Ragning in indian |
शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग के मामले सामने आने के बीच सरकार ने 24 घंटे
सजग रहने वाली रैगिंग निरोधक हेल्पलाइन बनाई है। साथ ही इस
के कामकाज की
निगरानी के कार्य में गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और गैर सरकारी संघों
(एनजीए)
को जोड़ने का फैसला किया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के एक अधिकारी ने भाषा को बताया
कि आयोग ने रैगिंग निरोधक हेल्पलाइन एवं संबद्ध डाटाबेस की निगरानी करने
के लिए एनजीओ और गैर सरकारी संघ से हितों का अभिव्यक्ति पत्र (ईओआई)
आमंत्रित किया है।
उन्होंने कहा कि एनजीओ और एनजीए से अपेक्षा की जाती है कि वे भारत के
सुप्रीम कोर्ट की अपील संख्या 887:2009 के निर्देशानुसार यूजीसी एवं अन्य
सांविधिक परिषद तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा रैगिंग संबंधी घटनाओं पर गठित
समिति को इसके गैर अनुपालन एवं नियमों के उल्लंघन के संबंध में सूचनाएं
प्रदान करें।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ऐसे प्रतिष्ठित एनजीओ और एनजीए से उक्त पत्र
मांगा है जो सामाजिक क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थाओं में व्याप्त रैगिंग की
समस्या का निराकरण करने का अनुभव एवं दक्षता रखते हों। उक्त एनजीओ के पास
कम से कम तीन वर्ष का राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाने का अनुभव होना चाहिए।
इसके लिए ऐसी स्वयंसेवी संस्थाओं को प्राथमिकता दी जायेगी जिनके पास
पर्याप्त संख्या में अनुभवी मानव संसाधन हो।
चयनित संस्थानों को इस कार्य के लिए प्रारंभ में एक वर्ष के लिए जोड़ा जायेगा और कार्य निष्पादन के आधार पर विस्तार किया जा सकता है।
अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक छात्र एवं उनके अभिभावकों या संरक्षकों द्वारा
प्रस्तुत किये गए शपथपत्रों के डाटाबेस तैयार किये गए हैं। एनजीओ और एनजीए
से अपेक्षा की जाती है कि वे इस पर ठीक ढंग से नजर रखेंगे।
स्वयंसेवी संस्थान इस बात का पता लगायेंगे कि रैगिंग निरोधक हेल्पलाइन के
डाटाबेस के आधार पर प्राप्त एवं आगे बढ़ायी गई शिकायतों के बारे में कौन
कौन से कदम उठाये है और उनकी स्थिति क्या है।
स्वयंसेवी संस्थान हर पखवाड़े को यूजीसी को अपनी सभी प्रथमिक एवं संबंध
गतिविधियों की रिपोर्ट पेश करेंगे। चुने गए स्वयंसेवी संस्थान इस बात की
जानकारी जुटायेंगे कि क्या शैक्षणिक संस्थानों ने अनुशासन का वातावरण तैयार
करने का प्रयास किया है, क्या शैक्षणिक संस्थानों ने इस आशय का स्पष्ट
संदेश दिया है कि रैंगिक को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
एनजीओ को यह भी जानकारी जुटानी होगी कि क्या शैक्षणिक संस्थाओं ने ऐसी
विवरणिका एवं अन्य दस्तावेजों के प्रकाशनार्थ आवश्यक कदम उठाये हैं तथा
जिनमें रैगिंग के लिए दंड निर्धारित किये गए है क्या संस्थाओं ने छात्रों
के अभिभावकों से इस आशय का अश्वासन प्राप्त किया है कि छात्रों को दोषी
पाये जाने पर वे दंड के भागीदार होंगे क्या संबंधित संस्थानों के ऐसे
अधिकारियों, जो रैगिंग रोकने एवं ऐसे मामलों का निराकरण करने में असफल पाए
गए, उनके विरूद्ध कार्रवाई की गई।
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