Old Age man |
क्या दुनिया का सबसे उम्रदराज शख्स भारत में है? अगर क्श्मीर के रहने
वाले फिरोज-उन-दीन मीर के दावों पर यकीन किया जाए तो इस सवाल का जवाब हां
है. मीर का दावा है कि वो 141 साल के हैं. अगर यह बात सही निकली तो वह
दुनिया के सबसे उम्रदराज व्यक्ति होंगे.डेली मेल के मुताबिक, मीर का
कहना है कि उनके पास सरकारी सर्टिफिकेट भी है जिसमें उनकी उम्र 10 मार्च
1872 लिखी है. माना जा रहा है कि गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स अब उनके दावे की
जांच कर सकता है. फिलहाल दुनिया के सबसे उम्रदराज व्यक्ति होने का रिकॉर्ड
मिसाओ ओकावा के नाम दर्ज है, जिनकी उम्र 115 साल है.
अगर मीर के दावे सही साबित हुए तो वह फ्रांस की महिला जीएन कैलमेंट को भी पीछे छोड़ सकते हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा समय तक जीवित रहने का रिकॉर्ड बनाया था. कैमलेंट की मौत 122 साल की उम्र में साल 1997 में हो गई थी.
कश्मीर लाइफ की रिपोर्ट के मुताबिक मीर अपने परिवारवालों की मदद से आज भी चल-फिर सकते हैं. यही नहीं वह अपनी जिंदगी की कहानी भी बयां करते हैं. मीर अपने पिता की तरह फल और मेवों का कारोबार करते थे. साल 1890 में उन्होंने शादी की. वे साल 1900 तक अपनी पहली पत्नी के साथ पाकिस्तान में ही रहे. पत्नी की मौत के बाद वे भारत आ गए. मीर के मुताबिक, 'उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच कोई बॉर्डर नहीं था. मुजफ्फराबाद जाना श्रीनगर जाने से ज्यादा आसान था. मैं कराची में एक व्यापारिक परिवार के साथ काम करता था जो मुझसे मेवे खरीदता था. मैं मेवे कश्मीर से लाता था, जो कराची में बहुत मशहूर थे.'
जब उनकी पहली पत्नी की मौत हो गई तो वे अपने जन्म स्थान कश्मीर के उरी जिले के भिजमा गांव आ गए. इसके बाद उन्होंने चार बार निकाह किया. उनकी पांचवीं पत्नी मिसरा के मुताबिक, 'उन्हें जिंदगी का कटु अनुभव है. उन्होंने मुझे बताया है कि जब वे 1880 में एक बार कारोबार के सिलसिले में कराची गए थे तब वे सोपोर में तूफान में फंस गए और उन्होंने कई लोगों की जिंदगी भी बचाई थी. वे पिछली सदी में कई एतिहासिक घटनाओं के साक्षी रहे हैं.'
मीर की कहानी सामने आने से पहले जापान के 116 वर्षीय जिरोएमोन किमूरा को 19वीं सदी का आखिरी शख्स माना जाता था, जिनका जन्म 19 अप्रैल 1897 को हुआ था. इसी साल जून में उनकी मौत हो गई.
अगर मीर के दावे सही साबित हुए तो वह फ्रांस की महिला जीएन कैलमेंट को भी पीछे छोड़ सकते हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा समय तक जीवित रहने का रिकॉर्ड बनाया था. कैमलेंट की मौत 122 साल की उम्र में साल 1997 में हो गई थी.
कश्मीर लाइफ की रिपोर्ट के मुताबिक मीर अपने परिवारवालों की मदद से आज भी चल-फिर सकते हैं. यही नहीं वह अपनी जिंदगी की कहानी भी बयां करते हैं. मीर अपने पिता की तरह फल और मेवों का कारोबार करते थे. साल 1890 में उन्होंने शादी की. वे साल 1900 तक अपनी पहली पत्नी के साथ पाकिस्तान में ही रहे. पत्नी की मौत के बाद वे भारत आ गए. मीर के मुताबिक, 'उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच कोई बॉर्डर नहीं था. मुजफ्फराबाद जाना श्रीनगर जाने से ज्यादा आसान था. मैं कराची में एक व्यापारिक परिवार के साथ काम करता था जो मुझसे मेवे खरीदता था. मैं मेवे कश्मीर से लाता था, जो कराची में बहुत मशहूर थे.'
जब उनकी पहली पत्नी की मौत हो गई तो वे अपने जन्म स्थान कश्मीर के उरी जिले के भिजमा गांव आ गए. इसके बाद उन्होंने चार बार निकाह किया. उनकी पांचवीं पत्नी मिसरा के मुताबिक, 'उन्हें जिंदगी का कटु अनुभव है. उन्होंने मुझे बताया है कि जब वे 1880 में एक बार कारोबार के सिलसिले में कराची गए थे तब वे सोपोर में तूफान में फंस गए और उन्होंने कई लोगों की जिंदगी भी बचाई थी. वे पिछली सदी में कई एतिहासिक घटनाओं के साक्षी रहे हैं.'
मीर की कहानी सामने आने से पहले जापान के 116 वर्षीय जिरोएमोन किमूरा को 19वीं सदी का आखिरी शख्स माना जाता था, जिनका जन्म 19 अप्रैल 1897 को हुआ था. इसी साल जून में उनकी मौत हो गई.
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