नार्वे का एक शहर ऐसा भी है, जहां जाड़े के मौसम में सूरज की किरणें नहीं
पहुंचतीं। औद्योगिक शहर जुकान मध्य नार्वे में स्थित एक संकरी घाटी में बसा
है। लेकिन इस साल सितंबर महीने में 100 साल में पहली बार शहरवासियों को
जाड़े के मौसम में भी सूरज की किरणों से खुद को गर्म रखने का
मौका मिलेगा।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, यदि सब कुछ ठीक रहा तो घाटी में बसे शहर के किनारे स्थित पहाड़ियों पर 450 मीटर की ऊंचाई पर लगाए गए बड़े-बड़े शीशों के द्वारा सूरज की किरणें परावर्तित होकर जुकान के टाऊन हॉल के ठीक सामने स्थित मुख्य चौराहे पर पहुंचेंगी। बीती एक जुलाई से शुरू हुआ पहाड़ी पर शीशे लगाने का काम पूरा हो चुका है। सोमवार को तकनीशियनों और कामगारों ने 50 लाख क्रोनर (नार्वे की मुद्रा) की परियोजना को अंतिम रूप दिया। कई दशकों से जुकान वासियों को जाड़े के मौसम में सूरज की किरणें पाने के लिए केबल कार क्रोस्सोबेनन के जरिये पहाड़ी के ऊपर जाना पड़ता था। जुकान पर्यटक कार्यालय के प्रमुख केरीन रो ने बताया कि शहरवासी पहले की तरह केबल कार के जरिए पहाड़ी के ऊपर जाना जारी रखेंगे, लेकिन मुख्य चौराहे पर सूर्य की किरणें पहुंचने के बाद वहां चहल-पहल बढ़ने की आशा है। शहर के मुख्य अधिकारी रुन लियोडोइन ने कहा कि जाड़े में शहर तक सूरज की किरणों को पहुंचाने का विचार इतना ही पुराना है, जितना कि यह शहर। लेकिन पहले हमारे पास विकसित तकनीक नहीं थी, इसीलिए केबल कार का विकल्प अपनाया गया। पांच सालों तक वाद-विवाद के बाद शहर की अधिकारिक परिषद ने बड़े शीशों को स्थापित करने और परियोजना के लिए 8,23,000 डॉलर के वित्तीय निवेश को मंजूरी दी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, यदि सब कुछ ठीक रहा तो घाटी में बसे शहर के किनारे स्थित पहाड़ियों पर 450 मीटर की ऊंचाई पर लगाए गए बड़े-बड़े शीशों के द्वारा सूरज की किरणें परावर्तित होकर जुकान के टाऊन हॉल के ठीक सामने स्थित मुख्य चौराहे पर पहुंचेंगी। बीती एक जुलाई से शुरू हुआ पहाड़ी पर शीशे लगाने का काम पूरा हो चुका है। सोमवार को तकनीशियनों और कामगारों ने 50 लाख क्रोनर (नार्वे की मुद्रा) की परियोजना को अंतिम रूप दिया। कई दशकों से जुकान वासियों को जाड़े के मौसम में सूरज की किरणें पाने के लिए केबल कार क्रोस्सोबेनन के जरिये पहाड़ी के ऊपर जाना पड़ता था। जुकान पर्यटक कार्यालय के प्रमुख केरीन रो ने बताया कि शहरवासी पहले की तरह केबल कार के जरिए पहाड़ी के ऊपर जाना जारी रखेंगे, लेकिन मुख्य चौराहे पर सूर्य की किरणें पहुंचने के बाद वहां चहल-पहल बढ़ने की आशा है। शहर के मुख्य अधिकारी रुन लियोडोइन ने कहा कि जाड़े में शहर तक सूरज की किरणों को पहुंचाने का विचार इतना ही पुराना है, जितना कि यह शहर। लेकिन पहले हमारे पास विकसित तकनीक नहीं थी, इसीलिए केबल कार का विकल्प अपनाया गया। पांच सालों तक वाद-विवाद के बाद शहर की अधिकारिक परिषद ने बड़े शीशों को स्थापित करने और परियोजना के लिए 8,23,000 डॉलर के वित्तीय निवेश को मंजूरी दी।
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