Narender Modi |
नई दिल्ली. बीजेपी में भले ही इनदिनों नरेंद्र मोदी (टीम मोदी में किसे मिली क्या जिम्मेदारी, जानिए) और
राजनाथ सिंह की जोड़ी सभी फैसले लेते हुए दिख रही हो, लेकिन मिशन 2014 का
असली ब्लू प्रिंट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही तैयार कर रहा है।
पिछले लोकसभा चुनाव में तुलनात्मक तौर पर कम सक्रिय रहे संघ ने इस बार
खुद मोर्चा संभाल लिया है। पिछले नौ साल से दिल्ली की सत्ता से दूर रही
बीजेपी को संघ हर हालत में सत्ता में लाना चाहता है।
संघ की ही दखल से से ही मोदी-राजनाथ की जोड़ी ने पार्टी के वरिष्ठ
नेता लालकृष्ण आडवाणी को मार्गदर्शक की भूमिका देने में कामयाब पाई।
अमरावती की बैठक में संघ अपने सभी अनुषांगिक संगठनों-विश्व हिंदू परिषद,
बजरंग दल, आदि को निर्देश दे चुका हैं कि इस बार चुनाव में जुटना होगा।
मोदी के साथ छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़ियो का भी
संघ सहयोग करने को कह चुका है। संघ की अमरावती के सम्मेलन के बाद अब साफ
हो गया है कि इस बार लोकसभा चुनाव की कमान संघ के हाथ रहेगी।
जबकि पिछले चुनाव में पूरी कमान एनडीए के पीएम पद के उम्मीदवार रहे
आडवाणी के ही पास थी। हालांकि संगठन के तौर पर चुनाव अभियान का जिम्मा अरुण
जेटली के पास था। लेकिन 2009 के चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद से
ही संघ ने साफ संकेत दे दिये थे कि पार्टी को नया चेहरा तलाशना होगा।
तब बीजेपी ने भी चुनाव नतीजों की समीक्षा में पाया कि आडवाणी को उनकी
ज्यादा उम्र के कारण पीएम उम्मीवार के तौर पर उम्मीद के अनुरुप समर्थन नहीं
मिला। अटल बिहारी वाजयपी अस्वस्थ थे, इसलिए संघ ने दूसरी कतार के नेताओं
को आगे लाना शुरू किया। इसी मकसद से गडकरी को नागपुर से दिल्ली लाया गया।
संघ की इसी रणनीति का नतीजा है कि ही अब आगामी चुनाव में आडवाणी मार्गदर्शक
की भूमिका रहेंगे। जबकि संघ ने मोदी-राजनाथ के जरिये भाजपा को पूरी तरह से
अपने नियंत्रण में ले लिया है।
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