Sunday, 1 September 2013

रॉबर्ट वाड्रा: जग हंसाई करा रहे जमाई



सोनिया गांधी, रॉबर्ट वाड्रा और राहुल गांधी
उस रोज देर शाम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने दुबई जाने के लिए एक फ्लाइट पकड़ ली. 11 अगस्त को विदेश रवाना हो जाने की वजह से वे उस मुसीबत से बच गए जो उनके जमीन सौदों ने कांग्रेस के लिए पैदा किया, क्योंकि बीजेपी ने इस मुद्दे पर संसद में हंगामा करने का निर्णय ले लिया था.

वाड्रा के जमीन सौदों पर पहले भी सवाल उठाए गए हैं. इस बार मुद्दा गरमाया आइएएस अधिकारी अशोक खेमका के 105 पेज के एक नोट से. इसमें उन्होंने प्रियंका गांधी के पति पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गुडग़ांव के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ बेशकीमती जमीन के 'संदिग्ध सौदों’ के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया.

लैंड रिकॉर्ड्स के महानिदेशक खेमका ने अक्तूबर 2012 में इस सौदे पर आपत्ति की थी और वाड्रा एवं रियल्टी दिग्गज डीएलएफ यूनिवर्सल लि. के बीच जमीन के हस्तांतरण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद उनका फौरन ट्रांसफर कर दिया गया था. पर हरियाणा की कांग्रेस सरकार की ओर से अप्रैल में कराई जांच में वाड्रा को क्लीन चिट दे दी गई. इस जांच रिपोर्ट में कहा गया कि खेमका ने भूमि हस्तांतरण को निरस्त करके अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है.

मगर पिछले 22 साल में 44 बार ट्रांसफर का सामना कर चुके खेमका इससे परेशान नहीं हुए और उन्होंने इसके जवाब में एक विस्तृत नोट तैयार कर 21 मई को हरियाणा सरकार को सौंप दिया. इसमें उन्होंने बहुत विस्तार से यह बताया है कि किस प्रकार हरियाणा सरकार के टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग विभाग (डीटीसीपी) ने नियम-कायदों की अवहलेना कर ''पूंजीवादी गिरोह को बिचौलियों की तरह काम करने दिया ताकि वे कॉमर्शियल कॉलोनी के लिए हासिल लाइसेंस पर मुनाफा कमाएं और मलाई काटते रहें.”

अक्तूबर 2012 में खेमका का मुंह बंद कर दिया गया. इसके पहले कि वे शिकोहपुर जमीन सौदे में अनियमितता का पूरी तरह से खुलासा करते, राज्य सरकार ने उनका ट्रांसफर कर दिया. लेकिन इस बार उन्होंने सब कुछ लिखित में रखा और वाड्रा के स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लि. की ओर से किए गए सौदे के हर कदम पर किए गए घपलों को उजागर कर दिया (बॉक्स देखें). इनमें कॉर्पोरेशन बैंक के 7.5 करोड़ रु. के ओवरड्राफ्ट का 'कोई अस्तित्व न होने’ की भी बात थी जिसे कंपनी ने अपने 2008-09 के बहीखाते में दिखाया है.

आइएएस अधिकारी ने यह भी उल्लेख किया है कि किस तरह से एक कॉमर्शियल कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस वाड्रा की कंपनी को दे दिया गया, लेकिन उसने इसे भारी मुनाफे के साथ डीएलएफ को बेच दिया जो नियम-कायदों के पूरी तरह खिलाफ  है.

इस बार बीजेपी ने संसद में इस मुद्दे को उठाने का निर्णय लिया है. उसने पहले की उस हिचकिचाहट को छोड़ दिया है जो संभवत: इस नीति पर आधारित थी कि ''नेताओं के बच्चों और रिश्तेदारों पर व्यक्तिगत तौर पर हमला नहीं किया जाएगा.” इसके पीछे यह डर था कि कल को बीजेपी के नेताओं के साथ भी ऐसा हो सकता है. लेकिन अक्तूबर 2012 की नीति से यह अंतर असल में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी द्वारा बीजेपी का मजाक उड़ाने और आरएसएस की झिड़की का नतीजा है.

इस बार बीजेपी ने इस मुद्दे को अपने हाथ में ले लिया और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, यशवंत सिन्हा, लालकृष्ण आडवाणी जैसे वरिष्ठ नेताओं के बीच 12 अगस्त को हुई चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया कि इस मुद्दे पर पार्टी कांग्रेस को घेरेगी. पार्टी में यह राय बनी कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सोनिया गांधी को लक्ष्य कर किए गए हमले से पार्टी को 2014 के चुनावों में फायदा मिलेगा.

संसद के दोनों सदनों में 13 अगस्त को आक्रामक तरीके से हमला बोला गया. पहली बार भ्रष्टाचार के आरोप सोनिया गांधी के दामन तक पहुंच गए. लोकसभा में बीजेपी के सांसदों ने 'कांग्रेस का हाथ, दामाद के साथ’ जैसे नारे लगाए. उन्होंने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआइटी) से मामले की जांच कराई जानी चाहिए.

लोकसभा में इस हमलावर रुख का नेतृत्व करने वाले यशवंत सिन्हा ने व्यंग्य के तीर छोड़ते हुए कांग्रेस से यह आग्रह किया कि वह वाड्रा स्कूल ऑफ मैनेजमेंट शुरू करे जहां उनके 'अनूठे कारोबारी मॉडल’ की पढ़ाई हो—कि बिना अपना पैसा लगाए करोड़ों रुपए कैसे बनाए जाएं. उन्होंने वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से कहा कि वे इस मॉडल का इस्तेमाल ''भारतीय अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करने और रुपए की गिरावट को रोकने के लिए क्यों नहीं करते.”

इस हमले से कांग्रेस को अपना बचाव करने में काफी मुश्किल हो रही थी. बचाव में कई तरह की दलीलें दी गईं, जैसे ''वे लोक सेवक नहीं हैं, इसलिए उनके क्रियाकलाप पर संसद में चर्चा नहीं की जा सकती” या ''यह मुद्दा हरियाणा सरकार से जुड़ा है.” सोनिया चुप्पी साधकर बैठी रहीं, इस उम्मीद में कि हो-हल्ला शांत हो जाएगा और खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा शुरू हो पाएगी. कांग्रेसियों के लिए यह काफी संवेदनशील मुद्दा है.


और भी... http://aajtak.intoday.in/story/in-law-or-outlaw-1-739649.html

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