका कहना मानूंगा और घर के काम में उनकी भी मदद करूंगा। चिक्की ने कहा, आओ, हम अस्पताल चलते हैं आंटी जी का हालचाल जानने। इसी बीच पिंकी गिलहरी, टीपू डॉगी और मन्नू हाथी भी वहां आ गए। पूरी बात जानने के बाद सबने तय किया वे लोग अस्पताल जाएंगे। चीनू बंदर ने कहा कि उन्हें ऑटो से अस्पताल जाना चाहिए, लेकिन मन्नू हाथी ने सलाह दी कि मेट्रो से चलना ठीक रहेगा, क्योंकि मेट्रो उन्हें जल्द पहुंचा देगी। आखिर सबको समय पर अपने-अपने घर भी पहुंचना होगा। इस पर पिंकी गिलहरी ने सलाह दी, दोस्तो, अस्पताल जाने से पहले हम सबको अपने मम्मी-पापा को जानकरी देनी चाहिए, ताकि वे चिंता न करें। टीपू डॉगी ने कहा, हां यह ठीक रहेगा। सबने अपने-अपने घर पर फोन कर दिया। इसके बाद वे सब अस्पताल की ओर चल पड़े। अस्पताल में चीनू की मम्मी बेड पर लेटी थीं। पिंकी गिलहरी, टीपू डॉगी, चिक्की खरगोश और मन्नू हाथी ने उनसे हालचाल पूछा। पिंकी गिलहरी ने पूछा, आंटी, अब आप कैसी हैं। बताइये हम सब आपकी कैसे मदद कर सकते हैं। चीनू की मम्मी ने कहा, अरे नहीं बच्चो, मुझे कोई खास चोट नहीं लगी है। हां, तुम सब मेरे चीनू का ख्याल रखना। पर यह तो बताओ कि चीनू है कहां? चिक्की खरगोश ने हिचकते हुए कहा, दरअसल आंटी आपको चोट लगने की वजह से वह बहुत दुखी है। उसे अपनी गलती का एहसास है। बेचारा बाहर खड़ा है। उसे आपके समाने आने की हिम्मत ही नहीं हो रही है। चीनू की मम्मी ने कहा, कोई बात नहीं, अब मैं ठीक हूं। कहां है चीनू? उसने आज कुछ खाया या नहीं। चीनू कमरे के बाहर खड़े होकर सारी बातें सुन रहा था। मम्मी की बात सुनते ही वह कमरे में आ गया और उनसे लिपटकर रोने लगा। उसने कहा, सॉरी, मम्मी। आप मेरा कितना ख्याल रखती हैं, लेकिन मैंने...। इतना कहकर वह सुबकने लगा। बीना आंटी ने उसे समझाते हुए कहा, चीनू बेटा, रोना बंद करो। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। चीनू बोला, मम्मी, अब मैं कभी पानी नहीं फैलाऊंगा, कभी सामान नहीं बिखेरूंगा। मैं कभी आपको तंग नहीं करूंगा। तभी डॉक्टर अंकल आ गए। उन्होंने कहा, चीनू मास्टर घबराने की जरूरत नहीं है। मैं कल ही तुम्हारी मम्मी को डिस्चार्ज कर दूंगा। मैंने उनके पैर में प्लास्टर चढ़ा दिया है। अब एक महीने तक वह बेड पर रहेंगी और तुम्हें उनका ख्याल रखना होगा। चीनू बोला, थैंक्यू अंकल, आप चिंता मत कीजिए, मैं मम्मी का खूब ख्याल रखूंगा। यह सुनते ही चीनू की मम्मी ने उसे गले लगा लिया। इसके बाद पिंकी गिलहरी, टीपू डॉगी, चिक्की खरगोश और मन्नू हाथी ने बीना आंटी से कहा, अच्छा आंटी हम अपने घर जाते हैं, आप अपना ख्याल रखिएगा। रास्ते में चिक्की खरगोश ने कहा, दोस्तो, इस घटना ने हम सबको एक सबक दिया है। आज से हम सब अपनी मम्मियों को तंग नहीं करेंगे। सारे दोस्तों ने एक स्वर में कहा, आज से हम सब अपने मम्मी-पापा का कहना मानेंगे। वे हमें कितना प्यार करते हैं। हमें उन्हें यूं दुखी नहीं करना चाहिए।
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